पहली विधि शल्य चिकित्सा विधि है जिसे आमतौर पर इसे ‘डी एन्ड सी’ भी कहा जाता है| कानून (MTPT Act) के अनुसार किसी डिग्री धारक प्रसूति विशेषज्ञ या अनुभवी एम.बी.एस. डॉक्टर के द्वारा ही गर्भपात कराया कराया जा सकता है| इस विधि में पतली छड़ों के द्वारा गर्भाशय के मुख को फैलाया जाता है| इसके बाद सक्शन मशीन की सहायता से गर्भ के अंदर की वस्तुओं को खुरच कर निकाल लिया जाता है|
इसमें एक दूसरा तरीका भी अपनाया जाता है| यह ज्यादा बेहतर होता है| इसमें एक सिरिंज जिसे एम.वी.ए. कहते हैं के प्लास्टिक कैनुला का इस्तेमाल गर्भ के मुख को फैलाने में किया जाता है| परन्तु इसमें किसी तेज औजार की जगह सिरिंज का इस्तेमाल होता है| सिरिंज को गर्भाशय में डालकर गर्भ की वस्तु को खीच लिया जाता है|
गाँव के स्तर पर भी इस प्रक्रिया को बहुत से लोग अपनाते है| गाँव में प्रसूति कराने वाली दाई इस प्रकिया को पतली छड़ के सहारे, तो कुछ नर्सें लोहे की पतली छड़ों का इस्तेमाल करती हैं तो कुछ एम.वी.ए. सिरिंज का इस्तेमाल करती हैं|
दवा संबंधित विधि-गर्भपात के लिए बाजार में बहुत सी दवाइयाँ उपलब्ध हैं| इनमें कुछ आयुर्वेदिक है और कुछ अंग्रजी दवाएं हैं| ज्यादातर स्थानीय दुकानदार तथा स्थानीय हकीम आयुर्वेदिक दवा की सलाह देते हैं| ये दवाएं सस्ती होती है तथा इससे माहवारी नियमित होने के बात कही जाती है हालाँकि इसमें शंका है कि वास्तव में इन दवाईयों से फायदा होता है|
अंतिम मासिक के पहले दिन से 49 दिन या दूसरे शब्दों में 7 सप्ताह की गर्भ की सफाई के लिए अंग्रेजी दवा उपलब्ध है| यह मिफी (Mifepristone) तथा मिसो (Misopristone) संयोग है| दवा गर्भ को हटाने के लिए इनका इस्तेमाल होता है| इस दवा का प्रभाव भी साबित हो चुका है| इसका उपयोग करने वाली सौ महिलाओं में से 96 में गर्भपात होना सफल रहा है|
उपरोक्त दोनों ही विधि सुरक्षित और प्रभावी है| हालाँकि वैसी महिलाएं जिनका गर्भ सात सप्ताह का हो उनके लिए दवा सम्बन्धी विधि ज्यादा अच्छा है|
स्रोत:- जननी/ जेवियर समाज सेवा संस्थान, राँची|
अंतिम बार संशोधित : 2/29/2020
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