অসমীয়া   বাংলা   बोड़ो   डोगरी   ગુજરાતી   ಕನ್ನಡ   كأشُر   कोंकणी   संथाली   মনিপুরি   नेपाली   ଓରିୟା   ਪੰਜਾਬੀ   संस्कृत   தமிழ்  తెలుగు   ردو

राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी)

भूमिका

राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी) भारत में सार्वजनिक निजी भागीदारी की अपनी तरह की एक अनूठी संस्था है। इसकाएनएसडीसी लक्ष्य विशाल, गुणवत्तापूर्ण, लाभ के लिए व्यावसायिक संस्थानों का निर्माण के उत्प्रेरण के द्वारा कौशल विकास को बढ़ावा देना है।

एनएसडीसी स्केलेबल, लाभ के लिए व्यावसायिक प्रशिक्षण के कार्यक्रमों के निर्माण के लिए धन उपलब्ध कराती है। इसका उद्देश्य समर्थन प्रणाली जैसे गुणवत्ता आश्वासन, सूचना प्रणाली, और या तो प्रत्यक्ष या भागीदारी के माध्यम से संस्थाओं के प्रशिक्षकों को प्रशिक्षित करने को योग्य बनाना है। एनएसडीसी उद्यमों, कंपनियों और कौशल प्रशिक्षण प्रदान करने वाले संगठनों को धन उपलब्ध कराने के माध्यम से कौशल विकास में एक उत्प्रेरक के रूप में कार्य करता है। निजी क्षेत्र की पहल को बढ़ाने, सहयोग प्रदान करने और उनके मध्य समन्वय स्थापित करने के लिए यह उपयुक्त मॉडल का विकास भी करेगी। एनएसडीसी के दायरे और व्यवहार्यता की अपनी समझ के अंतर्गत 21 क्षेत्रों के लिए विभेदित फोकस हर क्षेत्र को निजी निवेश के लिए आकर्षक बना देगा।

एनएसडीसी का विजन

एनएसडीसी की स्थापना एक राष्ट्रीय कौशल विकास मिशन के हिस्से के रूप में भारत में सभी क्षेत्रों में कुशल श्रमशक्ति की मांग को पूरा करने और और कौशल की मांग और आपूर्ति के बीच मौजूदा खाई को पाटने के उद्देश्य से किया गया था। केंद्रीय वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण (2008-09) में राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी) के गठन की घोषणा की “एक मिशन के रूप में एक विश्व स्तरीय कौशल विकास कार्यक्रम शुरू करने की अतीव आवश्यकता है जो एक बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था के लिए जरूरी कौशल प्रदान करने के चुनौती से निपटने का कार्य करेगी। इस मिशन की संरचना और नेतृत्व इस प्रकार का होना चाहिए कि इस कार्यक्रम को तेजी से बढ़ाते हुए सम्पूर्ण देश में फैलाया जा सके।”

एनएसडीसी का मिशन

  1. महत्वपूर्ण उद्योगों की भागीदारी के माध्यम से कौशल को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप उन्नत बनाना और मानकों, पाठ्यक्रमों और गुणवत्ता आश्वासन के लिए आवश्यक ढ़ांचे का विकास करना
  2. उपयुक्त सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल के माध्यम से कौशल विकास के लिए निजी क्षेत्र के पहल को उन्नत करना, सहयोग देना और समन्वय स्थापित करना; और निजी क्षेत्र से महत्वपूर्ण परिचालन और वित्तीय भागीदारी के लिए प्रयास करना
  3. समाज के वंचित वर्गों और देश के पिछड़े क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करना, ताकि उन्हें गरीबी के दुश्चक्र से बाहर निकाला जा सके; इसी तरह से, असंगठित या अनौपचारिक क्षेत्र के कर्मचारियों पर पर्याप्त ध्यान देना
  4. वित्त पोषण प्रदान कर एक "बाजार निर्माता" की भूमिका निभाना, विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जहाँ बाजार तंत्र अप्रभावी या गायब हैं
  5. एक बंद प्रभाव के विरूद्ध एक बहुसंख्यक या उत्प्रेरक प्रभाव प्रदान करने वाले पहलों को प्राथमिकता देना।

एनएसडीसी का उद्देश्य

मुख्य रूप से कौशल विकास कार्यक्रमों में निजी क्षेत्र की पहल को बढ़ावा देने के माध्यम से, वर्ष 2022 तक भारत में 400 मिलियन लोगों के स्किलिंग / अप- स्किलिंग के समग्र लक्ष्य (40 प्रतिशत) को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण योगदान देना और धन उपलब्ध कराना।

एनएसडीसी का गठन

कंपनी अधिनियम की धारा 25 के तहत वित्त मंत्रालय द्वारा एक गैर-लाभ वाली कंपनी के रूप में किया गया है। इसका इक्विटी आधार रुपये 10 करोड़ का है, जिसमें भारत सरकार का हिस्सा 49% है और शेष 51% निजी क्षेत्र का भाग है।

बेहतर निर्णय लेने की प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए, एनएसडीसी को एक संरचना और प्रशासन मॉडल की आवश्यकता है जो इसे स्वायत्तता, एक निश्चित आकार और निरंतरता प्रदान करें। इस प्रकार, इस संस्था में एक स्तरीय निर्णय लेने की संरचना है, जिसमें निम्नलिखित शामिल है -

  • राष्ट्रीय कौशल विकास कोष (एनएसडीएफ)
  • निदेशक मंडल
  • बोर्ड उप समितियां
  • कार्यकारी परिषद।

एनएसडीसी की भूमिका

  1. एनएसडीसी के परिचालन, कार्यों, और रणनीतियों में प्रत्येक स्तर की अपनी एक स्पष्ट भूमिका है, और उन सभी का लक्ष्य बढ़ी हुई लचीलता और प्रभावशीलता के साथ, संस्था के उद्देश्य निजी क्षेत्र के कौशल विकास कार्यक्रमों में समन्वय स्थापित और उन्हें उत्प्रेरित करना है।
  2. इस 14-बोर्ड में 5 सदस्य सरकार द्वारा नामांकित है, और 9 अन्य निजी क्षेत्र के सदस्य है। एनएसडीएफ एक 100% सरकारी ट्रस्ट है जो एनएसडीसी में निवेश करती है, और पेशेवर फंड प्रबंधकों द्वारा संचालित की जाती है।
  3. एनएसडीसी वैसे कार्यों को शुरू करती है या उनके लिए उत्प्रेरक का कार्य करती है जिसका बहुगुणित प्रभाव होता है, हालाँकि, यह क्षेत्र में वास्तविक संचालक के रूप में प्रत्यक्ष रूप से कार्य नहीं करती है। ऐसा करते हुए यह, कौशल विकाश में यह उद्योग के सभी पहलुओं को शामिल करने का प्रयास करती है।
  4. प्रत्यक्ष रूप से अनेकों कार्यों को शामिल होना, या वर्तमान में किये जा रहे कार्यों की मात्र अनुकृति करने के बजाय, इस विचारधारा का उद्देश्य बहुसंख्यक हितधारकों के साथ साझेदारी स्थापति करना और वर्तमान प्रयासों को आगे बढ़ाना है। लगभग 150 मिलियन को कुशल/ और अधिक कुशल बनाने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए एनएसडीसी ने निम्नलिखित उपायों पर ध्यान केन्द्रित किया है-
  • बहुत कम-कीमत, उच्च गुणवत्ता के आधुनिक व्यवसायिक मॉडल का विकास करना।
  • पर्याप्त निजी निवेश को आकर्षित करना
  • यह सुनिश्चित करना कि इसकी निधि वृहद् रूप से चक्रित होता रहें, जैसे ऋण या इक्विटी, बजाय अनुदान प्रदान करने के।
  • अपने लिए लाभ की स्थिति का निर्माण करना
  • एक मजबूत कोष का निर्माण करना।

इस बात को ध्यान में रखते हुए, एनएसडीसी तीन महत्वपूर्ण भूमिकाओं का निर्वाह कर रही है-

अनुदान और प्रोत्साहन

सटीक अर्थों में यह एक महत्पूर्ण भूमिक है। इसमें या तो ऋण या इक्विटी के रूप में वित्तीय सहायता उपलब्ध कराना, अनुदान प्रदान करना और चयनित निजी कार्यों (उपक्रमों) को वित्तीय इंसेंटिव के द्वारा सहयोग प्रदान करना, कर में छूट आदि के द्वारा उनकी वित्तीय क्षमता को सशक्त बनाना है। वित्तीय सहयोग की यथार्थ प्रकृति (इक्विटी, ऋण और अनुदान) क्षेत्र (सेगमेंट) की सुदृढ़ता या आकर्षण (उपयोगिता) या कुछ हद तक संस्था (लाभ अर्जित करने के लिए निजी, गैर-लाभ के लिए उद्योग एसोसिएशन या गैर-लाभ वाली एनजीओ) के प्रकार निर्भर करता है। समय बीतने के साथ, एनएसडीसी का उद्देश्य मजबूत स्थायी बिज़नस मॉडल का निर्माण कर अपने अनुदान प्रदान करने की भूमिका को कम करना है I

सहयोग सेवा को लागू करते हुए

एक कौशल विकास संस्था को अनेकों इनपुट और आउटपुट सेवाओं जैसे पाठ्यक्रम, फैकल्टी और उनका प्रशिक्षण, मानक और गुणवत्ता का वादा, तकनीकी प्लेटफार्म, छात्रों के प्लेसमेंट की कार्यप्रणाली आदि की जरूरत होती है। इनमें से कुछ सहयोग सेवा को लागू करने में एनएसडीसी महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रही है, और ऐसा करने के लिए वह उद्योग एसोसिएशन (संघों) के साथ मानक और प्रमाणन प्रणालियों की स्थापना कर रही है।

आकार देना/निर्माण करना

निकट अर्थों में, एनएसडीसी सक्रीय रूप से seed करेगी और कौशल विकास में निजी क्षेत्र की वृहद स्तर पर भागीदारी के लिए के सहयोग शक्ति प्रदान करेगी। एनएसडीसी महत्वपूर्ण कौशल समूहों की पहचान करेगी, कौशल के विकास के लिए मॉडल का विकास करेगी और इन प्रयासों में सहयोग प्रदान के लिए संभावित निजी क्षेत्रों को आकर्षित करेगी।

एनएसडीसी की प्राथमिकता/फोकस क्षेत्र

कौशल विकास

वर्ष 2022 तक 150 करोड़ लोगों को कौशल /कौशल-उन्नयन प्रदान करने के चुनौती से निपटने के लिए प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च शिक्षा के क्षेत्र में मौलिक सुधार के साथ अनुपूरक कौशल विकास में महत्वपूर्ण वृद्धि, दोनों की आवश्यकता है। एनएसडीसी मुख्य रूप से अनुपूरक कौशल के विकास पर ध्यान केंद्रित करती है और शिक्षा प्रणाली के भीतर निर्बाध मार्ग के निर्माण के लिए प्रयास करती है।

निजी क्षेत्र की पहल को प्रोत्साहित करना

अनुपूरक कौशल विकास को मजबूत बनाने के लिए एनएसडीसी निजी क्षेत्र द्वारा के नेतृत्व करने वाले प्रयासों की भागीदारी को प्रोत्साहित करने पर ध्यान केंद्रित करती है जिसमें गैर-लाभ और लाभ-युक्त दोनों प्रकार का प्रयास शामिल है, और इसका लक्ष्य ऐसे मॉडल का निर्माण करना है, जिसे प्राप्त करना संभव हो।

एनएसडीसी लक्षित सेगमेंट (क्षेत्र) के आधार पर निजी क्षेत्र की पहल का समर्थन करने के लिए एक विभेदित दृष्टिकोण अपनाया है। कौशल समूह की मार्केटिंग और छात्र जनसंख्या की आय के स्तर के आधार पर, तीन ऐसे क्षेत्र है जिनपर एनएसडीसी ने ध्यान केंद्रित किया है-

  • आकर्षक क्षेत्र (खंड)

इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि बाजार स्वत: कार्य करता है, एनएसडीसी मात्र प्रतिक्रियाशील भूमिका निभाता है और विभिन्न साझेदारों की भागीदारी को बढ़ाता है

  • विकासक्षम क्षेत्र (सेगमेंट) परन्तु मामूली अर्थव्यवस्था या उच्च जोखिम/अनिश्चितता युक्त

यह निकट भविष्य में एनएसडीसी का मुख्य ध्यान केन्द्रित क्षेत्र है, और इसका लक्ष्य इस क्षेत्र को निजी निवेश के लिए अधिक आकर्षक बनाना है

  • पूर्णत: अनाकर्षक क्षेत्र

समय बीतने के साथ, एनएसडीसी सरकारी विभागों के साथ मिलकर इस क्षेत्र के लिए कार्य करने का इच्छुक है और इस प्रकार यह ऐसे बिज़नस मॉडल का विकास करना चाहती है, जो इस क्षेत्र के उद्यमियों  को आकर्षक क्षेत्र में ले जा सके।

कौशल विकास वित्तपोषण

एनएसडीसी कौशल विकास के लिए या तो उधार या इक्विटी के रूप में निधि उपलब्ध करवाता है और चुनिन्दा निजी क्षेत्र के प्रयासों को वित्तीय प्रोत्साहन देकर सहायता करता है ताकि टैक्स में छूट, आदि के द्वारा वित्तीय व्यवहार्यता में सुधार किया जा सके। एनएसडीसी के वित्तीय प्रयासों के अंतर्गत निम्न के माध्यम से निधि प्रदान की जाती है-

    • उधार
    • इक्विटी
    • अनुदान

एनएसडीसी व्यावसायिक प्रशिक्षण के लिए निधि प्रदान करने के आवेदनों को चुनने के लिए एक विस्तृत और चरणबद्ध प्रक्रिया अपनाएगा। छह मापदण्डों के आधार पर विस्तृत मूल्यांकन किया जाएगा, जो इस प्रकार से है -

    • विशिष्ट कौशलों के लिए रोजगार प्रदाता की मांग का दृष्टिकोण
    • एनएसडीसी के ध्येय के साथ संरेखण
    • पूरी योजना और प्रतिदर्श की दृढ़ता
    • साझेदारी से लाभ की क्षमता
    • वित्तीय जरूरतों को पूरा करने की क्षमता
    • प्रबंधन क्षमता की जरूरतों को पूरा करने की क्षमता

एनएसडीसी  प्रारम्भिक स्तर पर सहायता करेगा और फिर इस क्षेत्र में अनुभव न रखने वाले संगठनों के आवेदनों को मान्य करेगा। वित्तीय मदद के तहत एनएसडीसी  अपने द्वारा वित्तीय सहायता प्राप्त परियोजना में खुद के कुल प्रतिशत, निधि प्रदान करने का माध्यम यानि अनुदान या उधार/इक्विटी और प्रति विद्यार्थी लागत के आधार पर अधिक उदार रहेगा और यह मापदंड समय के साथ सख्त होते जाएँ, इसके लिए सुव्यवस्थित अनुबंध सुनिश्चित किए जाएँ। साथ ही, एनएसडीसी  परियोजना के विभिन्न चरणों में निधि प्रदान करेगा जो कि एक परस्पर लाभ प्रदान करने वाले परिणाम को प्राप्त करने के लिए लक्षित हो।

स्रोत: राष्ट्रीय कौशल विकास कोष (एनएसडीएफ)

अंतिम बार संशोधित : 2/22/2020



© C–DAC.All content appearing on the vikaspedia portal is through collaborative effort of vikaspedia and its partners.We encourage you to use and share the content in a respectful and fair manner. Please leave all source links intact and adhere to applicable copyright and intellectual property guidelines and laws.
English to Hindi Transliterate