राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन (एनएमएसए) के अंतर्गत मृदा स्वास्थ्य(एसएचएम) योजना के एक उप-घटक परम्परागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई) का उद्देश्य स्थिरता स्थापित करने, दीर्घावधिक मृदा उर्वरता, संसाधन संरक्षण सुनिश्चत करने और कृषि रसायनों का प्रयोग किए बिना जैविक पद्धतियों के माध्यम से सुरक्षित और स्वस्थ खाद्य उपज प्रदान करने हेतु मूल्य श्रृंखला प्रणाली में परम्परागत ज्ञान और आधुनिक विज्ञान का मिश्रण करते हुए जैविक खेती में उत्कृष्टता के मॉडल का विकास करना है। पीकेवीवाई का भी उद्देश्य न केवल कृषि पद्धति प्रबंधन, आदान उत्पादन, गुणवत्ता आश्वासन में बल्कि नवाचारी साधनों के माध्यम से मूल्य संवर्धन और प्रत्यक्ष द्वारा किसानों को सशक्त करना है। पीजीएस इंडिया कार्यक्रम के अंतर्गत भागीदारी गारंटी प्रणाली पीकेवीवाई के अंतर्गत गुणवत्ता आवश्वासन हेतु प्रमुख पद्धति होगी। पीकेवीवाई के संशोधित दिशानिर्देश वेबसाइट- कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग, भारत सरकार में उपलब्ध हैं।
क) पीकेवीवाई के अंतर्गत जैविक खेती को पहाड़ी, जनजातीय और उन वर्षा सिंचित क्षेत्रों जहां रसायन उर्वरकों और कीटनाशकों प्रबंधन का उपयोग कम होता है और वह क्षेत्र बाजार लिंकेज विकसित करने हेतु अच्छी पहुंच रखते हैं, में वरीयतापूर्वक बढ़ावा दिया जाएगा।
ख) 1000 है. क्षेत्रफल तक के बड़े खण्डों में समूह पद्धति अपनाई जाएगी।
ग) चुने गए समूह संस्पर्शी खंडों में होंगे, जहां तक संभव हो, इस कुछ समीपस्त गांवों में विस्तारित किया जाए (परंतु अव्यवस्थित विभाजित गांवों में बड़े क्षेत्रों में नहीं)।
घ) ग्राम पंचायत आधारित किसान उत्पादक संगठनों की स्थापना को प्रोत्साहित किया जाएगा अथवा पहले से मौजूद एफपीओ विपणन के लिए भी समूहों के माध्यम से संस्थानिक विकास के को इस योजना के तहत बढ़ावा दिया जाएगा।
ङ) राज सहायता की सीमा जिसके लिए एक किसान पात्र है अधिकतम एक हैक्टेयर के लिए होगी। एक समूह में, कम से कम 65 प्रतिशत छोटे और सीमांत किसान होने चाहिए। महिला किसान/एसएचजी को वरीयता दी जानी चाहिए।
(क) कृषि जलवायु परिस्थितियों के लिए उपयुक्त विभिन्न फसलों/फसलन प्रणाली के लिए परम्परागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई) को बढ़ावा दें।
(ख) जैविक खेती और अधिक जैव-रसायनों, जैव-कीटनाशकों और जैव उर्वरकों का प्रयोग करें।
क्रम.स. |
घटक |
सहायता पद्धति /हे. |
तीन वर्षों के लिए हेक्टेयर कुल वित्तीय सहायता |
तीन वर्षों के लिए हेक्टेयर कुल वित्तीय सहायता |
प्रति 1000 हेक्टेयर प्रति क्लस्टर को कुल वित्तीय सहायक लाख रूपये में |
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प्रथम वर्ष |
द्वितीय वर्ष |
त्रितीय वर्ष |
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क.सेवा प्रदाताओं/राज्यों के माध्यम से कार्यक्रम कार्यन्वयन |
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1. |
क्लस्टर निर्माण तथा ज्ञानार्जन दौरा सहित क्षमता निर्माण एवं क्षेत्र कार्मिकों का प्रशिक्षण
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1000 |
500 |
500 |
2000 |
40,000 |
20.00 |
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2. |
डेटा प्रबंधन तथा अपलोडिंग सहित कार्यक्रम के कार्यान्वयन के लिए श्रमिकों की तैनाती तथा प्रबंधन लागत
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1000 |
1000 |
1000 |
3000 |
60000 |
30.00 |
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ख.स्थानीय परिषदों/क्षेत्री परिषदों के माध्यम से पीजीएस प्रमाणीकरण |
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3. |
वास्तविक सत्यापन, पृष्ठांकन तथा प्रमाणपत्र से जुड़े मामले हेतु आरसी का सेवा शुल्क
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500 |
500 |
500 |
1500 |
30000 |
30.00 |
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4. |
2 वर्ष से प्रति 2 नमूना/ समूह एनएबीएल प्रत्यापित प्रयोगशालाओं में एनसीओएफ/आरसीओएफ/ राज्य विभागों के माध्यम से अपशिष्ट विश्लेषण
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0 |
100 |
100 |
200 |
4000 |
2.00 |
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ग. डीबीटी के माध्यम से किसानों को प्रोत्साहन |
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5. |
प्रत्यक्ष रूप से किसानों के खाते में डीबीटी के रूप में प्रदान किए जाने वाले जैविक रूपांतरण, इनपुट, ऑन-फार्म इनपुट अवसंरचना हेतु किसानों को प्रोत्साहन
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12500 |
10000 |
10000 |
32500
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650000
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325.00
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क. मूल्य संवर्धन, विपणन तथा प्रचार |
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6. |
विपणन, सामान्य पैकेजिंग, ब्रांडिंग, स्पेस रेंट, परिवहन इत्यादि हेतु सहायता
|
|
500
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1000
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1500
|
30000
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15.00
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7. |
प्रत्येक मामले के आधार पर एफपीसी/एफपीओ के माध्यम से मूल्य संवर्धन अवसंरचना का सृजन
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0 |
1000
|
1000
|
2000
|
40000
|
20.00
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8.
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राष्ट्रीय व्यापार मेलों में ब्रांड निर्माण, व्यापार मेला, प्रदर्शनियों, स्थानीय प्रचार, जैविक मेला/उत्सव, स्थानीय विपणन पहल, सहभागिता
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2000
|
2000
|
2000
|
6000
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120000
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60.00
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9. |
अग्रणी किसानों से परामर्श/सेवाएं (स्थान तथा दिनांक आईएनएम विभाग डीएसीएंडएफडब्ल्यू द्वारा निर्धारित किया जाएगा)
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300 |
500
|
500
|
1300
|
26000
|
13.00 |
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कुल
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17300
|
16100 |
16600 |
50,000
|
10,00,000
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500.00
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नोट
प्रति 1000 हे. के 487.00 रुपए लाख प्रति क्लस्टर
मूल्य संवर्धन अवसंरचना निर्माण के संबंध में प्रस्तावों पर एफपीसी/एफपीओ के माध्यम से केस-टू-केस आधार पर अलग से विचार किया जाएगा।
अंतिम बार संशोधित : 2/27/2020
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