वर्ष 1971 की जनगणना के अनुसार, किसी जिले में अल्पसंख्यकों की 20 प्रतिशत अथवा अधिक आबादी के एकमात्र मानदंड के आधार पर अल्पसंख्यक बहुल 41 जिलों की सूची वर्ष 1987 में तैयार की गई थी, ताकि सरकारी कार्यक्रमों और योजनाओं में इन जिलों पर विशेष ध्यान दिया जा सके। बहु-क्षेत्रीय विकास कार्यक्रम (एमएसडीपी) की संकल्पना सच्चर समिति की सिफारिशों पर अनुवर्ती कार्रवाई की एक विशेष पहल के रूप में की गई थी। यह 11वीं पंचवर्षीय योजना की शुरुआत में सरकार द्वारा अनुमोदित एक केंद्र प्रायोजित योजना है और जिसे वर्ष 2008-09 में 90 अल्पसंख्यक बहुल जिलों (एमसीडी) में आरंभ किया गया था। यह एक क्षेत्र विकास पहल है, जिसे सामाजिक-आर्थिक अवसंरचना का सृजन करते हुए तथा आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध कराते हुए अल्पसंख्यक बहुल जिलों की विकास संबंधी कमियों को दूर करने के लिए शुरु किया गया था।
इस कार्यक्रम का उद्देश्य 12वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान अल्पसंख्यकों की सामाजिक-आर्थिक दशाओं में सुधार लाना और लोगों के जीवन स्तर को उन्नत बनाने के लिए उन्हें मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराना तथा अभिज्ञात अल्पसंख्यक बहुल जिलों में असंतुलन को कम करना है। एमएसडीपी के तहत शुरु की जाने वाली परियोजनाएं आय सृजक अवसरों को पैदा करने की योजनाओं के अलावा शिक्षा, कौशल विकास, स्वास्थ्य, स्वच्छता, पक्के मकान, सड़के, पेयजल हेतु बेहतर अवसंरचना की व्यवस्था करने से संबंधित होंगी। योजना का उद्देश्य अतिरिक्त संसाधन मुहैया कराते हुए तथा अल्पसंख्यकों के कल्याणार्थ अंतरों को दूर करने वाली परियोजनाएं (नवाचारी परियोजनाएं) शुरु करते हुए भारत सरकारी की मौजूदा योजनाओं के अंतरों को दूर करना होगा।
यह पहल समावेशी तीव्र विकास प्रक्रिया तथा लोगो की जीवन स्तर में सुधार करने के लिए केंद्र एवं राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों का एक संयुक्त प्रयास होगा। इस योजना का उद्देश्य पिछड़े अल्पसंख्यक बहुल क्षेत्रों के लिए विकास संबंधी कार्यक्रमों पर विशेष ध्यान देना है ताकि इनमें असंतुलन को कम किया जा सके तथा विकास की गति को तेज किया जा सके।
अंतर को दूर करने वाली परियोजनाएं भारत सरकार की मौजूदा योजना के अंतर्गत लागू दिशा -निर्देशों के अनुरूप ही क्रियान्वित की जाएंगी। अंतरों को दूर करने वाली नवाचारी परियोजनाएं प्रस्तुत एवं अनुमोदित परियोजना अभिकल्पन के अनुसार क्रियान्वित की जाएंगी।
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम, 1992 के तहत मुस्लिमों, सिक्खों, ईसाईयों, बौद्धों और पारसियों को अल्पसंख्यक समुदाय के रूप में अधिसूचित किया गया है। वर्ष 2001 की जनगणना के अनुसार, देश में अल्पसंख्यकों की प्रतिशतता देश की कुल आबादी के 18.4% के लगभग है, जिनमें से मुस्लिम 13.4%, ईसाई 2.3%, सिक्ख 1.9%, बौद्ध 0.8%और पारसी 0.007% हैं।
एमएसडीपी के क्रियान्वयन हेतु योजना की ईकाई ब्लॉक होगा, न कि जिला के जैसा कि इस समय है। इससे अल्पसंख्यक बहुल क्षेत्रों पर कार्यक्रम पर विशेष ध्यान दिया जा सकेगा, क्योंकि इस प्रयोजनार्थ जिला एक बड़ी ईकाई था। इसके अलावा, इससे पात्र अल्पसंख्यक बहुल ब्लॉकों (एमसीबी) जो इस समय मौजूदा एमसीडी से बाहर पड़ते हैं, को कवर करने में भी मद्द मिलेगी।
11वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान पिछड़ेपन के अंगीकृत मानदण्डों के आधार पर चुने गये पिछड़े जिलों में आने वाली न्यूनतम 25% अल्पसंख्यक आबादी वाले ब्लाकों को पिछड़े अल्पसंख्यक बहुल ब्लाकों (एमसीबी) के रूप में चिन्हित किया जाएगा। 6 राज्यों (लक्षद्वीप, पंजाब, नागालैंड, मेघालय, मिजोरम तथा जम्मू एवं कश्मीर) के मामले में, जहॉँ अल्पसंख्यक समुदाय बहुसंखयक है, उस राज्य/संघ राज्य क्षेत्र में अल्पसंख्यक समुदाय के अतिरिक्त बहुसंखयकों की अल्पसंख्यक जनसंख्या का न्यूनतम कट-आफ 15% अंगीकार किया जाएगा। पिछड़े जिलों की पहचान के लिए अंगीकृत पिछड़ेपन के मानदंड (11वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान अंगीकृत के समान ही) निम्नानुसार हैं-
(क)जिला स्तर पर धर्म-विशिष्ट सामाजिक-आर्थिक संकेतक -
साक्षरता दर;
महिला साक्षरता दर;
कार्य में भागीदारी दर; और
महिलाओं द्वारा कार्य में भागीदारी दर; तथा
(ख)जिला स्तर पर आधारभूत सुविधा संकेतक -
पक्की दीवार वाले मकानों की प्रतिशतता;
स्वच्छ पेय जल की सुविधा वाले मकानों की प्रतिशतता;
विद्युत सुविधा वाले मकानों की प्रतिशतता;
चुनिंदा ब्लाकों में, अधिक अल्पसंख्यक आबादी वाले गॉंवों को गाँव -स्तर की अवसंरचनाओं/परिसम्पत्तियों के सृजन हेतु प्राथमिकता दी जाएगी। परिसंपत्तियों के स्थान का चयन इस तरह से किया जाना चाहिए कि आवाह क्षेत्र में कम-से-कम 25% अल्पसंख्यक आबादी हो। 155 पिछड़े जिलों में आने वाले ऐसे कुल 710 अल्पसंख्यक बहुल ब्लाकों को वर्ष 2001 की जनगणना के आधार पर चिन्हित किया गया है।
पिछड़े जिलों में ब्लॉकों के साथ सटे हुए समीपस्थ अल्पसंख्यक गांवों के समूह (कम से कम 50% अल्पसंख्यक आबादी वाले) जिन्हें अल्पसंख्यक बहुल ब्लाकों के रूप में चयनित नहीं गया है, चिन्हित किए जाएंगे। पूर्वोत्तर राज्यों के पहाड़ी क्षेत्रों के मामले में, ऐसे गांव जिनमें अल्पसंख्यक आबादी 25% है, चिन्हित किये जायेंगे। लगभग 500 गांव, जो अल्पसंख्यक बहुल ब्लाकों के बाहर स्थित हैं, उन्हें इन समूहों के माध्यम से कवर किया जाएगा। उपर्युक्त मापदंड को पूरा करने वाले समूहों की पहचान राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों द्वारा की जाएगी। राज्य स्तरीय समिति द्वारा अभिज्ञात समूहों की सिफारिश अधिकार-प्राप्त समिति को कार्यक्रम के क्रियान्वयन हेतु इसके अंतिम चयन के लिए की जाएगी। अधिकार-प्राप्त समिति समूह के चयन को अंतिम रूप देगी और 12वीं पंचवर्षीय योजना हेतु प्रत्येक समूह के लिए आबंटन की निश्चित करेगी।
नगर/शहर जिनकी न्यूनतम 25% अल्पसंख्यक जनसंख्या, (6 राज्य/संघ राज्य क्षेत्रों के मामले में, उस राज्य/संघ राज्य क्षेत्र बहुलता में आए अल्पसंख्यक समुदायों के अतिरिक्त, अल्पसंख्यक जनसंख्या का 15%) सामाजिक-आर्थिक और मूलभूत सुविधाओं के दोनों मानदण्डों में राष्ट्रीय औसत से नीचे हैं, को कार्यक्रम के कार्यान्वयन हेतु अल्पसंख्यक बहुल नगरों/शहरों के रूप में चिन्हित किया जाएगा। 90 एमसीडी के बाहर स्थित 53 जिलों के कुल 66 अल्पसंख्यक बहुल नगरों को कार्यक्रम के कार्यान्वयन हेतु चिन्हित किया गया है। इस कार्यक्रम में नगरों/शहरों के अल्पसंख्यकों के सच्चक्तिकरण हेतु कौशल एवं व्यावसायिक शिक्षा सहित, केवल शिक्षा के संवर्धन में ही दखल दिया जाएगा।
इस प्रकार यह कार्यक्रम 196 जिलों में स्थित 710 अल्पसंख्यक बहुल ब्लाकों तथा 66 शहरों को कवर करेगा। ब्लॉक/शहर /नगरों की सूची परिशिष्ट-I पर है। तथापि, 2011 की जनगणना के आंकड़े उपलब्ध होने पर अथवा राज्यों द्वारा किसी नये ब्लॉक/नगर के मानदण्ड के पूरा करने की सूचना मिलने पर, इसे संशोधन किया जाएगा।
राज्य सरकार/संघ राज्य क्षेत्र प्रशासन बहु-क्षेत्रीय विकास कार्यक्रम की देख-रेख की स्पष्ट जिम्मेदारी के साथ किसी विभाग को अधिसूचित करेंगे। यह सलाह देने योग्य बात होगी कि एमएसडीपी तथा प्रधानमंत्री के नए 15 सूत्री कार्यक्रम का क्रियान्वयन राज्य सरकार/संघ राज्य क्षेत्र प्रशासन में उसी विभाग की जिम्मेदारी हो। एमएसडीपी हेतु योजना तैयार करते समय राज्य सरकार/संघ राज्य क्षेत्र प्रशासन अल्पसंख्यकों के कल्याणार्थ अंतरों को दूर करने वाली (मौजूदा केंद्र प्रयोजित योजनाओं के अंतर्गत शामिल) तथा अंतरों को दूर न करने वाली परियोजनाएं (नवाचारी परियोजनाएं) दोनों ही संचालित करेंगे।
एमएसडीपी हेतु योजना तैयार करते समय, राज्य सरकारें/संघ राज्य क्षेत्र प्रशासन अल्पसंख्यकों के कौशल प्रशिक्षण सहित शिक्षा , स्वास्थ्य एवं कौशल विकास को प्राथमिकता देंगे। राज्य को दिए गए आबंटन का कम-से-कम 10% अल्पसंख्यक युवाओं को दिए जाने वाले कौशल प्रशिक्षण से संबंधित क्रियाकलापों हेतु निर्धारित किया जाएगा। इसके अलावा, अल्पसंख्यक समुदायों की बालिकाओं में शिक्षा को सुविधाजनक बनाने एवं बढ़ावा देने के लिए एमएसडीपी के तहत 9वीं कक्षा की अल्पसंख्यक छात्राओं को निःशुल्क साईकलें दी जा सकती हैं। छात्रा 8वीं कक्षा की निर्धारित परीक्षा उत्तीर्ण किए हुए हो और 9वीं कक्षा में पढ़ाई जारी रख रही हो, और ऐसी छात्रा गरीबी रेखा से नीचे के परिवार से संबंधित होनी चाहिए।
योजना प्रक्रिया को आधारिक स्तर तक ले जाने वाले और इस कार्यक्रम में पंचायती राज संस्थानों की भागीदारी को सुनिश्चित करने के लिए इस कार्यक्रम के तहत कवर किए गए सभी ब्लॉकों में ब्लॉक स्तरीय समिति का गठन किया जाएगा। ब्लॉक स्तरीय समिति ग्राम स्तर पर योजना (बेसलाइन सर्वेक्षण के आधार पर आवश्यक विभिन्न परियोजनाओं वाली) तैयार करेगी। फिर यह समिति जिला स्तरीय समिति को प्रधानमंत्री के नए 15 सूत्री कार्यक्रम के लिए योजना की सिफारिश करेगी। शहरों /नगरों के लिए परियोजनाओं का प्रस्ताव स्थानीय निकाय द्वारा तैयार किया जाएगा और जिला स्तरीय समिति को प्रस्तुत किया जाएगा। जिला स्तरीय समिति योजना प्रस्ताव की जांच करेगी और 15 सूत्री कार्यक्रम के लिए इसकी सिफारिश राज्य स्तरीय समिति को करेगी। राज्य स्तरीय समिति राज्य द्वारा केंद्रीय मंत्रालय की समानांतर योजनाओं के अनुमोदित मानको से राज्य द्वारा प्राप्त मानकीकृत लागत के आधार पर परियोजनाओं को अनुमोदन प्रदान करेगी। बिना मानकीकृत लागत वाली अन्य योजनाओं के मामले में राज्य स्तरीय समिति राज्य/संघ राज्य क्षेत्र के एसओआर के आधार पर परियोजनाओं को अनुमोदित करेगी। राज्य स्तरीय समिति 10 करोड़ रु0 तक की लागत वाली परियोजनाओं को अनुमोदित करेगी। केंद्र की अधिकार-प्राप्त समिति ब्लॉक/शहर तथा गांवों के समूह की समग्र योजना को अनुमोदित करेगी तथा 10 करोड़ रु0 से अधिक की परियोजनाओं को मंजूरी देगी। इस अनुमोदन के आधार पर मंत्रालय तथा राज्य सरकार द्वारा निधियां जारी की जाएंगी।
योजना इस ढंग से तैयार की जाएगी कि या तो केंद्र सरकार की चल रही योजनाओं/कार्यक्रमों की निधियों को बढ़ाकर 'विकास संबंधी कमियों' को दूर किया जाएगा अथवा ऐसी परियोजनाओं का प्रस्ताव किया जाएगा, जिन्हें केंद्र तथा राज्य सरकारों की मौजूदा योजनाओं/कार्यक्रमों में शामिल नहीं किया गया है तथा 12वीं पंचवर्षीय योजना अवधि के दौरान कार्यान्वयन हेतु वर्ष -वार वित्तीय एवं वास्तविक चरणबद्धता का उल्लेख करेगा।
यह सुनिश्चित किया जाएगा कि बहु-क्षेत्रीय विकास योजना में शामिल परियोजनाएं राज्य/केन्द्र सरकार की किसी योजना के तहत अथवा आरएसवीवाई/बीआरजीएफ और बीएडीपी में सम्बद्ध ब्लाकों से संबंधित किसी भी निधि स्रोत के तहत स्वीकृत अथवा प्रस्तावित न हों। इसके अलावा यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि लक्षित एमसीबी/शहरों /नगरों/गांवों में क्रियान्वित किए जा रहे इन्हीं उद्देश्यों वाली अन्य सरकारी तौर पर वित्तपोषित योजनाओं के साथ इनकी पुनरावृत्ति न हो। यह भी सुनिश्चित किया जाना होगा कि बहु-क्षेत्रीय विकास योजना वार्षिक योजनाओं और 12वीं पंचवर्षीय योजना के अनुरूप हो तथा ब्लॉकों/शहरों /नगरों/गांवों को दिए जा रहे संसाधन मौजूदा योजनाओं/कार्यक्रमों के अंतर्गत इन क्षेत्रों को किए जाने वाले नियमित आबंटन के अलावा हों।
बहुक्षेत्रीय विकास योजना के तहत, प्राथमिकता प्रदत्त प्रत्येक योजनाओं से संबंधित
धारणा पत्र शामिल होगा, जिसके साथ अंतराल को स्पष्ट तौर पर रेखांकित करते हुए प्रस्ताव का औचित्य सिद्ध करने के आशय का सामाजिक-आर्थिक व्यवहार्यता रिपोर्ट, इसकी जटिलताएं, लक्ष्य, कार्यनीति, परिणाम और लाभ, दूरगामिता, वर्ष वार वित्तीय और भौतिक विवरण के साथ परियोजना का अनुमानित लागत, निजी निवेश भागीदारी (यदि कोई हो), परियोजना की स्थान-स्थिति, भूमि की उपलब्धता और संभावित लाभार्थी, कार्यान्वयन एजेंसी, परियोजना की अवधि, कार्यान्वयन के लिए वर्तमान एवं प्रस्तावित तंत्र, प्रबंधन/संचालन और सृजित परिसंपति के अनुरक्षण संबंधी विवरण शामिल होगा।
इस आशय का प्रमाणन कि लागत अनुमान राज्य/संघ राज्य क्षेत्र के सक्षम प्राधिकारी द्वारा दी गई स्वीकृति अनुसार है और लागत सम्बद्ध राज्य/संघ राज्य क्षेत्र में लागू अद्यतन दर अनुसूची (एसओआर) पर आधारित है;
विनियामक और सांविधिक अनापत्तियों (क्लियरेंस) की स्थिति।
प्रत्येक परियोजना रिपोर्ट से संबंधित डीपीआर की दो प्रतियां अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय को जांच और क्लियरेंस के लिए भेजी जाएंगी।
बहुक्षेत्रीय विकास योजना की तैयारी के समय अनुसरणीय सिद्धांत -
योजना की तैयारी के लिए निम्नलिखित सिद्धांत निर्धारित किए गए हैं
(क) शिक्षा , स्वास्थ्य और कौशल विकास से जुड़ी परियोजनाओं पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए;
(ख) स्व-रोजगार/आय सृजन से जुड़ी परियोजनाएं ऋण आधारित होनी चाहिए न कि सब्सिडी आधारित तथा इस प्रकार तैयार की जानी चाहिए कि बैंकों/वित्तीय संस्थानों और लाभार्थी योगदान के माध्यम से ऋण के रूप में बड़ा निवेश किया जा सके। तथापि, केन्द्र सरकार की सब्सिडी आधारित योजनाओं के मामले में इसमें ढील दी जा सकेगी क्योंकि योजना के कार्यक्षेत्र में विस्तार हेतु संसाधनों में वृद्धि नितान्त आवश्यक है। ऐसे मामलें में, सब्सिडी को उस स्तर पर रखा जाना चाहिए, जैसा केन्द्र सरकार की योजनाओं/कार्यक्रमों के तहत प्रदान किया गया है।
(ग) ऐसे अल्पसंख्यक बहुल ब्लॉकों/शहरों /नगरों/गावों में कार्यान्वयनाधीन किसी वर्तमान कार्यक्रम के दिशा -निर्देशों में कोई बदलाव नहीं होगा, जिसके लिए इस योजना के तहत अतिरिक्त धनराशि उपलब्ध कराई जाएगी।
14 सामाजिक-आर्थिक अवसंरचना और समुदाय परिसंपति के सृजन के लिए परियोजना निर्धारण कार्य में निम्नलिखित मानदंड सहायक होंगे -
(क) भूमि अधिग्रहण लागत को इस कार्यक्रम के तहत शामिल नहीं किया जा सकेगा। इसे राज्य/संघ राज्य क्षेत्र द्वारा वहन किया जाएगा।
(ख) इस कार्यक्रम के लिए वित्तीय सहायता का उपयोग प्रशासनिक भवनों के नवीकरण अथवा निर्माण, प्रतिद्गठान लागत/कर्मचारी लागत आदि के मद में नहीं किया जा सकेगा।
(ग) परियोजना कार्यान्वयन प्राधिकरणों द्वारा इस कार्यक्रम से कोई भी कर्मचारी घटक - कार्य प्रभारित अथवा नियमित - नहीं सृजित किया जाएगा।
इस कार्यक्रम के अंतर्गत योजना अभिज्ञात ब्लॉक/शहर /समूह के स्तर पर बनायी जाएगी। एमसीबी के रूप में अभिज्ञात ब्लॉकों के लिए एमएसडीपी (ब्यौरा पैरा 8 में) हेतु गठित ब्लॉक स्तरीय समिति योजना बनाएगी और इसे प्रधानमंत्री के नए 15 सूत्री कार्यक्रम हेतु जिला स्तरीय समिति के पास भेजेगी। शहरों /नगरों के मामले में इस कार्यक्रम के कार्यान्वयन के लिए अभिज्ञात शहरी क्षेत्र के स्थानीय निकाय द्वारा योजना बनायी जाएगी और जिला स्तरीय समिति को प्रस्तुत की जाएगी। ब्लॉक स्तरीय समिति ऐसे ब्लॉकों के लिए गठित की जाएगी, जिनके अल्पसंख्यक गावों के समूहों को ईसी द्वारा अनुमोदित किया गया है। ऐसे समूहों के लिए योजना ब्लॉक स्तरीय समिति द्वारा बनायी जाएगी और जिला स्तरीय समिति को भेजी जाएगी।
जिला स्तरीय समिति योजना प्रस्ताव की संवीक्षा करेगी और 15 सूत्रीय कार्यक्रम हेतु इसे राज्य स्तर की समिति को सिफारिश करेगी। समितियां यह सुनिश्चित करेंगी कि जिले के लिए बहुक्षेत्रीय विकास योजना, कार्यक्रम के विवरण में उल्लिखित अन्य बातों के साथ-साथ निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखते हुए तैयार की गई है
(क) सम्बद्ध जिले को राष्ट्रीय औसत के अनुकूल लाने के लिए आधारभूत सुविधा मानदंडों और अल्पसंख्यकों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए परियोजनाओं का प्रस्ताव करना;
(ख) कमी/अंतराल को पूरा करने के लिए परियोजनाओं का प्रस्ताव करना, न कि बजट सहायता प्राप्त किसी वर्तमान योजना को समान प्रयोजन से रखने के लिए;
(ग) यह सुनिश्चित करना कि अल्पसंख्यक बहुल जिलों के लिए उपलब्ध कराई गई धनराशि इन जिलों के लिए अतिरिक्त संसाधन हैं और इन्हें राज्यों में संवाहित राज्य सरकार की निधियों के साथ नहीं मिलाया जाना चाहिए। अल्पसंख्यक बहुल जिलों से निधियां अन्यत्र लगाया जाना रोकने के लिए सम्बद्ध जिले की पिछले वर्ष की धनराशि को उपयोग में लाए जाने को आधार माना जाएगा।
(घ) उन चुनिन्दा क्षेत्रों के लिए परियोजनाओं का प्रस्ताव करना, जिन्हें सम्बद्ध राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों की वार्षिक योजनाओं तथा ग्याहरवीं पंचवर्षीय योजना के कार्यक्रमों में और केन्द्र सरकार के कार्यक्रम/योजनाओं में शामिल नहीं किया गया है किन्तु जिले के विकास के लिए महत्वपूर्ण माना जाता हो।
(ड.) यह सुनिश्चित करना कि राज्य और केन्द्रीय योजनाओं के तहत कार्यान्वित अथवा कार्यान्वयन हेतु प्रस्तावित योजनाओं का समान प्रयोजन से पुनरावृत्ति न हो।
(च) अल्पसंख्यक बहुल गांवों/स्थान स्थितियों पर मुखय रूप से ध्यान केन्द्रित करने वाली योजनाओं का चयन करना।
(छ) सम्बद्ध क्षेत्र के संसाधनों को न्यायोचित ढंग से संवितरित करना, ताकि संगतपूर्ण मानदंडो को राष्ट्रीय औसत से ऊपर लाया जा सके।
(ज) जहां कहीं तंत्र स्थापित है वहां पंचायती राज्य संस्थाओं/स्थानीय निकायों को बहुक्षेत्रीय विकास योजनाओं में लगाया जाना।
(झ) यह सुनिश्चित करना कि सम्बद्ध जिले से संबंधित बहुक्षेत्रीय विकास योजना उस जिले में संसाधनों की उपलब्धता और कार्यक्षेत्र को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है।
(ञ) यह सुनिश्चित करना कि बहुक्षेत्रीय विकास योजना वार्षिक योजनाओं और ग्याहरवीं पंचवर्षीय योजना को शामिल करते हुए जिले के अंतर्गत समग्र नियोजन प्रक्रिया के अनुरूप तैयार किया गया है।
उपायुक्त/कलेक्टर/जिला मिशन निदेश क जैसा भी मामला हो, जिला योजना को बनाने और इसके कार्यान्वयन और प्रभावी निगरानी रखने के लिए सहायता प्रदान करेंगे।
अल्पसंख्यकों के कल्याणार्थ प्रधान मंत्री के नए 15-सूत्रीय कार्यक्रम के कार्यान्वयन के लिए मुखय सचिव की अध्यक्षता में गठित राज्य स्तरीय समिति सम्बद्ध राज्य/संघ राज्य क्षेत्र में बहुक्षेत्रीय विकास कार्यक्रम के कार्यान्वयन के लिए राज्य स्तरीय समिति का कार्य भी करेगी। वर्तमान सदस्यों के अतिरिक्त, इसमें सभी सम्बद्ध विभाग के सचिवों, वित्त व योजना विभागों के सचिवों, सम्बद्ध जिले की जिला नियोजन समिति/उप आयुक्त तथा राज्य/संघ राज्य क्षेत्र के अग्रणी बैंक के प्रमुख को सदस्य के रूप में शामिल किया जा सकता है। बैठक से संबंधित सूचनाएं अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय को भेजी जाएंगी, ताकि मंत्रालय का कोई अधिकारी बैठक में शामिल हो सके।
राज्य स्तरीय समिति (एसएलसी) 10 करोड़ रु0 तक की परियोजनाएं अनुमोदित करेगी।परियोजनाओं को अनुमोदित करते समय एसएलसी निम्नलिखित सुनिश्चित करेगी -
i) यह देखेगी कि योजना प्रस्ताव एमएसडीपी की परिधि में है अर्थात् परियोजनाएं एमएसडीपी के उद्देश्यों और दिशा -निर्देशों के अनुरूप हैं।
ii) यह अपने आपकों संतुष्ट करेगी कि प्रस्तावित स्थान पर परियोजना की जरुरत और औचित्य है।
iii) यह सुनिश्चित करेगी कि राज्य द्वारा अनुमोदित एकल परियोजनाओं की लागत केंद्रीय मंत्रालयों की अनुरूप योजनाओं के मानकों/बनावट से ली गई मानक लागत के अनुसार है।
iv) यह सुनिश्चित करेगी कि एमएसडीपी के अंतर्गत परिसंपत्तियां सृजन के कैचमेंट क्षेत्र में अल्पसंख्यक बहुल जनसंख्या है।
v) यह सुनिश्चित करेगी कि केंद्र और राज्य सरकार की अन्य योजनाओं की परियोजनाओं का दोहरीकरण न हो रहा है।
vi) यह सुनिश्चित करेगी कि परियोजना के लिए भूमि उपलब्ध है।
vii) यह सुनिश्चित करेगी कि सृजित की गई परिसंपत्तियों का स्वामित्व सरकारी/सरकारी निकायों के पास हो।
viii) यह सुनिश्चित करेगी कि राज्य सरकार भविष्य में आवर्ती व्यय करने में सक्षम हो और परियोजना के लिए जरुरी स्टॉफ उपलब्ध करा सके।
ix) यह सुनिश्चित करेगी की केंद्र और राज्य सरकार के बीच परियोजना की निधियों की हिस्सेदारी का तरीका उस परियोजना के संबंधित केंद्र प्रायोजित योजना के अनुरूप है।
मंत्रालय के एक प्रतिनिधि को राज्य स्तरीय समिति की बैठक में भाग लेने के लिए भी तैनात किया जाएगा। राज्य स्तरीय समिति ब्लॉक/शहरों /समूहों पर अनुमोदित परियोजनाओं के आधार पर ब्लॉक/शहर /समूह की योजना अधिकार प्राप्त समिति को विचारार्थ भेजेगी। प्रस्तावित योजना दिए गए परिशिष्ट-II के प्रारूप के अनुसार भेजी जाएगी।
तथापि, 10 करोड़ रु0 की और इससे अधिक की लागत वाली परियोजनाएं विस्तृत परियोजना रिपोर्ट, समर्थन आदि के साथ केंद्र में अधिकार प्राप्त समिति को भेजी जाएगी।
अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय में अधिकार प्राप्त समिति (ब्यौरे पैरा 15 में दिए गए हैं) ब्लॉक/शहरों /समूहों की समग्र योजना और दस करोड़ से अधिक लागत वाली परियोजनाओं को अनुमोदन प्रदान करेगी। केंद्र में अधिकार प्राप्त समिति समग्र योजनाओं की जांच करेगी और देखेगी कि योजना प्रस्ताव एमएसडीपी के दिशा निर्देशों के अनुरूप हैं कि नहीं। अधिकार प्राप्त समिति परियोजनाओं को राज्य सरकारों की जरूरतों की तुलना में योजना परिव्ययों पर निर्भर होते हुए उन्हें कम या ज्यादा कर सकती है और अन्त में योजना को अनुमोदित कर सकती है।
बहुक्षेत्रीय विकास कार्यक्रम के तहत स्वीकृत परियोजनाओं के लागत में वृद्धि, चाहे किसी भी कारण से हो, से संबंधित किसी भी प्रस्ताव पर विचार नहीं किया जाएगा। ऐसे सभी मामलों में क्षति का वहन राज्य सरकार द्वारा किया जाएगा।
प्रशासनिक लागत
निगरानी तंत्र
होगा। इस प्रकार कार्यक्रम के निगरानी निम्नलिखित प्रणालियों के माध्यम से की जाएगी -
एमएसडीपी के लिए ब्लॉक स्तर समिति ब्लॉक स्तर पर कार्यक्रम के निगरानी के लिए जिम्मेदार होगी। यह समिति तीन माह में एक बार बैठक करेगी और इसकी रिपोर्ट प्रधानमंत्री के 15 सूत्री कार्यक्रम के लिए जिला स्तरीय समिति (डीएलसी) को भेजेगी। ब्लॉक स्तरीय समिति को कार्यक्रम के कार्यान्वयन हेतु प्रत्येक ब्लॉक में लगाई जाने वाले ब्लॉक स्तरीय सहायकों (ब्यौरे पैरा 13 में हैं) से भी सहायता मिलेगी। जिला स्तरीय समिति एमएसडीपी के अंतर्गत कार्यान्वयन किए जाने वाली परियोजनाओं की प्रगति की समीक्षा हेतु त्रैमासिक बैठकें करेंगी और रिर्पोटें अगली तिमाही के 15वें दिन तक प्रधानमंत्री के 15 सूत्री कार्यक्रम के लिए जिला स्तरीय समिति (डीएलसी) को भेजेगी। एसएलसी को कार्यक्रम के अंतर्गत प्रगति की समीक्षा करने के लिए तीन माह में एक बार बैठक करनी चाहिए और तिमाही के अंत के एक महीने के अंदर इसकी रिपोर्ट अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय को भेज देनी चाहिए। केंद्र की अधिकार प्राप्त समिति निरीक्षण समिति का भी कार्य करेगी और कार्यक्रम के कार्यान्वयन की निगरानी भी करेगी।
स्वतंत्र एजेंसी/योग्य निरीक्षकों द्वारा निगरानी
अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय विखयात वाह्य एजेंसियों और योग्य निरीक्षकों काम पर रखते हुए एक स्वतंत्र निगरानी तंत्र का निर्माण करेगी। इस प्रणाली से कार्यक्रम के कार्यान्वयन के संबंध में राज्य-संघ राज्य क्षेत्र-वार आवधिक फीडबैक मिलेगा, जिसका आवश्यक सुधारात्मक कार्रवाई करने के लिए राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों के साथ सांझा भी किया जाएगा।
समुदाय की सहभागिता के साथ निगरानी-सामाजिक लेखा
कार्यक्रम की निगरानी और मूल्यांकन में समुदाय को शामिल करने के लिए अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय द्वारा सामाजिक लेखा का एक उपयुक्त तंत्र अपनाया जाएगा। राज्य/संघ राज्य क्षेत्र जिला और ब्लॉक स्तरीय प्रशासन सामाजिक लेखा प्रणाली के सफल कार्यान्वयन के लिए अपना पुरा सहयोग प्रदान करेंगे। समुदाय के प्रमुख सदस्यों से प्रत्येक ब्लॉक में हुए कार्यों की निगरानी करने के लिए सामाजिक लेखा समिति नामक एक समिति गठित की जाएगी।
सम्मेलन और दौरों के माध्यम से निगरानी
इस कार्यक्रम के अंतर्गत प्रगति की राष्ट्रीय, राज्य और जिला स्तर पर निगरानी रखने के लिए नियमित बैठकें आयोजित की जाएंगी। कार्यक्रम से संबंधित अधिकारी और स्टॉफ कार्यकम का जल्द कार्यान्वयन और गुणवत्ता का पालन सुनिश्चित करने के लिए परियोजना स्थलों का नियमित दौरा करेंगे। राज्य/जिला अधिकारियों द्वारा विखयात प्रयोगशाला सहुलियतों के माध्यम से नियमित गुणवत्ता परीक्षा की जाएंगी। तिमाही के अंत में राज्य सरकार/संघ राज्य प्रशासन प्रत्येक परियोजना के संबंध में की गई प्रगति रिपोर्ट करेंगे। कार्यान्वयन की परियोजना-वार प्रगति, तिमाही आधार पर इस कार्य के लिए अनुलग्नक-IV में निर्धारित तिमाही प्रगति रिपोर्ट (क्यूपीआर) के प्रारुप और ऑनलाईन जब आईटी सक्षम प्रणाली शुरु हो जाती है, रिपोर्ट प्रस्तुत की जाएगी। कोई अतिरिक्त सूचना प्रारूप में दी जाए। ऐसी क्यूपीआर की कागजी प्रति तिमाही के खत्म हो जाने के 15 दिनों के भीतर अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव तक पहुंच जानी चाहिए।
जिला मजिस्ट्रेट प्रत्येक अल्पसंख्यक बहुल ब्लॉक (एमसीबी) के लिए ब्लॉक स्तरीय समिति (बीएलसी) गठित करेगा। ब्लॉक स्तरीय समिति का गठन निम्न प्रकार से होगा –
ब्लॉक स्तरीय सहायक
अल्पसंख्यक समुदायों और सरकारी कार्यक्रमों के मध्य सेतु का कार्य करने के लिए उनको दी गई जिम्मेदारी के निर्वहन हेतु ठेकागत आधार पर ब्लॉक स्तर पर एक सुविधाप्रदाता लगाया जाएगा। सुविधाप्रदाता कार्यक्रम के कार्यान्वयन के लिए जिम्मेदार जिला नोडल अधिकारी के सीधे नियंत्रण और देख-रेख के अधीन काम करेगा। ब्लॉक स्तरीय सुविधाप्रदाता को 10000/-से 15000/- रुपये मासिक पारिश्रमिक और 5000/- अधिकतम कार्यक्रम के प्रशासनिक लागत से टीए/डीए और अपने संचालन और क्रियाकलापों के लिए भुगतान किया जा सकता है।
सुविधाप्रदाता को विशेष तः सामाजिक क्षेत्र में दो वर्षों के कार्य अनुभव के साथ स्नातक होने चाहिए। राज्य सरकार/संघ राज्य प्रशासन सहायकों के लिए सही अर्हताएं निर्धारित करेंगे जिसके विस्तृत मानक यहां दिए गए हैं और समाचार-पत्रों में खुले आवेदन के जरिए एक पारदर्शी प्रक्रिया के जरिए सहायकों को रखेगी। संविधा सेवा की निबंधन एवं शर्तें राज्य/संघ राज्य क्षेत्रों द्वारा निर्धारित की जाएंगी।
ब्लॉक स्तरीय सुविधाप्रदाता के निम्नलिखित कार्य होंगे -
अल्पसंख्यक बहुल जिलों की योजना में परियोजनाओं के मूल्यांकन, अनुशंसा और स्वीकृति के लिए 'बहुक्षेत्रीय विकास कार्यक्रम से सम्बद्ध अधिकारप्राप्त समिति' होगी। समिति की संरचना इस प्रकार होगी
अधिकारप्राप्त समिति आवश्यकतानुसार आईसीएसएसआर के क्षेत्रीय अनुसंधान संस्थानों अथवा आधारभूत सर्वेक्षण करने वाले विश्वविद्यालय जैसी व्यावसायिक एजेंसी के प्रमुखों को अपनी बैठकों में आमंत्रित कर सकेगी।
अधिकारप्राप्त समिति के कार्य
अधिकारप्राप्त समिति के कार्य इस प्रकार होंगे -
राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों से प्राप्त प्रस्तावों पर विचार के लिए आवश्यकतानुसार अधिकारप्राप्त समिति की बैठक होगी।
कार्यान्वित विकास योजनाओं से संबंधित सूचना लाभार्थियों अर्थात् लक्षित लाभार्थियों तक पहुंचाना सुनिश्चित करने की दृष्टि से यह आवश्यक है कि सूचनाओं का व्यापक प्रचार-प्रसार हो तथा उसमें पारदर्शिता बनाई रखी जाए। इस प्रयोजन से निम्नलिखित बातें सुनिश्चित की जाएंगी -
12वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान बहु-क्षेत्रीय विकास कार्यक्रम के कार्यान्वयन के तहत कवर किए गए राज्य/जिला-वार ब्लॉकों और शहरों की सूची और साथ ही परिपत्रों और अनुलग्नकों को मंत्रालय के वेबसाइट में देखें I
अंतिम बार संशोधित : 3/13/2023
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