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परिवर्तन के लिए कार्यरत

परिवर्तन के लिए कार्यरत

  1. ऐसा होना आवश्यक नहीं है
  2. आपके परिवार में परिवर्तन लाने के लिए कार्यरत
  3. बेहतर संसार के लिए आपके बच्चों का लालन-पालन
  4. अपने समुदाय में परिवर्तन के लिए कार्यरत
  5. पुरुष किस प्रकार सहायता कर सकते हैं
    1. कोई भी पुरुष महिलाओं का स्वस्थ्य सुधारने के लिए इस प्रकार सहायता कर सकता है
    2. एक पुरुष अपने समुदाय में एक अच्छा उदाहरण प्रस्तुत कर सकता हैं
    3. एक शक्तिशाली व वफादार पुरुष ही शक्तिशाली व वफादार साथी होता है
  6. आत्मसहायता समूह
    1. सूक्ष्म बैंकिंग:आत्मनिर्भरता की ओर
  7. चिपको आन्दोलन
  8. सरल तथा कम लागत के सामुदायिक प्रयास अंतर ला सकते हैं
  9. अपने राष्ट्र परिवर्तन के लिए कार्यरत
  10. सम्मिलित प्रयास
  11. अपने स्वास्थ्य पर नियंत्रण पाना

ऐसा होना आवश्यक नहीं है

जिस प्रकार से विभिन्न समाज संगठित हैं, वे अधिकतर महिलाओं के गरीबी व ख़राब स्वास्थ्य की जिंदगी जीने के लिए विवश कर देते हैं। पर समाजों का संगठन इस प्रकार किया जा सकता है कि वे बीमारी को नहीं, स्वास्थ्य को बढ़ावा दें। चूँकि ख़राब स्वास्थ्य कारणों का अस्तितिव परिवार, समुदाय तथा राष्ट्रीय स्तर पर होता है, इसलिए महिलाओं के स्वास्थ्य में सुधार लेन के लिए आवश्यक परिवर्तन, इन सभी स्तरों पर आवश्यक है।

आपके परिवार में परिवर्तन लाने के लिए कार्यरत

महिलाओं स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में जान कर तथा अपने परिवार व जीवन में परिवर्तन ला कर आप अपना स्वास्थ्य सुधार सकती हैं । अपने जीवन साथी से खुल कर बात करें कि आप में से प्रत्येक की स्वास्थ्य सम्बंधित क्या आवश्यकतायें हैं? किस प्रकार आप सुरक्षित यौन सम्बन्धों का पालन कर सकते हैं तथा घर के कार्यों में एक दूसरे का हाथ बंटा सकते हैं ? आप अपने बच्चों का भी स्वास्थ्य तथा भविष्य सुधार सकते हैं ।

बेहतर संसार के लिए आपके बच्चों का लालन-पालन

बड़े होकर हमारे बच्चे किस प्रकार व्यवहार करेंगे तथा उनके जीवनमूल्य कैसे होंगे, यह इस पर निर्भर करेगा कि हम जन्म से ही उसका लालन-पालन किस प्रकार करते हैं ।

माताओं के रूप में हम प्रतिदिन उन्हें यह सब सिखाते हैं –

  • जब हम अपने पतियों और लड़कों को पहले भोजन खिलातें हैं तो हम अपने बच्चों को यह सन्देश देते हैं कि लड़कियाँ तथा महिलाओं कि भूख का कम महत्व है ।
  • जब हम केवल अपने बेटों को स्कूल भेजते हैं तो हम बच्चों को यह सिखाते हैं कि शिक्षा से होने वाले लाभों की लड़कियों के लिए कोई आवश्यकता नहीं है।
  • जब हम हमारे साथ हो रही हिंसा को सहते हैं तो अपने बेटों को यह सिखाते हैं कि हिंसा करना पुरुषों का कार्य है। हम हिंसक पुरुष उत्पन्न कर रहे हैं ।
  • जब हम पड़ोसी के घर में हो रही मार-पीट आदि आदि के विरुद्ध कुछ नहीं बोलते हैं तो हम अपने बेटों के यह सिखाते हैं कि एक पुरुषों का – अपनी पत्नी व बच्चों को पीटना – हमें स्वीकार्य है और यह एक आतंरिक पारिवारिक मामला है जिसे गुप्त रखना ही उचित है ।
  • जब हम यह स्वीकार करते हैं कि लड़कियों को घरेलु कार्य करने चाहिये और लड़कों को बाहर के– तो हम लड़कियों को यह सिखाते हैं की वे शर्मीली व शांत रहे, अपना घूमना फिरना कम करे, जब लड़कों को अधिक आजादी का संदेश देते हैं ।
  • हम लड़कों को अधिक समय तक खेलने देते हैं जबकि लड़कियों को जल्दी घर वापस आने को कहते हैं। हम यह स्वीकार करते हैं कि लड़कों को अधिक पढ़ना चाहिये व लड़कियों को अधिक काम करना चाहिएं । माताओं के रूप में, हमारे पास यह बदलने की शक्ति है कि हमारे बच्चे कैसे बनें ।
  • हम अपने बेटों को दयालु व संवेदनशील बना सकते हैं ताकि बड़े होकर वे दयालु व संवेदनशील पति, पिता व भाई बन सकें ।
  • हम अपनी बेटियों को अपना महत्व समझाना सिखा सकते हैं ताकि वे दूसरों से भी ऐसा करने की आशा कर सकेंगी ।
  • हम अपने बेटों को घर के कार्यों में हाथ बंटाना तथा ऐसा करने में गौरान्वित होना सिखा सकते हैं ताकि उनकी बहनों पत्नियों तथा बेटियों को घर का पूरा कार्य अकेले न करना पड़े ।
  • अपनी बेटियों को स्कूली शिक्षा प्राप्त करके तथा कोई दक्षता सिखा कर अपने को आत्मनिर्भर बनाना सिखा सकते हैं ।
  • हम अपने बेटों को सभी महिलाओं का सम्मान करना, महिलाओं के साथ होने वाले हिंसा व अपराधों के विरोध में आवाज उठाना तथा जिम्मेदार पति होना सिखा सकते हैं ।
  • हम अपने व्यवहार से अच्छे उदहारण प्रस्तुत कर सकते हैं ।

अपने समुदाय में परिवर्तन के लिए कार्यरत

आप अपने व अपने समुदाय के महिलाओं के स्वास्थ्य को इस पुस्तक को सहभागी रूप से पढ़कर और महिलाओं के स्वास्थ्य समस्यों के बारे में चर्चा करके सुधार सकती है । दूसरों से बात करना कठिन हो सकता है। महिलायें अकसर शर्म महसूस करती है (उदहारणतया: जब वे अपने शरीर के अंगों के बारे में बात करती है) या उन्हें यह भय हो सकता है कि बाकि लोग क्या सोचेंगे तथापि दूसरों से बातचीत करना ही स्वास्थ्य समस्याओं को समझने तथा उनका समाधान खोजने का एकमात्र तरीका है अक्सर आप पाएंगी की अन्य महिलाओं की भी लगभग वही चिंताएं हैं और वे उनके बारे में चर्चा करना चाहती हैं ।

साक्षी समस्याओं को समझना तथा उनके समाधान में एकजुट होकर कार्य करना काफी सहायक हो सकता है। किशोर अवस्था की लड़कियों को स्वास्थ्य तथा सामाजिक मुद्दों पर चर्चा करने के लिए संगठित करें। उन्हें अपनी चिन्ताओं, सपनों तथा समस्याओं को व्यक्त करने, उनका समाधान खोजने और अपना आत्मविश्वास बढ़ाने में सहायता करें।

महिलाओं के एक छोटे समूह को अपने समुदाय में व्याप्त स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में बात करने के लिए संगठित करें उदाहरण कर तौर पर महिला मण्डल मुद्दों पर चर्चा करें तथा परिवर्तन के लिए कार्यरत होने के लिए अच्छे मंच हो सकते हैं। अपनी सहेलियों, उनकी सहेलियों, पड़ोसियों तथा अपने साथ काम करने वाली महिलाओं को निमंत्रित करने का प्रयास करें जब एक बार आप किसी ऐसी स्वास्थ्य सेवाओं को पहचान लेती हैं जो अनेक महिलाओं को प्रभावित करती हैं को अकसर फिर से मिलने, दूसरी अन्य महिलाओं को नियंत्रित कर के उस पर चर्चा करने से लाभ होता है और आप उस समस्या के बारे में जान पाते हैं जब आप मिले तो इस स्वास्थ्य समस्या के मूल कारणों को पहचानने का प्रयास करें और तत्पश्चात उन परिवर्तनों के बारे में योजनायें बनाये जो आप अपने परिवार व समुदाय में ला सकते हैं ।

महिलाओं के स्वास्थ्य पर चर्चा में महिलाएं व पुरुषों–दोनों को शामिल करने के तरीकों के बारे में सोचें। शुरू में महिलाओं के स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में पुरुषों से चर्चा करना कठिन लग सकता है। क्योंकि इस प्रकार की चर्चा करना ‘निषिद्ध’ माना जाता है या उन्हें ‘ महिलाओं के रहस्य करार दिया जा सकता है। लेकिन चूँकि पुरुष अकसर शक्तिशाली स्थिति में होते हैं, इसलिए उनको इसमें शामिल करना महत्वपूर्ण हो सकता है। पंचायत जैसे संगठनो तथा पुरुषों को पहचाने जो महिलाओं की समस्याओं के प्रति जागरूक हैं ; लड़कों के लिए अच्छे आदर्श हैं या जो महिलाओं को बराबरी का दर्जा देते हैं।

पुरुष किस प्रकार सहायता कर सकते हैं

कोई भी पुरुष महिलाओं का स्वस्थ्य सुधारने के लिए इस प्रकार सहायता कर सकता है

  • अपने बच्चों का इस प्रकार लालन-पालन करके कि वे महिलाओं का सम्मान तथा लड़कों व लड़कियों को बराबर मानना सीखें ।
  • महिलाओं के विचारों को समझें और उनका सम्मान करें । पुरुष अपनी पत्नी व लड़कियों की चिन्ताओं व समस्याओं को ध्यान से सुने व समझें तथा एक साथ कार्य करके उनके हल खोंजे ।
  • अपनी पत्नी से चर्चा करें कि उन दोनों में किसको कितने बच्चे चाहिये और तत्पश्चात उसके अनुरूप परिवार नियोजन में बराबरी का भागीदार बने ।
  • अपनी पत्नी को नियमित स्वास्थ्य जाँच के लिए प्रोत्साहित करें और ऐसा करने के लिए, उसके लिए आवश्यक धन व समय उपलब्ध करायें ।
  • बच्चों का देखभाल तथा घर के कार्य करने में पत्नी का भरपूर हाथ बटायें ।
  • अपनी पत्नी के प्रति वफादार रहें और अगर ऐसा नहीं कर पता है तो कम से कम उसके प्रति ईमानदार रहें। अगर पुरुष को कभी कोई यौन संचारित रोग हो जाता है तो उसे तुरंत अपने यौन साथियों को इसके बारे में बताना चाहिये ताकि सभी अपना पर्याप्त उपचार करा सकें ।
  • अपनी पत्नी को भोजन का उचित हिस्सा खाने के लिए प्रोत्साहित करें – चाहे घर में पर्याप्त मात्रा में भोजन उपलब्ध न भी हो ।
  • जब पत्नी पर काम का भोझ अधिक हो या वह बीमार हो तो यह शुनिश्चित करें कि उसे पर्याप्त आराम मिले ।
  • प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से पत्नी को दहेज़ के लिए तंग न करें ।
  • अपने बच्चों को स्कूल जाने व शिक्षा पूरी करने के लिए प्रोत्साहित करें । इस प्रकार वे शिक्षा प्राप्त कर सकेंगे, उन्हें वयस्कों के रूप में अधिक विकल्प उपलब्ध होंगे तथा वे इस स्वास्थ्य, सुखी जीवन व्यतीत कर सकेंगे ।

एक पुरुष अपने समुदाय में एक अच्छा उदाहरण प्रस्तुत कर सकता हैं

  • अपने समुदाय की महिलाओं गोष्ठियों में आने के लिए प्रोत्साहित करके तथा यह सुनिश्चित करके की उन्हें बोलने का मौका मिले या फिर वह महिलाओं को अपने गोष्ठियां अलग आयोजित करने के लिए आवश्यक प्रोत्साहन दें,जहां पुरुष नहीं आयेंगे।
  • महिलाओं को महिला मण्डल की मीटिंगों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करें और वे सामुदायिक परियोजनाओं की योजना बनाने वा क्रियान्वन में भाग ले सकें ।
  • लड़किओं को लड़कियों के सामान ही खेलने तथा पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करें ।
  • महिलाओं पर किसी भी तरह की हिंसा को बर्दाश्त न करें ।
  • बच्चों को अपने शारीरिक, मानसिक तथा यौनिक की देखभाल और सामान्य रोगों की रोकथाम के बारे में शिक्षित करें ।
  • आकस्मिक स्वास्थ्य सेवा की आवश्यकता वाली महिलाओं के लिए वाहन व्यवस्था का प्रबन्ध करने में सहायता करें।
  • इस छवि को बदलने का प्रयास करें की शक्तिशाली पुरुष वही होता है जो अनेक महिलाओं के साथ सहवास करता है ।

एक शक्तिशाली व वफादार पुरुष ही शक्तिशाली व वफादार साथी होता है

यहां कुछ और ऐसी गतिविधिओं का वर्णन किया जा रहा है जो समुदाय में स्वास्थ्य स्तर सुधारने में सहायक हो सकती है :

  • जानकारी एक दूसरे से बांटे। समुदाय में सामान्य रोगों के बारे में जानकारी फैलाने के विभिन्न तरीके ढूंढे ताकि हरेक को उनके बारे में ज्ञान हो।
  • समर्थन समूह बनायें। ऐसी महिलायें जिनकी समस्यायें व चिंताएं एक सी हैं, वे मिलकर समर्थन समूह बनाकर अपनी समस्याओं पर काबू पाने के लिए एकजुट हो कर कार्य कर सकती हैं जैसे कि- बलात्कार या यौन शोषण की शिकार ; अशक्तता पीड़ित ; व्यवसायिक रूप से यौन शोषित या ऐसी महिलाएं जिनके घरों में पीने का स्वच्छ पानी या साफ-सफाई नहीं है ।
  • अधिक स्वतंत्रता के लिए कार्यरत हों । ऐसी परियोजनायें जो महिलाओं को धन कमाने तथा अपनी परिस्थितियाँ सुधारने में सहायक होती हैं, वे महिलाओं को अपने निर्णय लेने तथा आत्मनिर्भर बनाने में भी सहायक होती हैं ।
  • सामुदायिक परियोजनाएं विकसित करें । समुदाय के हर परिवार के लिए साधन ढूंढ़ें ताकि व सामुदायिक स्वच्छता सुधारने ; स्वच्छा पानी जुटाने व पर्यावरण की सुरक्षा करने में योगदान दे सकें ।

आत्मसहायता समूह

सूक्ष्म बैंकिंग:आत्मनिर्भरता की ओर

हिमाचल प्रदेश के चिन्मय तपोवन ट्रस्ट में 10-20 सदस्यों वाले स्वसहायता समूह (स.स.स) हैं जिनके सदस्यों की पारिवारिक आय कम है और वे एक दूसरे पर विश्वास करते हैं। समूह यह निर्धारित करता है की प्रत्येक संदस्य को कितनी बचत करनी होगी और लिए गये ऋण पर ब्याज की दर क्या होगी (हर सदस्य की औसतन बचत लगभग 20 रुपये प्रति माह तथा ब्याज की दर 2 प्रतिशत प्रति माह होती है)। हर स.स.स अपनी पहली मीटिंग से ही ऋण बंटाना शुरू कर देता है, इसलिए पूंजी अनुपयोगी नहीं रहती है। ऋणों की स्थिति का जायजा लेना, ऋण बांटना तथा उसकी वसूली का पूरा नियंत्रण समूह के हाथ में रहता है और बहुत ध्यान से उसका हिसाब-किताब रखा जाता है। लोकतांत्रिक शैली से ये समूह चालाये जाते हैं और प्रत्येक सदस्य द्वारा पालन किये जाने के लिए उनके अपने नियम व कानून हैं। चुकी स.स.स. उनका अपना “सूक्ष्म बैंक” है – इसलिए ऋण पर ब्याज वापस करने वाले हर सदस्य को भी,वापस किये गए ब्याज में से, बराबर का हिस्सा मिलता है।

एक बार अपनी सज्जनता तथा परिपक्वता सिद्ध करने के लिए, बड़े बैंकों से जुड़ जाते हैं। समूह के सदस्यों को, सदस्यों के द्वारा निर्धारित उदेश्यों के लिए ऋण दिया जाता है। धीरे-धीरे ऋण लेने का दायरा, घरेलु सामन खरीदने से बढ़कर, आय पैदा करने वाली योजनाओं की तरफ बढ़ता जाता है। लगभग 32 ऐसी गतिविधियाँ हैं जिनके लिए सदस्य व्यक्तिगत रूप से ऋण लेते हैं। सदस्यों के लिए आयोजित किये जाने वाले दक्षता प्रशिक्षणों में शामिल हैं : मशरूम की खेती, मुर्गी पालन, बकरी पालन, मधुमक्खी पालन, दुग्ध डेयरी, सब्जियों की खेती, बांस उत्पाद तथा सिलाई। इनके साथ-साथ लघु-उद्योग समर्थता, सामान का मूल्य लगाने, बेचने तथा बाजार का रुख आंकने आदि के बारे में भी प्रशिक्षण दिया जाता है। महिलाएं स्वयं ही अपने उत्पादों को बेचने के लिए प्रबन्ध करती है। स.स.स. व्यक्तिगत तथा सामुदायिक समस्याओं व चिन्ताओं के हल भी ढूँढना है जिससे आपस में भाई-चारा तथा आत्मनिर्भरता बढ़ती है।

इस प्रकार सूक्ष्म बैंकों अर्थात इस स्वसहायी समूहों ने अनके निर्धन महिलाओं तथा पुरुषों के लिए आय के स्रोतों में वृद्धि की है । अब वे यह स्वयं निर्धारित कर सकने में समर्थ है कि उनके पास उपलब्ध दक्षता, सामर्थ्य, रूचि, भूमि तथा स्थान व संसाधनों की सीमा में किस प्रकार के काम करने चाहेंगे। अपनी सीमाओं तथा समर्थ के अन्दर रहते हुए जीवन में एक कदम आगे बढ़ने के लिए उन्हें प्रोत्साहन देने का कार्य सरकारी व स्वयंसेवी संस्थाओं के कार्यकर्ता कर सकते हैं। बहुत से लोगों को बेहतर धन कमाने का अवसर देने का यह बेहतर तरीका है बजाय इसके कुछ गिने चुने, थोड़े लोगों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाये जाएं जिनके कारण लोग विपणन तथा निर्णय लेने के लिए, संस्थान पर निर्भर हो जाते हैं।

सूक्ष्म बैंकों के मध्यम से महिलाओं ने अपने जीवन को सुधारने की समर्थता को पहचाना है। अपनी आत्मनिर्भरता, आत्मसम्मान तथा समर्थ से सुसज्जित ये महिलाएं भी अब अपने विकास तथा अच्छे स्वास्थ्य को पहचानेगी और सकारात्मक व अर्थपूर्ण से उन्हें प्रभावित करेंगी ।

चिपको आन्दोलन

उदाहरण के तौर पर भारत के उतरांचल राज्य की पहाड़ियों की ऐसी ग्रामीण महिलाओं द्वारा चलाया जा रहा एक ऐसा साहसिक आन्दोलन जिससे वे उन वनों तथा पर्यावरण की रक्षा करने में सफल रही हैं जिन पर उनका जीवन निर्भर है।

सरल तथा कम लागत के सामुदायिक प्रयास अंतर ला सकते हैं

आप किसी समस्या पर पहली बार नज़र डालती हैं तो अकसर ही लगता है कि इसे हल करना बेहद कठिन है। परन्तु वास्तव में समुदाय अनेक ऐसे सुधार ला सकते हैं जिनमें अधिक लागत नहीं आती है। उदाहरण के तौर पर, यहां  कुछ सुझाव दिये जा रहे हैं जो महिलाओं की स्वास्थ्य समस्याओं की रोकथाम या उनका समाधान कर सकते हैं।

  • आपातकालीन वाहन व्यवस्था स्थापित करें। अनेक महिलाओं की गर्भावस्था, प्रसव तथा असुरक्षित गर्भपात की जटिलताओं के कारण मृत्यु हो जाती है। इन मौतों को अक्सर ही महिला को चिकित्सा सुविधा तक जल्दी पंहुचा कर रोका जा सकता है।
  • सामुदायिक स्टोव परियोजनाएं, जैसे की धुआं रहित चूल्हा अथवा बायोगैस इकाई शुरू करें। महिलाएं अकसर ही फेफड़ों के संक्रमणों, जलने या पीठ की समस्याओं से पीड़ित रहती हैं। कम लागत के चूल्हों से, जो कि अधिक सुरक्षित होते हैं, ईंधन की कम खपत करते हैं और कम धुंआ पैदा करते हैं, इनमें से अनके समस्याओं की रोकथाम की जा सकती है।
  • शिशु आहार तथा जीवनरक्षक घोल(ओ.आर.एस) बनाने के प्रदर्शन आयोजित करें।
  • कैंसर के कम लागत वाले स्क्रीनिंग कार्यक्रमों से स्तनों व गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर से होने वाली महिलाओं की अनके मौतों को रोका जा सकता है। अगर कैंसर का जल्दी पता चल जाए तो उनका उपचार करना अधिक सरल होता है।
  • गर्भावस्था में देखबाल तथा परिवार नियोजन की अच्छी सेवाएं हर महिला को उपलब्ध करायें। ऐसा करने से गर्भावस्था, प्रसव तथा असुरक्षित गर्भपात की जटिलताओं से होने वाली अनके मौतों की रोकथाम की जा सकती है।
  • स्वास्थ्य कर्मचारियों को महिलाओं के स्वास्थ्य की देखभाल करने के लिए प्रशिक्षण दें । उन्हें देखकर परिक्षण, स्तन व पेल्विक परिक्षण तथा काउंसलिग करने में प्रशिक्षण मिलना चाहिये । उन्हें महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए आवश्यक औषधियों का प्रयोग के बारे में भी पता होना चाहिये ।

अपने राष्ट्र परिवर्तन के लिए कार्यरत

आप अपने देश के विभिन्न भागों में कार्यरत अन्य संगठनो के साथ मिलकर काम करके अपने व अपने राष्ट्र की अनके महिलाओं के स्वास्थ्य को सुधार सकती है। एकजुट हो कर कार्य करने से आप अपने देश की सरकार को महिलाओं व उसके स्वास्थ्य को अधिक गंभीरतापूर्वक लेने पर बाध्य कर सकती है। उदाहरण के तौर सामुदायिक समूह सरकार पर दबाव डाल सकते हैं कि बलात्कार, महिलाओं का शोषण, बाल विवाह, दहेज़ के कारण मृत्यु, और शराब का अवैध धंधा करने वाले पुरुषों को कड़ा दण्ड मिले ; कानूनों को सख्ती से लागू किया जाये तथा सुरक्षित गर्भपात की सुविधाएं उपलब्ध हों । या फिर, आप ऐसे कानून बनवा सकती हैं जिनसे महिला को संपति प्राप्त करने या उसका मालिक बनाने का अधिकार मिले ताकि वे पुरुषों पर आश्रित होने के लिए बाध्य न हों ।

सम्मिलित प्रयास

अनेक महिलाएं और पुरुष संघर्ष कर रहे हैं अपनी सरकारों को ये सब करने के लिए

  • ग्रामीण क्लीनिकों को सुसज्जित तथा स्वास्थ्य कर्मचारिओं को प्रशिक्षित करना ताकि महिलाओं कई सामान्य समस्याओं का उपचार किया जा सके। इस प्रकार ग्रामीण महिलाओं को इलाज के लिए शहरों को ओर भागना नहीं पड़ेगा।
  • जिनको सर्वाधिक आवश्यकता है उन्हें मूलभूत स्वास्थ्य सेवाएं तथा दवाइयां उपलब्ध कराना।
  • ग्रामीण तथा गरीब शहरी क्षेत्रों के लोगों को–विशेष कर महिलाओं को–स्वास्थ्य प्रशिक्षण के लिए पैसा देना। इस तरह प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मचारियों की कमी नहीं होगी ।
  • कंपनियों को पर्यावरण को हानि पहुँचाने तथा ऐसे उत्पादों को विज्ञापित करने से रोकें जो जन साधारण के स्वास्थ्य को हानि पहुंचाते हैं ।
  • कंपनियों को मजबूर करें कि वे अच्छी कार्य परिस्थितियाँ एवं महिलाओं व पुरुषों तनख्वाह दें ।
  • सभी के लिए सुरक्षित पेय जल उपलब्ध करायें।
  • विस्थापित लोगों को पुनर्वास करें।
  • आत्मनिर्भरता बढ़ाने के लिए ऋण दें।
  • लोगों द्वारा अपने उपयोग के लिए, न कि निर्यात के लिए अन्न उगाने को अधिक सरल बनायें।
  • जिन लोगों से उनकी जमीन छीन ली गयी है, उन्हें खाली पड़ी जमीन बांटे ।

अपने स्वास्थ्य पर नियंत्रण पाना

जिस प्रकार “ महिलाओं के स्वास्थ्य “ का अर्थ “ मातृ स्वास्थ्य “ से कहीं अधिक है। उसी प्रकार इसका अर्थ केवल स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच से कहीं अधिक है। इसका अर्थ है कि महिलाओं को अनके समुदायों तथा विश्व के संसाधनों के एक उचित हिस्से तक पहुँच होनी चाहिये।

अन्य पुरुष तथा महिलाओं के साथ स्वास्थ्य के लिए इस संघर्ष में एकजुट होकर कार्य करने से, हम ऐसे स्वस्थ्य सम्पूर्ण तथा प्रसन्न जीवन जीने की मांग कर सकते हैं जो रोग, दर्द व भय से मुक्त हों।

स्रोत

  • ज़ेवियर समाज सेवा संस्थान, वोलंटरी हेल्थ एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया

अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020



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