जैविक पदार्थों से भरपूर अच्छी जल निकासवाली बलुई दोमट मिट्टी इसके लिए उत्तम है। आम्लिक मिट्टी में उपज अच्छी नहीं होती। अत: ऐसी मिट्टी को चूने से उपचारित करके सुधार लेना चाहिए।
झाड़ीदार किस्में :- कटेडर, पूसा पार्वती, जैट स्त्रीजलेस लत्तारदारकिस्में : केंटकी वंडर, रांची सैलेक्सन।
अच्छी तरह से जोतकर तैयार किये गये खाद युक्त भुर भूरे और समतल जमीन में फ्रेंचबीन के बीजसीधी कतारों में बोये जाते हैं। बरसाती खेती के लिए इन्हें मेड़ों पर बोते हैं तथा रबी मौसम में समतल क्यारियों में बोते हैं। झाड़ीदार किस्में बरसाती खेतों के लिए उपयुक्त नहीं होती।
झाड़ीदार किस्में : अक्टूबर-नवम्बर एवं जनवरी–फ़रवरी।
बीज दर झाड़ीदारकिस्में : ८०- ९० किलोग्राम प्रति हेक्टेयर ।
लत्तादर किस्में : २५-३० किलोग्राम प्रति हेक्टेयर ।
पौधों की दूरी : झाड़ीदार किस्में : कतार से कतार ६० सेंटी मीटर
पौधा से पौधा ३० सेंटी मीटर
लत्तादर किस्में : खरीफ में कतार से कतार ७५ सेंटी मीटर
पौधा से पौधा ७५ सेंटी मीटर
रबी एवं जैद में कतार से कतार ७५ सेंटी मीटर
पौधा से पौधा ७५ सेंटी मीटर
गोबर की सड़ी खाद |
२०० क्विंटल |
यूरिया |
१०० किलोग्राम |
सिंगल सुपर फास्फेट |
४७५ किलोग्राम |
मुरिएत आफ पोटाश |
१३० किलोग्राम |
सूखे दिनों में प्रति सप्ताह सिंचाई की व्यवस्था करनी चाहिए।
झाड़ीदार किस्में : ३५ – ५० क्विंटल/हेक्टेयर
सत्तदर किस्में : १००-१२५ क्विंटल/हेक्टेयर
स्त्रोत: सब्जी उत्पादन की उन्नत कृषि प्रणाली प्रसार शिक्षा निदेशालय, बिरसा कृषि विश्वविद्यालय, रांची
अंतिम बार संशोधित : 2/22/2020
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