ऑटिज़म स्पेक्ट्रम विकार (एएसडी) सामाजिक विकृतियों, संवाद में परेशानी, प्रतिबंधित, व्यवहार का दोहराव, और व्यवहार का स्टिरियोटाइप पैटर्न द्वारा पहचाने जाने वाला तंत्रिका विकास संबंधी जटिल विकार है। यह मस्तिष्क विकार है। यह विकार लोगों के साथ संवाद स्थापित करने में व्यक्ति की क्षमता को प्रभावित करता है। आमतौर पर, एएसडी बीमारी की शुरुआत बचपन में होती हैं तथा यह बीमारी जीवनपर्यंत बनी रहती है।
एएसडी के प्रकार है:
ऑटिस्टिक विकार ("क्लासिक" ऑटिज़म भी कहा जाता है): यह ऑटिज़म का सबसे सामान्य प्रकार होता है। ऑटिज़म विकार से पीड़ित रोगी को भाषा में व्यवधान, सामाजिक और संचार में चुनौतियों तथा असामान्य व्यवहार एवं अरुचियां हो सकती है। इस विकार से पीड़ित बहुत सारे व्यक्तियों में बौद्धिक विकलांगता भी हो सकती है।
एस्पर्जर सिन्ड्रोम : एस्पर्जर सिन्ड्रोम से पीड़ित व्यक्ति में ऑटिस्टिक विकार के हल्के लक्षण विकसित होते है। उन्हें सामाजिक चुनौतियां और असामान्य व्यवहार तथा अरुचियां भी हो सकती है। हालांकि, आमतौर पर यह भाषा या बौद्धिक विकलांगता के साथ होने वाली समस्या नहीं है।
व्यापक विकासात्मक विकार : अन्यथा निर्दिष्ट (पीडीडी-एनओएस) नहीं है। इस विकार को "असामान्य ऑटिज़म" कहा जाता है। ऑटिस्टिक विकार या एस्पर्गर सिंड्रोम से पीड़ित व्यक्ति के लक्षण अलग-अलग होते है, अर्थात् यह लक्षण सभी में एक समान बिल्कुल नहीं होते हैं। पीडीडी-एनओएस के साथ का निदान किया जा सकता है। आमतौर पर पीडीडी-एनओएस से पीड़ित व्यक्तियों में ऑटिस्टिक विकार से पीड़ित व्यक्तियों की तुलना में कम और मध्यम लक्षण प्रकट होते है। यह लक्षण केवल सामाजिक और संचार चुनौतियों का कारण बन सकते है।
आमतौर पर एएसडीएस की शुरूरात तीन वर्ष की उम्र तक तथा तीन वर्ष की उम्र से पहले होती है। इसके लक्षण व्यक्ति में जीवनपर्यंत बने रहते हैं। इन लक्षणों में समय के साथ सुधार हो सकता है। एएसडी से पीड़ित अधिकत्तर बच्चों में जीवन के पहले कुछ महीनों के भीतर भविष्य की समस्याओं के संकेत दिखाई देते हैं। जबकि दूसरे बच्चों में लक्षण चौबीस महीने या उसके बाद दिखाई देते है। एएसडी से पीड़ित कुछ बच्चों में यह पाया गया है कि उनका विकास अठारह से चौबीस माह की उम्र तक सामान्य होता है, लेकिन इसके बाद अचानक वे नई चीज़ों को सीखना बंद कर देते है या पहले सीखी गई चीज़ों को भूल जाते है।
एएसडी से पीड़ित बच्चों में निम्नलिखित लक्षण हो सकते है:
एएसडी से पीड़ित होने वाले सटीक कारण अभी तक ज्ञात नहीं है, लेकिन इनके आनुवंशिकी और पर्यावरणीय कारकों से जुड़े होने की संभावना है। इस संदर्भ में इस विकार के साथ जुड़े अनेक जींस की पहचान की गई है।
एएसडी से पीड़ित रोगियों के अध्ययनों द्वारा मस्तिष्क के कई हिस्सों में होने वाली अनियमितताओं को पाया गया है।
अन्य अध्ययनों में यह पाया गया है, कि एएसडी से पीड़ित व्यक्तियों के मस्तिष्क में सेरोटोनिन या अन्य न्यूरोट्रांसमीटर का स्तर असामान्य होता है।
यह सभी असामान्यताएँ यह दर्शाती है, कि जीन में दोष के कारण भ्रूण के प्रारंभिक विकास अर्थात् मस्तिष्क के सामान्य विकास में होने वाली गड़बड़ी के परिणामस्वरूप एएसडी हो सकता है, जो कि मस्तिष्क के विकास को नियंत्रित करता है तथा मस्तिष्क की कोशिकाएं एक - दूसरे के साथ कैसे संवाद करती है? इसे भी यह विनियमित करता है। यह विकार जींस प्रणाली के पर्यावरणीय कारकों के प्रभाव के कारण हो सकता है।
एएसडी का निदान मुश्किल होता है, क्योंकि इस विकार का निदान करने के लिए कोई चिकित्सीय परीक्षण जैसे कि रक्त परीक्षण नहीं किया जा सकता है। चिकित्सक निदान करने के लिए केवल बच्चे के व्यवहार और विकास की जाँच-परख कर सकता है।
हालाँकि, बच्चों और नन्हे बच्चों में ऑटिज़म की संभावना के लिए जांच सूची के अंर्तगत ऑडियोलोग्जिक मूल्यांकन और स्क्रीनिंग परीक्षण किया जा सकता है।
इस रोग का कोई उपचार उपलब्ध नहीं है। हालांकि, इसे दवाओं और विशेषज्ञ शिक्षा की सहायता द्वारा प्रबंधित किया जा सकता है।
प्रारंभिक हस्तक्षेप सेवाएं बच्चे के सुधार में सहायता करती हैं। इन सेवाओं में बच्चे से बातचीत, चलना और दूसरों के साथ बातचीत करना शामिल है। यह सेवाएं ऑटिज़म से पीड़ित बच्चों के उपचार में सहायता करती हैं।
इसलिए, जितनी जल्दी संभव हो सकें, उतनी जल्दी अपने बच्चे के बारे में चिकित्सक से परामर्श करना लाभदायक होता है।
स्त्रोत : राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रवेशद्वार,भारत सरकार ।
अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020
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