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मधुमेह नियंत्रण एवं प्रबंधन

मधुमेह नियंत्रण एवं प्रबंधन

  1. मधुमेह के रोगी की दिनचर्या क्या होनी चाहिए ?
  2. क्या मधुमेह रोगी अपना सामान्य कामकाज कर सकते हैं ?
  3. मधुमेह नियंत्रण के आधार
  4. रक्त में शर्करा की मात्रा
  5. रोगियों के पैरों के देखभाल की आवश्यकता
  6. मधुमेह पर नियंत्रण के लिए स्वयं पर नियंत्रण रखना आवश्यक है ?
  7. मधुमेह और मोटापे में क्या सम्बन्ध है ?
  8. क्या उच्चरक्तचाप का भी मधुमेह से संबंध है।
  9. मधुमेह को कैसे रोका जा सकता है ?
  10. परिवार में मधुमेह का इतिहास होने से क्या मधुमेह होना संभव है ?
  11. मधुमेह रोगियों पर धूम्रपान का क्या प्रभाव पड़ता है ?
  12. मधुमेह एक महामारी के रूप में बढ़ रहा है ?
  13. अमेरिका और इंग्लैंड जैसे देशों में मधुमेह की क्या स्थिति है ?
  14. मधुमेह से संबंधित कुछ और विशेष तथ्य
  15. मधुमेह के बारे नवीनतम रिपोर्ट
  16. प्रभावित अन्य देश
  17. भारत के बड़े शहरों में मधुमेह की क्या स्थिति है ?

मधुमेह के रोगी की दिनचर्या क्या होनी चाहिए ?

मधुमेह के रोगियों को अपनी दिनचर्या प्रात:काल टहलने से प्रारंभ करनी चाहिए । धीरे-धीरे चलते हुए 4 से 5 किलोमीटर तक टहल लेना पर्याप्त है । रोगी अपनी क्षमता के अनुसार इस दूरी को कम या ज्यादा कर सकता है । इसके बाद दैनिक कार्यों से निवृत होकर योगाभ्यास किया जाना चाहिए। आधा घंटे पश्चात् चिकित्सा द्वारा दी गयी आहार तालिका के अनुसार नाश्ता लेकर अन्य आवश्यक कार्य करने चाहिए । दिनभर निष्टापूर्वक अपना कार्य करते रहकर मानसिक तनाव को अपने ऊपर हावी नहीं होने देना चाहिए। बीच–बीच में निर्देशानुसार भोजन एवं सांयकालीन आहार लेना चाहिए। रात्रि को भोजन करने के पश्चात् पुन: थोड़ी देर तक धीमी गति से टहला जा सकता है । प्रयास यह होना चाहिए कि रात्रि को दस या साढ़े दस बजे तक सो जाएँ ताकि सवेरे नींद जल्दी खुल सके । इस दिनचर्या में रोगी की जरूरत के हिसाब से फेरबदल किए जा सकते हैं । आधिक देर तक टी. वी. देखना, सवेरे देर से उठना, चाय, काफी, आदि का सेवन तथा होटल, पार्टी आदि से बच कर रहना ऐसे रोगियों के लिए श्रेयस्कर है। अनियमित दिनचर्या से रक्त शर्करा में बार- बार उतार-चढ़ाव आने लगते हैं जो मधुमेह के सक्षम नियंत्रण में बाधक सिद्ध होते हैं ।

क्या मधुमेह रोगी अपना सामान्य कामकाज कर सकते हैं ?

मधुमेह से ग्रस्त स्त्री, पुरूष या बालक अपना सामान्य कामकाज पूर्व की भांति ही कर सकते हैं । मधुमेह रोग की वजह से घरेलू कामों, व्यवसाय या पढ़ाई में किसी प्रकार की बाधा नहीं आती। इतना आवश्य है की मधुमेह से पीड़ित व्यक्ति को आहार आदि के विषय में अपनी सीमाओं को ध्यान में रखना चाहिए। खेलकूद, व्यायाम या अधिक परिश्रम करते समय उसके अनुरूप आहार की मात्रा में समायोजन करना आवश्यक है ताकि रक्त में शर्करा की मात्रा एकदम से कम न हो जाए । औपचारिकताओं आदि में न पड़कर मधुमेह के रोगियों  को समयानुसार अपने सभी कार्यों का निष्पादन करना चाहिए । यदि रक्त में शर्करा की मात्रा में उतार-चढ़ाव आधिक हो तो वाहन न चलाना ही अधिक उचित होगा। विशेष परिस्थितियों में अपने चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए। अपने मर्यादाओं को ध्यान में रखते हुए मधुमेह के रोगी जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में प्रतिष्टा पाकर उन्नति कर सकते हैं ।

मधुमेह नियंत्रण के आधार

मधुमेह नियंत्रण में है, किन लक्षणों के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है।

निम्नलिखित लक्षणों के आधार पर यह कहा जा सकता है की मधुमेह रोग नियंत्रण में है :-

- मधुमेह के लक्षणों का पूर्णत: अभाव

- रोगी का आदर्श वजन का बने रहना

- रक्त में शर्करा की मात्रा सामान्य स्तर पर होना

- मूत्र में शर्करा का न जाना

- रक्त में अम्लीयता का अभाव

- रक्त में कोलेस्ट्रोल एवं ट्राईग्लिसराइड्स की मात्रा सामान्य स्तर पर होना

मधुमेह रोग नियंत्रण में है, यह निष्कर्ष निकालने से पूर्व रक्त के परिक्षण द्वारा उपर्युक्त की पुष्टि करना अत्यंत आवश्यक है । रोगी को इस बारे में समय–समय पर अपने चिकित्सक से परामर्श करते रहना चाहिए ।

रक्त में शर्करा की मात्रा

रक्त में शर्करा की मात्रा किन परिस्थितियों में बढ़ जाती है ?

रक्त में शर्करा की मात्रा बढ़ने के कई कारण हैं । जिनमें से प्रमुख हैं –

- मधुमेह के बारे में जानकारी न होने के कारण उसका उचित उपचार न करने पर

- इन्सुलिन की मात्रा कम या बिल्कुल न लेने पर

- अन्य कोई रोग होने पर

- आपरेशन के समय

- प्रसूति के समय

- कई बार अत्यधिक तनाव की अवस्था में भी रक्त शर्करा का स्तर बढ़ सकता  है ।

रोगियों के पैरों के देखभाल की आवश्यकता

मधुमेह के रोगियों के लिए अपने पैरों की देखभाल करना विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि चोट लगने या घाव होने से तुरंत संक्रमण होने की संभावना बनी रहती है । अत: मधुमेह के रोगियों को निम्नलिखित नियमों का पालन आवश्य करना चाहिए ।

  1. पैरों की स्वच्छता का सदैव ध्यान रखना चाहिए ।
  2. पैरों में कहीं चोट न लगे इसका ध्यान रखना चाहिए ।
  3. दिन में दो-तीन बार गूनगूने पानी से पैरों को धोकर मुलायम कपड़े से पोंछना चाहिए । पैरों की अंगूलियों के बीच की कोमल त्वचा संक्रमण की शीघ्र शिकार हो जाती है इसलिए वहाँ पर तेल लगाकर रखना चाहिए ।
  4. मधुमेह के रोगियों को नंगे पैर न चलकर रबर की चप्पलें अथवा मुलायम कपड़े के बने जुते पैरों में रक्त के सुगम संचार में बाधा पहुंचाते हैं । इसलिए उनका उपयोग नहीं करना चाहिए ।
  5. नायलोन के कसे हुए मोज़े न पहन कर साफ सुथरे सूती मोज़े पहनना अच्छा है क्योंकी ये रक्त प्रवाह में बाधक नहीं होते हैं ।
  6. नाखून काटते समय भी ऐसे रोगियों को सावधानी रखनी चाहिए । हाथों और पैरों को थोड़ी देर तक गूनगूने पानी में डूबोकर रखने के पश्चात् नाखून काटना चाहिए क्योंकी तब वे मुलायम हो जाते हैं ।
  7. प्रतिदिन 10 मिनट के लिए पैरों को ऊँचाई पर रखकर पंजों की कसरत करना मधुमेह के रोगियों के लिए लाभदायक है । इससे पैरों का रक्त संचार उन्नत होता है
  8. मधुमेह के रोगी के पैर में लगी हुई मामूली चोट भी गंभीर होकर न ठीक होने वाले घाव में परिवर्तित हो सकती है । अत: चलते, फिरते, दौड़ते या काम करते समय सदैव इस बात इस बात को ध्यान में रखना चाहिए ।
  9. प्राय: पैरों में गोखरू आदि के हो जाने पर लोग स्वंय ब्लेड से उसे काटने का प्रयास करते हैं । मधुमेह के रोगी के लिए ऐसा प्रयास करना घातक सिद्ध हो सकता है ।

10.  ऊपर रक्त में शर्करा में काम को नियंत्रण में रखें ।

मधुमेह पर नियंत्रण के लिए स्वयं पर नियंत्रण रखना आवश्यक है ?

मधुमेह के उपचार और उसे नियंत्रित रखने में रोगी की भूमिका चिकित्सा से कहीं अधिक महत्वपूर्ण होती हाँ । रोगी के लिए यह समझना आवश्यक है की इस रोग के नियंत्रण में सफलता या असफलता उसके स्वयं के ऊपर निर्भर करती है । यदि रोगी अपने आहार, अपनी दिनचर्या और अपने वजन आदि पर नियंत्रण नहीं रख पाता हो मधुमेह को नियंत्रित कर पाना उसके लिए कदापि संभव नहीं होगा । इसीलिए स्वयं पर अनुशासन रखकर नियमानुसार चलना ही मधुमेह के रोगी की सर्वोत्तम चिकित्सा कही जा सकती है ।

क्या कोई ऐसा तरीका नहीं जिसमे परहेज और व्यायाम न करना पड़े तथा मधुमेह भी नियंत्रण रहे ?

ऐसा कोई तरीका नहीं है जिसमें बिना परहेज और व्यायाम के मधुमेह को नियंत्रण में रखा जा सके । इसके विपरीत इनकी मदद से मधुमेह को जल्दी और सफलतापूर्वक नियंत्रण में लाया जा सकता है ।

मधुमेह और मोटापे में क्या सम्बन्ध है ?

मोटे व्यक्तियों में मधुमेह सामान्य लोगों की अपेक्षा अधिक पाया जाता है । इसलिए ऐसे मधुमेह ऐसे मधुमेह के रोगी, जो मोटापे से भी ग्रस्त होते हैं, के लिए वजन घटाना अनिवार्य है । ऐसे रोगियों को ऐसा आहार लेना चाहिए, जो मधुमेह को नियंत्रित  करने के साथ- साथ मोटापे घटाने में भी उनकी मदद करे ।

मधुमेह से ग्रस्त एक साधारण श्रम करने वाले प्रौढ़ रोगी की लगभग 1500 कैलोरी वाला भोजन लेने की सलाह प्राय: चिकित्सकों द्वारा दी जाती है । इस आहार को दिन में दो बार लेने की बजाए 4-5 बार में लेना उचित होता है । ताकि रक्त में शर्करा के स्तर को स्थापित किया जा सके और उसमें बार- बार उतार-चढ़ाव न हो । इसीलिए मधुमेह के रोगियों को उनके लिए निर्धारित कुल आहार को दिन में 4 या 5 बार में थोड़ा-थोड़ा करके लेने ले लिए कहा जाता है ।

क्या उच्चरक्तचाप का भी मधुमेह से संबंध है।

उच्चरक्तचाप, मोटापा और मधुमेह तीनों ही हमारी विगड़ती हुई जीवन शैली के रोग कहे जाते ही हैं और एक दूसरे को किसी न किसी रूप में प्रभावित करते हैं ।

मधुमेह को कैसे रोका जा सकता है ?

शीघ्र प्राय: मधुमेह के रोगी उच्च रक्त चाप एवं मोटापे से भी ग्रस्त देखे जाते है । मधुमेह जीवनशैली का रोग है । उसे रोकने का अर्थ है अपनी जीवनशैली में परिवर्तन लाकर उसे अधिक सुनियोजित एवं अर्थपूर्ण बनाना ।

मधुमेह को रोकने के लिए निम्नलिखित उपायों को अपनाया जा सकता है ।

मधुमेह से ग्रस्त व्यक्ति को ऐसी स्त्री से विवाह नहीं करना चाहिए जिसे मधुमेह हो । क्योंकी दोनों के मधुमेह से पीड़ित होने पर उनकी संतान को यह रोग विरासत में मिल जाता है ।

  1. बच्चों में शुरू से ही खाने – पीने की सही आदतें डालने से मधुमेह रोग से बचा जा सकता है । चीनी, मिठाई तथा चाकलेट आदि का व्यसनी न बनाकर उन्हें ताजे फल, हरी सब्जियाँ एवं अंकुरित आहार खाने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए ।
  2. मधुमेह का पारिवारिक इतिहास रखने वाले व्यक्तियों को 35 वर्ष की आयु के पश्चात् स्वेच्छा से आहार – नियंत्रण प्रारंभ कर देना चाहिए क्योंकी आगे उन्हें मधुमेह होने का खतरा बना रह सकता है ।
  3. बच्चों में शुरू से ही व्यवस्थित दिनचर्या और योगाभ्यास करने की आदत डालनी चाहिए । बचपन से ही शारीरिक श्रम का महत्व समझ लेने से आगे उनका जीवन सुखमय बनेगा ।
  4. मोटे व्यक्तियों में मधुमेह होने का प्रतिशत अन्य लोगों की अपेक्षा अधिक होता है । इसलिए उन्हें अपना वजन कम करने का त्वरित एवं गंभीर प्रयास करना चाहिए ।

परिवार में मधुमेह का इतिहास होने से क्या मधुमेह होना संभव है ?

परिवार में मधुमेह होने से व्यक्ति के मधुमेह से ग्रस्त होने की संभावनाएँ बढ़ जाती हैं । यह एक शरीर रचना सम्बन्धी रोग है जिसका प्राय: आनुवांशिक प्रवृतियों से होता है । माता एवं पिता दोनों के मधुमेह से ग्रस्त होने पर उनके बच्चों में यह रोग होने की आशंका 20 से 40 प्रतिशत तक हो सकती है । हाँ, यदि दोनों में से एक ही मधुमेह का रोगी है तो उनकी संतानों में इस रोग को आशंका 12 से 20 प्रतिशत तक हो सकती है । इसी तरह जुड़वां बच्चों में यदि एक को मधुमेह हो जाए तो दूसरे बच्चों को भी मधुमेह होने की आशंका 90 प्रतिशत तक हो सकती है ।

मधुमेह रोगियों पर धूम्रपान का क्या प्रभाव पड़ता है ?

तम्बाकू स्वास्थ्य पर अनेक दुष्प्रभाव डालता है । आधुनिक अनुसंधानों से ये तथ्य सामने आ रहे हैं  कि मधुमेह, हृदय रोग तथा उच्चरक्तचाप जैसे जीवन शैली के रोगों में वृद्धि का एक बड़ा कारण धूम्रपान है । यही नहीं मनुष्य के शरीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के क्षरण में भी इसका बहूत बड़ा योगदान है ।

मधुमेह एक महामारी के रूप में बढ़ रहा है ?

विश्व में मधुमेह के रोगियों की संख्या निरंतर बढ़ रही है ।

विश्व में इसके बढ़ते हुए खतरे को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 14 नवंबर को ‘विश्व मधुमेह दिवस’ मनाने के निर्णय लिया है । इस मधुमेह दिवस का नारा होगा – मोटापे के खिलाफ लड़ाई और मधुमेह से बचाव । विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपने मधुमेह बचाव कार्यक्रम के अंतर्गत विकासशील देशों के माध्यम एवं निम्न आय वर्ग के समुदाय पर विशेष रूप से अपने ध्यान केन्द्रित किया है । मधुमेह बचाव पर विश्व स्वास्थ्य संगठन तथा अन्तर्राष्ट्रीय मधुमेह फेडरेशन का एक नया संयुक्त कार्यक्रम है । इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य कूल मिला कर मधुमेह पर नियंत्रण तथा निगरानी के लिए प्रभावशाली कदम उठाना है । इस कार्यक्रम का उद्देश्य मधुमेह के विरूद्ध विश्व में लोगों को बीच जागृति पैदा करना तथा इसकी जटिलताओं से लोगों को परिचित कराना भी है ।

‘विश्व स्वास्थ्य संगठन’ ने अभी तक मधुमेह की जटिलताओं जैसे- दिल, आँखों, किडनी, आदि के होने वाले रोगों के प्रति लोगों का ध्यान आकृष्ट किया था लेकिन अब ‘विश्व स्वास्थ्य संगठन’ का कहना है कि वह इस बार मधुमेह का कारण मोटापा बताते हुए बड़ों में होने वाला टाइप टू का मधुमेह स्वास्थय के लिए खतरनाक तो है ही लेकिन इसके साथ- साथ वह विश्व के हर देश की अर्थव्यवस्था के लिए भी एक चुनौती बन कर सरकारों के सामने खड़ा है । ‘अंतराष्ट्रीय मोटापा टास्क फ़ोर्स’ के अनुसार विश्व की 1 अरब 70 करोड़ आबादी पहले से ही मोटापे से होने वाली बिमारियों जैसे मधुमेह, दिल की बीमारी आदि गैर संक्रमण बीमारियों के खतरे का सामना कर रही है । बच्चों तथा किशोरों का वजन व मोटापा लगातार बढ़ रहा है परिणामस्वरूप अधिक से अधिक बच्चे टाइप टू मधूमेह का शिकार बनते जा हैं । अभी तक टाइप टू मधुमेह बड़ों में पाया जाता था । लेकिन अब यह किशोरों और बच्चों में भी पाया जाने लगा है । ‘विश्व स्वास्थ्य संगठन’ या अंतर्राष्ट्रीय मधुमेह फेडरेशन’ का मधुमेह दिवस पर सन्देश है कि लोग अपनी जीवन शैली में परिवर्तन लाएँ । जैसे- पौष्टिक भोजन करें और शारीरिक रूप से सक्रिय रहें । इससे मधुमेह टाइप टू के बहुत सारे मामलों में लोग रोगों की जटिलता से बचे रहते हैं  और इस पर नियंत्रण भी पाया जा सकता है । यह अनुमान लगाया गया है की अगर बड़े लगे अपने वजन पर नियंत्रण रखें तो कम से कम आधे मामलों में टाइप टू मधुमेह से बचा जा सकता है ।

अमेरिका और इंग्लैंड जैसे देशों में मधुमेह की क्या स्थिति है ?

इंग्लैंड की तुलना में अमेरिका अपने लोगों के स्वास्थय की देख-रेख में दोगुना खर्च करता है लेकिन इस के बावजूद वहाँ लोग अंग्रेजों की तुलना में कहीं अधिक गंभीर रोगों से ग्रस्त पाए गए हैं । अमेरिकी और अंग्रेज दोनों ही एक समान धूम्रपान करते हैं । हालांकि अंग्रेज अमेरीकियों  की तुलना में ज्यादा शराब पीते हैं ।

अमेरिका के लोगों में मधुमेह तथा दिल की बीमारी की दर अंग्रेजों की तुलना में कहीं ज्यादा है । अमेरिका में स्वेच्छा से लोगों ने अपनी दिल की बीमारी, मधुमेह, लकवे, फेफड़े की बीमारी तथा कैंसर का उल्लेख किया है । यह जानकारी ‘अमेरिकन मेडिकल एसोशिएशन’ के जरनल में प्रकाशित एक अध्ययन में दी गई है । इस अध्ययन के शोधकर्ता यूनिवर्सिटी  कालेज आफ लंदन के एपिडीमयोलाजिस्ट डॉ. माइकेल मारमोट का कहना है कि अमेरिका में जैसे- जैसे सामाजिक स्तर बढ़ता जाता है वैसे-वैसे बीमारियाँ भी बढ़ती जाती हैं । और यह भेद बड़ा नाटकीय है । अमेरिका में स्वास्थ्य की देखरेख पर प्रति व्यक्ति 5, 200 डॉलर खर्च किए जाते हैं जबकि इंग्लैंड में इसका आधा ही खर्च है । डॉ. मारमोट का कहना है की हर व्यक्ति को निस पर विचार करना चाहिए कि सबसे अमीर देश सबसे ज्यादा स्वस्थ देश क्यों नहीं हैं । इस शोध को वित्तीय सहायता देने वाले अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के रिचर्ड सूजमन का कहना है की यह बहूत ही रहस्यमयी बात है ।

जहाँ अमेरिका  में मधुमेह दर 12.5 प्रतिशत है वहीं इंग्लैंड में यह 6 प्रतिशत है । अमेरिका में उच्चरक्तचाप से ग्रस्त लोगों की संख्या 42 प्रतिशत है तो इंग्लैंड में प्रतिशत है तो इंग्लैंड में 34 प्रतिशत । अमेरिका ने कैंसर 9.5 प्रतिशत है तो इंग्लैंड में यह 5.5 प्रतिशत । विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है की अमेरिका में दो दर्जन औद्योगिक देशों के मुकाबले में जीवन प्रत्याशा कम है । इस बारे में कुछ लोगों का यह भी कहना है कि अमेरिका की जनसंख्या में विभिन्नता आई है इनमें अल्पसंख्यक समुदाय का स्वास्थ्य श्वेत की तुलना में कहीं  ज्यादा ख़राब है ।

मधुमेह से संबंधित कुछ और विशेष तथ्य

मधुमेह से संबंधित कुछ और विशेष तथ्य क्या हैं जिनकी होना मधुमेह के रोगी के लिए आवश्यक है ?

  • मधुमेह के बारे में समाचार पत्रों में छपी एक रिपोर्ट बताती है की जहाँ तक देश की राजधानी दिल्ली का सवाल है यहाँ हर 100 में से 9 लोग मधुमेह की चपेट हमें हैं ।
  • विश्व स्वास्थय संगठन’ के अनुमान के मुताबिक सन 2020 तक विश्व भर में मधुमेह के शिकार लोगों की संख्या में ढाई गुना की बढ़ोतरी हो जाएगी ।
  • डाक्टरों के अनुसार मधुमेह का कारण औद्योगिकीकर, भूमंडलीकरण, जंक फ़ूड कल्चर तथा शारीरिक श्रम नहीं करने वाली नई जीवन पद्धति है ।
  • मधुमेह के रोगी के लिए यह जरूरी है कि वह उपर्युक्त तथ्यों की गंभीरता के समझे और अपनी जीवन शैली में परिवर्तन लाकर इस रोग की जटिलताओं से स्वयं को बचाने का प्रयास करे ।

मधुमेह के बारे नवीनतम रिपोर्ट

नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार मधुमेह का फैलाव तेजी से बढ़ रहा है । समाचार परत में प्रकाशित पत्र में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार- “भारत के साथ - टाइप टू मधुमेह” से सबसे ज्यादा प्रभावित है।

प्रभावित अन्य देश

भारत के अतिरिक्त मधुमेह से सर्वाधिक प्रभावित अन्य देश कौन से हैं  ?

मधुमेह से सर्वाधिक प्रभावित 10 देशों की सूची इस प्रकार है –

मधुमेह ग्रस्त जनसंख्या ( 20-79 आयु वर्ग ) ( संख्या लाखों में )

क्र. सं

देश

2007 में

2025में (सम्भावित )

1.

2.

3.

4.

5.

6.

7.

8.

9.

10.

भारत

चीन

अमेरिका

रूस

जर्मनी

जापान

पाकिस्तान

ब्राजील

मैक्सिको

इजिप्ट

40.9

39.8

19.2

9.6

7.4

7.0

6.9

6.9

6.1

4.4

69.9

59.3

25.4

17.6

11.5

10.8

10.3

8.1

7.6

7.4

 

भारत के बड़े शहरों में मधुमेह की क्या स्थिति है ?

भारत के निम्नलिखित 6 शहरों में मधुमेह का स्थिति इस प्रकार है –

बैंगलोर

16.6%

दिल्ली

13.5%

चेन्नई

12.4%

मुम्बई

11.6%

हैदराबाद

11.7%

कोलकाता

9.3%

स्त्रोत : ज़ेवियर समाज सेवा संस्थान,रांची

अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020



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