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कृषि वानिकी से हुए कृषक हुए खुशहाल

कृषि वानिकी से हुए कृषक हुए खुशहाल

सफलता गाथा

श्री महेंद्र सिंह उन्नतशील किसान हैं और ग्राम – सराई, ब्लॉक – बबीना, तहसील – बबीना, जिला – झाँसी के निवासी हैं। ये जलवायु परिवर्तन की वर्तमान स्थिति के लिए सजग हैं। उन्होंने अपने लगभग 5 एकड़ के फार्म पर विविध प्रकार की फसल प्रणाली एवं कृषि – उद्यानिकी, कृषि वानिकी तथा चारा घास का अंगीकरण किया है। चार वर्ष पूर्व इन्होंने कुमट के 400 वृक्ष अपने फार्म की बाउंड्री पर 2 मीटर की दूरी पर लगाये। इसके अलावा इन्होंने अमरुद, नींबू आदि फलदार पौधों का रोपण पर लगभग आधा एकड़ भूमि पर कृषि – उद्यानिकी का मॉडल लगाया है। लगभग 100 वृक्ष सागौन के लगाये तथा खेत की मेड़ों पर नेपियर घास का रोपण किया है।

क्या है कृषक के सफलता की दास्तान

पशुपालन में ये अग्रणी है एवं इनके पास दूध देने वाली 3 भैंसें तथा एक बैलों की जोड़ी है। अपने फार्म की सफलता की खुशी से श्री महेंद्र सिंह बताते हैं कि कुमट से खेतों की जीवित बाड़ तैयार हो गई है, जिससे आवारा या अन्ना प्रथा के तहत चरने वाले पशुओं से खेत खड़ी फसल का बचाव होता है। उद्यानिकी के पौधों से अमरुद व नींबू की फसल मिलना आरंभ हो गई है एवं पशुओं के लिए हरा चारा नेपियर से प्राप्त होता रहता है। श्री महेंद्र सिंह अपने फार्म पर मूंगफली – गेहूं, उड़द – जौ की फसलने उगाते हैं। इनके अनुसार कुमट की जीवित बाद से 10 – 15 प्रतिशत उपज की हानि रूक गई है और आर्थिक लाभ बढ़ा है। कुछ समय बाद कुमट  से गोंद की पैदावार मिलने लगेगी। इनका अनुमान है कि यदि कुम के एक पौधे से औसतन 200 ग्राम गोंद मिला तो लगभग 400 पौधों से 80 कि. ग्रा. गोंद प्राप्त होगा। औसत कुमट की गोंद 500 रूपये प्रति कि. ग्रा. बिकती है। इस प्रकार गोंड से अतिरिक्त आय लगभग 40,000 रूपये प्रति वर्ष होगी। अपने फार्म पर सफल वृक्षारोपण एवं कृषिवानिकी के अंगीकरण से महेंद्र सिंह जी का परिवार खुश है।

लेखन: छवि सिरोही, आर. एस. ढिल्लो और के. एस. बागरवा

स्त्रोत: कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग, भारत सरकार

अंतिम बार संशोधित : 3/3/2020



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