অসমীয়া   বাংলা   बोड़ो   डोगरी   ગુજરાતી   ಕನ್ನಡ   كأشُر   कोंकणी   संथाली   মনিপুরি   नेपाली   ଓରିୟା   ਪੰਜਾਬੀ   संस्कृत   தமிழ்  తెలుగు   ردو

राष्ट्रीय प्रशिक्षु संवर्धन योजना

परिचय

आदिकाल से ही कौशल का स्‍थानांतरण प्रशिक्षुओं  की परम्‍परा के माध्‍यम से होता आ रहा है। एक युवा प्रशिक्षु एक मास्‍टर दस्‍कार से कला सीखने की परम्‍परा के तहत काम करेगा, जबकि मास्‍टर दस्‍तकार को बुनियादी सुविधाओं का प्रशिक्षु को प्रशिक्षण देने के बदले में श्रम का एक सस्‍ता साधन प्राप्‍त होगा। कौशल विकास की इस परम्‍परा के द्वारा नौकरी पर प्रशिक्षण देना समय की कसौटी पर खरा उतरा है और इससे दुनिया के अनेक देशों में कौशल विकास कार्यक्रमों को जगह मिली है।

कौशल विकास की एक विधा के रूप में प्रशिक्षु के महत्‍वपूर्ण लाभ रहे हैं,जो उद्योग और प्रशिक्षु दोनों के लिए लाभदायक रहे हैं। इससे उद्योग के लिए तैयार कार्यबल का सृजन करने को बढ़वा मिल रहा है। दुनिया के अनेक देशों ने प्रशिक्षुता मॉडल को लागू किया है। जापान में 10 मिलियन से अधिक प्रशिक्षु हैं, जबकि जर्मनी में तीन मिलियन, अमेरिका में 0.5 मिलियन प्रशिक्षु हैं, जबकि भारत जैसे विशाल देश में केवल 0.3 मिलियन प्रशिक्षु हैं। देश की भारी जनसंख्‍या और जनसांख्यिकीय लाभांश को देखते हुए देश में 18 से 35 वर्ष की आयु वर्ग के तीन सौ मिलियन लोग मौजूद होने के बावजूद यह संख्‍या बहुत कम है।

देश के अनुकूल जनसांख्यिकी लाभांश की क्षमता का एहसास करते हुए माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने कौशल भारत अभियान और उसके बाद अलग से कौशल विाकस और उद्यमिता मंत्रालय का नवंबर, 2014 में गठन किया। इसका उद्देश्‍य भारत को दुनिया की कौशल राजधानी में परिवर्तित करना है। एक युवा और स्‍टार्ट-अप मंत्रालय ने बहुत कम समय में नीति निर्माण और प्रमुख कौशल विकास योजना- प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना की शुरूआत प्रमुख रूप से की है और आईटीआई पारिस्थितिकी तंत्र में सुधार करने के अलावा उद्यमशीलता विकास की नई  योजनाओं की  भी शुरूआत की है।

इसी तरह मंत्रालय ने देश में प्रशिक्षु के मॉडल को अपनाने की भावना को बढ़ावा देने के लिए दो प्रमुख कदम उठाए हैं – एक प्रशिक्षु अधिनियम 1961 में संशोधन और दूसरा प्रशिक्षु प्रोत्‍साहन योजना की जगह राष्‍ट्रीय प्रशिक्षु प्रोत्‍साहन योजना की शुरूआत।

प्रशिक्षु अधिनियम 1961

प्रशिक्षु अधिनियम 1961 को नौकरी प्रशिक्षण पर देने के लिए उपलब्‍ध सुविधाओं का उपयोग करते हुए उद्योग में प्रशिक्षु के प्रशिक्षण को नियमित करने के उद्देश्‍य से विनियमित किया गया था।

अधिनियम नियोक्ताओं के लिए यह अनिवार्य बना देता है कि वे प्रशिक्षुओं को उद्योग में काम करने के लिए प्रशिक्षण दें ताकि स्कूल छोड़ने वालों और आईटीआई से उत्तीर्ण लोगों को उद्योगों में रोजगार मिल सके। इनमें स्नातक इंजीनियर, डिप्लोमा और प्रमाण पत्र धारक व्यक्तियों का कुशल श्रम आदि का विकास करना है। पिछले कुछ दशकों के दौरान प्रशिक्षु प्रशिक्षण योजना (एटीएस) का प्रदर्शन भारत की अर्थव्यवस्था के अनुरूप नहीं था। यह पाया गया है कि उद्योगों में उपलब्ध प्रशिक्षण सुविधाओं का पूरा इस्तेमाल नहीं हो रहा है, जिसके कारण बेराजगार युवा एटीएस के लाभ से वंचित हो जाते हैं। हितधारकों के साथ बातचीत और समीक्षा से पता लगा है कि नियोक्ता अधिनियम के प्रावधानों, खासतौर से 6 माह के कारावास के प्रावधान से संतुष्ट नहीं थे। नियोक्ता प्रशिक्षुओं को रोजगार में लगाने के संबंध में इन प्रावधानों को कठोर मानते थे।

इन सूचनाओं के आधार पर प्रशिक्षु अधिनियम, 1961 को 2014 में संशोधित किया गया और वह 22 दिसंबर, 2014 से प्रभावी हुआ। संशोधन द्वारा किए जाने वाले मुख्य बदलाव इस प्रकार हैं –

(क) प्रशिक्षु अधिनियम के तहत अब कारावास का प्रावधान नहीं है। संशोधन के बाद अधिनियम की अवहेलना करने पर केवल जुर्माना लगाया जाएगा।

(ख) कामगार की परिभाषा को व्यापक बनाया गया है और प्रशिक्षुओं के नियुक्त किए जाने की संख्या तय करने के तरीके को बदला गया है। इन संशोधनों से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि नियोक्ता बड़ी संख्या में प्रशिक्षुओं को नियुक्त करें।

(ग)  संशोधन में एक पोर्टल बनाने का प्रावधान किया गया है ताकि दस्तावेजों, संविधाओं और कराधान आदि को इलेक्ट्रानिक रूप से सुरक्षित किया जा सके।

इन संशोधनों का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि नियोक्ता प्रशिक्षुओं को बड़ी संख्या में नियुक्त करें। इसके अलावा संशोधनों के तहत नियोक्ताओं को प्रोत्साहित किया जाएगा कि वे प्रशिक्षुओं अधिनियमों का पालन करें।

राष्ट्रीय प्रशिक्षु संवर्धन योजना

सरकार ने प्रशिक्षुओं के प्रशिक्षण को प्रोत्साहित करने और नियोक्ताओं को प्रशिक्षुओं को नियुक्त करने की प्रेरणा देने के लिए 19 अगस्त, 2016 को राष्ट्रीय प्रशिक्षु संवर्धन योजना की शुरूआत की थी। इस योजना ने 19 अगस्त, 2016 को प्रशिक्षु प्रोत्साहन योजना (एपीवाई) का स्थान ले लिया है। एपीवाई वजीफे के रूप में केवल पहले दो साल के लिए सरकार द्वार निर्धारित धनराशि का 50 प्रतिशत देता था। वहीं नई योजना में प्रशिक्षण और वजीफे के संबंध में निम्नलिखित प्रावधान किये गए हैं –

- निर्धारित वजीफे के 25 प्रतिशत की प्रतिपूर्ति जो नियोक्ता के लिए अधिकतम 1500 रुपये प्रति माह प्रति प्रशिक्षु होगी

- फ्रेशर प्रशिक्षु के संबंध में बुनियादी प्रशिक्षण की लागत को साझा किया जाना (जो कि बिना किसी औपचारिक प्रशिक्षण के सीधे आए थे)

एनएपीएस को वर्ष 2020 तक प्रशिक्षुओं की संख्या 2.3 लाख से बढ़ाकर 50 लाख करने के महत्वाकांक्षी उद्देश्य के साथ शुरू किया गया था। हमें इसकी बड़ी प्रोत्साहित करने वाली प्रतिक्रिया मिली है। अगस्त माह में योजना के शुरू होने के बाद से 1.43 लाख छात्र इसमें पंजीकृत हो चुके हैं। रक्षा मंत्रालय ने भी एनएपीएस के लिए अपना समर्थन दिया है। रक्षा मंत्रालय ने अपने अंतर्गत आने वाली सभी पीएसयू कंपनियों को कुल कर्मचारियों में से 10 फीसदी प्रशिक्षु शामिल करने को कहा है। माननीय प्रधानमंत्री ने भी 19 दिसंबर को कानपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में एनएपीएस के तहत 15 प्रतिष्ठानों को प्रतिपूर्ति के चेक वितरित किए थे।

योजना, एप्रेंटाइसशिप चक्र की निगरानी और प्रभावी प्रशासन के लिए एक उपयोगकर्ता के अनुकूल ऑनलाइन पोर्टल www.apprenticeship.gov.in शुरू किया गया। पोर्टल पर नियुक्ति प्रक्रिया की सभी आवश्यक जानकारियां उपलब्ध रहती हैं। यहां पंजीकरण से लेकर रिक्तियों की संख्या, और प्रशिक्षु के लिए रजिस्ट्रेशन से लेकर ऑफर लेटर स्वीकारने तक सभी जानकारियां उपलब्ध हैं।

मुझे पूरा यकीन है कि एनएपीएस जैसे हमारे विभिन्न प्रयासों से उद्योग के लिए तैयार कार्यबल का सृजन करने में हम समर्थ होंगे जिससे भारत को दुनिया की कौशल राजधानी में परिवर्तित करने में मदद मिलेगी।

लेखन: राजीव प्रताप रूढ़ी, पीआईबी

अंतिम बार संशोधित : 2/22/2020



© C–DAC.All content appearing on the vikaspedia portal is through collaborative effort of vikaspedia and its partners.We encourage you to use and share the content in a respectful and fair manner. Please leave all source links intact and adhere to applicable copyright and intellectual property guidelines and laws.
English to Hindi Transliterate