टेटनस को कंकालपेशियों तंतुओं (फाइबर) के लम्बे समय तक खिंचे (संकुचन) रह जाने वाली अवस्था से पहचाना जाता है। संक्रमण के प्राथमिक लक्षण का कारण टेटानोस्पैसमिन है।
टेटानोस्पैसमिन एक न्यूरोटॉक्सिन हैं, इसको क्लोस्ट्रीडियम टेटानी पैदा करता है, जो कि बिना हवा के जीवत रहने वाला जीवाणु, ग्राम-पॉजिटिव, छड़ के आकार का होता है। सामान्यत: संक्रमण सारे शरीर में मांसपेशियों की दर्दनाक अकड़न का कारण है। यह जबड़ों की जकड़न को पैदा करता है, जिससे मुंह खोलने या चबाने में परेशानी होती है। यदि ऐसा होता है, तो व्यक्ति घुटन के कारण मर सकता हैं। यह आमतौर पर तब होता है, जब ताज़ा घाव दूषित हो जाता है। यदि टिटनेस का उपचार नहीं किया जाता हैं, तो यह जटिलताओं को पैदा कर सकता है, जो कि घातक हो सकती है।
जबड़ों में जकड़न (जबड़ा बंद होना)। मांसपेशियों में ऐंठन व जकड़न, जो कि 24 से 72 घंटों से अधिक समय तक गर्दन से जबड़ों एवं अंगों में फ़ैल सकती है।
अन्य लक्षणों में शामिल हैं:
टेटनस क्लोस्ट्रीडियम टेटानी जीवाणु के कारण होता है। क्लोस्ट्रीडियम टेटानी के बीजाणुओं शरीर के बाहर रह सकते हैं और वातावरण में दूर-दूर तक फैल सकते हैं। यह सामान्यत: जानवरों के गोबर जैसे कि घोड़े व गाय एवं दूषित मिट्टी में पाये जाते है। इनके शरीर में प्रवेश करने के बाद टिटनेस बैक्टीरिया जल्दी से दोगुने हो जाते है तथा टेटानोस्पैसमिन पैदा करते हैं। इस प्रकार के ज़हर को न्यूरोटॉक्सिन के नाम से जाना जाता है। यदि टेटानोस्पैसमिन खून में प्रवेश करता हैं, तो यह शरीर के चारों ओर फैल जाता है, जिसके कारण टिटनेस के लक्षण विकसित होते है।
न्यूरोटोक्सिन मस्तिष्क से रीढ़ की हड्डी को भेजे जाने वाले तंत्रिका संकेतों को ब्लॉक करता है तथा उसके बाद मांसपेशियों को ब्लॉक करता है। यह टिटनेस से जुड़ी मांसपेशियों में ऐंठन एवं मांसपेशियों की जकड़न का कारण बनता है।
सामान्यत: टिटनेस की जानकारी लक्षण के माध्यम से जानी जा सकती है, लेकिन रोगसूचक जानकारी जानने के लिए स्पैचुल परीक्षण किया जाता है, जिससे रोग की पुष्टि होती है।
स्पैचुल परीक्षण: इस परीक्षण में स्पैचुल को गले के अंदर पीछे की ओर डालना शामिल है। यदि कोई संक्रमण नहीं है, स्पैचुल से गलकोष अनैच्छिक क्रिया (गैग रिफ्लेक्स) होगी तथा रोगी स्पैचुल को मुंह से बाहर निकलने का प्रयास करेगा। हालांकि, यदि टिटनेस का संक्रमण मौजूद है, तो स्पैचुल के कारण गले की मांसपेशियां में जकड़न होगी और गले की मांसपेशियां स्पैचुला को पकड़ लेगी।
टिटनेस के लिए दो प्रकार का उपचार हैं:
निवारक उपचार- जिन लोगों को टिटनेस के ख़िलाफ़ संपूर्ण या आंशिक टीका लगाया गया है तथा इन लोगों को चोट लगती है, तो उन्हें टेटनस के संक्रमण का ख़तरा कम होता है।
रोगसूचक उपचार- जिन लोगों में सक्रिय टिटनेस संक्रमण के लक्षण विकसित हैं, उनमें टिटनेस के लक्षणों के उपचार के लिए तीन मुख्य प्रकार की दवाओं का उपयोग किया जाता है।
दर्द दूर करने वाली दवाएं।
मांसपेशी स्थिरता।
नयूरोमुस्कुलर ब्लॉकिंग एजेंट्स।
टेटनस को टिटनेस टोक्साइड के साथ टीकाकरण द्वारा रोका जा सकता है। टिटनेस को रोकने के लिए चार तरह के DTaP, Tdap, DT, and Td टीकों के संयोजन का उपयोग किया जाता है। इनमें से दो टीकें (DTaP and DT) 7 वर्ष की अवस्था से बड़े बच्चों को दिये जाते है तथा दो टीकें (Tdap and Td) बड़े बच्चों एवं वयस्कों को दिये जाते है। सीडीसी सिफ़ारिश करता है कि वयस्कों को हर दस वर्ष में बूस्टर टीका दिया जाना चाहिए।
स्त्रोत : राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रवेशद्वार, भारत सरकार ।
अंतिम बार संशोधित : 3/16/2023
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