অসমীয়া   বাংলা   बोड़ो   डोगरी   ગુજરાતી   ಕನ್ನಡ   كأشُر   कोंकणी   संथाली   মনিপুরি   नेपाली   ଓରିୟା   ਪੰਜਾਬੀ   संस्कृत   தமிழ்  తెలుగు   ردو

शुष्क भूमि कृषि तकनीक

परिचय

झारखंड में ज्यादातर वर्षा जून से सितम्बर तक होती है। इसलिए किसान भाई सिंचाई के अभाव में प्राय: खरीफ में ही फसल लेते हैं और रबी में कम खेती करते है। बिरसा कृषि विश्वविद्यालय स्थित अखिल भारतीय सूखी खेती अनुसंधान परियोजना के अंतर्गत ऐसी तकनीकों का विकास किया गया है, जिससे मिटटी, जल एवं फसलों का उचित प्रबंधन कर असिंचित अवस्था में भी ऊँची जमीन में अच्छी उपज प्राप्त की जा सकती है।

मिटटी एवं नमी संरक्षण

  • खरीफ फसल कटने के बाद नमी संरक्षण के लिए खेत में पुआल या पत्तियाँ बिछा दें ताकि खेत की नमी नहीं उड़ पाये। एस तकनीक को मल्चिंग कहते है। यह तकनीक बोआई के तुरंत बाद भी अपना सकते है।
  • जलछाजन के अनुसार भूमि का वर्गीकरण करें। उसके समुचित उपयोग से भूमि एवं जल का प्रबंधन सही ढंग से किया जा सकता है।
  • भूमि प्रबंधन में कन्टूर बाँध, टेरेसिंग और स्ट्रीप क्रॉपिंग शामिल है।
  • जल प्रबंधन में गली प्लगिंग, परकोलेशन टैंक तथा चेक डैम इत्यादी शामिल हैं।
  • वर्षा के जल को तालाब में या बाँधकर जमा रखें इस पानी से खरीफ फसल को सुखाड़ से बचाया जा सकता है। और रबी फसलों की बोआई के बाद आंशिक सिंचाई की जा सकती है।
  • खरीफ फसल काटने के तुरंत बाद रबी फसल लगायें ताकि मिटटी में बची नमी से रबी का अंकुरण हो सके।

फसल प्रबंधन

  • पथरीली जमीन में वन वृक्ष के पौधे, जैसे काला शीशम, बेर, बेल, जामुन, कटहल, शरीफा तथा चारा फसल में ज्वार या बाजरा लगायें।
  • कृषि योग्य ऊँची जमीन में धान, मूंगफली, सोयाबीन, गुन्दली, मकई, अरहर, उरद, तिल, कुल्थी एवं मडुआ खरीफ में लगायें।
  • रबी में तीसी, कुसुम, चना, मसूर, तोरी या राई एवं जौ लगायें।
  • सूखी खेती में निम्नलिखित दो फसली खेती की अनुशंसा की जाती है:

अरहर – मकई (एक – एक पंक्ति दोनों की, दूरी: 75 सेंटीमीटर पंक्ति से पंक्ति)

अरहर – ज्वार (एक – एक पंक्ति दोनों की, दूरी: 75 सेंटीमीटर पंक्ति से पंक्ति)

अरहर – मूंगफली (दो पंक्ति अरहर 90 सें.मी. की दूरी पर, इसके बीच तीन पंक्ति मूंगफली)

अरहर – गोड़ा धान (दो पंक्ति अरहर 75 सें.मी. की दूरी पर, इसके बीच तीन पंक्ति धान)

अरहर – सोयाबीन (दो पंक्ति अरहर 75 सें.मी. की दूरी पर, इसके बीच दो पंक्ति सोयाबीन)

अरहर – उरद (दो पंक्ति अरहर 75 सें.मी. की दूरी पर, इसके बीच दो पंक्ति उरद)

अरहर – भिण्डी (दो पंक्ति अरहर 75 सें.मी. की दूरी पर, इसके बीच एक पंक्ति भिण्डी)

धान – भिण्डी (दो पंक्ति धान के बाद दो पंक्ति भिण्डी)

  • मानसून का प्रवेश होते ही खरीफ फसलों की बुआई शुरू कर दें। साथ ही 90 से 105 दिनों में तैयार होने वाले फसलों को ही लगायें। हथिया नक्षत्र शुरू होते ही रबी फसलों की बोआई प्रारम्भ कर दें।
  • खरीफ फसलों में नाइट्रोजन, फ़ॉस्फोरस एवं पोटाश को अनुशंसित मात्रा में दें। साथ ही वर्मी कम्पोस्ट का उपयोग करें। इससे खेत की जलधारणा क्षमता बढ़ती है।
  • जुताई के बाद खेत को खर-पतवार से पूर्णरूप से मुक्त करें और जरूरत पड़े तो फसल बोने के 1 से 2 दिन के अंदर शाकनाशी का उपयोग करें।

 

स्त्रोत: कृषि विभाग, झारखण्ड सरकार

अंतिम बार संशोधित : 2/22/2020



© C–DAC.All content appearing on the vikaspedia portal is through collaborative effort of vikaspedia and its partners.We encourage you to use and share the content in a respectful and fair manner. Please leave all source links intact and adhere to applicable copyright and intellectual property guidelines and laws.
English to Hindi Transliterate