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किसानों ने लहसुन की खेती कर बनाया लहसुन ग्राम

लहसुन की खेती से बनी पहचान

गोपालगंज जिले के पंचदेवरी प्रखंड़ में एक छोटा-सा गांव है बगहवां, जिसे लहसुन ग्राम के नाम से जाना जाता है। इस गांव में बड़े पैमाने पर लहसुन की खेती की जाती है। गांव के 90 प्रतिशत किसान लहसुन की खेती करते हैं। इस खेती से उन्हें प्रतिवर्ष अच्छी आय भी होती है। सराहनीय बात यह है कि लहसुन की खेती इस गांव की परंपरागत है। सैकड़ों वर्षों से पीढ़ी-दर-पीढ़ी यहां के किसान लहसुन की खेती करते आ रहे हैं। इस खेती की बदौलत यहां के किसानों ने अपनी पहचान बनायी है। किसान नथुनी सिंह, रामदेव सिंह, भगवत सिंह, रु दल गुप्ता, शिव प्रसाद गुप्ता, शिवलाल सिंह, सुरेश सिंह, किशुन यादव, जोखन भगत, शंकर सिंह, जीतेंद्र सिंह यहां बड़े पैमाने पर लहसुन की खेती करते हैं।

मेडीसिन में उपयोगिता एवं आय का बड़ा स्त्रोत

बगहवां के लहसुन की खेती की चर्चा कई दशकों से है। दूर-दूर के व्यापारी यहां से लहसुन खरीद कर ले जाते हैं। सीमावर्ती राज्य यूपी के गोरखपुर, देविरया, कसेया के व्यापारी भी यहां के लहसुन व्यवसाय से जुड़े हुए हैं। आसपास के इलाके के लिए बगहवां लहसुन का एक बहुत बड़ा स्रोत माना जाता है। सालों भर यहां लहसुन के व्यवसायियों का जमावड़ा लगा रहता है। इन दिनों बाजारों में लहसुन की मांग काफी बढ़ गयी है। उन्नत किस्म के मसालों के निर्माण के साथ-साथ कई तरह की दवाओं के बनाने में इसका व्यापक उपयोग हो रहा है। आयुर्वेद के क्षेत्र में तो यह एक कारगर मेडिसीन साबित हुआ है। लहसुन की मांग बढ़ने से यहां के किसानों का महत्व भी बढ़ गया है।

समर्थन का अभाव

यहां के किसान अब और उत्साह के साथ लहसुन की खेती करने लगे हैं। लहसुन की खेती की गुणवत्ता में सुधार के लिए कृषि विभाग द्वारा अब तक यहां के किसानों को कोई सुविधा उपलब्ध नहीं करायी गयी है। नतीजा यह है कि करीब सात दशकों से यहां के किसान एक ही किस्म के बीज से हर साल लहसुन की खेती करते आ रहे हैं। यहां की मिट्टी और इस खेती के प्रति किसानों के लगाव को देख कर ऐसा लगता है कि यदि विभाग द्वारा यहां उन्नत किस्म का बीज उपलब्ध कराया जाये और किसानों को वैज्ञानिक तरीकों की जानकारी दी जाये, तो बगहवां एक बड़े लहसुन उत्पादक क्षेत्र के रूप में उभरेगा। गोपालगंज के जिला उद्यान पदाधिकारी का कहना है कि बगहवां के किसान सराहनीय खेती कर रहे हैं। कृषि विभाग की टीम वहां जा कर जांच करेगी। उसके बाद किसानों द्वारा दिये गये आवेदन के आधार पर उन्हें वैज्ञानिक तरीके से लहसुन की खेती करने की जानकारी दिलायी जायेगी।

स्त्रोत: संदीप कुमार,स्वतंत्र पत्रकार,पटना बिहार।

अंतिम बार संशोधित : 2/22/2020



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