অসমীয়া   বাংলা   बोड़ो   डोगरी   ગુજરાતી   ಕನ್ನಡ   كأشُر   कोंकणी   संथाली   মনিপুরি   नेपाली   ଓରିୟା   ਪੰਜਾਬੀ   संस्कृत   தமிழ்  తెలుగు   ردو

हजारों किसानों को खेती से दिखी राह

हजारों किसानों को खेती से दिखी राह

जहां चाह वहां राह

यदि इंसान चाहे तो मेहनत के बदौलत क्या कुछ नहीं कर सकता। ऐसे ही एक किसान हैं जिन्होंने अपने जिदंगी को बदला ही साथ ही उन्होंने कई लोगों को खेती की राह दिखाई। मुजफ्फरपुर जिले के सकरा प्रखंड के मछही गांव निवासी किसान दिनेश कुमार ने कृषक जीवन की यातना हरियाणा के खेतों में मजदूरी कर शुरू की थी। इसके बाद खेती को ही जीवन का लक्ष्य बना कर थाईलैंड समेत विभिन्न जगहों पर जाकर इसके गुर सीखे। फिर एक विशेषज्ञ किसान के रूप में स्वयं को साबित किया है।

दो लाख किसानों को रोजगार दिलाने का है लक्ष्य

हरियाणा की सरकार ने इन्हें सर्वश्रेष्ठ किसान का पुरस्कार भी दिया। इसके बाद दिनेश ने जैविक विधि से खेती कर मिट्टी व आमजन की स्वास्थ्य रक्षा के साथ दो लाख किसानों को रोजगार देने का लक्ष्य बनाया। अब तक करीब 90 हजार किसान इनसे जैविक खेती के तरीके सीख कर जीविका चला रहे हैं। दिनेश किसानों को जैविक खेती के लिए स्वयं प्रशिक्षण देते हैं और बीज व फसलों में बीमारी लगने पर मुफ्त उपचार के लिए विशेषज्ञों के सुझाव उपलब्ध कराते हैं। साथ ही उत्पादों की मार्केटिंग भी करते हैं। मुजफ्फरपुर, वैशाली, सीतामढ़ी, मोतिहारी,बेगूसराय,किटहार,समस्तीपुर औरदरभंगा जिले के करीब 90 हजार किसान अब तक इनसे जुड़ चुके हैं।

1993 में चले गए थे हरियाणा

हालांकि, इनका लक्ष्य दो लाख किसानों को जैविक खेती से जोड़कर उन्हें कृषि से ही रोजगार दिलाना है। इसके लिए ये लगातार ट्रेनिंग प्रोग्राम चला रहे हैं। दिनेश के पिता किसान थे। परिवार की माली हालत खराब थी। 14 साल में ही इन्हें नौकरी की सलाह दी जा रही थी। विचलित होकर इन्होंने पिता व अपने आपसे कई सवाल किए, आखिर लोग मजदूरी के लिए पंजाब-हरियाणा क्यों जाते हैं? वहां के किसान कैसे लाभ कमाते हैं? जवाब नहीं मिलने पर कुछ ही दिनों बाद गांव के मजदूरों के साथ 1993 में हरियाणा चले गए। वहां जाकर हिसार जिले के शेखोपुर सोत्तर में खेतों में मजदूरी करने लगे। 

बंसीलाल ने दिया सर्वश्रेष्ठ किसान का अवॉर्ड

वहीं पर सरदार प्रताप सिंह से 5 एकड़ जमीन लीज पर ली। उस पर गन्ने की ऐसी उन्नत खेती की। पहले ही प्रयास में हरियाणा के सर्वश्रेष्ठ गन्ना उत्पादक बन गए। तत्कालीन मुख्यमंत्नी चौधरी बंसीलाल ने 1996 में इन्हें सर्वश्रेष्ठ किसान का पुरस्कार दिया। 2001 में तत्कालीन मुख्यमंत्नी भजनलाल ने कृषि यंत्रीकरण के लिए पुरस्कृत किया। उसी साल जैविक खेती के प्रशिक्षण के लिए थाइलैंड और 2004 में कृषि यंत्रीकरण के प्रशिक्षण के लिए सरकार की ओर से जापान भेजा गया।

12 साल पहले घर लौट जैविक खेती को बनाया मिशन

जापान से लौटने के बाद दिनेश कुमार ने अपने सूबे की राह पकड़ी। यहां बेहतर जैविक खेती से किसानों को अधिक आमदनी व रोजगार दिलाने की ओर कदम बढ़ाया। गृह जिला मुजफ्फरपुर के सकरा प्रखंड अंतर्गत अपने गांव में मछही-सकरा सब्जी उत्पादक कृषक हितकारी समूह बनाया। 2006 में गांव से निकलकर मुजफ्फरपुर समेत आसपास के जिलों में पुरुषों व महिलाओं का किसान समूह गठित कर उन्हें सब्जी और जैविक खेती की जानकारी दी। वर्तमान में 155किसानों का समूह इनसे जुड़ा हुआ है।                                           

बंगाल, नेपाल और कोलकाता तक भेजते उत्पाद

दिनेश कुमार समूह के किसानों को उन्नत बीज व तकनीकी जानकारी देकर गन्ना, गेहूं, धान के साथ भिंडी, कद्दू, नेनुआ,करेला, फूलगोभी, बैगन, आलू, अदरख, धनिया पत्ता, तुलसी पत्ता व बेबी कॉर्न का उत्पादन कराते हैं। फसल तैयार होने के बाद स्थानीय बाजार से अधिक कीमत देकर खासकर सब्जियों को नेपाल, पश्चिम बंगाल, झारखंड और उत्तर प्रदेश तक भिजवाते हैं।

कृषि विश्वविद्यालय से वैज्ञानिक सुविधा

ग्रुप के किसानों को कोई समस्या होने पर मोबाइल कॉल से सूचना देने की सुविधा है।                            सूचना मिलते दिनेश पहले खुद समाधान के लिए पहुंचते हैं। जरूरत पड़ने पर पौधों में लगी बीमारी के उपचार के लिए राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय, पूसा से कृषि वैज्ञानिकों की टीम लेकर जाते हैं। टीम नि:शुल्क परामर्श देती है।

मिल चुके हैं कई और पुरस्कार

  • 1995 में बेहतर उत्पादन के लिए तत्कालीन केंद्रीय कृषि मंत्नी नीतीश कुमार के हाथों।
  • 2011 में तत्कालीन केंद्रीय कृषि मंत्नी शरद पवार के हाथों
  • 2011 में ही कृषि राज्य मंत्री हरीश रावत ने देहरादून में श्रेष्ठ किसान पुरस्कार से नवाजा
  • 2015 में राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय, पूसा की ओर से अभिनव किसान पुरस्कार
  • 16 अक्टूबर 2015 को कृषि भवन दिल्ली में उन्नत बीज उत्पादक किसान का पुरस्कार

स्त्रोत: संदीप कुमार,स्वतंत्र पत्रकार,पटना बिहार।

अंतिम बार संशोधित : 2/22/2020



© C–DAC.All content appearing on the vikaspedia portal is through collaborative effort of vikaspedia and its partners.We encourage you to use and share the content in a respectful and fair manner. Please leave all source links intact and adhere to applicable copyright and intellectual property guidelines and laws.
English to Hindi Transliterate