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महिला स्वास्थ्य व गर्भपात

महिला स्वास्थ्य व गर्भपात

भूमिका

 

गर्भपात कुछ महिलाओं का गर्भ पूरे समय ठहर नहीं पाता है। कभी-कभी शरीर गर्भ को प्रतिक्रियात्मक रूप से, स्वयं ही गिरा देता है।इसे स्वत: गर्भपात कहते हैं (मिसकैरेज)। कुछ स्त्रियाँ गर्भ गिराने का फैसला करती हैं। उसे उत्प्रेरित गर्भपात कहते हैं। यह एक सोचा-समझा हुआ, नियोजित निर्णय होता है ।

गर्भपात कराने का फैसला हमेशा ही कठिन होता है । इस फैसले के निम्न कारण हो सकते हैं :

  1. गर्भ धारण से मां का स्वास्थ्य, या उसकी जान को खतरा है। होने वाले बच्चे को कोई गंभीर विकलांगता होने का संदेह है।बलात्कार के बाद गर्भ ठहर जाना।
  2. परिवार नियोजन के साधन की विफलता।
  3. अन्य बच्चे अभी बहुत छोटे हैं।
  4. पहले ही परिवार के बच्चों की संख्या पर्याप्त है ।
  5. माता-पिता को बच्चा नहीं चाहिए ।
  6. कोई महिला को गर्भपात कराने के लिए विवश कर रहा है ।

अनियोजित तथा अवांछित गर्भ के कारण

पति पत्नी दोनों गर्भ गर्भ धारण की प्रक्रिया से बिल्कुल अनजान हैं ।
स्वास्थ्यकर्मी यह सोचता है कि कुछ महिलाएं इन साधनों के उपयोग के लिए अभी कम आयु की हैं ।
महिलायों के साथ बलात संभोग किया जाता है  ।
परिवार नियोजन के साधन उपलब्ध नहीं हैं या उन्हें ठीक से इस्तेमाल नहीं किया जाता है, या फिर विफल हो जाते हैं, या फिर जब तक उसे बच्चे पैदा करने के लिए विवश किया जाता है ।

सुरक्षित तथा असुरक्षित गर्भपात

गर्भपात कराना सुरक्षित रहता है, अगर

  1. एक कुशल तथा अनुभवी डॉक्टर के द्वारा किया जाए।
  2. उचित उपकरणों का इस्तेमाल किया जाए।
  3. स्वच्छ वातावरण हो। ऐसी कोई भी वस्तु,जो योनि तथा गर्भाशय में डाली जाती है,वह पूर्णतया कीटाणुरहित होनी चाहिए।
  4. अंतिम माहवारी की तिथि के 3 महीने (12 सप्ताह) के अंदर किया गया है।
  5. सरकार द्वारा मान्यताप्राप्त. लाइसेंसशुदा चिकित्सालय में किया जाए।

गर्भपात करना असुरक्षित होता है, अगर :

  1. किसी ऐसे व्यकित द्वारा किया जाए, जो इसके लिए प्रशिक्षित न हो।
  2. गलत औजारों, या दवाईयों से किया जाए।
  3. गंदे वातावरण में किया जाए।
  4. मान्य संस्थानों पर न किया जाए।
  5. 3 महीनों (12 सप्ताह) के गर्भ धारण के पश्चात कराया जाए, जब तक कि विशेष उपकरणों वाले अस्पताल, या स्वास्थ्य केंद्र में न हो।

असुरक्षित गर्भपात से मृत्यु

  • पूरे विश्व में प्रतिवर्ष उत्प्रेरित गर्भपात किये जाते हैं। अधिसंख्य स्त्रियां इनसे बच जाती हैं, चाहे वे गैरकानूनी ढंग से ही क्यों न किये गए हों। लेकिन असुरक्षित गर्भपातों से मृत्यु या संक्रमण, लगातार रहने वाला दर्द तथा संतानहीनता जैसी जटिलताएं हो सकती हैं। बेहद परेशानी या हताशा में महिलाएं गर्भ को समाप्त करने का कोई न कोई साधन ढूंढने का प्रयत्न करती हैं। उन्हें नीचे वर्णित तरीकों से एकदम बचना चाहिए। ये बहुत खतरनाक हो सकते हैं ।
  • योनि या गर्भाशय में छड़ी, पिन, तार जैसी पैनी वस्तुएं, या प्लास्टिक की नली कदापि न डालें । ये गर्भाशय को चीर सकती है और खतरनाक रक्तस्राव तथा संक्रमण हो सकता है ।
  • गर्भाशय, या योनि में जड़ी-बूटियां, पौधे, या उनके रस कभी न डालें । ये उनमें बुरी तरह से जलन पैदा कर सकते हैं, जिससे क्षति, संक्रमण या रक्तस्त्राव हो सकता है।
  • ब्लीच, राख, साबुन या मिटटी का तेल जैसे पदार्थों को न पिएं और न ही, इन्हें योनि, गर्भाशय में डालें।
  • पारंपरिक उपचारों, या औषधियों की काफी मात्रा पी कर, या उन्हें योनि, अथवा गर्भाशय में डाल कर गर्भपात कराने का प्रयास बिल्कुल न करें। उदाहरण के तौर पर क्लोरोक्वीन (मलेरिया की दवाई) या प्रसव के पश्चात खून बहना रोकने के लिए दी जाने वाली दवाई अरगोमीट्रिन, ऑक्सीटोसिन की अधिक खुराक ले कर गर्भपात कराने के प्रयास से आपकी जान भी जा सकती है।
  • अपने पेट के चोट पहुंचा कर, या अपने आप को सीढ़ियों से गिरा कर गर्भपात कराने की कोशिश न करें। इससे गर्भपात तो होगा नहीं, पर आपको अंदुरुनी चोट या आतंरिक रक्त स्त्राव अवश्य हो जाएगा ।

महत्त्वपूर्ण : न तो स्वयं अपनी योनि, या गर्भाशय में कोई वस्तु डालें और न ही किसी अप्रशिक्षित व्यक्ति को ऐसा करने दें । इससे आपकी जान जा सकती है ।

सुरक्षित गर्भपात की उपलब्धता

जब किसी महिला को अवांछित गर्भ ठहर जाता है, तो उसे सुरक्षित तथा क़ानूनी गर्भपात की स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध होनी चाहिए। लेकिन गर्भपात संबंधित कानून विभिन्न देशों में अलग-अलग हैं। भारत में एम.टी.पी. एक्ट में गर्भपात कराने की शर्तों का उल्लेख है।

विभिन्न कारणों से गर्भपात कराना अक्सर ही कठिन होता है। हो सकता है कि डॉक्टर तथा स्वास्थ्य कर्मियों को यह पता ही न हो कि वास्तव में इसके बारे में कानून क्या कहता है। वे खुले रूप से गर्भपात करने के लिए तैयार न हों, या फिर ऐसा करने के लिए काफी पैसा वसूल कर सकते हैं। हो सकता है महिलाओं को भी यह पता न हो कि उनके देश में गर्भपात कानून स्वीकृत, या उपलब्ध है ।

भारत में 1971 में एम.टी.पी. एक्ट – 1971 ( गर्भ समाप्ति कानून- 1971) के अन्तर्गत गर्भपात को कानूनी रूप से स्वीकार किया गया। इसके अंतर्गत उन परिस्थितियों को परिभाषित किया गया, जिनमें महिला गर्भ को समाप्त करा के अनावश्यक मृत्यु से बच सकती है । इस कानून के अंतर्गत गर्भपात करने की अनुमति है, अगर :

(क) गर्भ को जारी रखने से महिला के शारीरिक तथा मानसिक स्वास्थ्य को खतरे की आशंका हैं ।

(ख) यह खतरा हो कि पैदा होने वाले बच्चा गंभीर शारीरिक या मानसिक विकलांगताग्रस्त हो सकता है ।

(ग) गर्भ बलात्कार के परिणामस्वरूप हुआ है ।

(घ) गर्भ परिवार नियोजन साधन के विफल होने के कारण हुआ है ।

गैर कानूनी गर्भपात

कानून द्वारा निर्धारित परिसीमाओं से बाहर किया गया गर्भपात गैरकानूनी माना जाता है । अगर गर्भपात कानूनी रूप से नहीं किया गया है, तो गर्भपात करने वाली महिला तथा गर्भपात करने वाले, दोनों को गिरफ्तार किया जा सकता है। अधिकतर ऐसा नहीं होता है । लेकिन जहां गर्भपात क़ानूनी रूप से वैध नहीं है, वहां असुरक्षित गर्भधारण तथा असुरक्षित गर्भपात के कारण अनके महिलाएं मौत का शिकार हो जाती हैं। जो धनराशि महिलाओं को स्वास्थ्य सेवाएं की जटिलताओं का उपचार करने में लग जाती है।

गर्भ की क़ानूनी/ चिकित्सकीय समाप्ति

भारत में, गर्भ की चिकित्सकीय समाप्ति, कानूनी रूप से गर्भ के शुरू के 12 सप्ताहों में सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त अस्पताल या लाईसेंसशुदा चिकित्सालय में, ऐसे पंजीकृत चिकित्सक द्वारा की जा सकती है, जिसे प्रसूति तथा महिला रोग विषय में प्रशिक्षण प्राप्त हो । शुरू के 12 सप्ताहों में गर्भपात कराना ही सुरक्षित रहता है । गर्भ की चिकित्सकीय समाप्ति क़ानूनी रूप से 12 सप्ताह के पश्चात, तुरंत 20 सप्ताह के पहले भी की जा सकती है । इसे द्वितीय त्रिमास का गर्भपात कहते हैं और यह महिलाओं के लिए अधिक जोखिमपूर्ण होता है । इसीलिए पहले प्रसूति तथा महिला रोग विषय में प्रशिक्षण प्राप्त दो पंजीकृत चिकित्सकों की सहमति आवशयक हैं । अगर गर्भ 20 सप्ताह से अधिक का है, तो एक केवल एक अच्छे उपकरणों वाले जिला अस्पताल, या उससे बड़े अस्पताल में ही किया जा सकता है । इसके लिए एक विशेष प्रक्रिया होती है ।

तदापि, वास्तविक रूप में, गर्भ की सुरक्षित रूप से चिकित्सकीय समाप्ति के सेवाएं अनके महिलाओं को, विशेषत: ग्रामीण क्षेत्रों में, या टोक उपलब्ध ही नहीं होती हैं, अथवा वे उनका उपयोग नहीं कर पाती हैं । परिणामस्वरूप उन्हें गैर क़ानूनी रूप से गर्भपात कराने को विवश होना पड़ता है । जब ये सुविधाएं उपलब्ध भी हों, तो यह महत्वपूर्ण है कि उनकी गुणवत्ता किस प्रकार की है । ये सेवाएं महिलाओं को परिवार नियोजन के साधन अपनाने की शर्तों के साथ नहीं (जैसा की भारत में प्राय: होता है) बल्कि मुक्त रूप से उपलब्ध होनी चाहिए ।

सुरक्षित गर्भपात कराने में अन्य अड़चनें

चाहे कानूनी हो या गैरकानूनी, सुरक्षित गर्भपात कराना एक कठिन कार्य हो सकता है, क्योंकि यह महंगा, आस पास उपलब्ध नहीं होता है, या फिर इसके बारे में नियम स्पष्ट नहीं हैं, अथवा इसके लिए अत्यधिक कागजी कार्यवाही करनी पड़ती है । इसे सामाजिक रूप से अच्छा नहीं समझा जाता है । इसके अतिरिक्त गर्भपात कराने वालों को एकांत और गोपनीयता नहीं मिलती हैं ।

इन कारणों से उन महिलाओं के लिए गर्भपात सुरक्षित रूप से करना कठिन हो जाता है, जो गरीब है, या स्वास्थ्य सेवाओं से भली भांति परिचित नहीं हैं । दुर्भाग्यवश अधिसंख्य स्थानों पर केवल वही महिलाएं सुरक्षित गर्भपात करा पाती है, जो निजी डॉक्टर की फीस देने में समर्थ हैं ।

ऐम्नीओसेन्टीसिस

भारत में कई भागों में बच्चे का लिंग यह निश्चित करता है कि वह जीएगा, या मरेगा । गर्भस्थ भ्रूण का लिंग पता करने के बाद गर्भपात तथा महिला भ्रूण हत्या जैसी अवैध क्रियाएं निष्पादित की जाती हैं । कई स्थानों पर लड़कियों को जन से तुरंत बाद मार दिया जाता है । अन्य अनके मामलों में गर्भस्थ शिशु का एक ऐसा विधि- ऐम्नीओसेन्टीसिस द्वारा लिंग पता कर लिया जाता है, जिसका, आम तौर पर गर्भस्थ बच्चे की वृद्धि, स्थिति तथा स्वास्थ्य के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए किया जाता है । इस विधि में एक लंबी सिरिज और सुई द्वारा गर्भ में शिशु के चारों ओर के एमनायोटिक द्रव्य की थोड़ी मात्रा निकल जाती है और इसका परीक्षण कर के यह पता लगया जाता है की बच्चा अस्वाभाविक या कमजोर तो नहीं है । इसी क्रिया के द्वारा 12 सप्ताह का गर्भ होते होते भ्रूण के लिंग का भी पता लगाया जा सकता है। यद्यपि यह परिक्षण काफी सीमा तक सामान्य तथा अल्पविकसित शिशुओं के जन्म की रोकथाम में समर्थ हैं, तदापि यह अनके लड़कियों के जन्म लेने से पहले ही उनकी हत्या के लिए भी जिम्मेवार हैं। इस प्रकार, ऐम्नीओसेन्टीसिस का आजकल गर्भस्थ शिशु का लिंग पता करने के लिए दुरूपयोग किया जाता है ।

अल्ट्रासाउंड

अल्ट्रासाउंड एक और परिक्षण है, जिसका गर्भस्थ शिशु का लिंग ज्ञात करने के लिए दुरूपयोग किया जाता है, विशेषत: उस अवधि में, जब ऐम्नीओसेन्टीसिस से ऐसा संभव न हो। ऐसे परीक्षणों की लिखित रिपोर्ट भी नहीं दी जाती है। क्योंकि अल्ट्रासाउंड एक अनाक्रमक परिक्षण है, इसलिए यह काफी लोकप्रिय होता जा रहा है।

यह ध्यान रखने योग्य बात है कि कानूनी रूप से भारत में “प्री-नेटल डायग्नोस्टिक टेक्नीक(रेगुलेशन एंड प्रिवेशन आफ मिसयूज) एक्ट -1994 “ के अन्तर्गत जन्म से पहले गर्भस्थ शिशु का लिंग ज्ञात करना अपराध है।

गर्भपात कराने का निर्णय लेना

गर्भपात कराने का आपका निर्णय प्राय: इस बात पर निर्भर करेगा कि आपके क्षेत्र में सुरक्षित गर्भपात कराने की सुविधाएं उपलब्ध हैं,या नहीं। यह इस पर भी निर्भर करता है कि गर्भपात, या पैदा होने वाला बच्चा आपके जीवन को किस प्रकार प्रभावित करेगा ।

इन प्रश्नों पर विचार करने से आपको निर्णय लेने में सहायता मिलेगी :

  1. क्या आप आने वाले बच्चे का ठीक से ध्यान रख पाएंगी ?
  2. क्या आपके पास उस बच्चे को पालने के लिए पर्याप्त पैसा है ?
  3. क्या गर्भधारण से आपके स्वास्थ्य को कोई खतरा है ?
  4. क्या आपके पति ऐसे हैं, जो बच्चे के पालन-पोषण में आपका हाथ बटायेंगे ?
  5. क्या आप अपने निर्णय के बारे में उससे चर्चा कर सकती हैं ?
  6. क्या आपका धर्म, या परिवार गर्भपात के खिलाफ है ? अगर हाँ, तो गर्भपात कराने पर आपको कैसा लगेगा ?
  7. गर्भपात किस प्रकार किया जाएगा ?
  8. आपका गर्भ कितने सप्ताह का है ?
  9. क्या इसकी संभावना है कि आप किसी यौन रोग से पीड़ित हो सकती हैं ? अगर आपको लगता है कि आपको इनका जोखिम है, तो ऐसे में आपको गर्भपात कराने से पहले उपचार कराना होगा ।
  10. गर्भपात कराने में के समस्या, या जटिलताएं हो सकती हैं ।
  11. अगर आपको कोई समस्या होती है, तो आप आपातकालीन सेवा के लिए कहां जा सकती हैं और वहां कैसे पहुंचेगी ?

अगर आप किसी की गर्भपात कराने के लिए निर्णय लेने में सहायता कर रही हैं ,तो :

ध्यान रखिए कि उसे आपकी सम्माननीय सलाह तथा मैत्रीपूर्ण सहारे की आवश्यकता हैे। उसके इस निर्णय के बारे में किसी और को तब तक न बताएं, जब तक वह महिला स्वयं न चाहे ।

गर्भपात के सुरक्षित तरीके

गर्भाशय से गर्भ गिराने के लिए प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मचारी निम्न तरीकों का उपयोग कर सकता है :

सक्शन द्वारा गर्भपात ( वैक्यूम एस्पिरेशन, एम.वी.ए.)

सक्शन द्वारा गर्भ गिराने के लिए एक विशेष ट्यूब (केनुला) को, योनि तथा गर्भाशय की ग्रीवा में से गुजरते हुए, गर्भाशय में डाला जाता है और इसे वैक्यूम मशीन से जोड़ कर गर्भ को खींच लिया जाता है । यह प्रक्रिया महिला को बेहोश किये बिना की जा सकती है, हालांकि कभी-कभी दर्द कम करने के लिए गर्भाशय ग्रीवा में दर्द नाशक दवाई का इंजेक्शन लगा दिया जाता है । जब वैक्यूम एस्पिरेशन हाथों से किया जाता है तो इसे “ मैन्युल वैक्यूम एस्पिरेशन” (एम.वी.ए.) कहते हैं । एक विशेष सीरिंग से गर्भ को बाहर खिंच लिया जाता है।

वैक्यूम एस्पिरेशन एक सरल और सुरक्षित तरीका है, जिसमें केवल 5-10 मिनट लगते हैं । इसे आम तौर पर किसी अस्पताल, या स्वस्थ्य केंद्र, या डॉक्टर के दवाखाने में किया जा सकता है । इस तरीके से गर्भपात कराना शुरू के तीन महीनों में बहुत आसान होता है, परंतु कभी-कभी इसका बाद के सप्ताहों में भी इस्तेमाल किया जा सकता है । इस तरीके से “डाईलेशन व क्यूरेटाज (डी.एंड.सी.)” की तुलना में जटिलताएं कम होती हैं ।

कुछ स्थानों पर एम.वी.ए. का उपयोग माहावारी की अनियमितता को ठीक करने कर लिए भी किया जाता है । महिला को यह पता भी न हो कि वह गर्भवती है।

सिर्फ उसकी माहावारी आने में देर हो गयी हो । इसे मासिक चक्र नियमतिकरण (एम.आर) कहते हैं ।

खुरच कर गर्भपात करना (“डाईलेशन और क्यूरेटाज”, डी.एंड सी.)

गर्भ के बचेखुचे हिस्से को क्यूरेटर नामक एक उपकरण से खुरच कर निकाल दिया जाता है । क्यूरेटर एक चम्मच के आकार का, छोटा सा उपकरण होता है, जो विशेष रूप से गर्भाशय में डालने के लिए ही बनाया गया है । कैनुला की तुलना में क्यूरेटर अधिक लंबा होता है और क्योंकि यह अधिक पैना होता है, इसलिए इसे डालने से पहले गर्भाशय की ग्रीवा को चौड़ा करना आवश्यक है । इस प्रक्रिया में थोडा दर्द हो सकता है ।

डी. एंड सी. को करने में अधिक समय (15-20 मिनट) लगता है । यह थोड़ी दर्दनाक प्रक्रिया है अरु वैक्यूम एस्पिरेशन के मुकाबले इसमें अधिक खर्च आता है । इसे आम तौर पर शल्य क्रिया कक्ष में और महिला को बेहोश करने के बाद ही किया जाता है ।

औषधिय द्वारा गर्भपात (चिकित्सकीय गर्भपात)

आजकल कुछ देशों में डोक्टरों तथा स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा गर्भपात करने के लिए कुछ दवाईयों का उपयोग किया जाता है । कुछ ऐसी खबरे भी मिली हैं कि वास्तव में, गर्भपात कराने के नाम पर, इन दवाईयों का दुरूपयोग किया जा रहा है । ये मां तथा बच्चे के लिए अत्यंत खतरनाक हो सकती है ।

कैसे बताएं कि गर्भपात सुरक्षित होगा या नहीं

यह बाताना हमेशा आसान नहीं होता है कि गर्भपात सुरक्षित होगा, या नहीं । जहां गर्भपात कराना हैं, वहां जाने का प्रयास करें, या किसी ऐसी महिला से ये सब प्रश्न पूंछे, जो पहले जा चुकी हो :

  • क्या आपने ऐसा सुना है कि कोई महिला यहां गर्भपात कराने के पश्चात बहुत बीमार पड़ गयी हो, या उसकी मृत्यु हो गयी हो ? यदि ऐसा हुआ है, तो कहीं और गर्भपात कराएं ।
  • गर्भपात कौन करेगा और वह कितना प्रशिक्षित है ? भारत में चिकित्सकीय गर्भ समाप्ति करने का अधिकार केवल उन्हीं डोक्टरों को है , जो इसमें प्रशिक्षित हों । किसी ऐसे व्यक्ति से गर्भपात कराना बहुत खतरनाक हो सकता है, जो गर्भपात के सुरक्षित तरीकों तथा संक्रमण रोकने की विधियों में प्रशिक्षित न हो ।
  • क्या वह क्लिनिक चिकित्सकीय गर्भ समाप्ति के लिए प्रमाणित हैं ?
  • क्या वह कमरा साफ-सुथरा है, जहां गर्भपात किया जाएगा ? अगर वह मैला – कुचैला है तो शायद गर्भपात के कारण जोखिम का सामना करना पड़ेगा ।
  • क्या उस कमरे में हाथ धोने के लिए उचित व्यवस्था है ? जहां स्वास्थ्यकर्मी के लिए हाथ धोने के लिए उचित व्यवस्था भी न हो, वहां स्वच्छ और सुरक्षित गर्भपात नहीं हो सकता ।
  • क्या वहां के औजार तथा उपकरण इस अध्याय में दिखाए गए यंत्रों जैसे लगते हैं, या वे घरेलू औजारों जैसे दीखते हैं ? घर पर बनाये गए औजारों से चोट, क्षति और संक्रमण हो सकता है ।
  • इन औजारों को कैसे साफ तथा कीतानुराहित किया गया है ? औजारों को कीटाणुरहित करने के लिए उन्हें किसी शक्तिशाली कीटाणुनाशक घोल में डुबोना, या उबालना आवश्यक है ।
  • क्या दाम उचित लगते हैं ? अगर दाम बहुत महंगे लग रहें हैं, तो कभी-कभी इसका अर्थ यह हो सकता है कि स्वास्थ्यकर्मी सिर्फ पैसे का लालची है और उसे आपकी सेहत को परवाह नहीं है ।
  • क्या गर्भपात के साथ साथ उस स्थान पर अन्य स्वास्थ्य सेवाएं भी उपलब्ध हैं ? एक अच्छा स्वास्थ्य केंद्र आम तौर पर महिलाओं के लिए आवश्यक अन्य सेवाएं, यौन रोग का उपचार तथा एड्स की रोकथाम के लिए सेवाएं ।
  • अगर गर्भपात के दौरान, या उसके पश्चात कुछ गड़बड़ी हो जाती है, तो आपको कहां से लाया जाएगा ?आपातकालीन स्थिति  में आपको अस्पताल पहुँचने की व्यवस्था अवश्य होनी चाहिए ।

महत्वपूर्ण बात

गर्भपात कराना इन पारिस्थियों में अधिक खतरनाक हो सकता है, अगर -

  • आपकी माहवारी 3 महीनें से अधिक समय पहले हुई थी ।
  • आपका पेट दिखने लगा है । जितना अधिक समय आपका गर्भ है, गर्भपात के बाद जटिलताएं होने की उतनी ही अधिक संभावनाएं हैं । आपकी सुरक्षा के लिए यह आवश्यक हैं कि 3 महीने से अधिक गर्भ की समाप्ति केवल चिकित्सालय या अस्पताल में, विशेष उपकरणों से, हो होनी चाहिए ।

अपूर्ण गर्भपात

अपूर्ण गर्भपात उसे कहते हैं जब गर्भपात के पश्चात भी गर्भ का कोई अंश गर्भाशय में रह जाए । इसके लक्षण हैं : गर्भपात के एक दिन के पश्चात भी भारी खून जाना, पेट में मरोड़ वाला दर्द होना तथा योनि से खून के थक्के, या टुकड़े जाना । अगर ऐसा होता है, तो गर्भ को पूरी तरह से साफ़ कराने के लिए तुरंत किसी अस्पताल जाएं । अगर आप ऐसा नहीं करती हैं, तो आपको गंभीर जटिलताएं हो सकती है और आपकी मृत्यु भी हो सकती है । तत्कालीक जटिलताओं में गंभीर संक्रमण के कारण शरीर में जहर फ़ैल जाना । गर्भाशय फट जाना, सदमा या मृत्यु होना सम्मिलित हैं । दीर्घकालीन जटिलताओं में फैलोपियन नलिकाओं में गर्भ ठहरना (एक्टोपिक गर्भ ) तथा संतानहीनता हो सकती है ।

सुरक्षित गर्भपात के दौरान क्या उम्मीद रखें

सुरक्षित गर्भपात, विशेषत: एम.बी.ए द्वारा, स्वास्थ्य केंद्रों तथा अस्पतालों, दोनों में ही किये जाते हैं । ‘डी. एंड सी.’ द्वारा गर्भपात प्राय: अस्पतालों में ही किया जाता है । दवाइयों द्वारा गर्भपात केवल ऐसे स्वास्थ्य केंद्रों तथा अस्पतालों में ही किया जाना चाहिए, जहां एम.बी.ए. तथा डी.एंड सी. की सभी सुविधा हो । तदापि इस तरीके के अपने खतरे हैं और इसके बारे में फैसला करने से पहले उन पर विचार करना चाहिए ।

जब आप गर्भपात के लिए किसी स्वास्थ्य केंद्र या अस्पातल में जाएं , तो वहां आपका सम्मान व स्वागत होना चाहिए । किसी परामर्शदाता को आपके निर्णय के बारे में, आपसे बातचीत करनी चाहिए और गर्भपात के लिए उपयोग किए जाने वाले तरीकों तथा खतरों के बारे में उसे आपको बताना चाहिए ।

नीचे दिया गया विवरण आपको यह बताता है कि आप सुरक्षित गर्भपात के दौरान क्या आशा कर सकती है । इनसे भिन्न गर्भपात खतरनाक हो सकता है ।

  • आपसे आपकी अंतिम माहावारी के दिन तथा यौन रोगों के बारे में पूछा जाना चाहिए ।
  • स्वास्थ्यकर्मी को आपका चिकित्सकीय परीक्षण करना चाहिए । इसमें आपकी योनि और पेट का ध्यानपूर्वक जांच करना सम्मिलित हैं ।
  • एम.वी.ए. तथा डी.एंड सी दोनों के दौरान आपको पेट के निचले भाग में तेज दर्द महसूस हो सकता है । परंतु गर्भपात संपन्न होने के बाद यह दर्द कम हो जाएगा ।
  • गर्भपात के पश्चात आपके जननांगों की भली भांति सफाई की जानी चाहिए और फिर आपको आराम दिया जाना चाहिए । गर्भपात के 1 घंटे के बाद तक किसी स्वास्थ्यकर्मी को आपकी स्थिति पर निगरानी रखने के लिए आपके आस-पास होना चाहिए ।
  • किसी को आपको यह बताना चाहिए कि गर्भपात के पश्चात आपको क्या करना हैं, किन खतरे के सूचक लक्षणों पर नजर रखनी है और अगर जटिलता उत्पन्न हो जाए, तो किससे संपर्क करना है ।

इसके अलावा, किसी को आपके साथ परिवार नियोजन के साधनों की चर्चा करनी चाहिए । आप गर्भपात वाले दिन से ही कोई साधन इस्तेमाल कर सकती हैं । गर्भपात के 1-2 सप्ताह बाद जांच के लिए आपको तारीख और समय दिया जाना चाहिए ।

गर्भपात के पश्चात क्या आशा करें

गर्भपात के पश्चात गर्भ धारण के लक्षण, जैसे जी मितलाना, या स्तनों में दर्द, एक दिन के अंदर ही समाप्त हो जाने चाहिए । अगर असा नहीं होता है तो हो सकता है की गर्भाशय में या फैलोपियन नलिकाओं में नसे एक में, आपका गर्भ अभी भी जारी है । यह एक आपातकालीन स्थिति हैं । तुरंत किसी डॉक्टर को दिखाएं ।

गर्भपात के पश्चात आप थकावट महसूस कर सकती हैं और एक दिन बाद तक पेट में दर्द हो सकता है । 2 सप्ताह तक योनि से थोडा खून भी जा सकता है । लेकिन पहले माहवारी गर्भपात के यह रक्त स्त्राव बहुत हल्का हो जाना चाहिए । आपकी सामान्य, निमयित माहवारी गर्भपात के 4-6 सप्ताह बाद शुरू हो जानी चाहिए । अगर आपका गर्भ 5-6 महीने से अधिक का है, तो इसमें और भी देरी हो सकती है ।

अगर गर्भपात से पहले किसी से बात नहीं कर पायी तो अब किसी से बात करें । अपनी भावनाओं के बारे में किसी विश्वसनीय व्यक्ति से बात कर के आप हल्का तथा अच्छा महसूस करेंगी ।

गर्भपात के पश्चात अपनी देखभाल कैसे करें

  1. संक्रमण की रोकथाम के लिए, गर्भपात वाले दिन से चिकित्सीय परामर्श के अनुसार दवाई लें।
  2. रक्त स्त्राव समाप्त हो जाने के 2 दिन बाद तक संभोग न करें और न ही योनि में कोई वस्तु डालें ।
  3. अगर आपके पेट में दर्द है तो आराम करें और पेट पर गर्म पानी की बोतल से सिकाई करें । या फिर पेरासिटामोल, अथवा एब्रुप्रोफेन की गोली लें ।
  4. पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ पिएं, ताकि आप जल्दी स्वास्थ्य लाभ कर सकें ।
  5. जैसे ही आपको बेहतर महसूस हो, आप अपनी सामान्य गतिविधियां शुरू कर सकती हैं । आम तौर पर ऐसा 7 दिनों में हो पता है ।

खतरे के लक्षण

अगर आपको इनमें से कोई भी लक्षण नजर आ रहा है तो शिग्रताशील चिकित्सा सहायता प्राप्त करें :

  • योनि से अत्यधिक रक्त स्त्राव
  • बुखार
  • पेट में तेज दर्द
  • बेहोश होना तथा हड़बड़ी
  • योनि से दुर्गन्धयुक्त स्त्राव

गर्भपात के पश्चात परिवार नियोजन

गर्भपात के पश्चात आप फिर से, जल्दी ही, यहां तक कि 2 सप्ताह के अंदर गर्भवती हो सकती हैं । परिवार नियोजन के बहुत से साधनों को अपना असर दिखने में समय लगता है । इसलिए, जितनी जल्दी हो सके, किसी से परिवार नियोजन के बारे में चर्चा करें और इनमें से कोई भी साधन इस्तेमाल करना शुरू कर दें ।

  • गर्भ निरोधक गोली :
  • आप इन गोलियों को गर्भपात के दिन से ही खाना शुरू कर सकती हैं। एक सप्ताह से अधिक तो बिल्कुल इंतजार न करें ।
  • अंत: गर्भस्थ साधन (आई.यू.डी) :
  • अगर संक्रमण का खतरा न हो, तो कोई प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मी, गर्भपात के तुरंत बाद आई.यू.डी. (कॉपर-टी) लगा सकता है ।
  • महिला बंध्यीकरण :
  • अगर आपका गर्भ 3 माह से कम का था, तो आप गर्भपात के दौरान या उसके तुरंत पश्चात बंध्यीकरण के शल्य क्रिया करवा सकती हैं । यह महत्वपूर्ण हैं कि आप इस निर्णय को भली भांति सोच कर ही लें । यह एक स्थायी तरीका है । अगर आपको संक्रमण है तो इस शल्य क्रिया को थोड़े समय के लिए टाल दें ।
  • पुरुष की नसबंदी:
  • पुरुष की नसबंदी किसी भी समय की जा सकती है और यह स्थायी होती है । इस का निर्णय अच्छी तरह से सोच कर लेना चाहिए ।
  • कंडोम :
  • जब आप अगली बार संभोग करें तो आपके साथी को कंडोम का उपयोग करना चाहिए । इनके प्रयोग से यौन रोग एच.आई.वी. से भी रक्षा हो जाती है ।
  • शुक्राणुनाशक क्रीम :
  • फिर से संभोग करना शुरू करने पर आप इस क्रीम से दो सामान्य यौन रोगों गोनोरिया तथा क्लेमाइडीया से बचाव होता है।
  • डायाफ्राम:
  • अगर आपके जननांगों में कोई चोट, या संक्रमण नहीं है, तो गर्भपात से पहले, या उसके बाद, आप डायाफ्राम लगवा सकती हैं।अगर उपलब्ध है तो शुक्राणु नाशक क्रीम के साथ डायाफ्राम का उपयोग गोनोरिया व क्लेमाइडीया से कुछ सुरक्षा प्रदान करता है।
  • प्राकृतिक साधन (म्यूकस तथा रिदम(लय) तरीके) :
  • ये साधन तब तक प्रभावी नहीं होते हैं, जब तक आपकी माहवारी बिल्कुल सामान्य न हो जाए ।

याद रखें : गर्भपात को परिवार नियोजन के विकल्प के रूप में उपयोग नहीं करना चाहिए ।

गर्भपात की जटिलताएं

गर्भपात के पश्चात खतरे के एक भी लक्षण से पीड़ित महिला को तुरंत चिकित्सकीय सहायता की आवश्यकता होती है । उसे तुरतं किसी स्वास्थ्य केंद्र या अस्पताल जा कर अपना उपचार कराना चाहिए । ऐसे मामलों में अधिकतर वैक्यूम एस्पिरेशन या डी.एंड सी का उपयोग कर के गर्भाशय की संपूर्ण सफाई की जाती है । इसी बीच, अगर वाहन, या चिकित्सा सहायता मिलने में देर होती है, तो ये जानकारी बहुत सहायक हो सकती है ।

योनि से अत्यधिक रक्त स्त्राव

गर्भपात के पश्चात अत्यधिक रक्त स्त्राव होना एक आम समस्या हैं । यह आम तौर पर गर्भाशय में गर्भ के कुछ अंश रह जाने के कारण होती है । गर्भाशय अपने आपको सिकोड़ कर बंद नहीं कर पाता है और खून जाना प्राय: बंद हो जाता है । कभी-कभी गर्भाशय की ग्रीवा में चिराव रोकने के लिए गर्भाशय की ग्रीवा में टांके लगाना आवश्यक है ।

जब कोई महिला 30 मिनट से भी कम समय में कोई पैड या कपड़े से ताजे खून से भिगो ले, तो कहा जाता है कि उसे अधिक खून जा रहा है । जब ऐसा हो, तो थोड़े ही समय में वह अत्यधिक रक्त खो बैठती है, जो वाहन का प्रबंध होने तक, खून के बहने को बंद करने का प्रयास करें  ।

खून बहना रोकने के लिए

ऐसी महिला, जिसे बहुत खून जा रहा है, अपने गर्भाशय को सिकोड़ कर सख्त करने के लिए उसकी मालिश कर सकती है । वह इसे या तो स्वयं कर सकती है, या किसी से करवा सकती है । ऐसा करने के लये पीठ के बल लेट कर, या टांगों पर बैठ कर, पेट के निचले भाग को कड़ाई से दबाएं या उसकी मालिश करें ।

अगर गर्भाशय या उसकी ग्रीवा में कोई गर्भ का अंश फंसा रह गया है, तो वह टांगों पर उकडू बैठ कर कुछ इस प्रकार जोर लगाने से स्वयं ही निकलने में सफल हो सकती है, जैसे शौच करने या प्रसव के समय जोर लगाया जाता है ।

अगर इन तरीकों से बात बनती नजर आ रही हो, तो शीघ्रातिशीघ्र चिकित्सकीय सहायता प्राप्त करें । महिला को एंटीबायोटिक्स की जरुरत पड़ेगी तथा इनके बावजूद भी उसे गर्भाशय की सफाई की आवश्यकता पड़ सकती है ।

अत्यधिक रक्त स्त्राव के लिए आपातकालीन सहायता

जब तक गर्भाशय की सफाई नहीं हो जाती है, तब तक कोई प्रशिक्षित दाई, जो पेल्विक परिक्षण करने में सक्षम हो, इन उपायों को पालन कर के खून बहने को बंद करने का प्रयास कर सकती हैं :

महत्वपूर्ण :

क्योंकि महिला के गर्भाशय की ग्रीवा खुली हुई होती है, इसलिए उसकी योनि के अंदर कुछ भी डालना खतरनाक हो सकता है । ऐसा करने से उसे गंभीर संक्रमण हो सकता है । निम्नलिखित क़दमों को तभी उठायें जब रक्त इतना अधिक हो कि महिला की जान को खतरा है । यह जानने के लिए कि रक्त स्त्राव को अधिक कब मानते हैं,

  1. अपने हाथों तथा महिला के जननांगों को साबुन –पानी से अच्छी तरह धोएं ।
  2. अपने एक हाथ पर साफ लैटेक्स, या प्लास्टिक का अत्यंत साफ दस्ताना चढ़ाएं ।
  3. महिला की योनि में हाथ डालने से पहले इस हाथ से कोई भी अन्य वस्तु या शरीर का भाग बिल्कुल न छुएं ।
  4. महिला को पीठ के बल, जांघे चौड़ी कर के लिटायें । उसे आश्वस्त करें ।
  5. अगर आपके पास कीटाणुरहित हुआ स्पेकुलम है, तो इसे योनि में डालें, ताकि आप गर्भाशय की ग्रीवा को देख सकें (स्पेकुलम आई.यू.डी किट में भी उपलब्ध होता है) अगर ग्रीवा पर खून के थक्के, या गांठें अथवा मांस (गर्भ) के टुकड़े देखें, तो इन्हें पाकर कर , कोमलता से निकालें ।
  6. अगर आपके पास स्पेकुलम नहीं है तो, अपने दस्ताने वाले हाथ की पहले उंगली और तत्पश्चात दो उंगलियां योनि में प्रवेश करायें ।
  7. इन उंगलियों से ग्रीवा को महसूस करने का प्रयास करें । यह उसके आसपास की सतहों की तुलना में अधिक सख्त और चिकनी महसूस होगी । यह कुछ ऐसी दिखती हैं और लगभग इतने आकार की होती है ।
  8. अपनी उंगली को ग्रीवा के मुख के उपर घुमाएं तथा इसमें गर्भ के फंसे हुए अंशों को महसूस करने का प्रयास करें । वे नर्म मांस के टुकड़े जैसे मालूम होंगे । धीरे-धीरे, नाजुकता से, उन्हें वहां से निकालें ।
  9. इस अंश को निकालने के पश्चात अपने दस्ताने वाले हाथ की दो उंगलियों को महिला की योनि में डालें । ये गर्भाशय के निचले भाग में पहुंचानी चाहिए । अपने दुसरे हाथ ( बिना दस्ताने वाले) से महिला के पेट के निचले भाग को दबाएं, या उसकी मालिश करें । महिला का गर्भाशय दोनों हाथों के बीच होना चाहिए ।
  10. मामूली से संक्रमण के लिए तुरंत एंटीबायोटिक्स दें, ताकि संक्रमण की रोकथाम की जा सके । ऐसी महिला का गर्भाशय कीटाणुओं की पहुंच में होने के कारण उसे संक्रमण का अधिक खतरा रहता है ।

अगर वह होश में है, तो उसे तरल पदार्थ अधिक मात्रा में पीने को दें ।उसे तुरंत अस्पताल ले जाएं, चाहे आप सोचती हैं कि आपने गर्भ के सारे टुकड़े निकाल दिये हैं और खून जाना बंद हो गया है । उसके गर्भाशय की सफाई करना फिर भी आवश्यक है । अगर खून बहना बंद नहीं होता है, तो अस्पताल ले जाते समय भी उसके पेट के निचले भाग की मालिश करती रहें ।

शॉक

शॉक जान के लिए एक खतरनाक स्थिति हैं, जो अधिक खून बह जाने से उत्पन्न हो सकती है । शरीर के अंदर रक्त स्त्राव से भी शॉक हो सकता है ।

लक्षण :

  • ह्रदय गति बहुत तेज होती है : 110 धड़कने परती मिनट से भी अधिक ।
  • त्वचा ठंडी और गीली तथा सफ़ेद पड़ जाती है ।
  • आंखों, हथेलियों तथा मुख के अंदर सफेदी ।
  • सांस की गति 30 प्रति मिनट से भी अधिक तेज हो जाती है ।
  • संभ्रम (हडबडाहट) या बेहोशी ।

अगर रोगी होश में हैं तो कैसा करें :

  • महिला को पीठ के बल लिटा दें । उसके पैर, सिर की सतह से उपर होने चाहिए ।
  • उसे किसी कपड़े या कम्बल से ढंक दें ।
  • अगर वह पी सकती है तो, काफी मात्रा में पानी, या जीवन रक्षक घोल पिलाएं ।
  • अगर आपको ऐसा करना आता है, तो उसकी नस में ग्लूकोज, या सेलाइन का ड्रिप लगा कर तेजी से उसे तरल पदार्थ दें । गुदा द्वारा भी तरल पदार्थ दिये जा सकते हैं ।

अगर वह बेहोश है तो ऐसा करें :

  • उसे, एक करवट दिलवा कर, लिटा दें । लिटाते समय उसके सिर नीचे रखें और थोडा पीछे की तरफ कर दें । सिर एक तरफ होना चाहिए । पैरों को थोडा उपर उठा दें ।
  • अगर उसका दम घुटता हुआ सा लगता है और सांस लेने में कठिनाई है, तो अपनी उंगली को उस के मुहं में डाल कर जीभ को बाहर की तरफ पलटायें ।
  • अगर उसको उलटी हुई है, तो तुरंत उसका मुहं साफ करें । सिर को एक तरफ में, थोडा सा पीछे को झुका हुआ और नीचे रखें ताकि उसकी उलटी फेफड़ों में न चली जाए ।
  • जब तक उसको होश में आए हुए कम से कम एक घंटा न हो जाए तब तक उसे मुख से कुछ भी खाने-पीने को न दें ।
  • अगर आपको ऐसा करना आता है, तो उसकी नस में ग्लूकोज जाए, या सेलाइन ड्रिप लगा कर उसे तेजी से तरल पदार्थ दें । गुदा द्वारा भी तरल पदार्थ दिए जा सकते हैं ।

स्वास्थ्यकर्मी की प्रतीक्षा न कीजिए । शॉक से पीड़ित महिला को तुरंत नजदीक डॉक्टर या अस्पताल ले जाइए । उसे चिकित्सकीय सहायता की तुरंत आवश्यकता है ।

संक्रमण

अगर गर्भपात आखिरी माहवारी की तारीख के 12 सप्ताह (3 महीने) से पहले किया गया है और अगर संक्रमण हो गया है, तो आशा यही है कि वह मामूली होगा ।

गंभीर संक्रमण वह होता है, जो खून में फैल गया हो । महिला को गंभीर संक्रमण की आशंका तब होती है, जब गर्भपात 3 या 4 महीने के बाद किया गया हो, या गर्भपात के दौरान गर्भाशय को कोई चोट पहुंची हो । गंभीर संक्रमण बहुत खतरनाक होता है और इससे शॉक भी हो सकता है ।

संक्रमण के कारण :

  • गर्भाशय में किसी अस्वच्छ वस्तु, या हाथ डालने से ।
  • गर्भ के कुछ अंश गर्भाशय में छुटने और उनमें संक्रमण होने से ।
  • गर्भपात के समय, या उससे पहले ही महिला को संक्रमण था ।
  • गर्भाशय की दीवार में छेद हो जाने से ।

मामूली संक्रमण के लक्षण :

  • हल्का बुखार ।
  • पेट में हल्का दर्द ।

मामूली संक्रमण का उपचार :

मामूली संक्रमण गंभीर रूप धारण न कर ले, इसके लिए जरूरी है कि तुरंत नीचे बतायी गई दवाईयों से इसका उपचार करें । आम  तौर पर महिला को एक से अधिक दवाईयों की आवश्यकता पड़ती है, क्योंकि गर्भपात के पश्चात का संक्रमण कई प्रकार के कीटाणुओं से हो सकता है । अगर ये दवाईयां उपलब्ध नहीं हैं, तो अन्य काम आ सकने वाली वैकल्पिक दवाईयों के लिए इस पुरस्तक के हरे पृष्ट देखिए ।

जो महिला स्तनपान करा रही हो, उसे केवल वे दवाईयां दी जानी चाहिए जो प्रसव के पश्चात होने वाले गर्भपात के संक्रमणों के उपचार के लिए दी जाती है ।

गंभीर संक्रमण के लक्षण :

  • कंपकंपी के साथ तेज बुखार ।
  • मांसपेशियों में दर्द, कमजोरी और थकावट ।
  • पेट का शख्त हो जाना, सूजन और उसमें दर्द होना ।
  • योनि से दुर्गन्ध युक्त स्त्राव

गंभीर संक्रमण के उपचार

  • महिला को तुरंत किसी स्वास्थ्य केंद्र, या अस्पताल ले जाइए ।

आतंरिक चोट (शरीर के अंदर चोट)

गर्भपात में शरीर के अंदर चोट आम तौर पर ऐसे नुकीले/ पैने औजारों से लगती है, जो गर्भाशय में आर पार हो कर छेद बना देतें हैं । इस तरह की कोई वस्तु शरीर के अन्य आतंरिक अंगों, जैसे फैलोपियन नलिकाओं, आंतों तथा मूत्राशय, को भी चोट पहुंचा सकती है ।

जब किसी महिला को आतंरिक चोट हों, तो उसके शरीर के अंदर काफी खून बह सकता है । लेकिन योनि से कोई रक्त स्त्राव नहीं होता है ।

इनमें से एक या सारे लक्षण हो सकते हैं :

  • पेट सख्त तथा कड़ा महसूस होता है और उससे कोई आवाज (जैसे गुड़गुड़) नहीं सुनाई देती है ।
  • पेट में मरोड़ तथा अत्यधिक दर्द होना ।
  • बुखार ।
  • उलटी तथा जी मितलाना ।
  • एक, या दोनों कन्धों में दर्द होना ।
  • उपचार:
  • तुरंत महिला को किसी ऐसे अस्पताल में ले जाइए जहां, उस पर शल्य क्रिया की जा सके । आंतरिक रक्त स्त्राव के लिए तुरंत शल्य क्रिया आवश्यकत है, वर्ना , शॉक तथा मृत्यु हो सकती है ।
  • मुख से कोई भी भोजन, पानी, तरल पदार्थ बिल्कुल न दें । अगर अस्पताल तक पहुंचने में 12 घंटों से अधिक समय लगने वाला है, तो आप उसे घूंट-घूंट कर के थोडा पानी दे सकते हैं, या उसे पानी से गिला एक साफ कपड़ा चूसने को दे सकते हैं ।
  • अगर उसे सदमें के लक्षण हैं, तो शॉक का उपचार करें यह सुनिश्चित करें कि उसे सांस लेने में कोई कठिनाई न हो । अगर मुख में कोई रुकावट हैं, तो से हटाएं ।

 

बेहोशी या मूर्छित होना

गर्भपात के पश्चात बेहोश होना, अधिक खून बह जाने, आंतरिक अंगों की अत्यधिक चोटों, या संक्रमण के कारण, शॉक का लक्षण हो सकता है । अगर कोई महिला मूर्छित हो जाती है, तो उसे पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ पीने को दें और उसकी हालत पर निगाह रखें ।

असुरक्षित गर्भपात की रोकथाम

यहां कुछ ऐसे कार्यों का विवरण दिया जा रहा है, जिन्हें कोई भी महिला, या महिलाओं का समूह, किसी समुदाय में गर्भपात के कारण होने वाली रुग्णता तथा मौतों को रोकने के लिए, कर सकता है  :

  • महिलाओं, पुरषों तथा समुदायों को इस बारे में शिक्षित करें कि किस प्रकार परिवार नियोजन अपनाने से गर्भपात की आवश्यकता को समाप्त किया जा सकता है । अपने समुदाय में महिलाओं को परिवार नियोजन की सेवाएं प्रदान करने के लिए प्रशिक्षित करें ।
  • अपने समुदाय में लड़कियों तथा महिलाओं को सुरक्षित गर्भपात के खतरों के विषय में शिक्षित करें ।
  • उन स्वीकृत केन्द्रों की पहचान करें, जहां आवश्यकता पड़ने पर सुरक्षित गर्भापात कराने जा सकती हैं ।
  • यह सुनिश्चित करने के लिए कि वे गर्भपात सुरक्षित रूप से करते हैं, या नहीं, अपने समुदाय में उन लोगों के पास जाइए, जो गर्भपात करते हैं ।
  • गर्भपात की जटिलताओं और उनके उपचार के बारे में जानिए । यह पता करें कि जटिलताएं होने पर उनकी आपातकालीन उपचार के लिए कहां ले जाया जा सकता है ।
  • यह पता करें कि आपातकालीन शिति में महिला को कौन से वाहन में अस्पताल ले जाया जा सकता है । अगर आपातकालीन वाहन उपलब्ध नहीं है, तो क्या आपके समुदाय में किसी के पास ट्रक या कार है ? वाहन के ईंधन (पेट्रोल, या डीजल आदि) की कुछ अतिरिक्त मात्रा आपातकालीन स्थिति में उपयोग के लिए अवश्य रखें ।
  • पुरुषों तथा महिलाओं को जिम्मेदाराना यौन आचरण, वैवाहिक जीवन में यौन संबंध तथा वांछित गर्भ धारण के बारे में शिक्षित करें ।
  • स्वास्थ्य अधिकारीयों से असुरक्षित गर्भपात के खतरों के विषय में बात करने के लिए अपने समुदाय के स्वास्थ्यकर्मी को संगठित करें । जहां गर्भपात कानूनी रूप से वैध नहीं भी है, वहां भी ऐसे गर्भपात से उत्पन्न जटिलताओं का उपचार कर के महिलाओं की जान बचाने की व्यवस्था होना चाहिए ।
  • अपने देश में उन कानूनों को भली भांति समझें, जिनके अंतर्गत सुरक्षित गर्भपात किया जा सकता है । समुदाय में गर्भपात कराने के लिए उपयोग किये जाने वाले साधनों और तरीकों को जानें । इनमें से हानिकारक तरीकों से बचना सीखें ।

 

आपकी सहायता चाहने वाले महिला :

गर्भपात कराने वाली बहुत सी महिलाओं को कोई सुविधा देने से इंकार कर दिया जाता है, या उनके साथ दुव्यर्वहार किया जाता है । कईयों को उनकी इस करतूत के लिए शर्मिंदा किया जाता है और दंड के रूप में उन पर ध्यान नहीं दिया जाता है । आपके व्यक्तिगत विचार कुछ भी हों, गर्भपात कराने वाली महिलाओं के विषय में कोई राय नहीं बनाएं, बल्कि उनके साथ मैत्रीपूर्ण व्यवहार करें और उनसे सहानभूति रखें । हममें से किसी को भी, जीवन में कभी न कभी ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ सकता है । दूसरी महिलाओं के साथ वैसा ही व्यवहार करें, जैसा आप स्वयं, या अपनी बेटी के साथ चाहती हैं ।

 

स्रोत: राज्य सरकार, विहाई व स्वास्थ्य विभाग।

अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020



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