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प्रकीर्ण

प्रकीर्ण

  1. बालक को माता-पिता या संरक्षक की हाजिरी
  2. बालक को हाजिरी से अभिमुक्ति प्रदान करना
  3. किसी अनुमोदित स्थान पर दीर्घाकालिक चिकित्सा उपचार की अपेक्षा वाले रोग से पीड़ित बालक का स्थानन
  4. आयु के विषय में उपधारणा और उसका अवधारणा
  5. बालक का उसके निवास स्थान स्थानातंरण
  6. बालक का भारत को विभिन्न भागों में बाल गृहों या विशेष गृहों या उचित सुविधा तंत्रों या योग्य व्यक्तियों को स्थानांतरण
  7. किसी संस्था से बालक को निर्मुक्त करना
  8. किसी संस्था में रखे गए बालक की अनुपस्थिति की इजाजत
  9. रिपोर्टों का गोपनीय माना जाना
  10. सद्भावपूर्वक की गई करवाई के लिए संरक्षण
  11. अपीलें
  12. पुनरीक्षण
  13. जाँच, अपीलों और पुनरीक्षण कार्यवाहियों में प्रक्रिया
  14. समिति या बोर्ड की अपने आदेशों को संशोधित करने की शक्ति
  15. किशोर न्याय निधि
  16. राज्य बालक संरक्षण सोसाइटी और जिला बालक संरक्षण एकक
  17. बाल कल्याण पुलिस अधिकारी और विशेष किशोर पुलिस एकक
  18. अधिनियम के बारे में लोक जागरूकता
  19. अधिनियम के कार्यान्वयन को मॉनिटर करना
  20. नियम बनाने की शक्ति
  21. निरसन और व्यावृति
  22. कठिनाइयों को दूर करने की शक्ति

बालक को माता-पिता या संरक्षक की हाजिरी

यथास्थिति, समिति या बोर्ड, जिसके समक्ष बालक, इस अधिनियम के किसी उपबंध के अधीन लाया जाता है, जब भी वह ऐसा करना ठीक समझे, बालक का वास्तविक भारसाधन रखने वाले माता-पिता या संरक्षक से अपेक्षा कर सकेगा कि वह उस बालक के बारे में किसी कार्यवाही में उपस्थित हो।

बालक को हाजिरी से अभिमुक्ति प्रदान करना

  1. यदि जांच के अनुक्रम में किसी प्रक्रम पर समिति या बोर्ड का समाधान हो जाता है कि बालक की हाजिरी जांच के प्रयोजनार्थ आवश्यक नहीं है तो, यथास्थिति, समिति या बोर्ड बालक को हाजिरी से अभिमुक्ति प्रदान कर सकेगा और उसकी हाजिरी को कथन अभिलिखित करने के प्रयोजन तक सीमित करेगा और तत्पश्चात् संबंधित बालक की अनुपस्थिति में भी जांच तब तक जारी रहेगी जब तक समिति या बोर्ड द्वारा अन्यथा आदेश न किया जाए।
  2. जहां बोर्ड या समिति के समक्ष बालक की हाजिरी अपेक्षित है, वहां ऐसा बालक स्वयं और बालक के साथ एक अनुरक्षक, यथास्थिति, बोर्ड या समिति या जिला बालक संरक्षण एकक द्वारा वास्तविक उपगत व्यय के अनुसार यात्रा प्रतिपूर्ति का हकदार होगा।

किसी अनुमोदित स्थान पर दीर्घाकालिक चिकित्सा उपचार की अपेक्षा वाले रोग से पीड़ित बालक का स्थानन

जब किसी ऐसे बालक के बारे में, जिसे समिति या बोर्ड के समक्ष लाया गया है, यह पाया जाता है कि वह ऐसे रोग से पीड़ित है जिसके लिए लंबे समय तक चिकित्सीय उपचार की अपेक्षा होग् या उसे कोई शारीरिक या मानसिक व्याधि है, जो उपचार से ठीक हो जाएगी, तब, यथास्थिति, समिति या बोर्ड बालक को ऐसे समय के लिए, जिसे वह अपेक्षित उपचार के लिए आवश्यक समझता है, किस उपयुक्त सुविधातंत्र के रूप में मान्यताप्राप्त किसी स्थान पर, जो विहित किया जाए, भेज सकेगा।

ऐसे बालक का स्थानांतरण, जो मानसिक रूप से बीमार है या अल्कोहल या अन्य मादक द्रव्यों का आदी है-

  1. जहां समिति या बोर्ड को यह प्रतीत होता है कि इस अधिनियम के अनुसरण में किस विशेष गृह या किसी संप्रेषण गृह या किसी बाल गृह या किसी संस्था में रखा गया कोई बालक मानसिक रूप से बीमार व्यक्ति है या अल्कोहल या ऐसी अन्य मादक द्रव्यों का आदी है जिससे किसी व्यक्ति में व्यवहारात्मक परिवर्तन हो जाते हैं, वहां समिति या बोर्ड, मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम, 1987 या उसके अधीन बनाए गए नियमों के अनुसार, ऐसे बालक को मनोचिकित्सा अस्पताल या मनोचिकित्सा परिचर्या गृह ले जाने का आदेश कर सकेगा।
  2. यदि बालक को उपधारा (1) के अधीन किसी मनोचिकित्सा अस्पताल या मनोचिकित्सा परिचर्या गृह में ले जाया गया था तो समिति या बोर्ड मनोचिकित्सा अस्पताल या मनोचिकित्सा परिचय गृह के छुट्टी दिए जाने के प्रमाणपत्र में दिए गए परामर्श के आधार पर ऐसे बालक को आदी व्यक्तियों के लिए एकीकृत पुनर्वास केन्द्र या राज्य सरकार द्वारा मानसिक रूप से बीमार व्यक्तियों (जिसके अंतर्गत किसी स्वापक ओषधि या मन;प्रभावी पदार्थ भी हैं) के लिए चलाए जा रहे वैसे ही केन्द्रों में से किसी में भेज सकेगा और ऐसा भेजा जाना केवल बालक के अंत;रोगी उपचार के लिए अपेक्षित अवधि के लिए होगा।

स्पष्टीकरण इस उपधारा के प्रयोजनों के लिए,-

  • 'आदी व्यक्तियों के लिए एकीकृत पुनर्वास केन्द्र' का वही अर्थ है जो केन्द्रीय सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा विरचित 'अल्कोहालिजम और पदार्थ (औषधियां) दुरुपयोग के निवारण के लिए और सामाजिक सुरक्षा सेवाओं के लिए केन्द्रीय क्षेत्र की सहायता स्कीम' या तत्समय प्रवृत्त किसी तत्स्थानी स्कीम में उसका है;
  • 'मानसिक रूप से बीमार व्यक्ति' का वही अर्थ है जो मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम, 1987 की धारा 2 के खंड (ठ) में उसका है;
  • 'मनोचिकित्सा अस्पताल या मनोचिकित्सा परिचर्या गृह' का वही अर्थ है, जो मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम, 1987 की धारा 2 के खंड (थ) में उनका है।

आयु के विषय में उपधारणा और उसका अवधारणा

  1. जहां बोर्ड या समिति को, इस अधिनियम के किसी उपबंध के अधीन (साक्ष्य देने के प्रयोजन से भिन्न) उसके समक्ष लाए गए व्यक्ति की प्रतीति के आधार पर यह स्पष्ट होता है कि उक्त व्यक्ति बालक है तो समिति या बोर्ड बालक की यथासंभव सन्निकट आयु का कथन करते हुए ऐसे संप्रेषण को अभिलिखित करेगा और आयु की और अभिपुष्टि की प्रतीक्षा किए बिना, यथास्थिति, धारा 14 या धारा 36 के अधीन जांच करेगा।
  2. यदि समिति या बोर्ड के पास इस संबंध में संदेह होने के युक्तियुक्त आधार हैं कि क्या उसके समक्ष लाया गया व्यक्ति बालक है या नहीं, तो, यथास्थिति, समिति या बोर्ड, निम्नलिखित साक्ष्य अभिप्राप्त करके आयु अवधारण की प्रक्रिया का जिम्मा लेगा—
  • विद्यालय से प्राप्त जन्म तारीख प्रमाणपत्र या संबंधित परीक्षा बोर्ड से मैट्रिकुलेशन या समतुल्य प्रमाणपत्र, यदि उपलब्ध हो; और उसके अभाव में,
  • निगम या नगरपलिका प्राधिकारी या पंचायत द्वारा दिया गया जन्म प्रमाणपत्र;
  • और केवल उपरोक्त (i) और (ii) के अभाव में, आयु का अवधारण समिति या बोर्ड के आदेश पर की गई अस्थि जांच या कोई अन्य नवीनतम चिकित्सीय आयु अवधारण जांच के आधार पर किया जाएगा;परंतु समिति या बोर्ड के आदेश पर की गई ऐसी आयु अवधारण जांच ऐसे आदेश की तारीख से पन्द्रह दिन के भीतर पूरी की जाएगी।
  • समिति या बोर्ड द्वारा उसके समक्ष इस प्रकार लाए गए व्यक्ति की अभिलिखित आयु, इस अधिनियम के प्रयोजन के लिए उस व्यक्ति की सही आयु समझी जाएगी।

बालक का उसके निवास स्थान स्थानातंरण

यदि जांच के दौरान यह पाया जाता है कि बालक अधिकारिता के बाहर के स्थान से है तो, यथास्थिति, बोर्ड या समिति सम्यक जांच के पश्चात् यदि उसका यह समाधान हो जाता है कि यह बालक के सर्वोत्तम हित में है और बालक के गृह जिले की समिति या बोर्ड के साथ सम्यक परामर्श करके उक्त समिति या बोर्ड को सुसंगत दस्तावेज जैसी विहित की जाए, यथाशीघ्र बालक के स्थानांतरण का परंतु ऐसा स्थानांतरण विधि का उल्लंघन करने वाले द्वारा अंतिम आदेश के साथ और ऐसी प्रक्रिया का अनुसरण करते हुए, आदेश करेगा; बालक की दशा में जांच पूरी होने और बोर्ड पारित करने के पश्चात् ही किया जाएगा; परंतु यह और कि अंतरराज्यिक स्थानांतरण की दशा  में बालक को यदि सुविधाजनक हो तो, यथास्थिति, बालक के गृह जिले की समिति या बोर्ड को या बोर्ड को सौंपा जाएगा।

  1. स्थानांतरण के आदेश को अंतिम रूप दे दिए जाने पर, यथास्थिति, समिति या बोर्ड विशेष किशोर पुलिस एकक को ऐसा आदेश प्राप्त करने के पन्द्रह दिन के भीतर बालक की अनुरक्षा के लिए अनुरक्षा आदेश देगा;परंतु किसी बालिका के साथ महिला पुलिस अधिकारी होगी;परंतु यह और कि जहां कोई विशेष किशोर पुलिस एकक उपलब्ध नहीं है वहां, यथास्थिति, समिति या बोर्ड उस संस्था को, जहां बालक अस्थायी रूप से ठहरा हुआ है या जिला बालक संरक्षण एकक को यात्रा के दौरान बालक की अनुरक्षा के लिए निदेश देगा।
  2. राज्य सरकार बालक की अनुरक्षा के लिए कर्मचारिवृद को यात्रा भत्ता  उपलब्ध करने के  लिए नियम बनाएगी, जिसका अग्रिम संदाय किया जाएगा।
  3. स्थानांतरित बालक को प्राप्त करने वाला, यथास्थिति, बोर्ड या समिति प्रत्यावर्तन या पुनर्वास या समाज में पुन; मिलाने की इस अधिनियम में यथा उपबंधित प्रक्रिया को पूरा करेगी।

बालक का भारत को विभिन्न भागों में बाल गृहों या विशेष गृहों या उचित सुविधा तंत्रों या योग्य व्यक्तियों को स्थानांतरण

राज्य सरकार किसी भी समय, यथास्थिति, बोर्ड या समिति की सिफारिश पर, इस अधिनियम में अंतर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी और बालक के सर्वोत्तम हित को ध्यान में रखते हुए संबंधित समिति या बोर्ड को पूर्व सूचना के साथ, बालक को किसी बाल गृह या विशेष गृह या उचित सुविधा तंत्र या योग्य व्यक्ति से राज्य के भीतर किसी गृह या सुविधा तंत्र में स्थानांतरण का आदेश दे सकेगी; परंतु उसी जिले के भीतर वैसी ही गृह या सुविधा तंत्र या व्यक्ति के बीच बालक के स्थानांतरण के लिए उक्त जिले की यथास्थिति समिति या बोर्ड ऐसा आदेश जारी करने के लिए सक्षम होगा।

  1. यदि राज्य सरकार द्वारा स्थानांतरण का आदेश राज्य से बाहर की किसी संस्था को किया जाता है तो ऐसा संबंधित राज्य सरकार के परामर्श से ही किया जाएगा।
  2. बालक की ऐसे बाल गृह या विशेष गृह में ठहरने की कुल अवधि को ऐसे स्थानांतरण से बढ़ाया नहीं जाएगा।
  3. उपधारा (1) और उपधारा (2) के अधीन पारित आदेश, उस क्षेत्र की यथास्थिति, समिति या बोर्ड के लिए प्रवर्तित किए गए समझे जाएंगे, जिसमें बालक को भेजा जाता है।

किसी संस्था से बालक को निर्मुक्त करना

  1. जब किसी बालक को किसी बाल गृह या विशेष गृह में रखा जाता है, तो यथास्थिति, किसी परिवीक्षा अधिकारी या सामाजिक कार्यकर्ता या सरकार या स्वैच्छिक या गैर-सरकारी संगठन  रिपोर्ट पर समिति या बोर्ड ऐसे बालक को या तो आत्यंतिक रूप से या ऐसी शर्तों पर, जो वह अधिरोपित करना ठीक समझे, बालक को माता-पिता या संरक्षक के साथ रहने या आदेश में नामित ऐसे किसी प्राधिकृत व्यक्ति के पर्यवेक्षणाधीन रहने की अनुज्ञा देते हुए, जो उसे प्राप्त करने और भारसाधन में लेने का, बालक को शिक्षित बनाने और किसी उपयोगी व्यापार या आजीविका के लिए प्रशिक्षित करने या पुनर्वास के लिए उसकी देखरेख करने के लिए उसे लेने और भारसाधन में लेने का इच्छुक हो, निर्मुक्त करने पर विचार कर सकेगी; परंतु यदि कोई बालक जिसे इस धारा के अधीन सशर्त निर्मुक्त किया गया है या वह व्यक्ति, जिसके पर्यवेक्षण के अधीन बालक को रखा गया है, ऐसी शर्तों को पूरा करने में असफल रहता है तो बोर्ड या समिति, यदि आवश्यक हो तो बालक को भारसाधन में ले वापस रख सकेगी और बालक को संबंधित गृह में वापस रख सकेगी I
  2. यदि बालक को अस्थायी आधार पर निर्मुक्त किया गया है तो वह समय, जिसके दौरान बालक उपधारा (1) के अधीन प्रदत्त अनुज्ञा के अनुसरण में संबंधित गृह में उपस्थित नहीं है, उस समय का भाग माना जाएगा, जिसके लिए बालक, बाल गृह या विशेष गृह में रखे जाने का भागी है; परंतु विधि का उल्लंघन करने वाला बालक उपधारा (1) में यथावर्णित बोर्ड द्वारा अधिकथित शर्तों को पूरा करने में असफल रहता है तो उस समय का, जिसके लिए वह संस्था में रखे जाने का अभी भी भागी है, बोर्ड द्वारा, ऐसी असफलता के कारण समाप्त हुए समय के बराबर समय तक विस्तार किया जाएगा।

किसी संस्था में रखे गए बालक की अनुपस्थिति की इजाजत

  1. यथास्थिति, बोर्ड या समिति, किसी बालक को विशेष अवसरों जैसे परीक्षा, नातेदारों का विवाह, मित्र या परिजन की मृत्यु या दुर्घटना या माता-पिता के गंभीर रोग या ऐसी ही प्रकृति की आकस्मिकता पर पर्यवेक्षण के अधीन साधारणतया एक बार में सात दिन से अनधिक की अवधि के लिए, जिसके अंतर्गत यात्रा में लगने वाला समय नहीं है, अनुज्ञात करने के लिए अनुपस्थिति की इजाजत दे सकेगा।
  2. उस समय को, जिसके दौरान कोई बालक उस संस्था से, जिसमें उसे रखा गया है, इस धारा के अधीन दी गई अनुज्ञा के अनुसरण में अनुपस्थित है, उस समय का भाग माना जाएगा जिसके लिए वह बाल गृह या विशेष गृह में रखे जाने का भागी है।
  3. यदि कोई बालक, छुट्टी की अवधि की समाप्ति पर या अनुज्ञा प्रतिसंहत या समपृहत किए जाने पर यथास्थिति, बाल गृह या विशेष गृह में वापस आने से इंकार करता है या आने में असफल रहता है तो बोर्ड या समिति यदि आवश्यक हो तो उसे भारसाधन मे लाएगी और संबंधित गृह में वापस करेगी।

परंतु विधि का उल्लघंन करने वाला कोई बालक छुट्टी की अवधि की समाप्ति पर या अनुज्ञा प्रतिसंहत या समपहृत किए जाने पर विशेष गृह में वापस आने में असफल रहता है तो उस अवधि का, जिसके लिए वह संस्था में रखे जाने का अभी भी भागी है, बोर्ड द्वारा उस अवधि में बराबर अवधि तक, जो ऐसी असफलता के कारण समाप्त हो गई है, विस्तार कर दिया जाएगा।

रिपोर्टों का गोपनीय माना जाना

  1. बालक से संबंधित सभी रिपोर्ट, जिन पर समिति या बोर्ड द्वारा विचार किया गया है, रिपोटों का गोपनीय मानी जाएगी। परंतु यथास्थिति, समिति या बोर्ड यदि वह ऐसा करना ठीक समझता है तो उसका सार किसी अन्य समिति या बोर्ड या बालक या माता या पिता या संरक्षक को संसूचित कर सकेगा और ऐसी समिति या बोर्ड या बालक या माता या पिता या संरक्षक को ऐसा साक्ष्य प्रस्तुत करने का अवसर दे सकेगा जो रिपोर्ट में कथित विषय में सुसंगत हो I
  2. इस अधिनियम में अंतर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी, पीड़ित को उसके मामले के अभिलेख, आदेशों और सुसंगत कागज-पत्रों तक पहुंच से इंकार नहीं किया जाएगा।

सद्भावपूर्वक की गई करवाई के लिए संरक्षण

इस अधिनियम या उसके अधीन बनाए गए किन्हीं नियमों या विनियमों के अनुसरण में सद्भवपूर्वक की गई या की जाने के लिए आशयित किसी बात के लिए कोई भी वाद, अभियोजन या विधिक कार्यवाही यथास्थिति, केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार या, केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार के निदेशों के अधीन कार्रवाई करने वाले किसी व्यक्ति के विरुद्ध नहीं होगी।

अपीलें

इस अधिनियम के उपबंधों के अधीन रहते हुए, इस अधिनियम के अधीन समिति या बोर्ड द्वारा किए गए किसी आदेश से व्यथित कोई व्यक्ति, ऐसा आदेश किए जाने की तारीख से तीस दिन के भीतर, पोषण, देखरेख और प्रवर्तकता पश्व देखरेख संबंधी समिति के ऐसे विनिश्चयों के सिवाय, जिनके संबंध में अपील जिला मजिस्ट्रेट को होगी, बालक न्यायालय में अपील कर सकेगा;

परंतु, यथास्थिति, बालक न्यायालय या जिला मजिस्ट्रेट, तीस दिन कफी उक्त अवधि के पश्चात् अपील ग्रहण कर सकेगा, यदि उसका यह समाधान हो जाता है कि अपीलार्थी को पर्याप्त कारणों से समय पर अपील करने से निवारित किया गया था और ऐसी अपील का विनिश्चय तीस दिन की अवधि के भीतर किया जाएगा I

  1. अधिनियम की धारा 15 के अधीन किसी जघन्य अपराध का प्रारंभिक निर्धारण करने के पश्चात्, बोर्ड द्वारा पारित किसी आ अपील का विनिश्चय करते समय अनुभवी मनोचिकित्सकों और चिकित्सा विशेषज्ञों की, उनसे भिन्न जिनकी सहायता बोर्ड द्वारा उक्त धारा के अधीन आदेश पारित करने में अभिप्राप्त की जा चुकी है, सहायता ले सकेगा।
  2. (क) ऐसे किसी बालक के संबंध में, जिसके बारे में यह अभिकथन है कि उसने ऐसा कोई अपराध किया है, जो ऐसे किसी बालक द्वारा, जिसने सोलह वर्ष की आयु पूरी कर ली है या जो सोलह जघन्य अपराध से भिन्न है, बोर्ड द्वारा किए गए दोषमुक्ति के आदेश, या (ख) समिति द्वारा, इस निष्कर्ष के संबंध में कि वह व्यक्ति ऐसा बालक नहीं है जिसे देखरेख और संरक्षा की आवश्यकता हो, किए गए किसी आदेश, के विरुद्ध अपील नहीं होगी।
  3. इस धारा के अधीन अपील में पारित सेशन न्यायालय के किसी आदेश के विरुद्ध द्वितीय अपील नहीं होगी।
  4. बालक न्यायालय के आदेश से व्यथित कोई व्यक्ति दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 में विनिर्दिष्ट प्रक्रिया के अनुसार उच्च न्यायालय के समक्ष अपील फाइल कर सकेगा।

पुनरीक्षण

उच्च न्यायालय स्वप्रेरणा से या इस निमित्त प्राप्त किसी आवेदन पर, किसी भी समय, किसी ऐसी कार्यवाही का, जिसमें किसी समिति या बोर्ड या बालक न्यायालय या न्यायालय ने कोई आदेश पारित किया हो, अभिलेख, आदेश की वैधता या औचित्य के संबंध में अपना समाधान करने के प्रयोजनार्थ मंगा सकेगा और उसके संबंध में ऐसा आदेश पारित कर सकेगा, जो वह ठीक समझे;

परंतु उच्च न्यायालय इस धारा के अधीन किसी व्यक्ति पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाला कोई आदेश उसे सुनवाई का युक्तियुक्त अवसर प्रदान किए बिना पारित नहीं करेगा।

जाँच, अपीलों और पुनरीक्षण कार्यवाहियों में प्रक्रिया

  1. इस अधिनियम में अभिव्यक्त रूप से जैसा अन्यथा उपबंधित है उसके सिवाय, समिति या बोर्ड इस अधिनियम के उपबंधों में से किसी के अधीन जांच करते समय ऐसी प्रक्रिया का अनुसरण करेगा, जो विहित की जाए और उसके अधीन रहते हुए दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 में समन मामलों के विचारण के लिए अधिकथित प्रक्रिया का यथाशक्य अनुसरण करेगा।
  2. इस अधिनियम द्वारा या उसके अधीन अभिव्यक्त रूप से जैसा अन्यथा उपबंधित है, उसके सिवाय, इस अधिनियम के अधीन अपीलों या पुनरीक्षण कार्यवाहियों में सुनवाई करने में अनुसरण की जाने वाली प्रक्रिया यथासाध्य दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 के उपबंधों के अनुसार होगी।

समिति या बोर्ड की अपने आदेशों को संशोधित करने की शक्ति

इस अधिनियम में अपील और पुनरीक्षण संबंधी उपबंधों पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, समिति या बोर्ड इस निमित प्राप्त किसी आवेदन पर अपने द्वारा पारित किन्हीं आदेशों को संशोधित कर सकेगा जो उस संस्था के बारे में हों, जिसमें किसी बालक को भेजा जाना है या उस व्यक्ति के बारे में हो, जिसकी देखरेख या पर्यवेक्षण में किसी बालक को इस अधिनियम के अधीन रखा जाना है;

परंतु ऐसे किन्हीं आदेशों का संशोधन करने के लिए सुनवाई के दौरान बोर्ड के कम से कम दो सदस्य, जिनमें से एक प्रधान मजिस्ट्रेट होगा और समिति के कम से कम तीन सदस्य और संबंधित सभी व्यक्ति या उनके प्राधिकृत प्रतिनिधि उपस्थित होंगे, जिनके विचारों को उक्त आदेश का संशोधन करने के पूर्व, यथास्थिति, समिति या बोर्ड द्वारा सुना जाएगा।

समिति या बोर्ड द्वारा पारित आदेशों में की लिपिकीय भूलें या उनमें किसी आकस्मिक चूक या लोप से होने वाली गलतियां किसी समय, यथास्थिति, समिति या बोर्ड द्वारा या तो स्वप्रेरणा से या इस निमित्त प्राप्त किसी आवेदन पर सुधारी जा सकेंगी।

किशोर न्याय निधि

  1. राज्य सरकार, ऐसे नाम में, जो वह उचित समझे, बालकों के जिनके संबंध में इस अधिनियम के अधीन कार्यवाही की जाती है, कल्याण और पुनर्वास के लिए एक निधि का सृजन कर सकेगी।
  2. निधि में ऐसे स्वैच्छिक संदानों, अभिदायों या अभिदानों का प्रत्यय किया जाएगा, जो किसी व्यष्टि या संगठन द्वारा किए जाएं।
  3. उपधारा (1) के अधीन सृजित निधि का प्रशासन इस अधिनियम को कार्यान्वित करने वाली राज्य सरकार के विभाग द्वारा ऐसी रीति में और ऐसे प्रयोजनों के लिए किया जाएगा, जो विहित किए जाएं।

राज्य बालक संरक्षण सोसाइटी और जिला बालक संरक्षण एकक

प्रत्येक राज्य सरकार, राज्य के लिए बालक संरक्षण सोसाइटी और प्रत्येक जिले के लिए बालक संरक्षण एकक का गठन करेगी, जो ऐसे अधिकारियों और अन्य कर्मचारियों से मिलकर बनेगी, जो उस सरकार द्वारा इस अधिनियम के, जिसके अंतर्गत इस अधिनियम के अधीन संस्थाओं की स्थापना और अनुरक्षण भी है, बालकों और उनके पुनर्वास तथा संबंधित विभिन्न सरकारी और गैर-सरकारी अभिकरणों के साथ समन्वय के संबंध में सक्षम प्राधिकारियों की अधिसूचना के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए और ऐसे अन्य कुत्यों का निर्वहन करने के लिए, जो विहित किए जाएं नियुक्त किए जाएं।

बाल कल्याण पुलिस अधिकारी और विशेष किशोर पुलिस एकक

  1. प्रत्येक पुलिस स्टेशन में सहायक उपनिरीक्षक से अन्यून पंक्ति के कम से कम एक अधिकारी को, जिसके पास योग्यता, समुचित प्रशिक्षण और स्थिति ज्ञान हो, पुलिस, स्वैच्छिक और गैर-सरकारी संगठनों के समन्वय से अनन्य रूप से बालकों पर या तो पीड़ितों या अपराधियों के रूप में कार्रवाई करने के लिए, बाल कल्याण पुलिस अधिकारी के रूप में अभिहित किया जा सकेगा।
  2. बालकों से संबंधित पुलिस के सभी कृत्यों का समन्वय करने के लिए, राज्य सरकार प्रत्येक जिले और नगर में विशेष किशोर पुलिस एककों का गठन करेगी, जिनका प्रधान उप पुलिस अधीक्षक या उससे ऊपर के रैंक का पुलिस अधिकारी होगा और जिसमें उपधारा (1) के अधीन अभिहित सभी पुलिस अधिकारी होंगे और बाल कल्याण के क्षेत्र में कार्य करने का अनुभव रखने वाले दो सामाजिक कार्यकर्ता, जिनमें एक महिला होगी, होंगे।
  3. विशेष किशोर पुलिस एककों के सभी पुलिस अधिकारियों को, विशेषकर बाल कल्याण पुलिस अधिकारी के रूप में समावेश करने पर, विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा जिससे वे अपने कर्तव्यों का निर्वहन अधिक प्रभावी रूप से कर सकें।
  4. विशेष किशोर पुलिस एकक के अंतर्गत बालकों से संबंधित रेल पुलिस भी हैं।

अधिनियम के बारे में लोक जागरूकता

केन्द्रीय सरकार और प्रत्येक राज्य सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए निम्नलिखित आवश्यक उपाय करेगी कि -

(क) इस अधिनियम के उपबंधों का मीडिया, जिसके अंतर्गत टेलीविजन, रेडियो और प्रिंट मीडिया भी है, के माध्यम से नियमित अंतरालों पर व्यापक प्रचार किया जाए, जिससे कि जनसाधारण, बालकों और उनके माता-पिता अथवा संरक्षकों को ऐसे उपबंधों की जानकारी हो सके;

(ख) केन्द्रीय सरकार, राज्य सरकारों के अधिकारियों और अन्य संबंधित व्यक्तियों को, इस अधिनियम के उपबंधों के क्रियान्वयन से संबंधित विषयों पर नियतकालिक प्रशिक्षण दिया जाए।

अधिनियम के कार्यान्वयन को मॉनिटर करना

  1. बालक अधिकार संरक्षण आयोग अधिनियम, 2005 की, यथास्थिति, धारा 3 के अधीन गठित राष्ट्रीय बालक अधिकार संरक्षण आयोग और धारा 17 के अधीन गठित राज्य बालक अधिकार संरक्षण आयोग (जिन्हें इसमें, यथास्थिति, राष्ट्रीय आयोग या राज्य आयोग कहा गया है) उक्त अधिनियम के अधीन उन्हें सौंपे गए कुत्यों के अतिरिक्त इस अधिनियम के उपबंधों के कार्यान्वयन को ऐसी रीति से, जो विहित की जाए, मानीटर भी करेंगे।
  2. यथास्थिति, राष्ट्रीय आयोग या राज्य आयोग को इस अधिनियम के अधीन किसी अपराध से संबंधित किसी विषय में जांच करते समय वही शक्तियां प्राप्त होंगी जो बालक अधिकार संरक्षण आयोग अधिनियम, 2005 के अधीन राष्ट्रीय आयोग या राज्य आयोग में निहित हैं।
  3. यथास्थिति, राष्ट्रीय आयोग या राज्य आयोग इस धारा के अधीन के अपने क्रियाकलापों को बालक अधिकार संरक्षण आयोग अधिनियम, 2005 की धारा 16 में निर्दिष्ट वार्षिक रिपोर्ट में भी सम्मिलित करेगा।

नियम बनाने की शक्ति

राज्य सरकार, इस अधिनियम के प्रयोजनों को कार्यान्वित करने के लिए, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, नियम बना सकेगी;

परंतु केन्द्रीय सरकार ऐसे सभी या किन्हीं विषयों की बाबत माडल नियम विरचित कर सकेगी जिनके संबंध में राज्य सरकार द्वारा नियम बनाया जाना अपेक्षित है और जहां ऐसे माडल नियम किसी ऐसे विषय के संबंध में विरचित किए गए हैं, वे आवश्यक उपांतरणों सहित राज्य को तब तक लागू होंगे जब तक उस विषय के संबंध में राज्य सरकार द्वारा नियम जाएं तो वे ऐसे माडल नियमों के अनुरूप होंगे।

विशिष्टतया और पूर्वगामी शक्ति की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना ऐसे नियमों में निम्ननिलिखित सभी विषयों या किन्हीं विषयों के लिए उपबंध किया जा सकेगा, अर्थात्;-

(i) धारा 2 की उपधारा (14) के खंड (vii) के अधीन गुमशुदा या भागा हुआ बालक जिसके माता-पिता का पता नहीं लगाया जा सकता है की दशा में जांच की रीति;

(ii) धारा 2 की उपधारा (18) के अधीन किसी बालगृह से सहबद्ध बाल कल्याण अधिकारी के दायित्व,

(iii) धारा 4 की उपधारा (2) के अधीन बोर्ड के सदस्यों की अहंताएं,

(iv) धारा 4 की उपधारा (6) के अधीन बोर्ड के सभी सदस्यों का समावेश प्रशिक्षण और संवेदीकरण;

(v)धारा 4 की उपधारा (6) के अधीन बोर्ड के सदस्यों की पदावधि और वह रीति जिसमें ऐसा सदस्य पद त्याग सकेगा;

(vi)धारा 7 की उपधारा (1) के अधीन बोर्ड के अधिवेशनों का समय और उसकी बैठकों में कारबार के संव्यवहार के संबंध में प्रक्रिया के नियम;

(vii)धारा 8 की उपधारा (3) के खंड (घ) के अधीन किसी दुभाषिए या अनुवादक की अहर्ताएं, अनुभव और फीस का संदाय;

(viii) धारा 8 की उपधारा (3) के खंड (ढ़) के अधीन बोर्ड का कोई अन्य कुत्य;

(ix)वे व्यक्ति जिनके माध्यम से धारा 10 की उपधारा (2) के अधीन कथित विधि का उल्लंघन करने वाले बालक को बोर्ड के समक्ष प्रस्तुत किया जा सकेगा और वे रीति जिसमें ऐसे बालक को किसी अन्वेषण गृह या सुरक्षित स्थान में भेजा जा सकेगा;

(x) धारा 12 की उपधारा (2) के अधीन पुलिस थाने के प्रभारी अधिकारी द्वारा गिरफ्तार किए गए किसी ऐसे व्यक्ति के, जिसे उसके द्वारा जमानत पर छोड़ा नहीं गया है, संबंध में ऐसी रीति, जिसमें उस व्यक्ति को तब तक संप्रेक्षण गृह में रखा जाएगा जब तक कि उसे बोर्ड के समक्ष पेश न किया जाए,

(xi)धारा 16 की उपधारा (3) के अधीन त्रैमासिक आधार पर बोर्ड द्वारा मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट या मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट और जिला मजिस्ट्रेट को लंबन की सूचना देने का रूप– विधान;

(xii)धारा 20 की उपधारा (2) के अधीन मानिटरी प्रक्रियाएं और मानीटरी प्राधिकारियों की सूची;

(xiii) धारा 24 की उपधारा (2) के अधीन वह रीति जिसमें बोर्ड, पुलिस या न्यायालय द्वारा बालक के सुसंगत अभिलेखों को नष्ट किया जा सकेगा;

(xiv) धारा 27 की उपधारा (5) के अधीन बाल कल्याण समिति के सदस्यों की अहर्ताएं,

(xv) धारा 28 की उपधारा (1) के अधीन बाल कल्याण समिति की बैठकों में कारबार का संव्यवहार करने के संबंध में नियम और प्रक्रियाएं,

(xvi) धारा 30 के खंड (भ) के अधीन परित्यक्त या खोए हुए बालकों को उनके कुटुंबों को प्रत्यावर्तित करने की प्रक्रिया,

(xvii) धारा 31 की उपधारा (2) के अधीन समिति को रिपोर्ट प्रस्तुत करने की रीति और बालक को बालगृह या आश्रयगृह या उचित सुविधा तंत्र या योग्य व्यक्ति को भेजने और सौंपने की रीति;

(xviii)धारा 36 की उपधारा (1) के अधीन बाल कल्याण समिति द्वारा जांच करने की रीति;

(xix)धारा 36 की उपधारा (3) के अधीन यदि बालक छह वर्ष से कम आयु का है तो बालक को विशिष्ट दत्तक ग्रहण अभिकरण, बालगृह या उपयुक्त सुविधा तंत्र या योग्य व्यक्ति या पोषण कुटुंब में तब तक भेजने की रीति जब तक बालक के समुचित पुनर्वास के लिए उचित साधन नहीं मिल जाते हैं जिसके अंतर्गत वह रीति भी है जिसमें बालगृह में या उपयुक्त सुविधा तंत्र या योग्य व्यक्ति या पोषण कुटुंब में रखे गए बालक की स्थिति का समिति द्वारा पुनर्विलोकन किया जा सकेगा;

(xx)वह रीति जिसमें धारा 36 की उपधारा (4) के अधीन समिति द्वारा जिला मजिस्ट्रेट को मामलों के लंबन के पुनर्विलोकन की त्रैमासिक रिपोर्ट प्रस्तुत की जा सकेगी;

(xxi) धारा 37 की उपधारा (2) के खंड (iii) के अधीन समिति के अन्य कुत्यों से संबंधित कोई अन्य आदेश;

(xxii)धारा 38 की उपधारा (5) के अधीन समिति द्वारा राज्य अभिकरण और प्राधिकरण को विधिक रूप से दत्तक ग्रहण करने के लिए मुक्त घोषित बालकों की संख्या और लंबित मामलों की संख्या के संबंध में प्रत्येक मास दी जाने वाली सूचना;

(xxiii)धारा 41 की उपधारा (1) के अधीन वह रीति जिसमें इस अधिनियम के अधीन सभी संस्थाओं को रजिस्ट्रीकृत किया जाएगा;

(xxiv)कोई संस्था जो धारा 41 की उपधारा (7) के अधीन ऐसी संस्था जो पुनर्वास और पुन; एकीकरण सेवाएं प्रदान करने में असफल रहती है के रजिस्ट्रीकरण को रद्द करने या विधारित करने की प्रक्रिया;

(xxv) धारा 43 की उपधारा (3) के अधीन वह रीति जिसमें खुले आश्रय द्वारा जिला बाल संरक्षण एकक और समिति को प्रतिमास सूचना भेजी जाएगी;

(xxvi) धारा 44 की उपधारा (1) के अधीन बालकों को पोषण देखरेख, जिसके अंतर्गत समूह पोषण देखरेख भी है, में रखने की प्रक्रिया,

(xxvii) धारा 44 की उपधारा (4) के अधीन पोषण देखरेख में बालकों के निरीक्षण की प्रक्रिया;

(xxviii)धारा 44 की उपधारा (6) के अधीन वह रीति जिसमें पोषण कुटुंब द्वारा बालक को शिक्षा, स्वास्थ्य और पोषण प्रदान किया जाएगा;

(xxix) धारा 44 की उपधारा (7) के अधीन वह प्रक्रिया और मानदण्ड जिसमें बालकों को पोषण देखरेख सेवाएं प्रदान की जाएंगी,

(xxx) धारा 45 की उपधारा (8) के अधीन बालकों की भलाई का पता लगाने के लिए समिति द्वारा पोषण कुटुंबों के निरीक्षण का रूप विधान;

(xxxi) धारा 45 की उपधारा (1) के अधीन बालकों की प्रवर्तकता के विभिन्न कार्यक्रमों जैसे व्यष्टि से व्यष्टि प्रवर्तकता, समूह प्रवर्तकता या सामुदायिक प्रवर्तकता का जिम्मा लेने का प्रयोजन;

(xxxii)धारा 45 की उपधारा (3) के अधीन प्रवर्तकता की अवधि;

(xxxiii) धारा 47 के अधीन अठारह वर्ष की आयु पूरा करने वाले, संस्था की देखरेख छोड़ने वाले किसी बालक को वित्तीय सहायता प्रदान करने की रीति;

(xxxiv)धारा 47 की उपधारा (3) के अधीन संप्रेक्षण गृहों का प्रबंध और मानीटरी जिसके अंतर्गत विधि का उल्लंघन करने के अभिकथित किसी बालक के पुनर्वास और समाज में पुन; मिलाए जाने के लिए मानक और उनके द्वारा प्रदान की जा रही विभिन्न सेवाएं और वे परिस्थितियां भी हैं जिनके अधीन और वह रीति जिसमें किसी संप्रेक्षण गृह को रजिस्ट्रीकरण प्रदान किया जा सकेगा या प्रतिसंहृत किया जा सकेगा;

(xxxv)धारा 48 की उपधारा (2) और उपधारा (3) के अधीन विशेष गृहों का प्रबंधन और मानीटरी जिसके अंतर्गत मानक और उनके द्वारा प्रदान की जा रही विभिन्न प्रकार की सेवाएं भी हैं,

(xxxvi) धारा 50 की उपधारा (3) के अधीन बालगृहों की मानीटरी और प्रबंधन जिसके अंतर्गत मानक और उनके द्वारा प्रत्येक बालक के लिए व्यष्टिक देखरेख योजनाओं पर आधारित उपलब्ध कराई जाने वाली सेवाओं की प्रकृति है;

(xxxvii) धारा 51 की उपधारा (1) के अधीन वह रीति जिसमें बोर्ड या समिति, तत्समय प्रवृत्त किसी विधि के अधीन रजिस्ट्रीकृत किसी सरकारी संगठन या स्वैच्छिक या गैर सरकारी संगठन द्वारा चलाए जा रहे किसी सुविधा तंत्र को, बालक की देखरेख के लिए सुविधातंत्र और संगठन की उपयुक्तता के संबंध में सम्यक जांच के पश्चात् किसी विनिर्दिष्ट प्रयोजन के लिए बालक का अस्थायी रूप से लेने के लिए मान्यता;

(xxxviii) बोर्ड या समिति द्वारा धारा 52 की उपधारा (1) के अधीन किसी बालक की देखरेख, संरक्षण और उपचार के लिए ऐसे बालक को विनिर्दिष्ट अवधि के लिए अस्थायी रूप से प्राप्त करने के लिए किसी व्यक्ति को योग्य के रूप में मान्यता प्रदान करने के लिए प्रत्यय पत्रों क सत्यापन की प्रक्रिया;

(xxxix) धारा 53 की उपधारा (1) के अधीन वह रीति जिसमें इस अधिनियम के अधीन बालकों के पुनर्वास और पुन; मिलाने के लिए आधारभूत अपेक्षाओं जैसे खाद्य, आश्रय, वस्त्र और चिकित्सा की सुविधाएं किसी संस्था द्वारा उपलब्ध की जाएंगी,

  • धारा 53 की उपधारा (2) के अधीन वह रीति जिसमें संस्थान के प्रबंधन और प्रत्येक बालक की प्रगति की मानीटरी करने के लिए प्रत्येक संस्थान द्वारा प्रबंधन समिति स्थापित की जाएगी,
  • धारा 53 की उपधारा (3) के अधीन बाल समितियों द्वारा किए जा सकने वाले कार्यकलाप;
  • धारा 54 की उपधारा (1) के अधीन राज्य और जिले के लिए रजिस्ट्रीकृत या उचित के रूप में मान्यता प्रदान की गई सभी संस्थाओं के लिए निरीक्षण समितियों की नियुक्ति;
  • धारा 55 की उपधारा (1) के अधीन वह रीति जिसमें केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार द्वारा बोर्ड, समिति, विशेष किशोर पुलिस एककों, रजिस्ट्रीकृत संस्थाओं या मान्यता प्राप्त उचित सुविधा तंत्रों और व्यक्तियों के कार्यकरण का स्वतंत्र रूप से मूल्यांकन कर सकेगी जिसके अंतर्गत अवधि और व्यक्ति या संस्थाओं के माध्यम से भी है;
  • धारा 66 की उपधारा (2) के अधीन वह रीति जिसमें संस्थाएं विशिष्ट दत्तक ग्रहण अभिकरण को दत्तक ग्रहण के लिए विधिक रूप से मुक्त घोषित किए गए बालकों के ब्यौरे प्रस्तुत करेंगी,
  • धारा 68 के खंड (ड) के अधीन प्राधिकरण के कोई अन्य कृत्य;
  • धारा 69 की उपधारा (2) के अधीन प्राधिकरण की विषय निर्वाचन समिति के सदस्यों के चयन या नामनिर्देशन का मानदंड और उनकी पदावधि के साथ उनकी नियुक्ति के निबंधन और शर्ते
  • धारा 69 की उपधारा (4) के अधीन वह रीति जिसमें प्राधिकरण की विषय निर्वाचन समिति बैठक करेगी;
  • धारा 71 की उपधारा (1) के अधीन वह रीति जिसमें प्राधिकरण द्वारा केन्द्रीय सरकार को वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत की जाएगी;
  • धारा 72 की उपधारा (2) के अधीन प्राधिकरण के कंत्य;
  • धारा 73 की उपधारा (1) के अधीन वह रीति जिसमें प्राधिकरण, उचित लेखे और सुसंगत दस्तावेज रखेगा और लेखाओं का वार्षिक विवरण तैयार करेगा;
  • धारा 92 के अधीन वह अवधि जो समिति या बोर्ड द्वारा, बालकों के, जो ऐसे रोग से ग्रस्त हैं जिसके लिए लंबे चिकित्सा उपचार की आवश्यकता है या जिन्हें शारीरिक या मानसिक रोग है, जिसका उपचार किसी उचित सुविधा तंत्र में होगा, के उपचार के लिए आवश्यक समझी जाए,
  • धारा 95 की उपधारा (1) के अधीन किसी बालक को स्थानांतरित करने की प्रक्रिया
  • धारा 95 की उपधारा (3) क अधीन बालक के अनुरक्षक कर्मचारिवृंद को यात्रा भत्ते का उपबंध;
  • धारा 103 की उपधारा (1) के अधीन समिति या किसी बोर्ड द्वारा कोई जांच, अपील या पुनरीक्षण करते समय अनुसरण की जाने वाली प्रक्रिया;
  • धारा 105 की उपधारा (3) के अधीन वह रीति जिसमें किशोर न्याय निधि को प्रशासित किया जाएगा;
  • धारा 106 के अधीन राज्य बाल संरक्षण सोसाइटी और प्रत्येक जिले के लिए बाल संरक्षण एकको का कार्यकरण;
  • धारा 109 की उपधारा (1) के अधीन इस अधिनियम के उपबंधों के कार्यान्वयन को मानीटर करने के लिए, यथास्थिति, राष्ट्रीय आयोग या राज्य आयोग को समर्थ बनाना;
  • ऐसा कोई अन्य विषय, जिसे विहित करना अपेक्षित है या जो विहित किया जाए।

(3) इस अधिनियम के अधीन बनाया गया प्रत्येक नियम और प्रत्येक विनियम, बनाए जाने के पश्चात्, यथाशीघ्र, संसद् के प्रत्येक सदन के समक्ष, जब वह सत्र में हो, कुल तीस दिन की अवधि के लिए रखा जाएगा। यह अवधि एक सत्र में अथवा दो या अधिक आनुक्रमिक सत्रों में पूरी हो सकेगी। यदि उस सत्र के या पूर्वोक्त आनुक्रमिक सत्रों के ठीक बाद के सत्र के अवसान के पूर्व दोनों सदन उस नियम या विनियम में कोई परिवर्तन करने के लिए सहमत हो जाएं तो तत्पश्चात् वह ऐसे परिवर्तित रूप में ही प्रभावी होगा। यदि उक्त अवसान के पूर्व दोनों सदन सहमत हो जाएं कि वह नियम या विनियम नहीं बनाया जाना चाहिए तो तत्पश्चात् वह निष्प्रभाव हो जाएगा। किन्तु नियम या विनियम के ऐसे परिवर्तित या निष्प्रभाव होने से उसके अधीन पहले की गई किसी बात की विधिमान्यता पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।

(4) इस अधिनियम के अधीन राज्य सरकार द्वारा बनाया गया प्रत्येक नियम, बनाए जाने के

पश्चात्, यथाशीघ्र राज्य विधान-मंडल के समक्ष रखा जाएगा।

निरसन और व्यावृति

  1. किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम, 2000 इसके द्वारा निरसित किया जाता है;
  2. ऐसे निरसन के होते हुए भी उक्त अधिनियम के अधीन की गई कोई बात या की गई कोई कार्रवाई इस अधिनियम के तत्स्थानी उपबंधों के अधीन की गई समझी जाएगी।

कठिनाइयों को दूर करने की शक्ति

  1. यदि इस अधिनियम के उपबंधों को प्रभावी करने में कोई कठिनाई उत्पन्न होती है तो केन्द्रीय सरकार, आदेश द्वारा, जो इस अधिनियम के उपबंधों से असंगत न हो, उस कठिनाई को दूर कर सकेगी; परंतु इस धारा के अधीन ऐसा कोई आदेश, इस अधिनियम के प्रारंभ की तारीख से दो वर्ष की अवधि की समाप्ति के पश्चात् नहीं किया जाएगा।
  2. तथापि इस धारा के अधीन किया गया प्रत्येक आदेश उसके किए जाने के पश्चात्, यथाशीघ्र, संसद् के प्रत्येक सदन के समक्ष रखा जाएगा।

स्रोत: विधि और न्याय मंत्रालय, भारत सरकार

अंतिम बार संशोधित : 1/8/2020



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