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आर.टी.आई.अधिनियम के तहत स्वेच्छा से सूचना देना (पहल करना)

आर.टी.आई.अधिनियम के तहत स्वेच्छा से सूचना देना (पहल करना)

स्वेच्छा से सूचना देना (पहल करना) क्या है?

स्वेच्छा से सूचना देना (पहल करना) का आशय किसी व्यक्ति अथवा संस्था से संबंधित सूचना बिना किसी के मांगे प्रदान करना है।

सूचना का अधिकार अधिनियम व सूचना देना

सभी सार्वजनिक प्राधिकरणों (जिनमें ग्राम पंचायतें शामिल हैं) से सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम, 2005 की धारा 41(ख) के अनुसार स्वेच्छा से सूचना देने (पहल करने) की अपेक्षा की गई है। सूचना का अधिकार अधिनियम नागरिकों को ग्राम पंचायत के जन सूचना अधिकारी (पीआईओ) से जानकारी मांगने का अधिकार देता है, जिसे 30 दिन के भीतर आवेदक को जानकारी देनी होती है। सूचना विभिन्न दस्तावेजों की प्रतियों, दस्तावेजों, कार्यों और रिकार्डों के निरीक्षण,अथवा कार्यों में प्रयुक्त सामग्री के प्रमाणित नमूने के रूप में हो सकती है। ग्राम पंचायत सचिव ग्राम पंचायत का जन सूचना अधिकारी (पीआईओ) होता है। सूचना देने में जानबूझकर और अनुचित रूप से मनाही करने पर आरटीआई के अंतर्गत दंड लगाया जा सकता है। पीआईओ पर निम्नलिखित कारणों से 250 रु. प्रतिदिन के हिसाब से अधिकतम 25,000 रु. तक का जुर्माना लगाया जा सकता है:

  1. बिना तर्कसंगत कारण के आवेदन स्वीकार करने से मना करने पर।
  2. बिना तर्कसंगत कारण के विनिर्दिष्ट समय में सूचना न देने पर।
  3. बिना तर्कसंगत कारण के अथवा गलत तरीके से सूचना बताने से मना करने पर।
  4. जानबूझकर अपूर्ण, गलत, भ्रामक सूचना देने पर।
  5. जो सूचना मांगी गई है उससे संबंधित रिकॉर्ड को नष्ट करने पर।
  6. सूचना देने के कार्य को किसी भी तरह से बाधित करने पर।
  7. स्वेच्छा से सूचना देने (पहल करने) के लाभ

ग्राम पंचायत एवं स्वेच्छा से सूचना देना

ग्राम पंचायत एक सार्वजनिक संस्था है और इसे पारदर्शी, जवाबदेह एवं उत्तरदायी रूप से कार्य करना होता है। इसका आशय यह है कि ग्राम पंचायतों के कार्यकरण संबंधी महत्त्वपूर्ण सूचना ग्रामवासियों को दी जानी चाहिए। ग्राम पंचायत अध्यक्ष, सचिव और अन्य पदाधिकारियों को ग्रामवासियों की मांगों को पूरा करना चाहिए और उनके प्रश्नों का उत्तर देना चाहिए। उन्हें अपनी कार्रवाइयों,अथवा कार्रवाई न करने के कारणों को गांव वालों को व्यक्तिगत रूप से और ग्राम सभा के माध्यम से भी बताना चाहिए।

उदाहरण के लिए, जब ग्राम पंचायत क्षेत्र में कोई सड़क बन रही हो, तो लोग ठेकेदार, स्वीकृत बजट, सड़क की लंबाई और सड़क के स्थान, कार्य के पूरा होने की समय सीमा और निधियों के स्रोत जैसी जानकारी मांग सकते हैं। यदि यह जानकारी सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं हो, तो नागरिक अपने स्वयं के अनुमान लगा सकते हैं और निर्णय कर सकते हैं, जिससे ग्राम पंचायत की मंशा के बारे में गलत छवि बन सकती है। अत: गांव वालों और ग्राम पंचायत दोनों के लिए यह फायदे की बात है कि सभी प्रकार की जानकारी को सार्वजनिक किया जाए। इसके अलावा, जब ग्राम पंचायत जानकारी को खुले तरीके से और बारबार देती है तो ग्रामवासी ग्राम पंचायत के साथ सहयोग करते हैं और सहायता प्रदान करते हैं। यदि सभी प्रकार की जानकारी स्वैच्छिक रूप से प्रकट की जाती है और उपलब्ध कराई जाती है तो इस बात की संभावना कम हो जाती है कि लोग सूचना के अधिकार (आर.टी.आई.) अधिनियम के तहत जानकारी प्राप्त करने के लिए अलग से आवेदन प्रस्तुत करें।

स्वेच्छा से दी जाने वाली सूचनाओं का दायरा

कौन-सी सूचनाएं स्वेच्छा से देनी हैं?

सूचना का अधिकार अधिनियम में पहल करने के लिए कुल 17 (सत्रह) क्षेत्रों की पहचान की गई है। सलाह दी जाती है कि यह सारी जानकारी ग्राम पंचायत के सूचना पट्ट, वेबसाइट और दीवार पर प्रदर्शित की जाए। इसके अतिरिक्त, यह जानकारी एक अलग फाइल में भी रखी जा सकती है जो ग्रामवासियों को सहज सुलभ हो।

इन 17 बिंदुओं के साथसाथ, ग्राम पंचायतें विशेष रूप से निम्नलिखित सूचनाओं को दर्शाने पर ध्यान दे सकती हैं:

  • पीआईओ (अधिकांश मामलों में यह ग्राम पंचायत सचिव होता है) और अपीलीय प्राधिकारी का नाम और पदनाम। (बिंदु 16)
  • स्थाई समिति के सदस्यों और एसएमसी, वीएचएसएनसी आदि जैसे सार्वजनिक कार्यक्रमों के तहत गठित सामुदायिक संस्थाओं के सदस्यों के नामों को दर्शाना। (बिंदु 8)
  • योजना लाभार्थियों की सूची जिसमें लाभार्थी का नाम, पिता का नाम और पिछले पांच वर्ष में वितरित राशि को दर्शाया गया हो। (बिंदु 12)
  • करने जा रहे मुख्य कार्यों की सूची जिसमें कार्य का नाम, कार्य का स्थान, निर्माण की अवधि, खर्च की गई राशि और किसी ठेकेदार का नाम आदि दर्शाया गया हो।
  • पंचायत स्वैच्छिक रूप से सूचना प्रदर्शित करने के लिए स्कूल, आंगनवाड़ी, स्वास्थ्य केन्द्र आदि को भी प्रेरित कर सकती है। उदाहरण के लिए, स्वास्थ्य केन्द्र नि:शुल्क जरूरी दवाओं के स्टॉक,एचएसएनसी को आवंटित धनराशि के उपयोग को प्रदर्शित कर सकता है। स्कूल नामांकित छात्रों की संख्या, एसएमसी की बैठक के कार्यवृत्त और आवंटित अनुदान के उपयोग को प्रदर्शित कर सकता है। इसी प्रकार, अन्य संस्था संबंधित जानकारी प्रदर्शित कर सकती हैं।

ग्राम सभा में स्वेच्छा से सूचना देना (पहल करना)

ग्राम सभा  जानकारी देने में पहल करने का महत्त्वपूर्ण मंच है। ग्राम सभा में दी गई जानकारी आसान भाषा में और ऐसे रूप में दी जानी चाहिए कि ग्रामवासी उसे आसानी से समझ सकें और अर्थ लगा सकें।

ग्राम पंचायत की वेबसाइट द्वारा स्वेच्छा से सूचना देना (पहल करना)

ग्राम पंचायत की वेबसाइट का उपयोग सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत पहल करने के लिए तथा ग्रामीणों के लिए अन्य महत्त्वपूर्ण सूचना प्रदान करने के लिए किया जा सकता है। एरिया प्रोफाइलर और नेशनल पंचायत पोर्टल का उपयोग इस प्रयोजन के लिए किया जा सकता है। एरिया प्रोफाइलर में, ग्राम पंचायत, ग्राम पंचायत का संक्षिप्त ब्यौरा, पर्यटकों की रूचि के स्थानों, परिवार रजिस्टर (बही), निर्वाचित प्रतिनिधियों का ब्यौरा, कर्मचारियों का ब्यौरा, स्थायी समितियों का ब्यौरा आदि प्रकाशित किया जा सकता है। नेशनल पंचायत पोर्टल में ग्राम पंचायत के पृष्ठ पर विभिन्न रिपोर्टें प्रकाशित की जा सकती हैं।

ग्राम पंचायत को स्वैच्छिक रूप से 17 बिंदुओं के अंतर्गत समस्त आवश्यक जानकारी वेबसाइट पर स्थानीय भाषा में देनी चाहिए। सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के लिए आवश्यरक फार्म, निविदा सूचनाओं, ग्राम सभा नोटिसों, देय करों के साथ कर निर्धारितियों (जिन्हें कर देना है) की सूची आदि भी ग्राम पंचायत के निवासियों के लिए रखी जानी चाहिए। अपनी स्वयं की वेबसाइट के अलावा, ग्राम पंचायत को महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून (मनरेगा) के लिए नरेगासॉफ्ट जैसी योजना विशिष्ट वेबसाइटों के माध्यम से भी विभिन्न प्रबंध सूचना प्रणालियों (एम आई एस) में सूचना अपलोड करनी चाहिए।

सूचना का अधिकार अधिनियम का प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करना

सूचना का अधिकार अधिनियम का प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए, ग्राम पंचायत अध्यक्ष और सचिव को निम्नलिखित कार्रवाई करना है:

  • स्वेच्छा से अधिक सूचनाओं को स्वेच्छा से देना।
  • सूचना का अधिकार (आर टी आई) के तहत आवेदन को प्रोत्साहित करना और विरोध प्रदर्शित न करना।
  • सूचना का अधिकार (आर टी आई) के तहत आवेदनों का एक रजिस्टर बनाना जिसमें आवेदन की तारीख, आवेदक का नाम, आवेदन का विषय, आवेदन की स्थिति (निपटान किया गया, संबंधित विभाग को अग्रेषित किया गया), लंबित आवेदन और लंबित आवेदनों पर कार्रवाई शामिल है।
  • ग्राम पंचायत में लंबित आरटीआई आवेदनों की स्थिति की पाक्षिक आधार पर समीक्षा करना।

जांच सूची

  • क्या हम सूचना का अधिकार अधिनियम के मुख्य प्रावधानों के बारे में जानते हैं?
  • क्या ग्राम पंचायत ने ग्राम सभा, सूचना पट्ट और अपनी स्वयं की वेबसाइट पर सूचना का अधिकार अधिनियम के अनुसार पहल कर दी है?
  • क्या सूचना का अधिकार के तहत आवेदनों पर समय पर कार्रवाई की जाती है?

सार्वजनिक संस्था के स्वेच्छा से सूचना दिये जाने वाले मुद्दे

वे मुद्दे जिन पर किसी सार्वजनिक संस्था को सूचना का अधिकार अधिनियम (धारा 4-1 ख) के अंतर्गत स्वेच्छा से सूचना देना है

  1. इसके संगठन, कार्यों और कर्तव्यों का विवरण।
  2. इसके अधिकारियों पर कर्मचारियों के अधिकार और कर्तव्य।
  3. निर्णय प्रक्रिया में अपनाई जाने वाली प्रक्रिया जिसमें पर्यवेक्षण तथा जवाबदेही के चैनल शामिल हैं।
  4. अपने कार्यों को करने के लिए इसके द्वारा तय किए गये मानदंड।
  5. अपने कार्यों को करने के लिए इसके द्वारा अथवा इसके कर्मचारियों द्वारा रखे गए अथवा प्रयोग में लाए गए नियम, विनिमय, निर्देश, मैनुअल और रिकॉर्ड।
  6. इसके नियंत्रण में रखे गए दस्तावेजों की श्रेणियों का विवरण।
  7. इसकी नीतियों के निर्माण अथवा उनके कार्यवान्यन के संबंध में जनता के सदस्यों के परामर्श से, अथवा उनके प्रतिनिधित्व से बनाई गई किसी व्यवस्था का ब्यौरा।
  8. इसके भाग के रूप में अथवा इसे सलाह देने के प्रयोजन से दो अथवा अधिक सदस्यों के साथ गठित बोर्डों, परिषदों, समितियों और अन्य निकायों का विवरण, और क्या उन बोर्डों, परिषदों, समितियों और अन्य निकायों की बैठकों में आम लोग जा सकते हैं या उन बैठकों का कार्यवृत्त लोगों को उपलब्ध कराया जाता है।
  9. इसके अधिकारियों और कर्मचारियों की सूची।
  10. इसके प्रत्येक अधिकारी और कर्मचारी द्वारा प्राप्त मासिक पारिश्रमिक, इत्यादि।
  11. प्रत्येक एजेंसी को आवंटित बजट, जिसमें सभी योजनाओं, प्रस्तावित व्यय और वितरण संबंधी रिपोर्ट का ब्यौरा दर्शाया गया हो।
  12. सहायता (सब्सिडी) कार्यक्रमों को कार्यान्वयन करने का तरीका, जिसमें ऐसे कार्यक्रमों के लिए आवंटित राशि और लाभार्थियों का ब्यौरा शामिल हो।
  13. इसके द्वारा प्रदत्त रियायतें, परमिट अथवा प्राधिकारों को प्राप्त करने वालों का ब्यौरा।
  14. इसके पास उपलब्ध इलैक्ट्रॉनिक स्वरूप में रखी गई सूचना का ब्यौरा।
  15. सूचना प्राप्त करने के लिए नागरिकों के पास उपलब्ध सुविधाओं का ब्यौरा, जिनमें सार्वजनिक उपयोग हेतु पुस्तकालय अथवा वाचनालय के कार्य घंटों का ब्यौरा शामिल हो।
  16. जन सूचना अधिकारियों के नाम, पदनाम और अन्य विवरण।

अन्य यथानिर्धारित सूचना।

स्त्रोत : उन्नति ऑर्गनज़ैशन फॉर डिवेलप्मन्ट ऐजुकेशन,अहमदाबाद,गुजरात

अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020



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