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परम्परागत विधि की अपेक्षा जीरो टिलेज से गेहूँ की बुआई अधिक लाभकारी

परम्परागत विधि की अपेक्षा जीरो टिलेज से गेहूँ की बुआई अधिक लाभकारी

परिचय

श्री जसबीर सिहं गाँव भैनी खुर्द जिला करनाल का किसान है जिसके पास 35 एकड़ जमीन है। वह 30 एकड़ क्षेत्र पर प्रति वर्ष गेंहूँ की खेती करता आ रहा था। लेकिन सितम्बर 2001 में कृषि विज्ञान केंद्र से प्रशिक्षण के दौरान उसको जीरो टिलेज मशीन से गेहूँ की खेती करने की सलाह दी गई। उसने कृषि विज्ञानं केंद्र की सलाह मानी और एक जीरो टिलेज मशीन खरीदी उसने पहले वर्ष 2001 केवल 5 एकड़ जमीन पर ही जीरो टिलेज मशीन का प्रयोग किया क्योंकि वह तकनीक नई होने के कारण उसके मन में कुछ शंका थी कि कहीं गेहूँ की फसल अच्छी न हो जिससे मुझे हानि न हो जाए। लेकिन वह गेहूँ की फसल काटने के बाद पूर्ण रूप से संतुष्ट हुआ। उसके फसल पानी देने के बाद या वर्षा के बाद तेज हवा चलने से गिर जाती थी लेकिन जीरो टिलेज मशीन से बीजाई के बाद उसकी फसल नहीं गिरी। उसका लगभग 1500-2000 रु. तक खेत की तैयारी में खर्च कम हुआ व उसक उत्पाद भी 10 से 15% अधिक हुआ। इस प्रकार उसकी प्रति एकड़ लगभग रूपये 3,000 का अधिक लाभ प्राप्त हुआ। इसको देखते हुए गाँव के दूर किसानों ने भी विधि को अपनाना शुरू कर दिया है।

जीरो टिलेज की मुख्य विशेषताएं

  1. रूपये 1500 से 2000 तक खेत की तैयारी में बचत
  2. मंढूसी खरपतवार का भी 30-35% जमाव कम।
  3. पानी की 25-30% बचत
  4. बुआई भी 2-३ सप्ताह पहले।
  5. 10-15% अधिक उत्पादन।

 

स्त्रोत: कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग, भारत सरकार

अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020



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