लू ताप घात से आम जनता भली प्रकार से परिचित है एवं समय समय पर सरकार एव अन्य स्वयसेवी संस्थायें विभिन्न माध्यम से स्वास्थ्य शिक्षा एवं लू ताप घात से बचने के लिए जन जाग्रति पैदा करती रही है फिर भी पूर्व वर्षो की भांती इस वर्ष भी आम जनता के सूचनार्थ व ज्ञानार्थ पुन वर्णित किया जाता है ताकि लू और ताप घात से आम जनता बचाव कर सके।
इस गर्मी के प्रकोप मे लू से कोई आक्रान्त हो सकता है परन्तू बच्चे, गर्भवती महिलायें धुप में व दोपहर मे कार्यरत श्रमिक, यात्री, खिलाडी व ठण्डी जयवायु मे रहने वाले व्यक्ति अधिक आक्रान्त होते है।
शरीर मे लवण एव पानी अपर्याप्त होने पर विषम गर्म वातावरण मे लू व ताप घात निम्नांकित लक्षणों के द्वारा प्रभावी होता है।
1. सिर का भारीपन एवं सिरदर्द।
2. अधिक प्यास लगना एवं शरीर मे भारीपन के साथ थकावट।
3. जी मचलना, सिर चकराना व शरीर का तापमान बढना।
4. शरीर का तापमान अत्यधिक (105 एफ या अधिक ) हो जाना व पसीना आना बन्द होना, मुंह का लाल हो जाना व त्वचा का सूखा होना।
5. अत्यधिक प्यास का लगना बेहोशी जैसी स्थिति का होना / बेहोश हो जाना।
6. प्राथमिक उपचार / समुचित उपचार के आभार मे मृत्यु भी सम्भव है।
उक्त लक्षण की लवण पानी की आवश्यकता व अनुपात विकृति के कारण होती है। मस्तिष्क का एक केन्द्र जो तापमान को सामान्य बनाये रखता है काम करना छोड देता है। लाल रक्त वाहिनियों मे टूट जाती है व कोशिकाओं मे जो पोटेशियम लवण होता है वह रक्त संचार मे आ जाता है जिससे ह्रदय गति व शरीर के अन्य अवयव व अंग प्रभावित होकर लू व ताप घात के रोगी को मृत्यु के मुंह मे धकेल देता है।
रक्त परिपत्र की व इससे पूर्व भेजे गये परिपत्र के सदर्भ मे स्वास्थ्य शिक्षा द्वारा प्रचार करे वैसे तो सभी चिकित्सक बचाव व उपचार जानते है परन्तु आपकी सामान्य जानकारी हेतु बचाव व उपचार के कुछ मुख्य बिन्दु पुनः उल्लेखित हैं -
1. लू व तापघात से प्रायः कुपोषित बच्चे, गर्भवती महिलाओ, श्रमिक आदि शीघ्र प्रभावित हो सकते है इन्हे प्रातः 10 बजे से सायं 6 बजे तक गर्मी से बचाने हेतु छायादार ठडे स्थान पर रहने हेतु रखने का प्रयास करें।
2. तेज धूप मे निकलना आवश्यक हो तो ताजा भोजन करके उचित मात्रा मे ठंडे जल का सेवन करके बाहर निकले।
3. थोडे अन्तराल के पश्चात ठंडे पानी,शीतल पेय, छाछ , ताजा फलो का रस का सेवन करते रहे।
4. तेज धुप मे बाहर निकलने पर छाते का उपयोग करे अथवा पतले कपडे से सिर व बदन को ढक कर रखे।
5.आकाल राहत कार्यो पर अथवा श्रमिको के कार्यस्थल पर छाया का पूर्ण प्रबन्ध रखा जावें ताकि श्रमिक थोडी देर मे छायादार स्थानो पर विश्राम कर सकें।
1. लू व ताप घात से प्रभावित रोगी को तुरन्त छायादार ठंडे स्थानो पर लिटा दे।
2. रोगी की त्वचा को गीले कपडे से स्पन्ज करते रहे तथा रोगी के कपडो को ढीला कर दे।
3. रोगी होश मे हो तो उसे ठन्डा पेय पदार्थ देवे।
4. रोगी को तत्काल नजदीक के चिकित्सा सस्थान मे उपचार हेतु लेकर जावें।
गंभीर रोगियों को चिकित्सा संस्थानों मे दिये जाने वाला उपचार।
1. चिकित्सा संस्थानो मे एक वार्ड मे दो चार बैड लू तापघात के रोगियों के उपचार हेतु आरक्षित रखे जावे।
2. वार्ड का वातावरण कूलर या पंखे से ठन्डा पेयजल की व्यवस्था रखी जावें।
3. मरीज तथा उसके परिजनो के लिये शुद्व व ठन्डे पेयजल की व्यवस्था रखी जावे।
4.संस्थान मे रोगी के उपचार हेतु आपातकालीन ट्रे मे ओ.आर.एस., ड्रीपसेट, जी.एन.एस/जी.डी.डब्ल्यु/रिगरलेकटेक/लूड एवं आवश्यक दवाये तैयार रखी जावें।
5.चिकित्सक एव नर्सिग स्टाफ को इस दौरान ड्यूटी के प्रति सतर्क रखा जावें।
6 जन साधारण को लू तापघात से प्रभावित होने पर बचाव के उपायों की जानकारी प्रचार प्रसार के माध्यमो से दी जावें।
7. जिला स्तर पर सभी विभागों का सहयोग प्राप्त कर कार्यव्यवस्था को सुचारू रूप से बनाये रखा जावें।
स्त्रोत: स्वास्थ्य विभाग, झारखण्ड सरकार
अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020
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