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छोटे विक्रेताओं द्वारा कुक्कुट प्रसंस्करण की एक स्वीकार्य पद्धति

छोटे विक्रेताओं द्वारा कुक्कुट प्रसंस्करण की एक स्वीकार्य पद्धति

भारत में लगभग 90 प्रतिशत पोल्ट्री का प्रसंस्करण जीवित पक्षी बाजार में होता है। भारत में कुल पोल्ट्री मांस की खपत का g5 प्रतिशत प्रसंस्करण हाथों द्वारा परंपरागत तरीक से होता है। खुदरा पोल्ट्री की दुकानों में स्वच्छता एवं सफाई का स्तर बनाने के लिए विभिन्न कानून लागू किए गए हैं। भारतीय पोल्ट्री प्रसंस्करण पूरी तरह जीवित पक्षी बाजार द्वारा संचालित होता है जहां जीवित पक्षियों को बेचने के समय ही काटा जाता है। भविष्य में जीवित पक्षी बाजार के लगातार बने रहने के निम्नलिखित मुख्य कारण निम्न हैं :

  • उपभोक्ता विश्वस्त रहता है कि उसके साथ कोई धोखाधड़ी नहीं हुई है या उसने निम्नस्तरीय मांस नहीं खरीदा है।
  • उपभोक्ता को उसके सामने काटे गए मांस की गुणवत्ता पर ठण्डे या प्रशीतित मांस की तुलना में ज्यादा भरोसा होता है।
  • अपने देश में बिजली की अनिश्चितता के कारण ठण्डे या प्रशीतित मांस की गुणवत्ता के भरोसे में कमी होती है।
  • इसके अलावा धार्मिक कारण जैसे भारतीय जनसंख्या का कुछ भाग केवल हलाल मांस का उपयोग करता है। जब पक्षी को उनके सामने काटा जाता है तो वो निश्चित हो जाते हैं कि मांस हलाल है।

इसीलिए जीवित पक्षी बाजार भविष्य में भी अपना प्रभुत्व बनाए रखेगा लेकिन भारत के सभी खुदरा पोल्ट्री दुकानों के लिए खराब स्वच्छता की स्थिति सामान्य बात है। निम्नांकित अवलोकन भारत के सभी खुदरा पोल्ट्री दुकानों मुख्यतः जो सड़क के किनारे मौजूद हैं, पर किये जा सकते है।

  • फर्श पर प्रसंस्करण - पक्षी के शरीर को जमीन पर या तख्ते पर प्रसंस्कृत करना, मांस के दूषित होने का मुख्य कारण है।
  • उपभोक्ता के सामने काटना – पक्षी की छटपटाहट देखना एक अप्रिय अनुभव होता है।
  • काटने के पश्चात् छटपटाते पक्षी को ड्रम में फेंक दिया जाता है, ताकि खून पूरी तरह निकल जाए मगर पक्षी खून लिप्त होकर आगे के प्रसंस्करण के लिए अस्वच्छ स्थिति पैदा करता है।
  • पोल्ट्री प्रसंस्करण के लिए विभिन्न आकार/प्रकार के टेबुल का प्रयोग।
  • प्रसंस्करण के टेबुल पर स्वच्छ एवं अस्वच्छ भाग के बीच कोई विभाजन रेखा नहीं।
  • पोल्ट्री दुकान खुली प्रकार की होती है जिससे मक्खियों एवं धूल का प्रवेश होती है।
  • शव की अच्छी तरह धुलाई नहीं होती है।
  • अस्वच्छता, अनुपयोगी पदार्थों एवं रक्त का अनुपयुक्त संग्रह
  • प्रशीतन (रेफ़ीजरेशन) की कमी
  • प्रसंस्कृत पक्षी को असुरक्षित एवं अप्रशीतित तरीके से प्रदर्शित करना।

उपर्युक्त बिन्दुओं को ध्यान में रखते हुए, खुदरा पोल्ट्री मांस विक्रेताओं की भागीदारी से सीफेट ने निम्नलिखित कम लागत के उपकरणों को विकसित किया है।

  • पोल्ट्री प्रसंस्करण टेबल
  • पोल्ट्री कटाई शंकु

पोल्ट्री प्रसंस्करण टेबल

टेबल की बनावट वैज्ञानिक तरीके के श्रमदक्षता (एक औसत भारतीय के शारीरिक मानकों, परिश्रम भरे पक्षी प्रसंस्करण कार्य की आवश्यकतानुसार मानक आकार एवं ऊंचाई के टेबल इत्यादि) एवं पक्षी शव प्रसंस्करण की स्वच्छता को ध्यान में रखते हुए किया गया है। पोल्ट्री खुदरा विक्रेता को जगह की कमी का सामना करना पड़ता है इसलिए टेबल की डिजाइन न्यूनतम स्थान की आवश्यकता और अत्याधिक सुविधाजनक क्रियाविधि के अनुरुप है।

टेबल अर्धवृत्ताकार है, जिसकी चौड़ाई का चयन व्यक्ति के कार्य स्थान आवृत के हिसाब से है। मुख्य मांस रखने का पात्र (कम तापमान पर ना बिके मांस का अल्पकालीन भण्डारण), पानी का नल, तराजू और पैसे रखने के लिए दराज दी गई है। उपर्युक्त चीजें प्रसंस्करण स्वच्छता एवं सफाई की एकदिशीय प्रवाह में बनाए रखने के लिए व्यवस्थित हैं।

कटाई के पश्चात् पक्षी का प्रसंस्करण लटकी अवस्था में करने का प्रावधान है। फर्श पर कटाई जो शव को दूषित होने का मुख्य कारक है, से बचाव के लिए टेबल पर लटकती अवस्था में पोल्ट्री प्रसंस्करण की व्यवस्था है। टेबल के ऊपर स्वच्छ भाग को अस्वच्छ भाग से अलग किया गया है। पक्षी के प्रसंस्करण के दौरान आवश्यक बुनियादी स्वच्छता को एकदिशीय प्रवाह के द्वारा बनाया गया है।

पोल्ट्री कटाई शंकु

मानवोचित पशुवध मांस की बुनियादी आवश्यकताओं में से एक है। पक्षी को उपभोक्ता के सामने काटना एक सिहरन भरा एवं अप्रिय अनुभव देता है। पक्षी ग्राहक के सामने ही छटपटाता है। उपर्युक्त चिंतनीय विषयों को ध्यान में रखते हुए पोल्ट्री कटाई शंकु को विकसित किया गया है।

शंकु की संरचना पक्षी के बाह्य आकार एवं मानकों पर आधारित है। तीन शंकु दो गोलाकार पट्टियों के सहारे एक दूसरे से 120' के कोण पर, एक मध्य छड़ पर स्थापित है। ऊपरी गोलाकार पट्टी, शंकु के ऊपरी परिधि के ठीक नीचे जुड़ी है व निचली गोलाकार पट्टी शंकु के निचली परिधि के ठीक ऊपर जुड़ी है। मजबूती की दृष्टि से शंकुओं के 1/3 भाग को गोलाकार पट्टी के अन्दर रखी गई है।

रक्त का एकत्रीकरण करने के लिए, शंकुओं के नीचे मध्य छड़ के साथ ही एक चौड़ा बर्तन (टब) लगा है। जिसे सफाई करने के लिए बहुत आसानी से अलग किया जा सकता है। साथ ही रक्त के छोटें फैलने से रोकने के लिए शंकुओं को टब के मध्य की ओर झुका दिया गया है।

पक्षी को तीन शंकुओं में से किसी एक में ऊपर से उल्टी अवस्था में रखते हैं ताकि पक्षी का केवल सर निचली परिधि से बाहर आए। शंकु पक्षी को संयमित रखता है और पक्षी के गले को काटा जाता है। पक्षी की छटपटाहट शंकु के कारण ग्राहक की आखों से छिप जाता है। पक्षी का रक्त नीचे दिए गये टब में एकत्र हो जाता है।

कृ. स. आवश्यकताएं उपयोग की मात्रा दर (रु.) कीमत (रु.)
1 एस.एस.शीट (3 एम.एस.) 28 वर्ग फीट 250/कि.ग्रा. 3000
2 एम.एस.पाइप 33 फीट(10 कि.ग्रा.) 70/कि.ग्रा 700
3 एंगल (25×25×3 एम.एम.) 10 फीट (4 कि.ग्रा) 50/कि.ग्रा 200
4 सिंक 1 1050/ 1050
5 हुक रॉड (12 एम.एम) 7 फीट (2 कि.ग्रा) 250/कि.ग्रा 500
6 वाटर टैप 1 - 300
7 कटाई पट्टिका (लकड़ी) 23 से.मी. गीलाई और 4 इंच मोटाई - 300
8 रूपये रखने का दराज 1 - 400
9 सिंक पाइप 1 - 30
10. श्रम लागत 3000
कुल 9480
कृ. स. आवश्यकताएं उपयोग की मात्रा दर (रु.) कीमत (रु.)
1 एस.एस.शीट 23 वर्ग फीट 250/कि.ग्रा. 2600
2 एस.एस.पैन 1 700/ 700
3 मध्य छडू 5 फीट 250/कि.ग्रा 800
4 एम.एस.प्लेट (आधार) 14 किग्रा 55 /किग्रा 770
5 श्रम लागत 2000
कुल 6070

यह भारत के खुदरा पोल्ट्री दुकानों की स्वच्छता एवं सफाई को सुधारने का प्रयास है। हमारे नये पोल्ट्री प्रसंस्करण टेबल और पोल्ट्री कटाई शंकु के उपयोग से भारतीय उपभोक्ताओं को उच्चकोटि का मांस मिलेगा।

स्त्रोत : सीफेट न्यूजलेटर, लुधियाना, अखिलेश चन्द्र मिश्र, तनबीर अहमद, निलेश गायकवाड, योगेश कुमार एवं जनार्दन सिंह तकनीकी हस्तांतरण प्रभाग, सीफेट लुधियाना

अंतिम बार संशोधित : 2/22/2020



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