परिचय
शहरों तथा कस्बों में रंगीन मछलियों को एक्वेरियम में रखने का प्रचलन दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है। यह रखने वाले को सिर्फ मानसिक शान्ति ही नहीं देती बल्कि वास्तु दोष का भी निवारण करती है। आज झारखंड में तमाम रंगीन मछलियाँ दूसरे राज्यों से मंगाई जाती है जबकि इन्हें पालना कठिन नहीं है। खासकर महिलाएं इन्हें आंगन में भी कम पूंजी की लागत से कर सकती है। रंगीन मछलियों के पालन एवं एक्वेरियम निर्माण की तकनीकी जानकारियों से अच्छी आमदनी प्राप्त की जा सकती है।
अलंकारी मछलियों के प्रकार
- शिशु जनक – गप्पी, सॉर्ड टैल, प्लेटो, मॉली आदि।
- अंड जनक – गॉरामी, गोल्डफिश, एंजल, डॉलर फिश, पुन्टीयस आदि।
अलंकारी मछलियों का पालन
अलंकारी मछलियों के छोटे-छोटे तालाब या सीमेंट टैंक में पाला जा सकता है। इसके लिए जल का प्रवाहबद्ध पद्धति तैयार कर जल की गुणवत्ता बरकरार रखनी चाहिए। इनके लिए बाजार में सजीव एवं कृत्रिम आहार मौजूद हैं।
सहायक उपकरणों का विक्रय
रंगीन मछलियों के प्रजनन, पालन एवं निर्यात के अतिरिक्त इस व्यवसाय में एक्वेरियम की सुन्दरता को बढ़ाने तथा उनके प्रबन्धन हेतु तरह-तरह के पत्थर के टुकड़े, खिलौने, प्राकृति एवं कृत्रिम पौधे, शुष्क आहार, सजीव आहार, फिल्टर आदि की मांग काफी अधिक है। इन सामग्रियों का व्यवसाय भी शुरू कर अच्छी आय प्राप्त की जा सकती है।
एक्वेरियम निर्माण
रंगीन मछलियों का अक्सर एक्वेरियम में पालते है। शीशे का बना हुआ आयताकार टैंक काफी प्रचलित है क्योंकि यह देखने में काफी आकर्षक लगता है तथा इसमें पानी रिसने की संभावना भी कम होती है। इसको बनाने एवं प्रबन्धन की जानकारी एक सफल व्यवसायी के लिए जरूरी है।
एक्वेरियम बनाने के लिए आवश्यक सामग्री
1.शीशे का टैंक, 2. बल्ब लगा ढक्कन, 3. छोटे-छोटे रंग-बिरंगे पत्थर, 4. स्टैंड, 5. जलीय पौधे, 6. सजावटी खिलौने, 7. वायुप्रवाहक, 8. एयरस्टोन, 9. फिल्टर, 10. रंगीन मछलियाँ, 11. हैण्ड नेट, 12. कृत्रिम आहार, 13. बाल्टी एवं मग, 14. स्पंज, 15. स्वच्छ जल।
एक्वेरियम प्रबन्धन
आकर्षक लगने हेतु एक्वेरियम का प्रबन्धन बहुत ही महत्वपूर्ण है। इसके लिए कुछ बातों का ध्यान देना आवश्यक है।
- एक्वेरियम के शीशे की दीवार कुछ समय बाद धुंधली दिखाई देने लगती है इसलिए इसे मुलायम, साफ़ कपड़े से बिना खरोंच के शीशे को प्रतिदिन पोंछना चाहिए।
- मछलियों के स्वास्थ्य का परीक्षण प्रतिदिन करना चाहिए।
- एक्वेरियम में लगाए गए उपकरणों की क्रियाविधि की जांच समय-समय पर करते रहना चाहिए।
- प्रत्येक 15 दिन पर जल का 10-30 प्रतिशत भाग बदलते रहना चाहिए।
- अगर किसी कारणवश मछली बीमार हो तो तुरंत उसे अलग कर देना चाहिए।
एक्वेरियम कहां रखें?
एक्वेरियम रखने का स्थान समतल होना चाहिए। एक्वेरियम को लोहे या लकड़ी के मजबूत स्टैंड पर रखना चाहिए। सूर्य की किरणें उसपर सीधी नहीं पड़नी चाहिए, अन्यथा कई जमने की संभावना अधिक हो जाती हैं, जिससे एक्वेरियम गंदा दिखाई देने लगता है। 40 वाट के बल्ब की रोशनी का साधारण एक्वेरियम के लिए उपयुक्त होती है।
रंगीन मछलियों का आहार
मछलियों के अच्छी वृद्धि के लिए कृत्रिम आहार दिन में दो बार निश्चित समय पर 2-3 प्रतिशत शरीर के भार के अनुसार खिलाया जाना चाहिए।
रंगीन मछलियों की पोषण आवश्यकता
प्रोटीन
|
वसा
|
कार्बोहाइड्रेट
|
खनिज
|
विटामिन
|
30-45%
|
6-8%
|
40-50%
|
1%
|
1%
|
रंगीन मछलियों के आहार में कैरोटीन
रंगीन मछलियों का व्यावसायिक मूल्य उनके चमकीलें रंगों पर निर्भर करती है। कैरोटीन मछलियों की त्वचा के रंग का प्राथमिक श्रोत है। चूँकि कैरोटीन केवल पौधों द्वारा संश्लेषित किये जाते हैं इसलिए मछलियाँ इसकी आवश्यकता आहार से पूरी करती है। अत: मछलियों के व्यावसायिक संभावनाओं के देखते हुए यह आवश्यकता है कि उनके आकर्षक रंगों को बनाए रखने के लिए पर्याप्त मात्रा में कैरोटीन लगातार आहार में मिलाया जाए। निम्नलिखित तालिका द्वारा विभिन्न अवयवों में कैरोटीन की उपलब्धता दर्शायी गई है।
आहार
|
औसत कैरोटीन की मात्रा
|
अवयवप
|
(मिग्रा./किग्रा.)
|
पीला मक्का
|
17
|
घास का चूरा
|
320
|
गेंदे के फूल का चूरा
|
8800
|
प्रॉन का चूरा
|
200
|
अलंकारी मछलियों के व्यवसाय की असीम संभावनाएँ है। यह स्वरोजगार का एक अच्छा साधन बन सकता है।
स्त्रोत: कृषि विभाग, झारखंड सरकार