অসমীয়া   বাংলা   बोड़ो   डोगरी   ગુજરાતી   ಕನ್ನಡ   كأشُر   कोंकणी   संथाली   মনিপুরি   नेपाली   ଓରିୟା   ਪੰਜਾਬੀ   संस्कृत   தமிழ்  తెలుగు   ردو

जेट्रोफा पौधरोपण हेतु विश्वसनीय बीज स्रोत

जेट्रोफा पौधरोपण हेतु विश्वसनीय बीज स्रोत

बीज स्रोत

रतनजोत का पौधा एक बार खेत में लगाने पर दूसरे-तीसरे वर्ष फल देना शुरू करता है तथा 35-40 वर्ष तक जीवित रह सकता है । इसकी आर्थिक (इकोनोमिक) उम्र लगभग 35 वर्ष है । एक बार पौध लगाने पर लाभ-हानि का सामना उक्त समय तक करना पड़ता है । अत: पौध उगाने तथा पौधरोपण करने हेतु केवल उत्तम गुणों वाले बीजों का ही प्रयोग करना चाहिए । रतनजोत के लिए केवल उसी पौधे का बीज उगाने के कम लेना चाहिए जिसमें तेल की अधिक मात्रा हो, फल परिपक्वता समान अवधि (सिन्क्रोनाइज मैच्योरिटी) की हो, रोग व बिमारी से संक्रमित न हो । इसके लिए बीज या पौध राज्यों के वन विभाग, कृषि विभाग, उद्यान विभाग, कृषि विश्वविद्यालय, शोध केंद्र/संस्थान, पंजीकृत नर्सरी आदि से प्राप्त करना चाहिए । ऐसे ही कुछ विश्वसनीय कृषि विश्वविद्यालय/ संस्थान के पते नीचे दीये गये हैं जहाँ से उत्तम व गुणकारी बीज प्राप्त किये जा सकते हैं:-

1. निदेशक,सेंट्रलरिसर्चइंस्टिट्यूट फॉर ड्राईलैंड एग्रीकल्चर, संतोषनगर, हैदराबाद- 500 059 (आ0 प्र0) ।

2. विभागाध्यक्ष, वानिकी विभाग, राजेन्द्रा कृषि विश्वविद्यालय, पूसा, समस्तीपुर, बिहार ।

3. विभागाध्यक्ष, वानिकी विभाग,चन्द्रशेखरआजाद कृषि एवं प्रौद्योंगिकी विश्वविद्यालय,कानपुर – 208002 (उ0 प्र0) ।

4. विभागाध्यक्ष, उद्यान विभाग, नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, कुमारगंज, फैजाबाद – 224229 (उ0 प्र0) ।

5. विभागाध्यक्ष, वानिकी विभाग, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, कृषक नगर, रायपुर – 492 006 (छत्तीसगढ.) ।

6. निदेशक, राष्ट्रीय कृषि वानिकी अनुसंधान केंद्र, निकट पहुच डेम, ग्वालियर रोड,झांसी – 284003 (उत्तर प्रदेश) ।

7. अध्यक्ष, वानिकी एवं प्राकृतिक संसाधन विभाग, पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, लुधियाना – 141 004 (पंजाब) ।

8. क्षेत्रीय निदेशक, रिजनल रिसर्च स्टेशन (चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय),बावल, रेवाड़ी (हरियाणा) ।

9. शोध निदेशक, महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, आर.सी.ए. कैम्पस, उदयपुर – 313001 (राजस्थान) ।

10. अध्यक्ष, सामाजिक वानिकी एवं परिस्थितिकीय पुनर्निवेशन केंद्र (भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद), 337, नागौध कोठी, अशोकनगर, इलाहाबाद- 211001 ।

11. निदेशक, ट्रापिकल फोरेस्टरिसर्च इंस्टिट्यूट,पोस्ट आरएफआर. सी. मांडला रोड, जबलपुर – 482 021 (म0 प्र0) ।

12. अधिष्ठाता, वानिकी कालेज, डा. पंजाबराव देशमुख कृषि विद्यापीठ, अकोला–444014, महाराष्ट्र ।

13. विभागाध्यक्ष, आनुवंशिकी एवं पादप प्रजनन विभाग, कालेज आफ एग्रीकल्चर, गोबिन्द बल्लभ पन्त कृषि एवं प्रौ. विश्वविद्यालय, पन्तनगर – 263 145 (उत्तरांचल) ।

14. अध्यक्ष, वन आनुवंशिकी, संवर्धन शाखा, स्टेट फोरेस्ट रिसर्च इंस्टिट्यूट, पालीपाथर, जबलपुर – 482008 (मध्य प्रदेश) ।

15. शोध निदेशक, शेर-ए-काश्मीर यूनिवर्सिटी ऑफ़ एग्रीकल्चरल साइंसेज एंड टेक्नोलॉजी, जम्मू (जम्मू एंड कश्मीर) ।

16. क्षेत्रीय निदेशक, ए.आई.सी.आर.पी. आन अंडर युटिलाइज्ड क्राप्स, रिजनल रिसर्च स्टेशन, एस.डी. एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, सरदार कुशीनगर-385506 (गुजरात) ।

17. शोध निदेशक, विधान चन्द्र कृषि विश्वविद्यालय, मोहनपुर, नादिया- 741252 (पश्चिम बंगाल) ।

18. शोध निदेशक, नवसारी कृषि विश्वविद्यालय, नवसारी – 396450 (गुजरात) ।

19. शोध निदेशक, बिरसा कृषि विश्वविद्यालय, कांके, रांची (झारखंड) ।

 

स्रोत: राष्ट्रीय तिलहन एवं वनस्पति तेल विकास बोर्ड,कृषि मंत्रालय, भारत सरकार

अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020



© C–DAC.All content appearing on the vikaspedia portal is through collaborative effort of vikaspedia and its partners.We encourage you to use and share the content in a respectful and fair manner. Please leave all source links intact and adhere to applicable copyright and intellectual property guidelines and laws.
English to Hindi Transliterate