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विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (ऑनलाइन पाठ्यक्रम अथवा कार्यक्रम) विनियम, 2018

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (ऑनलाइन पाठ्यक्रम अथवा कार्यक्रम) विनियम, 2018

  1. लघु शीर्षक और प्रारंभ
  2. अनुप्रयोग
  3. परिभाषाएं
  4. अर्हता मानदंड
  5. ऑनलाइन पाठ्यक्रम अथवा कार्यक्रम हेतु आवेदन
  6. अनुमोदन प्रक्रिया
  7. ऑनलाइन पाठ्यक्रम अथवा कार्यक्रम का प्रचालन
  8. पाठ्यक्रम अथवा कार्यक्रम निगरानी तथा नवीकरण
  9. गुणवत्ता आश्वासन
  10. निरीक्षण करने की शक्तियाँ तथा जानकारी
  11. मान्यता को वापस लेना
  12. अपील तथा कठिनाईयों का निवारण
  13. ऑनलाइन कार्यक्रम संचालित करने के लिए संकाय तथा कर्मचारिवृन्दों संबंधी अपेक्षाएं
  14. ऑनलाइन पाठ्यक्रम अथवा कार्यक्रम संचालित करने के लिए केन्द्र/प्रकोष्ठ
  15. शिक्षण कर्मचारिवृन्द
  16. ऑनलाइन पाठ्यक्रमों अथवा कार्यक्रमों को संचालित किए जाने हेतु
  17. ऑनलाइन पाठ्यक्रम अथवा कार्यक्रमों में प्रवेश तथा परीक्षा हेतु

लघु शीर्षक और प्रारंभ

(1) इन विनियमों, को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (ऑनलाइन पाठ्यक्रम अथवा कार्यक्रम) विनियम, 2018 कहा जाएगा।

(2) ये विनियम आधिकारिक राजपत्र में प्रकाशन की तिथि से लागू होंगे।

अनुप्रयोग

(1)  ये विनियम, इंटरनेट के उपयोग के माध्यम से सह-क्रियात्मक प्रौद्योगिकी के माध्यम से प्रमाणपत्र अथवा डिप्लोमा अथवा डिग्री प्रदान करने के लिए अनुदेशों के न्यूनतम मानकों को निर्धारित करता है।

(2)  ये विनियम, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग अधिनियम, 1956 (1956 का 3) की धारा 2 के खंड (च) में संदर्भित एक विश्वविद्यालय, उक्त अधिनियम की धारा 3 के तहत सम विश्वविद्यालय संस्थान अथवा किसी राज्य अधिनियम के तहत स्थापित विश्वविद्यालय, जो मुक्त अथवा दूरस्थ शिक्षा प्रणालियों अथवा ऑनलाइन शिक्षा प्रणाली के माध्यम से नियमित कक्षाएं संचालित कर उच्चतर शिक्षा अथवा उसमें शोध की सुविधा प्रदान करता है, जिससे अभियंत्रिकी, विधि, चिकित्सा, दंत चिकित्सा, औषधी निर्माण, परिचर्या, वास्तुकला, भौतिक-चिकित्सा, अनुप्रयुक्त कला तथा ऐसे ही अन्य पाठ्यक्रमों अथवा कार्यक्रमों, जिन्हें ऑनलाइन अथवा मुक्त और दूरस्थ शिक्षा पद्धति के माध्यमों से किसी अन्य सांविधिक निकाय अथवा परिषद द्वारा पेशकश किए जाने की अनुमति नहीं है, ऐसे पाठ्यक्रमों अथवा कार्यक्रमों के अलावा, अन्य विभिन्न पाठ्यक्रमों अथवा कार्यक्रमों जिनमें डिग्री अथवा डिप्लोमा अथवा प्रमाणपत्र प्रदान किया जाता है, पर लागू होंगे।

परिभाषाएं

ये विनियम, जब तक संदर्भ में अन्यथा अपेक्षित न हो, -

(क) अधिनियम' से अभिप्राय, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग अधिनियम, 1956 (1956 का 3) से है।

(ख) 'शैक्षिक परिषद् अथवा सीनेट' से अभिप्राय, इन नियमों के अनुपालन में अध्ययन के ऑनलाइन पाठ्यक्रम अथवा कार्यक्रम को अनुमति देने वाले निर्णय सहित उच्चतर शिक्षा संस्थान में सभी शैक्षणिक मामलों में निर्णय लेने के लिए अधिकार प्राप्त निकाय से है।

(ग) प्रमाणपत्र से अभिप्राय, उच्चतर शिक्षा संस्थान द्वारा प्रदान किए गए एक अवार्ड से है, जो डिग्री अथवा डिप्लोमा न हो, जिसमें यह प्रमाणित किया गया हो, कि प्राप्तकर्ता ने कम से कम छह माह की अवधि का ऑनलाइन पाठ्यक्रम सफलतापूर्वक पूर्ण किया है।

(घ) आयोग से अभिप्राय, अधिनियम के तहत स्थापित विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से है। (ड) क्रेडिट से अभिप्राय, किसी शिक्षार्थी द्वारा अध्ययन के प्रयासों के फलस्वरूप ज्ञानअर्जन निष्कर्ष के रूप में प्राप्त किए गए एक यूनिट से है, जो उस इकाई के संबंध में इस अर्जन के विहित स्तर को प्राप्त करने के लिए अपेक्षित थे।

स्पष्टीकरणः एतद्द्वारा यह स्पष्ट किया जाता है कि एक क्रेडिट के लिए अध्ययन प्रयास से अभिप्राय, किसी शिक्षार्थी द्वारा 15 घंटे के कक्षा अध्यापन के समकक्ष विषयवस्तु को समझने के लिए अपेक्षित समय से है।

(च) डिग्री से अभिप्राय, उच्चतर शिक्षा संस्थान द्वारा प्रदान किए गए ऐसे अवार्ड से है, जो कि प्रमाणपत्र अथवा डिप्लोमा न हों, जिसमें यह प्रमाणित किया गया हो कि प्राप्तकर्ता ने स्नातक डिग्री के मामले में कम से कम 3 वर्ष की अवधि के किसी ऑनलाइन पाठ्यक्रम अथवा कार्यक्रम को सफलतापूर्वक पूर्ण कर लिया है, और उस स्थिति में जब यह कार्यक्रम ऑनलाइन अध्ययन की न्यूनतम 2 वर्ष की अवधि पूर्ण किए जाने पर स्नातकोत्तर डिग्री प्रदान किया जाना भी सम्मिलित है।

(छ) डिप्लोमा से अभिप्राय, उच्चतर शिक्षा संस्थान द्वारा प्रदान किए गए ऐसे अवार्ड से है, जो कि प्रमाणपत्र अथवा डिग्री न हो, और जिसमें यह प्रमाणित किया गया हो कि प्राप्तकर्ता ने कम से कम 1 वर्ष की अवधि के ऑनलाइन पाठ्यक्रम अथवा अध्ययन के कार्यक्रम को सफलतापूर्वक पूर्ण कर लिया है।

(ज) ई-लर्निंग सामग्री से अभिप्राय, तथा उसमें संरचित पाठ्यक्रम सामग्री के रूप में सम्मेलित विषयवस्तु से है, जो ऑनलाइन पाठ्यक्रम अथवा कार्यक्रम में 1 अथवा 1 से अधिक पाठ्यक्रमों के भाग के रूप में अध्ययन प्रबंधन प्रणाली के माध्यम से डिजिटल प्रारूप में प्रदान की जाए, जो अन्य बातों के साथ-साथ स्वतः स्पष्ट, स्व-अंतर्विष्ट, शिक्षार्थी उन्मुखी तथा स्व-मूल्यांकन साध्य हो तथा शिक्षार्थी को अध्ययन पाठ्यक्रम में ज्ञान अर्जन के विहित स्तर की प्राप्ति हेतु सक्षम बनाए, परंतु इसमें पाठ्य पुस्तकें अथवा संदर्शिका पुस्तकें शामिल नहीं है।

(झ) परीक्षा केन्द्र से अभिप्राय, ऐसे स्थान से है, जहाँ ऑनलाइन पद्धति के शिक्षार्थियों के लिए परीक्षाएं आयोजित की जाती हैं, जहाँ ऐसी परीक्षाओं को निर्बाध रूप से आयोजित कराने के लिए सुरक्षा विशेषताओं सहित अपेक्षित अवसरंचना मौजूद हों।

(ञ) उच्चतर शिक्षा से अभिप्राय, ऐसी शिक्षा से है, जिसे 12 वर्ष की विद्यालयी शिक्षा से इतर नियमित कक्षाएं आयोजित कर अथवा मुक्त और दूरस्थ शिक्षा प्रणाली के माध्यम से अथवा ऑनलाइन शिक्षा प्रणाली के माध्यम से प्रदान किया जाता है। जिसमें प्रमाणपत्र अथवा डिप्लोमा अथवा डिग्री, जैसा भी मामला हो, प्रदान की जाए।

(ट) उच्चतर शिक्षा संस्थान से अभिप्राय, अधिनियम की धारा 2 की खंड (च) और धारा 3 के तहत सम विश्वविद्यालय संस्थान से है, जो नियमित कक्षाएं आयोजित कर अथवा मुक्त और दूरस्थ शिक्षा प्रणाली अथवा ऑनलाइन शिक्षा प्रणाली के माध्यम से नियमित कक्षाएं संचालित कर उच्चतर शिक्षा अथवा उसमें शोध की सुविधा प्रदान कर रहा हो।

(ठ) शिक्षार्थी सहायक सेवा से अभिप्राय, तथा के अन्तर्गत ऐसी सेवाएं शामिल होंगी, जिन्हें उच्चतर शिक्षा संस्थान द्वारा शिक्षार्थी के शिक्षण ज्ञानार्जन अनुभव को सुकर बनाने के लिए प्रदान किया जाता हैं।

(ड) ज्ञानार्जन प्रबंधन प्रणाली से अभिप्राय, ई-लर्निंग कार्यक्रमों, शिक्षार्थी की सलिप्तता, मूल्यांकन परिणामों तथा जानकारियों को प्रदान किए जाने की एक केन्द्रित अवस्थिति में निगरानी करना हैं।

(ढ) मुक्त विश्वविद्यालय के अन्तर्गत ऐसे विश्वविद्यालय शामिल है, जो सूचना और संचार प्रौद्योगिकियों की विभिन्न पद्धतियों का उपयोग कर दूरस्थ शिक्षा अथवा मुक्त और दूरस्थ शिक्षा पद्धति के माध्यम से शिक्षा प्रदान करता हो।

(ण) सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी से अभिप्राय, एक ऐसे उपकरण, साधन, विषयवस्तु, संसाधन, मंच से है जिसे डिजिटल प्रारूप में परिवर्तित किया जा सके अथवा प्रदान किया जा सके, जिसे शिक्षण ज्ञानार्जन के उद्देश्यों की प्राप्ति, संसाधनों तक पहुंच को बढ़ावा देने तथा संसाधनों की पहुंच में वृद्धि करने, क्षमता निर्माण करने के साथ ही शिक्षा प्रणाली के प्रबंधन हेतु उपयोग किया जा सके।

(त) एमओओसी से वही अभिप्राय है, जो विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (स्वयम् के माध्मय से ऑनलाइन पाठ्यक्रम हेतु क्रेडिट प्रणाली) विनियम, 2016 के विनियम, 3 के उप विनियम, 3.6 में दिया गया है।

(थ) ऑनलाइन पाठ्यक्रम अथवा कार्यक्रम से अभिप्राय, ऐसे पाठ्यक्रम अथवा अध्ययन कार्यक्रम से है, जिसे ऑनलाइन पद्धति से प्रदान किया जाता है, ताकि इन विनियमों के तहत एक अनुमोदित और मान्यता प्राप्त उच्चतर शिक्षा संस्थान द्वारा एक प्रमाणपत्र अथवा डिप्लोमा अथवा डिग्री प्रदान की जा सके।

(द) अभिकृत परीक्षा से अभिप्राय, ऐसे अनुमोदित निष्पक्ष व्यक्ति के वास्तविक पर्यवेक्षण के तहत संचालित की गई परीक्षा से है, जो परीक्षार्थी की पहचान तथा परीक्षा लेने के परिवेश की सक्षमता सुनिश्चित कर सके।

(घ) स्वयम् (स्टडी वेब ऑफ एक्टिव लर्निंग फॉर यंग एसपायरिंग माइंड) से अभिप्राय, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (स्वयम् के माध्यम से ऑनलाइन ज्ञानार्जन पाठ्यक्रमों हेतु क्रेडिट प्रणाली) विनियम, 2016 में यथानिर्दिष्ट ज्ञानार्जन प्रबंधन प्रणाली से है।

(न) स्व-ज्ञानार्जन ई-मॉडयूल से अभिप्राय, ई-लर्निंग सामग्री की एक मॉड्यूलर इकाई से है, जो अन्य बातों के साथ-साथ स्वतः-स्पष्ट, स्व-अंतर्विष्ट, शिक्षार्थी उन्मुखी तथा मूल्यांकन साध्य हो तथा शिक्षार्थी को अध्ययन पाठ्यक्रम में ज्ञानार्जन के विहित स्तर की प्राप्ति हेतु सक्षम बनाए और जिसमें निम्नवत् ई-अध्ययन विषयवस्तु के संयोजन के रूप में विषयवस्तु शामिल हो, नामतः

(क) ई-पाठ्य सामग्री

(ख) वीडियो व्याख्यान

(ग) दृश्य-श्रव्य, सह–क्रियात्मक सामग्री

(घ) नैतिक कक्षा सत्र

(ड.) श्रव्य पॉडकास्ट

(च) नैतिक अनुरूपण; और

(छ) स्व-मूल्यांकन प्रश्नोत्तरी अथवा जाँच।

अर्हता मानदंड

कोई उच्चतर शिक्षा संस्थान, जो निम्नवत् शर्ते पूरी करता है, वह ऑनलाइन पाठ्यक्रम अथवा कार्यक्रम के लिए आवेदन कर सकता है, यथा/अर्थात;

(1)  (i) कम से कम पिछले 5 वर्षों से स्थापित हो;

(ii) 4 प्वांइट के पैमाने पर कम से कम 3.26 प्राप्तांक के साथ राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद (एनएएसी) द्वारा प्रत्यायित हो, तथा

(iii) पिछले 3 वर्षों में कम से कम 2 वर्षों से राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग प्रणाली (एनआईआरएफ) की समग्र श्रेणी में श्रेष्ठ 100 में होना चाहिए।

बशर्ते, मद संख्या (ii) और (iii) किसी शासकीय मुक्त विश्वविद्यालय पर लागू नहीं होगी, जब तक कि ऐसे मुक्त विश्वविद्यालय को राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद (एनएएसी) अथवा ऐसी ही प्रत्यायन प्रणाली और राष्ट्रीय संस्थागत रैकिंग प्रणाली (एनआईआरएफ) के अन्तर्गत प्रत्यायित न हो।

(2)  उच्चतर शिक्षा संस्थान केवल ऐसे ऑनलाइन पाठ्यक्रम अथवा कार्यक्रम की ही पेशकश करेगा, जिसमें वह पहले ही समान अथवा ऐसे ही पाठ्यक्रम अथवा कार्यक्रम की नियमित पद्धति (कक्षा शिक्षण) अथवा मुक्त और दूरस्थ ज्ञानार्जन पद्धति से पेशकश कर रहा हो, और जिसमें कम से कम एक बैच उत्तीर्ण हो चुका हो।

बशर्ते, ऐसे ऑनलाइन पाठ्यक्रम अथवा कार्यक्रम जिसमें व्यावहारिक अथवा प्रयोगशाला पाठ्यक्रम को पाठ्यचर्या के भाग के रूप में पढ़ाया जाना अपेक्षित हो, संचालित नहीं किया जाएगा।

(3)  उच्चतर शिक्षा संस्थान, पूर्ण ऑनलाइन पद्धति से प्रमाणपत्र, डिप्लोमा और डिग्री पाठ्यक्रम अथवा कार्यक्रम की पेशकश कर सकता है, बशर्ते, ऐसे सभी पाठ्यक्रम अथवा कार्यक्रम उच्चतर शिक्षा संस्थान के सांविधिक प्राधिकरणों अथवा निकायों द्वारा विधिवत् अनुमोदित हों तथा इन्हें प्रदान किए जाने की प्रणाली, इन विनियमों के तहत, ऑनलाइन शिक्षा के गुणवत्ता मानदण्डों पर खरी उतरती हो।

(4)  उच्चतर शिक्षा संस्थान ने ऑनलाइन पाठ्यक्रम अथवा कार्यक्रम को विकसित अथवा तैयार करने की क्षमता को निम्नानुसार प्रदर्शित किया हो;

(i) पाठ्यक्रम अथवा कार्यक्रम की पाठ्यचर्या को संस्थान के भीतर संकाय द्वारा तैयार किया गया हो अथवा इन्हें इस प्रकार से विकसित किया जाए, जिससे यह कौशल तथा ज्ञान प्रदान कर सकें।

(ii) किसी पाठ्यक्रम अथवा कार्यक्रम की पाठ्यचर्या को निम्नवत् न्यूनतम चार चतुर्थांशों में ऑनलाइन पाठ्यक्रमों अथवा कार्यक्रमों में परिवर्तित करने के लिए संस्थान के भीतर अथवा विधिवत् रूप से ऑउटसोर्स की गई पाठ्यचर्या तैयार करने की सुविधा, नामत;

(क) ग्राफिक्स अथवा एनीमेशन तैयार करने, सीखने-सिखाने के लिए वीडियो रिकॉर्डिंग अथवा डबिंग या संपादन सुविधा;

(ख) शिक्षार्थियों की पठन तथा ग्रहण शक्ति में सुधार करने के लिए ई-विषयवस्तु

(ग) सूझबूझ विकसित करने के लिए परीक्षाएं तथा गृह कार्य; और

(घ) ज्ञानार्जन की शंकाओं का निराकरण करने के लिए चर्चा हेतु, मंच;

(iii) स्वयम् तक निम्नवत् पहुंच हो;

(क) शिक्षार्थियों का अधिप्रमाणन– भारतीय छात्रों की पहचान हेतु आधार अथवा अन्य सरकारी मान्यताप्राप्त पहचान पत्र तथा विदेशी छात्रों के लिए पासपोर्ट के साथ हो;

(ख) शिक्षार्थी पंजीकरण- सहायक दस्तावेजों के साथ एक वेब एप्लीकेशन के माध्यम से;

(ग) पेमेंट गेटवे- डिजिटल भुगतान प्रणाली का उपयोग करते हुए,

(घ) ज्ञानार्जन प्रबंधन प्रणाली- जो किसी पाठ्यचर्या अथवा कार्यक्रम, शिक्षार्थी की सलिप्तता, मूल्यांकन, परिणाम और जानकारी प्रदान किए जाने की निगरानी करता है, जिसे विश्लेषणात्मक साधनों द्वारा सहायता प्रदान की जाए, जो शिक्षकों को प्रासंगिक रिपोर्ट, प्राप्त करने तथा उपयोग करने में सहायक हो।

(iv) प्रौद्योगिकी क्षमता ऑनलाइन जॉच का उपयोग करते हुए सभी सुरक्षा व्यवस्थाओं के साथ परीक्षाओं की पारदर्शिता तथा साख सुनिश्चित करते हुए, अभिकृत परीक्षाओं के माध्यम से परीक्षाएं संचालित करने की क्षमता।

ऑनलाइन पाठ्यक्रम अथवा कार्यक्रम हेतु आवेदन

(1) कोई भी पात्र उच्चतर शिक्षा संस्थान, आयोग को ऑनलाइन पाठ्यक्रम अथवा कार्यक्रम की पेशकश करने का प्रस्ताव, आयोग द्वारा समय-समय पर निर्धारित समय अनूसूची के अनुसार प्रस्तुत करेगा;

(2) आवेदन प्रारूप में निम्नवत् ब्यौरा अंतर्विष्ट होगा, यथा;

(i) ऑनलाइन पद्धति से पाठ्यक्रम अथवा कार्यक्रम की पेशकश करने हेतु उच्चतर शिक्षा संस्थान को शासित करने वाले अधिनियम अथवा संगम ज्ञापन के तहत सांविधिक निकायों का अनुमोदन;

(ii) सभी प्रस्तावित पाठ्यक्रम अथवा अध्ययन कार्यक्रमों को प्रभावी रूप से प्रदान करने के लिए 'स्वयम्' अथवा ऐसे ही अन्य प्लेटफार्म तक पहुँच;

(iii) पेशकश किए जाने हेतु, प्रस्तावित पाठ्यक्रमों अथवा कार्यक्रमों की सूची तथा छात्रों का अनुमानित नामांकन तथा अन्य अपेक्षाएं,

(iv) ऑनलाइन पाठ्यक्रमों अथवा कार्यक्रमों के लिए एक आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ की स्थापना करते हुए, तथा ऐसे ऑनलाइन पाठ्यक्रम अथवा कार्यक्रम को प्रभावी ढंग से प्रदान करने हेतु सहायक सेवाओं के लिए शैक्षणिक तथा अन्य कर्मचारियों की उपलब्धता सुनिश्चित करते हुए शिक्षार्थी सहायता सेवाओं हेतु प्रणालियां;

(v) इन विनियमों के अनुलग्नक-1 में यथानिर्दिष्ट उपर्युक्त संकाय तथा कर्मचारी, अवसंरचना तथा प्रौद्योगिकी की उपलब्धता का प्रमाण;

(vi) पाठ्यक्रम अथवा कार्यक्रम के निष्कर्षों के आशातीत ज्ञानार्जन निष्कर्ष।

अनुमोदन प्रक्रिया

(1)  आयोग, विनियम (5) के तहत प्राप्त आवेदन को निम्नवत् पद्धति से संसाधित करेंगे, यथा; (i) आवेदन में किसी प्रकार की कमी अथवा चूक के बारे में आयोग द्वारा उच्चतर शिक्षा संस्थान को संसूचित किया जाएगा तथा उच्चतर शिक्षा संस्थान द्वारा निर्धारित समय सीमा के भीतर अनिवार्य दस्तावेजों अथवा जानकारी, यदि कोई हो तो, के साथ ऐसी कमियों अथवा चूक को दूर करना अथवा ठीक करना अपेक्षित होगा;

(ii) जहां उच्चतर शिक्षा संस्थान ने ऑनलाइन पद्धति से पाठ्यक्रम अथवा कार्यक्रम की पेशकश करने के लिए कोई आवेदन किया हो तो, आयोग ऐसे पाठ्यक्रम अथवा कार्यक्रम के संबंध में अपने विवेक के अनुसार विशेषज्ञ समिति के माध्यम से एक निरीक्षण करेगा; तथा (iii) आयोग, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष महोदय द्वारा गठित एक विशेषज्ञ समिति की सहायता से आवेदनों की जांच करेगा तथा ऐसी विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों को आयोग के विचाराधीन रखा जाएगा।

(2)  विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों की प्राप्ति के पश्चात्, आयोग यदि आश्वस्त हो, कि उच्चतर शिक्षा संस्थान, इन विनिमयों में विनिर्दिष्ट निर्धारित शर्तों और मानकों को पूरा करता है, तो वह ऐसे उच्चतर शिक्षा संस्थान को मान्यता प्रदान करने का आदेश पारित करेगा, यदि उसके विचार से संस्थान उसके द्वारा प्रस्तावित रूप से पेशकश किए जाने वाले किसी पाठ्यक्रम अथवा कार्यक्रम के संबंध में निर्धारित मानकों को पूरा नहीं करता है तो, वह लिखित में कारणों को दर्ज करते हुए ऐसे उच्चतर शिक्षा संस्थान को मान्यता प्रदान करने से इंकार करते हुए एक आदेश पारित करेगा।

(3)  कोई भी उच्चतर शिक्षा संस्थान, किसी भी ऑनलाइन पाठ्यक्रम अथवा कार्यक्रम की पेशकश नहीं करेगा तथा न ही छात्रों को प्रवेश देगा, जब तक कि संस्थान को आयोग द्वारा मान्यता प्रदान न की गई हो, न ही अनुमोदन प्राप्ति की प्रत्याशा में प्रवेश दिया जाएगा।

स्पष्टीकरणः संदेह दूर करने के लिए यह स्पष्ट किया जाता है, कि इन विनियमों से पूर्व, आयोग ने किसी उच्चतर शिक्षा संस्थान को ऑनलाइन पाठ्यक्रम अथवा कार्यक्रम चलाने के लिए मान्यता प्रदान नहीं की है।

(4) अनुमोदन की प्रक्रिया के विभिन्न चरणों हेतु समयावधि को आयोग द्वारा समय-समय पर निर्धारित किया जाएगा।

ऑनलाइन पाठ्यक्रम अथवा कार्यक्रम का प्रचालन

(1)  ऐसे संस्थान, जिन्हें आयोग द्वारा विनियम, 5 के तहत मान्यता प्रदान की गई थी, वे अगले शिक्षा सत्र से ऑनलाइन पाठ्यक्रम अथवा कार्यक्रम चला सकते हैं।

(2)  इन विनियमों के तहत पेशकश किए गए ऑनलाइन पाठ्यक्रम अथवा कार्यक्रम निम्नवत शर्तों को पूरा करेंगे, नामत;

(i)  ऑनलाइन पाठ्यक्रम अथवा कार्यक्रम को स्वयं पोर्टल के माध्यम से प्रदान किया जाएगा;

बशर्ते, आयोग ज्ञानार्जन के अन्य प्लेटफार्मों को अनुमति प्रदान कर सकते हैं, यदि इसे विधिवत् जांच उपरांत विशेषज्ञ समिति द्वारा अनुमोदित किया जाए;

बशर्ते, इसके अतिरिक्त पाठ्यक्रम अथवा कार्यक्रम की विषयवस्तु और उसे तैयार तथा विकसित भी संस्थान के संकाय द्वारा किया जाएगा, जैसा कि विनियम के उप-विनियम (4) की मद संख्या (i) में यथानिर्दिष्ट है;

(ii) पाठयक्रम अथवा कार्यक्रम को पारम्परिक शिक्षार्थियों के साथ-साथ कामकाजी पेशेवरों तथा अन्य व्यक्तियों के लिए तैयार किया जाएगा, जो ज्ञान और संबद्ध शैक्षिक उपलब्धि प्राप्त करने की अभिलाषा रखते हों।

(iii) ऑनलाइन ज्ञानार्जन में निम्नवत् चार चतुर्थांश पद्धति होंगी, यथा;

(क) चतुर्थांश-I, अर्थात ई-अनुशिक्षण में दृश्य तथा श्रव्य विषयवस्तु, एनीमेशन, अनुरूपण, नैतिक लैब अंतर्विष्ट होगी।

(ख) चतुर्थांश-II, अर्थात् ई-विषयवस्तु में सामान्य दस्तावेज़ प्रारूप अथवा ई-पुस्तक अथवा चित्र, वीडियो प्रदर्शन, दस्तावेजों तथा सह-क्रियात्मक अनुरूपण, जहाँ कहीं भी आवश्यक हो, अंतर्विष्ट होगी।

(ग)  चतुर्थांश-III, अर्थात् वेब संसाधनों में, संबद्ध लिंक, इंटरनेट पर मुक्त विषयवस्तु, मामला अध्ययन, विषय के संबंध में हुआ ऐतिहासिक विकास, लेख अंतर्विष्ट होंगे।

(घ) चतुर्थांश-IV, अर्थात स्वः मूल्यांकन, जिसमें एमसीक्यू संबंधी प्रश्न, प्रश्नावलियाँ, गृह कार्य तथा उनके उत्तर, चर्चा मंच हेतु विषय तथा एफएक्यू तैयार करना, सामान्य गलत धारणाओं पर स्पष्टीकरण अंतर्विष्ट होंगे।

(iv) वास्तविक पाठ्यक्रम अथवा कार्यक्रम के अलावा, अन्य घटक, जैसः- परामर्श प्रक्रिया, ऑनलाइन आवेदन संसाधित करना तथा शुल्क भुगतान को भी ऑनलाइन पद्धति के माध्यम से उपलब्ध कराया जाएगा। शिक्षार्थी के लगातार मूल्यांकन के लिए भी व्यवस्था की जाएगी।

(iv) परीक्षाओं को अभिकृत परीक्षाओं के माध्यम से परीक्षाओं के लिए किन्हीं अन्य मानदण्डों के अनुरूप, जैसा कि आयोग द्वारा समय-समय पर निर्धारित किया जाएगा, संचालित किया जाएगा।

(v) उच्चतर शिक्षा संस्थान, प्रत्येक वर्ष अपनी वेबसाइट पर ऑनलाइन पाठ्यक्रमों हेतु अनिवार्य स्व-उद्घटन को अपलोड करेंगे तथा प्रत्येक 2 वर्षों में तृतीय पक्ष शैक्षणिक लेखापरीक्षा तथा प्रत्येक वर्ष आंतरिक लेखापरीक्षा करेंगे।

(vi) कार्यक्रम-वार जानकारी, जैसेः- कार्यक्रम की अवधि, प्रारंभ तथा समाप्ति की तिथि, शुल्क, छात्रों की संख्या, पहचान के साथ छात्रों का नाम, परिणामों को प्रत्येक क्रियाकलाप की समाप्ति से 10 दिनों के भीतर, उच्चतर शिक्षा संस्थान की वेबसाइट पर अपलोड किया जाएगा तथा इसे लगातार अद्यतन किया जाएगा।

(3)  उच्चतर शिक्षा संस्थान, निम्नवत अपेक्षाओं को अंगीकार करते हुए डिग्री अथवा डिप्लोमा अथवा प्रमाणपत्र अवार्ड करने के लिए पाठ्यचर्या पहलुओं, मूल्यांकन तथा क्रेडिट प्रणाली को तैयार कर सकते हैं, यथा;

(i) प्रत्येक पाठ्यक्रम के लिए पाठ्यक्रम की विषयवस्तु को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया जाएगा, जिससे प्रत्येक पाठ्यक्रम में मॉड्यूलर ई-विषयवस्तु होगी, जिसे ऑनलाइन माध्यम से ढांचागत पद्धति से प्रदान किया जाएगा, जिसमें मॉड्यूल के अंत में छात्रों द्वारा ग्रहण किए जाने हेतु, प्रत्याशित ज्ञानार्जन निष्कर्षों को स्पष्ट रूप से निर्धारित किया जाएगा।

(ii) पाठ्यक्रम अथवा कार्यक्रम की प्रणाली शिक्षक या अनुदेशक को मल्टी मीडिया युक्त अथवा सह–क्रियात्मक विषयवस्तु, क्रियाकलापों, तथा मूल्यांकनों को सम्मिलित करने की अनुमति प्रदान करेगा, जिससे ज्ञानार्जन के अवसर को बढ़ाया जा सके तथा उसका सुगमता से परिचालन किया जा सके।

(iii) कोई प्रमाणपत्र, पाठ्यक्रम अथवा कार्यक्रम, कम से कम 6 माह की अवधि का होगा तथा जिसमें कम से कम 20 क्रेडिट होंगे।

(iv) कोई प्रमाणपत्र, पाठ्यक्रम अथवा कार्यक्रम, कम से कम 1 वर्ष की अवधि का होगा तथा जिसमें कम से कम 40 क्रेडिट होंगे।

(v) ऑनलाइन पेशकश किए जाने वाले डिग्री पाठ्यक्रम अथवा कार्यक्रम के क्रेडिट तथा न्यूनतम अवधि चयन आधारित क्रेडिट प्रणाली (सीबीसीएस) के तहत आयोग द्वारा यथानिर्दिष्ट होंगे।

(vi) ऑनलाइन पाठ्यक्रम अथवा कार्यक्रम को पूर्ण करने की अधिकतम अवधि पाठ्यक्रम अथवा कार्यक्रम को पूर्ण करने की न्यूनतम अवधि से दोगुनी अथवा आयोग द्वारा समय-समय पर यथानिर्धारित अवधि होगी।

(vii) कोई उच्चतर शिक्षा संस्थान, न्यूनतम अवधि से अधिक की अवधि वाले प्रमाणपत्र तथा डिप्लोमा स्तर के ऑनलाइन पाठ्यक्रम अथवा कार्यक्रम हेतु क्रेडिटों की संख्या के संबंध में मद संख्या (iii) तथा मद संख्या (iv) के अनुसार आनुपातिक आधार पर निर्णय ले सकता है।

(viii) शिक्षा सत्र, प्रत्येक वर्ष जुलाई-अगस्त अथवा जनवरी-फरवरी में प्रारंभ होगा।

(ix) मूल्यांकन प्रणाली की उपलब्धताः ऑनलाइन पाठ्यक्रम अथवा कार्यक्रम हेतु प्रत्येक पाठ्यक्रम के रचनात्मक तथा संकलित मूल्यांकन, दोनों के लिए चिह्नित ज्ञानार्जन निष्कर्षों हेतु सटीक मूल्यांकन प्रणाली होगी।

(x) चिह्नित प्रौद्योगिकीय इंटरफेस तथा अंतर्रचालनताः ऑनलाइन पाठ्यक्रम अथवा कार्यक्रम में विविध प्रौद्योगिकीय साधनों का उपयोग करने की क्षमता होनी चाहिए तथा एक उपयोगकर्ता अनुकूल इंटरफेस होना चाहिए, वह अंतर्घचालनता हेतु पहुंच मानदंडों तथा निशक्त शिक्षार्थियों हेतु उपयोग के मानकों को पूरा करते है।

(xi) पेशेवर ऑनलाइन पाठ्यक्रम अथवा कार्यक्रम- यदि उच्चतर शिक्षा संस्थान, विनियम, 2 के उपविनियम (2) में वर्जित विषयों के अलावा अन्य पेशेवर ऑनलाइन पाठ्यक्रमों अथवा कार्यक्रमों की पेशकश करना चाहता है तो, आयोग के समक्ष प्रस्तुत ऑनलाइन पाठ्यक्रम अथवा कार्यक्रम के प्रस्ताव तथा अनुमोदन प्रदान किए जाने हेतु आवेदन में ऐसे पाठ्यक्रम अथवा कार्यक्रम की ऑनलाइन पद्धति से पेशकश किए जाने हेतु पेशेवर अथवा सांविधिक निकाय अथवा संबंधित परिषद् द्वारा प्रदान किए गए अनुमोदन की एक प्रति शामिल की जाएगी तथा ऐसे पाठ्यक्रम अथवा कार्यक्रम की पेशकश करने वाले उच्चतर शिक्षा संस्थान का उत्तरदायित्व होगा कि वे अपने क्षेत्राधिकार के तहत आने वाले पाठ्यक्रम अथवा कार्यक्रम के लिए उपयुक्त पेशेवर अथवा सांविधिक परिषदों की अपेक्षाओं का अनुपालन करें तथा ऐसी किन्हीं भी अपेक्षाओं का अनुपालन नहीं किए जाने के परिणामस्वरूप, पैदा हुए किसी भी विधिक मुद्दे के लिए उच्चतर शिक्षा संस्थान उत्तरदायी होगा।

(4)  ऑनलाइन पाठ्यक्रम अथवा कार्यक्रम हेतु नामांकन के लिए शिक्षार्थी संबंधी अपेक्षाएं: ऑनलाइन पाठ्यक्रम अथवा कार्यक्रम के लिए नामांकित शिक्षार्थियों को अपेक्षित जानकारी अथवा साक्षरता कौशल से सम्पन्न होना चाहिए, जिसके लिए संपूर्ण सेमेस्टर में तकनीकी सहायता हेतु हेल्पलाइन होगी।

(5)  शिक्षार्थी अधिप्रमाणन संबंधी अपेक्षाएं: उच्चतर शिक्षा संस्थान, शैक्षिक सत्यनिष्ठा को बनाए रखना सुनिश्चित करने के लिए उपयुक्त शिक्षार्थी अधिप्रमाणन पद्धतियों को अपनाएंगे तथा छात्रों को नामांकन के समय तथा परीक्षाओं में मूल्यांकन के समय आधार संख्या अथवा कोई अन्य शासकीय मान्यताप्राप्त पहचान पत्र अथवा पासपोर्ट नम्बर, जो भी लागू हो, प्रस्तुत करना होगा तथा उच्चतर शिक्षा संस्थान को अधिप्रमाणन हेतु उनकी जानकारी का सत्यापन करना होगा, जिसके लिए उच्चतर शिक्षा संस्थान द्वारा उन्हें अनिवार्य अवसंरचना अथवा सॉफ्टवेयर उपलब्ध कराया जाएगा।

(6)  शिक्षार्थियों की सक्रिय भागीदारीः ऑनलाइन अथवा नैतिक कक्षा में सक्रिय भागीदारी की समक्रमिक तथा असमक्रमिक चर्चाओं में भागीदारी, नियत कार्य (असाइन्मेंट) क्रियाकलापों तथा पाठ्यक्रम अथवा कार्यक्रम में भागीदारी के माध्यम से निगरानी की जाएगी। तथा प्रत्येक पखवाड़े में कम से कम 2 घंटों तक शिक्षार्थी की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए, ज्ञानार्जन प्रबंधन प्रणाली का विश्लेषण किया जाएगा।

(7)  पाठ्यक्रम के मार्गदर्शकों हेतु तकनीकी ज्ञान तथा कौशल संबंधी अपेक्षाएं: उच्चतर शिक्षा संस्थान के 'ऑनलाइन पाठ्यक्रम मार्गदर्शकों, उपनिदेशक (ऑनलाइन पाठ्यक्रम एवं कार्यक्रम) और पाठ्यक्रम अथवा कार्यक्रम समन्वयकों के लिए तकनीकी ज्ञान और कौशल संबंधी अपेक्षाओं हेतु निर्धारित मानदंड अथवा दिशानिर्देश होंगे, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके, कि सभी संसाधन, छात्र- ज्ञानार्जन के परिप्रेक्ष्य में प्रभावी ढंग से ऑनलाइन शिक्षा प्रदान करने में सक्षम हों तथा दीर्घावधि में ऑनलाइन पाठ्यक्रम अथवा कार्यक्रम के विकास तथा उसे संचालित किए जाने का संवर्धन करने के लिए नई पद्धतियों तथा सूचना और संचार प्रौद्योगिकी साधनों को अनिवार्य रूप से अंगीकार करने के लिए कौशल का लगातार उन्नयन करें।

(8)  शिक्षार्थी सहायता सेवाएं तथा ई–विषयवस्तु सामग्रीः उच्चतर शिक्षा संस्थान परामर्श प्रदान करने, सलाह देने, मार्गदर्शन देने तथा निर्देशन करने के लिए पर्याप्त सहायता उपलब्ध कराएंगे, ताकि शिक्षार्थियों के लिए सर्वोत्तम संभाव्य ज्ञानार्जन अनुभव प्राप्त किया जा सके तथा शैक्षिक सत्यनिष्ठा तथा नेट शिष्टाचार (इंटरनेट शिष्टाचार) और अध्याय संबंधी क्रियाकलापों, समूह चर्चा, बातचीत और साहित्य चोरी के संबंध में स्पष्ट दिशानिर्देश होने चाहिए।

(9)  प्रदान की गई प्रत्येक डिग्री अथवा डिप्लोमा अथवा प्रमाणपत्र को एक विशिष्ट पहचान संख्या दी जाएगी और उसमें आधार संख्या अथवा अन्य सरकारी मान्यताप्राप्त पहचान पत्र अथवा पासपोर्ट संख्या, जैसा भी लागू हो, सहित छात्र और पाठ्यक्रम अथवा कार्यक्रम के अन्य ब्योरे को राष्ट्रीय निक्षेपागार में अपलोड किया जाएगा।

पाठ्यक्रम अथवा कार्यक्रम निगरानी तथा नवीकरण

(1)  आयोग, आवधिक रूप से अथवा किसी भी समय, प्राप्त जानकारी के आधार पर, विशेषज्ञ समिति के माध्यम से ऑनलाइन पाठ्यक्रम अथवा कार्यक्रम की पेशकश करने वाले उच्चतर शिक्षा संस्थान की विशेषज्ञ समिति के माध्यम से निष्पादन की समीक्षा करेगा, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके, कि उन विनियमों का अनुपालन किया जा रहा है अथवा नहीं और ऑनलाइन पाठ्यक्रम अथवा कार्यक्रम की विषयवस्तु, अनुदेशात्मक डिजाईन, प्रौद्योगिकी, छात्र मूल्यांकन और पाठ्यक्रम अथवा कार्यक्रम प्रबंधन हेतु अपेक्षाओं तथा गुणवत्ता संबंधी दिशानिर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए निर्देश जारी कर सकता है।

(2)  ऑनलाइन पद्धति के माध्यम से पाठ्यक्रम अथवा कार्यक्रम के संचालन के लिए प्रत्येक दूसरे वर्ष अनुमोदन का नवीकरण किया। जाएगा।

(3)  आयोग, संस्थान के निष्पादन की समीक्षा करेगा, पहले से ही संचालित किए जा रहे ऑनलाइन पाठ्यक्रम अथवा कार्यक्रम के निष्कर्षों का मूल्यांकन करेगा और एक ऑनलाइन प्रक्रिया के माध्यम से समय-समय पर निर्धारित समय-सीमा के भीतर नवीकरण हेतु अनुमोदन प्रदान करेगा।

(4)  यदि ऑनलाइन पाठ्यक्रम अथवा कार्यक्रम चलाने के लिए किसी उच्चतर शिक्षा संस्थान को प्रदान किए गए अनुमोदन का नवीकरण नहीं किया जाता है, तो संस्थान आगामी शिक्षा वर्ष से ऐसे पाठ्यक्रम अथवा कार्यक्रम की पेशकश नहीं करेगा।

बशर्ते, पाठ्यक्रम अथवा कार्यक्रम में पहले से ही नामांकित छात्रों को पाठ्यक्रम अथवा कार्यक्रम पूरा करने दिया जाएगा।

गुणवत्ता आश्वासन

(1) ऑनलाइन पद्धति से किसी पाठ्यक्रम अथवा कार्यक्रम की पेशकश करने वाले उच्चतर शिक्षा संस्थान निम्नवत कदम उठाएंगे, यथा;

(i) समय-समय पर यथासंशोधित विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (मुक्त और दूरस्थ ज्ञान अर्जन) विनियम, 2017 में यथानिर्दिष्ट आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन केन्द्र (सीआईक्यूए) की तर्ज पर आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ की स्थापना करना;

(ii) नियमित अंतराल पर अपने शिक्षण तथा प्रशासनिक कर्मचारिवृन्दों के प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण के लिए पर्याप्त उपाय करना;

(iii) यह सुनिश्चित करना कि ऑनलाइन पद्धति के माध्यम से पेशकश किए जा रहे अध्ययन के पाठ्यक्रम अथवा कार्यक्रम की गुणवत्ता, आयोग अथवा किसी उपर्युक्त सांविधिक प्राधिकरण द्वारा समय-समय पर निर्धारित मानकों के अनुरूप बनाई रखी जाए;

(iv) यह सुनिश्चित करें, कि पाठ्यक्रम अथवा कार्यक्रम को ऑनलाइन पद्धति से प्रदान करने के लिए तकनीकी तथा अनुदेशात्मक सुविधाओं के साथ-साथ सूचना संसाधन के संबंध में समय-समय पर आयोग द्वारा निर्धारित दिशानिर्देशों का अनुपालन किया जाए और वे पाठ्यक्रम अथवा कार्यक्रम की संख्या तथा तत्संबंधी नामांकन के अनुरूप हों।

(2) उच्चतर शिक्षा संस्थान, आयोग द्वारा समय-समय पर जारी ऑनलाइन पाठ्यक्रम अथवा कार्यक्रम के संबंध में गुणवत्ता आश्वासन प्रणाली संबंधी दिशानिर्देशों का अनुपालन करेगा।

निरीक्षण करने की शक्तियाँ तथा जानकारी

(1)  आयोग, ऑनलाइन पद्धति से पाठ्यक्रम अथवा कार्यक्रम की पेशकश करने वाले उच्चतर शिक्षा संस्थान के निष्पादन की आवधिक रूप से समीक्षा करेगा और इस प्रयोजनार्थ वह संस्थानों को ऐसी जानकारी प्रदान करने का निर्देश दे सकता है, जैसा कि उच्चतर शिक्षा संस्थानों द्वारा विनियमों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए अपेक्षित हो तथा संस्थान का ऐसी जानकारी प्रदान करने का दायित्व होगा, जैसा कि ऐसी समयावधि में विनिर्दिष्ट किया जाए।

(2)  जहाँ आयोग, स्वतः अथवा इसके द्वारा प्राप्त जानकारी के आधार पर, यदि ऐसा करना अनिवार्य समझे, तो लिखित में कारण दर्ज कर विशेषज्ञों के निकाय अथवा अन्य पद्धतियों, जैसा वह उचित समझे, के माध्यम से जांच करवा सकता है, ताकि वह अपने आपको संतुष्ट कर सके कि ऑनलाइन पाठ्यक्रम अथवा कार्यक्रम चलाने वाले उच्चतर शिक्षा संस्थान द्वारा इन विनियमों के तहत अनिवार्य अपेक्षाओं का अनुपालन किया जा रहा है तथा चूक पाए जाने पर उच्चतर शिक्षा संस्थान के विरुद्ध अनुपालन सुनिश्चित करवाने के लिए उपर्युक्त कार्यवाही की जाए।

मान्यता को वापस लेना

(1) जब आयोग को स्वतः अथवा किसी व्यक्ति से कोई अभ्यावेदन प्राप्त हो, अथवा किसी अन्य प्राधिकरण अथवा सांविधिक निकाय से जानकारी प्राप्त होने पर अथवा इसके द्वारा जांच अथवा निरीक्षण किए जाने पर, इस बात से संतुष्ट हो, कि उच्चतर शिक्षा संस्थान ने इस विनियमों अथवा दिशानिर्देशों अथवा उनके तहत बनाए गए दिशानिर्देशों और आदेशों के किन्हीं उपबंधों का उल्लंघन किया है और उसने ऐसी कोई जानकारी अथवा दस्तावेजी साक्ष्य प्रस्तुत किया है, जो किसी स्तर पर फर्जी पाया गया हो अथवा किसी शर्त का अनुपालन नहीं किया हो, तो वह लिखित में कारणों को दर्ज करके, जैसा वह विनिर्दिष्ट करे, दंडात्मक उपाय कर सकता है।

बशर्ते, ऐसे उच्चतर शिक्षा संस्थान के विरुद्ध कोई आदेश पारित नहीं किया जाएगा, जब तक कि उच्चतर शिक्षा संस्थान को सुने जाने का ऐसा औचित्यपूर्ण अवसर न प्रदान किया गया हो।

बशर्ते, इसके अतिरिक्त आयोग द्वारा अनुमोदन के आदेश को वापस लेना अथवा अनुमोदन प्रदान करने से इंकार करना, तुरंत प्रभाव से लागू होगा।

(2) यदि किसी उच्चतर शिक्षा संस्थान को आयोग के पूर्व अनुमोदन के बिना अथवा इन विनियमों और दिशानिर्देशों अथवा उसके तहत तैयार किए गए आदेशों का उल्लंघन करते हुए ऑनलाइन पद्धति से पाठ्यक्रमों की पेशकश करते हुए पाया गया, तो आयोग निम्नवत् कार्यवाही कर सकता है;

(i) उच्चतर शिक्षा संस्थान की मान्यता को एक शिक्षा सत्र के लिए वापस लेने अथवा उच्चतर शिक्षा संस्थान की मान्यता को अधिकतम अगले 5 शिक्षा सत्रों के लिए वापस लेने अथवा उच्चतर शिक्षा संस्थान की मान्यता को स्थायी रूप से वापस लेने के लिए एक कारण बताओ नोटिस जारी कर सकता है;

(ii) मद संख्या (i) मे किसी बात के होते हुए भी यदि उच्चतर शिक्षा संस्थान को उल्लंघन जारी रखते हुए पाया जाता है, तो चूककर्ता उच्चतर शिक्षा संस्थान के अधिकारियों अथवा प्रबंधन के विरुद्ध, विधिसम्मत कार्यवाही करने के लिए प्राथमिकी दर्ज की जा सकती है;

(iii) आयोग द्वारा अनुदान को रोका जा सकता है अथवा अनुदान प्राप्त करने से विवर्जित किया जा सकता है;

(iv) लागू विधि के अनुरूप, उपर्युक्त कार्यवाहियां आरंभ करने के लिए मामले को संबंधित राज्य सरकार अथवा केन्द्र सरकार को भेजा जा सकता है;

(v) उच्चतर शिक्षा संस्थान पर लागू अधिनियमों अथवा नियमों अथवा विनियमों के उपबंधों के अनुसार कार्रवाई की जा सकती हैं, तथा;

(vi) ऐसे चूककर्ता उच्चतर शिक्षा संस्थानों की सूची को जनसाधारण के बीच लाएं,

(3) यदि कोई उच्चतर शिक्षा संस्थान, आयोग द्वारा प्रदत्त अनुमोदन को वापस लेने के आदेश के लागू होने के पश्चात् ऑनलाइन पद्धति से किसी पाठ्यक्रम अथवा कार्यक्रम की पेशकश करता है, तो ऐसे पाठ्यक्रम अथवा कार्यक्रम के परिणामस्वरूप प्राप्त की गई डिग्री अथवा डिप्लोमा अथवा प्रमाणपत्रों को वैध अर्हता नहीं माना जाएगा।

अपील तथा कठिनाईयों का निवारण

(1)  कोई भी उच्चतर शिक्षा संस्थान, जो इन विनियमों के तहत आयोग द्वारा पारित आदेश द्वारा क्षुब्ध हो; वह आयोग के विरुद्ध 30 दिनों के भीतर एक अपील दायर कर सकता है और उक्त अवधि की समाप्ति के उपरांत किसी भी अपील को स्वीकार नहीं किया जाएगा।

(2)  उप विनियम (1) के तहत दायर की गई प्रत्येक अपील के साथ उस आदेश की प्रति जमा की जाएगी, जिसके विरुद्ध अपील की गई है।

(3)  विधिवत् रूप से विचार किए जाने के उपरांत, आयोग उस आदेश की पुष्टि कर सकता है अथवा उसे निरस्त कर सकता है, जिसके विरुद्ध अपील की गई हो तथा आयोग का निर्णय उच्चतर शिक्षा संस्थान पर बाध्यकारी होगा।

(4)  कठिनाईयों का निवारणः विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के पास इन विनियमों के कार्यान्वयन में आ रही समस्या/समस्याओं को मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार के परामर्श से दूर करने का अधिकार सुरक्षित है।

ऑनलाइन कार्यक्रम संचालित करने के लिए संकाय तथा कर्मचारिवृन्दों संबंधी अपेक्षाएं

ऑनलाइन पाठ्यक्रम अथवा कार्यक्रम संचालित करने के लिए केन्द्र/प्रकोष्ठ

(i)  जो उच्चतर शिक्षा संस्थान, ऑनलाइन पाठ्यक्रमों अथवा कार्यक्रमों की पेशकश करना चाहता हों, वह अपने विभागों अथवा पाठ्यक्रम अथवा कार्यक्रम की पेशकश करने वाले अध्ययन विद्यालयों, प्रवेश अथवा पंजीकरण इकाई, परीक्षा इकाई और तकनीकी सहायता इकाई के मध्य प्रभावी समन्वय हेतु एक पृथक केन्द्र अथवा प्रकोष्ठ की स्थापना कर सकता है।

(ii) केन्द्र अथवा प्रकोष्ठ, उच्चतर शिक्षा संस्थान की प्रौद्योगिकी सहायता इकाई के सहयोग से सभी ऑनलाइन पाठ्यक्रमों अथवा कार्यक्रमों का एक केन्द्रीयकृत डॉटाबेस में रख-रखाव करेगा।

(iii)केन्द्र अथवा प्रकोष्ठ में निम्नवत् अकादमिक और प्रशासनिक कर्मचारिवृन्द होंगे, यथा; (क) निदेशक - (i) जो कि उच्चतर शिक्षा संस्थान द्वारा पेशकश किए गए ऑनलाइन पाठ्यक्रमों अथवा कार्यक्रमों के समग्र समन्वय के लिए उत्तरदायी होगा तथा जिसके पास समय-समय पर आशोधित संगत विश्वविद्यालय अनुदान आयोग विनियमों के तहत आचार्य के पद के लिए यथानिर्दिष्ट योग्यता और अनुभव होगा। (ii) उसे ई-विषयवस्तु अथवा ऑनलाइन पाठ्यक्रम अथवा कार्यक्रम अथवा एमओओसी विकसित करने का अनुभव होना चाहिए तथा अनिवार्य रूप से मूलभूत सूचना और संचार प्रौद्योगिकी कौशल (वर्ड प्रोसेसिंग, स्प्रेडशीट तथा इंटरनेट संचार) के साथ-साथ ऑनलाइन पाठ्यक्रम अथवा कार्यक्रम, अनुदेशात्मक डिजाईन तथा ज्ञानार्जन प्रबंधन प्रणालियों (एलएमएस) से परिचय होना चाहिए।

(ख) उपनिदेशक (ई-लर्निग तथा तकनीकी) - (i) जो ज्ञानार्जन प्रबंधन प्रणाली (एलएमएस) के रखरखाव, छात्र संबंधी आंकड़ों तथा ऑनलाइन पाठ्यक्रम अथवा कार्यक्रम के समग्र अनुदेशात्मक डिजाईन सहित तकनीकी समन्वय के लिए उत्तरदायी होगा।

(ii) वह प्रौद्योगिकीय सहायता प्रदान करने के लिए उत्तरदायी होगा तथा ऑनलाइन पाठ्यक्रमों अथवा कार्यक्रमों की पेशकश करने वाले अध्ययन के विभागों और विद्यालयों में संकाय को सहायता प्रदान करने के लिए उत्तरदायी होगा।

(iii) उसके पास समय-समय पर यथासंशोधित संगत विश्वविद्यालय अनुदान आयोग विनियमों के तहत आचार्य अथवा सह आचार्य हेतु यथानिर्दिष्ट अर्हता और अनुभव होगा। (iv) वह मॉड्यूल विकास तथा ज्ञानार्जन प्रबंधन प्रणाली (एलएमएस) के समन्वय हेतु तकनीकी समन्वय में अनुभव के साथ ई-लर्निग विशेषज्ञ होगा और यदि पूर्णकालिक विशेषज्ञ उपलब्ध नहीं हो तो, परामर्शदात्री आधार पर अंशकालिक परामर्श प्राप्त किया जाए।

(ग)  सहायक निदेशक (i) समय-समय पर यथाशोधित संगत विश्वविद्यालय अनुदान आयोग विनियमों के तहत सहायक आचार्य के लिए यथानिर्दिष्ट अर्हता तथा अनुभव, प्रारंभ में एक सहायक निदेशक होगा, जो ऑनलाइन पाठ्यक्रमों अथवा कार्यक्रमों की पेशकश करेगा तथा अध्ययन विभागों अथवा विद्यालयों के साथ समन्वय करेगा।

(ii) उन्हें मूलभूत जानकारी तथा संचार प्रौद्योगिकी कौशल (वर्ड प्रोसेसिंग, स्प्रेडशीट तथा इंटरनेट संचार) प्राप्त होगा।

(घ) सहायक कुल सचिव अथवा अनुभाग अधिकारी- (i) समय-समय पर यथाशेाधित संगत, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग विनियमों के तहत सहायक कुल सचिव अथवा अनुभाग अधिकारी के लिए यथानिर्दिष्ट अर्हता तथा अनुभव होना चाहिए, जो केन्द्र अथवा प्रकोष्ठ के सभी प्रशासनिक कार्यों में निदेशक को सहायता प्रदान करेगा।

(ii) प्रारंभ में एक सहायक कुल सचिव अथवा अनुभाग अधिकारी की नियुक्ति की जाए।

(iii) उसे मूलभूत जानकारी तथा संचार प्रौद्योगिकी कौशल (वर्ड प्रोसेसिंग, स्प्रेडशीट तथा इंटरनेट संचार) प्राप्त होगा।

शिक्षण कर्मचारिवृन्द

(1) (i) विभाग अथवा अध्ययन विद्यालय, उच्चतर शिक्षा संस्थान द्वारा पेशकश किए जाने वाले ऑनलाइन पाठ्यक्रम अथवा कार्यक्रम का शैक्षणिक स्थल होगा।

(ii) किसी ऑनलाइन पाठ्यक्रम अथवा कार्यक्रम में उच्चतर शिक्षा संस्थान के विभागों अथवा अध्ययन विद्यालयों के पूर्णकालिक स्थायी संकाय को निम्नवत् क्षमताओं में शामिल किया जाएगा;

(क) कार्यक्रम समन्वयक (प्रति कार्यक्रम एक): (i) ऑनलाइन पद्धति के माध्यम से पेशकश किए गए प्रत्येक ऑनलाइन पाठ्यक्रम अथवा कार्यक्रम के लिए एक पूर्णकालिक संकाय, कार्यक्रम का समन्वयक होगा।

(ii) पाठ्यक्रम अथवा कार्यक्रम समन्वयक, संबंधित कार्यक्रम के विषय क्षेत्र में आचार्य अथवा सह आचार्य अथवा सहायक आचार्य के स्तर का होगा।

(iii) कार्यक्रम समन्वयक किसी ऑनलाइन कार्यक्रम में शिक्षार्थी के विकास, कार्यक्रम संचालित किए जाने तथा मूल्यांकन का समग्र समन्वय करने के लिए उत्तरदायी होगा।

(ख) पाठ्यक्रम समन्वयक (प्रति पाठ्यक्रम एक): (i) एक ऑनलाइन कार्यक्रम में एक से अधिक पाठ्यक्रम हो सकते हैं। ऐसे मामले में, ऑनलाइन कार्यक्रम के प्रत्येक पाठ्यक्रम के लिए एक पूर्णकालिक संकाय, पाठ्यक्रम का समन्वयक होगा।

(ii) पाठ्यक्रम समन्वयक, संबंधित पाठ्यक्रम के विषय क्षेत्र में आचार्य अथवा सह आचार्य अथवा सहायक आचार्य के स्तर का होगा।

(iii) वह विशिष्ट पाठ्यक्रम के संबंध में छात्रों को उपलब्ध कराई जाने वाली शैक्षिक सहायता सेवा के समन्वय सहित सभी शैक्षणिक मुद्दों के लिए उत्तरदायी होगा।

(iv)पाठ्यक्रम समन्वयक, पाठ्यक्रम में शिक्षार्थी के विकास, उसे संचालित किए जाने तथा मूल्यांकन का समन्वय करने के लिए उत्तरदायी होगा।

(v) किसी ऑनलाइन परिवेश में शिक्षण- ज्ञानअर्जन को प्रभावी बनाने के लिए पूर्णकालिक संकाय (कार्यक्रम अथवा पाठ्यक्रम समन्वयक) को सहायता प्रदान करना।

(ग) पाठ्यक्रम मार्गदर्शक (250 शिक्षार्थियों के एक बैच के लिए एक): (i) वह शिक्षार्थियों को शैक्षणिक सहायता मुहैया करवाने के साथ ही वर्चुअल टीचर लर्नर इंटरेक्शन ग्रुप को प्रबंधित करने में सहायता प्रदान करेगा।

(ii) उनके पास समय-समय पर यथाशोधित संगत विश्वविद्यालय अनुदान आयोग विनियमों के तहत सहायक आचार्य के लिए यथानिर्दिष्ट संगत अर्हता तथा अनुभव होगा।

(iii) पाठ्यक्रम मार्गदर्शक को समय-समय पर आयोग की नीति के अनुसार, उपर्युक्त मानदेय का भुगतान किया जाएगा।

(घ) परीक्षकः उच्चतर शिक्षा संस्थान, किसी पाठ्यक्रम में ऑनलाइन शिक्षार्थियों के मूल्यांकन के लिए संस्थान के भीतर अथवा अन्य संस्थान से परीक्षकों की नियुक्ति करेगा तथा उन्हें उच्चतर शिक्षा संस्थान के मानदंडों के अनुरूप, उपर्युक्त मानदेय का भुगतान किया जाएगा।

(2) स्व-ज्ञानार्जन ई-मॉडयूल की ई-विषयवस्तु के विकास के लिए तकनीकी दल

  • तकनीकी प्रबंधक (प्रोडक्शन)- कम से कम एक
  • तकनीकी एसोसिएट (दृश्य-श्रव्य रिकार्डिंग तथा संपादन)- कम से कम एक
  • तकनीकी सहायक (दृश्य-श्रव्य रिकार्डिंग)- कम से कम एक
  • तकनीकी सहायक (दृश्य-श्रव्य संपादन)- कम से कम एक

* इस क्रियाकलाप को देशभर में ऐसे केन्द्रों को ऑउटसोर्स किया जा सकता है जहां अपेक्षित सुविधाएं हों। यदि किसी उच्चतर शिक्षा संस्थान में पूर्णकालिक तकनीकी दल हो, तो विभिन्न स्तरों पर ऐसे पेशेवरों की संख्या को आयोग द्वारा समय-समय पर विनिर्दिष्ट किया जाएगा; यह संख्या ई–विषयवस्तु तथा स्वतः ज्ञानार्जन, ई-मॉड्यूल विकास तथा डिलीवरी के प्रारंभिक स्तरों के लिए है।

ऑनलाइन पाठ्यक्रमों अथवा कार्यक्रमों को संचालित किए जाने हेतु

(क) तकनीकी प्रबंधक (एलएमएस तथा डॉटा प्रबंधन) - कम से कम एक (प्रति केन्द्र)

(ख) तकनीकी सहायक (एलएमएस तथा डॉटा प्रबंधन) - कम से कम दो

ऑनलाइन पाठ्यक्रम अथवा कार्यक्रमों में प्रवेश तथा परीक्षा हेतु

(क) तकनीकी प्रबंधक (प्रवेश, परीक्षा तथा परिणाम) - कम से कम एक (प्रति केन्द्र)

(ख) तकनीकी सहायक (प्रवेश, परीक्षा तथा परिणाम) - कम से कम दो

स्त्रोत: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग

अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020



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