उपभोक्ता मामले, खाद्य तथा जन वितरण मंत्रालय की उपलब्धियाँ
वित्तीय वर्ष 2014 -2016 उपभोक्ता मामले, खाद्य तथा जन वितरण मंत्रालय की उपलब्धियाँ की जानकारी दी गयी है।
- Contents
उपलब्धियाँ
- राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 को लागू करने में तेज प्रगति ।
- जून, 2014 से सार्वजनिक वितरण प्रणाली(पीडीएस) में बड़े सुधार ।
- क्षमता में सुधार तथा किसानों के व्यापक कवरेज में सुधार के लिए खरीद प्रक्रिया में सुधार ।
- गन्ना क्षेत्र के लिए बहुपक्षीय नीति पहल की गई।
- भंडारण क्षमता के उन्नयन और आधुनिकीकरण के लिए नए कदम उठाये गए।
मई, 2014 में 11 राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम लागू किया जा रहा था। इस पर विशेष ध्यान दिया गया है और अब अप्रैल, 2016 तक 33 राज्य/केंद्र शासित प्रदेश अधिनियम को लागू कर रहे हैं।
सरकार ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली को और अधिक पारदर्शी बनाकर और चोरी को रोक कर सुधार की दिशा में अनेक उपलब्धियां प्राप्त की है। सभी राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों में राशन कार्डों के डिजीटीकरण का काम पूरा कर लिया गया है। जून 2014 में केवल 15 राशन कार्डों का डिजीटीकरण हुआ था। ऑनलाइन खाद्यान्न आवंटन में राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की संख्या 25 हो गई जो जून 2014 में केवल 5 थी। सभी राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा शिकायत निवारण की ऑनलाइन व्यवस्था लागू की गई है ।
धान की सरकारी खरीद नीति संशोधित की गई ताकि न्यूनतम समर्थन मूल्य परिचालन की पहुंच अधिक किसानों तक सुनिश्चित हो सके।
अप्रत्याशित वर्षा और चक्रवाती तूफान से हुए फसलों के नुकसान को देखते हुए वर्ष 2015-16 के दौरान फसल खरीद मानकों में छूट देकर किसानों को बड़ी सहायता दी गई।
2014-15 की बकाया गन्ना राशि के भुगतान में सहायता के निरंतर प्रयास से 27.04.2016 को बकाया राशि घटकर 896 करोड़ रुपये रह गई। अप्रैल, 2015 में यह अपने शीर्ष पर 21.000 करोड़ रुपये थी।
खाद्यान्न प्रबंधन में सुधार
भारतीय खाद्य निगम(एफसीआई) को फिर से नया ढांचा देने पर सिफारिश के लिए एक उच्च स्तरीय विशेषज्ञ समिति बनाई गई। सिफारिशों के आधार पर एफसीआई के कामकाज में सुधार के लिए तथा इसकी संचालन लागत को विवेकसंगत बनाने के लिए अनेक कदम उठाए गए।
एफसीआई के गोदामों के सभी कार्यों के संचालन को ऑनलाइन करना तथा डिपो स्तर पर चोरी रोकने और संचालन को स्वचालित करने के लिए 17 मार्च, 2016 को 27 राज्यों में पायलट आधार पर 31 डिपो में “ डिपो ऑनलाइन” प्रणाली लांच की गई।
किसानों से तेजी से खरीद के कारण 210.40 लाख टन सुरक्षित भंडार की तुलना में 16.04.2016 को केंद्रीय पूल में 500 लाख टन खाद्यान्न था।
केंद्रीकृत खरीद (डीसीपी) के अंतर्गत आने वाले 12 राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों के अतिरिक्त तेलंगाना धान खरीद के लिए नया डीसीपी राज्य हो गया है और 2014-15 के दौरान आंध्र प्रदेश और पंजाब ने भी अनाज खरीद और वितरण संचालन क्षमता बढ़ाने में सुधार के लिए आंशिक रूप से इस प्रणाली को अपनाया।
भारत सरकार के निर्देश पर एफसीआई ई-नीलामी के माध्यम से समय-समय पर पूर्व निर्धारित मूल्य के अंतर्गत खुले बाजार में सुरक्षित भंडारण मानकों से अधिक खाद्यान को बेचता है। वर्ष 2014-15 तथा 2015-16 में इस योजना के अंतर्गत खाद्यान्न बिक्री इस प्रकार की गई-
वर्ष |
गेहूं (लाख मीट्रिक टन) |
चावल (लाख मीट्रिक टन) |
2014-15 |
42.37 |
वर्ष के दौरान बिक्री नहीं की गई |
2015-16 |
70.77 |
1.11 |
- पूर्वोत्तर राज्यों में लुमडिंग से बदरपुर तक नई रेल लाईन बिछाये जाने के कारण रेल परिवहन में बाधा को देखते हुए बहुपरिवहन व्यवस्था करके पूर्वोत्तर राज्यों में पर्याप्त अनाज सप्लाई की गई। प्रत्येक महीने 80,000 मीट्रिक टन अनाज सड़क माध्यम से भेजा गया । इसके अतिरिक्त क्षेत्र में 20000 मीट्रिक टन का अतिरिक्त भंडारण किया गया। मेगा ब्लाक के दौरान अनाज जल मार्ग से वाया बंगलादेश त्रिपुरा गया।
- 2014-15 में पहली बार जल मार्ग/समुद्री मार्ग से 1,03,636 मीट्रिक टन चावल आंध्र प्रदेश से केरल भेजा गया।
- आंध्र प्रदेश में हुद-हुद तूफान और जम्मू-कश्मीर में आई भयावह बाढ़ के दौरान खाद्यान्न की पर्याप्त सप्लाई बनाई रखी गई।
- सरकार ने खाद्यान्न भंडारण के बेहतर प्रबंधन के लिए जनवरी 2015 से सुरक्षित भंडार मानक में संशोधन किया है।
- वर्ष 2015-16 के दौरान भंडारण घाटा और पारगमन घाटा क्रमशः 0.15 प्रतिशत और 0.42 प्रतिशत एमओयू की तुलना में कम होकर क्रमशः(-) 0.03 प्रतिशत और 0.39 प्रतिशत रह गया।
- निजी उद्यमी गारंटी योजना(पीईजी) के अंतर्गत 13.45 लाख मीट्रिक टन, पूर्वोत्तर में नियोजित योजना के अंतर्गत 1.08 लाख मीट्रिक टन तथा सीडब्ल्यूसी के माध्यम से 2.40 लाख मीट्रिक टन क्षमता के नए गोदाम जोड़े गए।
- इन प्रयासों से खाद्यान्न भंडारण के केंद्रीय पूल के लिए 814.84 लाख मीट्रिक टन भंडारण क्षमता उपलब्ध है।
- भंडारण विकास और नियामक प्राधिकरण(डब्ल्यूडीआरए) में परिवर्तन की योजना प्रारंभ की गई है ताकि भंडारण क्षेत्र को सरल और कारगर बनाया जा सके। इसमें आईटी प्लैटफार्म बनाना तथा नियमों और प्रक्रियाओं को नए सिरे से परिभाषित करना शामिल है।
- गेहूं और चावल के लिए एफसीआई द्वारा पीपीपी मोड में स्टील साइलो रूप में 100 एलएमटी भंडारण क्षमता बनाने के लिए रोड मैप तैयार किया गया है।
- स्थानों-छंगसारी(असम),नरेला(दिल्ली),सहनेवाल(पंजाब),कोटकापुरा(पंजाब),कटिहार(बिहार) तथा व्हाइटफील्ड (कर्नाटक) में कुल 2.5 लाख मीट्रिक टन क्षमता के साइलो निर्माण की प्रक्रिया प्रारंभ की गई ।
- लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली(टीपीडीएस) के अंतर्गत राज्यों/ शासित प्रदेशों को 610.08 लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न आवंटित किया गया तथा 2015-16 के दौरान(04.01.2016 तक) अन्य कल्याणकारी योजनाएं चलाई गईं।
- केंद्र सरकार ने राज्यों के उतराई-चढ़ाई तथा परिवहन घाटे का 50 प्रतिशत (पवर्तीय राज्यों तथा कठिन क्षेत्रों में75 प्रतिशत) तथा डीलर मार्जिन बोझ को साझा करने का निर्णय लिया ताकि यह बोझ लाभार्थियों पर न डाला जाये और उन्हें मोटे अनाज 1 रु. प्रति किलो, गेहूं 2 रु. प्रति किलो और चावल 3 रु. प्रति किलो मिल सके।
टीपीडीएस में प्रमुख सुधार
टीपीडीएस के अंतर्गत सामग्री विशेषकर अनाज सप्लाई बनाए रखने और उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए विभाग ने नियमों में संशोधन किया है ताकि पात्र लाभार्थियों को उच्च सब्सिडी का अनाज मिलना सुनिश्चित हो सके। राज्यों /शासित प्रदेशों में टीडीपीएस का शुरु से अंत तक कंप्यूटरीकरण का काम प्राथमिकता से किया जा रहा है।
निरंतर प्रयास से टीडीपीएस में महत्वपूर्ण सुधार हुए हैं। यह प्रणाली अब पहले से अधिक पारदर्शी हो गई है, चोरी रोकी गई है और खाद्यान्न सब्सिडी को बेहतर ढंग से लक्षित किया जा रहा है। इस उद्देश्य से मुख्य घटकों में सुधार इस प्रकार रहा-
मुख्य घटक |
मई 2014 |
अप्रैल 2016(26.04.2016 को) |
उचित मूल्य की दुकानें स्वचालित |
5,835 |
1,05,176 |
राशन कार्डों का डिजीटीकरण |
75% |
100 % |
राशन कार्डों का आधार बीजकरण |
2% |
54.41 % |
अनाज का ऑनलाइन आवंटन प्रारंभ |
9 राज्य/केंद्र शासित प्रदेश |
25 राज्य/ केंद्र शासित प्रदेश |
सप्लाई चेन कंप्यूटरीकृत |
4राज्य/केंद्र शासित प्रदेश |
12 राज्य/ केंद्र शासित प्रदेश |
टोल फ्री हेल्पलाइन लागू |
25 राज्य/केंद्र शासित प्रदेश |
36 राज्य/ केंद्र शासित प्रदेश |
ऑनलाइन शिकायत निवारण प्रणाली लागू की गई |
18 राज्य/केंद्र शासित प्रदेश |
36 राज्य/ केंद्र शासित प्रदेश |
लाभार्थियों को खाद्यान्न सब्सिडी के प्रत्यक्ष नकद अंतरण में सहायता के लिए सरकार ने प्रत्यक्ष लाभ अंतरण योजना(डीबीटी) प्रारंभ किया। चोरी को नियंत्रित करने तथा मार्ग परिवर्तन को रोकने के लिए यह विभाग राज्य/ केंद्र शासित प्रदेशों से अनाज के बदले में डीबीटी योजना अपनाने का आग्रह कर रहा है। इसके अंतर्गत सब्सिडी का हिस्सा लाभार्थी के बैंक खाते में चला जाएगा जिससे लाभार्थी बाजार से अनाज खरीदने के लिए स्वतंत्र होंगे। सितंबर, 2015 से यह योजना चंडीगढ़ और पुड्डुचेरी में में लांच की गई है। इसे दादरा और नगर हवेली में मार्च 2016 से आंशिंक रूप में लांच किया गया है।
किसानों को समर्थन
- अप्रत्याशित वर्षा और ओला वृष्टि से प्रभावित किसानों को राहत देने के लिए सरकार ने अधिकतम संभव स्तर तक गेहूं खरीद के लिए गुणवत्ता मानकों में छूट दी। केंद्र सरकार ने राज्य सरकार / उनकी एजेंसियों को दी गई ऐसी छूट पर लगाई मूल्य कटौती राशि का पुनर्भुगतान करने का निर्णय लिया है ताकि किसान बिना चमक-दमक वाले मुरझाये और टूटे गेहूं के लिए भी पूरा समर्थन मूल्य प्राप्त कर सकें। केंद्र सरकार द्वारा पहली बार किसान केंद्रित यह कदम उठाया गया है।
- वर्षा और ओला वृष्टि से प्रभावित किसानों को राहत पहुंचाते हुए सरकारी एजेंसियों ने 2015-16 में 280.88लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद की। वर्ष 2016-17 के दौरान 05.05. 2016 तक सरकारी एजेंसियों की ओर से215.62 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद की की गई है जबकि पिछले मौसम में इसी दिन 209.96 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद की गई थी।
- सरकार ने 07.08.2015 से गेहूं 10 प्रतिशत की दर से आयात सीमा शुल्क लगाया। भारत के किसानों की सहायता के लिए इसे 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 25 प्रतिशत कर दिया गया। वर्तमान 25 प्रतिशत की दर से सीमा शुल्क का विस्तार 30.06.2016 तक किया गया है।
- सरकार ने केएमएस 2015-16 में किसानों की सहायता के लिए और विवशता में बिक्री टालने के लिए आंध्र प्रदेश और उत्तर प्रदेश के प्रभावित क्षेत्रों में धान और चावल के खरीद मानक में रियायत दी है।
- आयातित तेल की अंतर्राष्ट्रीय कीमत में कमी से घरेलू उत्पादित खाद्य तेल की कीमत पर पड़ रहे प्रभाव और किसानों के हितों पर प्रतिकूल प्रभाव को देखते हुए तेल पर लगने वाला वर्तमान आयात शुल्क 7.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 12.5 प्रतिशत किया गया और ऱिफाइन्ड तेल का आयात शुल्क 15 प्रतिशत से बढ़ा कर 20 प्रतिशत किया गया।
- 01.10.2015 से मिल मालिकों पर चावल लेवी समाप्त कर दी गई है। इससे किसान शोषण से बचेंगे और धान को बेचने के लिए मिल मालिकों पर निर्भर नहीं रहेंगे। इस कदम से किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य डिलीवरी में सुधार हुआ है। न्यूनतम समर्थन मूल्य से बाजार मूल्य कम होने की स्थिति में भी , विशेषकर आंध्र प्रदेश , तेलंगाना , उत्तर प्रदेश तथा पश्चिम बंगाल में जहां किसान अपना धान बेचने के लिए मिल मालिकों पर निर्भर रहते हैं।
पूर्वी भारत में अनाज खरीद को बढ़ाना
- एफसीआई द्वारा उत्तर प्रदेश (पूर्वी उत्तर प्रदेश पर बल के साथ), बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल तथा असम के लिए राज्यवार पंचवर्षीय योजना बनाई गई है। छत्तीसगढ़ और ओडिशा में अनाज की खरीद अच्छी हुई है। इन राज्यॆ से चावल की खरीद के लिए और इन राज्यों के विभिन्न जिलों में धान उपजाने वाले किसानों तक पहुंचने बनाने के लिए प्रयास जारी है।
- एफसीआई ने पिछले मौसम के 141 की तुलना में 232 खरीद केंद्र खोले हैं। सरकारी एजेंसियों के अंतर्गत एफसीआई राज्यों की सलाह से पूर्वी उत्तर प्रदेश, झारखंड तथा पश्चिम बंगाल जैसे कम खरीद वाले राज्यों में अधिक खरीद करने के लिए निजी पक्षों की सेवा ली है। एफसीआई, राज्य सरकार की एजेंसियों तथा निजी क्षेत्र द्वारा इन राज्यों में कुल 53,036 खरीद केंद्र खोले गए हैं।
- 26.04.2016 को इन राज्यों में इस मौसम(केएमएस2015-16) में धान की ( चावल संदर्भ में) 65.62 लाख मीट्रिक टन खरीद की है। पिछले मौसम((केएमएस2014-15) में 40.82 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद की गई थी।
गन्ना क्षेत्र में सुधार
- किसानों की बकाया राशि के भुगतान में सहायता के लिए चीनी मिलों की तरलता स्थिति के लिए कच्ची चीनी के निर्यात पर प्रोत्साहन देने की योजना का विस्तार 2014-15 गन्ना मौसम के लिए किया गया और प्रोत्साहन की दर 3300 रुपये प्रति मीट्रिक टन से बढ़ाकर 4000 रुपये प्रति मीट्रिक टन कर दी गई। योजना के अंतर्गत गन्ना अद्योग को 383.87 करोड़ रुपये चुकाये गये हैं ताकि किसानों की बकाया राशि देने में सहायता की जा सके।
- आसान ऋण योजना के तहत एक वर्ष के लिए 10 प्रतिशत वार्षिक की दर से चीनी मिलों को वित्तीय सहायता दी गई है। चीनी मिलों की तरफ से गन्ना किसानों को प्रत्यक्ष रूप से 4305 करोड़ रु दिये गये हैं। इससे 313 चीनी मिलों से जुड़े 32 लाख से अधिक किसानों को प्रत्यक्ष रूप से लाभ मिला है।
- ईबीपी के अंतर्गत सप्लाई के लिए इथनोल का लाभकारी मूल्य प्रति लीटर 48.50 से 49.50 रुपये के बीच निर्धारित किया गया है। यह पिछले वर्ष की तुलना में अधिक है। चालू मौसम में ईबीपी के अंतर्गत सप्लाई के लिए इथनोल पर उत्पाद शुल्क समाप्त कर दिया गया है ताकि चीनी मिलों की तरलता स्थित में सुधार आए और चीनी मिल किसानों की बकाया राशि का भुगतान कर सकें। परिणामस्वरूप ईबीपी के अंतर्गत इथनोल की सप्लाई 2014-15 में बढ़कर लगभग 68 करोड़ लीटर हो गई जो 2013-14 में मात्र 33 करोड़ लीटर थी। चालू मौसम में यह आशा की जाती है कि इथनोल की सप्लाई 130करोड़ लीटर को पार कर जाएगी। इथनोल मिलाने के कार्यक्रम के अंतर्गत इथनोल मिलाने का लक्ष्य 5प्रतिशत से बढ़ा कर 10 प्रतिशत कर दिया गया है।
- सरकार ने 02.12.2015 को प्रदर्शन आधारित सब्सिडी योजना को अधिसूचित किया। इसके अंतर्गत चीनी मिलों को 2015-16 मौसम लिए गन्ने की कीमत की भरपाई तथा किसानों की बकाया राशि का भुगतान करने में मदद के लिए 2015-16 में संदलित गन्ने पर 4.50 रुपये प्रति क्विंटल की सब्सिडी दी जाएगी। चीनी मिलों की तरफ से सीधे किसानों के बैंक खातों में धन दिया जाएगा।
- इन प्रोत्साहनों से पिछले मौसम में मिल पूर्व गन्ने का जो मूल्य 23 रुपये प्रति किलो था वह बढ़कर लगभग 33-34 रुपये हो गया। गन्ना मौसम 2014-15 के लिए गन्ना मूल्य बकाया राशि 21,000 करोड़ रुपये के शीर्ष पर थी जो 20.04.2016 को घट कर 896 करोड़ रुपये रह गई।
- एफसीआई ने बाजार मूल्य पर किसानों से दालों की खरीद शुरु कर दी है। न्यूनतम समर्थन मूल्य से दोगुने भाव पर किसानों से 51,000 मीट्रिक टन दालें खरीदी गई हैं।
उपभोक्ता संरक्षण को प्रोत्साहन
- उपभोक्ता संरक्षण प्रावधानों को सुदृढ़ और सरल बनाने के लिए संसद में उपभोक्ता संरक्षण विधेयक, 2015लाया गया। इस विधेयक में केंद्रीय संरक्षण प्राधिकरण की स्थापना का प्रस्ताव है। केंद्रीय संरक्षण प्राधिकरण को उत्पादों को वापस लेने , ई-रिटेलर सहित दोषी कंपनियों पर कानूनी कार्रवाई करने की शक्ति दी गई है। विधेयक में ई-फाइलिंग तथा उपभोक्ता अदालतों में समयबद्ध रूप में शिकायतों की सुनवाई करने का प्रावधान है।
- भ्रमित करने वाले विज्ञापनों से निपटने के लिए एक समर्पित पोर्टल उपभोक्ता के मामले का विभागलांच किया गया। उपभोक्ता इस पोर्टल पर खाद्य तथा कृषि , शिक्षा ,रियल स्टेट , परिवहन, तथा वित्तीय सेवाओं से संबंधित शिकायत दर्ज करा सकते हैं। प्राप्त शिकायत पर संबंधित अधिकारियों से या क्षेत्र के नियामक से कार्रवाई के लिए कहा जाता है । इसकी ऑनलाइन निगरानी की जा सकती है। 365 शिकायतों का भी निवारण किया गया है। (26.04.2016 तक)
- एक छत के नीचे उपभोक्ता शिकायतों के निवारण के लिए दिशा-निर्देश सहित अनेक उपभोक्ता सेवाएं देने के लिए पायलट योजना के रूप में पांच स्थानो- अहमदाबाद, बेंगलुरु , जयपुर, कोलकाता, पटना में मार्च, 2015 में “ग्राहक सुविधा केंद्र” लांच किए गए।
- पैक की गई सामग्री नियमों में संशोधन किया गया ताकि पैकेट के 40 प्रतिशत हिस्से में आवश्यक सूचना प्रदान करना सुनिश्चित किया जा सरके। निर्माता/ पैकर/ आयातकर्ता का ई-मेल एड्रेस देना अनिवार्य कर दिया गया है। 01 जुलाई,2016 से नये नियम लागू किये जाएंगे।
- गुणवत्ता संपन्न उत्पादों की संस्कृति तथा उपभोक्ताओं की सेवा को प्रोत्साहित करने के लिए 29 वर्ष पुराना बीआईएस अधिनियम । स्वास्थ्य, सुरक्षा तथा पर्यावरण से संबंधित उत्पादों और सेवाओं के लिए मानक प्रमाणऩ अनिवार्य बना दिया गया है। 'हॉल मार्किंग' व्यवस्था को सुदृढ़ बनाया गया है। यदि सामग्री और सेवाएं मानकों के अनुरूप नहीं हैं तो इसमें उपभोक्ता को मुआवजा देने का प्रावधान है। कारोबार में सहजता के लिए मानकों की अनुरूपता की स्वयं घोषणा करने की व्यवनस्था की गई है और साथ-साथ उल्लंघन के मामले में कठोर दण्डात्मक प्रावधान भी किये गए हैं।
- अधिक उपभोक्ता जागरुकता के लिए स्वास्थ्य, आरबीआई तथा अन्य विभागों के साथ संयुक्त रूप से ग्रामीण क्षेत्रों पर विशेष बल देते हुए मल्टी मीडिया अभियान आयोजित किया गया ।
- उपभोक्ता हितों को अभिव्यक्त करने पर उद्योग संस्थाओं के साथ साझेदारी के नये युग में प्रवेश करने के लिए उद्योग संस्थाओं द्वारा उपभोक्ता शिकायत निवारण प्रकोष्ठ स्थापित करने तथा उपभोक्ता जागरुकता अभियान चलाने के लिए सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए गए।
उचित मूल्य पर आवश्यक खाद्य सामग्रियों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के उपाय
- आवश्यक खाद्य सामग्रियों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए अग्रिम कार्य योजना बनाई गई। उच्च स्तर पर नियमित रूप से मूल्यों तथा सामग्रियों की उपलब्धता प्रवृत्ति की समीक्षा के लिए बैठकें की जा रही हैं।
- आवश्यक सामग्रियों की मूल्य वृद्धि को नियंत्रित करने के लिए वर्ष 2016-17 में मूल्य स्थिरता कोष का आवंटन बढ़ाकर 900 करोड़ रुपये कर दिया गया। वर्ष 2015-16 में यह आवंटन 500 करोड़ रुपये था।
- सुरक्षित भंडार बनाने के लिए 1.50 लाख मीट्रिक टन दाल खरीदने का निर्णय। 26,000 मीट्रिक टन दाल आयात करने का ठेका दिया गया।
- राज्यों द्वारा अपने माध्यमों से दाल की खुदरा बिक्री करने के लिए दाल के सुरक्षित भंडार से 10,000 मीट्रिक टन दाल जारी की गई। केंद्र ने इसके लिए राज्यों को 24.4 करोड़ रुपये की सब्सिड देने का निर्णय लिया।
- मोटे अनाजों, दालों तथा तिलहन के लिए अधिक न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा ताकि उत्पादन को प्रोत्साहन दिया जा सके और आवश्यक खाद्य सामग्रियों की उपलब्धता बनाई जा सके। इससे मूल्यों को स्थिर रखने में भी मदद मिल सकती है।
- इसी अधिनियम 1955 के तहत जमाखोरी तथा कालाबाजारी रोकने के लिए प्याज तथा दाल की स्टॉक सीमा निर्धारित करने का अधिकार राज्यों को दिया गया। पिछले 6 महीनों में 14, 484 एमटी छापे मारे गए और लगभग 1,33, 883 मीट्रिक टन दाल जमाखोरों से जब्त की गई और बाजार में 1,25,397 मीट्रिक टन दाल जारी गई।
स्रोत: पत्र सूचना कार्यालय