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राष्ट्रीय ऑटिज्म, सेरीब्रल पाल्सी, मानसिक मंदबुद्धि तथा बहु-विकलांगता कल्याण ट्र्स्ट अधिनियम 1999

परिचय

संसद के निम्न अधिनियम को 30 दिसंबर 1999 को ही राष्ट्रपति की सहमति मिली और इसलिए इसे आम सूचना के लिए प्रकाशित किया जा रहा है:

राष्ट्रीय ऑटिज्म, सेरीब्रल पाल्सी, मानसिक मंदबुद्धि तथा बहु-विकलांगता कल्याण ट्र्स्ट अधिनियम 1999

ऑटिज्म, सेरीब्रल पाल्सी, मानसिक मंदबुद्धि तथा बहु-विकलांगता के कल्याण के लिए राष्ट्रीय स्तर के गठन तथा उनसे जुड़े मामलों की निगरानी के प्रावधान वाला एक अधिनियम।

जो संसद द्वारा भारतीय गणतंत्र के पचासवें वर्ष में लागू करने हेतु:-

दायरा

प्रारंभिक

लघु शीर्षक तथा दायरा

1.(1) इस अधिनियम को ऑटिज्म, सेरीब्रल पाल्सी, मानसिक मंदबुद्धि तथा बहु-विकलांगता के शिकार व्यक्तियों के कल्याण हेतु राष्ट्रीय ट्रस्ट अधिनियम 1999 के नाम से भी जाना जा सकता है।

(2) यह जम्मू-कश्मीर को छोड़कर पूरे भारत में लागू होगा।

2. इस अधिनियम में जबतक आवश्यक न हों, पदों की निम्न परिभाषा होगी:

(क) "ऑटिज्म" का अर्थ है एक असमान योग्यता विकास की स्थिति, जो मुख्यतः व्यक्ति के बातचीत तथा सामाजिक क्षमताओं को प्रभावित करती है, जिसे पुनरावृत्ति तथा कर्मकांडी व्यवहार के जरिए पहचाना जा सकता है;

(ख) "बोर्ड" का अर्थ है सेक्शन 3 के तहत गठित ट्रस्टियों का बोर्ड;

(ग)"सेरीब्रल पाल्सी " का अर्थ है किसी व्यक्ति की प्रगति विहीन स्थितियां, जिसमें जन्म पूर्व या शिशु अवस्था में हुए मस्तिष्क आघात के कारण उत्पन्न असामान्य मोटर कंट्रोल तथा मुद्रा दिखाई पड़ती हैं।;

(घ)"अध्यक्ष " का अर्थ होगा सेक्शन 3 के उप-सेक्शन 4 के तहत के उपबंध के अंतर्गत नियुक्त बोर्ड का अध्यक्ष।;

(ङ) "मुख्य कार्यकारी अधिकारी" का अर्थ है सेक्शन 8 के उप-सेक्शन (1) के तहत नियुक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी ;

(च) "सदस्य" का अर्थ है बोर्ड का सदस्य जिसमें अध्यक्ष भी शामिल हैं।

(छ) "मानसिक मंद बुद्धि" का अर्थ है किसी व्यक्ति के मस्तिष्क का विकास पूरी तरह से रुक जाना या अधूरा विकास होना, जिसे बुद्धि के अल्प स्तर से पहचाना जा सकता है;

(ज) "बहु-विकलांगता" का अर्थ है दो या अधिक विकलांगता का मिश्रण, जिसे विकलांग व्यक्ति (समान अवसर, अधिकारों की सुरक्षा तथा पूर्ण भागीदारी) अधिनियम 1995 (1996 का 1) के सेक्शन 2 के उपबंध (i) में परिभाषित की गई है;

(झ) "अधिसूचना" का अर्थ है सरकारी गजट में प्रकाशित सूचना;

(ञ) "विकलांग व्यक्ति" का अर्थ है ऐसा व्यक्ति जो ऑटिज्म, सेरीब्रम पाल्सी, मानसिक मंदता या किसी 2 या अधिक स्थितियों के मिश्रण का शिकार हो, तथा  ऐसा व्यक्ति जो गंभीर बहु-विकलांगता का शिकार हो;

(ट) "प्रस्तावित" का अर्थ है  इस अधिनियम के नियमों के तहत प्रस्तावित;

(ठ) "पेशेवर" का अर्थ ऐसा व्यक्ति है जो किसी ऐसे क्षेत्र का विशिष्ट विशेषज्ञ है, जिससे विकलांग व्यक्तियों के कल्याण को बढ़ावा मिलता है;

(ड) "पंजीकृत संगठन" का अर्थ है विकलांग व्यक्तियों का एक संगठन या विकलांग व्यक्तियों  के माता-पिताओं का ऐसा संगठन या स्वयं सेवी संगठन, जिसे सेक्शन 12 के तहत पंजीकृत किया गया हो।;

(ढ) "नियमन" का अर्थ है इस अधिनियम के तहत किए गए विनियम;

(ण) "गंभीर विकलांगता" का अर्थ है 80% विकलांगता या एक या एक से अधिक बहु-विकलांगता।;

(त) "ट्रस्ट" का अर्थ है सेक्शन 3 के तहत उप-सेक्शन (1) के अंतर्गत गठित राष्ट्रीय ऑटिज्म, सेरीब्रल पाल्सी, मानसिक मंदबुद्धि तथा बहु-विकलांगता कल्याण ट्र्स्ट अध्याय II

राष्ट्रीय ऑटिज्म, सेरीब्रल पाल्सी, मानसिक मंदबुद्धि तथा बहु-विकलांगता कल्याण ट्रस्ट

3. ऑटिज्म, सेरीब्रल पाल्सी, मानसिक मंदबुद्धि तथा बहु-विकलांगता इत्यादि के कल्याण के लिए राष्ट्रीय ट्रस्ट का गठन:

(1) अधिसूचना जारी कर, जैसा कि केन्द्र सरकार के द्वारा तारीख तय की जाए, इस अधिनियम के उद्देश्य से ऑटिज्म, सेरिब्रल पाल्सी, मानसिक मंदन और बहु अक्षमता से ग्रस्त रोगियों के कल्याण के लिए राष्ट्रीय ट्रस्ट के नाम से, जो उक्त नाम से होगा और शाश्वत उत्तराधिकार वाली संस्था जिसकी एक सामान्य मुहर होगी और चल एवं अचल संपत्ति  के अहिग्रहण, निस्तारण तथा संविदा करने, जिसकी शक्तियां अधिनियम के अधीन होंगी, एक संस्था को प्रतिनियुक्त किया जाएगा और इस पर उसी नाम से कोई भी वाद चलाया जाएगा।

(2) ट्रस्ट के मामलों तथा कार्यों की एक सामान्य निगरानी, दिशा-निर्देश तथा प्रबंधन बोर्ड के हाथों होगा जिसके पास सारी शक्तियां होंगी और यह ट्रस्ट द्वारा किए या संपन्न कार्यों पर अपना कदम उठा सकता है।

(3) इस ट्रस्ट का मुख्य कार्यालय नई दिल्ली में होगा, जिसकी केंद्र सरकार से अनुमति के बाद भारत के अन्य स्थानों पर भी शाखा खोली जा सकती है।

(4) इस बोर्ड में निम्न शामिल होंगे -

(क) ऑटिज्म, सेरीब्रल पाल्सी, मानसिक मंदता तथा बहु-विकलांगता के क्षेत्र के अनुभवी तथा विशेषज्ञता रखने वाले व्यक्तियों के बीच से एक व्यक्ति को केंद्र सरकार द्वारा अध्यक्ष के रूप में चुना जाएगा;

(ख) नौ व्यक्ति इस प्रक्रिया के अनुरूप चुने जाएंगे जो पंजीकृत संगठनों से होंगे, जिनके 3 सदस्यों में 1-1 स्वयं सेवी संगठनों/ ऑटिज्म, सेरीब्रल पाल्सी, मानसिक मंदता तथा बहु-विकलांगता के शिकार व्यक्ति के माता-पिता के एसोसिएशन से तथा विकलांग व्यक्तियों के एसोसिएशन से होंगे;  बशर्ते कि इस उपबंध के तहत आरंभिक नियुक्ति केंद्र सरकार अपने मनोनयन द्वारा करेगी;

(ग) आठ व्यक्ति जो भारत सरकार के संयुक्त सचिव से नीच के पद के न हों, जो महिला तथा बाल विकास, सामाजिक न्याय तथा अधिकारिता, स्वास्थ्य तथा परिवार कल्याण, वित्त, श्रम, शिक्षा, शहरी मामले तथा रोजगार व ग्रामीण रोजगार तथा गरीबी उन्मूलन विभाग या मंत्रालय के प्रतिनिधि होने चाहिए;

(घ) तीन व्यक्ति, बोर्ड द्वारा मनोनीत किए जाएंगे, जो ट्रेड एसोसिएशन, वाणिज्य तथा उद्योग की ओर से लोक कल्याण के कार्य में शामिल हों;

(ङ) मुख्य कार्यकारी अधिकारी, जो भारत सरकार के संयुक्त सचिव के पद का, सदस्य-सचिव, पदेन होगा।

(च) बोर्ड अपने साथ किसी व्यक्ति को इस प्रकार से जोड़ सकता है जो नियमनों द्वारा निर्धारित किया गया हो और ट्रस्ट के कामकाज को चलाने के लिए जिसकी सहायता या परामर्श की आवश्यकता हो:

बशर्ते कि उस व्यक्ति को उन उद्देश्यों के लिए आवश्यक चर्चा में भाग लेने का अधिकार होगा, पर वह बोड की मीटिंग में अपना मत नहीं गिरा सकता और किसी अन्य उद्देश्यों के लिए कोई सदस्यता नहीं रखेगा:

बशर्ते कि जुड़े व्यक्तियों की अधिकतम संख्या 8 से अधिक नहीं होनी चाहिए और जहां तक संभव हो वे पंजीकृत संगठनों से हों या पेशेवर हों।

4. अध्यक्ष तथा सदस्यों, बोर्ड की बैठक इत्यादि के लिए कार्यकाल-

(1) अध्यक्ष या सदस्य अपनी नियुक्ति से 3 वर्ष के लिए चुने जाएंगे, जो अपने उत्तराधिकारियों के पूर्ण रूप से नियुक्त होने तक अपने पद पर बने रहेंगे (जो अधिक हो):

बशर्ते कि अध्यक्ष या अन्य सदस्यों की उम्र 65 वर्ष से कम हो, अन्यथा वे अध्यक्ष या सदस्य बनने के योग्य नहीं होंगे।

(2) अध्यक्ष तथा अन्य सदस्यों की सेवा की शर्तें निर्धारित शर्तों के अनुरूप होगी।

(3) बोर्ड की अनौपचारिक रिक्तियों को सेक्शन 3 के तहत भरा जाएगा और नियुक्त व्यक्ति उस व्यक्ति के शेष कार्यकाल तक के लिए ही नियुक्त किया जाएगा, जिसके स्थान पर उसकी नियुक्ति की जा रही है।

(4) अध्यक्ष तथा सदस्य के रूप में किसी व्यक्ति को नियुक्त करने से पहले केंद्र सरकार संतुष्ट होगी कि व्यक्ति की कोई वित्तीय या अन्य हित न हो जिससे सदस्य के रूप में उसके कार्य पर असर पड़े।

(5) बोर्ड का कोई सदस्य बोर्ड के अपने कार्यकाल के दौरान ट्रस्ट का लाभार्थी नहीं होगा।

(6) बोर्ड कम से कम तीन महीने में एक बार बैठक करेगा जो उस समय और स्थान पर संपन्न किया जाएगा जिसका निर्धारण बोर्ड नियमनों द्वारा करेगा और बैठक में कार्यों की देख-रेख करेगा।

(7) अध्यक्ष किसी कारणवश बैठक में उपस्थित नहीं हो पाते तो सदस्यों द्वारा चुने किसी भी सदस्य को बैठक की अध्यक्षता सौंपी जा सकती है।

(8) बोर्ड की बैठक में आने से पहले किसी भी प्रश्न के लिए उपस्थित सदस्यों के वोटों का बहुमत होना चाहिए, और मतों की समानता की स्थिति में अध्यक्ष या उनके उपस्थिति में अध्यक्ष व्यक्ति के पास मत डालने का अधिकार होगा।

5. अध्यक्ष तथा सदस्यों का त्यागपत्र

(1) अध्यक्ष, केंद्र सरकार को स्वयं द्वारा लिखित पत्र के माध्यम से त्यागपत्र दे सकता है, बशर्ते कि वह केंद्र सरकार द्वारा अगले अध्यक्ष की नियुक्ति तक अपने पद पर बरकरार रहेगा।

(2) कोई सदस्य अध्यक्ष को पत्र लिखकर त्यागपत्र दे सकता है।

6. अयोग्यता- कोई व्यक्ति सदस्य नहीं रह सकता, यदि वह-

(क) खराब मानसिक दशा में आ जाए या किसी उपयुक्त अदालत में ऐसा सिद्ध हो जाए; अथवा

(ख) किसी उल्लंघन के लिए दोषी पाया गया हो, जो केंद्र सरकार की नजर में नैतिक मुद्दा की बात हो; अथवा

(ग) किसी समय दिवालिया घोषित कर दिया जाए।

7. सदस्यों की रिक्ति- यदि कोई सदस्य-

(क) सेक्शन 6 के मुताबिक किसी भी अयोग्यता को प्राप्त करता है; अथवा

(ख) अनुपस्थिति की छुट्टी लिए बिना बोर्ड की तीन लगातार बैठकों से अनुपस्थित रहता है; अथवा

(c) सेक्शन 5 के तहत अपना त्यागपत्र देता है, तो उसके बाद उसका पद रिक्त माना जाएगा।

8. मुख्य कार्यकारी अधिकारी तथा ट्रस्ट के कर्मचारी

(1) केंद्र सरकार मुख्य कार्यकारी अधिकारी की नियुक्ति करेगी जो बोर्ड द्वारा निर्देशित शक्तियों तथा कर्तव्यों का, जो उसे अध्यक्ष की ओर से सौंपा जाएगा, निर्वाहन करेगा।

(2) ट्रस्ट के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार की पूर्व स्वीकृति से बोर्ड अन्य अधिकारियों तथा कर्मचारियों की नियुक्ति करेगा।

(3). मुख्य कार्यकारी अधिकारी, अन्य अधिकारीयों तथा कर्मचारियों के वेतन व भत्ते नियमन के अनुसार तय किए जाएंगे।

9. बोर्ड में रिक्तियों से कोई कार्य आदि अवैध नहीं माना जाएगा- जैसे बोर्ड की कोई कार्य या कार्रवाही पर सिर्फ किसी रिक्ति या बोर्ड के गठन में किसी त्रुटि के आधार पर प्रश्न खड़ा नहीं किया जाएगा।

अध्याय-3

ट्रस्ट के उद्देश्य

10. ट्रस्ट के उद्देश्य निम्नांकित होंगे -

(a) विकलांग व्यक्तियों को सक्षम तथा सशक्त बनाना ताकि वे जिस समुदाय में रह रहे हों उसमें आत्मनिर्भर होकर स्वतंत्रतापूर्वक जीवन-यापन कर सकें;

(b) विकलांग व्यक्तियों को अपने परिवार में रहने के लिए सुविधाओं को सुदृढ़ किया जाएगा;

(c) विकलांग व्यक्तियों के परिवारों को संकट के समय आवश्यकता पड़ने पर पंजीकृत संगठनों को सहायता प्रदान करने के लिर बढ़ावा देना;

(d) ऐसे विकलांग व्यक्तियों की समस्याओं से निपटना जिनके अपने परिवार नहीं होते हैं;

(e) माता-पिता तथा अभिभावकों की मृत्यु की स्थिति में विकलांग व्यक्तियों की देखभाल तथा सुरक्षा के उपायों को बढ़ावा देना:

(f) ऐसी सुरक्षा वाले विकलांगों के लिए अभिभावक तथा ट्रस्टी की नियुक्तियों की प्रक्रिया संपन्न करना;

(g) विकलांग व्यक्तियों के बीच समान अवसरों, अधिकारों की सुरक्षा तथा पूर्ण भागीदारी को मूर्त रूप देने के लिए प्रयास करना;

(h) ऐसा कोई भी कार्य करना जो उपरोक्त उद्देश्यों के लिए आवश्यक हो।

अध्याय- 4

11.बोर्ड की शक्तियां तथा कर्तव्य

(1) बोर्ड -

(क) केंद्र सरकार से एक बार मिलने वाली सहायता राशि 100 करोड़ रुपये प्राप्त करेगा तथा विकलांगों के उचित मानक वाली जिंदगी के लिए उसका इस्तेमाल करेगा;

(ख) विकलांग व्यक्तियों के लाभ के लिए किसी व्यक्ति की वसीयत तथा अपने उद्देश्य की पूर्ति हेतु ट्रस्ट से चल संपत्ति प्राप्त करना;

बशर्ते कि वसीयत में उल्लेख किए विकलांग लाभार्थी के लिए बोर्ड पर्याप्त मानक जीवन जीने की व्यवस्था करे; यदि वसीयत में किसी अन्य उद्देश्य का जिक्र किया गया तो उसके अनुरूप उसका इस्तेमाल किया जाए;

बर्शते कि बोर्ड वसीयत में उल्लेख की गई राशि को उसमें उल्लेख किए गए विकलांग लाभार्थी के ही विशेष लाभ के लिए खर्च करने की मंशा न रखे;

(ग) किसी स्वीकृत कार्यक्रम को संपन्न करने के लिए पंजीकृत संगठनों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए केंद्र सरकार से राशि प्राप्त करेगा।

(2) उप-सेक्शन (1) के उद्देश्य के लिए “स्वीकृत कार्यक्रम” का अर्थ है-

(क) कोई कार्यक्रम जो विकलांग व्यक्तियों को उनके समुदाय में स्वतंत्र जीवन व्यतीत करने के लिए निम्न कार्यों द्वारा बढ़ावा देता हो-

(i) समुदाय में एक रचनात्मक वातावरण का निर्माण करना;

(ii) विकलांगता के शिकार व्यक्तियों के परिवार के सदस्यों को परामर्श देना तथा उन्हें प्रशिक्षित करना;

(ख) वयस्क प्रशिक्षण इकाइयों, निजी तथा समूह घर की स्थापना करना;

(ग) कोई ऐसा कार्यक्रम जो राहत वाली देखभाल, पालन पोषण करने वाले परिवार या दैनिक देखभाल सेवा को बढ़ावा देता हो;

(घ) विकलांगों के लिए आवासीय हॉस्टल तथा आवासीय घर की स्थापना;

(ङ) विकलांगों के स्वयं सहायता समूह के विकास को बढ़ावा देना ताकि वे अपने अधिकार का उपयोग कर सकें;

अभिभावकत्व के लिए सहायता राशि की मंजूरी देने के लिए स्थानीय स्तर की समिति का गठन; तथा

(च) ऐसा अन्य कार्यक्रम जो ट्रस्ट के उद्देश्यों को बढ़ावा देता हो।

(3) उप-सेक्शन (2) के उपबंध (c) के लिए फंड की प्राप्ति के लिए महिला विकलांगों को तरजीह दी जाएगी या गंभीर रूप से विकलांग अथवा विकलांगता के शिकार वरिष्ठ नागरिकों को प्राथमिकता दी जाएगी।

व्याख्या –उस उप-सेक्शन के उद्देश्यों के लिए, पद-

(क) "गंभीर विकलांगता के शिकार व्यक्ति" का अर्थ वही होगा, जो विकलांगता के शिकार व्यक्ति (समान अवसर, अधिकारों की रक्षा तथा पूर्ण भागीदारी) अधिनियम, 1995 (1996 का 1) के सेक्शन 56 के उप-सेक्शन (4) में उल्लेख किया गया है;

(ख) "वरिष्ठ नागरिक" का अर्थ है ऐसा व्यक्ति जो 65 वर्ष या उससे ऊपर की आयु का हो।

अध्याय- 5

12. पंजीकरण के लिए प्रक्रिया-

(1) विकलांगों का कोई एसोसिएशन, या विकलांगों के माता-पिता का कोई एसोसिएशन या कोई स्वयं सेवी संगठन, जिसका मुख्य उद्देश्य विकलांगता के शिकार व्यक्ति के कल्याण को बढ़ावा देता हो, बोर्ड के पंजीकरण के लिए आवेदन कर सकता है।

(2) पंजीकरण करवाने के लिए आवेदन बोर्ड द्वारा तय स्वरूप व तरीके तथा स्थान पर जमा करना चाहिए, और उसके साथ ऐसे दस्तावेज संलग्न करना चाहिए जो बोर्ड द्वारा तय किया गया हो।

(3) पंजीकरण के लिए दिए आवेदन की प्राप्ति पर बोर्ड आवश्यकतानुसार आवेदन उपयुक्तता तथा सत्यता की पूछताछ कर सकता है।

(3) ऐसे आवेदन प्राप्त होने पर बोर्ड या तो आवेदक की रजिस्ट्रेशन मंजूर करेगा या किसी कारणवश लिखित में उसे अस्वीकार भी कर सकता है।

(4) बशर्ते कि जहां आवेदक का पंजीकरण अस्वीकार कर दिया जाता है, वहां आवेदक अपनी कमी को सुधार कर पुनः आवेदन कर सकता है।

अध्याय- 6

स्थानीय स्तर की समिति

13.स्थानीय स्तर की समितियों का गठन-

(1) बोर्ड समय-समय पर स्वयं द्वारा तय किए क्षेत्र के लिए स्थानीय स्तर की समिति गठित करेगा।

(2) स्थानीय स्तर की समिति में निम्न शामिल होंगे-

(क) संघ या राज्य लोक प्रशासन का एक अधिकारी, जो जिला मजिस्ट्रेट या जिले के जिला आयुक्त के पद से नीचे का न हो।

(ख) पंजीकृत संगठन का एक प्रतिनिधि; तथा

(ग) एक विकलांग व्यक्ति जो विकलांग व्यक्ति (समान अवसर, अधिकारों की सुरक्षा तथा पूर्ण भागीदारी ) अधिनियम, 1995 (1996 का 1) के सेक्शन 2 के उपबंध (f) के तहत परिभाषित हो।

(3) स्थानीय स्तर की समिति अपने गठन से तीन वर्षों तक या बोर्ड द्वारा इसे पुनर्गठित करने के समय तक कार्य करेगी।

(4) स्थानीय स्तर की समिति हर तीन महीनों में कम से कम से एक बार या अपने आवश्यकतानुसार बैठक करेगी।

14. अभिभाकत्व की नियुक्ति -

(1) किसी विकलांग व्यक्ति के माता-पिता या उसके रिश्तेदार स्थानीय समिति को अपने पसंद के किसी व्यक्ति को नियुक्त करने का आवेदन कर सकता है, जो उस विकलांग व्यक्ति के अभिभावक के रूप में कार्य करेगा।

(2) कोई पंजीकृत संस्था विकलांगता के शिकार किसी व्यक्ति के लिए एक अभिभावक की नियुक्ति के लिए तय फॉर्मेट में स्थानीय स्तर की समिति के समक्ष एक आवेदन प्रस्तुत कर सकता है।

बशर्ते कि इसके तहत किसी आवेदन को स्थानीय समिति द्वारा तबतक नहीं लिया जाएगा, जबतक कि विकलांग व्यक्ति के अभिभावक की सहमति न प्राप्त कर ली जाए।

(3) किसी अभिभावक की नियुक्ति के लिए आवेदन पर विचार करते समय स्थानीय समिति निम्न पर विचार करेगी-

- क्या किसी विकलांग व्यक्ति को अभिभावक की आवश्यकता है;

- विकलांग व्यक्ति को अभिभावकत्व की आवश्यकता जिस उद्देश्य से हो, उस पर विचार करना।

(4) स्थानीय स्तर की समिति उप-सेक्शन (1) तथा (2) के तहत आवेदन प्राप्त करेगी, उन्हें नियमनों के अनुसार निपटाएगी तथा उनपर निर्णय लेगी:

बशर्ते कि किसी अभिभावक की नियुक्ति के लिए अनुशंसा करते समय स्थानीय स्तर की समिति ऐसी शर्तें रखेगी जिसकी अभिभावक द्वारा पूर्ति की जाएगी।

(5) स्थानीय स्तर की समिति बोर्ड को प्राप्त आवेदनों तथा और नियमनों के मुताबिक समय-समय पर जारी आदेशों का विवरण भेजेगा।

15. अभिभावक के कर्तव्य –

इस अध्याय में विकलांग व्यक्तियों के अभिभावक के रूप में नियुक्त हरेक व्यक्ति अपने विकलांग व्यक्ति की देखभाल करेगा या उस विकलांग व्यक्ति के देखरेख के लिए जिम्मेदार होगा।

16. अभिभावक को वस्तु सूची तथा वार्षिक खातों की जानकारी देनी होगी-

(1) सेक्शन 14 के तहत प्रत्येक नियुक्त अभिभावक अपनी नियुक्ति के 6 महीने के भीतर नियुक्तिकर्ता अधिकारी को विकलांग व्यक्ति से जुड़ी प्राप्त अचल संपत्तियों तथा अन्य चल संपत्तियों का ब्योरा सौंपेगा, जिसके साथ उस विकलांग के सभी देय दावों तथा सभी ऋणों व देय राशियों का विवरण भी संलग्न किया जाएगा।

(2) प्रत्येक अभिभावक एक वित्तीय वर्ष के समाप्त होने के तीन महीने के भीतर नियुक्तिकर्ता अधिकारी के समक्ष अपने पास मौजूद संपत्ति, प्राप्त राशि व विकलांग व्यक्ति के खाते से निकली तथा शेष राशि का ब्योरा सौंपेगा।

17. अभिभाकत्व से निष्कासन -

(1) जब कभी भी किसी विकलांग व्यक्ति के कोई माता-पिता या कोई रिश्तेदार या कोई पंजीकृत संगठन को निम्न दिखाई पड़ता है-

(a) विकलांगता के शिकार व्यक्ति के साथ दुर्व्यवहार या उसकी अनदेखी; अथवा

(b) अनुचित तरीके से संपत्ति की उपयोग; ऐसी स्थिति में ऐसे अभिभावक को निष्कासित करने के लिए समिति के सामने आवेदन किया जा सकता है।

(2) ऐसे आवेदन मिलने पर यदि समिति इस बात को लेकर संतुष्ट हो जाती है कि निष्कान का कोई सही आधार है जिसे लिखित में दर्ज किया जा सकता है, तो वह ऐसे अभिभावक को हटाकर उसके स्थान पर नए अभिभावक की नियुक्ति कर सकता है।

(3) उप-सेक्शन (2) के तहत कोई निष्कासित अभिभावक अपने अधिकार में मौजूद विकलांग व्यक्ति की सभी संपत्ति नए अभिभावक को तथा उसके द्वारा निकाली गई राशि या प्राप्त राशि को उसके खाते में डालेगा।

व्याख्या: इस अध्याय के लिए पद “रिश्तेदार” में कोई ऐसा व्यक्ति शामिल होगा जो विकलांग से खून का रिश्ता, विवाह या अधिग्रहण का रिश्ता रखता हो।

अध्याय- 7

जिम्मेदारी तथा निगरानी

18. जिम्मेदारी -

(1)  बोर्ड के पास मौजूद पुस्तक तथा दस्तावेज किसी भी पंजीकृत संगठन द्वारा जांच के लिए खोले जा सकते हैं।

(2). कोई पंजीकृत संगठन बोर्ड द्वारा संचालित किसी पुस्तक या दस्तावेज की एक प्रति प्राप्त करने के लिए बोर्ड के समक्ष एक लिखित आवेदन कर सकता है।

(3) बोर्ड किसी पुस्तक या दस्तावेज को पंजीकृत संगठन को उपलब्ध कराने के लिए यदि किसी नियमन को लागू करना आवश्यक हो तो बोर्ड वह नियमन लागू करेंगे।

19. निगरानी -

नियमनों द्वारा बोर्ड उन पंजीकृत संगठनों के फंडिंग पूर्व की स्थिति के मूल्यांकन की प्रक्रिया का निर्धारण करेगा जो बोर्ड से वित्तीय सहायता के लिए आवेदन करता है और ट्र्स्ट से वित्तीय सहायता पाने वाले पंजीकृत संगठनों की गतिविधियों के मूल्यांकन व निगरानी के दिशा-निर्देश हेतु भी ऐसे नियमन तैयार कर सकता है।

20. वार्षिक आम बैठक -

(1) हर साल बोर्ड पंजीकृत संगठनों का एक वार्षिक आम सभा का संचालन करेगा तथा एक वार्षिक आम सभा तथा अगली वार्षिक आम सभा के बीच 6 महीनों से अधिक का समय नहीं व्यतीत होना चाहिए।

(2) विनियमों द्वारा निर्धारित समय पर बोर्ड पूर्ववर्ती बैठक की गतिविधियों के दौरान वार्षिक आम बैठक और लेखा का ब्योरा तथा अपनी गतिविधियों की सूचना प्रत्येक पंजीकृत संगठन को देगा।

(3) ऐसी बैठक का कोरम नियमन द्वारा निर्धारित पंजीकृत संगठन के लोगों की संख्या से पूरा किया जाएगा।

अध्याय -8

वित्त, लेखा तथा लेखा परीक्षण

21. केंद्र सरकार की ओर से मिलने वाली सहायता राशि- संसद के कानून द्वारा विचार करने के बाद केंद्र सरकार, ट्रस्ट को एक बार दी जाने वाली एक सौ करोड़ रुपये की सहायता राशि प्रदान करेगी, जिसका इस्तेमाल इस अधिनियम के तहत ट्रस्ट के लक्ष्यों की पूर्ति में किया जाएगा।

22. फंड -

(1) एक फंड की स्थापना की जाएगी जिसका नाम ऑटिज्म, सेरीब्रल पाल्सी, मानसिक मंद बुद्धि तथा बहु-विकलांगता के शिकार व्यक्ति के कल्याण हेतु फंड का राष्ट्रीय ट्रस्ट होगा; जहां निम्न कार्य किए जाएंगे:

(क) केंद्र सरकार द्वारा दी जाने वाली सभी राशि प्राप्त की जाएगी;

(ख) अनुदान, उपहार, दान, उपकार, वसीयत तथा हस्तांतरण से प्राप्त सभी प्रकार के धन प्राप्त किए जाएंगे;

(ग) किसी अन्य तरीकों या अन्य स्रोतों से ट्रस्ट को मिलने वाले धन की प्राप्ति की जाएगी;

(2) फंड के सभी धन को ऐसे बैंकों में सुरक्षित रखा जाएगा या ऐसे तरीके से निवेशित किया जाएगा जिसके लिए बोर्ड को केंद्र सरकार की स्वीकृति मिलनी आवश्यक होगी।

(3) इस फंड का इस्तेमाल ट्रस्ट की प्रशासनिक बैठक तथा ट्रस्ट की शक्ति के क्रियान्वयन तथा सेक्शन 10 के तहत किसी गतिविधि से जुड़े बोर्ड के कर्तव्यों के निर्वहन में हुए व्यय समेत ट्रस्ट के अन्य व्ययों में किया जाएगा।

23. बजट- प्रत्येक वित्तीय वर्ष में बोर्ड सुझाव के मुताबिक प्रारूप में तथा समय में अगले वित्तीय वर्ष के लिए बजट तैयार करेगा, जो ट्रस्ट के अनुमानित प्राप्ति तथा व्ययों की जानकारी देगा और इस बजट को वह केंद्र सरकार के पास भेजेगा।

24. लेखा तथा लेखा परीक्षण

(1) बोर्ड एक उचित लेखा ब्योरा तथा अन्य आवश्यक दस्तावेज को संभाल कर रखेगा तथा ट्रस्ट के वार्षिक लेखा विवरण तैयार करेगा, जिसमें आय और व्यय विवरण केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित स्वरूप में शामिल किया जाएगा और यह भारत के महा-लेखाकार से परामर्श करने के बाद सरकार द्वारा जारी किसी निर्देशों के अनुरूप होगा।

2. ट्रस्ट के खातों का लेखा परीक्षण भारत के महा-लेखाकार द्वारा संपन्न किया जाएगा, जो उनके द्वारा प्रस्तावित समय अंतराल पर किया जाएगा और ऐसे लेखा परीक्षण के दौरान उनके द्वारा किए किसी व्यय को बोर्ड भुगतान करेगा।

(3) भारतीय महा-लेखाकार तथा ट्रस्ट के लेखा परीक्षण के लिए कोई उनके द्वारा नियुक्त किये गये किसी व्यक्ति के पास ऐसे ही समान अधिकार, विशेषाधिकार तथा प्राधिकार होंगे जो सरकारी खातों की जांच के लिए भारतीय महा-लेखाकार के पास होते हैं, साथ ही उनके पास लेखा-बही, उनसे जुड़े वाउचर्स व अन्य दस्तावेजों और कागजात प्रस्तुत करने की मांग करने का अधिकार समेत ट्रस्ट के किसी भी कार्यालय की जांच करने का अधिकार होगा।

(4) भारतीय महा-लेखाकार द्वारा या उनके द्वारा नियुक्त अन्य व्यक्ति द्वारा अभिप्रमाणित खातों के साथ लेखा परीक्षण की रिपोर्ट को वार्षिक रूप से केंद्र सरकार को भेजा जाएगा और सरकार उन्हें संसद के दोनों सदनों में प्रस्तुत करेगी।

25. वार्षिक प्रतिवेदन – हर साल बोर्ड  प्रस्तावित स्वरूप तथा समय के भीतर एक वार्षिक प्रतिवेदन तैयार करेगा जो पिछले वर्ष की इसकी गतिविधियों की सही व पूर्ण विवरण देगी और उसकी प्रतियां केंद्र सरकार को भेजी जाएंगी, फिर केंद्र सरकार उन्हें संसद के दोनों सदनों के समक्ष प्रस्तुत करेगी।

26. आदेशों के अभिप्रमाणन इत्यादि- बोर्ड के सभी आदेश तथा निर्णय और ट्रस्ट के नाम से जारी सभी कागजात को अध्यक्ष, मुख्य कार्यकारी अधिकारी या अध्यक्ष की ओर से नियुक्त किसी अन्य अधिकृत अधिकारी द्वारा अभिप्रमाणित किया जाएगा।

27. रिटर्न तथा सूचना - बोर्ड केंद्र सरकार को ऐसी सूचनाएं, रिटर्न तथा अन्य जानकारी मुहैया कराएगा जो समय-समय पर सरकार के लिए आवश्यक हो सकती है।

अध्याय- 9

विविध

28. केंद्र सरकार द्वारा निर्देश जारी करने की शक्ति-

(1) इस अधिनियम के पूर्ववर्ती प्रावधानों के प्रति बिना किसी दुर्भावना के बोर्ड अपनी शक्तियों का प्रयोग करेगा या इस अधिनियम के तहत अपने कर्तव्यों का पालन करेगा तथा समय-समय पर केंद्र सरकार द्वारा नीति के प्रश्नों पर दिए लिखित निर्देश का अनुपालन करेगा:

बशर्ते कि जहां तक व्यावहारिक हो इस उप-सेक्शन के तहत कोई निर्देश जारी करने से पहले बोर्ड को अपना विचार रखने का एक अवसर दिया जाएगा।

(2) केंद्र सरकार का कोई फैसला, चाहे वह नीति के प्रश्नों पर हो या न हो, अंतिम फैसला माना जाएगा।

29. बोर्ड पर अधिक्रमण करने की केंद्र सरकार में निहित शक्ति-

(1) किसी पंजीकृत संगठन से मिली शिकायत पर या यह मानने की कोई वजह हो कि बोर्ड कार्य करने में अक्षम है या अपने कर्तव्यों के निर्वाह्न करने में लगातार असफल रहा है, तो केंद्र सरकार बोर्ड को यह पूछते हुए एक नोटिस भेजेगी कि क्यों न इसका अधिक्रमण कर लिया जाए;  बशर्ते कि केंद्र सरकार तब तक बोर्ड का अधिग्रहण नहीं करेगी जबतक कि बोर्ड लिखित में इसे अधिग्रहित नहीं करने के उचित कारण न बताए।

(2) लिखित में दिए कारणों को दर्ज करने के बाद तथा सरकारी गजट में अधिसूचित करने के बाद   केंद्र सरकार बोर्ड को अधिग्रहित कर लेगी, जिसकी अवधि 6 महीनें से अधिक की नहीं होगी;

बशर्ते कि अधिग्रहण की अवधि के समाप्त होने पर, केंद्र सरकार सेक्शन 3 के तहत बोर्ड का पुनर्गठन कर सकती है।

(3) उप-सेक्शन (2) के तहत अधिसूचना के प्रकाशन पर,

(क}  बोर्ड के सभी सदस्य अपने कार्यकाल समाप्त न होने की स्थिति पर भी अधिग्रहण की तिथि पर अपने कार्यालय छोड़ देंगे;

(ख} अधिग्रहण के बाद इस अधिनियम के तहत ट्रस्ट या उसकी ओर से लागू सभी शक्तियां तथा कर्तव्य केंद्र सरकार द्वारा निर्देशित व्यक्ति या व्यक्तियों द्वारा उपयोग में लाए जाएंगे।

(4} उप-सेक्शन (2) के तहत जारी अधिसूचना में उल्लेख की गई अधिग्रहण अवधि के समाप्त होने पर केंद्र सरकार निम्न कदम उठा सकती है-

(क} यदि यह आवश्यक समझती है तो अधिग्रहण की अवधि को आगे बढ़ा सकती है, ताकि कुल अधिग्रहण अवधि छह महीने से अधिक की न हो; या

(ख} सेक्शन 3 (1961 का 43 } में दी गई विधि से बोर्ड का पुनर्गठन करेगी।

30. आयकर से मुक्ति- आयकर अधिनियम 1961 के किसी भी नियम या आय, लाभ या प्राप्ति पर उस वक्त प्रभावी होने वाले किसी अन्य कानून के तहत ट्रस्ट किसी प्रकार का आयकर या किसी भी आय, लाभ या प्राप्ति के लिए किसी कर का भुगतान नहीं करेगा।

31. नेकनियत में की गई कार्यवाही की सुरक्षा- केंद्र सरकार या ट्रस्ट अथवा बोर्ड के किसी सदस्य या मुख्य कार्यकारी अधिकारी या कोई अधिकारी अथवा ट्रस्ट के किसी कर्मचारी या इस अधिनियम के तहत कर्तव्यों के पालन हेतु बोर्ड द्वारा नियुक्त किसी अन्य व्यक्ति के खिलाफ किसी हुई हानि या क्षति (1860 का 15) के लिए या जिसकी होने की संभावना है, जिसे यदि अच्छे उद्देश्य के लिए माना जाएगा, तो उनके खिलाफ कोई मुकदमा, अभियोजन या अन्य कानूनी कार्रवाई नहीं की जा सकती है।

व्याख्या –इस सेक्शन के उद्देश्य के लिए "अच्छा उद्देश्य " का वही अर्थ होगा जो भारती दंड संहिता (1860 का 45} में उल्लेख किया गया है।

32. अध्यक्ष, सदस्य तथा ट्रस्ट के अधिकारी लोक सेवक के रूप में- ट्रस्ट के सभी सदस्य, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, या अन्य अधिकारी तथा कर्मचारी जब इस अधिनियम के तहत आने वाले कोई कार्य करेंगे तो वे भारतीय दंड संहिता के सेक्शन 21 के के तहत लोक सेवक माने जाएंगे।

33. प्रतिनिधि मंडल- सामान्य रूप से या किसी विशेष लिखित आदेश के तहत बोर्ड  ट्रस्ट के अध्यक्ष या किसी सदस्य या ट्रस्ट के किसी अधिकारी को अथवा किसी अन्य व्यक्ति को अपना प्रतिनिधि बनाएगा, जो ऐसी परिस्थितियों तथा बाध्यताओं के अंतर्गत आता हो, आवश्यकता पड़ने पर जिसका उल्लेख इस अधिनियम (सेक्शन 35 के तहत विनियमन बनाने की शक्ति को छोड़कर) के तहत दिए जाने वाले आदेश में किया जाता है।

34. नियम बनाने की शक्ति -

(1} सरकारी गजट में जारी अधिसूचना द्वारा भारत सरकार इस अधिनियम के प्रावधानों के निर्वाहन के लिए नियम बनाएगी।

(2) विशेषकर, तथा पूर्ववर्ती शक्तियों की व्यापकता के प्रति बिना किसी पूर्वाग्रह के, ऐसे नियम निम्नांकित प्रदान करेंगे:-

(a) ऐसी प्रक्रिया जिसके अनुरूप पंजीकृत संगठनों का प्रतिनिधित्व करने वाले व्यक्ति का सेक्शन 3 के उप-सेक्शन (4) के उपबंध (b) के तहत चयन किया जाएगा;

(b) सेक्शन (4) के उप-सेक्शन (2) के तहत अध्यक्ष तथा सदस्यों की सेवा की परिस्थितियां;

(c) सेक्शन 4 के उप-सेक्शन (6) के तहत बोर्ड की बैठक में होने वाले कार्यों के प्रणालियों के नियम;

(d) सेक्शन 8 के उप-सेक्शन (1) के तहत मुख्य कार्यकारी अधिकारी की शक्तियां तथा कर्तव्य;

(e) ऐसा फॉर्म जिसमें किसी पंजीकृत संगठन द्वारा सेक्शन 14 के उप-सेक्शन (2) के तहत अभिभावकत्व के लिए आवेदन किया जा सकता है;

(f) ऐसी प्रक्रिया जिसके अनुरूप सेक्शन 17 के तहत किसी अभिभावक को निष्कासित किया जा सकता;

(g) ट्रस्ट के बजट को सेक्शन 23 के तहत केंद्र सरकार को भेजने के लिए फॉर्म और उसे भेजे जाने की अवधि,

(h) ऐसा फॉर्म जिसमें सेक्शन 24 के उप-सेक्शन (1) के तहत खातों के वार्षिक विवरण को संभाला जाएगा;

(i) ऐसा फॉर्म जिसमें और जिस समय के भीतर सेक्शन 25 के तहत वार्षिक प्रतिवेदन का निर्माण कर इसे आगे भेजा जाएगा;

(j) ऐसा कोई मामला जिसे प्रस्तावित करने की आवश्यकता हो, या जिसे प्रस्तावित किया जा सकता है।

35. विनियमनों के निर्माण की शक्तियां-

(1) केंद्र सरकार द्वारा सरकारी गजट में पूर्व स्वीकृति की अधिसूचना द्वारा बोर्ड ऐसे विनियम बना सकता है, जो इस अधिनियम के अनुरूप हो तथा ऐसे नियम बना सकता है, जो इस अधिनियम के उद्देश्यों के निर्वाहन के लिए आवश्यक हो।

(2) विशेष कर तथा पूर्ववर्ती शक्ति की व्यापकता के प्रति बिना किसी पूर्वाग्रह के ऐसे विनियमन निम्न सभी का किसी एक प्रदान कर सकता है:-

(a) ऐसी विधि या उद्देश्य जिसके लिए सेक्शन 3 के उप-सेक्शन (5) के तहत कोई व्यक्ति संबद्ध हो;

(b) समय तथा स्थान, जहां बोर्ड सेक्शन (4) के उप-सेक्शन (6) के तहत बैठक करेगा;

(c) सेक्शन 8 के उप-सेक्शन (3) के तहत ट्रस्ट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, अन्य अधिकारी तथा कर्मचारी हेतु सेवा के नियम तथा शर्तें;

(d) फॉर्म तथा विधि जिसमें सेक्शन 12 के उप-सेक्शन (2) के तहत पंजीकरण के लिए आवेदन किया जाएगा, और ऐसे विवरण जिसे उप-सेक्शन 19 के तहत आवेदन में शामिल किया जा सकता है;

(e) ऐसी विधि जिसमें सेक्शन 14 के उप-सेक्शन (4) के तहत स्थानीय स्तर की समिति अभिभाकत्व के लिए आवेदन प्राप्त करेगी, उन्हें निपटाएगी तथा उनपर निर्णय लेगी;

(f) सेक्शन 14 के उप-सेक्शन (5) के तहत आवेदन तथा स्थानीय स्तर की समिति द्वारा जारी आदेश के विवरण;

(g) पंजीकृत संगठनों के पूर्व-फंडिंग स्थिति के मूल्यांकन की प्रक्रिया तथा ऐसे पंजीकृत संगठनों के सेक्शन 19 के तहत निगरानी व मूल्यांकन के लिए दिशा-निर्देशों की रूप-रेखा;

(h) ऐसा समय जिसके भीतर वार्षिक आम बैठक की सूचना दी जाएगी तथा सेक्शन 20 के उप-सेक्शन (2) तथा (3) के तहत कोरम पूरा किया जाएगा; एवं,

(i) कोई अन्य मामला जिसे विनियमनों द्वारा प्रदान किया जाना हो, या जो विनियमनों द्वारा प्रदान किया जा सकता हो।

36. संसद के समक्ष प्रस्तुत किए जाने वाले नियन तथा विनियमन – इस अधिनियम के तहत निर्मित प्रत्येक नियम तथा विनियम अपने निर्माण के जितनी जल्द संभव हो, संसद के सत्र के दौरान उसके प्रत्येक सदन के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा, जो कुल तीस दिनों की अवधि के लिए प्रस्तुत किया जा सकता है, जिसमें एक सत्र या उसके बाद का सत्र शामिल हो सकता है, और यदि सत्र के समाप्त होने से तुरंत पहले या अगले सत्र में संसद के दोनों सदन नियम या विनियमन में किसी प्रकार के संशोधन पर सहमत होते हैं  या दोनों सदनों का यह विचार हो कि वह नियम या विनियम नहीं बनाया जाना चाहिए, अथवा उस नियमन या विनियम को केवल उस संसोधन के बाद ही प्रभाव में लाया जा सकता है, या उसका कोई प्रभाव नहीं होगा, (जैसी भी स्थिति हो) तब ऐसा कोई भी संशोधन या सुधार उस नियम या विनियमन के तहत पूर्व में संपन्न किसी भी कार्य के प्रति किसी वैधता पूर्वाग्रह से रहित होगा।

 

स्त्रोत: मानसिक विधि, न्याय तथा कंपनी मामलों का मंत्रालय

अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020



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