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सात सूत्री कार्यनीति योजना

सात सूत्री कार्यनीति योजना

परिचय

वर्ष 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करना, इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए सात सूत्री कार्यनीति का समर्थन किया गया है।

सात सूत्री कार्यनीति

  1. प्रति बूँद अधिक फसल प्राप्त करने के उद्देश्य से पर्याप्त बजट के साथ सिंचाई पर विशेष और देना।
  2. प्रत्येक खेत की मिट्टी के स्वास्थ्य पर आधारित गुणवत्तायुक्त बीजों एवं पोषक तत्वों का प्रावधान करना।
  3. फसल पश्चात् हानियों को रोकने के लिए भंडारगारों एवं कोल्ड चेन के निर्माण में अत्यधिक निवेश करना।
  4. खाद्य प्रसंस्करण के जरिये मूल्यवर्धन को बढ़ावा देना।
  5. राष्ट्रीय कृषि मंडी का सृजन विसंगतियों का निराकरण और 585 मंडियों में ई – प्लेटफार्म की स्थापना।
  6. उचित कीमत पर जोखिमों को कम करने के लिए नई फसल बीमा स्कीम को शुरू करना।
  7. कुक्कूट पालन, मधुमक्खी पालन और मत्स्य पालन जैसे सहायक क्रियाकालापों को बढ़ावा देना।
  8. किसानों के लिए ज्यादा लाभार्थी तारतम्य बैठने के लिए सरकार की विभिन्न स्कीमें उत्पादकता लाभ के  माध्यम से उच्च उत्पादन के लिए –

  • राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (एनएफएसएम) – मोटे अनाज, दलहन, तिलहन, पोषक तत्वों से युक्त मोटे अनाज, वाणिज्यक फसलें।
  • बागवानी समेकित विकास मिशन (एमआईडीएच) - बागवानी फसलों की उच्च वृद्धि दर।
  • तिलहन और ऑइलपाम के लिए राष्ट्रीय मिशन (एनएमओओपी)- तिलहन और ऑइलपाम के उत्पादन में वृद्धि के लिए एनएम ओओपी  (वर्ष 2014-15 में शुरू किया गया।
  • राष्ट्रीय गोकुल मिशन – स्वदेशी पशु और भैसों के जीन पूल के विकास और बढ़ी हुई उत्पादकता संरक्षण के लिए राष्ट्रीय गोकूल मिशन (दिसंबर 2014 में शुरू किया गया)।
  • निली क्रांति – समेकित इन लैंड तथा समुद्री मत्स्य पालन संसाधनों का उत्पादन एवं उत्पादकता बढ़ाने के लिए माननीय प्रधानमंत्री जी ने दिसंबर 2015 में मत्स्य पालन विकास के लिए नीली क्रांति स्कीम के घोषणा की।

    खेती के लागत में कमी के लिए

  1. मृदा स्वास्थय कार्ड (एसएचसी) (2 साल चक्र) – उर्वरक का समझदारी से और अधिकतम उपयोग सुनिश्चित करना।
  2. नीम कोटेड यूरिया के प्रयोग को नियमित करने, फसल में नाइट्रोजन की उपलब्धता बढ़ाने तथा अनावश्यक उर्वरक अनुप्रयोग की लागत कम करने के लिए इसे बढ़ावा दिया जा रहा है।
  3. प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएस वाई) – सिंचाई आपूर्ति श्रृंखला में स्थायी समाधान मुहैया करने के लिए जिसमें जल स्रोत वितरण नेटवर्क और खेत स्तर पर अनुप्रयोग शामिल हैं, हर खेत को पानी आदर्श वाक्य के साथ सूक्ष्म सिंचाई घटक (1.2 मिलियन हेक्टेयर/वार्षिक लक्ष्य रखा है)।
  4. परम्परागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई) जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए एवं इससे मृदा स्वास्थ्य तथा जैविक अंश बेहतर होंगे। इससे किसान की कुल आमदनी बढ़ेगी तथा बेहतर मूल्य मिलेगा।

    लाभकारी प्रतिफल सुनिश्चित करने के लिए

  • राष्ट्रीय कृषि मंडी योजना स्कीम (ई – नाम) किसानों को अपने उत्पादन का बेहतर लाभ दिलाने के लिए वास्तविक, समय के अनुसार बेहतर मूल्य डिस्कवरी, पारदर्शिता लाकर और प्रतियोगता का स्तर सुनिश्चित करने कृषि बाजार में क्रांति लाने के लिए यह स्कीम एक नवीन मार्किट प्रक्रिया है। इससे एक राष्ट्र एक बाजार की ओर बढ़ेंगे।
  • एक नया मॉडल – कृषि उत्पाद एवं पशुधन मार्कटिंग (उन्नयन एवं सरलीकरण) अधिनियम, 2017 को 24 अप्रैल, 2017 में जारी किया गया है। इसमें निजी मार्केटिंग स्थापित करने, सीधी मार्केटिंग, किसान उपभोक्ता मार्किट विशेष वस्तु मार्किट, बेअरहाउस कोल्ड स्टोरेज या ऐसी किसी इमारत को मार्किट सब योर्ड्स के तौर पर घोषित करने संबंधी प्रावधानों को शामिल करके इस राज्यों एवं संघ शासित क्षेत्रों द्वारा स्वीकार किया जाना है।
  • वेयरहाउसिंग की व्यवस्था तथा फसल के बाद कम ब्याज कराना ताकि किसान को मुसीबत में अपना उत्पादन ने बेचना पड़े तथा नेगोशिएबल रिसीट के लिए अपने उत्पादन को वेयरहाउस में रखने के लिए किसानों को प्रोत्साहित करना।
  • न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) कुछ फसलों के लिए अधिसूचित किया गया है।
  • संबंधित राज्य सरकार के अनुरोध पर मूल्य समर्थन स्कीम, (पीएसएस) के तहत तिलहन, दालों तथा कपास की खरीद केन्द्रीय एजेंसियों द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य पर की जाती है।
  • मार्किट इन्टरवेंसन स्कीम (एमआईएस) उन कृषि एवं बागवानी उत्पादों की खरीद के लिए है जो नाशीवत प्राकृति के है और जिन्हें पीएसएस के तहत कवर नहीं किया गया है।

    जोखिम प्रबंधन एवं सतत प्रक्रियाएं

  • प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) एवं पूर्ण संरचित मौसम आधारित फसल बीमा स्कीम (आर डब्ल्यू सी आई एस) फसल चक्र के सभी चरणों में बीमा कवर उपलब्ध कराता है। इसमें कुछ निर्धारित मामलों में फसल आने के बाद के जोखिम भी शामिल है और ये बहुत कम प्रिमियम दर पर किसानों को उपलब्ध हैं।
  • पूर्वोत्तर में मिशन आर्गेनिक खेती (एमओवीसीडी – एनई) देश के पूर्वोत्तर क्षेत्र में जैविक खेती की क्षमता को देखते हुए यह मिशन शुरू किया गया है।

    संबंद्ध क्रियाकलाप

  • फसल के साथ, खेती की जमीन पर वृक्षारोपण को प्रोत्साहित करने के लिए हर मेढ़ पर पेड़ स्कीम वर्ष 2016-17 में शुरू की गई। यह स्कीम उन राज्यों में लागू की जा रही है जिन्होंने इमारती लकड़ी ले जाने के लिए परिवहन नियमों को अधिसूचित कर दिया है।
  • राष्ट्रीय बांस मिशन कृषि आय के अनुपूरक के रूप में इस क्षेत्र के मूल्य श्रृंखला आधारित समग्र विकास के लिए केन्द्रीय बजट 2018 – 19 में राष्ट्रीय बांस मिशन की घोषण की गई है।
  • मधुमक्खी पालन किसानों की आय एवं फसलों की उत्पादकता और शहद का उत्पादन बढ़ाने के लिए इसकी शुरूआत की गई।
  • डेयरी डेयरी विकास के लिए 3 महत्वपूर्ण स्कीमें हैं – राष्ट्रीय डेयरी योजना – (एन डीपी - 1), राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम (एनपीडीपी) और डेयरी उद्यमिता विकास स्कीम।
  • मात्सियकी – मात्सियकी क्षेत्र में अपार संभावना को देखते हुए जमीन और समुद्रीय दोनों जगहों पर मछली उत्पादन पर विशेष जो देने वाली बहुआयामी गतिविधियों के साथ नीलीक्रांति कार्यान्वित की जा रही है।

    कृषि क्षेत्र में निवेश के लिए

  • राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई)- राष्ट्रीय कृषि विकास योजना कृषि एवं संबद्ध क्षेत्र के पुनरूद्धार अर्थात (आरकेवीवाई- रफ़्तार) के रूप में तीन वर्षों तक जारी रखने के इए अनुमोदित किया गया है जिसका उद्देश्य कृषि व्यवसाय को कृषि एवं संबद्ध क्षेत्र के समग्र विकास के साथ – साथ बहुआयामी दृष्टिकोण के माध्यम से लाभकारी आर्थिक गतिविधि के रूप में बनाना है। नये दिशा – निर्देश कृषि उद्यम और इंक्यूबेशन सुविधाओं को बढ़ावा देने के अलावा उत्पादन व उत्पादनोंपरांत आधारभूत सुविधा के निर्माण के लिए अधिक आवंटन उपलब्ध कराते है।

    ऑपरेशन ग्रीन

  • टमाटर प्याज और आलू ऐसी बुनियादी सब्जियां है जिन्हें पूर्व वर्ष के दौरान इस्तेमाल किया जाता है। तथापि जल्द खराब होने वाली मौसमी  और क्षेत्रीय जिन्सों से किसानों और उपभोक्ताओं के इस प्रकार जोखिम का सामना करना पड़ता है जिससे दोनों ही वर्ग प्रभावित होते हैं। इस दिशा में सरकार ने ऑपरेशन ग्रीन से किसान उत्पादक संगठन. कृषि साभार तंत्र, प्रसंस्करण सुविधाओं और व्यवसायिक प्रबंधन से जुड़े कार्यों का संवर्धन होगा।

    प्रधानमंत्री  किसान संपदा योजना

  • भारत सरकार ने 14 वें वित्त आयोग के सिफारिशों के अनुरूप 3 मई 2017 को 2016-20 की अवधि के लिए एक नई केन्द्रीय क्षेत्रक स्कीम – प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना (कृषि – समुद्रीय प्रसंस्करण एवं कृषि प्रसंस्करण समूह विकास समूह स्कीम) को मंजूरी दी है। इस स्कीम का कार्यान्वयन खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय द्वारा किया जा रहा है।
  • प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना एक व्यापक पैकेज है जिसके तहत खेत से लेकर खुदरा दूकानों तक निर्बोध आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन के साथ आधुनिक अवसंरचना सृजित होगी।

प्रधानमंत्री किसान सम्पदा योजना के तहत निम्नलिखित स्कीमें कार्यान्वित की जा रही है:-

  • मेगा फ़ूड पार्क।
  • समेकित शीत श्रृंखला और मूल्यवर्धन अवसंरचना।
  • खाद्य प्रसंस्करण का सृजन/निर्माण एवं क्षमताओं का संरक्षण।
  • कृषि प्रसंस्करण समूह अवसंरचना।
  • पश्चवर्ती एवं अग्रवर्ती संबंधों की स्थापना।
  • खाद्य सुरक्षा और गुणवत्ता आश्वासन अवसंरचना।
  • मानव संसाधन एवं संस्थाओं का विकास।

    कृषि में पूंजीगत निवेश

कृषि और संबद्ध क्षेत्रों को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न कोष निधि –

क. एग्री मार्केट इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड के द्वारा ग्रामीण कृषि बाजारों के विकास करना प्रस्तावित है।

ख. देश में सूक्ष्म सिंचाई को बढ़ावा देने के लिए माइक्रो सिंचाई फंड।

ग. मरीन मत्यसिकी एवं मत्स्य पालन क्षेत्र में अवसंरचना सुविधाओं के विकास के लिए राज्य सरकार, सहकारी समितियों, व्यक्तिगत उद्यमियों को रियायती वित्त प्रदान करने के लिए मत्स्य पालन और एक्वाकल्चर इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड (एफआईडीएफ) का निर्माण किया गया है।

घ. डेयरी प्रसंस्करण और इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड (डीआईडी) एक कुशल दूध खरीद प्रणाली के निर्माण के लिए ग्रामीण स्तर पर प्रसंस्करण और शीतल बुनियादी ढांचे की स्थापना।

ङ. समेकित भेड़, बकरी, सुअर और कुक्कूट के एकीकृत विकास, मुर्गी पालन के आधुनिकीकरण और बकरी, भेड़ और सुअर के लिए जिला स्तर पर सीमेन केन्द्रों की स्थापना एवं सुदृढ़कारण।

स्त्रोत: कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग, भारत सरकार

अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020



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