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सूचना अधिकार कानून का प्रभावी कार्यान्वयन

क्या आप जानते है

  • आपके गाँव/कस्बा/क्षेत्र में राशन की दुकान में राशन क्यों नहीं है?
  • आपकी स्थानीय पंचायत/नगरपालिका हमेशा ही कहती है कि उनके पास बजट नही हैं|
  • स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र/औषधालय में कोई डॉक्टर अथवा स्वास्थ्य कार्यकर्त्ता क्यों नहीं है?
  • स्वास्थ्य केंद्र/औषधालय में मरीजों के लिए दवा क्यों नहीं है?
  • सरकारी स्कूलों के अध्यापक समय पर आते-जाते नहीं हैं व कक्षाओं में क्यों नहीं पढाते?
  • आपके कस्बे, शहर की गलियों में सफाई की व्यवस्था क्यों नहीं है?
  • आपके क्षेत्र की सडकों की हालत ख़राब क्यों है?
  • देश के विभिन्न भागों में भुखमरी से मौतें क्यों हो रही है?
  • जब हमारे हितों के लिए इतने पैसे खर्च किये जा रहे हैं, तो भी अधिकतर लोग गरीबी में क्यों जी रहे हैं?

हम यह अनुभव करते हैं कि हमारा देश रहने के लिए अच्छी जगह बन सकता है, यदि हमारे नेता व प्रशासनिक अधिकारी अच्छे हो| हलाकि असली परिवर्तन तभी आ सकता है, जब इस  देश के लोग सरकार नौकरों क जवाबदेही  तय करें| जिससे वे इस देश के गरीब नागरिकों के प्रति उत्तरदायी हों और जब ऐसा  होगा,

हम सरकार की जवाबदेही कैसे सुनिश्चित करें

हम सरकार की जवाबदेही की शुरुआतही नहीं कर सकते, जब तक हमारे पास सरकार के निर्णयों व कार्यों की मूलभूत सूचनाएं उपलब्ध नहीं हों संसद में पारित सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 हमें ऐसा करने का हक देता है|

यह हमें सरकार से प्रश्न पूछने तथा ऐसी सूचनाएं, जो हमें हजारों तरीकों से प्रभावित करतीं हैं, प्राप्त करने का अधिकार देता है| यधि इसका उपयोग रचनात्मक तरीकें से किया जाए, तो यह सरकार की जवाबदेही सुनिश्चित कर सकता है|

हम सभी कर चुकाते हैं यहाँ तक कि एक गली का भिखारी भी कर चुकाता है, जब वः साबुन अथवा माचिस खरीदता है, तो वह बिक्री कर व एक्ससज कर के रूप में कर चुकाता है| यह पैसा हमारा है|

अधिनियम हमारी किस प्रकार मदद कर सकता है?

सूचना का अधिकार अधिनियम सरकार से सूचना प्राप्त करने का अधिकार देता है| जिससे निष्क्रियता व भ्रष्टाचार का पर्दाफाश हो सकता है तथा आपकी शिकायतों को भी हल कर सकता है|

सरकार विभिन्न विकास कार्यों पर काफी अधिक पैसा खर्च करती है, अतः आप अपने क्षेत्र में पंचायत/नगरपालिका से सभी कार्यों के खर्च का लेखा-जेखा मांग सकते हैं, जैसे:

  • कितना पैसा खर्च हुआ|
  • किस काम पर कितना पैसा खर्च हुआ?

ऐसी सूचनाएं देश के विभिन्न भागों महाराष्ट्र, राजस्थान तथा दिल्ली के लोगों द्वारा माँगी गयी हैः| जब  ऐसी सूचनाओं की भौतिक जाँच की गयी, तो पता चला कि बहुत सारे कार्य केवल कागजों पर ही किये गए| क्या आप अपने क्षेत्र में सरकार की जवाबदेही सुनिश्चित करना नहीं चाहेंगे?

भारत सरकार ने हमारे लिए एक अति उपयोगी कानून बनाया है, यह कानून है सूचना के अधिकार का, इसके तहत सरकार व उसके किसी भी भिभाग से सूचनाएं/जानकारियाँ माँगी जा सकती हिं| सरकारी विभागों से सूचनाएं मांग कर आप सरकार व प्रशासन की जवाबदेही तय कर सकते हैं| सुचना के अधिकार के उपयोग से सरकारी विभागों में निष्क्रियता, भ्रष्टाचार का तो पता चल ही सकता है, शिकायतों व समस्याओं का समाधान भी हो सकता है, इसके लिए जरुरी है कि आप इस कानून व इसके उपयोग के रचनात्मक तरीके जानें|

आप सूचना मांग सकते

  • सरकार व सरकार के किसी भी विभाग से सम्बन्धित सूचना|
  • सरकारी ठेकों, भुगतान, अनुमानित खर्च, निर्माण कार्यों के माप आदि की फोटो प्रतियाँ|
  • सड़क, नाली व भवन निर्माण में परियुक्त सामग्री के नमूने|
  • निर्माणधीन अथवा पूर्ण विकास कार्यों का निरीक्षण|
  • सरकारी दस्तावेजों जैसे ड्राइंग, रिकोर्ड पुस्तिका व रजिस्टरों आदि का निरीक्षण |
  • आपके प्रार्थना पत्र व शिकायतों की स्थिति की सूचना |

क्या सरकार के किसी भी विभाग में आपके किसी भी कार्य पर कारवाई नहीं हुई? इस काम के बदले क्या वः अपने रिश्वत की उम्मीद अथवा मांग कर रहें है? क्या आपने सरकार के किसी भी विभाग में शिकायत याचिका दायर की है व उस पर गलत कार्य की शिकायत की है व उस पर कारवाई नही हो रही है?

तो आप सूचना का अधिकार अधिनयम 2005 प्रार्थना पत्र की स्थिति जानने के लिए उपयोग कर सकते हैं? कार्य की स्थिति की सूचना की यह मांग उन्हें कार्य करने के लिए भी बाध्य कर सकती है|

सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की विशेषताएं

  • आप केन्द्र सरकार, राज्य सरकार, पंचायती राज संस्थाएँ तथा ऐसे संगठन व संस्थाएँ (गैर-सरकारी) जिनका गठन, संचालन, नियत्रण और वित्तीय सहयोग राज्य अथवा केन्द्र सरकार द्वारा हो रहा है, से सूचना की मांग कर सकते है| धारा २ (ए) और (एच)
  • प्रत्येक विभाग में एक या अधिक लोक सूचना अधिकारी नियुक्त किये जायेंगे, जो लोगों से सूचना सम्बन्धी फार्म प्राप्त करेंगे व निर्धारित अवधि में सूचनाएं उपलब्ध करायेगें| धारा 5 (1) |
  • इसके अलावा प्रत्येक उप जिला स्तर पर सहायक लोक सूचना अधिकारी नियुक्त किये जायेंगे, जिनसे सूचना भी माँगी जा सकती है और लोक सूचना अधिकारी के निर्णयों के विरुद्ध अपील भी की जा सकेगी| यह अपील वे सम्बन्धित अधिकारियों को भेजेंगे धारा 5 (२)
  • सूचना चाहनेवाला व्यक्ति निर्धारित प्रपत्र में प्रार्थना पत्र लोक सूचना अधिकारी/ सहायक लोक सूचना अधिकारी को प्रस्तुत करेगा|
  • जब प्रार्थना पत्र अलिखित हो, तो सूचना अधिकारी प्रार्थना को मौखिक रूप से सुन कर लिखने में मदद करेगा| धारा 6 (1)
  • सम्बन्धित अधिकारी ऐसी सूचना प्राप्त करने में मदद करेगा, जो निरीक्षण करने के लिए जरुरी हो धारा 7 (4)
  • प्रार्थी को प्रार्थना पत्र देने के लिए किसी कारण अथवा व्यक्तिगत विवरण देने की आवश्यक है|
  • सूचना उपलब्ध कराने के लिए निर्धारित सामान्य शुल्क का भुगतान करना होगा|

स्रोत:- सूचना का अधिकार विधेयक, 2005, जेवियर समाज सेवा संस्थान, राँची|

अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020



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