भिंडी के रोगों में यलो वेन मोजैक वाइरस एवं चूर्णिल आसिता तथा कीटों में मोयला, हरा तेला, सफेद मक्खी, प्ररोह एवं फल छेदक कीट, रेड स्पाइडर माइट मुख्य है।
रोग का नाम |
लक्षण |
नियंत्रण के उपाय |
पीत शिरा रोग (यलो वेन मोजैक वाइरस) |
पत्तियों की शिराएं पीली पड़ने लगती है। पूरी पत्तियाँ एवं फल भी पीले रंग के हो जाते है पौधे की बढ़वार रुक जाती है। |
आक्सी मिथाइल डेमेटान 25 प्रतिच्चत ई.सीअथवा डाईयमिथोएट 30 प्रतिच्चत ई.सी. की 1.5 मिली प्रति लीटर पानी में अथवा इमिड़ाईक्लोप्रिड 17.8 प्रतिशत एस.एल. अथवा एसिटामिप्रिड 20 प्रतिशत एस. पी. की 5 मिली./ग्राम मात्रा प्रति 15 लीटर पानी |
चूर्णिलआसिता |
इस रोग में भिंडी की पुरानी निचली पत्तियों पर सफेद चूर्ण युक्त हल्के पीले धब्बे पड़ने लगते है। ये सफेद चूर्ण वाले धब्बे काफी तेजी से फैलते है। |
इस रोग का नियंत्रण न करने पर पैदावार ३० प्रतिशत तक कम हो सकती है। इस रोग केनियंत्रण हेतु घुलनशील गंधक 2.5 ग्राम मात्राअथवा हैक्साकोनोजोल 5 प्रतिशत ई.सी. की 1.5 मिली. मात्रा प्रति लीटर पानी में घोलकर 2 या 3 बार 12-15 दिनों के अंतराल पर छिड़काव करना चाहिए। |
कीट का नाम |
लक्षण |
नियंत्रण के उपाय |
प्ररोह एवं फल छेदक |
इस कीट का प्रकोप वर्षा ऋतु में अधिक होता है। प्रारंभिक अवस्था में इल्ली कोमल तने में छेद करती है जिससे तना सूख जाता है। फूलों पर इसके आक्रमण से फल लगने के पूर्व फूल गिर जाते है। फल लगने पर इल्ली छेदकर उनको खाती है जिससे फल मुड जाते हैं एवं खाने योग्य नहीं रहते हैं। |
रोकथाम हेतु क्युनालफॅास 25 प्रतिशत ई.सी., क्लोरपायरिफॅास 20 प्रतिशत ई.सी. अथवा प्रोफेनफॅास 50 प्रतिशत ई.सी. की 2.5 मिलीमात्र प्रति लीटर पानी के मान से छिड़काव करें तथा आवश्यकतानुसार छिड़काव को दोहराएं। |
हरा तेला, मोयला एवं सफेद मक्खी |
ये सूक्ष्म आकार के कीट पत्तियों,कोमल तने एवं फल से रस चूसकर नुकसान पहुंचाते हैं। |
रोकथाम हेतु आक्सी मिथाइल डेमेटान 25 प्रतिशत ई.सी. अथवा ड़ाईयमिथोएट 30 प्रतिशत ई.सी. की 1.5 मिली मात्रा प्रति लीटर पानी में अथवा इमिड़ाईक्लोप्रिड 17.8 प्रतिशत एस.एलअथवा एसिटामिप्रिड 20 प्रतिशत एस. पी. की 5 मिली./ग्राम मात्रा प्रति 15 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें एवं आवश्यकतानुसार छिड़काव को दोहराएं । |
रेड स्पाइडर माइट |
यह माइट पौधों की पत्तियों की निचली सतह पर भारी संख्या में कॉलोनी बनाकर रहता है। यह अपने मुखांग से पत्तियों की कोशिकाओं में छिद्र करता है। इसके फलस्वरुप जो द्रव निकलता है उसे माइट चूसता है।क्षतिग्रस्त पत्तियां पीली पड़कर टेढ़ी मेढ़ी हो जाती हैं। |
इसकी रोकथाम हेतु डाईकोफाल 18.5 ई.सी. की 2.0 मिली मात्रा प्रति लीटर अथवा घुलनशील गंधक 2.5 ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें एवं आवश्यकतानुसार छिड़काव को दोहराएं |
भिन्डी की फली तुड़ाई हेतु सी.आई.ए.ई.,भोपाल द्धारा विकसीत ओकरा पॉड पिकर यन्त्र का प्रयोग करें।
किस्म की गुणता के अनुसार 45-60 दिनों में फलों की तुड़ाई प्रारंभ की जाती है एवं 4 से 5 दिनों के अंतराल पर नियमित तुड़ाई की जानी चाहिए। ग्रीष्मकालीन भिंडी फसल में उत्पादन 60-70 क्विंटल प्रति हेक्टर तक होता है। भिंडी की तुड़ाई हर तीसरे या चौथे दिन आवश्यक हो जाती है। तोड़ने में थोड़ा भी अधिक समय हो जाने पर फल कड़ा हो जाता है। फल को फूल खिलने के 5-7 दिन के भीतर अवश्य तोड़ लेना चाहिए। उचित देखरेख, उचित किस्म व खाद-उर्वरकों के प्रयोग से प्रति हेक्टेयर 130-150 कुन्तल हरी फलियाँ प्राप्त हो जाती हैं।
क्र. |
विवरण |
मात्रा एवं दर प्रति इकाई |
लागत (रु) |
1. |
भूमि की तैयारी |
||
क |
जुताई की संख्या - 03 |
@400रु/घंटा, 2 घंटा /हेक्टर |
2400 |
2. |
खाद और उर्वरक |
||
क |
उर्वरक गोबर की खाद |
20 टन/हे./ @400रु/टन |
8000 |
अ |
नत्रजन |
80×12.5 |
1000 |
ब |
फास्फोरस |
60×32.5 |
1950 |
स |
पोटाश |
60×20 |
1200 |
ख |
मजदूरों की संखया |
2पर 250रु/मजदूर |
500 |
3. |
बीज एवं बुआई |
||
क |
बीज की मात्रा |
5 किग्रा / @1000रु/किग्रा |
5000 |
ख |
बीज उपचार |
||
अ |
थायरम |
3 ग्राम/किग्रा |
15 |
ब |
राइजोबियम |
50 ग्राम/किग्रा |
10 |
स |
पी.एस.बी. |
50 ग्राम/किग्रा |
10 |
ग |
बुआई का खर्च |
2 घंटा /हेक्टर / 400रु/ घंटा |
800 |
घ |
मजदूरों की संखया |
4 पर 250रु/मजदूर |
1000 |
4. |
निंदाई/खरपतवार |
|
|
क |
बसालीन |
1लीटर |
900 |
ख |
निंदाई - मजदूरी |
25/@200रु/ मजदूर |
5000 |
5. |
फसल सुरक्षा |
||
क |
डाईयमिथोएट (2 बार) |
750 मिली/हेक्टर (1.5 लीटर) |
525 |
ख |
इमिडाईक्लोप्रिड (2 बार) |
150 मिली/हेक्टर (300 मिली) |
1200 |
ग |
क्युनालफॅास (2 बार) |
1250 मिली/हेक्टर ( 2.5 लीटर) |
1000 |
घ |
डाईइकोफॅाल |
1.0 लीटर/ हेक्टर |
500 |
ड. |
घुलनशील गंधक(2 बार) |
1250 ग्राम/हेक्टर ( 2.5 किग्रा) |
1000 |
6. |
सिंचाई |
|
|
क |
मजदूरों की संखया |
14 सिंचाई /@750रु/ मजदूर |
10500 |
ख |
विद्युत खर्च |
100 रु/हेक्टर |
1400 |
7. |
तुड़ाईई |
7 |
|
क |
मजदूरों की संखया |
105 मजदूर / @100रु/ मजदूर |
10500 |
8. |
कटाई व मड़ाई |
||
क |
मजदूरों की संखया |
20 मजदूर /@200रु/ मजदूर |
4000 |
9 |
कुल खर्च |
58410 |
|
10 |
उपज |
145 क्विंटल / हेक्टर / 10रु/ किग्रा |
145000 |
11 |
शुद्ध लाभ |
86590 |
|
स्त्रोत: मध्यप्रदेश कृषि,किसान कल्याण एवं कृषि विकास विभाग,मध्यप्रदेश
अंतिम बार संशोधित : 2/22/2020
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