1. समाज कल्याण के कार्यकलाप में स्वैछिक संगठनों की भूमिका और उनकी भागीदारी को सरकार ने महत्वपूर्ण संसाधन के रूप में मान्यता देते हुए इस बात पर जोर दिया है कि सामाजिक समस्याओं और मुद्दों के समाधान के लिए समुदाय की भागीदारी की जरूरत होती है सरकार और स्वैच्छिक संगठनों को ये जिम्मेदारी मिलकर संभालनी होगी और करने होने, जिन्हें करने के लिए अधिक उपयुक्त हैं| सरकार की नीति रही है कि स्वैच्छिक संगठनों को न केवल मान्यता दी जाए बल्कि उन्हें बढ़ावा, प्रेरणा और विकास के अवसर प्रदान किये जाएँ तथा इन संगठनों को अपने कार्यकत्ताओं की प्रशिक्षित करने के अवसर प्रदान किए जाएँ ताकि समाज कल्याण के कार्यकलाप में इन संगठनों का सहयोग प्राप्त किया जा सके| सरकार द्वारा प्रायोजित कार्यक्रमों में भागीदारी करने से स्वैच्छिक संगठनों को उन राष्ट्रीय सरोकारों एवं राष्ट्रीय कार्यक्रमों की मुख्यधारा से जुड़ने का अवसर प्राप्त होता ही, जिनका उद्देश्य समाज के वंचित वर्गों का कल्याण है|
2. स्वैच्छिक प्रयासों को बढ़ावा देने की सरकार की प्रतिबद्धता का प्रमाण वर्ष 1953 में केन्द्रीय समाज कल्याण बोर्ड का गठन और कामकाजी महिला होस्टल, शिशु गृह, पूरक पोषण कार्यक्रम जैसी कई स्कीमों के कार्यान्वयन के लिए स्वैच्छिक संगठनों ने जिनमें अपनी रूचि दर्शाई है किन्तु महिला एंव बाल विकास विभाग के लिए सहायता प्रदान करना संभव नहीं हो पाया क्योंकि वे क्षेत्र किसी भी अनुमोदित स्कीम के कार्यक्षेत्र में शामिल नहीं है| इसके अतिरिक्त ये क्षेत्र कई प्रकार की समस्याओं/लाभार्थियों से सम्बन्धित होते हों और प्रत्येक समस्या के लिए विशेष रूप से एक अलग स्कीम तैयार करना चाहेगा| कुछ सामाजिक समस्याओं का स्वरुप अंतरराज्यीय भी होता है, जैसे कि चम्बल घाटी क्षेत्र की क्योंकि यह क्षेत्र कई राज्यों में फैला है और इसलिए प्रशासनिक या विधायी प्रयासों की अपेक्षा सतत स्वैच्छिक प्रयास प्रभावी नहीं हो सकते हैं| ऐसे व्यापक क्षेत्रों की सामाजिक समस्याओं के समाधान अथवा लाभार्थी वर्गों की जरूरतों की पूर्ति के लिए सामान्य सहायतानुदान स्कीम का प्रस्ताव है, जो मौजूदा सहायतानुदान स्कीमों के कार्यक्षेत्र में दखल न करके इनकी अनुपूर्ति ही करेगी|
3. परियोजनाओं को अनुमोदित करते समय निम्नलिखित मार्गदर्शक सिद्धांतों का अनुपालन किया जायेगा:
1) ऐसे क्षेत्रों की समस्याओं का समाधान करने वाली परियोजनाएँ, जिनमें अब तक सेवाएं प्रदान नहीं की गई हैं किन्तु तत्काल सेवाएँ प्रदान किया जाना आवश्यक है|
2) मौजूदा सेवाओं की मुलभूत कमियों को पूरा करके उनके प्रभाव को अधिकतम बनाने वाली परियोजाएं|
3) समेकित सेवाएं प्रदान करने वाली परियोजनाएं| यह आवश्यक नहीं है कि सभी घटकों के लिए वित्तीय सहायता के ही स्रोत से प्राप्त हो|
4) किसी और पर निर्भर रहने की बजाय व्यक्ति आत्मनिर्भर बनने की क्षमता प्रदान करने वाली परियोजनाएं|
5) जहाँ समस्या का स्वरुप ऐसा हो कि गैर-संस्थागत सेवाएँ प्रदान करना आवश्यक हो, वहां गैर-संस्थागत सेवाएँ प्रदान करने वाली, संस्थागत कार्य्रकम चलाने वाली सामुदायिक परियोजनाओं को सहायता प्रदान की जाएगी|
6) विकट सामाजिक समस्याओं के समाधान के लिए जनमत तैयार करने वाली परियोजनाएं|
7) एक से अधिक राज्यों में फैली समस्याओं का समाधान करने वाली परियोजनाएं|
8) केंद्रीय समाज कल्याण बोर्ड सहित महिला एवं बाल विकास की किसी भी मौजूदा स्कीम में शामिल न होने वाली परियोजनाएं|
4. सहायतानुदान के लिए प्रस्तुत किये जाने वाली प्रस्तावों में निम्नलिखित का ब्यौरा दर्शाया जाना चाहिए:
1) उस समस्या का विवरण, जिसका समाधान करने के प्रयास परियोजना में किये जाने हैं|
2) परियोजना के उद्देश्य
3) परियोजना में शामिल भौगोलिक क्षेत्र|
4) वह लाभार्थी वर्ग, जिसे सेवाएँ प्रदान की जानी हैं|
5) प्रदान की जाने वाली संस्थागत एवं गैर-संस्थागत दोनों प्रकार की सेवाएँ और लाभार्थियों से लिए जाने वाली प्रभार, यदि कोई प्रभार लिए जाने का प्रस्ताव हो|
6) वे वास्तविक लक्ष्य, जिन्हें प्राप्त करने के प्रयास परियोजना में किये जायेंगे|
7) संगठन को ऐसे कार्यक्रमों और सेवाओं की योजना बनाने एवं उनका कार्यान्वयन करने की विशेषज्ञता/अनुभव
8) प्रत्येक वर्ष की आवर्ती और अनावर्ती मदों की लागत का आकलन (प्रत्येक शीर्ष के लिए अलग आकलन)
9) परियोजना के अपेक्षित परिणाम (जहाँ कहीं संभव हो मात्रात्मक निर्धारण)|
5.1 इस स्कीम के अतर्गत अनुदान स्वैच्छिक संगठनों.संस्थाओं, विश्वविद्यालयों, अनुसन्धान संस्थानों तथा केंद्र सरकार/राज्य सरकार/सार्वजानिक क्षेत्र के उपक्रमों/स्थानीय प्राधिकरणों.सहकारी संस्थाओं द्वारा स्थापित एवं वित्त पोषित शोध संस्थानों को दिए जा सकते हैं|
5.2 संगठन को उस कार्यक्रम या सम्बन्धित क्षेत्र में कार्य करने का अनुभव होना चाहिए या उस संगठन को प्रस्तावित स्कीम चलाने की अपनी क्षमता का साक्ष्य दर्शाना चाहिए|
5.3 किसी भी स्कीम के अंतर्गत सहायतानुदान का आवेदन करने की पात्रता पाने हेतु संगठन को कम से कम दो वर्ष पहले से मौजूद होना चाहिए| तथापि जिन क्षेत्रों में केंद्र राज्य सरकार स्वैच्छिक प्रयास को बढ़ावा देने का प्रस्ताव करें उन क्षेत्रों में इस नियम में छूट दिए जाने पर विचार किया जा सकता है|
5.4 वह संगठन समाज कल्याण के कार्य चलाने के लिए आवश्यक सुविधाओं, संसाधनों एवं कर्मिकों से लैस एक सुव्यवस्थित एवं सुस्थिर संगठन होना चाहिये|
5.5 संगठन को किसी एक व्यक्ति यह व्यक्तियों के समूह के लाभार्थ न चलाया जा रहा हो|
5.6 संगठन कस समुचित रूप से गठित निकाय होना चाहिये, जिसकी शक्तियां/दायित्व संगठन के लिखित संविधान में स्पष्ट रूप से परिभाषित एव निर्धारित किये गए हों|
5.8 संगठन द्वारा किया गए upyogiउपयोगी कार्य के वर्षों की संख्या दर्शाना संभव होना चाहिए (अनुदान की मात्रा के साथ अलग से दर्शाया जाना चाहिए)|
6. इस स्कीम के प्रयोजनार्थ “स्वैच्छिक संगठन” से अभिप्रेत होगा:
क) भारतीय सोसाइटी रजिस्ट्रीकरण अधिनियम 1880 (1860 का अधिनियम संख्या XXI) के अंतर्गत पंजीकृत सोसाइटी, या
ख) लाभ न कमाने वाली धमार्थ कम्पनी, या
ग) तत्समय प्रवृत्त किसी कानून के अतर्गत पंजीकृत सार्वजनिक न्यास ,या
घ) समाज कल्याण के कार्य करने वाला और ऐसे कार्यों को बढ़ावा देने वाला कोई भी ऐसा गैर-सरकारी संगठन, जो पंजीकृत हो|
7.1 आवेदन सामान्यतः राज्य सरकारों के माध्यम से प्रस्तुत किए जायेगे| राष्ट्रीय संगठनों के मामले में सीधे संगठन से प्राप्त आवेदन पर विचार कर सकती है और जहाँ आवश्यक हो, उस राज्य/संघ राज्य क्षेत्र की सिफारिशें प्राप्त कर सकती हैं, जिसमें कार्यकलाप चलाने का प्रस्ताव उक्त संगठन ने किया हो| उन सुविख्यात अखिल भारतीय संगठनों की राज्य शाखाओं और प्रतिष्ठित राज्य स्तरीय संगठनों के आवेदनों पर सीधे विचार किया जा सकता है, जिनसे महिला एवं बाल विकास परिचित हैं|
7.2 आवेदन के साथ निम्नलिखित दस्तावेज भेजे जाने चाहिये या;
i) संघ का संविधान, इसके अंतर्नियम, लक्ष्य एवं उद्देश्य
ii) प्रबंधन बोर्ड की संरचना एवं सदस्यों का ब्यौरा तथा मौजूदा प्रंबधन बोर्ड के गठन की तारीख
iii) पिछली वार्षिक रिपोर्ट
iv) केंद्र सरकार राज्य सरकार या स्थानीय निकायों अथवा स्वैच्छिक संगठनों सहित किसी भी अन्य निकाय से प्राप्त हुए अनुदानों या प्राप्त होने वाले अनुदानों से सबंधित जाकारी| यदि इसी प्रकार के उद्देश्यों के लिए इन संगठनों के पास कोई आवेदन लंबित हो तो उस आवेदन का भी ब्यौरा दिया जाये|
v) संगठन/संस्था के पिछले दो वर्षों के सम्पूर्ण आय एवं व्यय का विवरण तथा पिछले वर्ष के तुलन-पत्र की प्रति| इन्हे चार्टरित लेखाकार या सरकारी प्राधिकारी (दो वर्ष से अधिक समय से मौजूद संगठनों यह यह शर्त लागू है) मैं प्रमाणित किया हो|
7.3 प्रस्ताव भेजते समय संगठन यह प्रमाणित करेगा कि वह निम्नलिखित कार्यों की जिम्मेदारी संभालने के लिए सहमत है:
i) वित्तीय संसाधनों का संचालन और प्रबन्धन
ii) परियोजना के अतर्गत दान की गई निधियों का उपयोग केवल परियोजना से सम्बन्धित कार्यों के लिए किया जाए|
iii)जिन कार्यक्रमों/सेवाओं के लिए अनुदान प्राप्त हुए हों, उनका समुचित कार्यान्वयन किया जाए|
iv) महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा यथानिर्धारित प्रगति रिपोर्टें प्रस्तुत की जाएँ|
v) संस्वीकृति पत्र में दर्शाए गए प्रयोजनों को छोड़कर अन्य किन्हीं प्रयोजनों के लिए निधियों के दुरुपयोग या न बताने पर पूरी राशि ब्याज सहित लौटना|
7.4 निरंतर चलने वाली परियोजनाओं के मामले में सरकार संगठन द्वारा कार्यक्रम के कार्यकलाप और संतोषजनक निष्पादन को सहायता प्रदान करने का निर्णय ले सकती है| वित्तीय सहायता जारी रखने के अनुरोध के मामले में नये सिरे से आवेदन किया जाना चाहिये|
वे मदें, जिनके लिए सहायता दी जा सकती है
निम्नलिखित मदें सहायता की पात्र है:
8.i) भवनों का निर्माण या उन मौजूदा भवनों का विस्तार या किराया, जिनमें सम्बन्धित सेवा प्रदान की जा रही है (वार्डन, चौकीदार को छोड़कर अन्य कर्मचारियों के क्वार्टर शामिल नहीं है)
8.ii) उपकरणों, फर्नीचर इत्यादि की लागत|
8.iii) सेवाएँ प्रदान किये जाने के कारण प्रभार (शिक्षा, प्रशिक्षण, भोजन इत्यादि)
8.iv) कार्यक्रम के समुचित संचालन के लिए आवश्यक अन्य प्रभार|
9.1 प्रतावित भवन के नक्शे की प्रति (निर्मित होने वाले और भवन उसके अंतर्गत आने वाले क्षेत्र इत्यादि की रुपरेखा दर्शाने वाला कच्चा नक्शा) तथा निर्माण कार्य की लागत का आकलन प्रस्तुत किये जाने चाहिए| प्रस्ताव को सैद्धांतिक अनुमोदन प्राप्त हो जाने के बाद सम्बन्धित संस्था/संगठन को नक्शे का ब्लू प्रिंट और विस्तृत संरचनागत आकलन का ब्यौरा प्रस्तुत करना होगा, जिसमें वह भी उल्लिखित हो कि भवन निर्माण विभाग का अनुमति प्राप्त हो गई है| तथापि, यह आवश्यक नहीं है कि आकलन को राज्य लोक निर्माण विभाग का अनुमोदन प्राप्त हो| राज्य सरकार द्वारा इस आशय का प्रमाण पत्र पर्याप्त होगा कि दर्शाई गई दरें लोक निर्माण विभाग की मौजूदा दर सूची में इसी प्रकार के कार्यों के लिए दर्शाई गई दरों से अधिक नहीं है|
9.2 संस्था को सहायतानुदान की पहली किश्त प्राप्त होने की तारीख से दो वर्ष की अवधि के भीतर भवन का निर्माण कार्य सम्पन्न कर लेना चाहिये, यदि केंद्र सरकार ने भवन निर्माण की अवधि बढ़ाने की अनुमति न दी हो|
9.3 अनुदान की किसी भी किश्त का भुगतान तब तक नहीं किया जायेगा, जब तक कि संस्था/संगठन का नियंत्रक प्राधिकारी अनुमोदित प्रपत्र में ऐसा बंध पत्र निष्पादित और पंजीकृत नहीं कराता ही, जिसमें भारत सरकार को पहले से यह अधिकार दिया गया हो कि जिस प्रयोजन के लिए अनुदान दिया गया, उस प्रयोजन के लिए भवन का उपयोग बंध कर दिए जाने की स्थिति में अनुदान के रूप में दी गई सम्पूर्ण राशि की वसूली के लिए सरकार भवन का अधिग्रहण कर सकती है|
9.5 भवन निर्माण का कार्य सम्पन्न होने के बाद सम्बन्धित संगठन केंद्र सरकार को निम्नलिखित दस्तावेज की प्रतियाँ प्रस्त्तुत करेगा|
क) राज्य लोक निर्माण विभाग से इस आशय प्रमाण पत्र कि भवन निर्माण का कार्य अनुमोदित योजनाओं एवं प्राक्कलनों के अनुसार सम्पन्न किया गया है: तथा
ख) भवन के निर्माण कार्य पर किये गए खर्च का विवरण, जिसकी विधिवत लेखा परीक्षा अधिकृत लेखा परीक्षकों ने की हो|
9.6 संगठन का अध्यक्ष यह सुनिश्चित करेगा कि निर्माण कार्य के दौरान और निर्माण कार्य सपन्न हो जाने के बाद भी भवन राज्य लोक निर्माण विभाग या केन्द्रीय लोक निर्माण विभाग के अधिकारी या नरीक्षण के प्रयोजनार्थ केंद्र अथवा राज्य सरकार द्वारा पदनामित अन्य किसी अधिकारी द्वारा निरीक्षण के लिए खुला हो| इस विषय में यथास्थिति केंद्र सरकार या राज्य adhada सरकार द्वारा जारी किये गये अनुदेशों का अनुपालन करना संगठन के अध्यक्ष का दायित्व होगा|
10. यात्रा के प्रयोजनार्थ यात्रा भत्ते/दैनिक भत्ते के विषय में सम्बन्धित संगठन/संस्था के नियम ही लागू होंगे|
11.1 संगठन/संस्था से यह अपेक्षित है कि वह परियोजना के लिए उपलब्ध सुविधाओं का अधिकतम उपयोग करें| तथापि, अपवाद स्वरुप उन मामलों में उपकरण खरीदने/किराए पर ,लेने की संस्वीकृति दी जा सकती है, जिनमें पूर्ण औचित्य दर्शाया गया हो| प्रत्येक मद की अनुमानित लागत सहित उपकरणों/पूंजीगत भंडार का ब्यौरा प्रस्तुत किया जायेगा, जिन्हें खरीद ने/किराए पर लिए जाने का प्रस्ताव हो| यदि संस्वीकृति की अवधि के दौरान परियोजना छोड़ दी जाती है अथवा परियोजना शुरू ही नहीं की जाती तो अनुदानग्राही संस्था/संगठन पूरी राशि लौटायेंगे| मंत्रालय से प्राप्त अनुदान से ख़रीदे गए भंडार की प्रविष्टि स्टॉक रजिस्टरों में करके ये रजिस्टर जाँच के लिए लेखा परीक्षकों को प्रस्तुत किये जाएँगे|
11.2 संगठन को प्राप्त सहायतानुसार से खरीदे गये उपकरणों का विवरण प्रस्तुत करना चाहिए (केवल 200/रूपये या इससे अधिक कीमत के उपकरणों के विषय में)
11.3 सहायतानुदान से खरीदे गये उपकरण केवल 200/रूपये या इससे अधिक कीमत के उपकरण) महिला एवं बाल विकास विभाग की सम्पत्ति होंगे| महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ही परियोजना के सम्पन्न होने के बाद इनके निपटान के विषय में निर्णय लेगा| विभाग उपकरण को हस्तांतरित करके संस्था को इसका उपयोग करने की अनुमति देने के लिए सहमत हो सकता है, बशर्तें कि सम्बन्धित उपकरण का उपयोग कल्याण सेवाओं के लिए किया जाये और संस्था उपकरण की समुचित देखरेख एवं अनुरक्षण का वचन दे|
12. इस शीर्ष के अंतर्गत डाक, लेखन, सामग्री, टेलीफोन प्रभार और व्यय की ऐसी ही अनपेक्षित मदों के लिए राशि का प्रावधान किया जायेगा|
13. कुल अनुमोदित व्यय के 5% से अधिक प्रभार की अनुमति नहीं दी जाएगी|
14. परियोजना के अनुमोदित कार्यकाल के दौरान ही परियोजना को वित्तीय सहायता दी जा सकती है|
15.1 अनुदानग्राही संस्था लिखित में इस बात पुष्टि करेगी कि सहायतानुदान नियमों में उल्लिखित शर्तें उसे स्वीकार्य हैं और व संस्था भारत के राष्ट्रपति के पक्ष में इस आशय का बंध पत्र निष्पादित करेगी कि वह अनुदान से सम्बन्धित शर्तों का अनुपालन करेगी और यदि वह संस्वीकृति का अनुपालन करने में असफल होने पर सरकार को उक्त प्रयोजनार्थ संस्वीकृति किये गये कुल सहायतानुदान निकायों के मामले में बंध-पत्र पर हस्ताक्षर करने का आग्रह नहीं किया जायेगा|
15.2 अनुदानग्राही संस्था अनुदान के विषय में अलग लेखा तैयार करेगी| भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक सहित भारत सरकार के प्रतिनिधियों को भी निरीक्षण के लिए ये लेखे उपलब्ध कराए जायेगें| अवधि की समाप्ति के बाद संस्था अनुदान सम्बन्धी लेखे की लेखा परीक्षा सरकारी लेखा परीक्षक या चार्टरित लेखाकार से कराकर लेखा परीक्षित लेखा की प्रति और उपयोग प्रमाण पत्र महिला एवं बाल विकास विभाग को प्रस्तुत करेगी| संगठन अनुदान में से अव्ययित रह गई शेष राशि तत्काल लौटाएगा|
16.1 आवर्ती और अनावर्ती व्यय की अनुमोदित लागत 90% की वित्तीय सहायता दी जाएगी और शेष 10% राशि की पूर्ति स्वैच्छिक एजेंसी या कोई अन्य संगठन करेगा, किन्तु यह पूर्ति स्वैच्छिक संगठन स्वयं करे तो बेहतर होगा| दूर-दराज के जिन पिछड़े और जनजातीय क्षेत्रों में स्वैच्छिक और सरकारी प्रयास बहुत सीमित हैं और सेवाओं की आवश्यकता बहुत अधिक है उन क्षेत्रों में सरकार अनुमोदित लागत का 95% भाग वहन कर सकती हैं|
16.2 भवन निर्माण सम्बन्धी अनुदान के मामले में सरकारी अनुदान की अधिकतम सीमा 3.50 लाख रूपये या अनुमोदित लागत का 90% जो भी कम हो, होगी|
16.3 संगठन उसी प्रयोजन और कार्यकलाप के लिए किसी अन्य स्रोत से अनुदान प्राप्त नहीं करेगा तथापि अतिरिक्त लाभार्थियों या सहायक सेवाओं के लिए अन्य किसी स्रोत से निधियां प्राप्त की जाती हैं तो कोई आपत्ति नही होगी|
17.1 अनुदान उपयुक्त किश्तों में जारी किये जायेंगे| किसी परियोजना के पहले वर्ष में पहली किश्त अनुदान की संस्वीकृति के साथ ही जारी कर दी जाएगी ताकि अनावर्ती व्यय और छमाही आवर्ती व्यय की पूर्ति की जा सके| दूसरी या उसके बाद वाली किश्तें जारी करने के आवेदन के साथ पिछली तिमाही तक व्यय विवरण (जून, सितम्बर और दिसम्बर में समाप्त तिमाही) भेजा जायेगा|
17.2 निरंतर चलने वाली परियोजनाओं के मामले में सम्बन्धित संगठन से औपचारिक अनुरोध प्राप्त होने पर विभाग अपने विवेकाधिकार का प्रयोग करते हुए, पिछले वर्ष के लेखा परीक्षित न किये गए विवरण के आधार पर वर्ष विशेष में अधिकतम 75% सहायतानुदान जारी कर सकता है| शेष 25% सहायतानुदान पिछले वर्ष का लेखा परीक्षित विवरण और उपयोग प्रमाण प्रत्र प्राप्त होने के बाद जारी किया जा सकता है|
17.3 आवेदन के साथ निम्नलिखित दस्तावेज भेजे जाने चाहिए:
i) राज्य सरकार के किसी जिम्मेदारी अधिकारी की निरीक्षण रिपोर्ट के सैट राज्य सरकार की सिफरिशें (राज्य कल्याण निदेशायल भी ये सिफारिशें और निरीक्षण रिपोर्ट भेज सकता है) जहाँ कहीं संभव हो|
ii) पिछले वर्ष की प्रगति रिपोर्ट
iii) पिछले वर्ष के दौरान संस्वीकृति किये गए आवर्ती अनुदान की मात्रा से कुछ अंतर होने पर उस अंतर का पूर्ण औचित्य| इस अंतर का उल्लेख राज्य सरकार के निरीक्षण अधिकारी ने भी अपनी निरीक्षण रिपोर्ट तैयार करते समय किया हो|
17.4 संगठन को प्राप्त सहायतानुदान से खरीदे गए उपकरणों का विवरण प्रस्तुत करना चाहिए (केवल 200/रूपये या इससे अधिक कीमत के उपकरणों के विषय में)
17.5 सहायतानुदान से खरीदे गये उपकरण (केवल 200/रूपये या इससे अधिक कीमत के उपकरण) महिला एवं बाल विकास विभाग की सम्पत्ति होंगे| महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ही परियोजना के सम्पन्न होने के बाद इनके निपटान के विषय में निर्णय लेगा| परियोजना सम्पन्न होने से पहले अनुदान ग्राही संस्था इस विषय में प्रस्ताव प्रस्तुत करेगी| विभाग उपकरण को हस्तांतरित करके संस्था को इसका उपयोग करने की अनुमति देने के लिए सहमत हो सकता है, बशतें कि सम्बन्धित उपकरण का उपयोग कल्याण सेवाओं के लिए किया जाए और संस्था उपकरण की समुचित देखरेख एवं अनुरक्षण का वचन दे|
18. संस्था संस्वीकृति राशि से अधिक सहायतानुदान पाने के पात्र तब तक नहीं होगी, जब तक कि इस विषय में आवेदन भेज कर विभाग का पूर्व नौमोदं प्राप्त न किया गया हो| ऐसे मामले में पूर्ण औचित्य दर्शाना होगा| सम्बन्धित मामले के गुणदोष पर विचार करके मंत्रालय परियोजना लागत के अधिकतम 15% के बराबर अतिरिक्त अनुदान संस्वीकृति कर सकता है|
19. संस्था किसी भी मामले में आधिकतम 15% व्यय को ही एक संस्वीकृति उप-शीर्ष से दूसरे विषय के लिए पुनर्विनियोजित कर सकती है| ऐसा पुनर्विनियोजन समग्र संस्वीकृति राशि के अंतर्गत ही होगा| तथापि विभाग द्वारा संस्वीकृति न की गई मदों पर व्यय के लिए अव्ययित शेष राशि का पुनर्विनियोजन कर्मचारियों सम्बन्धी व्यय की पूर्ति के लिए भी नहीं किया जाएगा| सभी अनुमेय विनियोजनों की सुचना विभाग को दी जानी चाहिए| ऐसे पुनर्विनियोजन के लिए पूर्व अनुमोदन की कोई आवश्यकता नहीं है|
20. परियोजना निदेशक विभाग को वास्तव में किये गए व्यय के प्रमाणित विवरण और अगली छमाही के दौरान व्यय क्र अनुमान के साथ परियोजना की छमाही प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा| बाद वाली किश्तें परियोजना के संतोषजनक प्रगति को देखते हुए ही जारी की जाएगी|
21. परियोजनाओं में कोई बड़ा परिवर्तन तब तक नहीं किया जायेगा, चाहे ऐसे परिवर्तनों के लिए किसी भी अतिरिक्त लागत की आवश्यकता नो हो, जब कि विभाग का पूर्व अनुमोदन प्राप्त न कर लिया गया हो|
22. यदि विभाग परियोजना की प्रगति से संतुष्ट नहीं है अथवा यह पाता है कि नियमों का गंभीर रूप से उल्लंघन किया जा रहा है तो विभाग के पास यह अधिकार सुरक्षित है कि वह सहायतानुदान को समाप्त कर सकता है|
23.1 केंद्र या राज्य सरकार के अधिकारी या नियंत्रक और महालेखा परीक्षक या उनके द्वारा अधिकृत कोई अधिकारी परियोजना का निरीक्षण कर सकेंगे| परियोजना के लेखे अलग से रखे जायेगे और मांगे जाने प्र प्रस्तुत किये जायेंगे| भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक द्वारा, उनके विवेकाधिकार के अनुसार, नमूना परिक्षण के लिए भी ये लेखे उपलब्ध कराए जांएगे|
23.2 परियोजना सम्पन्न हो जाने पर अनुदानग्राही संस्था लेखा परीक्षित विवरण और किये गए सभी खर्चों के सम्बन्ध में उपयोग प्रमाण पत्र प्रस्तुत करेगी| परियोजना के लेखे की लेखा परीक्षा की व्यवस्था वही होगी, जो सम्बन्धी अनुदानग्राही संस्था में हो|
अनुलग्नक
आवेदन प्रपत्र
(नोट: आवेदन दो प्रतियों में प्रस्तुत किया जायेगा| अधूरे प्रपत्र में प्राप्त आवेदनों पर विचार नहीं किया जायेगा)
i) उस समस्या का विवरण, जिसका समाधान करने के प्रयास परियोजना में किये जाने हैं|
ii) परियोजना के उद्देश्य
iii) परियोजना में शामिल भौगोलिक क्षेत्र
iv) वह लाभार्थी वर्ग, जिसे सेवाएं प्रदान की जानी है|
v) प्रदान की जाने वाली संस्थागत एवं गैर-संस्थागत दोनों प्रकार की सेवाएँ|
vi) वे वास्तविक लक्ष्य, जिन्हें प्राप्त करने के प्रयास परियोजना में किये जांएगे:
क) मौजूदा सेवाएँ
ख) मौजूदा सेवाओं का अतिरिक्त प्रसार और
ग) नई सेवाएँ (सारणी के रूप में अलग से दर्शाई जाएँ)
vii) संगठन को ऐसे कार्यक्रमों और सेवाओं की योजना बनाने एवं उनका कार्यान्वयन करने की विशेषज्ञता/अनुभव
viii) प्रत्येक वर्ष की आवर्ती और अनावर्ती मदों की लागत का आकलन (प्रत्येक शीर्ष के लिए अलग आकलन) कमर्चारियों के मामले में प्रत्येक पद के लिए निर्धारित वेतन और भत्ते अलग से दर्शायें जाएँ|
ix) परियोजना के लिए आवश्यक उपकरणों, फर्नीचर इत्यादि का ब्यौरा और अनुमानित लागत
x) नए भवन के निर्माण या मौजूदा भवन के विस्तार या किराये का ब्यौरा, जिसमें सेवा प्रदान की जा रही है (वार्डन और चौकीदार इत्यादि का ब्यौरा और अनुमानित लागत
xi) परियोजना के अपेक्षित परिणाम (जहाँ कहीं संभव हो मात्रात्मक निर्धारण)
xii) सेवाओं के लिए लाभार्थियों से लिए वाले प्रस्तावित वजीफा, यदि कोई हो|
xiii) इस कार्यक्रम के समुचित संचालन के लिए आवश्यक अन्य कोई प्रभार |
संस्था किये अंशदान तथा शेष खर्च की पूर्ति कैसे करेगी, व्यय की मात्रा के साथ स्रोत का नाम बताएं|
संलग्न किये जाने वाले दस्तावेज/विवरणों की सूची
i) संगठन का संविधान इसके अंतर्गत, लक्ष्य एवं उद्देश्य(पहले आवेदन के समय प्रस्तुत किये जाएँ)
ii) पिछले वर्ष की वार्षिक रिपोर्ट, जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ कार्यकलाप का ब्यौरा दर्शया गया हो| प्राप्त किय गए वास्तविक लक्ष्यों और सेवा सम्बन्धी कार्यकलाप के स्थानों का उल्लेख किया गया हो|
iii) संगठन के कर्मचारियों की सूची और विवरण, जिसमें उनकी अर्हता, वेतनमान, मौजूदा वेतन और अन्य निकाय से प्राप्त हुए अनुदानों या प्राप्त होने वाले अनुदानों से सम्बन्धित जानकारी| यदि इसी प्रकार के उद्देश्यों के लिए इन संगठनों के पास कोई आवेदन लंबित हों तो उस आवेदन का भी ब्यौरा दिया जाये|
iv) संगठन/संस्था के पिछले दो वर्षो के सम्पूर्ण आय एवं व्यय का विवरण तथा पिछले वर्ष के तुलन-पत्र की प्राप्ति| इन्हें चार्टरित लेखाकार या सरकारी प्राधिकारी (दो वर्ष से अधिक समय से मौजूद संगठनों पर यझ शर्त लागू है| यदि संगठन को घाटा हुआ हो तो इस विषय में स्पष्टीकरण नोट दिया जाए कि इसकी पूर्ति कैसे की गई) ने प्रमाणित किया हो|
v) भवन के नक्शों और अन्य दस्तावेज की प्रति यदि प्रस्तावित हो (स्कीम के परिच्छेद संख्या 9.1 के अनुसार)
vi) स्कीम के परिच्छेद सं. 7.3 और 9.4 में अपेक्षित प्रमाण पत्र)
vii) संलग्न किये गये अतिरिक्त दस्तावेज की सूची, यदि कोई हो|
स्रोत: महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, भारत सरकार|
अंतिम बार संशोधित : 2/22/2020
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