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भारत में पेटेंट कराने के लिए वित्तीय सहायता हेतु मार्गदर्शन

भारत में पेटेंट कराने के लिए वित्तीय सहायता हेतु मार्गदर्शन

परिचय

राष्ट्रीय अनुसंधान एवं विकास निगम विश्व विद्यालयों, आर एंड डी संस्थाओं और प्रयोगशलाओं में कार्यरत उन वैज्ञानिकों को अपने आविष्कारों को पेटेंट कराने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करता है जिनके आविष्कार व्यवहार्य, लाभकारी, उपयोगी और व्यावसायिक रूप से व्यावहारिक सिद्ध हुए हैं। यह सहायता वैज्ञानिक और औद्योगिक क्षेत्रों में कार्य करने वाले व्यक्तियों को भी प्रदान की जाती है। पेटेंट संबंधित मामले में यहां मार्गदर्शन प्रदान किया गया है।

पेटेंट संबंधित मार्गदर्शन

  1. राष्ट्रीय अनुसंधान एवं विकास निगम के पक्ष में दिल्ली में देय प्रक्रिया शुल्क के रूप में अप्रति देय 500/- रू. (केवल एकल आवेदकों के लिए) के डिमांड ड्राफ्ट के साथ पेटेंट कराने के लिए वित्तीय सहायता प्राप्त करने के लिए अपेक्षित प्रारूपों में आवेदन-पत्र एनआरडीसी, नई दिल्ली को प्रस्तुत करना होगा।
  2. आविष्कारों अर्थात एक आविष्कारी प्रक्रिया के फलस्वरूप नए और औद्योगिक रूप से उपयोग में सक्षम उत्पाद के आविष्कारों की सुरक्षा के लिए पेटेंट कराने के लिए केवल भारतीयों को ही वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
  3. वित्तीय सहायता के लिए मामलों की संख्या पर कोई रोक नहीं है।
  4. इस संबंध में निगम का निर्णय अंतिम होता है और इस संदर्भ में कोई पत्राचार नहीं किया जाता।
  5. सामान्यतः वित्तीय सहायता विश्वविद्यालयों, प्रयोगशालाओं एवं आर एंड डी संस्थाओं, काफ़ी छोटे, लघु और मध्यम श्रेणी के उद्यमों में कार्यरत व्यक्तियों को पेटेंट कराने के लिए प्रदान की जाती है।
  6. या तो मूल रूप से उत्पाद/प्रक्रिया का आविष्कार हो अथवा विद्यमान उत्पाद/प्रक्रिया का सुधार/उन्नयन हो जिससे उत्पाद/प्रक्रिया की उपयोगिता में एवं उपभोक्ता के लाभों में कोई वृद्धि हो जैसे लागत में/उपयोगकर्ता के परिश्रम में कमी हो/भार/मात्रा/आयतन में कमी हो या कार्यदक्षता/ परिशुद्धता/ विश्वसनीयता/कार्यावधि/बहुआयामी आदि में वृद्धि हो। इस बात को प्राथमिकता दी जाएगी कि आविष्कार व्यावहारिक रूप से परीक्षित हो तथा सुस्थापित हो।
  7. यदि आविष्कार कर्ता कहीं कार्यरत है तो उसे अपना आवेदन अपने नियोक्ता के माध्यम से प्रेषित करना चाहिए।
  8. आवश्यक होने पर आविष्कार को विचार जानने के लिए सरकारी संगठन, शैक्षणिक संख्याओं या सार्वजनिक संगठनों के बाहर विशेषज्ञों के पास भेजा जा सकता है। पेटेंट कार्यालय से भी संपर्क किया जा सकता है। यद्यपि प्राप्त आविष्कारों की सुरक्षा एवं गोपनीयता का यथा संभव संपूर्ण ध्यान रखा जाता है तो भी आविष्कार से संबंधित किसी सूचना के प्रकट हो जाने के कारण हानि या क्षति के लिए निगम जिम्मेदार नहीं होगा। आविष्कार-कर्ताओं को सलाह दी जाती है कि वे पेटेंट अधिनयम 1970, यथा संशोधित पेटेंट (संशोधन) अधिनियम 2002, पेटेंट नियम 2003, पेटेंट (संशोधन) नियम 2005 और पेटेंट (संशोधन) नियम 2006 के अंतर्गत अंतरिम आवेदन-पत्र प्रस्तुत कर पूर्व सुरक्षा प्राप्त कर लें।
  9. यदि आविष्कारों की विषय-वस्तु पेटेंट अधिनयम के खंड-3 के अनुसार निम्नलिखित से संबंधित है तो वित्तीय सहायता प्रदान नहीं की जाएगी -
  • सुस्थापित प्राकृतिक नियमों जैसे अविच्छन्न गति मशीन को हल्का करना या उसके प्रतिकूल होना।
  • आविष्कार का प्रमुख या अभीष्ट उपयोग या व्यावसायिक उपयोग कानून या नैतिकता या सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए जोखिम भरा हो (जैसे चोरी, जुआ खेलने वाले उपकरण या पद्धति खाद्य आदि वस्तुओं में मिलावट करने की पद्धति आदि के उपकरण) यंत्र या मशीन आदि।
  • वैज्ञानिक सिद्धांत या गणितीय मॉडल।
  • केवल मिश्रण जैसे अनेक प्रकार के रोगों के उपचार करने के लिए विभिन्न प्रकार की औषधियों के मिश्रण से उत्पन्न तत्व।
  • शैवाल या मशरूम की खेती जैसी पद्धतियों के लिए कृषि या वनस्पति की पद्धति।
  • माइक्रोबायलोजिकल प्रक्रियाओं से भिन्न पौधों या पशु श्रेणियों के उत्पादन के लिए पौधे या पशु श्रेणियां या अनिवार्य जैविक प्रक्रियाएं।
  • व्यापार या कंप्यूटर प्रोग्राम अर्थात पूर्णतः मानसिक कार्य करने या खेलने के लिए किए जाने वाले कार्यों जैसी योजना, नियम या पद्धतियां आदि।
  • प्रकृति में पहले से विद्यमान पदार्थों या तत्वों की खोज।
  • पशुओं या मनुष्यों पर लागू किए जाने वाले उपचार/नैदानिक पद्धतियां जैसे घातक ट्यूमर कोशिकाओं के उपचार, दांत की मैली परत और सड़ा गला मांस हटाने की पद्धति।
  • वास्तविक रूप से पारंपरिक ज्ञान या पारंपरिक रूप से ज्ञात तत्वों की विशेषताओं के संकलन/दोहराने संबंधी आविष्कार।
  • आण्विक क्षेत्र में आविष्कार (पेटेंट अधिनियम का खंड 4)
  • किसी प्रकाशित लेख या पुस्तक में किसी या अन्य निश्चित प्रारूप (दस्तावेज, पांडुलिपि, चित्र फ़ोटो, रेखा चित्र या फ़िल्म आदि) में प्रकाशित अपरिष्कृत आविष्कार के रूप में बने एक भाग के आविष्कार का खुलासा करना।
  • मानसिक व्यायाम करने या खेलने की विधि की नई योजना या नियम अथवा पद्धति। इंटेग्रेटिड सर्किट की टोपोग्राफी। पारंपरिक ज्ञान संबंधी आविष्कार/खोज।
  • सूचनाएं प्रस्तुत करना।

 

वित्तीय सहायता के मानक

10. वित्तीय सहायता तभी प्रदान की जाएगी जब आविष्कार नया (प्रथम) उपयोगी (आद्योगिक रूप से व्यवहार्य) और पहले से प्रकट न हो (पर्याप्त आविष्कारी कार्रवाई हो) तथा आविष्कार का खुलासा कुछ निश्चित मानकों को पूरा करता हो।

• नया/नयापन - यदि विद्यमान ज्ञान या अपरिष्कृत प्रारूप और आविष्कार के मध्यम कोई अंतर है तो आविष्कार नया है। यदि कोई आविष्कार नवीनतम आविष्कार का एक भाग नहीं बनता है तो उसे नया समझा जाता है। नवीनतम जानकारी में वह प्रत्येक चीज शामिल है जो लिखित या मौखिक विवरण से, उपयोग से या अन्य किसी तरीके से आवेदन प्रस्तुत करने या वरीयता तिथि से पूर्व जनता को उपलब्ध कराई गई हो। यदि यह सरकारी या सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त प्रदर्शनी में प्रदर्शित करने के लिए पेटेंट आवेदन-पत्र प्रस्तुत करने की तिथि से 12 महीने पूर्व नहीं पाया जाता है तो यह खुलासा नया नहीं है।

चाहे आवेदक द्वारा स्वयं या किसी अन्य के माध्यम से आवेदन प्रस्तुत करने की तिथि से पूर्व आविष्कार का कोई भी खुलासा होने से आविष्कार को नवीनतम नहीं माना जाएगा।

• आविष्कारी कार्रवाई (अप्रकट)- उस आविष्कार को आविष्कारी कार्रवाई के रूप में माना जाएगा यदि वह उस शिल्प में दक्ष व्यक्ति के लिए स्पष्ट नहीं है तथा उसमें नवीनतम संदर्भ है। दूसरे शब्दों में यह दैनिक/सामान्य कार्य करने वाले औसत विद्वान के लिए संभव नहीं होना चाहिए।

किसी आविष्कार में आविष्कारी कार्रवाई का निर्णय प्रत्येक पेटेंट आवेदन-पत्र के विशिष्ट विवरण तथा प्रत्येक दावे की विशिष्ट विषय सामग्री पर निर्भर करता है। परिस्थितियों के अनुसार कई तथ्यों पर विचार किया जाता है जैसे ज्ञात तत्वों के नए मिश्रण से उत्पन्न अज्ञात तकनीकी प्रभाव, ज्ञात श्रेणी/सीमा के अंदर विशिष्ट संचालन स्थितियों का चयन, कई ज्ञात दस्तावेजों के मिलान से शिल्प में दक्ष व्यक्ति की कठिनता की डिग्री को दूर/कम करना और दुवितीय ऐसे तथ्य जैसे आविष्कार से ऐसी दीर्घकालिक तकनीकी समस्या का समाधान हो जिसके लिए पहले कई प्रयास किए जा चुके हों।

किसी चीज को आविष्कार के रूप में न माने जा सकने के कुछ उदाहरण इस प्रकार है जैसे केवल आकार में परिवर्तन करना, सुवाय बनाना, किसी को पलटना, सामग्री में परिवर्तन, कार्य के समान भाग के द्वारा समेकित करना या विकल्प बताना आदि। ऐसे आविष्कारों को पेटेंट कराने के लिए पर्याप्त विशेषता वाला नहीं माना जाता।

• औद्योगिक स्वीकार्यता (उपयोगिता) - कोई भी आविष्कार किसी न किसी प्रकार के औद्योगिकीकरण या उपयोग में समर्थ होना चाहिए। इसका अर्थ यह है कि आविष्कार कोई व्यावहारिक रूप या उपकरण या सयंत्र या यंत्र होना चाहिए अथवा कोई उत्पाद जैसे नई सामग्री या पदार्थ या औद्योगिक प्रक्रिया या चालन/संचालन पद्धति होना चाहिए। पेटेंट कराने योग्य कोई आविष्कार उपयोगी होना आवश्यक है। व्यावसायिक या वित्तीय सफ़लता के तत्व का उपयोगिता के प्रश्न से कोई संबंध नहीं है। फ़िर भी, किफ़ायती होने के रूप में सुधार होने के रूप में पेटेंट कराने की प्रत्येक विशेषता होने से यह स्वतः विचार करने योग्य हो जाता है और जब तक यह शर्त पूरी नहीं हो जाती दावा की गई चीज पर आविष्कार होने के रूप में विचार नहीं किया जा सकता।

यदि आविष्कार विशिष्टि में वर्णित परिणाम प्रदान कर देता है तो उपयोगिता के संदर्भ में आपत्तियां निरस्त हो जानी चाहिए। तथाकथित आविष्कार की उपयोगिता केवल इसी तथ्य पर निर्भर नहीं करती कि अनिवार्यतः विशिष्टि में वर्णित निर्देशों का पालन कर व्यावहारिक सफ़लता के लिए सभी परिणाम प्राप्त हों, अपितु यह इस बात पर भी निर्भर करती है कि क्या आवेदक/पेटेंट धारक द्वारा अधिसूचित परिणाम इन निर्देशों का पालन करके प्राप्त किए जा सकते हैं।

आविष्कार की उपयोगिता का निर्णय पेटेंट आवेदन प्रस्तुत करने की तिथि को वस्तुओं की स्थिति के संदर्भ में किया जाता है। यदि उस समय आविष्कार उपयोगी था तो बाद में होने वाले सुधारों ने उस पेटेंट योग्य आविष्कार को बदल कर पुराना बना दिया और उसका व्यावसायिक रूप में कोई महत्व नहीं रहा तो भी उसका पेटेंट अवैध नहीं हो जाता।

• समुचित/पर्याप्त रूप से स्पष्ट करना - पेटेंटीकरण की एक अतिरिक्त आवश्यकता यह है। कि क्या आवेदन-पत्र में आविष्कार की पर्याप्त रूप से व्याख्या की गई है।

अतः यह आवश्यक है कि विवरण में आविष्कार को पर्याप्त रूप से पूर्णतः स्पष्ट किया गया हो ताकि उसका मूल्यांकन किया जा सके और उस क्षेत्र में सामान्य दक्षता वाला व्यक्ति उसका पालन कर सके।

विवरण में आविष्कार के विशिष्ट प्रत्यक्ष संचालन रूप या उदाहरण दिए जाने चाहिए। उदाहरण और अन्य विवरणात्मक अनुच्छेद दावों की संभावना को न्याय संगत सिद्ध करने के लिए पर्याप्त समर्थन प्रदान करने वाले हों। दावें स्पष्ट और संक्षिप्त हों तथा उनके समर्थन में पर्याप्त विवरण होना चाहिए।

यह भी एक आवश्यकता है कि एक आवेदन-पत्र में केवल एक आविष्कार होना चाहिए अथवा आविष्कारों का एक ऐसा समूह हो ताकि एक सामान्य आविष्कार के रूप में उन्हें संबद्ध किया जा सके। इस आवश्यकता को "यूनिटी ऑफ़ इंवेंशन" (एकत्व आविष्कार) के रूप में प्रस्तुत किया जाता है और दावों का मसौदा बनाते समय यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।

11. आवेदक पेटेंट का वार्षिक शुल्क अदा करेगा जो पेटेंट स्वीकृत करते समय देय हो जाता है और इसके बाद पेटेंट को निरंतर कार्यशील और प्रवर्तनीय रखेगा।

वर्तमान कार्यक्रम निम्नलिखित के अनुसार है –

वार्षिक प्रभावी शुल्क

 

एकल व्यक्ति के लिए

एकल व्यक्ति से अलग वैधानिक संस्थाओं के लिए

समाप्ति से पूर्व

दूसरा वर्ष

के संदर्भ में

 

तीसरा वर्ष

 

'500

'2 0 0 0

 

समाप्ति से पूर्व

तीसरा वर्ष

 

के संदर्भ में

 

 

चौथा वर्ष

'500

 

'2 0 0 0

 

समाप्ति से पूर्व

चौथा वर्ष

के संदर्भ में

पांचवा वर्ष

 

'500

'2000

 

समाप्ति से पूर्व

पांचवा वर्ष

के संदर्भ में

छठा वर्ष

 

'50 0

 

'2000

 

समाप्ति से पूर्व

छठा वर्ष

 

के संदर्भ में

सातवां वर्ष

 

'1500

'60 0 0

 

समाप्ति से पूर्व

सातवां वर्ष

 

के संदर्भ में

आठवां वर्ष

 

'1500

'60 0 0

 

समाप्ति से पूर्व

आठवां वर्ष

 

के संदर्भ में

नौंवा वर्ष

 

'1500

'60 0 0

 

समाप्ति से पूर्व

नौंवा वर्ष

 

के संदर्भ में

दसवां वर्ष

 

'1500

'60 0 0

 

समाप्ति से पूर्व

दसवां वर्ष

के संदर्भ में

ग्यारहवा वर्ष

'3000

‘120 0

समाप्ति से पूर्व

ग्यारहवा वर्ष

के संदर्भ में

बारहवां वर्ष

 

'3000

‘120 0

समाप्ति से पूर्व

बारहवां वर्ष

 

के संदर्भ में

तेरहवां वर्ष

 

'3000

‘120 0

समाप्ति से पूर्व

तेरहवां वर्ष

 

के संदर्भ में

चौदहवां वर्ष

'3000

‘120 0

समाप्ति से पूर्व

चौदहवां वर्ष

 

के संदर्भ में

पंद्रहवां वर्ष

 

'3000

‘120 0

समाप्ति से पूर्व

पंद्रहवां वर्ष

के संदर्भ में

सोलहवां वर्ष

'5000

'20000

 

समाप्ति से पूर्व

सोलहवां वर्ष

के संदर्भ में

सत्रहवां वर्ष

 

'5000

'20000

 

समाप्ति से पूर्व

सत्रहवां वर्ष

 

के संदर्भ में

अठारहवां वर्ष

'5000

'20000

 

समाप्ति से पूर्व

अठारहवां वर्ष

के संदर्भ में

उन्नीसवां वर्ष

'5000

'20000

 

समाप्ति से पूर्व

उन्नीसवां वर्ष

के संदर्भ में

 

बीसवां वर्ष

'5000

'20000

 

नोट: पेटेंट का वार्षिक शुल्क प्रतिवर्ष संपूर्ण अवधि के लिए दिया जाता है।

12. आविष्कार-कर्ता को आविष्कार की नवीनता सुनिश्चित करने के लिए अपना आवेदन-पत्र प्रस्तुत करने से पूर्व यदि संभव हो तो पेटेंट के बारे में खोज कर लेनी चाहिए।

और अधिक सूचना एवं पूछताछ के लिए कृपया इस पते पर संपर्क करें ;

प्रधान (संवर्धन कार्यक्रम)

बौद्धिक संपदा परामर्श एवं प्रबंधन प्रभाग

राष्ट्रीय अनुसंधान विकास निगम

(वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान विभाग (डीएसआईआर) का उपक्रम विज्ञान और

प्रोद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार)20-22 जमरूपुर कम्यूनिटी सेंटर

कैलाश कॉलोनी एक्सटेंशन, नई दिल्ली - 110048

(फ़ोन नं. 91-011-29240401-08, फैक्स - 91-11-29240409-10)

वेबसाइट ; भारत सरकार का नेशनल रिसर्च डेवलपमेंट कारपोरेशन

ई-मेल : write2@nrdc.in

ई मेल - apradhan@nrdc.in , write2@nrdc.in

 

मार्गदर्शन और आवेदन फ़ार्म डाउनलोड करने के लिए भारत सरकार का नेशनल रिसर्च डेवलपमेंट कारपोरेशन देखें।

आवेदन-पत्र भरने के लिए निर्देश

सामान्य

(i) आवेदन पत्रों के साथ सभी संबंधित तकनीकी एवं अन्य विवरण तथा रेखाचित्र संलग्न करना आवश्यक है। मांगी गई सूचना सही एवं समूचित हो।

(ii) जहां कहीं परिशिष्ट संलग्न किए जाएं उस मद संख्या के अनुरूप परिशिष्ट सं. लिखी जानी चाहिए जिसके लिए परिशिष्ट लगाया जा रहा है। उदाहरण के लिए मद संख्या 2 में आवेदक के विवरण से संबंधित दी गई अतिरिक्त सूचना के लिए संलग्न अलग कागज पर परिशिष्ट मद - 2 लिखा जाना चाहिए।

(iii)  जहां कहीं तिथि भरी जानी है वह दिन-मास-वर्ष के प्रारूप में लिखी जानी चाहिए। जैसे 14 फ़रवरी 1996 को 140296 लिखा जाना चाहिए।

(क) आविष्कार का शीर्षक (क्र.सं. 1). आविष्कार का शीर्षक संक्षिप्त, उपयुक्त एवं आविष्कार को दर्शाने वाला तथा अधिकतम 120 शब्दों में लिखा जाना चाहिए।

(ख) आविष्कार से संबंधित विषय क्षेत्र (क्षेत्रों) के बारे में संक्षिप्त विवरण (क्र. सं. 2). संक्षिप्त विवरण में आवेदक द्वारा आविष्कार की प्रमुख महत्वपूर्ण विशेषताओं को दर्शाते हुए 250 से अनधिक शब्दों में आविष्कार का सारांश दिया जाना चाहिए।

(ग) आविष्कार कर्ता (कर्ताओं) के विवरण (क़ से 3). विकास करने वाले सभी व्यक्तियों के नाम तथा पते क्र. सं 2 में लिखे जाने चाहिए। आविष्कार-कर्ताओं की संख्या पांच से अधिक होने पर शेष अनुसंधान कर्ताओं के नाम उसी प्रारूप में एक अलग कागज पर लिखे जा सकते हैं।

 

नाम - प्रत्येक शब्द के बाद एक खाना रिक्त छोड़ दें

योग्यता - अपनी उच्चतम योग्यता के लिए उपयुक्त कोड के अनुसार भरें (स्रोत में दी गयी लिंक पर देखें )

आविष्कारकर्ता का पता (क्र.सं 4).

प्रथम आविष्कार कर्ता/ग्रुप लीडर का पता, टेलिफोन नं. एवं फैक्स नं. निर्धारित बाक्स में लिखा जाना चाहिए और शेष आविष्कार कर्ताओं के भी विवरण उसी प्रारुप में अलग कागज पर दिए जाने चाहिए । पते में किसी भी प्रकार की सूचना तत्काल दी जानी चाहिए ताकि एन आरडीसी द्वारा भेजे जाने वाले पत्र सही पते पर भेजे जा सकें।

विकास की स्थिति (क्र. सं. 7)

विकास की स्थितिया अवस्था के लिए सही कोड का चयन करें। अपने आविष्कार के अनुसार प्रक्रिया या उत्पाद श्रेणी को देखें।(स्रोत में दी गयी लिंक पर देखें )

(ज) विदयमान तकनीक में कमियां (क्र. सं. 15)

विद्यमान तकनीक में कमियां बताइए जिनके कारण आविष्कारकर्ता को नए आविष्कार की प्रेरणा मिली।

(झ) आविष्कार का उद्देश्य (क्र. सं. 19)

आविष्कार से पूरे होने वाले प्रमुख उद्येश्यों की सूची लगाइए।

अन्य सभी ज्ञात विकल्पों से अधिक लाभप्रद (क. सं. 21)

समान कार्य दक्षता के लिए पूंजी लागत एवं संचालन लागत में कमी के संदर्भ में लाभों के बारे में बताइए।

लाभों के शीर्षक के अंतर्गत सीधे या किसी के साथ जोड़ने के द्वारा कार्य दक्षता, उत्पादकता, आकार, विश्वसनीयता, सुरक्षा, प्रारूप, कार्यक्षमता, उपयोंगोंकीश्रेणी, उपयोगिता में सुधार के बारे में वर्णन करें।

(ठ) विस्तृत विवरण (क. सं. 22)

यह विवरण ए-4 साइज के पृष्ठ पर बांए एवं दाएं दोनों तरफ हाशिया छोड़ते हुए अधिकतम 10 पृष्ठ में दिया जाना चाहिए। विस्तृत विवरण में विशिष्टियां, कार्यदक्षता की विशेषताएं, सीमाएं, डिजाइन/संरचना का सिद्धांत, निर्माण/प्रक्रिया विनिर्माण आदि के विवरण का वर्णन किया जाना चाहिए । इसके समर्थन में आवश्यकतानुसार संबंधित ड्राइंग, रेखाचित्र और सर्किट भी संलग्न किए जाने चाहिए।

आवेदन पत्र प्रस्तुत करने की तारीख तक संपूर्ण विवरण में सामान्य सूचनाओं के रुपमें आविष्कार के कार्य करने के पूर्व में विद्यमान तरीके का वर्णन करते हुए नवीन मौलिक तरीके और आविष्कार के सार का भी वर्णन किया जाना चाहिए । जहां उपयुक्त हो वहां तुलनात्मक और साथ में नई तकनीकों का भी वर्णन करना आवश्यक है ताकि इस नए तरीके में प्रशिक्षित व्यक्ति आविष्कार को बनाने और उपयोग करने में सक्षम हो सके। विवरण में आविष्कार की विशिष्ट संचालन प्रक्रियाया उदाहरणों का वर्णन दिया जाना चाहिए । उदाहरण और अन्य विवरणात्मक पृष्ठ किए गए दावों को तर्कसंगत सिद्ध करने के लिए पर्याप्त रूप से सार्थक होने चाहिए। इसके अतिरिक्त यह भी आवश्यक है कि एक आवेदन पत्र में केवल एक आविष्कार के बारे में ही आवेदन किया जाए । “आविष्कार की संरचना " के रुप में उद्धत यह आवश्यकता दावों का प्ररुप बनाने के उद्देश्य से विशेष रुप से महत्वपूर्ण हैI


स्रोत: भारत सरकार वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय (औद्योगिक नीति और संवर्द्धन विभाग)

अंतिम बार संशोधित : 2/22/2020



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