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पशुओं के रासायनिक उपचार के प्रमुख सिद्धांत

पशुओं के रासायनिक उपचार के प्रमुख सिद्धांत

  • बीमार पशुओं का उपचार यथाशीध्र प्रारंभ करवाना चाहिए। इससे पशुओं की स्वस्थ होने की संभावना काफी अधिक बढ़ जाती है।
  • उपचार निश्चित अवधि तक कराना चाहिए। बीच में औषधि बन्द करना काफी घातक हो सकता है। जीवाणु-नाशक दवाइयाँ कम से कम तीन से पाँच दिन तक चलानी चाहिए।
  • खुराक से अधिक मात्रा में दी गई औषधि तो हानिकारक होती ही है।
  • उपचार के कम से कम 48 घंटे बाद तक दूध मनुष्य के लिए हानिकारक है।
  • गाभिन पशुओं में औषधि का व्यवहार कम से कम तथा अत्यधिक सावधानीपूर्वक करना चाहिए।
  • छोटे बछड़ो में औषधि पिलाने वक्त बहुत सावधानी की आवश्यकता है, जानवरों को दवा पिलाने से बचना चाहिए। इसे लड्डु के रूप में या चटनी के रूप में खिलाना चाहिए।

विष विज्ञान संबंधी महत्वपूर्ण सुझाव

  • गर्मी में उगाया गया जवार या इसके काटने के बाद जड़ों से निकली हई छोटी-छोटी फुनगी काफी जहरीली होती है। पशुओं को इसे नहीं खिलाना चाहिए।
  • खेसारी, शरीफा, अकवन, धथूरा, कनैल की पत्ती अथवा फल पूर्ण पौधे जहरीले होते है।
  • कनैल के पौधे के नीचे जमा पानी, जिसमें कनैल की पत्तियाँ गिरती रहती हैं, काफी जहरीला होता है।
  • पुटुश तथा थेथर के पौधे खाने से अपने जानवरों को खासकर बकरी एवं भेड़ों को बचाना चाहिए।
  • बागवानी में लगे हुए पौधे के कतरन तथा दूब एवं अन्य घास, जिसमें अत्यधिक मात्रा में यूरिया या कीटाणुनाशक दवाओं का व्यवहार किया गया हो, खासकर गर्मी के दिनों में जानवरों को नहीं खिलाना चाहिए।
  • कीटाणुनाशक दवाओं का प्रयोग करते समय सावधानी बरतनी चाहिए। बची हुई दवाई अथवा शीशी को जमीन के अन्दर गाड़ दें। छिड़काव के कम से कम एक सप्ताह के बाद ही खेतों से निकाली गई घास एवं साग-सब्जी मनुष्य एवं जानवरों के खाने योग्य हो सकती है।
  • जीवाणुनाशक एवं कीटाणुनाशक दवाओं का व्यवहार के बाद पशुओं से उत्पादित दूध, मांस तथा मुर्गियों के मांस एवं अंडे कम से कम 72 घंटे तक मनुष्य के खाने योग्य नही होते हैं।
  • घर में शादी-विवाह या अन्य समारोह के बाद बचे हुए जूठन खासकर भात, दाल, आलू, अन्य सब्जी एवं मिठाई का शीरा पशुओं को भूलकर भी नहीं खिलाये। इससे प्रत्येक वर्ष काफी जानवरों की मृत्यु हो जाती है।

स्त्रोत : पोर्टल विषय सामग्री टीम

अंतिम बार संशोधित : 2/22/2020



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