बीमारी में कौन से लक्षण जल्दी दिखाई देने लगेंगे और कौन से ‘दे’ यानी देरी से, ये भी तालिका में बताया गया है। उदाहरण के लिए आम जुकाम के कुछ मामलों में खॉंसी देरी से शुरू होती है। जल्दी दिखाई देने वाले लक्षणों के साथ आप ज (जल्दी) का चिन्ह भी लगा सकते हैं। हमने ऐसा इसलिए नहीं किया क्योंकि बीमार व्यक्ति आपके पास शुरू-शुरू में ही आएगा।
तालिका में सीधी तरफ एक और स्तंभ है। इस स्तंभ में बीमारी से सम्बन्धित खास लक्षण दिए गए हैं। जैसे की बुखारवाले तालिका में मस्तिष्क शोथ में गर्दन का अकडना।
तालिका में सीधी तरफ सबसे आखिर में निदान का स्तम्भ है। इसलिए किसी एक पंक्ति में बाई से दाई ओर जाते हुए हम आखरी स्तम्भ तक दी गई सभी बीमारी के चिकित्सीय पहलू जान सकते हैं।
बीमारियों का ये समूह मरीज से प्रथम सम्पर्क के आधार पर बना है।
पहला समूह - आसान बीमारियॉं - उन बीमारियों का है जिनका उपचार स्वास्थ्य कार्यकर्ता स्वयं कर सकते हैं। इन को पहचानना और इनका इलाज दोनों ही आसान होते हैं और ऐसा करना सुरक्षित भी होता है। ये बीमारियॉं अक्सर हुआ करती हैं।
दूसरा समूह - मध्यम बीमारियॉं है। इनका निदान और उपचार थोड़ा जटिल होता है। इनमें थाड़ी जोखिम भी होती है। स्थाई या अस्थाई नुकसान पहुँच सकता है। कभी कभार इन बीमारियों से मृत्यु भी हो जाती है। इसलिए मध्यम की बीमारियों के लिए थोड़ी सी सावधानी की ज़रूरत होती है। और साथ ही लगातार नज़र रखनी ज़रूरत होती है कि बीमारी से कोई गड़बड़ी तो नहीं हो रही। जैसे कि दस्त से बच्चों में निर्जलीकरण या कुपोषण हो सकता है। मौत भी हो सकती है। अगर आप इन बीमारियों का इलाज करना चाहते हैं तो आपको इनके बारे में और जानकारी की ज़रूरत होगी।
हम आसान और मध्यम बीमारियों को गॉंव के स्तर पर सम्भाल सकते हैं। इन दोनों के लिए विशेषज्ञों की देखभाल की ज़रूरत नहीं होती। इसको हमने नीला रंग दर्शाया है।
इन गम्भीर बीमारियों से स्वास्थ्य और जिन्दगी को गम्भीर नुकसान होते हैं। इसीलिए ही इन्हें गम्भीर बीमारियॉं कहा जाता है। तीव्र गम्भीर: पहला समूह तीव्र गम्भीर स्थितियों का है जैसे मस्तिष्क शोथ या मस्तिष्कावरण शोथ आदि। हमको पता ही है कि इन बीमारियों से मौत हो सकती है। इसमें तुरंत मदद की जरुरी है। इसको हमने लाल रंग से दर्शाया है।
चिरकारी गम्भीर: तपेदिक या कैंसर जैसी बीमारियॉं चिरकारी और गम्भीर हैं जो धीमे बढ़ती हैं। परन्तु इनसे स्वास्थ्य और जिन्दगी को काफी नुकसान हो सकता है। इनको जल्दी पहचानकर डॉक्टर के पास भेजना है। जल्दी निदान से इनके जल्दी इलाज और ठीक होने की संभावना बढती है।
दुर्घटनाएँ एक अन्य गम्भीर समूह है। इनमें हुए नुकसान का अन्दाज़ा लगाना और इनका उपचार करना दोनों ही जटिल होते हैं। इन सभी गम्भीर स्थितियों में विशेषज्ञों का तुरन्त दिखाया जाना ज़रूरी होता है। परन्तु इसमें भी प्राथमिक चिकित्साकर्मी की बड़ी भूमिका होती है। यह भी लाल रंग से दर्शाया है।
आपको इन दुर्घटनाओं का जल्दी से जल्दी पहचानना और बीमार व्यक्ति को तुरन्त सही जगह पहुँचाना ज़रूरी हैं और बाद में ध्यान रखना भी सभी ज़रूरी होते हैं।
स्त्रोत: भारत स्वास्थ्य
अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020
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