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एकीकृत ऊन विकास कार्यक्रम दिशानिर्देश

एकीकृत ऊन विकास कार्यक्रम दिशानिर्देश

एकीकृत ऊन विकास कार्यक्रम (आईडब्ल्यूडीपी) - वर्ष 2017-18 से 2019-20 तक

प्रस्तावना

एकीकृत ऊन विकास कार्यक्रम (आईडब्ल्यूडीपी) एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम है जो सभी ऊन उत्पादक राज्यों में 3 वर्षों अर्थात 2017-18 से 2019-20 की अवधि के दौरान कार्यान्वित किया जाएगा। इस कार्यक्रम के निम्नलिखित संघटक हैं-

(करोड़ रुपए में)

संघटक

बजट आवंटन

ऊन विपणन योजना (डब्ल्यूएमएस)

10.00

ऊन प्रसंस्करण योजना (डब्ल्यूपीएस)

8.00

एचआरडी और संवर्धनात्मक कार्यकलाप

4.00

सामाजिक सुरक्षा योजना: (एसएसएस)

12.00

अंगोरा ऊन विकास योजना (एडब्ल्यूडीएस)

2.00

ऊन विकास योजना (डब्ल्यूडीएस)

14.00

जम्मू एवं कश्मीर के लिए पुनर्निर्माण योजना (पश्मीना संवर्धन कार्यक्रम)

50.00

स्थापना संबंधी व्यय (सीडब्ल्यूडीबी)

12.00

3 वर्ष के लिए कुल आवंटन (2017-18 से 2019-20)

112.00

1.2 कार्यक्रम के अंतर्गत संघटकों, पात्रता शर्त/मापदंड, वित्त पोषण पद्धति/मानदंड, क्रियान्वयन एजेंसियां, लक्षित लाभार्थियों का ब्यौरा परिशिष्ट में दिए गए हैं।

क्रियान्वयन एजेंसियां

कार्यक्रम, केंद्र/राज्य पशुपालन विभागों, ऊन बोडौँ, ऊन उत्पादकों के निगम/परिसंघ, केंद्र/राज्य सरकारों द्वारा स्थापित ऊन अनुसंधान संस्थाओं आदि, जैसा कि परिशिष्ट में विनिर्दिष्ट है, के माध्यम से क्रियान्वित किया जाएगा। कार्यक्रम के क्रियान्वयन के लिए नोडल तकनीकी एजेंसी, केंद्रीय ऊन विकास बोर्ड (सीडब्ल्यूडीबी) होगा।

वित्तीय व्यवस्था

  1. वस्त्र मंत्रालय, वस्त्र आयुक्त (जम्मू एवं कश्मीर राज्य के पुनर्निर्माण के संघटक को छोड़कर) को निधियां प्रदान करेगा। वस्त्र आयुक्त, योजनाओं में प्रगति और परिशिष्ट में निधि जारी करने के लिए विनिर्दिष्ट पद्धति के अनुसार संबंधित क्रियान्वयन एजेंसियों को निधियां अंतरित करेगा।
  2. मंत्रालय, जम्मू एवं कश्मीर राज्य (पश्मीना संवर्धन कार्यक्रम) के लिए पुनर्निर्माण योजना के संबंध में केंद्रीय ऊन विकास बोर्ड को निधियां प्रदान करेगा जो योजना के विभिन्न उप-संघटकों के अंतर्गत संबंधित क्रियान्वयन एजेंसियों को आगे निधि जारी करेगा।

परियोजना प्रस्ताव

  1. कार्यक्रम के संघटक/उप-संघटक के अंतर्गत सहायता मांगने के उद्देश्य से क्रियान्वयन एजेंसियां (आईए), योजना मापदंडों के अनुसार परियोजना क्षेत्र के मौजूदा परिदृश्य, क्रियान्वयन के तौर-तरीके, अवस्थिति, गणना योग्य अवधि में अपेक्षित परिणाम, वर्ष-वार वास्तविक और वित्तीय कार्य योजना, मदों की विशिष्टता, समय-सीमा के साथ-साथ विस्तृत परियोजना प्रस्ताव (डीपीआर) तैयार करेंगी और विनिर्दिष्ट प्रपत्र (अनुबंध-I) में सीडब्ल्यूडीबी को प्रस्ताव प्रस्तुत करेंगी।
  2. क्रियान्वयन एजेंसी को परियोजना प्रस्ताव तैयार करते समय ऊन क्षेत्र की संतुलित वृद्धि  के लिए मूल्य श्रृंखला में उचित वैकवाई और फॉरवर्ड लिंकेजों को सुनिश्चित करना चाहिए।
  3. क्रियान्वयन एजेंसी को परियोजना प्रस्ताव की मंजूरी के तत्काल पश्चात बेसलाइन सर्वेक्षण के आधार पर लाभार्थियों के नाम, गांव का नाम/पता, भेड़ों/अंगोरा खरगोशों/पश्मीना बकरों की संख्या, बैंक खाता विवरण, आधार कार्ड संख्या, मोबाइल नं. आदि जैसे विवरण प्रस्तुत करने होंगे और इसके पश्चात वस्त्र आयुक्त/सीडब्ल्यूडीबी द्वारा संबंधित क्रियान्वयन एजेंसियों को अनुदान जारी की जाएगी।
  4. आरएंडडी परियोजनाएं, औद्योगिक गठबंधन के साथ वाणिज्यिकीकरण के लिए एक सुस्पष्ट योजना होनी चाहिए।

परियोजना मूल्यांकन/अनुमोदन एवं निधियां जारी करना

  1. सभी अपेक्षित दस्तावेजों और संबंधित योजना के मानदंडों को पूरा करने वाले प्रस्ताव की जांच सीडब्ल्यूडीबी द्वारा की जाएगी और वस्त्र आयुक्त की अध्यक्षता में इस उद्देश्य के लिए गठित की गई तकनीकी समिति के समक्ष रखे जाएंगे। बोर्ड, तकनीकी समिति में इनको प्रस्तुत करने से पूर्व परियोजना प्रस्ताव पर अन्य किसी सरकारी एजेंसी से टिप्पणी मांग सकता है। तकनीकी समिति एक करोड़ रुपए तक के प्रस्तावों पर विचार करेगी और वस्त्र आयुक्त का कार्यालय/सीडब्ल्यूडीबी को अपेक्षित अनुदान जारी करने का अनुमोदन करेगी।
  2. एक करोड़ रुपए से अधिक वाले परियोजना प्रस्ताव कार्यकारी समिति की सिफारिश के लिए तकनीकी समिति द्वारा विचार किया जाएगा। एक करोड़ रुपए से अधिक के सभी परियोजना प्रस्ताव तकनीकी समिति की सिफारिश के अनुसार संयुक्त सचिव (ऊन), वस्त्र मंत्रालय की अध्यक्षता में कार्यकारी समिति (सीडब्ल्यूडीबी के शासी निकाय द्वारा समय-समय पर यथा गठित) के समक्ष प्रस्तुत किए जाएंगे। एक करोड़ रुपए से अधिक के प्रस्तावों को कार्यकारी समिति की सिफारिश, सचिव (वस्त्र) के अनुमोदन के लिए प्रस्तुत किया जाएगा।
  3. परियोजना अवधि: परियोजना अवधि, तकनीकी समिति/कार्यकारी समिति/सचिव(वस्त्र) द्वारा अनुमोदित की जाएगी।
  4. तकनीकी समिति/कार्यकारी समिति द्वारा परियोजना के अनुमोदन के पश्चात, अनुदान जारी करने के लिए संस्वीकृति आदेश, जीएफआर और योजना के दिशानिर्देशों के अनुसार निर्धारित किस्तों के नियम और शर्तों के साथ वस्त्र आयुक्त/वस्त्र मंत्रालय द्वारा जारी किए जाएंगे।
  5. क्रियान्वयन एजेंसी, वस्त्र आयुक्त को इसकी एक प्रतिलिपि के साथ सीडब्ल्यूडीबी को वास्तविक और वित्तीय उपलब्धियों वाली परियोजनाओं की तिमाही प्रगति रिपोर्ट प्रेषित करेगी। वस्त्र आयुक्त और सीडब्ल्यूडीबी, मंत्रालय को उपलब्धियों और चिंताजनक क्षेत्रों को दर्शाते हुए एक तिमाही मूल्यांकन/समीक्षा रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा।
  6. सभी क्रियान्वयन एजेंसियों को तालिकानुमा प्रपत्र (अनुबंध-II) में मांगे गए विवरण के अनुसार परियोजनाओं पर परिणाम संकेतक निर्देशक प्रस्तुत करना भी अपेक्षित है।
  7. वस्त्र आयुक्त के क्षेत्रीय कार्यालय सीडब्ल्यूडीबी के संपर्क में रखेंगे और अनुदान की आगामी किस्त को जारी करने से पूर्व परियोजना के संतोषजनक क्रियान्वयन के मूल्यांकन के लिए परियोजना क्षेत्र का दौरा करेंगे।
  8. क्रियान्वयन एजेंसियों को जारी की गई निधियों के लिए उपयोगिता प्रमाणपत्र, खर्च की गई धनराशि के आधार पर वस्त्र आयुक्त को दी जानी है। उपयोगिता प्रमाणपत्र, जीएफआर 2017 के अंतर्गत यथा निर्धारित विनिर्दिष्ट प्रपत्र के अनुसार होना चाहिए, जिसके साथ संघटक-वार वास्तविक और वित्तीय प्रगति और उपलब्धियां प्रस्तुत की जानी है।
  9. प्रगति में कमी/उपयोगिता प्रमाणपत्रों को प्रस्तुत करने में विलंब से परियोजना कार्य योजना के अनुसार आगामी निधियों को जारी करने पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।

तकनीकी समिति और कार्यकारी समिति

  1. निम्नलिखित सदस्यों से गठित की गई एक तकनीकी समिति, क्रियान्वयन एजेंसियों से प्राप्त हुए परियोजना प्रस्तावों की जांच करेगी। तकनीकी समिति में निम्नलिखित शामिल होंगे -

वस्त्र आयुक्त - अध्यक्ष, कार्यकारी निदेशक, सीडब्ल्यूडीबी-सदस्य सचिव, निदेशक, ऊन अनुसंधान संघ, निदेशक, केंद्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान संस्थान, निदेशक, पशुपालन विभाग, राजस्थान सरकार, निदेशक (ऊन), वस्त्र मंत्रालय, अवर सचिव, एकीकृत वित्त विंग, वस्त्र मंत्रालय, ऊन एवं ऊनी निर्यात संवर्धन परिषद, ऊन उद्योग निर्यात संवर्धन परिषद, भारतीय ऊनी मिल्स परिसंघ के प्रतिनिधि और संबंधित क्षेत्र के वस्त्र आयुक्त के क्षेत्रीय कार्यालय के प्रभारी अधिकारी। उपर्युक्त के अतिरिक्त तकनीकी समिति, विशेष आमंत्रिती के रूप में आवश्यकतानुसार संबंधित सरकारी विभाग, उद्योग, शिक्षा क्षेत्र से कोई विशेषज्ञ भी आमंत्रित कर सकती है।

  1. संयुक्त सचिव (फाइबर-II), वस्त्र मंत्रालय की अध्यक्षता में कार्यकारी समिति और वस्त्र आयुक्त का कार्यालय अथवा नामिती, डीएस/निदेशक, एकीकृत वित्त विंग, वस्त्र मंत्रालय, नीति आयोग, ऊन अनुसंधान संघ, केंद्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान संस्थान, पशुपालन पालन विभाग, राजस्थान, भारतीय ऊनी मिल्स परिसंघ के प्रतिनिधि सदस्य के रूप में और सदस्य सचिव के रूप में कार्यकारी निदेशक, सीडब्ल्यूडीबी, तकनीकी समिति की संस्तुति पर परियोजना के अनुमोदन अथवा अन्यथा सिफारिश पर विचार करेगी। एक करोड़ रुपए से अधिक लागत वाले प्रस्ताव के लिए कार्यकारी समिति, एएसएंडएफए के माध्यम से सचिव (वस्त्र) का अनुमोदन प्राप्त करेगी।

मॉनीटरिंग और मूल्यांकन

  1. एजेंसियों द्वारा क्रियान्वित की जा रही परियोजनाओं की मॉनीटरिंग अपने क्षेत्रीय कार्यालयो के माध्यम से वस्त्र आयुक्त के कार्यालय द्वारा की जाएगी। वस्त्र आयुक्त, विभिन्न राज्यों में विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत इस उद्देश्य के लिए निर्धारित वास्तविक और वित्तीय लक्ष्यों की तुलना में परियोजनाओं के वास्तविक और वित्तीय लक्ष्य तथा उपलब्धियों की प्रगति की समीक्षा करेगा। तकनीकी समिति, निधियों के उपयोग की मॉनीटरिंग करेगी और समय-समय पर सुधार/प्रभावी क्रियान्वयन के लिए सुधारात्मक कार्रवाई/उपाय भी सुझाएगी।
  2. जम्मू एवं कश्मीर राज्य (पश्मीना संवर्धन कार्यक्रम-पी-3 को जारी रखना) के लिए पुनर्निर्माण योजना सहित आईडब्ल्यूडीपी योजना के प्रभावी तरीके से कार्यान्वयन के लिए वस्त्र मंत्रालय/वस्त्र आयुक्त/सीडब्ल्यूडीबी और जम्मू एवं कश्मीर तथा अन्य राज्यों की संबंधित क्रियान्वयन एजेंसी के सदस्यों से एक परियोजना मॉनीटरिंग समिति गठित की जाएगी। समिति प्रगति की समीक्षा के लिए तिमाही आधार पर बैठक करेगी।
  3. वर्तमान स्थिति का मूल्यांकन करने और कार्यक्रम में परिभाषित मापने योग्य परिणामों के मौजूदा मूल्यों को जानने के लिए ऊन क्षेत्र का एक विस्तृत सर्वेक्षण किया जाएगा। कार्यक्रम की समाप्ति से पूर्व कार्यक्रम के प्रभाव का मूल्यांकन करने के लिए क्षेत्रीय सर्वेक्षण करके एक तृतीय पक्ष मूल्यांकन किया जाएगा।

प्रक्रियागत शर्ते

परियोजना के क्रियान्वयन के लिए परियोजना मोड़ के क्षेत्रों में निम्नलिखित के अनुसार प्रक्रियागत शर्तों का पालन अनुसरण किया जाएगा –

  1. सभी क्रियान्वयन एजेंसियों को ऊन क्षेत्र की विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए प्राप्त हुई निधियों के प्रबंधन के लिए अलग खाता संचालित करना होगा।
  2. क्रियान्वयन एजेंसियों को योजनाओं के अंतर्गत सहायता/अनुदान, परियोजना में की गई प्रगति के आधार पर दी जाएगी।
  3. क्रियान्वयन एजेंसियां इस दिशानिर्देश के अनुसार परियोजना संघटकों के क्रियान्वयन के लिए योजना के अंतर्गत सहायता प्राप्त करने के लिए जिम्मेदार होंगी और परियोजना के अंतर्गत परिकल्पित लक्ष्यों को प्राप्त करना होगा।
  4. सभी व्यय, भारत सरकार के सामान्य वित्तीय नियम(जीएफआर) 2017 के सिद्धांतों/दिशानिर्देशों/योजना के दिशानिर्देशों के अनुसार करना होगा।
  5. खर्च नहीं की गई कोई भी धनराशि (ब्याज सहित) परियोजना के पूरा होने के पश्चात वस्त्र आयुक्त का कार्यालय/केंद्रीय ऊन विकास बोर्ड को लौटाई जाएगी।
  6. धनराशि का उपयोग उसी उद्देश्य के लिए किया जाएगा जिसके लिए मंजूरी दी गई है और किसी भी अन्य उद्देश्य के लिए इसे खर्च नहीं किया जाएगा। यदि अनुदान प्राप्तकर्ता जिस उद्देश्य के लिए अनुदान की मंजूरी हुई है इसके लिए अनुदान का उपयोग करने असफल रहता है तो अनुदान प्राप्तकर्ता के लिए समय-समय पर लागू नियम के अनुसार उस पर ब्याज (यदि कोई), सहित अनुदान की धनराशि वापस करना अपेक्षित होगा। तथापि, यदि निधि का पुनर्समायोजन अपेक्षित है तब क्रियान्वयन एजेंसी को औचित्य के साथ वस्त्र आयुक्त/सीडब्ल्यूडीबी को लिखित में देना होगा। एक करोड़ रुपए तक की निधि के पुनर्समायोजन की स्वीकृति तकनीकी समिति द्वारा दी जाएगी और एक करोड़ रुपए से अधिक का पुनर्समायोजन सचिव (वस्त्र) के अनुमोदन के पश्चात कार्यकारी समिति द्वारा तकनीकी समिति की सिफारिश के पश्चात किया जाएगा।
  7. क्रियान्वयन एजेंसी, वस्त्र आयुक्त/सीडब्ल्यूडीबी द्वारा यथा अपेक्षित ऐसी रिपोर्टी, विवरणों आदि (परियोजना की प्रगति के संबंध में) को वस्त्र आयुक्त/सीडब्ल्यूडीबी को प्रस्तुत करेगी।
  8. क्रियान्वयन एजेंसी जब कभी वस्त्र आयुक्त/सीडब्ल्यूडीबी द्वारा अपेक्षित है तत्काल अपने लेखाओं को लेखापरीक्षा के लिए प्रस्तुत करेगी।
  9. क्रियान्वयन एजेंसी को अनुदान में से पूर्ण रूप से अथवा आंशिक रूप से अधिग्रहित स्थायी और अर्दध स्थायी परिसंपत्तियों का सामान्य वित्तीय नियम 2017 के निर्धारित प्रपत्र में एक रजिस्टर का रखरखाव करना होगा और उसकी एक प्रतिलिपि बोर्ड को प्रस्तुत की जाएगी। परिसंपत्तियों का रजिस्टर, लेखापरीक्षा के लिए उपलब्ध और जांच के लिए खुला रहेगा।
  10. उपयोगिता प्रमाणपत्र, वित्तीय वर्ष की समाप्ति से पूर्व या अगली किस्त जारी करने के | अनुरोध से पूर्व क्रियान्वयन एजेंसियों द्वारा सामान्य वित्तीय नियम के अंतर्गत निर्धारित | प्रपत्र में तत्काल सीडब्ल्यूडीबी को प्रस्तुत किए जाएंगे।
  11. क्रियान्वयन एजेंसी को स्वीकृति आदेश में यथा निर्धारित शर्तों का पालन किए जाने का उल्लेख करते हुए एक हलफनामा प्रस्तुत करना होगा।
  12. योजना, जिसके लिए अनुदान मंजूर किया गया है, आवश्यकतानुसार परियोजना क्षेत्रों में संबंधित योजना के प्रभाव के मूल्यांकन के लिए वस्त्र आयुक्त/सीडब्ल्यूडीबी/वस्त्र मंत्रालय द्वारा विधिवत रूप प्राधिकृत किसी अन्य व्यक्ति (व्यक्तियों)/एजेंसी द्वारा अथवा वस्त्र | आयुक्त/सीडब्ल्यूडीबी द्वारा निरीक्षण किया जाएगा और मूल्यांकन किया जाएगा।
  13. क्रियान्वयन एजेंसी सूचना का अधिकार अधिनियम का पालन करने के लिए बाध्य है।
  14. भवन, यदि कोई हो, जिसका निर्माण अनुदान सहायता से किया गया है, का स्वामित्व अनुदान प्राप्तकर्ता में निहित होगा जो ऐसे भवन के रखरखाव के लिए जिम्मेदार होगा। बोर्ड की पूर्ण रूप से अथवा काफी अधिक अनुदान सहायता से अधिग्रहित की गई परिसंपत्तियों को बोर्ड की पूर्व स्वीकृति के बिना, जिसके लिए अनुदान की स्वीकृति दी गई थी के इतर किसी अन्य उद्देश्य के लिए निपटारा, भारग्रस्त अथवा उपयोग नहीं किया जाएगा।
  15. क्रियान्वयन एजेंसी को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि दोहराव से बचने के लिए चयनित पशुओं और लाभार्थियों को राज्य/केंद्र सरकार की अन्य योजना/कार्यक्रम से इसी तरह का लाभ न मिले।
  16. क्रियान्वयन एजेंसी को व्यक्ति विशेष की निजता के अधिकार की सुरक्षा के संबंध में विनिर्दिष्ट डीबीटी दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन करते हुए प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) मोड के माध्यम से परियोजना के अंतर्गत लाभार्थियों की पहचान के लिए आधार कार्ड का प्रयोग करना होगा और निधि जारी करनी होगी।
  17. क्रियान्वयन एजेंसी को सभी लाभार्थियों का उनकी श्रेणी जैसे अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/बीपीएल/महिला आदि के उचित रिकॉर्ड को रखना चाहिए।
  18. क्रियान्वयन एजेंसी को योजना के अंतर्गत क्रियान्वित प्रमुख क्रियाकलापों के साक्ष्य (फोटोग्राफ/विडियो) रखना होगा।
  19. क्रियान्वयन एजेंसी को सीएफएस के लिए खरीदे गए सभी उपकरणों/मशीनरी तथा ऊन क्षेत्र को दी गई सेवाओं के रखरखाव की लागत वहन करनी होगी। सभी उपकरणों को काम करने की हालत में रखने की जिम्मेदारी क्रियान्वयन एजेंसी की होगी जिसके लिए वह उपयुक्त प्रयोक्ता प्रभार लगा सकता है।
  20. सीएफसी की मंजूरी के 10 साल पश्चात योजना के अंतर्गत स्थापित की गई मशीनरी/संयंत्र को क्रियान्वयन एजेंसी को स्थानांतरित हुआ माना जाएगा।

अनुबंध-I

परियोजना प्रस्तुत करने का प्रपत्र

एजेंसी का नाम एवं पूरा पता, दूरभाष नम्बर और ई-मेल पता

आवेदक की प्रकृतिः केंद्र/राज्य पशुपालन विभाग; केंद्र/राज्य सरकारों द्वारा स्थापित ऊन बोर्ड, निगम/ऊन उत्पादक परिसंघ, ऊन अनुसंधान संस्था आदि

योजना का नाम जिसके अंतर्गत परियोजना के लिए आवेदन किया गया है।

एजेंसी का संक्षिप्त ब्यौरा एवं संबंधित क्षेत्र में विगत 3 वर्ष में इसके कार्यकलाप और इसके साथ उपलब्ध सुविधाएं (जनशक्ति, मशीनें आदि)

परियोजना के उद्देश्य

परियोजना का संक्षिप्त विवरण

परियोजना का संक्षिप्त औचित्य

परियोजना के क्रियान्वयन की पद्धति

परियोजना के अपेक्षित परिणाम (मात्रात्मक संबंध में)

परियोजना के क्रियान्वयन के कारण परिदृश्य में कैसे बदलाव होगा। (कृपया वर्तमान परिदृश्य जैसे जानवरों की मृत्युदर, प्रति जानवर ऊन उत्पादन, लाभार्थियों की संख्या, ऊन की गुणवत्ता, रोजगार आदि और परियोजना के क्रियान्वयन के पश्चात सुधार के आंकड़े तालिकानुमा प्रपत्र में मात्रात्मक रूप में दीजिए)

परियोजना के लाभार्थी और परियोजना से उन्हें कैसे लाभ अर्जित होगा

लाभार्थियों के चयन की पद्धति

संघटक-वार परियोजना लागत

परियोजना की संघटक-वार अवधि के साथ परियोजना की कुल अवधि

परियोजना का स्थान

संबद्ध एजेंसी का नाम जो परियोजना के क्रियान्वयन की हिस्सा होगी, यदि कोई

एजेंसी के बैंक खाते का विवरण

नोडल अधिकारी का नाम, पता और ई-मेल पता, मोबाइल नं.

अन्य कोई सूचना, यदि कोई हो।

 

नोट कृपया woolindiajodhpur@dataone.in ई-मेल पते पर सीडब्ल्यूडीबी एक साफ्ट प्रति भेजें।

अनुबंध-II

वित्तीय वर्ष 2017-18 से 2019-20 के दौरान क्रियान्वयन के लिए एकीकत ऊन विकास कार्यक्रम (आईडब्ल्यूडीपी)

योजना-वार आउटपुट और आउटकम

क्रम स.

योजना का नाम

आउटपुट

आउटकम

 

1.

ऊन विपणन योजना(डब्ल्यूएमएस)

  • रिवॉल्विंग फंड संघटक के अंतर्गत भेड़ पालकों से सीधे ही ऊन की खरीद
  • राज्यों में ऊन उत्पादक सोसाइटी के निर्माण के लिए वित्तीय सहायता/प्रोत्साहन और ऊन मंडियों की अवसंरचना को मजबूत करना।
  • ऊन विपणन के लिए ई-मार्केट का विकास
  • मशीनों द्वारा भेड़ों की ऊन कटाई को ग्रेडिंग अपनाने और ऊन की प्राथमिक  ग्रेडिंग के लिए भेड़ पालकों के लिए राज्य क्रियान्वयन एजेंसियों को प्रोत्साहन
  • भेड़ पालकों से सीधे ही ऊन (कि.ग्रा. में) की खरीद,
  • शामिल की गई अवसंरचना उन्नयन के अंतर्गत मंडियों की संख्या,
  • गठित की गई ऊन उत्पादक सोसाइटी (स्वयं सहायता समूहों) की संख्या
  • मशीन द्वारा कितनी भेड़ों के बाल काटे गए और ऊन की अनुमानित कि.ग्रा. की ग्रेडिंग
  • एमआईएस के माध्यम से ऊन के लिए ई - मार्केट के विकास और ई-नीलामी के लिए सुविधा पर प्रगति
  • ऊन के परिवहन के लिए क्रियान्वयन एजेंसी की संख्या/सब्सिडी प्राप्त करने वाले व्यक्तियों की संख्या

2

ऊन प्रसंस्करण (डब्ल्यूपीएस) योजना

  • ऊन प्रसंस्करण मशीनों के लिए सामान्य सुविधा केंद्रों की सथापना
  • भेड़ के बाल कटाई मशीन के लिए वित्तीय सहायता
  • ऊनी मदों के विनिर्माण के लिए छोटे उपकरणों के वितरण के लिए वित्तीय सहायता
  • स्थापित की गई सीएफसी की संख्या
  • प्रदान की गई बाल कटाई मशीन की संख्या/अन्य उपकरण
  • ऊनी मदों के विनिर्माण के लिए वितरित छोटे उपकरणों की संख्या

3

एचआरडी और संवर्धनात्मक कार्यकलाप(एचआरडी)

  • प्रशिक्षण के माध्यम से व्यक्तियों का कौशल उन्नयन
  • आरएंडडी परियोजना के माध्यम से दक्षिणी ऊन का उपयोग
  • पश्मीना ऊन का प्रमाणन, ब्रांडिंग, लेबलिंग
  • कालीन उद्योग/ डिजाइनों/ प्रशिक्षण/ ऊन परीक्षण के लिए सुविधा
  • प्रशिक्षित व्यक्तियों की संख्या
  • स्वीकृति आरएंडडी परियोजनाओं की संख्या और उनकी प्रगति
  • ऊन परीक्षण के लिए प्राप्त हुए नमूनों की संख्या
  • आयोजित संगोष्ठी/ कार्यशाला/ प्रदर्शनी/क्रेता विक्रेता बैठक की संख्या

4

अंगोरा ऊन विकास योजना(एडब्ल्यूडीएस)

  • जर्मप्लाज्म (जीपीसी) और
  • लघु अंगोरा खरगोश फार्म की स्थापना

 

  • स्थापित जर्मप्लाज्म केंद्रों की संख्या
  • स्थापित मिनी अंगोरा फार्स की संख्या
  • वितरित अंगोरा खरगोशों की संख्या

5

ऊन विकास योजना (डब्ल्यूडीएस)

  • भेड़ और प्रजनन सुधार के लिए स्वास्थ्य सुविधा हेतु सहायता प्रदान करना
  • लाभान्वित भेड़ों की संख्या

 

6

सामाजिक सुरक्षा योजना (एसएसएस)|

  • भेड़ पालकों के लिए सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना (बीमा योजना के अंतर्गत भेड़ पालकों को लाभ)
  • जीवन बीमा वाले भेड़ पालकों की संख्या

7

जेएंडके राज्य के लिए पुनर्निर्माण योजना(पश्मीना संवर्धन कार्यक्रम-पी 3)

 

  • चारागाह फार्मों का विकास
  • घुमंतुओं और बकरियों के लिए शेल्टर का निर्माण
  • टेंटों का वितरण
  • पश्मीना बकरियों का वितरण
  • पश्मीना ऊन की खरीद
  • ऊन प्रसंस्करण मशीनों की स्थापना, क्षमता निर्माण, प्रचार-प्रसार और वार्निग लाइट्स की संख्या पश्मीना उत्पादों का विपणन
  • प्रीडेटर प्रूफ कोरल और एलईडी लाइट्स का प्रावधान
  • जेनेटिक अध्ययन और चांगरा प्रजाति के अनुसंधान का प्रावधान
  • सरकारी और वित्तीय योजनाओं पर जागरूकता कार्यक्रम
  • विकसित किए गए चारागाह भूमि की संख्या
  • वितरित टेंटों की संख्या
  • विकसित चारा बैंकों की संख्या
  • बनाए गए शेल्टर शेडों की संख्या
  • स्थापित मिनी पश्मीना फार्मों की संख्या
  • वितरित किए गए स्थापित किए गए प्रीडेटर प्रूफ कोरल और वार्निग लाइट्स की संख्या
  • वैक्सीन स्टोरेज सेंटर की संख्या
  • उन्नत पश्मीना फार्म की संख्या
  • खरीदी गई पश्मीना ऊन (कि.ग्रा.)
  • स्थापित पश्मीना ऊन प्रसंस्करण केंद्रों की संख्या
  • कार्यशालाओं की संख्या (क्षमता निर्माण, उत्पाद विविधीकरण और डिजाइन विकास कार्यशाला, उद्यमिता विकास कार्यक्रम) और भाग लेने वाले लोग
  • आयोजित किए गए अनुसंधान अध्ययनों की संख्या
  • आयोजित विज्ञापन अभियानों की संख्या (रेडियो/राष्ट्रीय समाचार पत्र/जीवनशैली पत्रिकाएं/बैनर्स)

 

स्रोत: अधिक जानकारी लिए भारत सरकार वस्त्र मंत्रालय के इस लिंक पर जायें

अंतिम बार संशोधित : 2/22/2020



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