समेकित वाटरशेड प्रबंधन कार्यक्रम (आईडब्लनयूएमपी) तत्काकलीन सूखा प्रवण क्षेत्र कार्यक्रम (डीपीएपी) मरुभूमि विकास कार्यक्रम (डीपीएपी) और भूमि संसाधन विभाग के समेकित बंजरभूमि विकास कार्यक्रम (आईडब्यूा डीपी) का संशोधित कार्यक्रम है। यह संयोजन संसाधनों, स्थायी निष्कर्ष और एकीकृत योजना के अधिकतम उपयोग के लिए है। यह योजना 2009-10 के दौरान शुरू की गई थी। कार्यक्रम को वाटरशेड विकास परियोजना 2008 के सामान्य दिशा-निर्देशों के अनुसार कार्यान्वित किया जा रहा है। आईडब्यूएमपी का मुख्य उद्देश्य मृदा, वनस्पति और जल जैसे अवक्रमित प्राकृतिक संसाधनों का इस्तेमाल, संरक्षण और विकास करके पारिस्थितिकी संतुलन को बहाल करना है। इसके परिणामस्वरूप मृदा ह्रास पर रोक लगती है, प्राकृतिक वनस्पति का पुनर्सृजन होता है, वर्षाजल एकत्रीकरण होता है तथा भूजल स्तर का संभरण होता है। इससे बहु-फसलें लगाने और विविध कृषि आधारित कार्यकलाप चलाने में मदद मिलती है, जिससे वाटरशेड क्षेत्र में रह रहे लोगों को स्थायी आजीविका उपलब्ध् कराने में सहायता मिलती है।
आईडब्यूएमपी की मुख्य विशेषताएं निम्न् प्रकार हैं:
(i) राज्य स्तर पर बहु-विषयक विशेषज्ञों सहित समर्पित संस्थानों की स्थापना करना - राज्यस्तरीय नोडल एजेंसी (एसएलएनए), जिला स्तर-वाटरशेड प्रकोष्ठस-सह-डॉटा सेंटर (डब्ल-यूसीडीसी), परियोजना स्तर - परियोजना कार्यान्वयन एजेंस (पीआईए) और ग्राम स्तर - वाटरशेड समिति (डब्यूंरीसी)।
(ii) परियोजनाओं का चयन और तैयार करने में सामूहिक दृष्टिजकोण: परियोजना का औसत आकार-लगभग 5,000 हेक्टेयर।
(iii) मैदानी क्षेत्रों में लागत मानदण्डों को 6,000 रुपए प्रति हेक्टेयर से बढ़ाकर 12,000 रुपए/हेक्टेयर किया गया है; दुर्गम/पहाड़ी क्षेत्रों में यह 15,000 रुपए/हेक्टेयर है।
(iv) केन्द्र् और राज्यों के बीच 90:10 अनुपात में एक - समान वित्त़-पोषण पद्धति।
(v) पांच स्था्पनाओं की बजाय तीन स्थापनाओं (20%, 50% और 30%) में केन्द्रीय सहायता की रिलीज।
(vi) परियोजना अवधि में लचीलापन अर्थात् 4 से 7 वर्ष।
(vii) सूचना प्रौद्योगिकी, दूरसंवेदी तकनीकों, योजना, और निगरानी एवं मूल्यांकन के लिए जीआईएस सुविधाओं का प्रयोग करके परियोजनाओं के शुरू में की वैज्ञानिक योजना बनाना।
(viii) डीपीआर तैयार करने के लिए परियोजना निधियों का निर्धारण करना (1%)।
(ix) वाटरशेड परियोजनाओं के अंतर्गत परियोजना निधियों के निर्धारण सहित नए आजीविका घटक को लागू करना अर्थात् बिना परिसंपत्ति वाले लोगों की आजीविका के लिए परियोजना निधि का 9% तथा उत्पाकद प्रणाली और सूक्ष्मि उद्यमों के लिए 10% निर्धारित करना।
(x) राज्यों को परियोजनाओं की संस्वीकृत शक्तियों का प्रत्यायोजन करना।
स्त्रोत-भूमि संसाधन विभाग,भारत सरकार
अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020
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