सिरदर्द प्रायः सभी व्यक्ति सिरदर्द से पीड़ित होता है और कुछ लोग इससे काफी असुविधा महसूस करते हैं। लेकिन अधिकांश लोगों में यह अस्थायी लक्षण होती है। सामान्यतौर पर सिरदर्द अस्थायी होते हैं और अपने-आप ठीक हो जाते हैं। हालांकि यदि दर्द असहनीय हो, तो अपने चिकित्सक से संपर्क करने में संकोच न करें। चिकित्सक को तेज, रूक-रूक कर आनेवाले और बुखार के साथ सिरदर्द की जांच करनी चाहिए।
सिरदर्द कब गंभीर होता है?
सभी सिरदर्द को चिकित्सकीय इलाज की जरूरत नहीं होती। कुछ सिरदर्द भोजन या मांसपेशियों के तनाव से पैदा होते हैं और घर में ही उनका इलाज किया जा सकता है। अन्य सिरदर्द किसी गंभीर बीमारी के संकेत हैं और उनमें जल्द से जल्द चिकित्सकीय सहायता की जरूरत होती है। यदि आप सिरदर्द के निम्नलिखित लक्षण पायें, तो आप तत्काल आपातकालीन चिकित्सकीय परामर्श लें :
यदि आपको सिरदर्द के निम्नलिखित लक्षण का अनुभव हो, तो आपको चिकित्सकीय परामर्श लेना चाहिए:
तनाव व अधकपारी (माइग्रेन) सिरदर्द के प्रकार हैं। अधकपारी और समग्र सिरदर्द नाड़ियों के सिरदर्द के प्रकार हैं। शारीरिक थकान, नाड़ियों के दर्द को बढ़ा देता है। सिर के चारों तरफ की रक्त नलिकाएं और ऊतक मुलायम हो जाते हैं या उनमें सूजन आ जाती है, जिससे आपका सिर, दर्द से ग्रस्त हो जाता है। क्लस्टर सिरदर्द अधकपारी से कम सामान्य है और यह नाड़ियों के सिरदर्द का सबसे सामान्य प्रकार है। क्लस्टर सिरदर्द कम अंतराल पर कई बार पैदा होता है। कभी-कभी यह कई सप्ताह या महीनों तक रहता है। क्लस्टर सिरदर्द पुरुषों में अधिक होता है और काफी तकलीफदेह होता है।
पहचान
अधिकांश सिरदर्द गंभीर स्थिति के कारण पैदा नहीं होते और उनका इलाज दवा दुकानों में उपलब्ध दवाओं से ही किया जा सकता है। अधकपारी और सिर में अन्य प्रकार के गंभीर दर्द का इलाज नुस्खे के इलाज और चिकित्सक की निगरानी में ही हो सकता है।
सिरदर्द संबंधी और जानकारी
तनाव से उत्पन्न सिरदर्द
जुकाम या नजला (साइनस) से उत्पन्न सिरदर्द
जुकाम या नजला सिरदर्द, जुकाम संक्रमण या एलर्जी का परिणाम है। अक्सर सर्दी या फ्लू के कारण साइनस के रास्ते या आपकी नाक के ऊपर और पीछे स्थित हवा के स्थान में सूजन के कारण साइनस सिरदर्द पैदा होता है। जुकाम या नजला जम जाने या संक्रमित होने पर दबाव बढ़ता है, जिससे आपके सिर में दर्द होने लगता है। दर्द आमतौर पर तेज तथा लगातार होता है। यह सुबह में शुरू होता है और आपके नीचे झुकने पर असहनीय हो जाता है।
साइनस से उत्पन्न सिरदर्द के सामान्य लक्षण
अधकपारी (माइग्रेन) से उत्पन्न सिरदर्द
अधकपारी से उत्पन्न सिरदर्द हर व्यक्ति में अलग-अलग होता है, लेकिन इसे आमतौर पर सिर के एक या दोनों हिस्सों में तेज दर्द से परिभाषित किया जाता है। इसके साथ कभी-कभी दूसरे लक्षण भी पैदा होते हैं। इसमें जी मिचलाना और उल्टी करना, रोशनी के प्रति संवेदनशीलता और दृष्टि-दोष, सुस्ती, बुखार और ठंड लगना शामिल है।
माइग्रेन के सामान्य लक्षण
अधकपारी शुरू होने के कई कारण हो सकते हैं, जो व्यक्ति से व्यक्ति में अलग-अलग हो सकते हैं। कुछ लोग शराब, चॉकलेट, पुरानी खमीर, प्रसंस्कृत मांस और कैफीन जैसे सामान्य खाद्य पदार्थों के प्रति प्रतिक्रिया कर सकते हैं। कैफीन और अल्कोहल के सेवन से भी सिरदर्द हो सकता है।
नोट: यदि आपको तेज या खराब सिरदर्द हो, तो अपने लक्षणों, सिरदर्द की गंभीरता और आपने उसका सामना कैसे किया आदि बातों का रिकॉर्ड रखें। चिकित्सक के पास अपने साथ वह रिकॉर्ड भी ले जायें।
दमा क्या है
दमा एक गंभीर बीमारी है, जो आपकी श्वास नलिकाओं को प्रभावित करती है। श्वास नलिकाएं आपके फेफड़े से हवा को अंदर-बाहर करती हैं। यदि आपको दमा है, तो इन नलिकाओं की भीतरी दीवार में सूजन होता है। यह सूजन नलिकाओं को बेहद संवेदनशील बना देता है और किसी भी बेचैन करनेवाली चीज के स्पर्श से यह तीखी प्रतिक्रिया करता है। जब नलिकाएं प्रतिक्रिया करती हैं, तो उनमें संकुचन होता है और उस स्थिति में आपके फेफड़े में हवा की कम मात्रा जाती है। इससे खांसी, नाक बजना, छाती का कड़ा होना, रात और सुबह में सांस लेने में तकलीफ आदि जैसे लक्षण पैदा होते हैं। दमा को ठीक नहीं किया जा सकता, लेकिन इस पर नियंत्रण पाया जा सकता है, ताकि दमे से पीड़ित व्यक्ति सामान्य जीवन व्यतीत कर सके। दमे का दौरा पड़ने से श्वास नलिकाएं पूरी तरह बंद हो सकती हैं, जिससे शरीर के महत्वपूर्ण अंगों को आक्सीजन की आपूर्ति बंद हो सकती है। यह चिकित्सकीय रूप से आपात स्थिति है। दमे के दौरे से मरीज की मौत भी हो सकती है।
इसलिए यदि आपको दमा है, तो आप नियमित रूप से चिकित्सक से मिलते रहें। आपके लिए इस पर नियंत्रण पाने के उपाय जानना भी जरूरी है। आपका चिकित्सक आपको दवाएं देगा, ताकि बीमारी नियंत्रण में रह सके।
कारण
आपके लिए यह जानना जरूरी है कि किन चीजों से आपका दमा उभरता है। इसके अलावा अन्य कारणों की भी जानकारी आपको होनी चाहिए। कुछ लोगों को व्यायाम करने या विषाणु का संक्रमण होने पर ही दमा का दौरा पड़ता है।
दमा उभरने के कुछ लक्षण हैं-
लक्षण
शरीर के अंदर खिंचाव (सांस लेने के साथ रीढ़ के पास त्वचा का खिंचाव)
अवटुग्रंथि (थायराइड) एक छोटी सी ग्रंथि होती है जो तितली के आकार की निचले गर्दन के बीच में होती है। इसका मूल काम होता है कि शरीर के उपापचय (मेटाबोलिज्म) (कोशिकाओं की दर जिससे वह जीवित रहने के लिए आवश्यक कार्य कर सकता हो) को नियंत्रित करे। उपापचय (मेटाबोलिज़्म) को नियंत्रित करने के लिए अवटुग्रंथि (थायराइड) हार्मोन बनाता है जो शरीर के कोशिकाओं को यह बताता है कि कितनी उर्जा का उपयोग किया जाना है। यदि अवटुग्रंथि (थायराइड) सही तरीके से काम करे तो संतोषजनक दर पर शरीर के उपापचय (मेटाबोलिज़म) के कार्य के लिए आवश्यक हार्मोन की सही मात्रा बनी रहेगी। जैसे-जैसे हार्मोन का उपयोग होता रहता है, अवटुग्रंथि (थायराइड) उसकी प्रतिस्थापना करता रहता है। अवटुग्रंथि, रक्त की धारा में हार्मोन की मात्रा को पिट्यूटरी ग्रंथि को संचालित करके नियंत्रित करता है। जब मस्तिष्क के नीचे खोपड़ी के बीच में स्थित पिट्यूटरी ग्रंथि को यह पता चलता है कि अवटुग्रंथि हार्मोन की कमी हुई है या उसकी मात्रा अधिक है तो वह अपने हार्मोन (टीएसएच) को समायोजित करता है और अवटुग्रंथि को बताता है कि क्या करना है।
अवटुग्रंथि बीमारी के क्या कारण है?
अवटुग्रंथि बीमारी के कई कारण हैं।
हाइपोथाइराडिज़्म के कारण निम्नलिखित हैं-
हाइपरथाइराडिज़्म के कारण निम्नलिखित हैं-
हाइपोथायरोडिज़्म और हाइपरथायरोडिज़्म के लक्षण क्या-क्या है?
हाइपोथायरोडिज़्म के निम्नलिखित लक्षण है:
हाइपरथायरोडिज़्म के निम्नलिखित लक्षण है:
यदि अवटुग्रंथि की बीमारी जल्दी पकड़ में आ जाती है तो लक्षण दिखाई देने से पहले उपचार से यह ठीक हो सकता है। अवटुग्रंथि जीवन भर रहता है। ध्यानपूर्वक इसके प्रबंधन से अवटुग्रंथि (थाइराड) से पीड़ित व्यक्ति अपना जीवन स्वस्थ और सामान्य रूप से जी सकते हैं।
कारणः
घुटनों का दर्द निम्नलिखित कारणों से हो सकता हैः
घर में देखभाल
रक्त नलिका की भित्ती पर परिचरण रक्त के दबाव को रक्त चाप कहते हैं। धमनियां वह नलिका है जो पंप करने वाले हृदय से रक्त को शरीर के सभी ऊतकों (टिशू) और इंद्रियों तक ले जाते हैं। हृदय, रक्त को धमनियों में पंप करके धमनियों में रक्त प्रवाह को विनियमित करता है और इसपर लगने वाले दबाव को ही रक्तचाप कहते हैं।
परंपरा के अनुसार किसी व्यक्ति का रक्तचाप, सिस्टोलिक/डायास्टोलिक रक्तचाप के रूप में अभिव्यक्त किया जाता है। जैसे कि 120/80। सिस्टोलिक अर्थात ऊपर का नंबर धमनियों में दाब को दर्शाता है। इसमें हृदय की मांसपेशियां संकुचित होकर धमनियों में रक्त को पंप करती हैं। डायालोस्टिक रक्त चाप अर्थात नीचे वाला नंबर धमनियों में उस दाब को दर्शाता है जब संकुचन के बाद हृदय की मांस पेशियां शिथिल हो जाती है। रक्तचाप हमेशा उस समय अधिक होता है जब हृदय पंप कर रहा होता है बनिस्बत जब वह शिथिल होता है।
निम्न रक्तचाप क्या है?
निम्न रक्तचाप (हाइपरटेंशन) वह दाब है जिससे धमनियों और नसों में रक्त का प्रवाह कम होने के लक्षण या संकेत दिखाई देते हैं। जब रक्त का प्रवाह कफी कम होता हो तो मस्तिष्क, हृदय तथा गुर्दे जैसे महत्वपूर्ण इंद्रियों में ऑक्सीजन और पौष्टिक पदार्थ नहीं पहुंच पाते जिससे ये इंद्रियां सामान्य रूप से काम नहीं कर पाती और इससे यह स्थायी रूप से क्षतिग्रस्त हो सकती है।
उच्च रक्तचाप के विपरीत, निम्न रक्तचाप की पहचान मूलतः लक्षण और संकेत से होती है, न कि विशिष्ट दाब नंबर के। किसी-किसी का रक्तचाप 90/50 होता है लेकिन उसमें निम्न रक्त चाप के कोई लक्षण दिखाई नहीं पड़ते हैं और इसलिए उन्हें निम्न रक्तचाप नहीं होता तथापि ऐसे व्यक्तियों में जिनका रक्तचाप उच्च है और उनका रक्तचाप यदि 100/60 तक गिर जाता है तो उनमें निम्न रक्तचाप के लक्षण दिखाई देने लगते हैं।
यदि किसी को निम्न रक्तचाप के कारण चक्कर आता हो या मितली आती हो या खड़े होने पर बेहोश होकर गिर पड़ता हो तो उसे आर्थोस्टेटिक उच्च रक्तचाप कहते हैं। खड़े होने पर निम्न दाब के कारण होने वाले प्रभाव को सामान्य व्यक्ति शीघ्र ही काबू में कर लेता है। लेकिन जब पर्याप्त रक्तचाप के कारण चक्रीय धमनी (कोरोनरी आर्टेरी)( वह धमनी जो हृदय के मांस पेशियों को रक्त की आपूर्ति करती है) में रक्त की आपूर्ति नहीं होती है तो व्यक्ति को सीने में दर्द हो सकता है या दिल का दौरा पड़ सकता है। जब गुर्दों में अपर्याप्त मात्रा में खून की आपूर्ति होती है तो गुर्दे शरीर से यूरिया और क्रिएटाइन जैसे अपशिष्टों (वेस्ट) को निकाल नहीं पाते जिससे रक्त में इनकी मात्रा अधिक हो जाती है। आघात (शॉक) एक ऐसी स्थिति है जिससे जीवन को खतरा हो सकता है। निम्न रक्तचाप की स्थिति में गुर्दे, हृदय, फेफड़े तथा मस्तिष्क तेजी से खराब होने लगते हैं।
उच्च रक्तचाप क्या है?
130/80 से ऊपर का रक्तचाप, उच्च रक्तचाप या हाइपरटेंशन कहलाता है। इसका अर्थ है कि धमनियों में उच्च चाप (तनाव) है। उच्च रक्तचाप का अर्थ यह नहीं है कि अत्यधिक भावनात्मक तनाव हो। भावनात्मक तनाव व दबाव अस्थायी तौर पर रक्त के दाब को बढ़ा देते हैं। सामान्यतः रक्तचाप 120/80 से कम होनी चाहिए और 120/80 तथा 139/89 के बीच का रक्त का दबाव पूर्व उच्च रक्तचाप (प्री हाइपरटेंशन) कहलाता है और 140/90 या उससे अधिक का रक्तचाप उच्च समझा जाता है।
उच्च रक्तचाप से हृदय रोग, गुर्दे की बीमारी, धमनियों का सख्त हो जाने, आंखे खराब होने और मस्तिष्क खराब होने का जोखिम बढ़ जाता है। उच्च रक्त चाप का निदान महत्वपूर्ण है जिससे रक्त चाप को सामान्य करके जटिलताओं को रोकने का प्रयास संभव हो।
एक स्वस्थ वयस्क व्यक्ति का सिस्टोलिक रक्तचाप पारा के 90 और 120 मिलिमीटर के बीच होता है। सामान्य डायालोस्टिक रक्तचाप पारा के 60 से 80 मि.मि. के बीच होता है। वर्तमान दिशा-निर्देशों के अनुसार सामान्य रक्तचाप 120/80 होना चाहिए।
मोटापा के कारण
शरीर का उचित वजन
एक युवा व्यक्ति के शरीर का अपेक्षित वजन उसकी लंबाई के अनुसार होना चाहिए, जिससे कि उसका शारीरिक गठन अनुकूल लगे। शरीर के वजन को मापने के लिए सबसे साधारण उपाय है बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआइ) और यह शरीर के व्यक्ति की लंबाई को दुगुना कर उसमें वजन किलोग्राम से भाग देकर निकाला जाता है।
बीएमआई
< 18.5 : अस्वस्थ
18.5-23 : साधारण
23.1-30 : ज्यादा वजन
> 30 : मोटापा
वजन कम करने के लिए लिये उपभोग की जानेवाली खाद्य पदार्थों में यह ध्यान रखना चाहिए कि उनमें प्रोटीन की मात्रा अधिक हो और चर्बी तथा कार्बोहाइड्रेट की मात्रा कम।
मोटापा कैसे घटायें
जुकाम कैसे फैलता है?
जुकाम छुआ-छूत की बीमारी है। उदाहरण के लिए यदि किसी व्यक्ति को जुकाम है और यदि वह छींकता है या अपने नाक को पकड़ने के बाद दूसरे को छूता है तो उस व्यक्ति को भी जुकाम हो जाता है जिसके सामने छींका गया है या जिसे पकड़ा है। इसके अतिरिक्त जुकाम के वायरस पेन, पुस्तक और कॉफी के कप में कई घंटे तक रहते हैं और इस प्रकार के वस्तुओं से भी यह फैल सकता है। खांसी और छींक वास्तव में इसके फैलने के प्रमुख कारण है।
क्या सर्दी में बाहर निकलने पर जुकाम लग सकता है?
सर्दी में बाहर निकलने पर जुकाम लगने की आशंका बहुत कम है। जुकाम सामान्यतः उस व्यक्ति के संपर्क में आने पर लगता है जिसे जुकाम हो। तापमान से इसका इतना असर नहीं पड़ता।
मधुमेह होने पर शरीर में भोजन को ऊर्जा में परिवर्तित करने की सामान्य प्रक्रिया तथा होने वाले अन्य परिवर्तनों का विवरण नीचे दिया जा रहा है-
भोजन का ग्लूकोज में परिवर्तित होनाः हम जो भोजन करते हैं वह पेट में जाकर एक प्रकार के ईंधन में बदलता है जिसे ग्लूकोज कहते हैं। यह एक प्रकार की शर्करा होती है। ग्लूकोज रक्त धारा में मिलता है और शरीर की लाखों कोशिकाओं में पहुंचता है। ग्लूकोज कोशिकाओं में मिलता हैः अग्नाशय(पेनक्रियाज) वह अंग है जो रसायन उत्पन्न करता है और इस रसायन को इनसुलिन कहते हैं। इनसुलिन भी रक्तधारा में मिलता है और कोशिकाओं तक जाता है। ग्लूकोज से मिलकर ही यह कोशिकाओं तक जा सकता है। कोशिकाएं ग्लूकोज को ऊर्जा में बदलती हैः शरीर को ऊर्जा देने के लिए कोशिकाएं ग्लूकोज को उपापचित (जलाती) करती है। मधुमेह होने पर होने वाले परिवर्तन इस प्रकार हैं: मधुमेह होने पर शरीर को भोजन से ऊर्जा प्राप्त करने में कठिनाई होती है। भोजन ग्लूकोज में बदलता हैः पेट फिर भी भोजन को ग्लूकोज में बदलता रहता है। ग्लूकोज रक्त धारा में जाता है। किन्तु अधिकांश ग्लूकोज कोशिकाओं में नही जा पाते जिसके कारण इस प्रकार हैं:
कोशिकाएं ऊर्जा पैदा नहीं कर सकती हैः
अधिकांश ग्लूकोज रक्तधारा में ही बना रहता है। यही हायपर ग्लाईसीमिआ (उच्च रक्त ग्लूकोज या उच्च रक्त शर्करा) कहलाती है। कोशिकाओं में पर्याप्त ग्लूकोज न होने के कारण कोशिकाएं उतनी ऊर्जा नहीं बना पाती जिससे शरीर सुचारू रूप से चल सके।
मधुमेह के लक्षणः
मधुमेह के मरीजों को तरह-तरह के अनुभव होते हैं। कुछेक इस प्रकार हैं:
हमें रक्त शर्करा पर नियंत्रण क्यों रखना चाहिए ?
उच्च रक्तचाप के विषय में और अधिक जानकारीः
हृदय धड़कने से रक्त नलिकाओं में रक्त पंप होता है और उनमें दबाव पैदा होता है। किसी व्यक्ति के स्वस्थ होने पर रक्त नलिकाएं मांसल और लचीली होती है। जब हृदय उनमें से रक्त संचार करता है तो वे फैलती है। सामान्य स्थितियों में हृदय प्रति मिनट 60 से 80 की गति से धड़कता है। हृदय की प्रत्येक धड़कन के साथ रक्त चाप बढ़ता है तथा धड़कनों के बीच हृदय शिथिल होने पर यह घटता है। प्रत्येक मिनट पर आसन, व्यायाम या सोने की स्थिति में रक्त चाप घट-बढ़ सकता है किंतु एक अधेड़ व्यक्ति के लिए यह 130/80 एम एम एचजी से सामान्यतः कम ही होना चाहिए। इस रक्त चाप से कुछ भी ऊपर उच्च माना जाएगा।
उच्च रक्त चाप के सामान्यतः कोई लक्षण नहीं होते हैं; वास्तव में बहुत से लोगों को सालों साल रक्त चाप बना रहता है किंतु उन्हें इसकी कोई जानकारी नहीं हो पाती है। इससे तनाव, हतोत्साह अथवा अति संवेदनशीलता से कोई संबंध नहीं होता है। आप शांत, विश्रान्त व्यक्ति हो सकते हैं तथा फिर भी आपको रक्तचाप हो सकता है। उच्च रक्तचाप पर नियंत्रण न करने से पक्षाघात, दिल का दौरा, संकुलन हृदय गति रुकना या गुर्दे खराब हो सकते हैं। ये सभी प्राण घातक हैं। यही कारण है कि उच्च रक्तचाप को "निष्क्रिय प्राणघातक" कहा जाता है।
कोलेस्ट्रोल के विषय में और अधिक जानकारीः
शरीर में उच्च कोलेस्ट्रोल का स्तर होने से दिल का दौरा पड़ने का का खतरा चार गुना बढ़ जाता है। रक्तधारा में अधिक कोलेस्ट्रोल होने से धमनियों की परतो पर प्लेक (मोटी सख्त जमा) जमा हो जाती है। कोलेस्ट्रोल या प्लेक पैदा होने से धमनियां मोटी, कड़ी और कम लचीली हो जाती है जिसमें कि हृदय के लिए रक्त संचारण धीमा और कभी-कभी रूक जाता है। जब रक्त संचार रुकता है तो छाती में दर्द अथवा कंठशूल हो सकता है। जब हृदय के लिए रक्त संचार अत्यंत कम अथवा बिल्कुल बंद हो जाता है तो इसका परिणाम दिल का दौड़ा पड़ने में होता है। उच्च रक्त चाप और उच्च कोलेस्ट्रोल के अतिरिक्त यदि मधुमेह भी हो तो पक्षाघात और दिल के दौरे का खतरा 16 गुना बढ़ जाता है।
मधुमेह का प्रबंधन
मधुमेह होने के कारण पैदा होने वाली जटिलताओं की रोकथाम के लिए नियमित आहार, व्यायाम, व्यक्तिगत स्वास्थ्य, सफाई और संभावित इनसुलिन इंजेक्शन अथवा खाने वाली दवाइयों (डॉक्टर के सुझाव के अनुसार) का सेवन आदि कुछ तरीके हैं। व्यायामः व्यायाम से रक्त शर्करा स्तर कम होता है तथा ग्लूकोज का उपयोग करने के लिए शारीरिक क्षमता पैदा होती है। प्रतिघंटा 6 कि.मी की गति से चलने पर 30 मिनट में 135 कैलोरी समाप्त होती है जबकि साइकिल चलाने से लगभग 200 कैलोरी समाप्त होती है। मधुमेह में त्वचा की देख-भालः मधुमेह के मरीजों को त्वचा की देखभाल करना अत्यावश्यक है। भारी मात्रा में ग्लूकोज से उनमें कीटाणु और फफूंदी लगने की संभावना बढ़ जाती है। चूंकि रक्त संचार बहुत कम होता है अतः शरीर में हानिकारक कीटाणुओं से बचने की क्षमता न के बराबर होती है। शरीर की सुरक्षात्मक कोशिकाएं हानिकारक कीटाणुओं को खत्म करने में असमर्थ होती है। उच्च ग्लूकोज की मात्रा से निर्जलीकरण(डी-हाइड्रेशन) होता है जिससे त्वचा सूखी हो जाती है तथा खुजली होने लगती है।
शरीर की नियमित जांच करें तथा निम्नलिखित में से कोई भी बाते पाये जाने पर डॉक्टर से संपर्क करें
त्वचा की सही देखभाल के लिए नुस्खेः
घावों की देखभालः
समय-समय पर कटने या कतरने को टाला नहीं जा सकता है। मधुमेह की बीमारी वाले व्यक्तियों को मामूली घावों पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है ताकि संक्रमण से बचा जा सके। मामूली कटने और छिलने का भी सीधे उपचार करना चाहिएः
निम्नलिखित मामलों में डॉक्टर से संपर्क करें:
मधुमेह होने पर पैरों की देखभालः
मधुमेह की बीमारी में आपके रक्त में ग्लूकोज के उच्च स्तर के कारण स्नायु खराब होने से संवेदनशीलता जाती रहती है। पैरों की देखभाल के कुछ साधारण उपाय इस प्रकार है:
पैरों की नियमित जांच करें:
मधुमेह संबंधी आहार
यह आहार भी एक स्वरस्थक व्यहक्ति के सामान्य आहार की तरह ही है, ताकि रोगी की पोषण संबंधी पोषण आवश्यकता को पूरी की जा सके एवं उसका उचित उपचार किया जा सके। इस आहार में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा कुछ कम है लेकिन भोजन संबंधी अन्य सिद्धांतो के अनुसार उचित मात्रा में है।
मधुमेह संबंधी समस्त आहार के लिए निम्नलिखित खाद्य पदार्थो से बचा जाना चाहिए:
आहार नमूना
खाद्य सामग्री |
शाकाहारीभोजन |
मांसाहारी भोजन(ग्राम में) |
अनाज |
२०० |
२५० |
दालें |
६० |
२० |
हरी पत्तेदार सब्जियाँ |
२०० |
२०० |
फल |
२०० |
२०० |
दूध (डेयरी का) |
४०० |
२०० |
तेल |
२० |
२० |
मछली/ चिकन-बगैर त्वचा का |
- |
१०० |
अन्य सब्जियाँ |
२०० |
२०० |
ये आहार आपको निम्न चीजें उपलब्ध कराता है-
कैलोरी |
१६०० |
प्रोटीन |
६५ ग्राम |
वसा |
४० ग्राम |
कार्बोहाइड्रेट |
२४५ ग्राम |
वितरण
|
शाकाहारी |
मांसाहारी |
|
बेड टी, कॉफी या चाय |
१ कप |
१ कप |
|
नाश्ता |
१ कप |
१ कप |
|
दोपहर का भोजन |
२ कटोरी |
२ कटोरी |
|
चाय या कॉफी उपमा |
१ कप ३/४ कटोरी |
१ कप १ कटोरी |
|
रात का भोजन |
३ |
४ |
|
दाल |
१ कटोरी |
- |
|
दही |
१/२ कटोरी |
- |
|
मछली/चिकन |
- |
२ टुकड़े |
|
शोरबे के साथ अन्य सब्जियाँ |
१ कटोरी |
१ कटोरी |
|
भुना हुआ पापड़ |
१ |
१ |
|
टमाटर या ककड़ी |
१ |
१ |
|
सोने से पहले दूध |
१ कप |
१ कप |
बाल झड़ना क्या है ?
बालों का झड़ना हल्के से लेकर गंजा होने तक का हो सकता है। बाल गिरने के कई अलग-अलग कारण है। चिकित्सा विज्ञान के आधार पर बालों का झड़ना कई प्रकार के हो सकते हैं, जिनमें ये भी सम्मिलित हैं:
वंशानुगत गंजापन- पुरुषों में जिस प्रकार बाल झड़ते रहते हैं अर्थात मांग से बालों का झड़ना और/या सिर के ऊपर से बालों का झड़ना, उसी प्रकार इसमें भी पुरुषों के बाल झड़ते हैं। इस प्रकार बालों का झड़ना आम है और यह किसी भी समय यहां तक कि किशोरावस्था में भी आरंभ हो सकता है। इसके मुख्यतः तीन कारण हैं-वंशानुगत गंजापन, पुरुष हार्मोन और बढ़ती हुई आयु। महिलाओं में, सिर के आगे के भाग को छोड़कर पूरे हिस्से के बाल झड़ने लगते हैं।
लक्षणः
सामान्यतः हमारे लगभग 50 से 100 बाल हर दिन झड़ते हैं। यदि इससे ज्यादा बाल झड़ते हैं, तो यह चिंता का विषय है। यह भी देखा जा सकता है कि बाल पतले होने लगते है और एक या अधिक जगह पर गंजापन आ जाता है।
रोकथामः
तनाव कम कर, उचित आहार लेकर, बाल संवारने की उचित तकनीक अपनाकर और यदि संभव हो तो बालों को झड़ने से रोकनेवाली दवाइयों का उपयोग कर बालों के झड़ने की समस्या को रोका जा सकता है। फफूंद संक्रमण की वजह से बालों को झड़ने की समस्या को बालों की सफाई पर ध्यान देकर, दूसरों के ब्रश, कंघी, टोपी आदि का उपयोग न कर बचा जा सकता है। दवाइयों की सहायता से वंशानुगत गंजेपन के कुछ मामलों को रोका जा सकता है।
इसे नेमाटोड संक्रमण भी कहते हैं।
विवरण
लक्षणः
कारणः
जोखिम कारक
सामान्य उपचार -
हाथ धोते रहना, बिना पकाया व कच्चा आहार न लेना, फल व सब्जियों को अच्छी तरह धोना और पानी को उबाल कर पीना।
निर्जलीकरण (डी-हाइड्रेशन ) क्या है?
'शरीर से अत्यधिक मात्रा में तरल पदार्थ समाप्त हो जाना' निर्जलीकरण(डी-हाइड्रेशन) कहलाता है। हमारे शरीर को कार्य करने के लिए निर्धारित मात्रा में कम से कम 8 गिलास के बराबर (एक लीटर या सवा लीटर) तरल पदार्थ शरीर के लिए आवश्यक होता है जो व्यक्ति के कार्य करने की क्षमता और आयु पर निर्भर करता है। परंतु अधिक कार्यशील व्यक्ति को इससे दो या तीन गुना अधिक तरल पदार्थ की आवश्यकता होती है। हम जो तरल पदार्थ लेते हैं, वह उस तरल पदार्थ का स्थान ले लेती है जो हमारे शारीरिक कार्य को करने के लिए आवश्यक होता है। यदि हम, हमारे शरीर की आवश्यकता से कम तरल पदार्थ लेते हैं, तब निर्जलीकरण(डी-हाइड्रेशन) हो जाता है।
निर्जलीकरण (डी-हाइड्रेशन ) क्यों होता है?
अंतड़ियों में यदि दहन हो रहा हो या उसे नुकसान पहुंच रहा हो अथवा कीटाणु या वायरस के जमा होने की वजह से अंतड़ियां अवशोषण करने की क्षमता से अधिक तरल पदार्थ उत्पन्न कर रहा हो तब आंत के मार्ग में अधिक तरल पदार्थ निकल जाता है जिससे निर्जलीकरण (डी-हाइड्रेशन) होता है। पेय के रूप में तरल पदार्थ कम मात्र में लेने का कारण भूख न लगना या मिचली होना हो सकता है।
निर्जलीकरण (डी-हाइड्रेशन ) के क्या लक्षण हैं?
निर्जलीकरण (डी-हाइड्रेशन) का विश्वसनीय लक्षण कुछ ही दिनों में वजन का तेजी से कम होना है (कुछ मामलों में कुछ घंटो में)। 10 प्रतिशत से अधिक वजन तेजी से कम होना गंभीर लक्षण माना जाता है। इन लक्षणों को वास्तविक बीमारी से अलग करके देखना काफी मुश्किल काम है। सामान्यतः निर्जलीकरण(डी-हाइड्रेशन) के निम्नलिखित लक्षण हो सकते हैं। अधिक प्यास लगना, मुंह सूखना, कमजोरी व चक्कर आना (विशेषकर जब व्यक्ति खड़ा होता है) मूत्र का गाढ़ा होना या कम पेशाब आना। अत्यधिक निर्जलीकरण (डी-हाइड्रेशन) शरीर का रसायन ही बदल देता है। इसमें गुर्दे खराब हो जाते हैं और ये जीवन के लिए घातक हो सकते हैं।
कब्ज अमाशय की स्वाभाविक परिवर्तन की वह अवस्था है, जिसमें मल निष्कासन की मात्रा कम हो जाती है, मल कड़ा हो जाता है, उसकी आवृति घट जाती है या मल निष्कासन के समय अत्यधिक बल का प्रयोग करना पड़ता है। सामान्य आवृति और अमाशय की गति व्यक्ति विशेष पर निर्भर करती है। (एक सप्ताह में 3 से 12 बार मल निष्कासन की प्रक्रिया सामान्य मानी जाती है।
लक्षण
पेट में दर्द होना या सूजन हो जाना
कारण
साधारण उपाय
ज्यादा समस्या आने पर चिकित्सक से सलाह लेना चाहिए।
कब्ज क्या है ?
कब्ज अमाशय की स्वाभाविक परिवर्तन की वह अवस्था है, जिसमें मल निष्कासन की मात्रा कम हो जाती है, मल कड़ा हो जाता है, उसकी आवृति घट जाती है या मल निष्कासन के समय अत्यधिक बल का प्रयोग करना पड़ता है। सामान्य आवृति और अमाशय की गति व्यक्ति विशेष पर निर्भर करती है। (एक सप्ताह में 3 से 12 बार मल निष्कासन की प्रक्रिया सामान्य मानी जाती है।
लक्षण
पेट में दर्द होना या सूजन हो जाना
कारण
साधारण उपाय
ज्यादा समस्या आने पर चिकित्सक से सलाह लेना चाहिए
मनुष्य के शरीर का सामान्य तापमान 37 डिग्री.से. या 98.6 फैरेनहाइट होता है। जब शरीर का तापमान इस सामान्य स्तर से ऊपर हो जाता है तो यह स्थिति ज्वर या बुखार कहलाती है। ज्वर कोई रोग नहीं है। यह केवल रोग का एक लक्षण है। किसी भी प्रकार के संक्रमण की यह शरीर द्वारा दी गई प्रतिक्रिया है। बढ़ता हुआ ज्वर रोग की गंभीरता के स्तर की ओर संकेत करता है।
कारण
निम्नलिखित रोग ज्वर का कारण हो सकते है-
1. मलेरिया
2. टायफॉयड
3. तपेदिक (टी.बी.)
4. गठिया रोग से संबंधित ज्वर
5. खसरा
6. कनफेड़े
7. श्वसन संबंधी संक्रमण जैसे न्युमोनिया एवं सर्दी, खाँसी, टॉन्सिल, ब्रॉंन्कायटिस
आदि।
8. मूत्रतंत्र संक्रमण (यूरिनरी ट्रॅक्ट इन्फेक्शन)
साधारण ज्वर के लक्षण:
इसे पालन करने के सरल उपाय
ज्वर के दौरान लिये जानेवाले खाद्य पदार्थ-
जई (ओटस्)
पाचन पथ के अस्तर पर घाव अल्सर हैं। अल्सर अधिकतर ड्यूडेनम (आंत का पहला भाग) में होता है। दूसरा सबसे आम भाग पेट है (आमाशय अल्सर)।
अल्सर के क्या कारण हैं?
अल्सर के संभावित लक्षण
प्रबंधन के लिए सरल नुस्खे
आपके अल्सर की बिगड़ती हालत के चेतावनी संकेत
तम्बाकू मुंह, गले, फेफड़ों, पेट, गुर्दे, मूत्राशय आदि जैसे शरीर के विभिन्न भागों के कैंसर के लिए जिम्मेदार होता है।
सहायक तथ्य
सहायक तथ्य
सहायक तथ्य
सहायक तथ्य
तम्बाकू छोड़ने के लाभ
तम्बाकू छोड़ने के भौतिक लाभ:
तम्बाकू छोड़ने के सामाजिक लाभ:
यह आदत छोड़ने के लिये लिए कभी भी देर नहीं होती
धूम्रपान / तंबाकू छोड़ने के युक्तियां
अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020