कुछ महिलाओं का गर्भ पूरे समय ठहर नहीं पाता है। कभी-कभी शरीर गर्भ को प्रतिक्रियात्मक रूप से, स्वयं ही गिरा देता है।इसे स्वत: गर्भपात कहते हैं (मिसकैरेज)। कुछ स्त्रियाँ गर्भ गिराने का फैसला करती हैं। उसे उत्प्रेरित गर्भपात कहते हैं। यह एक सोचा-समझा हुआ, नियोजित निर्णय होता है ।
गर्भपात कराने का फैसला हमेशा ही कठिन होता है । इस फैसले के निम्न कारण हो सकते हैं :
अनियोजित तथा अवांछित गर्भ के कारण
पति पत्नी दोनों गर्भ गर्भ धारण की प्रक्रिया से बिल्कुल अनजान हैं ।
स्वास्थ्यकर्मी यह सोचता है कि कुछ महिलाएं इन साधनों के उपयोग के लिए अभी कम आयु की हैं ।
महिलायों के साथ बलात संभोग किया जाता है ।
परिवार नियोजन के साधन उपलब्ध नहीं हैं या उन्हें ठीक से इस्तेमाल नहीं किया जाता है, या फिर विफल हो जाते हैं, या फिर जब तक उसे बच्चे पैदा करने के लिए विवश किया जाता है ।
गर्भपात कराना सुरक्षित रहता है, अगर
गर्भपात करना असुरक्षित होता है, अगर :
महत्त्वपूर्ण : न तो स्वयं अपनी योनि, या गर्भाशय में कोई वस्तु डालें और न ही किसी अप्रशिक्षित व्यक्ति को ऐसा करने दें । इससे आपकी जान जा सकती है ।
जब किसी महिला को अवांछित गर्भ ठहर जाता है, तो उसे सुरक्षित तथा क़ानूनी गर्भपात की स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध होनी चाहिए। लेकिन गर्भपात संबंधित कानून विभिन्न देशों में अलग-अलग हैं। भारत में एम.टी.पी. एक्ट में गर्भपात कराने की शर्तों का उल्लेख है।
विभिन्न कारणों से गर्भपात कराना अक्सर ही कठिन होता है। हो सकता है कि डॉक्टर तथा स्वास्थ्य कर्मियों को यह पता ही न हो कि वास्तव में इसके बारे में कानून क्या कहता है। वे खुले रूप से गर्भपात करने के लिए तैयार न हों, या फिर ऐसा करने के लिए काफी पैसा वसूल कर सकते हैं। हो सकता है महिलाओं को भी यह पता न हो कि उनके देश में गर्भपात कानून स्वीकृत, या उपलब्ध है ।
भारत में 1971 में एम.टी.पी. एक्ट – 1971 ( गर्भ समाप्ति कानून- 1971) के अन्तर्गत गर्भपात को कानूनी रूप से स्वीकार किया गया। इसके अंतर्गत उन परिस्थितियों को परिभाषित किया गया, जिनमें महिला गर्भ को समाप्त करा के अनावश्यक मृत्यु से बच सकती है । इस कानून के अंतर्गत गर्भपात करने की अनुमति है, अगर :
(क) गर्भ को जारी रखने से महिला के शारीरिक तथा मानसिक स्वास्थ्य को खतरे की आशंका हैं ।
(ख) यह खतरा हो कि पैदा होने वाले बच्चा गंभीर शारीरिक या मानसिक विकलांगताग्रस्त हो सकता है ।
(ग) गर्भ बलात्कार के परिणामस्वरूप हुआ है ।
(घ) गर्भ परिवार नियोजन साधन के विफल होने के कारण हुआ है ।
गैर कानूनी गर्भपात
कानून द्वारा निर्धारित परिसीमाओं से बाहर किया गया गर्भपात गैरकानूनी माना जाता है । अगर गर्भपात कानूनी रूप से नहीं किया गया है, तो गर्भपात करने वाली महिला तथा गर्भपात करने वाले, दोनों को गिरफ्तार किया जा सकता है। अधिकतर ऐसा नहीं होता है । लेकिन जहां गर्भपात क़ानूनी रूप से वैध नहीं है, वहां असुरक्षित गर्भधारण तथा असुरक्षित गर्भपात के कारण अनके महिलाएं मौत का शिकार हो जाती हैं। जो धनराशि महिलाओं को स्वास्थ्य सेवाएं की जटिलताओं का उपचार करने में लग जाती है।
भारत में, गर्भ की चिकित्सकीय समाप्ति, कानूनी रूप से गर्भ के शुरू के 12 सप्ताहों में सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त अस्पताल या लाईसेंसशुदा चिकित्सालय में, ऐसे पंजीकृत चिकित्सक द्वारा की जा सकती है, जिसे प्रसूति तथा महिला रोग विषय में प्रशिक्षण प्राप्त हो । शुरू के 12 सप्ताहों में गर्भपात कराना ही सुरक्षित रहता है । गर्भ की चिकित्सकीय समाप्ति क़ानूनी रूप से 12 सप्ताह के पश्चात, तुरंत 20 सप्ताह के पहले भी की जा सकती है । इसे द्वितीय त्रिमास का गर्भपात कहते हैं और यह महिलाओं के लिए अधिक जोखिमपूर्ण होता है । इसीलिए पहले प्रसूति तथा महिला रोग विषय में प्रशिक्षण प्राप्त दो पंजीकृत चिकित्सकों की सहमति आवशयक हैं । अगर गर्भ 20 सप्ताह से अधिक का है, तो एक केवल एक अच्छे उपकरणों वाले जिला अस्पताल, या उससे बड़े अस्पताल में ही किया जा सकता है । इसके लिए एक विशेष प्रक्रिया होती है ।
तदापि, वास्तविक रूप में, गर्भ की सुरक्षित रूप से चिकित्सकीय समाप्ति के सेवाएं अनके महिलाओं को, विशेषत: ग्रामीण क्षेत्रों में, या टोक उपलब्ध ही नहीं होती हैं, अथवा वे उनका उपयोग नहीं कर पाती हैं । परिणामस्वरूप उन्हें गैर क़ानूनी रूप से गर्भपात कराने को विवश होना पड़ता है । जब ये सुविधाएं उपलब्ध भी हों, तो यह महत्वपूर्ण है कि उनकी गुणवत्ता किस प्रकार की है । ये सेवाएं महिलाओं को परिवार नियोजन के साधन अपनाने की शर्तों के साथ नहीं (जैसा की भारत में प्राय: होता है) बल्कि मुक्त रूप से उपलब्ध होनी चाहिए ।
चाहे कानूनी हो या गैरकानूनी, सुरक्षित गर्भपात कराना एक कठिन कार्य हो सकता है, क्योंकि यह महंगा, आस पास उपलब्ध नहीं होता है, या फिर इसके बारे में नियम स्पष्ट नहीं हैं, अथवा इसके लिए अत्यधिक कागजी कार्यवाही करनी पड़ती है । इसे सामाजिक रूप से अच्छा नहीं समझा जाता है । इसके अतिरिक्त गर्भपात कराने वालों को एकांत और गोपनीयता नहीं मिलती हैं ।
इन कारणों से उन महिलाओं के लिए गर्भपात सुरक्षित रूप से करना कठिन हो जाता है, जो गरीब है, या स्वास्थ्य सेवाओं से भली भांति परिचित नहीं हैं । दुर्भाग्यवश अधिसंख्य स्थानों पर केवल वही महिलाएं सुरक्षित गर्भपात करा पाती है, जो निजी डॉक्टर की फीस देने में समर्थ हैं ।
भारत में कई भागों में बच्चे का लिंग यह निश्चित करता है कि वह जीएगा, या मरेगा । गर्भस्थ भ्रूण का लिंग पता करने के बाद गर्भपात तथा महिला भ्रूण हत्या जैसी अवैध क्रियाएं निष्पादित की जाती हैं । कई स्थानों पर लड़कियों को जन से तुरंत बाद मार दिया जाता है । अन्य अनके मामलों में गर्भस्थ शिशु का एक ऐसा विधि- ऐम्नीओसेन्टीसिस द्वारा लिंग पता कर लिया जाता है, जिसका, आम तौर पर गर्भस्थ बच्चे की वृद्धि, स्थिति तथा स्वास्थ्य के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए किया जाता है । इस विधि में एक लंबी सिरिज और सुई द्वारा गर्भ में शिशु के चारों ओर के एमनायोटिक द्रव्य की थोड़ी मात्रा निकल जाती है और इसका परीक्षण कर के यह पता लगया जाता है की बच्चा अस्वाभाविक या कमजोर तो नहीं है । इसी क्रिया के द्वारा 12 सप्ताह का गर्भ होते होते भ्रूण के लिंग का भी पता लगाया जा सकता है। यद्यपि यह परिक्षण काफी सीमा तक सामान्य तथा अल्पविकसित शिशुओं के जन्म की रोकथाम में समर्थ हैं, तदापि यह अनके लड़कियों के जन्म लेने से पहले ही उनकी हत्या के लिए भी जिम्मेवार हैं। इस प्रकार, ऐम्नीओसेन्टीसिस का आजकल गर्भस्थ शिशु का लिंग पता करने के लिए दुरूपयोग किया जाता है ।
अल्ट्रासाउंड एक और परिक्षण है, जिसका गर्भस्थ शिशु का लिंग ज्ञात करने के लिए दुरूपयोग किया जाता है, विशेषत: उस अवधि में, जब ऐम्नीओसेन्टीसिस से ऐसा संभव न हो। ऐसे परीक्षणों की लिखित रिपोर्ट भी नहीं दी जाती है। क्योंकि अल्ट्रासाउंड एक अनाक्रमक परिक्षण है, इसलिए यह काफी लोकप्रिय होता जा रहा है।
यह ध्यान रखने योग्य बात है कि कानूनी रूप से भारत में “प्री-नेटल डायग्नोस्टिक टेक्नीक(रेगुलेशन एंड प्रिवेशन आफ मिसयूज) एक्ट -1994 “ के अन्तर्गत जन्म से पहले गर्भस्थ शिशु का लिंग ज्ञात करना अपराध है।
गर्भपात कराने का आपका निर्णय प्राय: इस बात पर निर्भर करेगा कि आपके क्षेत्र में सुरक्षित गर्भपात कराने की सुविधाएं उपलब्ध हैं,या नहीं। यह इस पर भी निर्भर करता है कि गर्भपात, या पैदा होने वाला बच्चा आपके जीवन को किस प्रकार प्रभावित करेगा ।
इन प्रश्नों पर विचार करने से आपको निर्णय लेने में सहायता मिलेगी :
अगर आप किसी की गर्भपात कराने के लिए निर्णय लेने में सहायता कर रही हैं ,तो :
ध्यान रखिए कि उसे आपकी सम्माननीय सलाह तथा मैत्रीपूर्ण सहारे की आवश्यकता हैे। उसके इस निर्णय के बारे में किसी और को तब तक न बताएं, जब तक वह महिला स्वयं न चाहे ।
गर्भाशय से गर्भ गिराने के लिए प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मचारी निम्न तरीकों का उपयोग कर सकता है :
सक्शन द्वारा गर्भपात ( वैक्यूम एस्पिरेशन, एम.वी.ए.)
सक्शन द्वारा गर्भ गिराने के लिए एक विशेष ट्यूब (केनुला) को, योनि तथा गर्भाशय की ग्रीवा में से गुजरते हुए, गर्भाशय में डाला जाता है और इसे वैक्यूम मशीन से जोड़ कर गर्भ को खींच लिया जाता है । यह प्रक्रिया महिला को बेहोश किये बिना की जा सकती है, हालांकि कभी-कभी दर्द कम करने के लिए गर्भाशय ग्रीवा में दर्द नाशक दवाई का इंजेक्शन लगा दिया जाता है । जब वैक्यूम एस्पिरेशन हाथों से किया जाता है तो इसे “ मैन्युल वैक्यूम एस्पिरेशन” (एम.वी.ए.) कहते हैं । एक विशेष सीरिंग से गर्भ को बाहर खिंच लिया जाता है।
वैक्यूम एस्पिरेशन एक सरल और सुरक्षित तरीका है, जिसमें केवल 5-10 मिनट लगते हैं । इसे आम तौर पर किसी अस्पताल, या स्वस्थ्य केंद्र, या डॉक्टर के दवाखाने में किया जा सकता है । इस तरीके से गर्भपात कराना शुरू के तीन महीनों में बहुत आसान होता है, परंतु कभी-कभी इसका बाद के सप्ताहों में भी इस्तेमाल किया जा सकता है । इस तरीके से “डाईलेशन व क्यूरेटाज (डी.एंड.सी.)” की तुलना में जटिलताएं कम होती हैं ।
कुछ स्थानों पर एम.वी.ए. का उपयोग माहावारी की अनियमितता को ठीक करने कर लिए भी किया जाता है । महिला को यह पता भी न हो कि वह गर्भवती है।
सिर्फ उसकी माहावारी आने में देर हो गयी हो । इसे मासिक चक्र नियमतिकरण (एम.आर) कहते हैं ।
खुरच कर गर्भपात करना (“डाईलेशन और क्यूरेटाज”, डी.एंड सी.)
गर्भ के बचेखुचे हिस्से को क्यूरेटर नामक एक उपकरण से खुरच कर निकाल दिया जाता है । क्यूरेटर एक चम्मच के आकार का, छोटा सा उपकरण होता है, जो विशेष रूप से गर्भाशय में डालने के लिए ही बनाया गया है । कैनुला की तुलना में क्यूरेटर अधिक लंबा होता है और क्योंकि यह अधिक पैना होता है, इसलिए इसे डालने से पहले गर्भाशय की ग्रीवा को चौड़ा करना आवश्यक है । इस प्रक्रिया में थोडा दर्द हो सकता है ।
डी. एंड सी. को करने में अधिक समय (15-20 मिनट) लगता है । यह थोड़ी दर्दनाक प्रक्रिया है अरु वैक्यूम एस्पिरेशन के मुकाबले इसमें अधिक खर्च आता है । इसे आम तौर पर शल्य क्रिया कक्ष में और महिला को बेहोश करने के बाद ही किया जाता है ।
औषधिय द्वारा गर्भपात (चिकित्सकीय गर्भपात)
आजकल कुछ देशों में डोक्टरों तथा स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा गर्भपात करने के लिए कुछ दवाईयों का उपयोग किया जाता है । कुछ ऐसी खबरे भी मिली हैं कि वास्तव में, गर्भपात कराने के नाम पर, इन दवाईयों का दुरूपयोग किया जा रहा है । ये मां तथा बच्चे के लिए अत्यंत खतरनाक हो सकती है ।
यह बाताना हमेशा आसान नहीं होता है कि गर्भपात सुरक्षित होगा, या नहीं । जहां गर्भपात कराना हैं, वहां जाने का प्रयास करें, या किसी ऐसी महिला से ये सब प्रश्न पूंछे, जो पहले जा चुकी हो :
महत्वपूर्ण बात
गर्भपात कराना इन पारिस्थियों में अधिक खतरनाक हो सकता है, अगर -
अपूर्ण गर्भपात
अपूर्ण गर्भपात उसे कहते हैं जब गर्भपात के पश्चात भी गर्भ का कोई अंश गर्भाशय में रह जाए । इसके लक्षण हैं : गर्भपात के एक दिन के पश्चात भी भारी खून जाना, पेट में मरोड़ वाला दर्द होना तथा योनि से खून के थक्के, या टुकड़े जाना । अगर ऐसा होता है, तो गर्भ को पूरी तरह से साफ़ कराने के लिए तुरंत किसी अस्पताल जाएं । अगर आप ऐसा नहीं करती हैं, तो आपको गंभीर जटिलताएं हो सकती है और आपकी मृत्यु भी हो सकती है । तत्कालीक जटिलताओं में गंभीर संक्रमण के कारण शरीर में जहर फ़ैल जाना । गर्भाशय फट जाना, सदमा या मृत्यु होना सम्मिलित हैं । दीर्घकालीन जटिलताओं में फैलोपियन नलिकाओं में गर्भ ठहरना (एक्टोपिक गर्भ ) तथा संतानहीनता हो सकती है ।
सुरक्षित गर्भपात, विशेषत: एम.बी.ए द्वारा, स्वास्थ्य केंद्रों तथा अस्पतालों, दोनों में ही किये जाते हैं । ‘डी. एंड सी.’ द्वारा गर्भपात प्राय: अस्पतालों में ही किया जाता है । दवाइयों द्वारा गर्भपात केवल ऐसे स्वास्थ्य केंद्रों तथा अस्पतालों में ही किया जाना चाहिए, जहां एम.बी.ए. तथा डी.एंड सी. की सभी सुविधा हो । तदापि इस तरीके के अपने खतरे हैं और इसके बारे में फैसला करने से पहले उन पर विचार करना चाहिए ।
जब आप गर्भपात के लिए किसी स्वास्थ्य केंद्र या अस्पातल में जाएं , तो वहां आपका सम्मान व स्वागत होना चाहिए । किसी परामर्शदाता को आपके निर्णय के बारे में, आपसे बातचीत करनी चाहिए और गर्भपात के लिए उपयोग किए जाने वाले तरीकों तथा खतरों के बारे में उसे आपको बताना चाहिए ।
नीचे दिया गया विवरण आपको यह बताता है कि आप सुरक्षित गर्भपात के दौरान क्या आशा कर सकती है । इनसे भिन्न गर्भपात खतरनाक हो सकता है ।
इसके अलावा, किसी को आपके साथ परिवार नियोजन के साधनों की चर्चा करनी चाहिए । आप गर्भपात वाले दिन से ही कोई साधन इस्तेमाल कर सकती हैं । गर्भपात के 1-2 सप्ताह बाद जांच के लिए आपको तारीख और समय दिया जाना चाहिए ।
गर्भपात के पश्चात गर्भ धारण के लक्षण, जैसे जी मितलाना, या स्तनों में दर्द, एक दिन के अंदर ही समाप्त हो जाने चाहिए । अगर असा नहीं होता है तो हो सकता है की गर्भाशय में या फैलोपियन नलिकाओं में नसे एक में, आपका गर्भ अभी भी जारी है । यह एक आपातकालीन स्थिति हैं । तुरंत किसी डॉक्टर को दिखाएं ।
गर्भपात के पश्चात आप थकावट महसूस कर सकती हैं और एक दिन बाद तक पेट में दर्द हो सकता है । 2 सप्ताह तक योनि से थोडा खून भी जा सकता है । लेकिन पहले माहवारी गर्भपात के यह रक्त स्त्राव बहुत हल्का हो जाना चाहिए । आपकी सामान्य, निमयित माहवारी गर्भपात के 4-6 सप्ताह बाद शुरू हो जानी चाहिए । अगर आपका गर्भ 5-6 महीने से अधिक का है, तो इसमें और भी देरी हो सकती है ।
अगर गर्भपात से पहले किसी से बात नहीं कर पायी तो अब किसी से बात करें । अपनी भावनाओं के बारे में किसी विश्वसनीय व्यक्ति से बात कर के आप हल्का तथा अच्छा महसूस करेंगी ।
अगर आपको इनमें से कोई भी लक्षण नजर आ रहा है तो शिग्रताशील चिकित्सा सहायता प्राप्त करें :
गर्भपात के पश्चात आप फिर से, जल्दी ही, यहां तक कि 2 सप्ताह के अंदर गर्भवती हो सकती हैं । परिवार नियोजन के बहुत से साधनों को अपना असर दिखने में समय लगता है । इसलिए, जितनी जल्दी हो सके, किसी से परिवार नियोजन के बारे में चर्चा करें और इनमें से कोई भी साधन इस्तेमाल करना शुरू कर दें ।
याद रखें : गर्भपात को परिवार नियोजन के विकल्प के रूप में उपयोग नहीं करना चाहिए ।
गर्भपात के पश्चात खतरे के एक भी लक्षण से पीड़ित महिला को तुरंत चिकित्सकीय सहायता की आवश्यकता होती है । उसे तुरतं किसी स्वास्थ्य केंद्र या अस्पताल जा कर अपना उपचार कराना चाहिए । ऐसे मामलों में अधिकतर वैक्यूम एस्पिरेशन या डी.एंड सी का उपयोग कर के गर्भाशय की संपूर्ण सफाई की जाती है । इसी बीच, अगर वाहन, या चिकित्सा सहायता मिलने में देर होती है, तो ये जानकारी बहुत सहायक हो सकती है ।
योनि से अत्यधिक रक्त स्त्राव
गर्भपात के पश्चात अत्यधिक रक्त स्त्राव होना एक आम समस्या हैं । यह आम तौर पर गर्भाशय में गर्भ के कुछ अंश रह जाने के कारण होती है । गर्भाशय अपने आपको सिकोड़ कर बंद नहीं कर पाता है और खून जाना प्राय: बंद हो जाता है । कभी-कभी गर्भाशय की ग्रीवा में चिराव रोकने के लिए गर्भाशय की ग्रीवा में टांके लगाना आवश्यक है ।
जब कोई महिला 30 मिनट से भी कम समय में कोई पैड या कपड़े से ताजे खून से भिगो ले, तो कहा जाता है कि उसे अधिक खून जा रहा है । जब ऐसा हो, तो थोड़े ही समय में वह अत्यधिक रक्त खो बैठती है, जो वाहन का प्रबंध होने तक, खून के बहने को बंद करने का प्रयास करें ।
खून बहना रोकने के लिए
ऐसी महिला, जिसे बहुत खून जा रहा है, अपने गर्भाशय को सिकोड़ कर सख्त करने के लिए उसकी मालिश कर सकती है । वह इसे या तो स्वयं कर सकती है, या किसी से करवा सकती है । ऐसा करने के लये पीठ के बल लेट कर, या टांगों पर बैठ कर, पेट के निचले भाग को कड़ाई से दबाएं या उसकी मालिश करें ।
अगर गर्भाशय या उसकी ग्रीवा में कोई गर्भ का अंश फंसा रह गया है, तो वह टांगों पर उकडू बैठ कर कुछ इस प्रकार जोर लगाने से स्वयं ही निकलने में सफल हो सकती है, जैसे शौच करने या प्रसव के समय जोर लगाया जाता है ।
अगर इन तरीकों से बात बनती नजर आ रही हो, तो शीघ्रातिशीघ्र चिकित्सकीय सहायता प्राप्त करें । महिला को एंटीबायोटिक्स की जरुरत पड़ेगी तथा इनके बावजूद भी उसे गर्भाशय की सफाई की आवश्यकता पड़ सकती है ।
अत्यधिक रक्त स्त्राव के लिए आपातकालीन सहायता
जब तक गर्भाशय की सफाई नहीं हो जाती है, तब तक कोई प्रशिक्षित दाई, जो पेल्विक परिक्षण करने में सक्षम हो, इन उपायों को पालन कर के खून बहने को बंद करने का प्रयास कर सकती हैं :
महत्वपूर्ण :
क्योंकि महिला के गर्भाशय की ग्रीवा खुली हुई होती है, इसलिए उसकी योनि के अंदर कुछ भी डालना खतरनाक हो सकता है । ऐसा करने से उसे गंभीर संक्रमण हो सकता है । निम्नलिखित क़दमों को तभी उठायें जब रक्त इतना अधिक हो कि महिला की जान को खतरा है । यह जानने के लिए कि रक्त स्त्राव को अधिक कब मानते हैं,
अगर वह होश में है, तो उसे तरल पदार्थ अधिक मात्रा में पीने को दें ।उसे तुरंत अस्पताल ले जाएं, चाहे आप सोचती हैं कि आपने गर्भ के सारे टुकड़े निकाल दिये हैं और खून जाना बंद हो गया है । उसके गर्भाशय की सफाई करना फिर भी आवश्यक है । अगर खून बहना बंद नहीं होता है, तो अस्पताल ले जाते समय भी उसके पेट के निचले भाग की मालिश करती रहें ।
शॉक जान के लिए एक खतरनाक स्थिति हैं, जो अधिक खून बह जाने से उत्पन्न हो सकती है । शरीर के अंदर रक्त स्त्राव से भी शॉक हो सकता है ।
लक्षण :
अगर रोगी होश में हैं तो कैसा करें :
अगर वह बेहोश है तो ऐसा करें :
स्वास्थ्यकर्मी की प्रतीक्षा न कीजिए । शॉक से पीड़ित महिला को तुरंत नजदीक डॉक्टर या अस्पताल ले जाइए । उसे चिकित्सकीय सहायता की तुरंत आवश्यकता है ।
अगर गर्भपात आखिरी माहवारी की तारीख के 12 सप्ताह (3 महीने) से पहले किया गया है और अगर संक्रमण हो गया है, तो आशा यही है कि वह मामूली होगा ।
गंभीर संक्रमण वह होता है, जो खून में फैल गया हो । महिला को गंभीर संक्रमण की आशंका तब होती है, जब गर्भपात 3 या 4 महीने के बाद किया गया हो, या गर्भपात के दौरान गर्भाशय को कोई चोट पहुंची हो । गंभीर संक्रमण बहुत खतरनाक होता है और इससे शॉक भी हो सकता है ।
संक्रमण के कारण :
मामूली संक्रमण के लक्षण :
मामूली संक्रमण का उपचार :
मामूली संक्रमण गंभीर रूप धारण न कर ले, इसके लिए जरूरी है कि तुरंत नीचे बतायी गई दवाईयों से इसका उपचार करें । आम तौर पर महिला को एक से अधिक दवाईयों की आवश्यकता पड़ती है, क्योंकि गर्भपात के पश्चात का संक्रमण कई प्रकार के कीटाणुओं से हो सकता है । अगर ये दवाईयां उपलब्ध नहीं हैं, तो अन्य काम आ सकने वाली वैकल्पिक दवाईयों के लिए इस पुरस्तक के हरे पृष्ट देखिए ।
जो महिला स्तनपान करा रही हो, उसे केवल वे दवाईयां दी जानी चाहिए जो प्रसव के पश्चात होने वाले गर्भपात के संक्रमणों के उपचार के लिए दी जाती है ।
गंभीर संक्रमण के लक्षण :
गंभीर संक्रमण के उपचार
आतंरिक चोट (शरीर के अंदर चोट)
गर्भपात में शरीर के अंदर चोट आम तौर पर ऐसे नुकीले/ पैने औजारों से लगती है, जो गर्भाशय में आर पार हो कर छेद बना देतें हैं । इस तरह की कोई वस्तु शरीर के अन्य आतंरिक अंगों, जैसे फैलोपियन नलिकाओं, आंतों तथा मूत्राशय, को भी चोट पहुंचा सकती है ।
जब किसी महिला को आतंरिक चोट हों, तो उसके शरीर के अंदर काफी खून बह सकता है । लेकिन योनि से कोई रक्त स्त्राव नहीं होता है ।
इनमें से एक या सारे लक्षण हो सकते हैं :
बेहोशी या मूर्छित होना
गर्भपात के पश्चात बेहोश होना, अधिक खून बह जाने, आंतरिक अंगों की अत्यधिक चोटों, या संक्रमण के कारण, शॉक का लक्षण हो सकता है । अगर कोई महिला मूर्छित हो जाती है, तो उसे पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ पीने को दें और उसकी हालत पर निगाह रखें ।
यहां कुछ ऐसे कार्यों का विवरण दिया जा रहा है, जिन्हें कोई भी महिला, या महिलाओं का समूह, किसी समुदाय में गर्भपात के कारण होने वाली रुग्णता तथा मौतों को रोकने के लिए, कर सकता है :
आपकी सहायता चाहने वाले महिला :
गर्भपात कराने वाली बहुत सी महिलाओं को कोई सुविधा देने से इंकार कर दिया जाता है, या उनके साथ दुव्यर्वहार किया जाता है । कईयों को उनकी इस करतूत के लिए शर्मिंदा किया जाता है और दंड के रूप में उन पर ध्यान नहीं दिया जाता है । आपके व्यक्तिगत विचार कुछ भी हों, गर्भपात कराने वाली महिलाओं के विषय में कोई राय नहीं बनाएं, बल्कि उनके साथ मैत्रीपूर्ण व्यवहार करें और उनसे सहानभूति रखें । हममें से किसी को भी, जीवन में कभी न कभी ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ सकता है । दूसरी महिलाओं के साथ वैसा ही व्यवहार करें, जैसा आप स्वयं, या अपनी बेटी के साथ चाहती हैं ।
स्रोत: राज्य सरकार, विहाई व स्वास्थ्य विभाग।
अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020
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