आनुवांशिक रोग
इस भाग में आनुवांशिक रोगों के विषय में जानकारी उपलब्ध है|
- Contents
ड़ाउन सिन्ड्रोम
- यह मानसिक और शारीरिक लक्षणों का समूह है जो एक अतिरिक्त गुणसूत्र 21 की उपस्थिति के कारण होता है।
- हालांकि डाउन सिंड्रोम के लोगों में कुछ आम शारीरिक और मानसिक विशेषताएं होती हैं, डाउन सिंड्रोम के लक्षण हल्के से लेकर गंभीर तक हो सकते हैं। आमतौर पर, मानसिक विकास और शारीरिक विकास डाउन सिंड्रोम के लोगों में, बिना इस रोग के लोगों की तुलना मे धीमी गति से होता है।
- इस सिंड्रोम के लोगों में अन्य स्वास्थ्य समस्याएं भी हो सकती हैं। उनमे पैदाइशी दिल की बीमारी हो सकती है। उन्हें मनोभ्रंश हो सकता है। उन्हें सुनने में समस्याएं तथा आंतों, आँखें, थायरॉयड तथा अस्थि ढाँचे की समस्याएँ हो सकती हैं।
- जैसे महिला की उम्र बढ़ती है, डाउन सिंड्रोम के साथ बच्चे पैदा होने की संभावना बढ़ जाती है। डाउन सिंड्रोम का इलाज नहीं किया जा सकता। हालांकि, डाउन सिंड्रोम से पीड़ित लोग अच्छी तरह से वयस्क जीवन जीते हैं।
डाउन सिंड्रोम क़्या है ?
डाउन सिंड्रोम एक गुण सूत्रीय स्थिति है। यह कुछ सामान्य विकारों से संबद्ध है, जैसा कि नीचे वर्णित है:
बौद्धिक विकलांगता - बौद्धिक विकलांगता का स्तर बदलता है, लेकिन यह आमतौर पर न्यून से मध्यम होती है।
प्रकटन - बचपन में चेहरे का विशिष्ट स्वरूप, तथा पैदाइश के समय कमजोर मांसपेशियां हाइपोटोनिया) होती है।
जन्म दोष - डाउन सिंड्रोम के लोग कई तरह के जन्म दोषों के साथ पैदा हो सकते हैं। प्रभावित बच्चों में से करीब आधों को हृदय दोष होता है।
पाचन सम्बन्धी असामान्यताएं – यह बहुत ही विरले होती है, जैसे- आँत की रुकावट
डाउन सिंड्रोम से पीड़ित व्यक्तियों में कई चिकित्सकीय परिस्थितियों के निर्माण का अतिरिक्त जोखिम है। इनमें शामिल हैं:
गेस्ट्रोइसोफेजिअलअधोवाह- पेट के अम्लीय तत्वों का भोजन नलिका में उल्टा प्रवाह है।
सेलिअक रोग - जो की गेहूं के प्रोटीन, ग्लुटेन के प्रति असहिष्णुता है।
हाइपोथायरायडिज्म - करीब 15 प्रतिशत डाउन सिंड्रोम के लोगों में न्यून-क्रियाशील थायरॉयड ग्रंथि (हाइपोथायरायडिज्म) होती है। थायरॉयड ग्रंथि गर्दन के निचले हिस्से में तितली के आकार का एक अंग है जो हार्मोन का उत्पादन करती है।
सुनने एवं देखने की समस्या - डाउन सिंड्रोम के व्यक्तियों को सुनने एवं देखने की समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है।
रक्त कैंसर - इसके अतिरिक्त, करीब 1 प्रतिशत डाउन सिंड्रोम के बच्चों में रक्त-निर्माण कोशिकाओं (ल्यूकेमिया) का कैंसर होता है।
अल्जाइमर रोग - डाउन सिंड्रोम के वयस्कों में अल्जाइमर रोग, एक मस्तिष्क विकार का जोखिम बढ़ जाता है, जो स्मृति, निर्णय एवं कार्य करने की क्षमता में क्रमिक हानि करता है। यद्यपि अल्जाइमर रोग आमतौर पर बड़ी उम्र के वयस्कों में ही होता है, करीब डाउन सिंड्रोम के करीब आधे वयस्कों में यह परिस्थिति 50 की आयु तक विकसित होती है।
डाउन सिंड्रोम कितना आम है ?
740 नवजात बच्चों में से 1 में डाउन सिंड्रोम पाया जाता है। यद्यपि सभी उम्र की महिलाएं द्वारा डाउन सिंड्रोम के बच्चे का जन्म हो सकता है, इस परिस्थिति के बच्चे के जन्म की संभावना महिला की आयु बढ़ने पर बढ़ती है।
डाउन सिंड्रोम से संबंधित आनुवांशिक परिवर्तन क्या हैं ?
ट्राइसोमी 21- अधिकांश मामलों में डाउन सिंड्रोम ट्राइसोमी 21 से होता है, यानी शरीर की प्रत्येक कोशिका सामान्य दो प्रतियों के बजाय गुणसूत्र 21 की तीन प्रतियां होती है। अतिरिक्त आनुवांशिक पदार्थ सामान्य विकास की गति को भंग कर देता है, जिसके परिणामस्वरूप डाउन सिंड्रोम के विशिष्ट लक्षण होते हैं।
गुणसूत्र 21 की अतिरिक्त कॉपी - डाउन सिंड्रोम के कुछ प्रतिशत लोगों में शरीर की केवल कुछ कोशिकाओं में गुणसूत्र 21 की एक अतिरिक्त कॉपी होती है। इन लोगों में, इस स्थिति को मोज़ेक डाउन सिंड्रोम कहा जाता है।
गुणसूत्र स्थानान्तरण - डाउन सिंड्रोम, प्रजनन कोशिकाओं (अंडे और शुक्राणु) के गठन या भ्रूण विकास के प्रारंभ के दौरान गुणसूत्र 21 का भाग अन्य गुणसूत्र में संलग्न (स्थानान्तरण) होने से भी होता है। प्रभावित लोगों में गुणसूत्र 21 की दो प्रतियां, गुणसूत्र 21 जो अन्य गुणसूत्र के साथ संलग्न है, की अतिरिक्त सामग्री होती है। इस आनुवांशिक परिवर्तन से प्रभावित व्यक्तियों को स्थानान्तरित डाउन सिंड्रोम होना कहा जाता है।
क्या डाउन सिंड्रोम वंशानुगत है?
अधिकांश मामलों में डाउन सिंड्रोम वंशानुगत नहीं होता है।
ट्राइसोमी 21
जब स्थिति ट्राइसोमी 21 द्वारा प्रभावित होती है, तो गुणसूत्रीय विषमता अचानक प्रजनन कोशिकाओं के गठन के दौरान उत्पन्न हो जाती है। आमतौर पर विषमता अंडे की कोशिकाओं में होती है, लेकिन यह कभी-कभी शुक्राणु कोशिकाओं में होती है। कोशिका विभाजन में त्रुटि, जिसे अवियोजन कहा जाता है, के परिणामस्वरूप प्रजनन कोशिकाओं में गुणसूत्रों की असामान्य संख्या होती है। उदाहरणार्थ अंडे या शुक्राणु, कोशिका में गुणसूत्र 21 की अतिरिक्त प्रतिलिपि प्राप्त कर सकते हैं। यदि इनमें से एक असामान्य प्रजनन कोशिका बच्चे की आनुवांशिक बनावट में योगदान देती है, तो बच्चे के शरीर की प्रत्येक कोशिका में एक अतिरिक्त गुणसूत्र 21 होगा।
मोज़ेक डाउन सिंड्रोम भी विरासत में नहीं मिलता है। यह कोशिका विभाजन के दौरान अनियमित रूप से भ्रूण विकास के शुरुआत में ही होता है। परिणामस्वरूप, शरीर की कुछ कोशिकाओं में सामान्यत: गुणसूत्र 21 दो प्रतियां होती है, अन्य कोशिकाओं में इस गुणसूत्र की तीन प्रतियां होती हैं।
स्थानान्तरण डाउन सिंड्रोम विरासत में मिल सकता है। एक अप्रभावित व्यक्ति में गुणसूत्र 21 एवं अन्य गुणसूत्र के बीच आनुवंशिक सामग्री का पुनर्व्यवस्थापन हो सकता है। इस पुनर्व्यवस्थापन को संतुलित स्थानान्तरण कहा जाता है क्योंकि उसमें गुणसूत्र 21 की अतिरिक्त सामग्री नहीं है। भले ही उनमें डाउन सिंड्रोम के लक्षण नहीं होते, इस प्रकार का संतुलित स्थानान्तरण वाले लोगों के बच्चों में इस स्थिति के होने का खतरा बढ़ जाता है।
डाउन सिंड्रोम मानसिक और शारीरिक लक्षणों का समूह है जो कि गुणसूत्र 21 की एक अतिरिक्त प्रतिहोने के कारण होता है। हालांकि डाउन सिंड्रोम के लोगों में कुछ शारीरिक और मानसिक विशेषताएं एक जैसी होती हैं, डाउन सिंड्रोम के लक्षण न्यून से गंभीर तक हो सकते हैं। आमतौर पर डाउन सिंड्रोम के लोगों में मानसिक और शारीरिक विकास बिना डाउन सिंड्रोम वालों की तुलना में धीमी गति से होता है।
स्रोत: नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ चाइल्ड हेल्थ एंड ह्युमन डेवलपमेंट
फटे ओंठ एवं तालु
चीरा हुआ ओंठ एवं तालु
- चीरा हुआ ओंठ एवं तालु, जन्मगत दोष के प्रकार हैं।
- चीरा हुआ ओंठ , ओंठ के दो छोरो में विभाजन है।
- विभाजन में अक्सर ऊपरी जबड़े एवं/ या ऊपरी मसूढ़े की हड्डियां भी शामिल होती है।
- चीरा हुआ तालु मुँह के ऊपरी भाग में खुलता है।
- यह एक स्थिति है जिसमें अजन्मे शिशु के विकास के समय तालु के दोनों भागों में मिलाप नहीं हुआ हो या वे आपस में नहीं जुड़े हों।
- चीरे हुए ओंठ एवं तालु एक तरफ (एकतरफा विदीर्ण ओंठ एवं /या तालु) या दोनों तरफ (द्विपक्षीय चीरा हुआ ओंठ एवं/या तालु) हो सकता है। क्योंकि ओंठ एवं तालु अलग से विकसित होते हैं, बच्चे में यह संभव है कि चीरा हुआ ओंठ या तालु या दोनों हों।
लक्षण
- वजन न बढ़ना
- दूध पिलाने की समस्याएं
- दूध पिलाते समय नाक के द्वारा दूध बाहर आना।
- दाँत आड़े-तिरछे होना
- कम वृद्धि
- कान में बार-बार संक्रमण होना
- केवल ओंठ में विभाजन होना
- तालु में विभाजन होना
- ओंठ एवं तालु में विभाजन होना
- बोलने में कठिनाइयां
- नाक के आकार में बदलाव
जांच एवं परीक्षण
मुँह, नाक एवं तालु का शारीरिक परीक्षण, चीरे हुए ओंठ या विदीर्ण तालु के होने की पुष्टि करता है। चिकित्सकीय परीक्षण अन्य स्वास्थ्य स्थिति की संभावना को नकारने के लिये किया जा सकता है।
उचित आयु में आवश्यक उपचार योजना:
- जन्म के बाद दूध पिलाने के बारे में सलाह एवं वजन बढ़ाने के लिए आगे की कार्यवाही के लिये माता-पिता के साथ पहला परामर्श
- 3-5 महीनों तक चीरे हुए ओंठ को ठीक करने के साथ नाक सुधारना
- 9-12 महीनों तक चीरे हुए तालु को ठीक करना
- 1-2 वर्षों तक मध्य कान में एकत्रित संक्रमण को रोकने के लिए सुनने की जांच करना
- 2-4 वर्ष बोलने के विकास पर एवं आवश्यक उपचार पर कड़ी निगरानी रखना
- बच्चों के दंत-चिकित्सक द्वारा दांतो की नियमित जांच
- 4-6 वर्ष तक बोलने की क्षमता में सुधार जो 1-15 प्रतिशत बच्चों में तालु के ऑपरेशन के बाद आवश्यक होता है।
- 6-12 वर्ष दांतो की नियमित जांच एवं दंत चिकित्सक से उपचार
- 9 साल में एल्विओलस में दोष के लिये अस्थि कलम
- किशोरावस्था में यदि मरीज़ चाहे तो नाक के आकार में सुधार एवं चेहरे में सुधार के लिये सर्जरी
- विरासत मे दिए जाने वाले दोषों को कम करने के लिए वयस्कों का आनुवांशिक परामर्श
- इस तरह, यदि आपके बच्चे या आपके किसी भी परिचित को चीरे हुए ओंठ या तालु के उपचार की आवश्यकता हो तो उसे तुरंत डॉक्टर के पास उपचार के लिए ले जाएँ।
अधिक जानकारी के लिए सन्दर्भित वेबसाइट :
स्रोत: नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ चाइल्ड हेल्थ एंड ह्युमन डेवलपमेंट
Mujhe detail me Janna h pls bataiye