स्वेच्छा से सूचना देना (पहल करना) का आशय किसी व्यक्ति अथवा संस्था से संबंधित सूचना बिना किसी के मांगे प्रदान करना है।
सभी सार्वजनिक प्राधिकरणों (जिनमें ग्राम पंचायतें शामिल हैं) से सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम, 2005 की धारा 41(ख) के अनुसार स्वेच्छा से सूचना देने (पहल करने) की अपेक्षा की गई है। सूचना का अधिकार अधिनियम नागरिकों को ग्राम पंचायत के जन सूचना अधिकारी (पीआईओ) से जानकारी मांगने का अधिकार देता है, जिसे 30 दिन के भीतर आवेदक को जानकारी देनी होती है। सूचना विभिन्न दस्तावेजों की प्रतियों, दस्तावेजों, कार्यों और रिकार्डों के निरीक्षण,अथवा कार्यों में प्रयुक्त सामग्री के प्रमाणित नमूने के रूप में हो सकती है। ग्राम पंचायत सचिव ग्राम पंचायत का जन सूचना अधिकारी (पीआईओ) होता है। सूचना देने में जानबूझकर और अनुचित रूप से मनाही करने पर आरटीआई के अंतर्गत दंड लगाया जा सकता है। पीआईओ पर निम्नलिखित कारणों से 250 रु. प्रतिदिन के हिसाब से अधिकतम 25,000 रु. तक का जुर्माना लगाया जा सकता है:
ग्राम पंचायत एक सार्वजनिक संस्था है और इसे पारदर्शी, जवाबदेह एवं उत्तरदायी रूप से कार्य करना होता है। इसका आशय यह है कि ग्राम पंचायतों के कार्यकरण संबंधी महत्त्वपूर्ण सूचना ग्रामवासियों को दी जानी चाहिए। ग्राम पंचायत अध्यक्ष, सचिव और अन्य पदाधिकारियों को ग्रामवासियों की मांगों को पूरा करना चाहिए और उनके प्रश्नों का उत्तर देना चाहिए। उन्हें अपनी कार्रवाइयों,अथवा कार्रवाई न करने के कारणों को गांव वालों को व्यक्तिगत रूप से और ग्राम सभा के माध्यम से भी बताना चाहिए।
उदाहरण के लिए, जब ग्राम पंचायत क्षेत्र में कोई सड़क बन रही हो, तो लोग ठेकेदार, स्वीकृत बजट, सड़क की लंबाई और सड़क के स्थान, कार्य के पूरा होने की समय सीमा और निधियों के स्रोत जैसी जानकारी मांग सकते हैं। यदि यह जानकारी सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं हो, तो नागरिक अपने स्वयं के अनुमान लगा सकते हैं और निर्णय कर सकते हैं, जिससे ग्राम पंचायत की मंशा के बारे में गलत छवि बन सकती है। अत: गांव वालों और ग्राम पंचायत दोनों के लिए यह फायदे की बात है कि सभी प्रकार की जानकारी को सार्वजनिक किया जाए। इसके अलावा, जब ग्राम पंचायत जानकारी को खुले तरीके से और बारबार देती है तो ग्रामवासी ग्राम पंचायत के साथ सहयोग करते हैं और सहायता प्रदान करते हैं। यदि सभी प्रकार की जानकारी स्वैच्छिक रूप से प्रकट की जाती है और उपलब्ध कराई जाती है तो इस बात की संभावना कम हो जाती है कि लोग सूचना के अधिकार (आर.टी.आई.) अधिनियम के तहत जानकारी प्राप्त करने के लिए अलग से आवेदन प्रस्तुत करें।
कौन-सी सूचनाएं स्वेच्छा से देनी हैं?
सूचना का अधिकार अधिनियम में पहल करने के लिए कुल 17 (सत्रह) क्षेत्रों की पहचान की गई है। सलाह दी जाती है कि यह सारी जानकारी ग्राम पंचायत के सूचना पट्ट, वेबसाइट और दीवार पर प्रदर्शित की जाए। इसके अतिरिक्त, यह जानकारी एक अलग फाइल में भी रखी जा सकती है जो ग्रामवासियों को सहज सुलभ हो।
इन 17 बिंदुओं के साथसाथ, ग्राम पंचायतें विशेष रूप से निम्नलिखित सूचनाओं को दर्शाने पर ध्यान दे सकती हैं:
ग्राम सभा जानकारी देने में पहल करने का महत्त्वपूर्ण मंच है। ग्राम सभा में दी गई जानकारी आसान भाषा में और ऐसे रूप में दी जानी चाहिए कि ग्रामवासी उसे आसानी से समझ सकें और अर्थ लगा सकें।
ग्राम पंचायत की वेबसाइट का उपयोग सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत पहल करने के लिए तथा ग्रामीणों के लिए अन्य महत्त्वपूर्ण सूचना प्रदान करने के लिए किया जा सकता है। एरिया प्रोफाइलर और नेशनल पंचायत पोर्टल का उपयोग इस प्रयोजन के लिए किया जा सकता है। एरिया प्रोफाइलर में, ग्राम पंचायत, ग्राम पंचायत का संक्षिप्त ब्यौरा, पर्यटकों की रूचि के स्थानों, परिवार रजिस्टर (बही), निर्वाचित प्रतिनिधियों का ब्यौरा, कर्मचारियों का ब्यौरा, स्थायी समितियों का ब्यौरा आदि प्रकाशित किया जा सकता है। नेशनल पंचायत पोर्टल में ग्राम पंचायत के पृष्ठ पर विभिन्न रिपोर्टें प्रकाशित की जा सकती हैं।
ग्राम पंचायत को स्वैच्छिक रूप से 17 बिंदुओं के अंतर्गत समस्त आवश्यक जानकारी वेबसाइट पर स्थानीय भाषा में देनी चाहिए। सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के लिए आवश्यरक फार्म, निविदा सूचनाओं, ग्राम सभा नोटिसों, देय करों के साथ कर निर्धारितियों (जिन्हें कर देना है) की सूची आदि भी ग्राम पंचायत के निवासियों के लिए रखी जानी चाहिए। अपनी स्वयं की वेबसाइट के अलावा, ग्राम पंचायत को महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून (मनरेगा) के लिए नरेगासॉफ्ट जैसी योजना विशिष्ट वेबसाइटों के माध्यम से भी विभिन्न प्रबंध सूचना प्रणालियों (एम आई एस) में सूचना अपलोड करनी चाहिए।
सूचना का अधिकार अधिनियम का प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए, ग्राम पंचायत अध्यक्ष और सचिव को निम्नलिखित कार्रवाई करना है:
जांच सूची
वे मुद्दे जिन पर किसी सार्वजनिक संस्था को सूचना का अधिकार अधिनियम (धारा 4-1 ख) के अंतर्गत स्वेच्छा से सूचना देना है
अन्य यथानिर्धारित सूचना।
स्त्रोत : उन्नति ऑर्गनज़ैशन फॉर डिवेलप्मन्ट ऐजुकेशन,अहमदाबाद,गुजरात
अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020
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