आक्रमण या हिंसा ऐसे व्यवहार हैं जो दूसरों को चोट पहुँचाते हैं | इन दोनों शब्दों के तहत अनेकों किस्म के व्यवहार आ जाते हैं | बोलने, जैसे गलियां देने तथा गन्दी भाषा का इस्तेमाल करने का जरिए किया गया शाब्दिक आक्रमण चोट पहुंचाने वाला होता है | शारीरिक आक्रमण में च्यूंटी काटना, मारना थप्पड़ मारना, लात मारना तथा घूंसा मारना जैसे कृत्य शामिल हैं | अधिक गंभीर शारीरिक हमले में लाठी, चाकू या बंदूकों जैसे हथियारों का इस्तेमाल होता है |
आम तौर पर माना जाता है कि मनोरोग से पीड़ित व्यक्ति खतरनाक होते हैं, क्योंकि वे अचानक आक्रामक हो सकते हैं | हकीकत यह है कि दूसरे सामान्य लोगों में जितना ही खतरनाक होते हैं | सच है कि कुछ मामलों में मनोरोग के लक्षणों के कारण व्यवहार आक्रमक हो सकता है, पर ऐसा बहुत कम होता है | आइए, कुछ महत्वपूर्ण उदाहरणों पर विचार करें कि कैसे मनोरोग व्यवहार को आक्रमक बना सकता है |
• आवाजें सुनना और गुस्से में आना | कल्पना करें कि आपको आवाजें सुनाई देती हैं जो आपको लगता है कि दूसरे आपकी हत्या की शाजिश कर रहे हैं | आप डर जायेंगे और उन लोगों पर हमला करने की कोशिश करेंगे जिनके बारे में आपको लगता है कि वे आपको नुकसान पहुँचाने की कोशिश कर रहे हैं | कभी-कभी साइकोसिस से पीड़ित व्यक्तियों के साथ ठीक ऐसा ही हो सकता है |
• अपनी योजनाओं और सपनों को अमल में लाने से रेके जाना | कल्पना करें कि आपके पास ऐसी चीजें करने की महान योजनाएं और सपने हैं जो आपकी जिंदगी को बदल डालेंगे | अगर कोई आपको उन्हें अमल में लाने से रोकने की कोशिश करे या आप से कहे कि आप ‘बीमार’ हैं तो आपको शायद गुस्सा आएगा | कभी-कभी मनोन्माद से पीड़ित व्यक्तियों के साथ ऐसा ही हो सकता है|
• समय पर शराब न मिल पाना | कल्पना करें कि आप शराब पर इतने निर्भर हैं कि उन्हें लेने की इच्छा भर से आप शारीरिक रूप से बीमार महसूस करने लगते हैं | अगर कोई आपको शराब लेने से रोके तो आप आक्रमक हो सकते हैं |
• मानसिक संभ्रम से पीड़ित होना | कल्पना करें कि आपको चीजें याद रखने में कठिनाई होती है | आपको मालुम नहीं होता कि आप कहां हैं, क्या समय है और कौन सा दिन या कौन आपसे बातें कर रहा है | आप डर सकते हैं और आपको लग सकता है कि खुद को इन अजनबियों से बचाने की जरुरत है | मानसिक संभ्रम की ऐसी स्थिति अधिक शराब पीने, रक्त शर्करा के कम होने, मस्तिष्क के संक्रमण या मस्तिष्क को पहुंचे नुकसान के कारण पैदा हो सकती है |
जैसे अन्य लोगों के आक्रमक होने की कोई वजह नहीं होती है, मनोरोग से पीड़ित व्यक्तियों के आक्रमक होने की भी होती है | आप पता लगका सकते हैं कि वह व्यक्ति गुस्से में क्यों है, उसी के बाद यह संभावना बनती है कि आप उसकी मदद करने के तरीके ढूंढे पायें |
परिवार या मित्रों से पूछे जाने वाले सवाल
• क्या हुआ था ? हिंसा की घटना का एक व्यक्ति द्वारा दिया गया ब्योरा, दूसरे के ब्योरे से भिन्न हो सकता है | पता लगाएं कि ठीक-ठीक क्या हुआ था |
• इसकी शुरुआत कैसे हुई ? क्या वह व्यक्ति कई दिनों से चिडचिडा महसूस कर रहा था या फिर यह अचानक हुआ गुस्से का विस्फोट था ? आकस्मिक आक्रमण अक्सर किसी खास बात, जैसे शराब के बारे में बहसबाजी, से शुरू होता है | बिना किसी कारण या चेतावनी के व्यवहार में आक्रमकता लगभग नहीं ही आती | हां, गंभीर मानसिक अस्वस्थता से पीड़ित व्यक्ति के साथ ऐसा हो सकता है |
• क्या इसी घटना इससे पहले भी हुई है ? अगर हां, तो इस बात की संभावना है कि आगे भी ऐसी घटना होगी |
• क्या वह व्यक्ति अतीत में किसी मनोरोग से पीड़ित रहा है ? उसे कोई दवाएं दी जा रही हैं ? इन बातों का स्पष्ट महत्व है, क्योंकि इनसे आपको उपचार के लिए महत्वपूर्ण संकेत मिल सकते हैं |
• वह व्यक्ति किस पर भरोसा कर सकता है ? यह व्यक्ति रोगी को शांत कराने में आपका महत्वपूर्ण सहयोगी हो सकता है |
• क्या वह व्यक्ति शराब या नशीली दवाओं की समस्या से पीड़ित है ?
• क्या हुआ था ? संभव है कि आक्रमक व्यक्ति से आपको परिवार व मित्रों द्वारा बताए गए घटना के ब्योरे से अलग ब्योरा मिले | खास तौर पर यह पूछें कि क्या उसके आक्रमक होने की कोई वजहें थीं |
• क्या आप अब भी गुस्से में हैं ? अगर हां, तो उस व्यक्ति से पूछें कि क्या वह और सवालों के जवाब देने से पहले कुछ समय अकेले गुजरना चाहेगा |
• क्या आप तनावग्रस्त महसूस करते रहे हैं ? क्या आपको लगता रहा है कि आपके आसपास के लोग विचित्र तरीके से व्यवहार कर रहे हैं ? कि आपके बारे में बातें करते हिं ? या फिर ऐसी हरकतें करते हैं जिनसे आप आहत हो सकते हैं ? इन सवालों से आकलन करने में मदद मिलती है कि क्या वह व्यक्ति साइकोसिस से पीड़ित है |
• क्या अपने लोगों को अपने बारे में बातें करते हुए सुना है ? क्या आपको तब भी आवाजें सुनाई देती हैं, जब आसपास कोई भी न हो ? मतिभ्रम साइकोसिस का एक महत्वपूर्ण लक्षण है |
• क्या हाल ही में आप शराब लेते रहे हैं ? कितनी ? आपने पिछली बार शराब कब पी है ?
• संभावित हिंसा के आसारों के प्रति सचेत रहें | इनमें निम्न शामिल है :
• गौर करें कि क्या व्यक्ति के बोलने में हकलाहट है कि कुछ समझ नहीं आता या वह बहुत तेज बोल रहा है – ये नशे या साइकोसिस के चिन्ह हैं |
• गौर करें कि क्या व्यक्ति के मुंह से शराब की गंध आ रही है या उसकी त्वचा पर इंजेक्शन के निशान हैं ( ये नशीली दवाएं लेने के चिन्ह हैं ) |
• गौर करें कि क्या व्यक्ति लड़खड़ा या हकला रहा है | ये शराब या नशीली दवाएं लेने के संकेत हैं |
• स्वयं अपनी भावनाओं के प्रति संवेदनशील रहें | अगर आपको डर लग रहा है, तो साक्षात्कार बंद कर देना चाहिए |
• सुनिशिचित करें कि आप और साक्षात्कार देने वाले, दोनों की पहुंच क्लिनिक रूम के दरवाजे तक है |
• शांत व स्पष्ट स्वर में बोलें | उस व्यक्ति को शांत करने की कोशिश में चिल्लाएं नहीं |
• सुनिश्चित करने कि साक्षात्कार देने वाले, दोनों की पहुंच क्लीनिक रूम के दरवाजे तक हैं |
• शांत व स्पष्ट स्वर में बोलें | उस व्यक्ति को शांत करने की कोशिश में चिल्लाएं नहीं |
• उस व्यक्ति को कभी धमकाएं नहीं | इससे स्थिति और ख़राब ही होगी |
• सुनिश्चित करें कि साक्षात्कार के दौरान एक और स्वास्थ्य कार्यकर्ता उपलब्ध हो | अगर ऐसा संभव नहीं है, तो उस व्यक्ति के किसी भरोसेमंद संबंधी या मित्र को अपने साथ बिठाएं |
• अगर उस व्यक्ति के पास कोई हथियार है तो विश्वास दिलाएं कि आप एक स्वास्थ्य कार्यकर्ता उपलब्ध हो | अगर ऐसा संभव नहीं है तो उस व्यक्ति के किसी भरोसेमंद संबंधी या मित्र को अपने साथ बिठाएं |
• अगर उस व्यक्ति के पास कोई हथियार है ओत उसे विश्वास दिलाएं कि आप एक स्वास्थ्य कार्यकर्ता है और क्लीनिक में हथियार की कोई जरुरत नहीं है | अगर वह हथियार आपको नहीं सौंपता, तो कमरे से चले जाएँ तथा उसका हथियार लेने के लिए उपयुक्त सुरक्षा स्टाफ को बुलाएं |
• अगर व्यक्ति हिंसक हो जाता है तो पहले उसे दृढ़ता से आश्वस्त करते हुए शांत रहने के लिए कहें | अगर यह संभव नहीं होता, तो आपको उसे नियंत्रित करने की जरुरत पड़ेगी |
जब मनोरोग के साथ हिंसा भी जुडी हो, तो तीन मुख्य कारण याद रखने चाहिए :
• जब लोग किसी नशीली दावा के नशे सख्त जरुरत महसूस कह रहे हो तो वे हिंसक हो सकते हैं |
• साइकोसिस से पीड़ित, भले ही वह स्किजोफिन्या हो या मनोन्माद, लोग बहुत उत्तेजित और कभी-कभी आक्रमक भी हो सकते हैं |
• बहुत ज्यादा मानसिक संभ्रम की स्थिति, जैसी मिरगी के दौर के बाद होती है, में भी लोग आक्रमक हो सकते हैं |
• पहले उस व्यक्ति को बातचीत, आश्वासन और उसकी बात सुनने के जरिए शांत करने कि कोशिश करें | स्थिति को नियंत्रित करने की जल्दबाजी न दिखाएं | उद्देश्य व्यक्ति को एक सेडेटिव (दिमाग शांत करने वाली दावा) दे कर उसे शांत करने का है | अगर वह मान जाती है, तो उसे कोई एंटीएनजाईटी दावा (जैसे-लोराजेपाम 1-2 मि.ग्रा . या डायजेपाम 5-10 मि.ग्रा ) मुंह के जरिए दें |
• अगर वह मुंह के जरिए दवा लेने को तैयार न हो और ज्यादा विचलित नजर आए, तो आपको उसे नियंत्रित करने से पहले इंजेक्शन हमेशा तैयार कर लें | आप इन दवाओं में से चुन सकते हैं : डायजेपाम 5-10 मि.ग्रा. मंशपेशी की भीतर इंजेक्शन; क्लोरप्रोमेजाईन 25 -100 मि.ग्रा. मांसपेशी के भीतर इंजेक्शन |
अगर आपको संदेह है कि हिंसा मानसिक संभ्रम के कारण है और मस्तिष्क की किसी चोट या किसी अन्य मष्तिष्क रोग का परिणाम है, तो आपको उस व्यक्ति को किसी सामन्य हस्पताल को रेफर कर देना चाहिए | ज्यादा बेहतर होगा कि कोई स्वास्थ्य कार्यकर्ता उसके साथ जाए |
• रोगी को शांत करने की दवा दने के बाद, उसके परिवार या मित्रों को बताएं कि क्या हुआ |
• जागने पर उसे बताएं कि क्या हुआ था उसे मुहं के जरिए दवा लेने की जरुरत समझाएं |
• उसे खाने और पीने के लिए कुछ दें |
• आगे सलाह और उपचार के लिए उसे किसी मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर को रेफर करें , खासकर अगर वह सीकोसिस से पीड़ित है|
• मनोरोगी ‘स्वाभाविक रूप से’ आक्रमक नहीं होते हैं | अनेकों कारणों से मनोरोग से पीड़ित व्यक्ति आक्रमक हो सकता है |
• साइकोसिस, शराब व नशीली दवाओं पर निर्भरता ऐसी महत्वपूर्ण मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं हैं जिनके कारण व्यक्ति हिंसक हो सकता है |
स्त्रोत: वीहाई, ज़ेवियर समाज सेवा संस्थान
अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020
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