तिलहन में क्षेत्रवार मान्यकृत समेकित नाशीजीव प्रबंधन प्रौद्योगिकियां
सरसों
- ट्राईकोडर्मा (10 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज) से बीज उपचारित करें
- बुवाई की तिथि 15-25 अक्टूबर
- अनुमोदित किस्म टी-59 का प्रयोग
- रोग या कीट आने की स्थिति में आवश्यकता अनुसार फफूंदीनाशक और रासायनिक कीटनाशको का प्रयोग
- एफिड ग्रस्त टहनियों को खेत से हटायें
नवगांव, राजस्थान
- सस्यकरण योजनाबद्ध तरीके से करें ताकि पहली फसल के रोग से इस फसल को हानि न हो
- कवकीय जीवणू और कीटों की अवशिष्ट संख्या को कम करने के लिए ग्रीष्मकालीन जुताई करें
- रोगों की जांच के लिए खेत से पिछली फसल के अवशेषों को हटाया जाये
- मुख्य कीटों से बचने के लिए 11-25 अक्टूबर के बीच फसल बोएं
- अनुमोदित मात्र में रासायनिक खाद का प्रयोग करें
- मृदा जनित रोगों के लिए 4 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज को ट्राईकोडर्मा विरिडी से शोधित करें
- 1 किलोग्राम ट्राईकोडर्मा व 25 किलोग्राम गोबर खाद प्रति एकड़ में मिला कर भूमि शोधन करें
- श्वेत किट व अन्य मृदा जनित रोगों के प्रबंधन के लिए 2% लहसुन अर्क का प्रयोग करें
- अल्टरनेरिया व श्वेत किट से बचाव के लिए डाईथेन एम्-45 का 0.2% का छिडकाव करें
- बुरी तरह से क्षतिग्रस्त पौधों को खेतों में से उखाड़ दिया जाये
- नियमित निराई से पेंटेड बग की संख्यां में कमी आती है
- मित्र कीटों को संरक्षित करें
- यदि आवश्यक हो तो 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से 5% मलाथियन पाउडर का इस्तेमाल करें
गुरुग्राम (हरियाणा)
- टी-59 प्रजाति का प्रयोग करें
- अनुकूल तारीखों 15-25 अक्टूबर के बीच ही फसल बोयें
- ट्राईकोडर्मा विरिडी (4 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज) से बीज उपचारित करें
- आक्रमण की प्रारंभिक अवस्था में ही चेपा ग्रस्त टहनियों की यांत्रिक ढंग से चुनाई कर दें
भारतीय कृषि अनुसन्धान संस्थान, नई दिल्ली
बुवाई पूर्व समय
- खेत को गर्मी में गहरा जोतें
- ऐसे खेत तैयार किये जाएँ जहाँ से पानी की निकासी ठीक से हो पाए
- फसल को स्वच्छ रखें एवं मल्बें को हटाते रहें
- गैर अतिसंवेदनशील होस्ट के साथ फसल रोटेशन करें
- पौधों को उचित खुराक दें (नाईट्रोजन 40%, पोटाश 40%, सल्फेट 40%)
बुवाई के समय
- बुवाई का समय 16 से 31 अक्टूबर रखें
- स्कालोर्शिया रहित उच्च गुणवता के बीजों का प्रयोग करें
- 10 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज ट्राईकोडर्मा का प्रयोग उपचार के लिए करें
- 1 किलो ट्राईकोडर्मा 25 किलोग्राम प्रति एकड़ में मिला कर भूमि शोधन करें
- उचित अन्तराल एवं उचित बीज दर रखें
वानस्पतिक अवस्था
- पौधों की अनुकूल संख्या बनाये रखना
- चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार (शेनोप्दियम एल्बम) का उन्मूलन करें
- आवश्यकता अनुसार एवं विवेकता से सिंचाई करें
- पुष्पित या विकसित अवस्था
- 2% की दर से बढ़ती अवस्था में ट्राईकोडर्मा हर्ज़ियानम का प्रयोग करें
- संक्रमित तने व ठूंठ को इकठ्ठा करके जला दें
मूंगफली
मिर्जावाली, किक्रेला और नेलोखी
- इमिड़ाक्लोप्रिड 2 मिली लीटर प्रति किलोग्राम और ट्राईकोडरमा हर्ज़िअनम 10 ग्राम प्रति किलोग्राम की दर से बीज उपचारित करें
- 15 दिन पहले से ट्राईकोडरमा हर्ज़िअनम को 4 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से 40 किलोग्राम में मिलाएं, उसके बाद इसे मिटटी में डालें
- 250 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से नीम केक से मृदा संशोधन करें
- लीफ स्पोट रोग के शुरूआती लक्षण दिखाई देने पर पतियों पर मेन्कोजेब का 2 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से छिडकाव करें
वल्लभनगर
- ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई करें (अप्रैल- मई)
- 250 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर दर नीम केक से मृदा संशोधन करें
- इमिड़ाक्लोप्रिड २ मिली लीटर प्रति किलोग्राम और ट्राईकोडरमा हर्ज़िअनम 10 ग्राम प्रति किलोग्राम की दर से बीज उपचारित करें
- 15 दिन पहले से ट्राईकोडरमा हर्ज़िअनम को 5 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से 50 किलोग्राम में मिलाएं, उसके बाद इसे मिटटी में डालें
- अनुमोदित किस्म जे एल -25 बोयें
- बोने की तिथि (15 जून - 7 जुलाई )
- टी आकार के पक्षी बसेरों को स्थापित करें
- लीफ स्पोट और रस्ट से बचाव के लिए बोने के 45 से 60 दिन बाद पत्तियों पर फफूंदीनाशक का छिडकाव करें (0.04% कार्बनडेजिम + मेन्कोजेब 0.02%)
स्त्रोत: राष्ट्रीय समेकित नाशीजीव प्रबंधन अनुसंधान केंद्र, नई दिल्ली
अंतिम बार संशोधित : 2/22/2020
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