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शौचालय के प्रकार एवं अवयव

स्वच्छता की आवश्यकता

  • स्वच्छता का एक अर्थ आरोग्य विद्या हैं, स्वच्छता स्वास्थ्य का मूलभूत आधार है।
  • स्वच्छता का आशय, मात्र व्यक्तिगत स्वच्छता व्यवहारों को अपनाना और स्वयं को स्वस्थ्य रखने से ही नहीं है। वरन् एक व्यापक अर्थ में पूरे वातावरण को स्वच्छ रखने से हैं इसलिए आवश्यक हैं कि ग्राम में खुले में शौच की प्रथा को समाप्त किया जाए।
  • हम तभी सुरक्षित हैं जब कि पूरा गाँव खुले में शौच से मुक्त हो।
  • ग्राम में खुले में शौच की प्रथा को समाप्त करने के लिए घरेलू प्रक्रिया छोड़कर समुदाय आधारित प्रक्रिया अपनानी चाहिए।(पल्स पोलियो अभियान की तरह)
  • लोगों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने के लिए स्वच्छता आवश्यक है।
  • स्वच्छता अपनाने एवं वातावरण को स्वच्छ रखने से कुपोषण की दर, मातृत्व मृत्युदर एवं बाल मृत्युदर में कमी होती है।
  • स्थायी स्वच्छता के लिए गुणवत्तापरक सुविधाएँ, सही उपयोग की जानकारी एवं व्यवहार में परिवर्तन आवश्यक है।
  • स्वच्छता जिंदगी जीने का तरीका है और अच्छे एवं उत्तम स्वास्थ्य, लम्बी आयु, उचित पोषण और गुणवत्तापूर्ण जीवन में वृद्धि करने का साधन है।
  • स्वच्छता महिलाओं के सम्मान के लिए, सामाजिक प्रतिष्ठा के लिए भी आवश्यक है।
  • स्वच्छता सामाजिक स्वास्थ्य, मर्यादा एवं देश के सम्मान व गरिमा के लिए आवश्यक है।
  • स्वच्छता सामाजिक स्वास्थ्य, मर्यादा एवं देश के सम्मान व गरिमा के लिए आवश्यक है।

स्वच्छता के प्रमुख सात आयाम

  • पीने के पानी का रखरखाव एवं सुरक्षित उपयोग
  • बेकार पानी की निकासी
  • मानवमल का सुरक्षित निपटान
  • कूड़े-कचरे एवं गोबर का निपटान
  • घर एवं भोजन की स्वच्छता
  • व्यक्तिगत स्वच्छता
  • ग्रामीण स्वच्छता

स्वच्छता के सात आयामों को प्राप्त करने की प्रथम महत्त्वपूर्ण सीढ़ी

खुले में शौचसे पूर्णमुक्ति एवं शत प्रतिशत स्वच्छकर जलबन्द, लिच-पिट शौचालय का प्रयोग।

शौचालय के प्रकार एवं अवयव

स्वच्छकर शौचालय एवं अस्वच्छकर शौचालय।

स्वच्छकर शौचालय

मानव मल के समुचित निपटान का सबसे सुरक्षित साधन स्वच्छकर शौचालय हैं। खुला मानव मल संक्रमण फैलाने और बीमारियों का कारण है, और जब इसके साथ पानी, हवा और धूप का मिलान होता है तो यह और अधिक हानिकारक हो जाता है। सुरक्षित मानव मल का निपटान होना, जलस्रोत के प्रदूषण का मुख्य कारण है, क्योंकि यही मक्खी और अन्य कीटाणुओं के पनपने का आधार है एवं इनके द्वारा गन्दगी एवं किटाणु फैलते भी हैं।

जल-बन्द स्वच्छकर शौचालय एक ऐसा विकल्प है जो बीमारी पैदा करने वाले किटाणु को फैलने में अवरोध पैदा करता है, जिसमें मानवमल मक्खी के सम्पर्क में आता है, और मल का निष्पादन स्वच्छ तरीके से होता है। इससे वातावरण दूषित नहीं होता है। इस तरीके से जल-बंद शौचालय ही स्वच्छकर शौचालय का सबसे आसान विकल्प है।

ग्रामीण क्षेत्रों के लिए महत्वपूर्ण–स्वच्छकर जल-बंद शौचालय

  • ग्रामीण क्षेत्र में अधिकांश लोग खुले में शौच के लिए जाते हैं, जो सभ्य समाज के लिए शर्मनाक स्थिति है।
  • खुले में शौच करने वालों में बच्चों की संख्या भी बहुत अधिक है, बच्चों का मल भी एक वयस्क व्यक्ति के मल के समान नुकसानदायक है।
  • खुला मानव मल संक्रमण फैलाने और बीमारियों का कारण है, पानी, हवा और धूप के मिलान से यह और अधिक हानिकारक हो जाता है, क्योंकि यही मक्खी और अन्य कीटाणुओं के पनपने का आधार है।
  • सुरक्षित मानवमल का उचित निपटान होना, जलस्रोत के प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण है।
  • खुले में शौच की परम्परा महिलाओं को एकान्त प्रदान नहीं करती है। इसलिये उन्हें सूर्योदय के पहले या सूर्यास्त के बाद शौच के लिए जाना पड़ता है, और यदि बीच में आवश्यक हुआ तो उन्हें इसे रोकना पड़ता है, जो कि स्वास्थ्य के लिये हानिकारक है।
  • अधिकांशतः महिलाएं सुरक्षा की दृष्टि से समूह में खुले में शौच हेतु जाती हैं, जहाँ संक्रमण फैलने का खतरा अधिक होता है।
  • बूढ़े और बीमार व्यक्तियों को बाहर शौच के लिये जाना और भी कठिन है, विशेषकर बारिश के दौरान अथवा आपातकाल में स्थिति और खराब होती है।

स्वच्छकर जल-बंद शौचालय के मुख्य अवयव

स्त्रोत: श्री कृष्णा लोक प्रशासन संस्थान, इन्नोवेशन प्लानिंग मानिटरिंग यूनिट,रांची,झारखंड।

अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020



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