यह एक स्वप्रतिरक्षित बिमारी (आटोइम्यून) है। जिसका परिणाम लचीला जोड़ो में दीर्ध प्रजव्लन है। अगर सही इलाज नही किया धीरे धीरे रोग पुराना होने के कारण जोड़ो का कार्य और लचीलापन नुकसान होता है और प्रभावित जोड़ निर्योग्यकारी और पीड़ादायक होता है। इस बीमारी से जोड़ों में स्थाई विकृति हो जाती है और हमेशा के लिए इनका काम करना बन्द हो जाता है।
निम्नलिखित लक्षण हमेशा होते हैं और इनसे बीमारी का निदान हो जाता है:
स्टेरॉयड के अलावा शोथ विरोधी दवाएँ जैसे ऐस्परीन, आईबूप्रोफेन, मेफानिमिक एसिड दर्द से अस्थाई रूप से आराम दिला सकती हैं। स्टेरॉयड का भी वही असर होता है पर इनका इस्तेमाल लम्बे समय तक नहीं करना चाहिए। स्टेरॉयड या अन्य दवाओं का चुनाव और इस्तेमाल रोगी को ठीक से जाँच के बाद ही करना चाहिए। इसलिए दवा चिकित्सक कें सलाह और देखरेख में लेनी चाहिये।
स्वास्थ्य कार्यकर्ता के रूप में हम रोगी को डॉक्टर के पास पहुँचाने से पहले कुछ समय के लिए आराम पहुँचाने के लिए ऐस्परीन या आईब्रूप्रोफेन दे सकते हैं।
ऐसा दावा किया जाता है कि दर्द कम करने और जल्दी चोट ठीक करने के लिए आरनिका और सिमफाईटम बहुत उपयोगी दवाएँ हैं।
कुछ मामलों में ये तरीके अच्छी तरह से काम कर जाते हैं। परन्तु हर रोगी की जाँच अलग-अलग होनी होती है क्योंकि होम्योपैथिक दवाएँ रोगी के गठन के हिसाब से ही बनती हैं। एक्यूपंक्चर तकनीक का इस्तेमाल किया जा सकता है और अगर यह सुविधा उपलब्ध हो तो स्वास्थ्य कार्यकर्ता को यह तकनीक ज़रूरी सीखनी चाहिए।
इस बीमारी के बारे में हृद्वाहिका तंत्र में विस्तार से दिया गया है। जोडो की सहायक संरचना मे सुजन को (पैराआरथ्राईटिस कहते है।
जैसे-जैसे व्यक्ति बूढ़ा होता जाता है जोड़ों की सतह की टूट-फूट भी बढ़ती जाती है। यह घुटनों, कूल्हों, टखनों और रीढ़ की हड्डी के जोड़ों के साथ और भी ज्यादा होता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि इन जोड़ों को ही शरीर का भार सम्हालना होता है। इसमें हडि्डयों की सतह और जोड़ों के सम्पुटों पर असर होता है। सतह खुरदुरी हो जाती है और हिलाने-डुलाने के समय एक-दूसरे के साथ घिसती है। इससे जोड़ों में हल्की-सी सूजन भी हो सकती है। जराजन्य गठिया बुढ़ापे का हिस्सा है। इसका कोई इलाज नहीं है। हम केवल तकलीफ कम कर सकते हैं। इलाज के प्रमुख नियम हैं :
स्त्रोत: भारत स्वास्थ्य
अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020
इस लेख में रक्ताल्पता (अनीमिया) की विस्तृत जानकार...
इस पृष्ठ में फिटनेस और तंदुरुस्ती के मायने और अहमि...
इस शीर्षक भाग में गला अवरुद्ध होने या दम घुटने, डू...
इस पृष्ठ में अस्थि में कर्क रोग (बोन कैंसर) कैसे ह...