অসমীয়া   বাংলা   बोड़ो   डोगरी   ગુજરાતી   ಕನ್ನಡ   كأشُر   कोंकणी   संथाली   মনিপুরি   नेपाली   ଓରିୟା   ਪੰਜਾਬੀ   संस्कृत   தமிழ்  తెలుగు   ردو

हिमाचल प्रदेश में खुम्ब विकास

हिमाचल प्रदेश में खुम्ब विकास

परिचय

खुम्ब स्वाद व् खाद्य पोषण तत्वों के लिए काफी लोकप्रिय हैं। हिमाचल प्रदेश की कृषि जलवायु खुम्ब की खेती के लिए उपयुक्त होने के कारण यहाँ प्राकृतिक परिस्थितियों में खुम्ब उत्पादन की अपार संभावनाएँ है, और साथ ही वह निर्यात उद्देश्य के लिए भी विख्यात है। हिमाचल प्रदेश में दो प्रकार के खुम्ब अर्थात सफेद बटन खुम्ब ( एग्रीक्स बिस्पोरौस) एवं धीनग्री (प्लयूरीटस एसपीपी)की खेती जाती है। राज्य में खुम्ब की व्यावसायिक खेती का आधुनिक तकनिकीकरण करने लिए दो अतिरिक्त सहायता परियोजना, जिसमे पहली परियोजना आंठ्वी पंच वर्षीय के दौरान खुम्ब विकास परियोजना चंबाघाट जिला सोलन एवं दूसरी परियोजना नौवीं पंच वर्षीय के दौरान इंडो डच खुम्ब विकास परियोजना पालमपुर, जिला कागड़ा में शुरू की गई थी। इन परियोजनाओं के अंतर्गत खाद का अधिक मात्रा में उत्पादन करने के लिए दो पाश्चीराईज्ड खाद इकाइयों की स्थापना की गई है जिनकी कुल पाश्चीराईज्ड खाद उत्पादन क्षमता 1350 मीट्रिक टन है जिसमे चंबाघाट में 350 मीट्रिक टन और पालमपुर 1000 मीट्रिक टन खाद का उत्पादन किया जाता है। इन इकाइयों के द्वारा पाश्चीराईज्ड खाद पंजीकृत खुम्ब उत्पादकों को शिमला, सोलन, सिरमौर , किन्नौर, कांगड़ा, चंबा, हमीरपुर, ऊना, और बिलासपुर जिलों में उपलब्ध करवाई जा रही है। इस परियोजनाओं में मुख्यतः अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, आईआरडीपी, लघु व् सीमांत किसानों और बेरोजगार स्नातकों को पहले प्राथमिकता दी जाती हैं।

प्रदेश में खुम्ब विकास कार्यक्रम के अंतर्गत अन्य खुम्ब संभावित क्षेत्रों को शामिल करने के लिए केंद्र सरकार की सहायता द्वारा दो,धारबाग्गी (बैजनाथ) जिला काँगड़ा व् बजौरा जिला कुल्लू में अधिक मात्रा में पाश्चीराईज्ड खाद का उत्पादन के लिए पाश्चीराईज्ड खाद इकाईयां स्थापित की गई है। इन दो इकाइयों में कुल्लू, मंडी, कांगड़ा, बिलासपुर और हमीरपुर जिलो के भागों को शामिल किया गया है। सार्वजनिक क्षेत्र में इन इकाइयों की स्थापना से पाश्चीराईज्ड खाद की उत्पादन क्षमता प्रतिवर्ष 3000 मीट्रिक टन तक बढ़ गई है। इस परियोजना के अंतर्गत प्रतिवर्ष पाश्चीराईज्ड खाद की पूर्ति के लिए 200 नये खुम्ब उत्पादक पंजीकृत हो रहे हैं। उद्यान तकनीकी मिशन के अन्तर्गत शिमला जिले के ऊपरी क्षेत्रों एवं किन्नौर जिले में रहने वाले किसानों को पाश्चीराईज्ड खाद की मांग को पूरा करने के लिए दत्तनगर, जिला शिमला में एक पाश्चीराईज्ड खाद इकाई की स्थापना करने का प्रस्ताव रखा गया है, जिसमे मंडी और कुल्लू जिलों के साथ अन्य दूर दराज के क्षेत्रों को सयुंक्त किया जाना है। इस समय सोलन, शिमला, सिरमौर, बिलासपुर, हमीरपुर, कुल्लू और कांगड़ा जिलों के निजी क्षेत्रों में 33 पाश्चीराईज्ड खाद उत्पादन इकाइयां और 12 स्पॉन उत्पादन इकाइयां स्थापित की गई है। 11 वीं पंचवर्षीय योजना में मुख्य तौर पर पाश्चीराईज्ड खाद इकाईयों की उत्पादन क्षमता को बढ़ाना और पंजीकृत खुम्ब उत्पादकों की जरूरतों को पूरा करने में दिया जायेगा।

ग्यारहवी पंचवर्षीय योजना के तहत खुम्ब के उत्पादन को प्रतिवर्ष 6000 मीट्रिक टन पहुचाने का लक्ष्य रखा गया है और साथ ही विभागीय इकाईयों के द्वारा 3500 मीट्रिक टन पाश्चीराईज्ड खाद की आपूर्ति का लक्ष्य रखा गया है।

खुम्ब विकास योजनाओं के मुख्य उद्देश्य

 

खुम्ब विकास योजनाओं के मुख्य उद्देश्य इस प्रकार से हैं:

  1. संभावित खुम्ब उत्पादकों को खुम्ब की खेती करने के लिए प्रशिक्षण की सुविधाएं प्रदान करना।
  2. खुम्ब उत्पादकों को विस्तार सेवाएं प्रदान करवाना.
  3. परियोजनाओ के खुम्ब उत्पादन चैम्बर में खुम्ब की खेती का तकनिकी प्रदर्शन.
  4. सहकारी एंव निजी क्षेत्र में खुम्ब उत्पादन व् प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना करने के लिए परामर्श सेवाएं प्रदान करना.
  5. इस उद्योग के लिए उचित विपणन एवं प्रसंस्करण चैनलों को विकसित करना. इन योजनाओ के तहत खुम्ब की खेती इस प्रकार से की जा रही है।

क) खुम्ब की खेती करने के लिए प्रशिक्षण:

• 7 से 10 दिनों के प्रशिक्षण शिविरों का आयोजन करना जिसमे तकनिकी जानकारी के द्वारा कैसे खुम्ब की खेती की जाती है। खुम्ब की खेती को पता है कि कैसे तकनीकी प्रदान करने के लिए।

• हिमाचल प्रदेश के कृषको को प्रशिक्षण भत्ते का प्रावधान।

• खुम्ब की खेती में प्रशिक्षण के लिए पहले महिलाओं, अनुसूचित जाति , अनुसूचित जनजाति, आईआरडीपी, छोटे व् सीमांत किसानों और बेरोजगार स्नातक युवाओ को प्राथमिकता देना।

ख) खुम्ब उत्पादकों का पंजीकरण:

प्रशिक्षित खुम्ब उत्पादकों जैसे अनुसूचित जाति / जनजाति, आईआरडीपी, लघु एवं सीमांत किसानों तथा बेरोजगार स्नातक युवाओ का वर्ग के अनुसार पजीकरण।

ग) खाद की आपूर्ति:

पंजीकृत खुम्ब उत्पादकों को मौजूदा सब्सिडी दरो पर खाद(पाश्चीराईज्ड) की गुणवंता के साथ साथ पाश्चीराईज्ड आवरण वाली मिट्टी भी उपलब्ध करवाना। सब्सिडी की मौजूदा दरों पर।

घ) स्पम की उपलब्धता:

उद्यान विभाग अपने सर्वश्रेष्ठ प्रयासों के साथ इन प्रयोगशालाओं ( यूएचएफ नौनी, खुम्ब अनुसंधान निदेशालय चंबाघाट, जिला सोलन, एचपीकेवीवी पालमपुर और अन्य सोलन जिले में स्थित प्रतिष्ठित प्रयोगशालए) में अच्छी गुणवत्ता वाले अंडे बनाने की कोशिश कर रहा है।

ङ) खुम्ब की खेती करने के लिए ऋण की सुविधा:

बागवानी विभाग के पंजीकृत प्रशिक्षित खुम्ब उत्पादकों की सहायता के लिए परियोजना की रिपोर्ट बना कर नाबार्ड/एनएचबी और राष्ट्रीयकृत बैंकों के द्वारा चल रही योजनाओं के अधीन इन मामलो को मंजूरी देनी की सिफारिश भी करता है।

च) विस्तृत सेवाए:

• खुम्ब उत्पादकों को खुम्ब की खेती करने पर मुक्त साहित्य का वितरण।

• खाद के नमूनों में बीमारी का प्ररीक्षण बिल्कुल निःशुल्क।

• नि: शुल्क दर पर मौके तकनीकी मार्गदर्शन का प्रावधान।

छ) राष्ट्रीय कृषि विकास योजना:

पंजीकृत खुम्ब उत्पादकों को 20x12x10 फुट के खुम्ब भवन निर्माण और भवन में रैक बनाना, खुम्ब किट, उपकरण, पाश्चीराईज्ड खाद आदि की खरीद के लिए 80,000 रुपए की सहायता दी जाति है।

ज) खुम्ब के विकास के लिए सब्सिडी:

इन योजनाओं के मुख्य उदेश्य किसानों एवं बेरोजगार स्नातक युवाओ को खुम्ब उत्पादन के लिए सब्सिडी के रूप में दी जानी वाली आवश्यक निम्न वस्तुओं को उपलब्ध करवाना है, ताकि किसानों और बेरोजगार स्नातक युवाओ को उनके सामाजिक व् आर्थिक विकास के लिए बड़ी संख्या में इस व्यवसाय को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना है।

क्र. सं.

वस्तु

पाश्चीराईज्ड खाद के लिए परिवहन की सुविधा

1.

खाद के लिए सब्सिडी अधिकतम 400 ट्रे(40 कि० ग्रा०)

लघु व् सीमांत किसानों / बेरोजगार स्नातक युवाओं के लिए रु.20 प्रति ट्रे और अनुसूचित जाति/जनजाति और आईआरडीपी किसानों के लिए रु. 40 प्रति ट्रे

2.

पाश्चीराईज्ड खाद के लिए परिवहन की सुविधा

सभी उपरोक्त श्रेणियों के लिए 100%

 

स्त्रोत: कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग, भारत सरकार

 

 

अंतिम बार संशोधित : 2/3/2023



© C–DAC.All content appearing on the vikaspedia portal is through collaborative effort of vikaspedia and its partners.We encourage you to use and share the content in a respectful and fair manner. Please leave all source links intact and adhere to applicable copyright and intellectual property guidelines and laws.
English to Hindi Transliterate