बुखार सबसे ज्यादा पायी जानेवाली स्वास्थ्य समस्या है। बुखार सूक्ष्म जीव संक्रमण से जुड़ी शरीर की प्रतिरक्षा प्रक्रिया है। आमतौरपर बुखार एक सामान्य और मर्यादित लक्षण होता है। सिवाय कुछ गंभीर रोग छोडके। कभी कभी बुखार की समस्या जानपदिक यानि सामूहिक होती है जैसे की मलेरिया, फ्लू या डेंग्यू आदि। बुखार नापने के लिये डिजिटल या पारद थर्मामिटर मुँह में एक मिनिट तक रखे। इसके नुसार ९८-१०० डिग्री तक बुखार सौम्य, १००-१०२ तक मध्यम और १०२ के उपर ज्यादा बुखार समझना चाहिये।
ज्यादा बुखार चलने पर मस्तिष्क पर बुरे असर संभव है। ये जानलेवा भी हो सकता है। इस सारी जानकारी के सहित आप सही समय सही निर्णय ले सकेंगे। इससे घबराहट या असुविधा हम टाल सकेंगे।
कारण के अनुसार बुखार के सात वर्ग हो सकते है।
इस जानकारी के साथ हम बुखार का कारण संभवत: ढूंढ सकते है। लेकिन कभी कभी खून की जाँच जरुरी होती है।
कुल मिलाकर बुखार के मरीजों में गंभीर रोगों का प्रमाण कम होता है। आमतौर पर जुकाम खाँसी वाले बुखार कुछ ज्यादा ही होते है। सामान्य बुखार के लिये हम कुछ घरेलू इलाज कर सकते है। बुखार के लिये पॅरासिटामॉल सबसे सुरक्षित और सहज मिलनेवाली दवा है। जवान या वयस्कों के लिये इसकी १-२ गोलियॉं दिन में तीन बार लेना चाहिये। बच्चों के लिये पॅरासिटामॉल बिलकुल सुरक्षित है। बुखार के लिये अन्य दवाएँ भी है जैसे की ऍस्पिरिन, डायक्लोफेनॅक, आयबुप्रोफेन या निमेसुलाईड। बच्चोंको ऍस्पिरिन नहीं दिया जाता।
बुखार के लिये पॅरासिटामॉल सबसे सुरक्षित और सहज मिलनेवाली दवा है। जवान या वयस्कोंके लिये इसकी १-२ गोलियॉं दिन में तीन बार लेना चाहिये। बच्चोंके लिये पॅरासिटामॉल बिलकुल सुरक्षित है। बुखार के लिये अन्य दवाएँ भी है जैसे की ऍस्पिरिन, डायक्लोफेनॅक, आयबुप्रोफेन या निमेसुलाईड। बच्चों को ऍस्पिरिन नहीं दिया जाता।
आयुर्वेद के अनुसार सुदर्शनवटी या त्रिभुवकिर्तीकी २-२ गोली दिन में २-३ बार ले सकते है। बुखार में पानी और द्रवपदार्थ ज्यादा मात्रा में पिने चाहिये। तुलसी का चाय यानि काढा भी ठीक रहता है। बुखार ज्यादा हो तब गुनगुने पानीसे बदन पोछ लेना तुरंत हितकारक होता है। होमिओपथीमें बुखार के लिये आर्सेनिकम या बेलाडोना का प्रयोग होता है।
हर एक बुखार-रोग के लिये अलग नीति हो सकती है।
स्त्रोत: भारत स्वास्थ्य
अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020
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