इस वर्ष गणतंत्र दिवस के अवसर पर भारतीय वायु सेना के 83 जांबाजों को राष्ट्रपति के पदकों से सम्मानित किया गया है। छह एअर मार्शलों को परमविशिष्ट सेवा मेडल (पीवीएसएम), दो एअर मार्शलों, चार एअर वाइस मार्शलों और नौ एअर कोमोडोर्स को अतिविशिष्ट सेवा मेडल (एवीएसएम), प्रदान किए गए हैं।
एक स्क्वाड्रन लीडर और एक नागरिक को वायुसेना मेडल (वीरता) (मरणोपरांत) दिया गया है। पांच विंग कमांडरों, दो स्क्वाड्रन लीडरों, एक सार्जेंट और एक कार्पोरल को वायुसेना मेडल (वीरता) दिए गए हैं। चौदह ग्रुप कैप्टनों, चार विंग कमांडरों और एक एमडब्ल्यूओ को वायुसेना मेडल प्रदान किए गए हैं। एक एअरवाइस मार्शल, नौ एअर कोमोडोर्स, इक्कीस ग्रुप कैप्टनों और एक स्क्वाड्रन लीडर को विशिष्ट सेवा मेडल प्रदान किए गए हैं।
राष्ट्रपति ने विंग कमांडर सौरभ शर्मा फ्लाइंग (पायलट) को वायु सेना मेडल (वीरता) प्रदान किया
विंग कमांडर सौरभ शर्मा, फ्लाइंग (पायलट) एन-32 स्काड्रन पर पदास्थापित वीर हैं। वह योग्य उड़ान प्रशिक्षक हैं और उनके पास 7000 घंटे के उड़ान का विविध व व्यापक अनुभव है।
01 अप्रैल 2014, को कारगिल के एडवांस लैंडिंग ग्राउड पर सीमा संड़क संगठन की सहायता के लिए उन्होंने ट्रांसपोर्ट सपोर्ट रोल (टीएसआर) के लिए सामरिक उड़ानों की जिम्मेदारी संभाली। इस मिशन में 35 यात्रियों के साथ 5 क्रू सदस्यों को ले जाना और साथ में पायलट ट्रेंनिग भी मिशन का हिस्सा था । करगिल की चढ़ाई के दौरान जब एयरक्राफ्ट पहाड़ की चोटी से नीचे था, तभी बांयी तरफ के “प्रोपलर लॉक्ड” की चेतावनी देने वाली बत्ती जलने लगी। इस अधिकारी ने तुरंत लेह की तरफ मुड़ जाने का फैसला लिया क्योंकि तब तक कारगिल में हवाईपट्टी की लंबाई कम होने से एयरक्राफ्ट को उतारना मुश्किल लगने लगा। बाकी मानकों की जांच में पता चला कि बांयी तरफ के इंजन का टॉर्क खतरनाक रूप से नीचे पहुंच गया है। साथ ही बांयी तरफ के इंजन की “तापमान सूचक” व “तेल कमी” की चेतावनी बत्तियां भी जलने लगीं। नियंत्रण रेखा के करीब पहाड़ी पर इस तरह की कई सारी आपात स्थितियों में तुरंत फैसला करने व परिस्थितियों को सही से समझने की जरूरत होती है, ऐसे में लेह की तरफ मुड़ने के औचित्य को खारिज कर दिया। किसी भी तरह की देरी से इंजन के जाम होने या मुश्किल परिस्थितियों में आग भी लग जाती। एकबार इंजन बंद हो जाता तो एयरक्राफ्ट ऊंचाई पर नहीं टिक पाता और ऐसे में एक इंजन के साथ बहुत सावधानी से ऊंची पहाड़ी वाले एएलजी (कारगिल) पर सुरक्षित उतारने की जरूरत थी। इसके अलावा ये बात भी थी कि उनके साथ का सहयोगी पायलट अभी प्रशिक्षु था, जिससे स्थिति और विकट हो गई।
यात्रियों के साथ इस ऑपरेशन के दौरान विंग कमांडर शर्मा के पास वजन कम करने का भी विकल्प नहीं था, बल्कि 40 जिंदगियों को बचाने की अतिरिक्त जिम्मेदारी थी। इन हालात ने एयरक्राफ्ट के कैप्टन को बहुत ही जोखिम भरी स्थिति में डाल दिया। इस तरह की आपात स्थितियों में भारी मुश्किलों का सामना करने के लिए अच्छा सिस्टम नोलेज, विश्लेषण क्षमता के साथ उच्च स्तरीय परिस्थिति जागरुकता व क्षेत्र ज्ञान की जरूरत होती है। इस अधिकारी ने परिस्थितियों का तुरंत आंकलन किया और अपना दिमाग लगाकर व साहस के साथ एयरक्राफ्ट को सुरक्षित उतारा।
उस एयरक्राफ्ट जिसका एक इंजन बंद हो चुका था, को एएलजी की ऊंचाई पर सुरक्षित उतार, उसमें सवार 40 लोगों की जिंदगियां बचाने का जो अद्भुत साहस व बहादुरी का काम विंग कमांडर सौरभ शर्मा ने किया है, उसके लिए उन्हें वायुसेना मेडल (वीरता) दिया गया है।
राष्ट्रपति ने विंग कमांडर पंकज शर्मा फ्लाईंग (पायलट) को वायु सेना मेडल (वीरता) से नवाजा |
वायु सेना श्रीनगर के एम आई-17 वी-5 हेलीकाप्टर इकाई के अहम सदस्य विंग कमांडर पंकज शर्मा फ्लार्इंग (पायलट) एक कैट ए क्वालीफार्इड फ्लाईंग प्रशिक्षक हैं और वर्तमान में इस इकाई में फ्लाइट कमांडर के रूप में पदास्थापित हैं।
गत वर्ष सितंबर की शुरुआत में जम्मू-कश्मीर को विनाशकारी बाढ़ के रूप में एक प्राकृतिक आपदा से सामना करना पड़ा। यह आपदा अभूतपूर्व थी और जान-माल की हानि भी इतनी पहले कभी नहीं हुई। ‘मेघ राहत’ अभियान के तहत इस इकाई को सबसे पहले बचाव कार्यों की कमान सौंपी गई। बड़े पैमाने पर बचाव कार्यों की संभावनाओं से विचलित न होते हुए विंग कमांडर पंकज शर्मा ने दल के नेतृत्व की जिम्मेदारी ले ली। यह जिम्मेदारी उन पर इसलिए भी आ पड़ी क्योंकि उस समय सीओ सभी बचाव मिशनों का जायजा लेने के लिए पहले दिन के उड़ान अभ्यास पर थे।
अदम्य साहस के साथ पहल करते हुए शर्मा ने प्रतिकूल मौसम में पहली छोटी उड़ान भरी और नुकसान का जायजा लेते हुए आगामी बचाव राहत मिशनों का अंदाजा लगा लिया।
हेलीकाप्टरों के लिए विषम परिस्थितियों में भी उन्होंने व्यापक उड़ानें भरीं। इस दौरान उन्होंने 200 लोगों को बचाया, बाढ़ पीडि़त जनता को सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया और राहत सामग्रियों को जरूरतमंदों तक पहुंचाया।
7 सितंबर 2014 को उन्होंने खुद पहले बचाव अभियान की जिम्मेदारी ली और हेलीकाप्टरों के जरिए श्रीनगर के बीचों बीच बाढ़ की चपेट में आये इमारतों के छतों पर फंसे 25 लोगों को निकाला। इन लोगों पर पानी के बढ़ते स्तर की वजह से डूबने का खतरा मंडरा रहा था। एक अन्य मौके पर उन्होंने सचिवालय में फंसे गंभीर रूप से घायल सीआरपीएफ के जवान को उपद्रवी तत्वों द्वारा हेलीकाप्टर पर पथराव के बावजूद सुरक्षित निकाल लिया। उन्होंने इन मिशनों के रणनीति व क्रियान्वयन के दौरान अदम्य साहस, दृढ़ता, चातुर्य व दक्षता का परिचय दिया।
इकाई के फ्लाईट कमांडर के रूप में उनकी समर्पित संलग्नता, चालक दल प्रबंधन, निर्देश और छोटे उड़ानों की सुलझी रणनीति ने विषम परिस्थितियों में भी बचाव अभियानों को सहज बना दिया। उन्होंने इस विशाल कार्य को बिना किसी घटना या दुर्घटना के पूरे पेशेवर अंदाज में और समयबद्धता के साथ पूरा किया। ‘मेघ राहत’ अभियान के दौरान कई जिंदगियां बचाने में अदम्य साहस व निस्वार्थ समर्पण के लिए विंग कमांडर पंकज शर्मा को वायु सेना मेडल (वीरता) प्रदान किया जा रहा है।
राष्ट्रपति ने लीडिंग हैंड फायरमैन (मरणोपरांत) श्री रविन्दर कुमार को वायु सेना पदक (वीरता) प्रदान करने की संस्तुति की|
लीडिंग हैंड फायरमैन (एलएचएफ) श्री रविन्दर कुमार साल 1999 के बाद से 3 बेस रिपेयर डिपो चंडीगढ़ में थे।
सिविल फायर स्टेशन को चंडीगढ़ के सेक्टर-17 में 8 जून, 2014 को रात 7.50 मिनट पर आग लगने की आपातकालीन सूचना मिली। ऑफ ड्यूटी में घर गए श्री रविन्दर कुमार को चंडीगढ़ के सेक्टर-17 में राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान पर टीम का हिस्सा बनने के लिए बुलाया गया।
राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान की तीन मंजिला इमारत पूरी तरह से भीषण आग की लपटों से घिरा हुआ था। आग को शांत करने के लिए पानी की बौछार करना फायर बिग्रेड के लिए चुनौतीपूर्ण था। मूल्यवान अनुसंधान रिकॉर्ड और महंगे उपकरण दांव पर लगे थे। इस स्तर पर आग बुझाने के सभी प्रयास इमारत के बाहर से किए जा रहे थे और इमारत के अंदर कोई भी प्रवेश नहीं कर पा रहा था। सही ढंग से स्थिति का आकलन और स्वयं की पहल से श्री रविन्दर कुमार ने अग्निशमक कर्मी की सच्ची भावना के साथ इमारत के अंदर से आग पर काबू पाने के लिए अपने व्यक्तिगत सुरक्षा की परवाह किए बिना पहली मंजिल पर चढ़ गए। उनके इस साहसी पहल से उत्साहित अन्य अग्निशमक कर्मियों ने भी आग के मूल कारण का पता लगाने के लिए उनका पीछा करना शुरू कर दिया। उनके अग्निशमन प्रयास कारगर हो रहे थे, तभी दुर्भाग्यपूर्ण परिस्थिती में इमारत का एक हिस्सा ढह गया और मलबे के नीचे अग्निशमक कर्मी फंस गए।
आग को रोकने के लिए एलएच फायरमैन श्री रविन्दर कुमार ने असाधारण साहस का परिचय देते हुए, अपने जीवन को न्यौछावर कर दिया। युवा फायरमैन के यह साहसिक कार्य भारतीय वायु सेना के 'अपने से ज्यादा कर्तव्यों को तरजीह' देने की परंपरा का प्रतीक है।
उन्होंने अति विशिष्ट वीरता, साहस और अनुकरणीय नेतृत्व का प्रदर्शन किया। कर्तव्यों के निर्वहन में उनके समर्पण और बलिदान से आने वाली पीढ़ी को प्रेरणा मिलेगी।
अपने इस वीर कृत्य के लिए श्री रविन्दर कुमार को वायु सेना पदक (वीरता) से सम्मानित किया जा रहा है।
स्रोत: पत्र सूचना कार्यालय
अंतिम बार संशोधित : 2/22/2020
इसमें अनुसूचित जनजातियों हेतु राष्ट्रीय प्रवासी छा...
इस पृष्ठ में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न - नि:शुल्...
इस लेख में विश्व में उपलब्ध अजब-गज़ब वृक्षों के बार...
इस भाग में नोबेल शांति पुरस्कार(2014) प्राप्त शख्...