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मिट्टी और पौधों का परीक्षण महत्व एवं नमूना एकत्रीकरण विधि

मिट्टी और पौधों का परीक्षण महत्व एवं नमूना एकत्रीकरण विधि

मिट्टी का परीक्षण क्यों?

मिट्टी कृषि का आधार है| हमारे खाद्यान उत्पादन का यह एक मुख्य स्रोत है| यदि इसका प्रबन्धन समझदारी और ध्यान से किया जाए तो यह अर्थव्यवस्था में उत्पदकता की दृष्टि से सहायक हो सकती है और आर्थिक विकास को बनाये रख सकती है| इसी प्रकार गलत तरीकों, जैसे कि अत्यधिक विदोहन, बेहिसाब काश्तकारी, कृषि उपकरणों/मशीनों का गलत उपयोग, मिट्टी की उपजाऊ परत को बनाए रखने में असमर्थता, आदि मिट्टी के उपजाऊपन को नष्ट करने के कारण बन सकते हैं|  मिट्टी की नमी बनाये रखने या बढ़ाने में असमर्थता भी भूमि कटाव/भूक्षरण का एक मुख्य कारण बन सकती है तथा कृषि उत्पादकता में बाधा बन सकती है| इसी प्रकार विलुप्त होता हरित व वन क्षेत्र, बढ़ता हुआ औद्योगिकीकरण और कृषि कार्यों में रसायनों/उर्वरकों के गलत प्रयोग ने मिट्टी सम्बन्धी समस्याओं जैसे मिट्टी का प्रदुषण, भूमि-कटाव इत्यादि को भी उत्पन्न किया है| इन सब कारणों के सन्दर्भ में मिट्टी के परिक्षण की जानकारी होना अति आवश्यक है|

मिट्टी की उत्पादकता के समुचित प्रबन्धन के लिए एक ठोस उपाय की आवश्यकता है| यह सच है कि किसान रासायनिक व प्राकृतिक खाद तथा पानी का उपयोग अपने खेत की उत्पादकता और लाभ बढ़ाने के उद्देश्य से करते हैं| परन्तु क्या इन चीजों का उपयोग आती है| इसके माध्यम से सभी प्रकार के उत्पादकता के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है| मिट्टी परीक्षण पर आधारित सुझाव के बिना एक किसान द्वारा मिट्टी के किसी आवश्यक तत्व का अधिक या कम प्रयोग किया जाने का खतरा बना रहता है व मिट्टी में आवश्यक तत्वों के असंतुलन की परेशानी सामने आ सकती है व मिट्टी का परीक्षण कराया जाना और भी जरुरी हो जाता है, जिससे कि किसान सही समय पर, सही मात्रा में व सही प्रकार के पोषक तत्वों के खेती में प्रयोग कर उचित उत्पादन व लाभ प्राप्त कर सके|

मिट्टी और पौधे का नमूना एकत्रीकरण (सैप्लिंग)

मिट्टी और पौधों का विशलेषण कई जानकारियाँ, जैसे मिट्टी में आवश्यक तत्वों की कमी, मिट्टी में विषैले तत्व, या उत्पादकता में कमी के कारण इत्यादि जानने के लिए किया जा सकता है| मिट्टी व पौधे के परीक्षण की सफलता पूरी तरह से उसका नमूना लेने(सैप्लिंग)  में बरती गयी सावधानियाँ व सही तरीके पर निर्भर करती है|

नमूना एकत्रीकरण हेतु आवश्यक उपकरण

मिट्टी निकालने का यंत्र-खुरपा या फावड़ा, खरल (लकड़ी या चीनी मिट्टी की), 2 मि०मी० छलनी (स्टील या प्लास्टिक की), पोलिथीन, पानी की बोतल तथा फिल्टर पेपर, पोलिथीन व मसमल कपड़े की थैलियाँ, बाँधने के लिए तार या धागा एवं लेबल पट्टी (नमूने की जरुरी जानकारी अंकित करने के लिए)

मिट्टी का नमूना लेने (सैप्लिंग)  की विधि

लिया गया मिट्टी का नमूना (सैम्पल) उस स्थान का प्रतिनिधि-भाग होना चाहिए| इसके लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए:

  1. नमूना हमेशा आड़े-तिरछे रूप में लेना चाहिए|
  2. नमूना लेने से पहले उस स्थान का पूरा ब्यौरा लेना चाहिए जैसे कि ऊँची-नीची सतह, देखने किस्म/रंग की मिट्टी इत्यादि और फिर हर क्षेत्र से मिट्टी का नमूना लेना चाहिये|
  3. खाद पड़े हुए खेत, चुने वाले क्षेत्र, बाँध, नालियाँ, दलदली क्षेत्र, पेड़ों और कुँओं के पास से, कम्पोस्ट खाद के गड्ढों आदि स्थानों से कभी भी नमूना नहीं लेना चाहिए|
  4. एक स्थान के 8-20 नमूने लेने चाहिए| नमूनों की संख्या उस स्थान के क्षेत्रफल पर निर्भर करती है| उदाहरण के लिए 5 नमूने प्रति नाली या 20 नमूने प्रति बीघा |
  5. मिट्टी का नमूना खुरपे या फावड़े की मदद से लिया जा सकता है| नमूना हमेशा जमीन की सतह से 6 इंच की गहराई तक लेना चाहिए| लिए गए नामिने को मलमल के कपड़े के बड़े थैले में सुरक्षित रूप से बांध लेना चाहिए|

प्रयोगशाला प्रक्रिया और भंडारण

  1. मिट्टी के मोटे डलों को तोड़ लेना चाहिए या उन्हें खरल में मुलायम कर लेना चाहिए, फिर उसे हवा वाले स्थान में फैलाकर सुखा लेना चाहिये|
  2. सूखने के बाद उसे छलनी से छान लेना चाहिए छनी हुई मिट्टी को एक तह में फैला लेना चाहिए और उसका छंटाव करते रहना चाहिए जब तक कि मिट्टी का नमूना 500 ग्राम के करीब रह जाये|
  3. इस 500 ग्राम मिट्टी के नमूने को मलमल के कपड़े की थैली में डालकर उस पर लेबल लगा देना चाहिए| लेबल पर नमूने की जानकारी जैसे-स्थान, तिथि, समय, कृषक का नाम, पूर्व में उगाई गयी फसल तथा अगली उगाई जाने वाली फसल इत्यादि अंकित रखना चाहिये|
  4. नमूनें हमेशा दो रखने चाहिए| एक नमूना प्रयोगशाला में भेजने के लिए तथा दूसरा नमूना अपने पास सुरक्षित रखना चाहिए|
  5. तैयार नमूना जल्दी से जल्दी अपनी निकटतम मिट्टी परिक्षण प्रयोगशाला में भेजना चाहिए, जिससे कि अगली फसल की बुआई से पहले परिक्षण रिपोर्ट आपको मिल सके और आप रिपोर्ट के अनुसार विभिन्न पोषक तत्वों को अपनी फसल में समय अनुसार प्रयोग कर सकें|

पौधों की सैम्पलिंग

मिट्टी की तरह पौधे का नमूना भी सावधानी से लेने की आवश्यकता होती है| पौधे का नमूना पौधे के किसी भी हिस्से से नहीं लिया जा सकता| इसके लिए त्वरित टिश्यू परिक्षण प्रणाली के नियमानुसार प्रत्येक पौधे/वृक्ष के निश्चित स्थान की पत्तियाँ इत्यादि (उदाहरण के लिए, धान में ऊपर से तीसरी पत्ती, दलहन में-हाल ही में परिपक्व हुई पत्ती) का नमूना जाँच के लिए लिया जाता है| इस विषय में विस्तृत जानकारी, कि किस फसल में पौधे के कौन से टिश्यू (उतक) का नमूना लेना चाहिए, के लिए निकटतम मिट्टी व पादप परीक्षण प्रयोगशाला से सम्पर्क करें| त्वरित टिश्यू परीक्षण प्रणाली वार्षिक तथा फलदायी पौधे इत्यादि जिनकी जड़ें गहरी होती है, में अधिक प्रयोग की जाती हैं|

प्रयोगशाला प्रक्रिया और भंडारण

त्वरित टिश्यू परीक्षण के लिए बहुत अधिक तथा भंडारण की आवश्यकता नहीं होती क्योंकि  यह परिक्षण अधिकतम नमूना लेने के समय ही किये जाते हैं| परन्तु जरूरत पड़ने पर इन नमूनों को धोकर, पौलिथिन की थैली में डालकर प्रयोगशाला में के परीक्षण लिए लाया जा सकता है| ऐसे नमूने बर्फ के डिब्बों में रखकर प्रयोगशाला में लाने चाहिए तथा इनका परीक्षण 24 घंटे के भीतर करने की आवश्कता होती है|

 

स्रोत:  उत्तराखंड राज्य जैव  प्रौद्योगिकी विभाग; नवधान्य, देहरादून

अंतिम बार संशोधित : 8/2/2019



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