अर्का विकास, सर्वोदय, सिलेक्शन -4, 5-18 स्मिथ, समय किंग, टमाटर 108, अंकुश, विकरंक, विपुलन, विशाल, अदिति, अजय, अमर, करीना, अजित, जयश्री, रीटा, बी.एस.एस. 103, 39.
छत्तीस के अधिकांश क्षेत्र में ठंड कम पड़ने के कारण यहाँ की जलवायु इस फसल के लिए उपयुक्त है। इसके बीज के अंकुरण के लिए 25 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान अच्छा पाया गया है। टमाटर के बीजों का 10 डिग्री सेंटीग्रेड से 30 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान तक भी अंकुरण होता है। 14 डिग्री सेंटीग्रेड से 20 डिग्री सेंटीग्रेड तक तापमान रहने पर अधिकतम फूल आते हैं। रात का तापमान 15 डिग्री सेंटीग्रेड से 20 डिग्री सेंटीग्रेड उपयुक्त है। न्यूनतम तापमान 13 डिग्री सेंटीग्रेड अधिकतम 38 डिग्री सेंटीग्रेड रहने पर फल लगाना कम या बंद हो जाते हैं।
टमाटर की नर्सरी में दो तरह की क्यारियां बनाई जाती हैं –
गर्मी के मौसम पौधे तैयार करने हेतु समतल क्यारियां बनाते हैं, और अन्य मौसम जैसे वर्षा एवं ठंड के लिए उपर उठी हुई क्यारियां बननी चाहिए। ओपन पोलिनेटेड किस्मों में 400 ग्राम बीज प्रति हेक्टेयर एवं संकर जातियों में 150 ग्राम बीज प्रति हेक्टेयर की दर से आवश्यकता होती है।
टमाटर के पौधे 25-30 दिन में अक्सर रोपाई योग्य हो जाते है, यदि तापमान में कमी हो तो बोवाई के बाद 5-6 सप्ताह भी लग जाते हैं। लाइन से लाइन की दूरी 60 से. मी. एवं पौधे से पौधे की दूरी 45 से. मी. रहे। पौधों के पास की मिट्टी अच्छी तरह उँगलियों से दबा दें एवं रोपाई के तुरंत बाद पौधों को पानी देना ने भूलें। शाम के समय ही रोपाई करें, ताकि पौधों को तेज धुप से शुरू की अवस्था में बचाया जा सके।
टमाटर के फसल में 100 किलो नाइट्रोजन, 60 किलो स्फूर एवं 60 किलो पोटाश की आवश्यकता प्रति हेक्टेयर होती है। संकर जातियों के लिए 213 किलों नाइट्रोजन, 240 किलो स्फूर एवं 250 किलो पोटाश की आवश्यकता प्रति हेक्टेयर होती। खाद देते समय ध्यान रखें कि रोपाई के समय नाइट्रोजन देने हेतु यूरिया की अपेक्षा दूसरी मिश्रित खाद या अमोनियम सल्फेट का प्रयोग करें। टाप ड्रेसिंग हेतु यूरिया का प्रयोग कर सकते हैं।
टमाटर की फसल को कम पानी में तो नुकसान होता ही है, लेकिन ज्यादा पानी देने से अधिक नुकसान होता है। यह जानने के लिए मिट्टी का लड्डू बना लेना चाहिए। अगर मिट्टी से लड्डू आसानी से बनता है तो यह मन लेना चाहिए कि खेत में नमी पर्याप्त है। साधारणत: रबी मौसम में 11 दिनों के अन्तराल पर एवं गर्मी के दिनों में 4-5 दिनों में पानी देना चाहिए।
इस फसल में रोपाई के बाद टमाटर के फसल की बढ़वार की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। इन दिनों ही खरपतवार इतने तेजी से बढ़ते हैं कि कई खेत में फसल की अपेक्षा खरपतवार ही दिखाई देता है। समय – समय पर निंदाई कर खेत को साफ रखें।
टमाटर में सिर्फ निम्नलिखित कीटनाशक का प्रयोग करें -
क. फ्लूक्लोरेलिन एक किलो प्रति हेक्टेयर।
ख. मेरिटेंजिन (सेन्फोर) 0.25 – 0.50 किलो प्रति हेक्टेयर।
ग. एलैक्लोर (लासों) 2.0 किलो प्रति हेक्टेयर।
टमाटर के फलों को जब उनकी बढ़वार पूरी हो जाये तथा लाल व पीले रंग की धारियां दिखने लगे उस अवस्था में तोड़ लेना चाहिए व कमरे में रख कर पकाना चाहिए। टमाटर को पौधे पर पकाने की अवस्था में चिड़ियों से नुकसान होने की संभवना रहती है।
धारियां पड़ना तथा फल का कुरूप हो जाना।
टमाटर के पिछले सिरे पर
निवारण
पर्याप्त नमी।
फसल की सही समय पर बुवाई।
ग्रीष्म ऋतु में तापमान बढ़ने से धुप का अधिक तेज होना।
निवारण
गर्मी की फसल में टमाटर के साथ अंतरवर्ती फसल के रूप में मक्का एवं ढैंचा लगाना चाहिए जो टमाटर को छाया प्रदान करके फलों को तेज धुप से बचा सकें।
फल के हरे रहने पर ही उसके निचले सिरे पर धब्बे पड़ने लगते हैं, तथा बीच में पानी सोखने जैसा निशान बन जाता है।
निवारण
नमी का उचित स्तर।
पौधों को सहारा प्रदान किया जाये।
जिस तरफ फल तने से लगा रहता है वहीं से फटने लगता है।
निवारण
तामपान ज्यादा होना।
सिंचाई का अंतराल ज्यादा होना।
धुप का तेज होना।
निवारण
संतुलित मात्रा में उर्वरकों का प्रयोग करें।
पौधों को उचित दूरी पर लगाये जिससे उन्हें पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्व एवं नमी मिलें।
पोटेशियम क्लोराइड के 0.5 प्रतिशत का छिड़काव फल लगते समय करें।
अंतिम बार संशोधित : 3/4/2020
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