हर साल 13 मिलियन से ज्यादा भारतीय काम करने वाली उम्र में प्रवेश करते हैं। आईटीआई संस्थानों, पोलिटेक्निकों, स्नातक कॉलेजों, प्रोफेशनल कॉलेजों आदि में प्रशिक्षण और शैक्षणिक क्षमताओं को जोड़कर देखें तो देश में कुल 3 मिलियन वार्षिक प्रशिक्षण क्षमता है। इन संस्थानों में किसी शिक्षित/कुशल भारतीय के निर्माण पर 1 से 4 साल तक लगते हैं। इसलिए भले ही तेजी से क्षमता निर्माण की होड़ लगी हो, जिस गति से नए भारतीय काम करने वाली उम्र में प्रवेश कर रहे हैं, उसमें प्रशिक्षण के लिए लंबी अवधि की तुलना में धीमी गति से कौशल विकास की गति को बनाए रखने के लिए 10 लाख से अधिक की इस खाई को पाटना बहुत मुश्किल काम है। इस मुद्दे पर ध्यान देना भारत की बहुसंख्यक आबादी की क्षमता को साकार करने के लिए महत्वपूर्ण है।
उपरोक्त संदर्भ के मद्देनजर ही भारत सरकार ने भारत में कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय का गठन किया है जिसने प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई) नामक प्रमुख कौशल विकास योजना की शुरुआत की है, ताकि भारत में कौशल विकास पर आधारित योग्यताओं को नई गति प्रदान की जा सके। इस कौशल विकास प्रमाणीकरण और पुरस्कार योजना का उद्देश्य परिणाम आधारित कौशल प्रशिक्षण लेने के लिए, भारतीय युवाओं की एक बड़ी संख्या को सक्षम और एकजुट करना है, ताकि उन्हें रोजगार और आजीविका मिल सके। यह योजना प्रशिक्षण संस्थानों पर आधारित योग्यताओं पर चलने वाले उद्यमों और प्रशिक्षण आधारित योग्यताओं की कमी के कारण बाजार में असफल होने वाले उद्यमों के लिए है।
इस परियोजना की शुरुआत 15 जुलाई 2015 को विश्व युवा कौशल दिवस के अवसर पर माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने की गई थी। योजना के पहले वर्ष (2015-2016) को इस योजना के नींव को पुख्ता बनाने और आधारभूत ढांचा तैयार करने के लिए इस्तेमाल किया गया। तब से यह योजना नियोक्ताओं, विशेष रूप से अनौपचारिक क्षेत्र के लिए कुशल जनशक्ति का एक प्रमुख स्रोत रहा है।
राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन द्वारा वर्ष 2011-12 के लिए आयोजित रोजगार और बेरोजगारी सर्वेक्षण (ईयूएस) के अनुसार अनौपचारिक घटक में अनुमानित रोजगार ग्रामीण इलाकों में कुल सामान्य रोजगार (प्रमुख और सहायक) का लगभग 75 प्रतिशत और शहरी इलाकों में 69 प्रतिशत था। अनौपचारिक रोजगार के आंकड़े काफी ज्यादा होने की संभावना है, क्योंकि उद्यमों को ‘’नियोक्ता के घर’’ के रूप में चिन्हित किया गया है, जिन्हें घरेलू सेवाओं के प्रावधान के लिए रोजगार को अनौपचारिक क्षेत्र की परिभाषा से बाहर रखा गया है।
पीएमकेवीवाई की अनौचारिक क्षेत्र में उत्पादकता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका है, जोकि कुशल कार्यबल के लिए उद्योग और राष्ट्रीय कौशल योग्यता फ्रेमवर्क (एनएसक्यूएफ) के बीच एक पूल के निर्माण करता है। पीएमकेवीवाई (2016-2020) के तहत कम से कम 70% सफलतापूर्वक आकलित प्रशिक्षुओं को मजदूरी सहित रोजगार प्रदान करना इसका लक्ष्य है। योजना आवश्यक प्लेसमेंट मानदंडों के लिए प्रशिक्षण प्रदाताओं को प्रोत्साहन राशि भी प्रदान करती है। प्रमुख कौशल विकास योजना होने के नाते, उत्पादकता बढ़ाने के लिए एनएसक्यूएफ मानकों वाले उद्यमों को प्रशिक्षित कुशल जनशक्ति का भंडार उपलब्ध कराना इस योजना का मुख्य प्रभाव है।
पीमकेवीवाई प्रशिक्षण इकोसिस्टम में कार्य भूमिकाओं की महत्वपूर्ण संख्या रही है, जोकि आसानी से सूक्ष्म उद्यमों के निर्माण के लिए स्वयं को उपलब्ध कराती है। पीमकेवीवाई में प्रशिक्षण के लिए ऐसी कार्य भूमिकाओं के उदाहरणों में स्वरोजगार दर्जी, हाथ कढ़ाई, छोटे पोल्ट्री किसान, ई-रिक्शा चालक और तकनीशियन, बढ़ई, सिलाई ऑपरेटर (आंशिक रूप से देश भर में पारंपरिक समूहों में) आदि शामिल हैं। कुशल और योग्य पीएमकेवीवाई प्रशिक्षार्थी द्वारा नए लघु उद्योगों का निर्माण इसी का परिणाम है। अर्बन क्लैप, हाउसजॉय जैसे मार्किट एग्रीगेटर्स पर आधारित नए मोबाइल ऐप चुनिंदा व्यापारों में उपलब्ध स्व-रोजगार के अवसर के लिए एक नया प्रोत्साहन प्रदान करते हैं।
योजना के राज्य स्तरीय घटक के रूप में, राज्य कौशल विकास मिशन ने संबंधित राज्यों के शिल्पकारों और हस्तकला समूहों को पारंपरिक तरीके से प्रशिक्षण के लिए भी प्रोत्साहित किया। देश की पारंपरिक कला और शिल्प की विरासत के संरक्षण के लिए नई पीढ़ी के कुशल कारीगरों और शिल्पकारों का निर्माण एक बहुत ही जटिल कार्य है। चिकनकारी, हस्तनिर्मित खेल के सामान आदि पर प्रशिक्षण जैसे पायलटों को पीएमकेवीवाई योजना के तहत पहले ही चुना जा चुका है।
पीएमकेवीवाई के पहले सीखना को मान्यता (आरपीएल) घटक अनौपचारिक क्षेत्र के मजदूरों की आकलित और प्रमाणित कौशल पर मुख्य रूप से केंद्रित है। मूल्यांकन के माध्यम से व्यापारिक प्रशिक्षित कौशल का आकलन और प्रमाणीकरण औपचारिक क्षेत्र में रोजगार की वृद्धि के गतिशील विकल्पों के माध्यम से प्रशिक्षुओं में मदद करता है। कुछ मामलों में, यह पाया गया है कि आरपीएल प्रमाणीकरण ने मजदूरों को बेहतर मजदूरी के लिए बातचीत करने में मदद की और उनके कैरियर में आगे बढ़ने के लिए संभावनाओं के द्वार खोले हैं। लगभग सभी मामलों में, प्रशिक्षुओं ने आत्म-विश्वास का प्रदर्शन किया और कौशल प्रमाणपत्रों पर गर्व जाहिर किया।
जहां इस योजना के पहले साल ने कार्यक्रम की आधारशिला के निर्माण के अवसर प्रदान किए, वहीं इससे कुछ सबक भी निकलकर सामने आए। इस प्रकार, जब केंद्रीय मंत्रिमंडल ने देश के 1 करोड़ युवाओं को कौशल विकास प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए 12,000 करोड़ रुपए के साथ अगले चार सालों के लिए योजना (2016-2020) को मंजूरी दी, तो यह महसूस किया गया कि इस योजना के विस्तार को तीन प्रमुख स्तंभों पर आधारित होना चाहिए :
प्रशिक्षण केन्द्रों की एक्रीडिटेशन और मान्यता की नई प्रक्रिया प्रशिक्षण प्रदाताओं का ध्यान प्रशिक्षण केंद्रों की ओर खींचेगी। सेक्टर स्किल काउंसिल्स विस्तृत बुनियादी ढांचे के दिशा-निर्देशों के आधार पर बनाए जाएंगे, जो निरीक्षण के अधीन होंगे। एक्रीडिटेशन का निर्णय प्रशिक्षण केंद्रों की रेंटिग और ग्रेडिंग पद्धति पर आधारित होगा। संबंधित सेक्टर स्क्लि काउंसिल्स स्वीकृति रोजगार भूमिका के लिए प्रशिक्षण केंद्र को प्रमाणीकरण प्रदान करेगा। इस प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर निरीक्षण और आत्म-रिपोर्टिंग ऐप्स के माध्यम से प्रौद्योगिकी से लबरेज होगी। इस प्रक्रिया की सहायता के लिए एक समर्पित ऑनलाइन पॉर्टल smartnsdc.org भी विकसित किया जाएगा।
सेक्टर स्क्लि काउंसिल्स पीएमकेवीवाई (2016-2020) के तहत निर्धारित प्रशिक्षणों के लिए मॉडल सामग्री पाठ्यक्रम का प्रकाशन करेगा, जिससे पाठ्य पुस्तकों की गुणवत्ता के मानक सुनिश्चित किए जा सकेंगे। एक मानकीकृत प्रस्तावना किट प्रशिक्षण के दौरान सभी प्रशिक्षुओं की दी जाएगी।
संबंधित सेक्टर स्क्लि काउंसिल्स में ‘ट्रेन द ट्रेनर’ के तहत प्रशिक्षकों का प्रशिक्षण अनिवार्य होगा।
बैच निर्माण के समय सभी प्रशिक्षुओं के आधार आईडी की मान्यता जांची जाएगी, जिससे फर्जी नामांकनों से बचाव होगा। पीएमकेवीवाई के तहत आधार कार्ड सक्षम बायोमेट्रिक उपस्थिति प्रणाली (एईबीएएस) के जरिए उपस्थिति अनिवार्य होगी। पूर्वोतर और जम्मू-कश्मीर के चुने हुए राज्यों में, जहां आधार की उपस्थिति अभी कम है, प्रशिक्षण प्रदाताओं के लिए बायोमेट्रिक उपकरण से उपस्थिति अनिवार्य है।
साक्ष्य आधारित आकलन के लिए एक नया मोबाइल ऐप विकसिल किया जा रहा है।
यह माना गया है कि ऊपरोक्त पहलकदमी बेहतर प्रशिक्षण परिणामों को सामने लाएगी, जो अंततः प्लेसमेंट की मात्रा और गुणवत्ता में जाहिर होगा। इस योजना के तहत प्रशिक्षण के बाद 70% मजदूरी वाले रोजगार अनिवार्य बना दिए जाएंगे और प्रशिक्षण प्रदाताओं को उसके अनुसार प्रोत्साहन दिया जाएगा।
पीएमकेवीवाई बड़े पैमाने पर और निर्धारित गुणवत्ता पर योग्यता आधारित प्रशिक्षण प्रदान करने में कुछ महत्वपूर्ण कदम उठा रहा है। यह भारतीय कार्यबल, विशेषकर अनौपचारिक क्षेत्र में काम करने वाले लोगों के नजरिए, ज्ञान और कौशल में सफलतापूर्वक वृद्धि कर रहा है। इसलिए इस योजना में स्नातकों जैसे कुछ उच्च शिक्षार्थी क्षेत्रों के लिए कटिंग एज कौशल पर लंबी अवधि के प्रशिक्षण शामिल किए जाने की भी संभावना है। समय के साथ, यह योजना मौजूदा और भविष्य में रोजगार इकोसिस्टम के लिए एक व्यापक और समग्र कार्यबल प्रदान करेगी।
लेखन: राजेश अग्रवाल, पीआईबी
अंतिम बार संशोधित : 2/13/2023
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