ईईएसएल बिना अग्रिम लागत के लघु एवं मझोली इकाइयों को ऊर्जा दक्ष बिजली से चलने वाले (पावरलूम) उपकरण उपलब्ध कराएगी। कपड़ा मंत्रालय एवं बिजली मंत्रालय ने एक नई पहल ‘साथी’ (लघु उद्योगों की सहायता के लिए प्रभावी कपड़ा प्रौद्योगिकियों का टिकाऊ एवं त्वरित अंगीकरण) के लिए हाथ मिलाया है। इस पहल के अंतर्गत, बिजली मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत सार्वजनिक क्षेत्र की एक कंपनी एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड (ईईएसएस) थोक में ऊर्जा दक्ष बिजली से चलने वाले करघे (पावरलूम), मोटर एवं रेपियर किट की खरीद करेगी एवं उन्हें बिना किसी अग्रिम लागत के लघु एवं मझोली इकाइयों को उपलब्ध कराएगी।
सरकार की ‘साथी’ पहल का कार्यान्वयन अखिल भारतीय आधार पर संयुक्त रूप से ईईएसएल एवं कपड़ा आयुक्त कार्यालय द्वारा किया जाएगा। कार्यान्वयन आरंभ करने के लिए इरोड, सूरत, इच्छलकरंजी आदि जैसे प्रमुख क्लस्टरों में क्लस्टर वार प्रदर्शन परियोजनाओं एवं कार्यशालाओं का आयोजन किया जाएगा।
इन दक्ष उपकरणों का उपयोग इकाई के स्वामी के लिए ऊर्जा एवं लागत की बचत के रूप में सामने आएगा और वह 4 से 5 वर्ष की अवधि के दौरान ईईएसएल को किस्तों में इसका पुनर्भुगतान कर देगा। ईईएसएल ने इस समूहन, थोक में खरीदारी एवं वित्तीय मॉडल का सफलतापूर्वक प्रयोग एलईडी बल्बों, स्मार्ट मीटरों तथा बिजली से चलने वाले वाहनों जैसे कई क्षेत्रों में किया है। इकाई के मालिक को इन उपकरणों की खरीद के लिए न तो किसी अग्रिम पूंजी लागत निर्धारित किया जाता है और ना ही पुनर्भुगतान के लिए अतिरिक्त व्यय निर्धारित किया जाना है, क्योंकि ईईएसएल को पुनर्भुगतान उस बचत से किया जाएगा, जिन्हें उच्च सक्षम उपकरणों तथा लागत में बचत के परिणाम स्वरूप प्राप्त किया जाएगा। समूह में मांग और थोक में खरीदारी से पूंजी लागत में कमी आएगी, जिसका लाभ पावरलूम इकाइयों के सुपुर्द कर दिया जाएगा, जिससे उनके पुनर्भुगतान की राशि एवं अवधि में कमी आएगी।
भारत में पावरलूम क्षेत्र मुख्य रूप से एक असंगठित क्षेत्र है और इसमें सूक्ष्म एवं लघु इकाइयों की बड़ी संख्या है जो देश के कुल कपड़ों के 57 प्रतिशत का उत्पादन करते हैं। देश में 24.86 लाख पावरलूम इकाइयां हैं, जो पुराने ढंग की प्रौद्योगिकी का उपयोग करती हैं। प्रौद्योगिकी को उन्नत बनाने के उद्देश्य से भारत सरकार पावर टेक्स इंडिया के हिस्से के रूप में सादा पावरलूम के उन्नयन को कार्यान्वित करती रही है, जिसके तहत सादा पावरलूम को प्रोसेस कंट्रोल उपकरण से जोड़ दिया जाता है। इसके वजह से उच्चतर उत्पादकता, बेहतर गुणवत्ता एवं 50 प्रतिशत से अधिक अतिरिक्त मूल्य प्राप्ति होती है। अभी तक इस योजना के तहत 1.70 लाख सादा पावरलूमों का उन्नयन किया गया है, जिसमें भारत सरकार की कुल सब्सिडी 186 करोड़ रुपये की रही है।
स्त्रोत: पत्र सूचना कार्यालय
अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020
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