অসমীয়া   বাংলা   बोड़ो   डोगरी   ગુજરાતી   ಕನ್ನಡ   كأشُر   कोंकणी   संथाली   মনিপুরি   नेपाली   ଓରିୟା   ਪੰਜਾਬੀ   संस्कृत   தமிழ்  తెలుగు   ردو

टमाटर

परिचय

किस्में : पूसा रूबी, पूसा -120, पूसा शीतल, पूसा सदाबाहर, पूसा अर्ली ड्वार्फ तथा पूसा रोहिणी |

संकर किस्में : पूसा हाइब्रिड-1, पूसा हाइब्रिड-2, पूसा हाइब्रिड-4, तथा पूसा हाइब्रिड-8

जलवायु : टमाटर गर्म मौसम की फसल है| यह फसल पाला सहन नहीं कर सकती है|

तापमान 18 डिग्री से 27 डिग्री से. के. बीच उपयुक्त है| फल लगने के लिए रात का आदर्श तापमान 15 से 20 डिग्री के बीच रहना चाहिए | ज्यादा गर्मी में फलों के रंग व स्वाद पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है|

मिटटी : पोषक तत्वा युक्त दुमट भूमि इसकी खेती के लिए उपयुक्त है | इसके लिए जल निकास व्यवस्था होना आवश्यक है|

बीज की मात्रा : संकर किस्में के लिए 200-250 ग्राम बीज तथा अन्य किस्में के लिए 350-400 ग्राम बीज/ हेक्टेयर पर्याप्त है|

रोपाई : पौध की रोपाई 60 से.मी. की दूरी पर बनी कतारों में, पौध से पौध की दूरी 45 से 60 सें. मी. रखते हुए शाम के समय करें|

बुवाई का समय : उत्तर भारत  के मैदानी  क्षेत्रों में, टमाटर की फसल दो बार लगायी जाती है| खरीफ के लिए जुलाई से अगस्त तथा रबी में अक्टूबर से नवम्बर के अंत तक बुवाई व रोपाई की जाती है|

उर्वरक व खाद : रोपाई के एक माह पहले गोबर या कम्पोस्ट की अच्छी गली व सड़ी खाद 20-25 टन /हेक्टेयर की दर से अच्छी तरह मिला लें| फ़ास्फ़रोस व पोटाश की क्रमश: 60 व 50 किलोग्राम मात्रा रोपाई से पहले भूमि में प्रयोग करें तथा बाकि नत्रजन की आधी मात्रा फसल में फूल आने पर प्रयोग करें|

तुड़ाई व उपज : फलों को दूरस्थ स्थानों पर भेजने के लिए तुड़ाई फल का रंग लाल होने के पहले तथा स्थानीय बाजार में फलों का रंग लाल होने पर तुड़ाई करें | टमाटर की फसल 75 से 100 दिनों में तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है|

संकर किस्म की पैदावार 50-65 टन प्रति हेक्टेयर तथा साधारन किस्मों की 20-25 टन प्रति हेक्टेयर तक हो जाती है|

कटाई उपरांत प्रद्योगिकी

  • नजदीकी बाजार में भेंजने के हेतु पूर्ण परिपक्वा फलों की तुड़ाई करें|
  • ग्रेडिंग करके प्लास्टिक के क्रैट में बाजार में भेजें या 8-100 से. तापमान पर 20-25 दिनों तक भण्डारित करें |
  • पके फलों से केचअप, चटनी आदि उत्पाद बनाएं |

बीजोत्पादन : टमाटर के बीज उत्पादन हेतु ऐसे खेत का चुनाव करें जिसमें पिछले वर्ष टमाटर की फसल की खेती नहीं की गयी हो तथा पृथक्करन दूरी आधार बीज के लिए 50 मीटर तथा प्रमाणित बीज के लिए 25 मीटर रखें | अवांछनीय पौधों को पुष्पन अवस्था में तथा जब तक फल पूर्ण रूप से परिपक्व न हुए हों, तो पौधे, फूल तथा फलों के गुणों के आधार पर निकाल देना चाहिए | फलों की तुड़ाई पूर्ण रूप से पकी अवस्था में करें, पके फलों को तोड़ने के बाद लकड़ी के बक्सों या सीमेंट के बनें टैंकों में कुचलकर एक दिन के लिए किण्वन हेतु रखें | अगले दिन पानी तथा छलनी की सहायता से बीजों को गुदे से अलग करके छाया में सुखा लें | बीज को पेपर के लिफाफे या कपड़ो के थैलों तथा शीशे के बर्तनों में भण्डारन हेतु रखें |

बीज उपज : 100-120 कि.ग्रा. बीज /हेक्टेयर प्राप्त होता है|

प्रमुख रोग एवं नियंत्रण

  1. रोग का कारण : पूर्ण कुंचन (लीफ कुर्ल){Tobacco virus 16 or Gemminivirus group}

लक्षण: पत्तियाँ नीचे की तरफ मुड़कर ऐंठ जाती है | रोगी पत्तियां छोटी और खुरदरी हो जाती है | पत्तियों की शिराएं निकलती है तथा पारियां छोटी रह जाती है, जिससे पौधा झाड़ी के सामान दिखाई देने लगता है | पत्तियों का रंग पीला पड़ जाता है| रोग के रूप धारण करने पर फूल भी नहीं बनते है |

नियंत्रण : क्न्फीङोर -200 एल एस (100 मि.लि./500 लीटर पानी)|     रोपाई के 3 सप्ताह बाद तथा आवश्यकतानुसार 15 दिन के अंतराल पर करें|

  1. रोग का कारण : बकाय रॉट (Phytopthora parasitica)

लक्षण: पीले और गहरे रंग के गाढे छल्ले फल दिखाई देते हैं, ये छल्ले छोटे भी हो सकते हैं या फल की सतह का एक बड़ा हिस्सा ढक सकते हैं| जिसके कारण फल सड़ जाते हैं|

फलस्वरुप उपज कम होती है |

नियंत्रण : मेंटाटाकिस्ल / मैकोजेब

कीट प्रकोप एवं प्रबंधन

1.    सफ़ेद मक्खी (वाइट फ्लाई)

इस कीट के शिशु व व्यस्क दोनों ही पत्तों से रस चूसते हैं | इनके द्वारा बनाये गए मधु बिन्दु पर काली फफूंद आ जाती है जिससे पौधे का प्रकाश संश्लेषन कम हो जाता है | यह कीट वायरस जनित “पत्ती मरोडक” बीमारी भी फैलता है|

प्रबंधन

1.    रोपाई से पहले पौधों की जड़ों को आधे घंटे के लिए इमिडाक्लोग्रिड 1 मी.लि. / 3 लिटर में डुबोएं |

2.    नर्सरी को 40 मैश की नाइलोन नेट से ढक कर रखें|

3.    नीम बीज अर्क (4 प्रतिशत) या डाईमेंथोएत 30 ई.सी. 2 मी.ली. / लिटर या मिथाइल डेमीटोन 30 ई.सी. 2 मी.ली. / लिटर पानी का छिडकाव करें |

2.    टमाटर फल छेदक (टोमेंटो फ्रूट बोरर)

इस कीट की सूड़ियाँ फलों में छेदकर इनके पदार्थ को खाती हैं तथा आधी फल से बाहर लटकती नजर आती है | एक सूंडी कई फलों को नुकसान पहुंचाती हैं | इसके अतिरिक्त ये पत्तों को भी हानि पहुंचाती है |

प्रबंधन

1.    टमाटर की प्रति 16 पंक्तियों पर ट्रैप फसल के रूप में एक पंक्ति गेंदा की लगाएं |

2.    सूड़ियाँ वाले फलों को इकठ्ठा कर नष्ट कर दें |

3.    इस कीड़े की निगरानी के लिए 5 फीरोमोन ट्रैप प्रति हेक्टेयर लगाएँ |

4.    जरुरत पडने पर नीम की बीज अर्क (5 प्रतिशत) या एन.पी.बी. 250 मि.लि./हेक्टेयर या बी.टी. 1 ग्राम/लिटर पानी इंडोसल्फान 35 ई.सी. 3. मि.लि./लिटर एमामेक्टिन बैन्जोएट 5 एस.जी., 1.ग्रा./2 लिटर स्पिनोसेड 45 एस.सी. 1. मि.लि./4. लिटर या डेल्टामेंथ्रिन 2.5 ई.सी. 1.मि.लि./पानी का इस्तेमाल करें |

3.    तम्बाकू की इल्ली (टोबैको कैटरपिलर)

इस कीट की इल्लियाँ पौधों व पत्तों व नई कोपलों को नुकसान पहुंचाती है | अधिक प्रकोप की अवस्था में पौधे पत्ती रहित हो जाते हैं | यह फलों को भी खाती हैं |

प्रबंधन

1.    इल्लियों के झुडं वाले पौधों को निकालकर  भूमि में दबा दें |

2.    कीट की निगरानी के लिए 5 फीरोमीन ट्रेंच प्रति हेक्टेयर लगाएं |

3.    बी.टी. 1 ग्राम/लिटर या नीम की बीज अर्क (  5 प्रतिशत) या इंडोसल्फान 3  मि.लि./लिटर या स्पिनोसेड 45 एस.सी. 1. मि.लि./4. लिटर या डेल्टामेंथ्रिन 2.5 ई.सी. 1.मि.लि./पानी छिडकें |

4.    पत्ती सुरंगक कीट (लीफ माइनर)

इस कीट के शिशु पत्तों के हरे पदार्थ को खाकर इनमें टेढ़ी-मेंढ़ी सफ़ेद सुरंगे बना देते हैं | इससे पौधों का प्रकाश संश्लेषन कम हो जाता है | अधिक प्रकोप से पत्तियां सूख जाती हैं |

प्रबंधन

1.    ग्रसित पत्तियों को निकाल कर नष्ट कर दें |

2.    डाइमेंथोएट 2 मि.लि./लिटर या इमीडाक्लो 1 प्रिड मी.लि./3 लिटर या मिथाइल डेमीटोन 30 ई.सी. 2 मि.लि./लिटर पानी का छिडकाव करें |

 

स्त्रोत: कृषि विभाग, झारखण्ड सरकार; ज़ेवियर समाज सेवा संस्थान

 

अंतिम बार संशोधित : 3/5/2020



© C–DAC.All content appearing on the vikaspedia portal is through collaborative effort of vikaspedia and its partners.We encourage you to use and share the content in a respectful and fair manner. Please leave all source links intact and adhere to applicable copyright and intellectual property guidelines and laws.
English to Hindi Transliterate