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संस्कृति विभाग योजनाएँ

संस्कृति विभाग योजनाएँ

विनिर्दिष्ट मंच कला अनुदान स्कीम

क. प्रस्तावना

स्कीम का नाम विनिर्दिष्ट मंच कला अनुदान स्कीम होगा। इस स्कीम के अंतर्गत नाट्य समूहों, रंगमंच समूहों, संगीत मण्डलियों, बाल रंगषाला, एकल कलाकारों और मंच कला कार्यकलापों के सभी प्रकार के स्वरूपों के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।

इस स्कीम के मुख्य घटक निम्नानुसार हैं :

1. निर्माण अनुदान

2. रेपर्टरी अनुदान

ख. अनुदान के लिए पात्रता और मापदण्ड

(क) निर्माण अनुदान

1. इस स्कीम के अंतर्गत अनुदान या आर्थिक सहायता, परियोजना या कार्यक्रमों के अनुमोदन के आधार पर दी जाएगी तथा यह तदर्थ प्रकार की होगी। स्कीम के अंतर्गत चुनी गई परियोजना के लिए वित्तीय सहायता, सामान्यतः एक वर्ष की अवधि से अधिक नहीं होगी। अनुदान की राशि विषेष वर्ष में सहायता के लिए चुने गए अनुमोदित प्रस्तावों/कार्यक्रमों में सभी मदों में व्यय के लिए पर्याप्त होगी। अनुदान के उद्देष्यों के लिए अनुमोदित मदों के रूप में मानी गई मदों में प्रचलित दरों पर अनियत कलाकारों सहित कलाकारों को वेतन भुगतान, निर्माण / प्रस्तुतिकरण की लागत, रिहर्सल के लिए हॉल का किराया, पोषाकों की लागत, परिवहन के फुटकर खर्च, शोध व्यय आदि षामिल होंगी।

2. निर्माण अनुदान मांगने के लिए आवेदन में सही औचित्य के साथ विस्तृत अनुमानित लागत का उल्लेख का जाना चाहिए जिससे कि विशेषज्ञ समिति वास्तविक आवष्यकताओं के आधार पर अनुदान की सिफारिष पर विचार कर सके।

3. सहायता के लिए व्यक्तिगत प्रस्तावों का चयन करने में यह सुनिष्चित करने का ध्यान रखा जाएगा कि इसमें दुर्लभ और परम्परागत रूपों को वरीयता देते हुए देष के सभी भागों से सभी कला रूपों और शैलियों का प्रतिनिधित्व हो। नए नाटकों / कार्यक्रमों/प्रस्तुतियों को वरीयता प्रदान की जाएगी।

4.1. मौलिक लेखन, मौलिक निर्देषन, रंगमंच शोध, रंगमंच प्रषिक्षण कार्यक्रम और दर्शकों तथा ग्रामीण स्तर पर सांस्कृतिक

गतिविधियों को बढ़ावा देने वाले लोगों के प्रषिक्षण से उभरकर आने वाली प्रयोगात्मक और नवाचार पद्धतियों को प्रोत्साहित करने वाली परियोजनाओं को विषेष महत्व दिया जाएगा।

4.2 निर्माण अनुदान कमशः 75 प्रतिशत और 25 प्रतिशत की दो किस्तों में संवितरित किया जाएगा जिसका तरीका निम्नानुसार होगाः

(i) कार्यवृत और आईएफडी के अनुमोदन के पश्चात विशेषज्ञ समिति द्वारा अनुमोदित मंजूर लागत का 75 प्रतिशत पहली किस्त में दिया जाएगा।

(ii) प्रथम किस्त के अनुमोदन पत्र के माध्यम से यथा उल्लिखित सभी आवश्यक दस्तावेजों समेत दूसरी किस्त जारी करने के आवेदन पत्र के प्राप्त हो जाने के पश्चात शेष राशि का 25 प्रतिशत प्रदान किया जाएगा बशर्ते संगठनों को आवश्यक रूप से अपने आस पास के किसी एक स्कूल में कम से कम 2 सांस्कृतिक गतिविधियां (कार्यक्रम, व्याख्यान, संगोष्ठी, कार्यशाला, प्रदर्शनी आदि) आयोजित करनी होगी। अनुदान के नवीकरण तथा जारी करने के लिए इस संबंध में स्कूल प्रधानाचार्य से एक प्रमाण-पत्र अनिवार्य होगा।

5. जिन अनुदानग्राहियों को निर्माण अनुदान स्वीकृत हुआ है वे अपने कार्यक्रम के विस्तृत विवरण, संस्कृति मंत्रालय को उपलब्ध कराएंगे, जिससे कि इन्हें संस्कृति मंत्रालय की वेबसाइट पर अपलोड किया जा सके।

6. निर्माण अनुदान मांगने वाले संगठन/व्यक्ति एक वित्तीय वर्ष में केवल एक ही अनुदान प्राप्त करने के पात्र होंगे।

(ख) रेपर्टरी अनुदान

1. रेपर्टरी अनुदान सहायता के लिए नाटक मंडलियों से यह अपेक्षा की जाती है कि उनके पास पर्याप्त संख्या में और गुणवत्ता परक रंगपटल हो और वे अखिल भारतीय स्तर पर प्रदर्षन कर रही हों।

2. वे अनुदानग्राही जो रेपर्टरी अनुदान प्राप्त कर रहे हैं, उनके वेतन अनुदान के नवीकरण की सिफारिष तभी की जाएगी जब वे वित्त वर्ष के दौरान कम से कम दो निर्माण का मंचन करें। इनमें से एक निर्माण नया अर्थात जो पहले मंचित न किया गया हो, होना चाहिए।

3. इस उद्देष्य के लिए स्थापित विशेषज्ञ समिति द्वारा वेतन अनुदान का वार्षिक पुनरीक्षण किया जाएगा।

4. वेतन अनुदान के मामले में चौथे वर्ष के बाद अनुदान जारी रखने के लिए वास्तविक सत्यापन आवश्यक होगा।

5. रेपर्टरी अनुदान को अनुदान नवीकरण करने हेतु प्रस्ताव प्रस्तुत करते समय निम्नलिखित शर्तों को पूरा करने पर एक किस्त में संवितरित किया जाएगाः-

जिन संगठनों को वित्तीय सहायता प्रदान की गई है, वे अपने आसपास के किसी भी स्कूल में कम से कम 02 सांस्कृतिक कार्यकलाप (समारोह, व्याख्यान, सेमिनार, कार्यशाला, प्रदर्शनी आदि) अनिवार्य रूप से आयोजित करेंगे। अनुदान के नवीकरण और जारी करने के लिए स्कूल के प्रधानाचार्य से इस आशय का एक प्रमाण पत्र अनिवार्य रूप से अपेक्षित होगा।

ग. स्कीम के अंतर्गत आवेदन आमंत्रित करने के लिए विज्ञापन

1. यद्यपि, विज्ञापन मंत्रालय की वेबसाइट के माध्यम से वार्षिक आधार पर दिया जाएगा तथापि, वर्ष के दौरान आवेदन कभी भी किया जा सकता है जिनका मूल्यांकन इस उद्देष्य के लिए गठित विशेषज्ञ समिति द्वारा आवधिक आधार पर किया जाएगा। आवेदन-पत्र विधिवत रूप से संबंधित राज्य सरकार/केंद्र शासित क्षेत्र प्रषासन या किसी भी राज्य अकादमी या राष्ट्रीय आकादमी सहित राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एनएसडी), कलाक्षेत्र फाउंडेषन, सांस्कृतिक स्रोत एवं प्रषिक्षण केंद्र (सीसीआरटी), इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए), क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्र (जेडसीसी) और इसी प्रकार के निकायों से संस्तुत होना चाहिए।

2. नीचे पैरा च में यथा निर्धारित दस्तावेज, आवेदन पत्र के साथ संलग्न किए जाने चाहिएं। इन दस्तावेजों के बिना प्रस्तुत आवेदनों को अस्वीकृत कर दिया जाएगा। संस्कृति मंत्रालय के अधीन राष्ट्रीय नाटय विद्यालय (एनएसडी) वार्षिक रूप से एनएसडी / मंत्रालय की वेबसाइटों पर स्कीम को अधिसूचित करेगा। स्कीम के पैरा 7 में उल्लिखित आवश्यक दस्तावेजों द्वारा सहायित विहित प्रपत्र में आवेदनों को निदेशक, राष्ट्रीय नाटय विद्यालय, बहावलपुर हाउस, प्लॉट न.1, भगवान दास रोड, नई दिल्ली-110001 को भेजें (आवेदक संगठन द्वारा राष्ट्रीय नाटय विद्यालय को प्रस्तुत आवेदन पत्र में किसी कमी की जानकारी सीधे निदेशक, एनएसडी को प्रस्तुत की जाए)

घ. चयन का तरीका

1. निर्माण अनुदान/रेपर्टरी अनुदान इस उद्देष्य के लिए गठित विशेषज्ञ समिति द्वारा स्वीकृत किए जाएंगे। विशेषज्ञ समिति का गठन दो वर्षों के लिए होगा तथा यह मंत्रालय द्वारा अनुमोदित होगी। विशेषज्ञ समिति अपनी सिफारिशों के लिए मामला-दर-मामला आधार पर औचित्य बताएगी।

2. निधि और अनुदान के लिए आवेदनों की संख्या की उपलब्धता के आधार पर विशेषज्ञ समिति द्वारा आवेदनों की जांच आवधिक रूप से की जाएगी।

3. मंच कला अनुदान स्कीम के अन्तर्गत प्राप्त आवेदनों / प्रस्तावों के संबंध में संस्तुतिकर्ता निकाय इस स्कीम की विशेषज्ञ समिति से भिन्न होगा।

4. निर्माण अनुदान, 75 प्रतिषत और 25 प्रतिषत की दो किस्तों के रूप में वितरित किया जाएगा जबकि संगठनों/संस्थानों को रेपर्टरी अनुदान वार्षिक रूप से जारी किया जाएगा।

ड. अनुदान की राशि

1. रेपर्टरी अनुदान : 1/4/2009 से लागू, विशेषज्ञ समिति द्वारा निर्धारित अधिकतम 25 कलाकारों और एक गुरू को रेपर्टरी अनुदान दिया जाएगा। 1/4/2009 से प्रभावी, प्रत्येक कलाकार / गुरू को सहायता नीचे दिए अनुसार दी जाएगीः

(i) कलाकार   - | रु0 6000/- प्रत्येक माह

(ii) एक गुरू/निर्देषक रु0 10,000/- प्रत्येक माह

2. निर्माण अनुदान : 1/4/2009 से प्रभावी, परियोजना के आधार पर संगठन/व्यक्तियों को अधिकतम 5 लाख रु0 प्रति वर्ष दिए जाएंगे। तथापि, वृहत निर्माणों के मामले में, स्कीम के अनुरूप विषिष्ट आवष्यकताओं को पूरा करने के लिए, माननीय मंत्री के अनुमोदन से अनुदान की ऊपरी सीमा को बढ़ाया जा सकता है।

इस स्कीम के अन्तर्गत व्यय को स्कीम के अधीन आबंटित परिव्यय तक सीमित रखा जाएगा।

नोट : प्रचलन के अनुसार आवेदक संगठनों को भुगतान केवल इलेक्ट्रॉनिक मोड / आरटीजीएस के माध्यम से ही किया जाएगा।

च. आवेदन के साथ प्रस्तुत किए जाने वाले दस्तावेज़

(i) संस्था के संगम ज्ञापन व पंजीकरण प्रमाण-पत्र की प्रतिलिपि।

(ii) आयकर मूल्यांकन आदेश।

(iii) पिछले तीन वर्षों के प्राप्ति और भुगतान लेखे और लेखा परीक्षक के प्रमाण-पत्र सहित तुलन – पत्र। (iv) पिछले वर्ष प्राप्त अनुदान के लिए उपयोग प्रमाण-पत्र की प्रतिलिपि।

(v) कलाकारों के नाम, गुरू/निर्देषकों के नाम, रिहर्सल लागत, पोषाकों की लागत, परिवहन लागत, शोध लागत, लेखन की लागत, मंचन की लागत आदि का सम्पूर्ण ब्यौरा।

(vi) पिछले वर्षों के निर्माण की प्रेस समीक्षा, प्रेस विज्ञापन, टिकट आदि की स्मारिका प्रतिलिपि।

(vii) आवेदन पत्र, सम्बधित राज्य सरकार/संघ राज्य क्षेत्र प्रषासन या किसी भी राज्य अकादमी या राष्ट्रीय अकादमी जिसमें राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एनएसडी), कलाक्षेत्र फाउंडेषन, सांस्कृतिक संसाधन एवं प्रषिक्षण केंद्र (सीसीआरटी), इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए), क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्र (जेड़सीसी) और सदृष स्तर के निकाय शामिल हैं, से संस्तुत होने चाहिएं।

नोट : पदम पुरस्कार प्राप्तकर्ताओं को संबंधित राज्य सरकारों/ संघ राज्यक्षेत्र प्रषासनों या किसी भी राज्य अकादमियों या राष्ट्रीय अकादमियों जिसमें राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय, कला क्षेत्र फाउंडेषन, सांस्कृतिक संसाधन एवं प्रषिक्षण केन्द्र (सीसीआरटी), इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र, (आईजीएनसीए), क्षेत्रीय सांस्कृतिक केन्द्र और सदृष प्रकृति के निकाय षामिल हैं, से संस्तुति प्राप्त करने की छूट होगी।

छ. स्कीम का मूल्यांकन और मॉनीटरिंग

संस्कृति मंत्रालय जैसा भी आवष्यक समझे आवधिक आधार पर, विषेषतः रेपर्टरी अनुदानग्राहियों के लिए, आवधिक निरीक्षणों, फील्ड दौरों आदि के माध्यम से अनुदानग्राहियों का मूल्यांकन करेगा।

जहां तक रेपर्टरी अनुदान के नए मामलों का संबंध है, प्रत्येक मामले में अनुमोदित अनुदान मंत्रालय द्वारा यथा निर्धारित संगठनों के वास्तविक सत्यापन के पश्चात ही जारी की जाएगी। इसके अलावा कम से कम 5-10 प्रतिशत नए संस्तुत प्रस्तावों / मामलों का वास्तविक निरीक्षण / सत्यापन संस्कृति मंत्रालय में संबंधित अवर सचिव / अनुभाग अधिकारी द्वारा किया जाएगा।

राष्ट्रीय महत्व के सांस्कृतिक संगठनों को वित्तीय सहायता संबंधी स्कीम दिशा-निर्देश

क. पात्रता

क. अनुदान प्राप्त करने के लिए पात्रता हेतु आवेदक संगठन का एक समुचित रूप से गठित प्रबंधन निकाय अथवा शासी निकाय अथवा शासी परिषद होनी चाहिए जिसमें लिखित संविधान के रूप में इनकी शक्तियों, दायित्वों और कर्तव्यों को स्पष्ट रूप से उल्लिखित और निर्धारित किया होना चाहिए।

ख. इसके पास जिस परियोजना के लिए अनुदान अपेक्षित है उसको शुरू करने के लिए सुविधाएं, संसाधन, कार्मिक एवं अनुभव होना चाहिए।

ग. आवेदक संगठन को भारत में पंजीकृत होना चाहिए और राष्ट्रीय मौजूदगी समेत इसे अखिल भारतीय स्तर का होना चाहिए तथा इसकी राष्ट्रीय / अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रचालनात्मक मौजूदगी होनी चाहिए। घ. इस संगठन के कार्यकलाप मुख्य रूप से अथवा महत्वपूर्ण रूप से सांस्कृतिक होने चाहिए।

ड. इस संगठन की क्षमता वर्ष भर में कम से कम 20 समारोह / कार्यक्रम करने की होनी चाहिए।

च. इस संगठन के पास पर्याप्त कार्यक्षमता, कलाकार / स्टाफ / स्वैच्छिक सदस्य होने चाहिए।

छ. इस संगठन द्वारा सांस्कृतिक कार्यकलापों पर विगत 5 वर्षों के 3 वर्षों में एक करोड़ अथवा अधिक की राशि खर्च की हुई होनी चाहिए।

ज. वित्तीय सहायता नीचे सूचीबद्ध सभी मदों और अथवा कुछ मदों के लिए प्रदान की जाएगीः-

1. सामान्यतः कुल सरकारी अनुदान के 25 प्रतिशत का उपयोग कला एवं संस्कृति के प्रोन्नयन पर केन्द्रित संस्थान / संगठन/ संस्कृति के भवन के रख-रखाव (स्टाफ वेतन, कार्यालयी खर्च, विविध खर्च) निर्माण / मरम्मत / विस्तार / पुनस्थापन/ नवीकरण के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।

2. सामान्यतः कुल सरकारी अनुदान के 25 प्रतिशत का उपयोग हर हाल में कला एवं संस्कृति के संवर्धन संबंधी शोध परियोजनाओं समेत सांस्कृतिक विरासत तथा कला के परिरक्षण और संवर्धन के लिए महत्वपूर्ण समारोह को प्रदर्शित / आयोजित करने पर हुए अन्य विविध खर्चा तथा मानदेय के भुगतान के लिए उपयोग किए जा सकते हैं।

ख. अनुदान को जारी करने की पद्धति और शर्ते

1. विशेषज्ञ सलाहकार समिति द्वारा स्कीम के अंतर्गत प्राप्त आवेदनों / प्रस्तावों के मूल्यांकन तथा इसके पश्चात् संस्कृति मंत्रालय में प्रशासनिक प्राधिकार के आधार पर अनुदान प्रदान किया जाएगा।

2. यह अनुदान 2 किश्तों में प्रदान किया जाएगा (अर्थात् 75 प्रतिशत और 25 प्रतिशत) इसकी पहली किश्त परियोजना के अनुमोदन के समय जारी की जाएगी। इसकी दूसरी किश्त समुचित प्रारूप (जीएफआर-19 (ई) के अनुसार) में उपयोग प्रमाण-पत्र, अनुदान प्राप्तकर्ता के हिस्से समेत अनुदान की संपूर्ण राशि के उपयोग को दर्शाते हुए लेखाओं का विधिवत लेखा परीक्षा विवरण तथा चार्टर्ड एकाउंटेंट द्वारा सत्यापित अन्य दस्तावेजों की प्राप्ति होने पर जारी किया जाएगा। अनुदान की शेष राशि को जारी करने पर निर्णय अनुमोदित अनुदान की अधिकतम सीमा के अध्यधीन रहते हुए वास्तविक व्यय के आधार पर किया जाएगा।

3. वित्तीय सहायता पाने वाला संगठन संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार अथवा संबंधित राज्य सरकार द्वारा प्राधिकृत अधिकारी / प्रतिनिधि द्वारा निरीक्षण के लिए खुला रहेगा।

4. परियोजना के लेखाओं को समुचित तथा पृथक रूप से रखा जाएगा और भारत सरकार के द्वारा जब कभी मांगा जाए इन्हें प्रस्तुत किया जाएगा और ये इसके विवेक के आधार पर केन्द्र सरकार अथवा राज्य सरकार अथवा भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के अधिकारी द्वारा जांच के अध्यधीन होंगे।

5. यह संगठन कला एवं संस्कृति के प्रोन्नयन पर केन्द्रित संस्थान/संगठन/केन्द्र के भवन के रख-रखाव (स्टाफ वेतन, कार्यालय खर्च, विविध खर्च) और निर्माण/मरम्मत/ विस्तार/पुनस्र्थापन/नवीकरण के लिए उपयोग के परिव्यय का विस्तृत मद-वार ब्यौरा प्रदान करेंगे।

6. अनुदान प्राप्तकर्ता निम्नलिखित का रख-रखाव करेगा:

क. सरकार से प्राप्त सहायतानुदान के अतिरिक्त लेखे

ख. मशीन से विधिवत छपे हुए हस्त लिखित सजिल्द पुस्तक में रोकड़ बही रजिस्टर

ग. सरकार और अन्य एजेंसियों से प्राप्त अनुदान के लिए सहायतानुदान रजिस्टर

घ. व्यय की प्रत्येक मद जैसे हॉस्टल भवन का निर्माण आदि के लिए पृथक बहीखाते

7. संगठन केन्द्र सरकार के अनुदान से पूर्णतः और आंशिक रूप से अर्जित सभी परिसम्पत्तियों का रिकॉर्ड रखेगा और जिस उद्देश्य के लिए अनुदान दिया गया है उसके अलावा अन्य उद्देश्यों के लिए इन्हें भारत सरकार की पूर्व अनुमति के बिना नहीं बेचेगा अथवा ऋणग्रस्त और उपयोग करेगा।

8. किसी भी समय यदि भारत सरकार के पास ऐसा विश्वास करने के पर्याप्त कारण हैं कि मंजूर की गई धनराशि का उपयोग अनुमोदित उद्देश्यों के लिए नहीं किया जा रहा है तो अनुदान का भुगतान रोका जा सकता है और पहले के अनुदानों की वसूली की जा सकती है।

9. संगठन को अनुमोदित परियोजना के कार्य के लिए अवश्य ही तर्कसंगत किफायत अपनानी चाहिए। 10. अनुदान प्राप्तकर्ता संगठन वास्तविक उपलब्धियों तथा प्रत्येक अनुमोदित मद पर पृथक रूप से हुए व्यय दोनों के विस्तृत ब्यौरे देते हुए परियोजना की तिमाही प्रगति रिपोर्ट संस्कृति मंत्रालय को प्रस्तुत करेगा।

11. ऐसे आवेदन जिनके पिछले अनुदान/उपयोग प्रमाण-पत्र लंबित हैं उन पर विचार नहीं किया जाएगा। 12. संगठन को अपने आस-पास के किसी भी विद्यालय में कम से कम 2 गतिविधियां (समारोह, व्याख्यान, सेमिनार, कार्यशाला, प्रदर्शनी आदि) अवश्य ही आयोजित करनी चाहिए। दूसरी किस्त जारी करने के लिए इस संबंध में विद्यालय के प्रधानाचार्य द्वारा जारी एक प्रमाण-पत्र अनिवार्य रूप से अपेक्षित होगा।

ग. सहायता की मात्रा

एक संगठन को सामान्यतः 1.00 करोड़ रू. तक की वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी। इसके अलावा, मंत्रालय द्वारा यह वित्तीय सहायता केवल 2.00 करोड़ रू. तक सीमित होगी। तथापि, संस्कृति मंत्री के अनुमोदन से आपवादिक / सुयोग्य मामलों में इस धनराशि को 5.00 करोड़ रू. तक बढ़ाया जा सकता है। स्कीम के अंतर्गत किसी संगठन के लिए सहायता उपरोक्त सीमा के अध्यधीन अनुमोदित लागत के अधिकतम 67 प्रतिशत तक सीमित रहेगी। अनुमोदित लागत के शेष 33 प्रतिशत को संगठन द्वारा इसके बराबर के हिस्से के रूप में खर्च किया जाएगा (राज्य / संघ राज्यक्षेत्र सरकार/ केन्द्रीय मंत्रालय/ पीएसयू / विश्वविद्यालय आदि द्वारा अंशदान के अलावा)।

(घ) लेखांकन प्रक्रियाएं

केन्द्र सरकार द्वारा जारी किए गए अनुदान के संबंध में पृथक लेखाओं का रख-रखाव किया जाएगा;

क. अनुदान प्राप्तकर्ता संगठन के लेखे भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक अथवा उसके विवेकानुसार उनके नामिती के द्वारा किसी भी समय लेखा परीक्षा के लिए उपलब्ध रहेंगे।

ख. अनुदान प्राप्तकर्ता संगठन अनुमोदित परियोजना पर हुए खर्च को दर्शाते हुए तथा पूर्व वर्षों में सरकारी अनुदान के उपयोग का उल्लेख करते हुए सनदी लेखाकार द्वारा लेखा-परीक्षित लेखाओं का विवरण भारत सरकार को प्रस्तुत करेगा। यदि निर्धारित अवधि के भीतर उपयोग प्रमाण-पत्र प्रस्तुत नहीं किया जाता है तो जब तक सरकार द्वारा कोई विशेष छूट न दी गई हो, वह तुरंत प्राप्त अनुदान की राशि को उस पर भारत सरकार की मौजूदा ब्याज दर के साथ वापस लौटाने की व्यवस्था करेगा।

ग. अनुदान प्राप्तकर्ता संगठन, जब कभी भी सरकार द्वारा आवश्यक प्रतीत होने पर भारत सरकार, संस्कृति मंत्रालय द्वारा समिति नियुक्त करके अथवा भारत सरकार द्वारा निर्धारित किसी अन्य तरीके के माध्यम से समीक्षा के लिए खुला रहेगा।

घ. अनुदान प्राप्तकर्ता संगठन विदेश मंत्रालय की पूर्व अनुमति के बिना किसी विदेशी प्रतिनिधिमंडल (जिन्हें संस्कृति मंत्रालय की स्कीम द्वारा वित्तीय सहायता प्राप्त कार्यक्रमों के संबंध में आमंत्रित किया जा रहा है) को आमंत्रित नहीं करेगा। इस प्रकार की अनुमति के आवेदन संस्कृति मंत्रालय के माध्यम से भेजे जाएंगे।

ड. यह संगठन समय-समय पर सरकार द्वारा लगाए गए अन्य शर्तों के अध्यधीन होगा।

ड. आवेदन पत्र प्रस्तुत करने की प्रक्रिया :

संस्कृति मंत्रालय की आधिकारिक वेबसाइट पर पात्र संगठनों से आवेदनों को आमंत्रित करने के लिए विज्ञापन अपलोड किया जाएगा। विहित प्रपत्र में विधिवत भरे आवेदन पत्रों को केन्द्र सरकार/राज्य सरकार/ संघ राज्यक्षेत्र प्रशासन के संबंधित सांस्कृतिक विभाग/स्कंध अथवा संस्कृति मंत्रालय के किसी क्षेत्रीय सांस्कृतिक केन्द्रों/राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एनएसडी), संगीत नाटक अकादमी (एसएनए), ललित कला अकादमी (एलए), सीसीआरटी, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र (आईजीएनसीए), सहित राष्ट्रीय अकादमियों तथा इसी के समतुल्य निकायों द्वारा संस्तुत किया जाना चाहिए और इन्हें केवल इन्हीं संगठनों के माध्यम से भेजा जाना चाहिए। तथापि, संस्कृति मंत्रालय के पास किसी आवेदन पर सीधे विचार करने का विवेकाधिकार होगा।

च. आवेदन के साथ प्रस्तुत किए जाने वाले दस्तावेज

क. संगठन की संरचना

ख. शासी निकाय के प्रबंधन बोर्ड का संघटन और प्रत्येक सदस्य संबंधी ब्यौरे

ग. अद्यतन उपलब्ध वार्षिक रिपोर्ट की प्रति

घ. निम्नलिखित को शामिल करते हुए एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट ;

1. जिस परियोजना के लिए सहायता चाहिए उसकी अवधि समेत उस परियोजना का ब्यौरा।

2. आवर्ती तथा गैर-आवर्ती व्यय का अलग-अलग मदवार ब्यौरा प्रदान करते हुए परियोजना का वित्तीय विवरण।

3. उस स्रोत का उल्लेख जहां से सदृश धनराशि प्राप्त की जाएगी।

ड. आवेदक संगठन का विगत तीन वर्षों का आय और व्यय का विवरण तथा विगत वर्षों के तुलन पत्र की एक प्रति ।

च. समुचित मूल्य के स्टाम्प पेपर पर विहित प्रपत्र में एक क्षतिपूर्ति बंध पत्र ।

छ. अनुमोदित अनुदान के इलेक्ट्रॉनिक हस्तांतरण को सुलभ बनाने के लिए विहित प्रपत्र में बैंक खाते के विवरण।

छूट

आपवादिक मामलों में संस्कृति मंत्रालय के पास विशेषज्ञ/संचालन/सलाहकार समिति की सिफारिशों पर दिशा-निर्देश के किसी भी मानदंड में कारणों को लेखबद्ध करते हुए छूट प्रदान करने का अधिकार सुरक्षित रहेगा।

स्टूडियो थिएटर सहित भवन अनुदान की स्कीम

क. उद्देश्य

इस स्कीम का उद्देष्य स्वैच्छिक सांस्कृतिक संगठनों तथा सरकारी सहायता प्राप्त सांस्कृतिक संगठनों को कलाकारों के लिए समुचित रूप से सुसज्जित प्रषिक्षण, अभ्यास व कला प्रस्तुति स्थलों के सृजन में उनके प्रयासों में सहायता करना है।

ख. पात्र परियोजनाएं

1. यह अनुदान सांस्कृतिक स्थल सृजित करने के लिए दिया जाएगा, जिनमें निम्नलिखित शामिल होंगे : 1.1 मंच कलाओं हेतु पारम्परिक सांस्कृतिक स्थल :

क. प्रदर्षन स्थल जैसे ऑडिटोरियम, ओपन-एयर थिएटर, कन्सर्ट हॉल।

ख. रंगमंच/संगीत/नृत्य हेतु रिहर्सल हॉल।

ग. रंगमंच/संगीत/नृत्य हेतु प्रषिक्षण केन्द्र/स्कूल।

1.2 रूपान्तर स्थल अर्थात् स्टूडियो थिएटर आदि :

आन्तरिक अभ्यास-सह-प्रदर्षन स्थल जिन्हें स्टूडियो थिएटर या प्रायोगिक थिएटर कहा गया है, जिनमें निम्नलिखित मुख्य विषेषताएं होती हैं:

क. लघु थिएटर जिसमें संगीत, नृत्य या रंगमंच या इन कलाओं की समग्र प्रस्तुति हेतु सभी अनिवार्य उपस्कर हों,

ख. अनौपचारिक स्थल जिसे पारंपरिक दृष्टि से ऑडिटोरियम नहीं कहा जा सकता, अतः सामान्यतया यह मंच या कला प्रस्तुति क्षेत्र न तो मुख्य रंगपीठ के अन्दर होता है और न ही इसे बहुत ऊंचाई पर बनाया जाता है या यह दर्शकों से दूर किसी भाग का विभाजन करके बनाया जाता है।

ग. दर्शकों के बैठने की व्यवस्था इस प्रकार पूरी तरह से परिवर्तनीय होती है कि इसे कला प्रस्तुति विषेष के कलात्मक उद्देष्य के अनुसार स्थल में एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जा सकता है, अतः सीटों/कुर्सियों को एक जगह स्थिर नहीं किया जाएगा।

घ. स्थल की सामान्य क्षमता अधिकतम 100 से 200 सीट की होती है, अतः ऐसे स्थल को प्रायः लघु थिएटर या आन्तरिक थिएटर कहा जा सकता है क्योंकि इसमें दर्शक, कला प्रस्तुति का नजदीक से पूरा आनंद उठा सकते हैं।

ङ, कलाकारों के लिए प्रसाधन सुविधा सहित साथ लगे एक या दो नेपथ्यषाला/ ड्रेसिंग रूम, श्रृंगार कक्ष और भण्डार क्षेत्र, अतः समूची यूनिट छोटी होती है परन्तु यह पूरी तरह थिएटर का काम करती है।

2 ऑडिटोरियम, स्टूडियो थिएटर या अन्य सांस्कृतिक स्थल (स्थलों) सृजित करने संबंधी परियोजना प्रस्तावों में निम्नलिखित घटकों का कोई भी समुचित मिश्रण शामिल हो सकता है:-

क. नया निर्माण या निर्मित स्थल की खरीद।

ख. मौजूदा भवन/स्थल/सुविधा केन्द्र का नवीकरण/उन्नयन/आधुनिकीकरण/विस्तार/फेरबदल।

ग. मौजूदा निर्मित स्थल/सांस्कृतिक केन्द्र के आंतरिक भागों की रिमॉडलिंग।

घ. विद्युत, वातानुकूलन, ध्वनि तंत्र, प्रकाष व ध्वनि प्रणाली तथा उपस्करों की अन्य मदें जैसे वाद्य यंत्र, परिधान, ऑडियो/वीडियो उपस्कर, फर्नीचर तथा स्टूडियो थिएटर के लिए अपेक्षित मंच सामग्री, ऑडिटोरियम, अभ्यास कक्ष, कक्षा कमरे आदि जैसी सुविधाओं की व्यवस्था।

ग. पात्र संगठन

1. इस स्कीम में निम्नलिखित शामिल हैं:

(i) निम्नलिखित मानदण्ड पूरा करने वाले सभी गैर-लाभार्थी संगठन:

क. इस संगठन का स्वरूप मुख्यतः सांस्कृतिक होना चाहिए जो कम से कम तीन वर्ष की अवधि के लिए प्राथमिक रूप से नृत्य, नाटक, रंगमंच, संगीत, ललित कला, भारत विद्या-शास्त्र तथा साहित्य के क्षेत्र में कला व संस्कृति के संवर्धन में कार्यरत होना चाहिए।

ख. संगठन कम से कम तीन वर्ष से सोसायटी पंजीकरण अधिनियम (1860 का XXI) अथवा सदृष अधिनियम के तहत सोसायटी अथवा न्यास अथवा गैर-लाभार्थी कम्पनी के रूप में पंजीकृत हो।

ग. संगठन की अपनी प्रतिष्ठा हो तथा अपने कार्यकलाप के क्षेत्र में सार्थक कार्य करने की उसकी ख्याति हो और उसने स्थानीय, क्षेत्रीय अथवा राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई हो।

घ. इसकी घोषणा पत्र संगठन, भारतीय कला व संस्कृति के परिरक्षण, प्रसार व संवर्धन के प्रति समर्पित हो।

(ii) मंच कलाओं के संवर्धन में कार्यरत सरकारी प्रायोजित निकाय ।

(iii) मंच कलाओं के प्रति समर्पित विश्वविद्यालय, विभाग या केन्द्र।

(iv) मंच कलाओं के संवर्धन हेतु स्थापित कॉलेज।

2 मंत्रालय की विनिर्दिष्ट मंच कला परियोजनाओं हेतु कार्यरत व्यावसायिक समूहों और व्यक्तियों को वित्तीय सहायता की स्कीम के तहत कम से कम 3 वर्ष से वेतन अनुदान प्राप्त करते आ रहे संगठन को यह माना जाएगा कि उसने उपर्युक्त सभी शर्ते पूरी कर दी हैं।

3 मंच कलाओं को समर्पित, सरकार द्वारा प्रायोजित निकाय, विश्वविद्यालय विभाग/केन्द्र या कॉलेज भी स्वतः पात्र हो सकता है बशर्ते कि गत तीन वर्षों का उसका रिकार्ड संतोषजनक हो।

4 धार्मिक संस्थाएं, सार्वजनिक पुस्तकालय, संग्रहालय, स्कूल, कॉलेज या विश्वविद्यालय, विभाग/ केन्द्र जो मंच कलाओं तथा संबद्ध सांस्कृतिक कार्यकलापों के प्रति विषिष्ट रूप से समर्पित नहीं है तथा केन्द्र सरकार/राज्य सरकार/ संघ-राज्यक्षेत्र प्रषासन/ स्थानीय निकाय के विभाग या कार्यालय पात्र नहीं होंगे।

5 वह संगठन जिसने पूर्व की सांस्कृतिक संगठनों को भवन अनुदान स्कीम या इस स्कीम के तहत अपनी भवन परियोजना के लिए अनुदान प्राप्त किया हो, इस स्कीम के तहत पूर्व में मंजूर परियोजना के पूरा होने से पहले दूसरे अनुदान के लिए पात्र नहीं होगा बशर्ते कि उक्त दूसरा अनुदान स्टूडियो थिएटर (प्रायोगिक थिएटर) के लिए न मांगा गया हो और आवेदक संगठन ने चल रही स्वीकृत परियोजना के संबंध में चूक न की हो।

घ. सहायता का रूप और सीमा

1. इस स्कीम के तहत सभी अनुदान गैर-आवर्ती किस्म के होंगे। आवर्ती व्यय, यदि कोई हो, की जिम्मेदारी अनुदानग्राही संगठन की होगी। इस स्कीम के तहत अधिकतम सहायता इस प्रकार होगी :

शहर

परियोजना की किस्म

सहायता की सीमा

बेंगलूरू

नए निर्माण या निर्मित स्थल की खरीद संबंधी परियोजनाएं

25 लाख रु.

चेन्नई

दिल्ली

हैदराबाद

अन्य सभी परियोजनाएं

50 लाख रु

कोलकाता

मुम्बई

सभी गैर–महानगरीय

सभी परियोजनाएं

25 लाख रु.

 

शहर, नगर या स्थान

 

 

2. इस स्कीम के तहत किसी संगठन को उपर्युक्त सीमा के अध्यधीन परियोजना की अनुमोदित प्राक्कलित लागत के अधिकतम 60 प्रतिषत तक सहायता दी जाएगी। परियोजना की अनुमोदित प्राक्कलित लागत की शेष राशि, इसकी बराबर की हिस्सेदारी के रूप में संबंधित संगठन द्वारा वहन की जाएगी।

उदाहरण:-

महानगरीय शहरों में नए निर्माण/निर्मित स्थल की खरीद संबंधी परियोजनाओं हेतु

मामला : 1

यदि परियोजना की अनुमोदित लागत 100 लाख रु. है तो संस्वीकृति योग्य अनुदान की अधिकतम राशि 50 लाख रु. होगी और अनुदानग्राही संगठन की बराबर की हिस्सेदारी 50 लाख रु. होगी।

मामला: 2

यदि परियोजना की अनुमोदित लागत 70 लाख रु. है तो संस्वीकृति योग्य अनुदान की अधिकतम राशि 42 लाख रु. होगी। और अनुदानग्राही संगठन की बराबर की हिस्सेदारी 28 लाख रु. होगी।

गैर–महानगरीय शहरों में नए निर्माण/निर्मित स्थल की खरीद संबंधी परियोजनाओं तथा 3.2 (ख, ग तथा घ) के तहत सभी परियोजनाओं हेतु

मामला : 3

यदि परियोजना की अनुमोदित लागत 60 लाख रु. है तो संस्वीकृति योग्य अनुदान की अधिकतम राशि 25 लाख रु. होगी और अनुदानग्राही संगठन की बराबर की हिस्सेदारी 35 लाख रु. होगी।

मामला: 4

यदि परियोजना की अनुमोदित लागत 40 लाख रु. है तो संस्वीकृति योग्य अनुदान की अधिकतम राशि 24 लाख रु. होगी और अनुदानग्राही संगठन की बराबर की हिस्सेदारी 16 लाख रु. होगी।

3. भूमि की लागत (प्राप्तकर्ता संगठन द्वारा अदा की गई वास्तविक धनराशि, न कि बाजार मूल्य) तथा संगठन द्वारा वहन किए गए विकास प्रभार को बराबर हिस्सेदारी के रूप में माना जाएगा।

4. संगठन द्वारा आवेदन की तारीख से एक वर्ष के भीतर निर्माण/भूमि व भवन के विकास तथा फिक्सचर्स व फिटिंग पर पहले से किए गए व्यय को भी बराबर हिस्सेदारी की राशि माना जाएगा। संगठन इस संबंध में किए गए व्यय का सनदी लेखाकार द्वारा विधिवत् रूप से प्रमाणित लेखा-जोखा प्रस्तुत करेगा।

5. यदि बाद में परियोजना की लागत बढ़ जाती है तो भारत सरकार की देयता मूलतः स्वीकृत राशि तक सीमित होगी और अतिरिक्त सम्पूर्ण व्यय, अनुदानग्राही संगठन द्वारा अपने संसाधनों से पूरा किया जाएगा।

6. परियोजना प्रस्ताव पर विचार किए जाने तथा कतिपय राशि के लिए उसे अनुमोदित किए जाने पर सामान्यतया परियोजना की समीक्षा और उसकी लागत बढ़ाने के लिए बाद में किसी भी अनुवर्ती अनुरोध को स्वीकार नहीं किया जाएगा।

7. वित्तीय सहायता की मंजूरी की वैधता, प्रथम किस्त जारी होने की तारीख से 3 वर्ष की होगी और सभी परियोजनाएं 3 वर्ष की अवधि के भीतर पूरी की जानी अनिवार्य हैं।

ड. आवेदन की पद्धति

1. संस्कृति मंत्रालय के अधीन राष्ट्रीय नाटय विद्यालय (एनएसडी) वार्षिक रूप से एनएसडी/मंत्रालय की वेबसाइटों पर स्कीम को अधिसूचित करेगा। स्कीम के पैरा 7 में उल्लिखित आवश्यक दस्तावेजों सहित विहित प्रपत्र में आवेदनों को निदेशक, राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय, बहावलपुर हाउस, प्लॉट न.1, भगवान दास रोड, नई दिल्ली-110001 को भेजे (आवेदक संगठन द्वारा राष्ट्रीय नाटय विद्यालय को प्रस्तुत आवेदन पत्र में किसी कमी की जानकारी सीधे निदेशक, एनएसडी को प्रस्तुत की जाए) आवेदन के साथ नीचे खण्ड (पैरा) 7 के तहत उल्लिखित सभी दस्तावेज संलग्न किए जाने अनिवार्य हैं। इन अनिवार्य दस्तावेजों के बिना प्राप्त किसी भी आवेदन पर विचार नहीं किया जाएगा और उसे प्रेषक को लौटा दिया जाएगा।

च. संलग्न किए जाने वाले दस्तावेज

आवेदन के साथ निम्नलिखित दस्तावेज संलग्न किए जाने चाहिए:

1. परियोजना रिपोर्ट/प्रस्ताव जिसमें निम्नलिखित शामिल होंगे :

क. संगठन की रूपरेखा जिसमें संगठन, इसकी क्षमताओं, उपलब्धियों तथा गत तीन वर्षों के इसके कार्यकलापों के वर्ष-वार ब्यौरे का विवरण हो।

ख. परियोजना/प्रस्ताव की तर्कसंगतता/औचित्य सहित इसका विवरण।

ग. लागत प्राक्कलन (भवन/उपस्कर/सुविधाओं) का सार।

घ. वित्त/निधियों के स्रोत।

ङ. परियोजना पूरी होने की समय अनुसूची, और

च. समापन उपरान्त–संगठन किस प्रकार परियोजना के माध्यम से सृजित सुविधा के प्रचालन व अनुरक्षण का संचालन करेगा और आवर्ती अनुरक्षण/प्रचालन लागत को पूरा करेगा।

2. सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 या अन्य संगत अधिनियमों के तहत पंजीकरण प्रमाण पत्र की प्रतिलिपि।

3. संगठन के नियमों व विनियमों, यदि कोई हों, सहित इसके संगम ज्ञापन (या न्यास विलेख) की प्रतिलिपि।

4. प्रबंधन बोर्ड के वर्तमान सदस्यों/पदाधिकारियों/न्यासियों की सूची जिसमें प्रत्येक सदस्य का नाम व पता हो।

5. गत तीन वित्त वर्षों के वार्षिक लेखाओं (सनदी लेखाकार/सरकारी लेखा परीक्षक द्वारा विधिवत रूप से | प्रमाणित/संपरीक्षित) की प्रतिलिपियां।

6. स्वामित्व विलेख (पंजीकृत हस्तांतरण विलेख, उपहार विलेख, पट्टा विलेख आदि) जिसमें निम्नलिखित का उल्लेख हो :

क. परियोजना की भूमि/भवन पर आवेदक संगठन का स्वामित्व और इस आषय की पुष्टि कि उक्त सम्पत्ति का इस्तेमाल वाणिज्यिक, संस्थागत या शैक्षिक प्रयोजन से किया जा सकता है। निर्मित स्थल की खरीद के प्रस्ताव के मामले में आबंटन पत्र/विक्रय करार की प्रतिलिपि प्रस्तुत की जाए।

ख. भूमि/भवन की लागत यदि स्वामित्व विलेख में भूमि/भवन की लागत का उल्लेख नहीं किया गया है तो लागत के समर्थन में संगत दस्तावेज संलग्न किए जाएं।

7. समुचित नागरिक निकाय/स्थानीय प्राधिकारी (नगर–पालिका, पंचायत, विकास प्राधिकरण, सुधार न्यास आदि) द्वारा विधिवत् रूप से अनुमोदित भवन/विकास योजनाओं की प्रतिलिपि । निर्मित स्थल की खरीद के प्रस्ताव के मामले में सक्षम नागरिक निकाय/स्थानीय प्राधिकारी द्वारा विधिवत् रूप से अनुमोदित/जारी नक्षा योजना तथा निर्माण सम्पूर्ण प्रमाण-पत्र प्रस्तुत किया जाए।

8. पंजीकृत वास्तुविद द्वारा विधिवत् रूप से अनुमोदित लागत प्राक्कलन (भवन/उपस्कर) जो यह प्रमाणित करेगा कि :

क. मात्राएं, परियोजना की ढांचागत अपेक्षाओं के अनुरूप हैं।

ख. दरें, प्रचलित बाजार मूल्यों के अनुरूप हैं, और

ग. लागत प्राक्कलन तर्क संगत हैं।

9. इस आषय के दावे के समर्थन में दस्तावेजी साक्ष्य कि संगठन ने अपनी बराबर की हिस्सेदारी प्राप्त कर ली है या इसे प्राप्त करने के प्रबंध कर लिए हैं अर्थात् बैंक विवरण, परियोजना पर किए जा चुके खर्च का प्रमाण पत्र (ब्यौरे के साथ, जो सनदी लेखाकार द्वारा विधिवत् रूप से प्रमाणित हो) ऋण मंजूरी पत्र, परियोजना के लिए निधियों की मंजूरी दर्षाने वाला राज्य सरकार/संघ राज्य प्रषासन/स्थानीय निकाय आदि का पत्र।

10. संगठन के प्रबंधन बोर्ड/कार्यकारी बोर्ड/षासी निकाय का संकल्प (निर्धारित प्रपत्र में) जिसमें संगठन की ओर से अनुदान हेतु आवेदन, बंध-पत्र आदि पर हस्ताक्षर करने के लिए किसी व्यक्ति को प्राधिकृत किए जाने का उल्लेख हो।

11. निर्धारित मूल्य राशि के स्टाम्प पेपर पर मांगी गई सहायता का बंध-पत्र (निर्धारित प्रपत्र में)।

7.12 संगठन के बैंक खाते का ईसीएस ब्यौरा दर्षाने वाला बैंक प्राधिकार पत्र (निर्धारित प्रपत्र में) ।

नोट :

i. आवेदक संगठन, अपने प्रस्ताव के समर्थन में ऐसा कोई भी अन्य दस्तावेज संलग्न कर सकता है जो वह प्रस्तुत करना चाहे (अर्थात् राष्ट्रीय या राज्य स्तरीय सरकारी निकाय या अकादमी से प्रमाण-पत्र या संस्तुति पत्र, वार्षिक रिपोर्ट, प्रेस क्लिपिंग/समीक्षाएं, कार्य आबंटन पत्र, संबद्धता पत्र आदि)।

ii. जहां कहीं दस्तावेज क्षेत्रीय भाषा में हैं, उनका अंग्रेजी व हिन्दी रूपान्तरण भी उपलब्ध कराया जाना अनिवार्य है।

iii. जहां कहीं कतिपय दस्तावेज की प्रतिलिपियां प्रस्तुत की जा रही हों, उन्हें किसी राजपत्रित अधिकारी या नोटरी पब्लिक द्वारा विधिवत् रूप से सत्यापित कराया जाना चाहिए।

iv. मंच कलाओं को समर्पित सरकार द्वारा प्रायोजित निकायों, विश्वविद्यालय विभागों या केन्द्रों और कॉलेजों के मामले में बिंदु 7.2 से 7.10 पर विनिर्दिष्ट दस्तावेजों में से केवल ऐसे दस्तावेजों को उपलब्ध कराए जाने की आवष्यकता है जो आवेदक संगठन से संबंधित हों।

छ. मूल्यांकन पद्धति

1. संस्कृति मंत्रालय में प्राप्त सभी आवेदनों की, संस्कृति मंत्रालय के मंचकला प्रभाग द्वारा उपर्युक्त अपेक्षाओं के अनुसार पूर्णता की दृष्टि से जांच की जाएगी। अधूरे आवेदनों (उपरोक्त खंड सं0 7 के अंतर्गत उल्लिखित अपेक्षित दस्तावेजों के बिना) पर विशेषज्ञ समिति द्वारा मूल्यांकन हेतु आगे कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी।

2. मूल्यांकन समिति द्वारा मूल्यांकन से पहले, जहां कहीं समिति ऐसा चाहे, आवेदनों की, संस्कृति मंत्रालय के अधीन किसी संगठन या इस प्रयोजनार्थ नियुक्त किसी विशेषज्ञ समूह या किसी एजेंसी की सहायता से सत्यापन पूर्व जांच भी की जा सकती है। वैकल्पिक तौर पर इससे पहले प्रस्ताव के मामले विषेष में या स्थायी व्यवस्था के बतौर किसी समतुल्य समूह (पीयर ग्रुप) द्वारा मूल्यांकन कराया जा सकता है। ऐसे पूर्व सत्यापन या पूर्व मूल्यांकन का प्रयोजन आवेदन करने वाले संगठन की प्रतिष्ठा व क्षमताओं तथा परियोजना की सुयोग्यता का आन्तरिक मूल्यांकन करना होगा।

3. सभी तरह से पूर्ण आवेदन पर विशेषज्ञ समिति द्वारा खेपों (बैचों) में विचार किया जाएगा, जिसे संस्कृति मंत्रालय द्वारा | गठित किया जाएगा और समिति, अनुदान हेतु प्राप्त आवेदनों की संख्या के आधार पर वर्ष के दौरान समय-समय पर बैठक करेगी।

4. विशेषज्ञ समिति निम्नलिखित के विषेष सन्दर्भ में प्रत्येक परियोजना प्रस्ताव के गुणावगुण के संबंध में उसका मूल्यांकन करेगी :

क. क्या आवेदक संगठन संबंधित क्षेत्र में सुप्रतिष्ठित है और उसकी एक अपनी पहचान है।

ख. क्या प्रस्ताव की संकल्पना सु-विचारित है;

ग. क्या लागत प्राक्कलन तर्कसंगत है; और

घ. क्या परियोजना पूरी करने के लिए संगठन की अपनी बराबर की हिस्सेदारी जुटाने की क्षमता है या इसने इसकी व्यवस्था की है (जहां आवेदक संगठन ने बराबर की हिस्सेदारी की सम्पूर्ण राशि पहले ही खर्च कर दी है, उस मामले में इस अपेक्षा को पूरा किया मान लिया जाएगा)।

5. विशेषज्ञ समिति में मंच कलाओं व संस्कृति के विभिन्न क्षेत्रों के कलाकार शामिल होंगे और इसमें वास्तुविद, सिविल इंजीनियर तथा प्रकाष/ध्वनि/मंच षिल्प में तकनीकी विशेषज्ञ तथा साथ ही संस्कृति मंत्रालय के संबंधित अधिकारी भी शामिल हो सकते हैं।

ज. अनुदान की संस्वीकृति व उसे जारी करना

1. परियोजना प्रस्ताव का अनुमोदन होने पर, मंत्रालय इस निर्णय की सूचना, संबंधित संगठन को देगा जिसमें परियोजना की कुल अनुमोदित लागत, मंजूर की गई सहायता की मात्रा, संगठन की बराबर की हिस्सेदारी की मात्रा तथा सहायता की संस्वीकृत राशि जारी करने संबंधी अन्य शर्तों का उल्लेख होगा।

2. संस्वीकृति पत्र में उस भवन/उपस्करों को भी विनिर्दिष्ट किया जाएगा जिनके लिए सहायता मंजूर की गई है।

3. सहायता की संस्वीकृत राशि निम्नलिखित तरीके से किस्तों में जारी की जाएगी।

3.1 प्रथम किस्त : संस्वीकृत सहायता की 40 प्रतिषत राशि की प्रथम किस्त, बिना किसी और पत्राचार के मंत्रालय द्वारा परियोजना प्रस्ताव के अनुमोदन/संस्वीकृति पर जारी की जाएगी।

3.2 दूसरी किस्त : संस्वीकृत अनुदान की 30 प्रतिषत राशि की दूसरी किस्त निम्नलिखित प्रस्तुत किए जाने पर जारी की जाएगी :

क. किसी पंजीकृत वास्तुविद से परियोजना के संबंध में वास्तविक व वित्तीय प्रगति की रिपोर्ट जिसमें स्थल के फोटो सहित पहले से पूरे किए गए कार्य का ब्यौरा हो।

ख. पंजीकृत वास्तुविद से निम्नलिखित आषय का प्रमाण पत्र किः परियोजना कार्य, अनुमोदित योजना के अनुसार पूरा किया गया है/चल रहा है; स्थानीय कानूनों या निर्माण/विकास की अनुमोदित योजना का उल्लंघन नहीं किया गया है; किया गया कार्य संतोषजनक स्तर का है; और यह दर्षाया गया हो कि, किए गए कार्य की लागत का मूल्यांकन और परियोजना कार्य पूरा करने के लिए आगे और राशि अपेक्षित है। ग. सनदी लेखाकार द्वारा विधिवत रूप से हस्ताक्षरित परियोजना के लेखाओं का संपरीक्षित विवरण।

घ. सनदी लेखाकार द्वारा उपयोग प्रमाण-पत्र, जिसमें प्रमाणित किया गया हो कि सहायता राशि की दूसरी किस्त पूरी तरह परियोजना पर खर्च की गई है।

ङ. सनदी लेखाकार का एक प्रमाण-पत्र जिसमें प्रमाणित किया गया है कि संगठन ने अपनी बराबर की हिस्सेदारी का 40 प्रतिषत खर्च कर दिया है।

3.3 अंतिम किस्त : संस्वीकृत अनुदान के 30 प्रतिषत राशि के बराबर अंतिम किस्त निम्नलिखित प्रस्तुत किए जाने के बाद जारी की जाएगी :

3.3.1 अनुदानग्राही संगठन ने निम्नलिखित दस्तावेज प्रस्तुत किए :

क. किसी पंजीकृत वास्तुविद से परियोजना के संबंध में वास्तविक व वित्तीय प्रगति की रिपोर्ट जिसमें स्थल के फोटो सहित पहले से पूरे किए गए कार्य का ब्यौरा हो।

ख. पंजीकृत वास्तुविद से निम्नलिखित आषय का प्रमाण पत्र : परियोजना कार्य, अनुमोदित योजना के अनुसार पूरा किया गया है/ चल रहा है, स्थानीय कानूनों या निर्माण/विकास की अनुमोदित योजना का उल्लंघन नहीं किया गया है; किया गया कार्य संतोषजनक स्तर का है; और यह दर्षाता है कि, किए गए कार्य की लागत का मूल्यांकन और परियोजना कार्य पूरा करने के लिए आगे और राशि अपेक्षित है।

ग. सनदी लेखाकार द्वारा विधिवत रूप से हस्ताक्षरित परियोजना के लेखाओं का संपरीक्षित विवरण।

घ. सनदी लेखाकार द्वारा उपयोग प्रमाण-पत्र, जिसमें प्रमाणित किया गया हो कि सहायता राशि की दूसरी किस्त पूरी तरह परियोजना पर खर्च की गई है।

ङ. सनदी लेखाकार का प्रमाण-पत्र, जिसमें प्रमाणित किया गया है कि संगठन ने अपनी बराबर की हिस्सेदारी का 70 प्रतिषत खर्च कर दिया है।

3.3.2 संस्कृति मंत्रालय ने अपने प्रतिनिधियों) के माध्यम से परियोजना का वास्तविक रूप से निरीक्षण करा लिया है। परियोजना की प्रकृति और आकार के आधार पर, मंत्रालय ऐसी फील्ड जांच के लिए, मंत्रालय से अथवा इसके संगठनों से और/अथवा विभिन्न कार्यालयों/षाखाओं से लिए गए अधिकारियों और/या विषेषज्ञों के एक दल को प्रतिनियुक्त कर सकता है, अथवा यह निरीक्षण करने के लिए अन्य पक्ष की सेवाएं ले सकता है।

टिप्पणी: यदि आकलित निधियों की अंतिम मांग, अनुमोदित परियोजना लागत से कम है अथवा संगठन द्वारा बराबर की हिस्सेदारी की खर्च की गई राशि अनुमोदित परियोजना लागत के 40 प्रतिषत से कम है, तो अनुदान की अंतिम किस्त की राशि उसी के अनुरूप कम कर दी जाएगी।

4. 25.00 लाख रू. तक को प्रस्तावों का विशेषज्ञ समिति की सिफारिष पर संबंधित संयुक्त सचिव द्वारा अनुमोदित किया जाएगा और 25.00 लाख रू. से अधिक एवं 50.00 लाख रू. तक के प्रस्ताव सचिव (संस्कृति) के स्तर पर अनुमोदित किए जाएंगे।

झ. अनुदान की शर्ते

1. भारत सरकार द्वारा जारी अनुदानों के लिए अलग खाता रखना होगा।

2. परियोजना के खाते और स्थल, संस्कृति मंत्रालय के प्रतिनिधि द्वारा किसी भी समय जांच के लिए तैयार होने चाहिए।

3. यदि परियोजना, पहली किस्त के जारी होने की तारीख से तीन वर्ष की अवधि के भीतर पूरी नहीं की जाती है तो, संगठन को आगे कोई अनुदान जारी नहीं किया जाएगा तथा उक्त दावा काल-बाधित हो जाएगा।

4. संगठन के खाते, भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक अथवा अपने विवेक से उनके द्वारा नामिती द्वारा किसी भी समय लेखा-परीक्षा के लिए तैयार होने चाहिए।

5. अनुदान अथवा उसके बाद किसी किस्त के जारी होने के वित्तीय वर्ष की समाप्ति के छ: महीने के भीतर अनुदानग्राही, अगले वर्ष में भारत सरकार को अनुमोदित परियोजना पर किए गए व्यय को दर्षाने वाला सनदी लेखाकार द्वारा संपरीक्षित लेखा तथा प्रमाणित विवरण तथा भारत सरकार के अनुदान की उपयोगिता को दर्षाने वाला उपयोगिता प्रमाण पत्र प्रस्तुत करेगा। यदि उक्त अवधि के भीतर उपयोग प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं किया जाता है तो अनुदानग्राही को भारत सरकार की मौजूदा ब्याज दर पर ब्याज सहित प्राप्त कुल अनुदान राशि को तुरंत वापिस करना होगा, बशर्ते कि भारत सरकार द्वारा विषेष रूप से छूट न दी गई हो।

6. मामला बंद करने के लिए, आवेदक को वित्तीय वर्ष, जिसमें अंतिम किस्त जारी की गई है, की समाप्ति के 6 महीने के भीतर निम्नलिखित दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगेः

क. यदि परियोजना में नया निर्माण शामिल है, यथोचित नागरिक प्राधिकारी को भेजी गई भवन निर्माण पूरा होने की सूचना की प्रति अथवा इसके द्वारा जारी सम्पूर्णता प्रमाण पत्र, और पूर्व-निर्मित स्थल की खरीद वाली परियोजनाओं के मामले में, भवन निर्माता/विक्रेता को किए गए सभी भुगतानों की रसीदों, स्वामित्व पत्र और पंजीकरण/मालिकाना शपथ-पत्र की प्रतियां।

ख. वास्तुकार से परियोजना पूरी करने संबंधी रिपोर्ट।

ग. सनदी लेखाकार से प्रमाण पत्र कि संगठन ने अपनी बराबर की हिस्सेदारी की पूर्ण राशि खर्च कर दी है।

7. भारत सरकार के अनुदान पूर्णरूपेण अथवा मुख्य रूप से अधिगृहीत स्थायी और अर्ध-स्थायी परिसंपत्तियों का एक रजिस्टर निर्धारित फार्म (फार्म-जीएफआर-19) में तैयार किया जाना चाहिए। अनुदानग्राही को इस रजिस्टर की एक प्रति प्रतिवर्ष संस्कृति मंत्रालय को प्रस्तुत करनी चाहिए।

8. अनुदानग्राही दो जमानतदारों के साथ निर्धारित प्रपत्र में भारत के राष्ट्रपति के नाम इस आषय का बंध पत्र निष्पादित करेगा कि वह अनुदान की शर्तों का पालन करेगा। उसके द्वारा अनुदान की शर्तों का पालन न किए जाने या बंध-पत्र का उल्लंघन किए जाने की स्थिति में अनुदान प्राप्तकर्ता और जमानती अलग-अलग या मिलकर भारत के राष्ट्रपति को भारत सरकार की वर्तमान उधार दर पर ब्याज सहित अनुदान की समूची राशि लौटाएगा।

9. केन्द्रीय सहायता से अधिगृहीत भवनों व अन्य परिसम्पत्तियों पर प्रथम पुनर्ग्रहणाधिकार भारत के राष्ट्रपति का होगा और भारत सरकार की पूर्व अनुमति के बिना भवन या उपस्कर को किसी अन्य पक्ष को पट्टे पर नहीं दिया जाएगा या उसे गिरवी नहीं रखा जाएगा। तथापि, इस प्रकार अधिगृहीत स्टूडियो थिएटर या अन्य सुविधाओं को अस्थायी इस्तेमाल हेतु किसी अन्य पक्ष को पट्टे पर देने का प्रावधान इस शर्त से मुक्त होगा।

10. यदि किसी स्तर पर सरकार दिए गए अनुदान या उससे सृजित सुविधाओं के समुचित उपयोग से संतुष्ट नहीं है तो सरकार, भारत सरकार की वर्तमान ऋण दर पर ब्याज सहित अनुदान की समूची राशि लौटाने की मांग कर सकती

11 अनुदानग्राही संगठन, इस स्कीम के तहत विकसित स्टूडियो/थिएटर/सांस्कृतिक स्थल में समुचित रूप से मंत्रालय | का नाम लिखकर भारत सरकार, संस्कृति मंत्रालय की वित्तीय सहायता का आभार प्रकट करेगा।

12. केवल अनुदानग्राही, भवनों के निर्माण या भूमि और भवनों के उपयोग संबंधी स्थानीय क्षेत्र में यथा लागू कानूनों के उल्लंघन के लिए जिम्मेदार होगा।

13. ऐसी अन्य शर्ते जो भारत सरकार समय-समय पर लागू करे।

14. संगठनों द्वारा उनके इलाके के किसी भी स्कूल में कम से कम 2 कार्यकलाप (कार्यक्रम, व्याख्यान, सेमिनार, कार्यशाला, प्रदर्शनी आदि), अनिवार्य रूप से आयोजित किए जाएं। स्कूल के प्रधानाचार्य से इस आषय का प्रमाण पत्र, दूसरी किस्त जारी करने हेतु अनिवार्य रूप से आयोजित होगी।

त्र. विविध

सामान्यतया पूर्व की सांस्कृतिक संगठनों को भवन अनुदान स्कीम के तहत स्वीकृत किए गए मामलों को फिर से नहीं खोला जाएगा और न ही सामान्यतया इस स्कीम के प्रावधानों के तहत संस्वीकृत राशि को बढ़ाया जाएगा परन्तु भवन अनुदान के ऐसे मामले में वितरण हेतु लंबित किस्तों को, अनुदानग्राही संगठन के अनुरोध पर, विभिन्न किस्तें जारी करने के लिए पद्धति व इस स्कीम के तहत परिकल्पित दस्तावेजी अपेक्षाओं का पालन करके जारी किया जाएगा। तथापि, ऐसे मामलों में जब कोई किस्त जारी नहीं की गई हो तो अनुदानग्राही संगठन पूर्व स्वीकृति को रद्द करने व इस स्कीम के तहत उसकी परियोजना पर नए सिरे से विचार करने का अनुरोध कर सकता है। विगत के मामलों में जब पूरा संस्वीकृत अनुदान जारी नहीं किया गया हो। और परियोजना अधूरी पड़ी हो तथा अनुदानग्राही संगठन अपने मामलों की समीक्षा तथा इस स्कीम के तहत संस्वीकृत अनुदान को बढ़ाने की मांग करे तो मामला-दर-मामला आधार पर निर्णय किया जाएगा।

टैगोर सांस्कृतिक परिसरों के लिए स्कीम

क. पृष्ठभूमि

1. आठवीं पंचवर्षीय योजना (1992-97) में राज्य सरकारों/ राज्य प्रायोजित निकायों को बहुउद्देशीय सांस्कृतिक परिसरों (एम पी सी सी) की स्थापना के लिए वित्तीय सहायता अनुदान स्कीम शुरू की गयी थी जिसका उद्देश्य सृजनात्मक कार्यो के सर्वोत्तम स्वरूप को दर्शाने और समाज में कलात्मक और नैतिक रूप से जो अच्छा है, उसके लिए उन्हें संवेनदशील बनाते हुए अपने युवाओं के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना है। संगीत नृत्य, नाटक, साहित्य, ललित कला आदि जैसे विभिन्न सांस्कृतिक क्षेत्रों में समन्वय और प्रोत्साहन देने के लिए स्कीम के तहत राज्यों में सांस्कृतिक परिसरों की स्थापना की गयी थी। स्कीम में जैसा प्रावधान किया गया था, राज्य अथवा उस स्थान में मौजूद सुविधाओं, सम्बंधित सांस्कृतिक विभागों की वित्तीय स्थिति, अनुदान के समान निधि उपलब्ध कराने की प्रतिबद्धता और बहुउद्देश्यीय सांस्कृतिक परिसरों के आवर्ती व्यय को ध्यान में रखते हुए एक सलाहकार समिति द्वारा राज्य सरकारों के अनुरोध पर विचार किया गया। इस स्कीम के तहत अधिकतम 1.00 करोड़ रूपये का अनुदान उपलब्ध कराया गया बशर्ते राज्य सरकार द्वारा समान अनुदान के रूप में उपलब्ध कराई जाने वाली परियोजना लागत का 50 प्रतिशत हो।

2. विगत निष्पादनों को ध्यान में रखते हुए स्कीम की समीक्षा की गयी थी और स्कीम में रखे गये मानदण्डों को वर्ष 2004 में संशोधित किया गया था। संशोधित स्कीम बहुउद्देशीय सांस्कृतिक परिसरों की दो श्रेणियों (i और ii) के लिए उपलब्धकराई गयी। श्रेणी 1 के लिए परियोजना की लागत 5.00 करोड़ रूपये तथा श्रेणी ii के लिए 2.00 करोड़ रुपए थी।

3. 10वीं योजना के अंत में योजना आयोग द्वारा स्कीम को बंद करने से पूर्व विभिन्न राज्यों/संघ शासित क्षेत्रों में कुल 49 बहुउद्देशीय सांस्कृतिक परिसरों को सहायता दी गयी थी। परिणाम स्वरूप, 11वीं योजना के मध्य अवधि मूल्यांकन के दौरान योजना आयोग स्कीम को समुचित सुधारों के साथ पुनः संचालित करने पर सहमत हुआ।

4. गुरूदेव रबीन्द्रनाथ टैगेर की 150वीं जयन्ती समारोह मनाने के लिए गठित प्रधानमंत्री के अधीन राष्ट्रीय समिति और वित्त मंत्री के तहत स्थापित राष्ट्रीय कार्यान्वयन समिति ने सम्बंधित विकास के मामले में अनुभव किया है कि 1961 में गुरू रबीन्द्रनाथ टैगोर के शताब्दी समारोह के अवसर पर शुरू किये गये राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम के एक भाग के रूप में केन्द्रीय सहायता से पूरे देश में सृजित बड़ी संख्या में रबीन्द्र भवनों, सदनों, रंगशालाओं, मंचों, और अन्य सांस्कृतिक केन्द्रों के नवीकरण, उन्नयन और विस्तार किए जाने की आवश्यकता है। ये केन्द्र 30वर्षों से अधिक समय से संचालन में रहे हैं। और समाज की अच्छी तरह सेवा की है।

5. टैगोर की 150वीं जयंती समारोह के भाग के रूप में यह निर्णय लिया गया कि वर्तमान रबीन्द्र भवनों का पुनर्निर्माण/नवीनीकरण/उन्नयन/आधुनिकीकरण/ विस्तार किया जाय और संषोधित एम पी सी सी स्कीम की रूपरेखा के अनुसार जिन राज्य की राजधानियों और अन्य शहरों में ऐसे परिसर नहीं हैं वहां भी नये सांस्कृतिक परिसरों का निर्माण किया जाय। इसलिए पहले की एम पी सी सी स्कीम को दिनांक 07.05.2011 से टैगोर सांस्कृतिक परिसर (टीसीसी) के नाम से नवीकृत और पुनरांरभ करने का निर्णय लिया गया ताकि अलग-अलग पैमाने पर नये सांस्कृतिक परिसरों की स्थापना करने और सुगम बनाने के अलावा वर्तमान रबीन्द्र सभागारों के उन्नयन, आधुनिकरण और सुधार से इन्हें आधुनिकतम सांस्कृतिक परिसरों के रूप में बदला जा सके।

6. इसकी शुरूआत से, राष्ट्रीय मूल्यांकन समिति की दो बैठकें आयोजित की जा चुकी हैं जिनमें कमशः 29 और 38 प्रस्तावों पर विचार किया गया।

7. संस्कृति मंत्रालय यह भी महसूस करता है कि देश में कला संबंधी अवसंरचना में गंभीर अभाव की स्थिति है। इस अभाव को इस स्कीम के माध्यम से निधियां उपलब्ध करवाकर कम किया जाना चाहिए क्योंकि यह स्कीम विशिष्ट रूप से मंच कलाओं और सामान्य रूप से कला एवं संस्कृति के प्रचार और संवर्धन से सीधे जुड़ी हुई है। इस प्रयोजन से, भारत सरकार उक्त टैगोर सांस्कृतिक परिसर (टीसीसी) स्कीम को जारी रखने पर विचार कर रही है जो साधारणतया कला के संवर्धन हेतु लगभग सभी प्रयोजनों के लिए एक बड़े पैमाने पर मंच प्रदान करवाने से संबंधित है। इस स्कीम का उद्देश्य विद्यमान स्थानों के स्तरोन्नयन के साथ-साथ हर प्रकार के नए स्थानों का सृजन करना है। इससे पूरे देश में कलाओं के संवर्धन को प्रोत्साहन मिलेगा। चूंकि इसमें से बहुत सा कार्य लोक क्षेत्र से बाहर किया जा रहा है, अतः गैर-लाभार्थी संगठनों और ऐसे ही निकायों को स्कीम के तहत पात्र आवेदकों में शामिल किया गया है। यह भी महसूस किया गया है कि पूर्व एमपीसीसी स्कीम के अधीन देश में कई परियोजनाओं को भी विद्यमान एमपीसीसी, रबीन्द्र भवनों सदनों रंगशालाओं के स्तरोन्नयन के साथ-साथ विद्यमान भौतिक सुविधाओं के पुनरूद्धार, नवीकरण, विस्तार, परिवर्तन, स्तरोन्नयन, आधुनिकीकरण आदि के लिए अवसंरचना हेतु कुछ निधियों की आवश्यकता है।

8. इन आवश्यकताओं को वृहत, वैविध्यपूर्ण टीसीसी स्कीम में तदनुसार शामिल कर लिया गया था। अनुदान प्राप्तकर्ता राज्य सरकारों / संघ प्रदेश प्रशासनों / गैर लाभार्थी संगठनों के लिए आवश्यक स्टेक (40 प्रतिशत) का भी प्रावधान किया गया है ताकि उनकी संपूर्ण सहभागिता और समर्पण तथा परियोजना का बौद्धिक स्वामित्व सुनिश्चित किया जा सके।

ख. उद्देश्य

1. इस स्कीम का रीविजिटिड स्वरूप टैगोर सांस्कृतिक परिसर के रूप में जाना जायेगा जो संगीत, नाटक, नृत्य, साहित्य,ललित कला आदि जैसे विभिन्न सांस्कृतिक क्षेत्रों में राज्य में कार्यकलापों को प्रोत्साहन और समन्वय प्रदान करना जारी रखेगा और उनके माध्यम से देश की सांस्कृतिक एकता को संवर्धित करेगा तथा युवा पीढ़ी को सृजनात्मक अभिव्यक्ति और ज्ञान के लिए मार्ग उपलब्ध करायेगा।

2. ये सांस्कृतिक परिसर मंच अभिनय (नृत्य, नाटक और संगीत ), प्रदर्शनियों सेमिनारों, साहित्यिक कार्यकलापों, फिल्म प्रदर्शन आदि के लिए सुविधाओं तथा आधारभूत संरचना के साथ कला और संस्कृति के सभी स्वरूपों के लिए उत्कृष्ट केन्द्रों के रूप में कार्य करेंगे। इसलिए ये मूल टैगोर सभागार स्कीम से परे कार्य करने के लिए अभिप्रेत हैं और सृजनात्मकता तथा सांस्कृतिक अभिव्यक्तियों में बहुआयामी रूचियों को प्रोत्साहन देंगे।

ग. पात्र संगठन

स्कीम के तहत निम्नलिखित को वित्तीय सहायता प्रदान की जायेगी :

1. राज्य सरकार/ संघ राज्य प्रशासन;

2. राज्य सरकार/संघ राज्य प्रशासनों द्वारा स्थापित अथवा प्रायोजित निकाय ;

3. केन्द्र सरकार अथवा इसके अधीन संगठनों द्वारा स्थापित अथवा प्रायोजित निकाय ;

4. विश्वविद्यालय, नगर निगम और अन्य सरकारी मान्यता प्राप्त एजेंसियां ; और

5. परियोजना की स्थापना और संचालन करने में सक्षम ऐसे गैर लाभकारी प्रतिष्ठित संगठन जो उपलब्ध कराई गयी परियोजना की लागत का 40 प्रतिशत अपने समभाग के रूप में जुटा सकें और आवर्ती लागत को पूरा कर सकें। ये संगठन केन्द्र सरकार अथवा सम्बंधित राज्य सरकार/संघ शासित सरकार की उपयुक्त एजेंसी द्वारा निरीक्षित तथा अनुशंसित रहे हों और निम्नलिखित मानदण्डों को पूरा करते हों : क) ऐसा संगठन जो सोसाइटी पंजीकरण अधिनियम (1860 का xxi) अथवा समान अधिनियमों के तहत या न्यास अथवा गैर-लाभार्थी कम्पनी के रूप में कम से कम तीन वर्षों की अवधि के लिए एक सोसाइटी के रूप में पंजीकृत है।

ख) जिसका घोषणापत्र मूलरूप से भारतीय कला और संस्कृति के परिरक्षण, प्रसार और संवर्धन के लिए समर्पित है।

ग) संगठन की प्रमुख रूप से सांस्कृतिक रूपरेखा हो तथा कम से कम तीन वर्षों से नृत्य, नाटक, रंगमंच, संगीत, ललित कला, भारतविद्या और साहित्य जैसे क्षेत्रों में कला और संस्कृति के सम्वर्धन के लिए मूल रूप से कार्य कर रहा हो।

घ) संगठन पूर्णतया स्थापित हो और अपने कार्यकलापों के क्षेत्र में अर्थपूर्ण कार्य करने के लिए जाना जाता हो तथा स्थानीय, क्षेत्रीय अथवा राष्ट्रीय स्तर पर पहचान और प्रतिष्ठा/स्थायित्व रखता हो।

घ. पात्र परियोजनाएं

निम्नलिखित प्रकृति की परियोजनओं को वित्तीय सहायता दी जायेगी :

1. नये टैगोर सांस्कृतिक परिसर टीसीसी जिला/नगर परिसरों जिनमें लघु प्रेक्षागृह अथवा ओपन एयर एम्फीथियेटर अथवा इंप्रोवाइज्ड मंच के अलावा प्रत्येक परियोजना में सभागार शामिल है। टीसीसी एक बहु उद्देशीय सांस्कृतिक परिसर होगा किंतु किसी विशेष परियोजना में सुविधाएं उपलब्ध कराना स्थानीय आवश्यकताओं तथा सांस्कृतिक लोकाचार पर निर्भर करेगा। आदर्शतः इस स्कीम के उद्देश्यों के लिए टी सी सी का लक्ष्य निम्नलिखित आधुनिक सुविधाएं और आधारभूत संरचना प्राप्त करना है :

(क) लाइव संगीत, नृत्य अथवा रंगमच या इन कलाओं के सम्मिश्रण के प्रदर्शन के लिए एक सभागार (अथवा विभिन्न क्षमताओं

के सभागारों का एक समूह) जिसमें स्थानीय आवश्यकताओं के अनुसार बैठने की उपयुक्त क्षमता हो, का प्रयोग व्याख्यानों, फिल्म प्रदर्शनों आदि के लिए केन्द्र के रूप में भी किया जा सकता है।

(ख) सेमिनारों, सम्मेलनों कार्यशालाओं आदि के लिए विभिन्न क्षमताओं वाले कक्ष।

(ग) अभिनेताओं/अभिनेत्रियों के लिए नेपथ्यशाला(ओं) श्रृंगार कक्ष/कक्षों/ रूप सज्जा कक्ष/कक्षों और एक भण्डारण क्षेत्र

(घ) रंगमंच/संगीत/नृत्य के लिए पूर्वाभ्यास हाल

(ड) रंगमंच/संगीत/नृत्य के लिए प्रशिक्षण केन्द्र/ विद्यालय

(च) आगन्तुक कलाकारों के लिए शयनागार।

(छ) कला और छायाचित्रण के लिए प्रदर्शनी क्षेत्र।

(ज) पुस्तकालय/अध्ययन कक्ष ।

(झ) कार्यालय, कैफेटेरिया/भोजन-प्रबंध, शौचालय, स्वागत कक्ष/प्रतीक्षालय, पार्किंग आदि के लिए सामान्य सुविधाएं ।

2. मौजूदा सभागारों/सांस्कृतिक परिसरों का उन्नयन। मौजूदा

(क) रवीन्द्र भवनों सदनों रंगशालाओं,

(ख) बहु उद्देश्यीय सांस्कृतिक परिसरों तथा

(ग) अन्य प्रेक्षागृह/ सांस्कृतिक परिसरों के उन्नयन की परियोजना स्कीम में शामिल होगी और निम्नलिखित संघटकों के कोई अन्य अथवा उपयुक्त संयोजन शामिल हो सकते हैं:

(i) मौजूदा वास्तविक सुविधाओं का पुनरूद्धार, नवीकरण, विस्तार, परिवर्तन, उन्नयन और आधुनिकीकरण;

(ii) अन्तरस्थलीय पुनर्निर्माण/पुनर्णारूपण; और/अथवा

(iii) विद्युतीय, वातानुकूलन, ध्वनिक, प्रकाश एवं ध्वनि प्रणाली और अन्य मदों के उपकरण जैसे दृश्य/श्रव्य उपकरण, फर्नीचर (उपस्कार) तथा मंच सामग्री जैसी सुविधाओं का प्रावधान/उन्नयन।

3. स्वीकृत/जारी एमपीसीसी परियोजनाओं का समापन पहले की एम पी सी सी स्कीम के तहत स्वीकृत परियोजनाएं पुनःनहीं खोली जायेंगी न ही इस स्कीम के प्रावधानों के तहत स्वीकृत राशि को बढ़ाया जायेगा। तथापि, विशेषज्ञ समिति द्वारा स्वीकृत परियोजनाओं के मामले में, स्कीम स्थगित होने से पूर्व अथवा जारी परियोजनाएं जिनमें भुगतान के लिए कोई किस्तें शेष हैं, उनको उपर्युक्त एमपीसीसी स्कीम के प्रावधानों और सीमा के अनुसार इस स्कीम के तहत केन्द्रीय सहायता का भुगतान जारी रहेगा।

(ii) विद्युताय, पा

ड. वित्तीय सहायता की प्रकृति और मात्रा

1. भारत सरकार द्वारा वित्तीय सहायता की मात्रा परियोजना लागत के 60 प्रतिशत तक सीमित होगी।

2. प्राप्तकर्ता राज्य सरकार अथवा सम्बंधित संगठन से उसकी हिस्सेदारी के रूप में परियोजना लागत का 40 प्रतिशत योगदान अपेक्षित होगा। ऐसी हिस्सेदारी में जमीन की लागत/ कीमत शामिल नहीं होगी। सम्पर्क मार्ग के साथ विकसित भूमि सम्बंधित राज्य सरकार द्वारा मुफ्त उपलब्ध कराई जायेगी अन्यथा संगठन के पास अपने स्वामित्व की भूमि हो ।

3. किसी भी परियोजना के लिए स्कीम के तहत वित्तीय सहायता सामान्य रूप से अधिकतम 15 करोड़ रूपये तक होगी। विशेष योग्यता और प्रासंगिकता के बहुत दुर्लभ मामले में, वित्तीय सहायता 50 करोड़ रू0 तक बढ़ाई जा सकती है किन्तु तब 15 करोड़ रू0 से अधिक वित्तीय सहायता का ऐसा प्रत्येक व्यक्तिगत मामला नई योजना स्कीमों के लिए निर्धारित सामान्य मूल्यांकन/अनुमोदन तंत्र के अधीन होगा।

4. सभी आवर्ती व्यय राज्य सरकार अथवा संबंधित संगठन द्वारा वहन किये जायेंगे।

5. परियोजना लागत का 0.5 प्रतिशत विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) की तैयारी के लिए जारी किया जा सकता है।

च. आवेदन की प्रक्रिया

1. संस्कृति मंत्रालय के अधीन राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एनएसडी) अपनी और मंत्रालय की वेबसाइटों के माध्यम से वार्षिक रूप से स्कीम अभिसूचित करेगा और सभी राज्य सरकारों एवं संघ शासित प्रदेशों को सीधे सूचना प्रेषित करेगा।

2. स्कीम के पैरा 8 में उल्लिखित आवश्यक दस्तावेज सहित निर्धारित प्रपत्र में आवेदन निदेशक, राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय, बहावलपुर हाउस, प्लॉट नं.1, भगवानदास रोड, नई दिल्ली-110001 को प्रस्तुत करें। (राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय द्वारा आवेदक संगठन को आवेदन फार्म में कोई कमी पाए जाने पर, तत्संबंधी सूचना सीधे एनएसडी को ही उपलब्ध करवाई जाए)

3. नीचे अनुच्छेद 8 में बताये गये सभी दस्तावेज एवं जैसा लागू हो, आवेदन के साथ लगे हों। इन वांछित दस्तावेजों में से किसी एक के भी न होने पर आवेदन पर विचार नहीं किया जायेगा।

छ. आवेदन के साथ संलग्न किये जाने वाले दस्तावेज

आवेदन के साथ निम्नलिखित दस्तावेज लगे होने चाहिएं :

1. प्रस्तावित परियोजना की व्यवहार्यता रिपोर्ट के साथ परियोजना प्रस्ताव जिसमें निम्नलिखित शामिल हैं:

(क) भवन/विकास योजनाएं (वर्तमान/प्रस्तावित); लागत अनुमानों का सार (भवन, उपकरण, सुविधाएं आदि);

(ख) समभाग हेतु वित्त/ निधि के स्रोत ;

(ग) परियोजना की पूर्णता के लिए समय सीमा ;

(घ) परियोजना के माध्यम से सृजित सुविधा के संचालन और रख-रखाव का प्रबंधन संगठन कैसे करेगा यह प्रदर्शित करने के लिए पूर्णता पश्चात योजना ; और

(ड) अपने प्रस्ताव के एक समन्वित भाग के रूप में कर्मचारियों के लिए प्रशिक्षण और अतिरिक्त पाठ्यक्रम संगठन द्वारा शामिल किया जाना चाहिए।

2. सहायक दस्तावेज

2.1 सरकारी विभागों/निकायों/एजेंसियों द्वारा आवेदन के लिए

(i) विद्यमान प्रेक्षागृह अथवा बहुउद्देशीय सांस्कृतिक केन्द्र के उन्नयन के लिए यदि प्रस्ताव है तो पहले से उपलब्ध सुविधाओं तथा आधारभूत संरचना के ब्यौरे और नई परियोजना के मामले में भूमि आवंटन के सहायक साक्ष्य और अभिन्यास योजना ; तथा

(ii) समभाग उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्धता पत्र।

2.2 प्रतिष्ठित गैर-लाभकारी संगठनों द्वारा आवेदन के लिए :

(i) सोसाइटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 अथवा अन्य सम्बद्ध अधिनियमों के तहत पंजीकरण के प्रमाण-पत्र की प्रति।

(ii) नियम-विनियम, यदि कोई हो, सहित संगठन के संघ (या न्यास विलेख) के ज्ञापन की प्रति।

(iii) प्रत्येक सदस्य के नाम और पते के साथ प्रबंधन बोर्ड के वर्तमान सदस्यों/ पदधारियों/न्यासियों की सूची।

(iv) पिछले तीन वित्तीय वर्षों के (सनदी लेखाकार/सरकारी लेखा परीक्षक द्वारा प्रमाणित/संपरीक्षित) वार्षिक लेखाओं की प्रति ;

(v) संगठन की रूपरेखा जिसमें कार्यालय का विवरण, इसकी सामर्थ्य, उपलब्धियों और पिछले तीन वर्षों से अधिक का इसके कार्य-कलापों का वर्ष-बार ब्यौरा;

(vi) आयकर अधिनियम की धारा XII ए, 80जी के तहत पैन कार्ड और पंजीकरण, यदि कोई हो;

(vii) आवेदक संगठन के नाम भूमि/भवन का स्वामित्व दर्शाने वाला स्वामित्व विलेख (रजिस्ट्रीकृत अभिहस्तांतरण विलेख, उपहार विलेख, पट्टा विलेख आदि) की प्रति जिसमें यह पुष्टि की गयी हो कि सम्पत्ति का उपयोग वाणिज्यिक/सांस्थानिक उद्देश्य के लिए किया जा सकता है।

(viii) इस दावे के समर्थन में दस्तावेजी साक्ष्य कि संगठन ने अपना समभाग जुटा लिया/प्रबंध कर लिया है अर्थात बैंक | विवरण, परियोजना पर पहले हुए व्यय का प्रमाण पत्र (सनदी लेखाकार द्वारा प्रमाणित वर्ष-वार विवरण सहित),ऋण स्वीकृति पत्र, अथवा परियोजना के लिए स्वीकृत की जाने वाली निधि सम्बंधी राज्य सरकार/संघ शासित सरकार, स्थानीय निकाय आदि का पत्र;

(ix) संगठन की ओर से अनुदान के लिए आवेदन, बंध-पत्र आदि पर हस्ताक्षर करने के लिए किसी व्यक्ति को प्राधिकृत करने वाले संगठन के प्रबंधन बोर्ड/ कार्यकारी बोर्ड/प्रशासकीय निकाय का संकल्प पत्र (निर्धारित प्रारूप में);

(x) मांगी गयी सहायता की राशि के लिए बंध पत्र (निर्धारित नामकरण के स्टाम्प पेपर पर निर्धारित प्रारूप में) ; और

(xi) संगठन के बैंक खाते का ईसीएस ब्यौरा दर्शाने वाला बैंक का प्राधिकरण पत्र (निर्धारित प्रारूप में) ।

ज. मूल्यांकन प्रकिया

1. संस्कृति मंत्रालय द्वारा प्राप्त सभी आवेदनों की दस्तावेजी आवश्यकतानुसार पूर्णता के लिए मंत्रालय द्वारा छानबीन की जायेगी। अपूर्ण आवेदन की जब तक कमियां (जैसे—उपर्युक्त अनुच्छेद 8 के तहत बताये गये अपेक्षित दस्तावेज के बिना) दूर नहीं की जाती, आगे कार्रवाई नहीं की जायेगी।

2. सभी तरह से पूर्ण आवेदनों/परियोजना प्रस्तावों का संस्कृति मंत्रालय (निम्न 9, 4 अनुच्छेद के तहत) द्वारा नियुक्त राष्ट्रीय मूल्यांकन समिति द्वारा निम्नलिखित के लिए जॉच की जायेगी :

क) योग्यता निर्धारण;

ख) प्रस्ताव की योग्यता का मूल्यांकन ; और

ग) परियोजना के लिए केन्द्रीय सहायता की राशि की सिफारिश करना।

3. राष्ट्रीय मूल्यांकन समिति समय-समय पर बैठक करेगी और निम्नलिखित विशिष्ट संदर्भो सहित अपनी कसौटी पर परियोजना प्रस्ताव का मूल्यांकन करेगी :

क) क्या आवेदक संगठन क्षेत्र में पूर्णतया स्थापित है और इसकी अपनी एक निजी पहचान है;

ख) क्या प्रस्ताव पूर्णतया सुविचारित है;

ग) क्या लागत अनुमान समुचित है; और

घ) क्या संगठन के पास परियोजना को पूरा करने और पूर्णता के पश्चात, आवर्ती संचालन लागत को वहन करने के लिए अपने सम भाग की क्षमता है या प्रबंध कर चुका है। स्कीम के तहत नई परियोजना की स्वीकृति देते समय राष्ट्रीय मूल्यांकन समिति भी विद्यमान परिसरों के सदुपयोग और उत्पादन का मूल्यांकन, नये परिसर के लिए वास्तविक जरूरतें तथा राज्य की जनसंख्या और आकार पर विचार करेगी।

4. संस्कृति मंत्रालय संयुक्त सचिव (संस्कृति) की अध्यक्षता में राष्ट्रीय मूल्यांकन समिति (एन.ए.पी.) गठित करेगा। और इनमें संस्कृति मंत्रालय के अधिकारी, शहरी विकास (के.लो.नि.वि./हडको/रा.भ.नि. नि.स्कूल ऑफ प्लानिंग एण्ड आर्किटेक्चर) के प्रतिनिधि, कला और संस्कृति के विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिनिधि कलाकार तथा बिजली/ध्वनि/मंच शिल्प के कम से कम एक तकनीकी विशेषज्ञ, जैसा उचित हो, को शामिल किया जायेगा।

5. केन्द्रीय सहायता प्राप्त करने वाले परियोजना प्रस्तावों की जांच एनएसी द्वारा की जाएगी तथा आंतरिक वित्त से परामर्श करके निधियां जारी की जाएंगी। परियोजना प्रस्तावों की जांच में, एनआईसी का सहयोग उसकी उप–समिति द्वारा किया जाएगा।

6. केन्द्रीय सहायता पाने वाले परियोजना प्रस्तावों की जॉच राष्ट्रीय मूल्यांकन समिति द्वारा प्रथमतया सैद्धांतिक अनुमोदन और डीपीआर जमा करने पर तथा उसके आखिरी अनुमोदन हेतु डीपीआर प्रस्तुत करते समय किया जाएगा। समिति द्वारा अनुशंसित राशि आन्तरिक वित्त के परामर्श से मंत्रालय द्वारा जारी कर दी जायेगी।

7. 15 करोड़ रूपये से अधिक की केन्द्रीय सहायता पाने वाली परियोजना का संस्कृति मंत्रालय की पूर्व अनुमति से, इसके सैद्धांतिक अनुमोदन के लिए राष्ट्रीय मूल्यांकन समिति द्वारा जॉच की जायेगी। डीपीआर जमा कराने पर इसका मूल्यांकन व्यावहारिक एस एफ सी/ ई एफ सी तंत्र के जरिये किया जायेगा और सक्षम प्राधिकारी अर्थात संस्कृति मंत्री के अनुमोदन पर आंतरिक वित्त के परामर्श से निधि जारी कर दी जायेगी। (ऐसी परियोजना के लिए विशेष अतिरिक्त निधि मंत्रालय को उपलब्ध कराने की आवश्यकता होगी)

8. राष्ट्रीय मूल्यांकन समिति द्वारा परियोजना प्रस्ताव को सैद्धांतिक रूप से अनुमोदन के पश्चात योजना आयोग के प्रारूप/दिशानिर्देशों के अनुसार जहां भी तैयार करना अपेक्षित होगा, राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय आवेदक संगठन को निर्णय की सूचना देगा। इस उद्देश्य के लिए अस्थाई तौर से अनुमोदित परियोजना लागत का 0.5 : तक राशि संगठन के अनुरोध पर जारी की जा सकती है। डीपीआर जमा करने के अलावा आवेदक संगठन से प्रस्तुतीकरण भी मांगा जा सकता है।

9. तदनुसार सैद्धांतिक अनुमोदन अथवा अंतिम अनुमोदन से पूर्व राष्ट्रीय मूल्यांकन समिति संस्कृति मंत्रालय या उसके संगठनों के अधिकारियो सहित विशेषज्ञों की उप–समिति तदर्थ समिति और अधिकारियों द्वारा अथवा इस उद्देश्य के लिए नियुक्त एक बाह्य स्रोत एजेंसी द्वारा मूल्यांकन/कार्यस्थल निरीक्षण/सत्यापन आदि कराने के लिए स्वतंत्र होगी।

झ. वित्तीय सहायता की स्वीकृति

डीपीआर के अनुमोदन पर मंत्रालय, परियोजना की अनुमोदित कुल लागत, स्वीकृत सहायता की मात्रा, संगठन के समभाग की मात्रा और सहायता की स्वीकृति राशि को जारी करने के लिए अन्य नियम व शर्ते दर्शाते हुए संगठन को निर्णय की सूचना देगा।

त्र. वित्तीय सहायता जारी करना

वित्तीय सहायता, सहायता की स्वीकृत राशि के 50 प्रतिशत की दो बराबर किस्तों में जारी की जायेगी।

1. स्वीकृत राशि की पहली किस्त डीपीआर तैयार करने के लिए जारी राशि, यदि कोई हो, को समायोजित करने के पश्चात संस्कृति मंत्रालय द्वारा डीपीआर के अनुमोदन के बाद जारी की जायेगी। किस्त जारी करने से पूर्व यह सुनिशचित किया जायेगा कि भवन योजना संबंधित नागरिक प्राधिकरण द्वारा अनुमोदित कर दी गयी है।

2. स्वीकृत राशि की दूसरी किस्त निम्नलिखित दस्तावेजों को जमा कराने के पश्चात जारी की जायेगीः (क) स्थान के फोटोग्राफ के साथ पहले किये गये/पूर्ण किये गये कार्य का ब्यौरा देते हुए परियोजना की वास्तविक और वित्तीय प्रगति रिपोर्ट।

(ख) सनदी लेखाकार से जारी उपयोग प्रमाण-पत्र जिसमें यह प्रमाणित किया गया हो कि सहायता की पहली किस्त परियोजना के लिए पूर्णतया इस्तेमाल की गयी है।

(ग) आवेदक संगठन के इस वचनबंध के साथ कि यह परियोजना प्रथम किस्त जारी होने की तारीख से 3 वर्ष की अवधि के भीतर पूरी हो जाएगी।

(घ) सनदी लेखाकार द्वारा हस्ताक्षरित परियोजना के लेखे का संपरीक्षा विवरण जिसमें यह दर्शाया गया हो कि पहली किस्त और आनुपातिक सम भाग भी परियोजना के लिए इस्तेमाल किया गया है।

(ड.) राज्य लो.नि.वि./ के.लो.नि.वि. अथवा पंजीकृत वास्तुकार द्वारा जारी प्रमाण-पत्र जिसमें दर्शाया गया हो कि :

  • परियोजना अनुमोदित योजना के अनुसार प्रगति पर है;
  • स्थानीय कानूनों और निर्माण/विकास की अनुमोदित योजना का उल्लंघन नहीं किया गया है;
  • किया गया कार्य सन्तोषजनक गुणवत्ता का है; और
  • किये गये कार्य की लागत का मूल्यांकन और परियोजना को पूरा करने के लिए अपेक्षित अगली राशि।
  • यदि निधि की अंतिम अपेक्षित राशि मिलने के पश्चात अनुमोदित परियोजना लागत से कम पड़ती है अथवा संगठन द्वारा खर्च किया गया सम भाग अनुमोदित परियोजना लागत के 40 प्रतिशत से कम है तो अनुदान की दूसरी किस्त की राशि तद्नुसार कम कर दी जायेगी।
  • दूसरी किस्त जारी करने से पूर्व मंत्रालय अपने प्रतिनिधि(ओं) अथवा विशेषज्ञ दल से परियोजना का निरीक्षण करायेगा।

प. समापन

मामले की समाप्ति के लिए अनुदान प्राप्तकर्ता संगठन को अंतिम किस्त जारी होने के 12 माह के भीतर निम्नलिखित दस्तावेज जमा कराने होंगेः

क) राज्य लो.नि.वि./के.लो.नि.वि. अथवा पंजीकृत वास्तुकार द्वारा जारी परियोजना पूर्णता रिपोर्ट।

ख) सनदी लेखाकार/सरकारी लेखापरीक्षक द्वारा प्रमाणित अन्तिम लेखा विवरण।

ग) दूसरी किस्त की राशि का सनदी लेखाकार द्वारा जारी उपयोग प्रमाण-पत्र ।

घ) संगठन ने अपने समभाग की सदृश राशि खर्च कर दी है इस आशय का सनदी लेखाकार द्वारा जारी प्रमाण-पत्र ।

ड.) उपयुक्त नागरिक प्राधिकरण द्वारा जारी पूर्णता प्रमाण-पत्र अथवा संगठन द्वारा जारी परियोजना की पूर्णता की नागरिक प्राधिकरण को सूचना देने वाले पत्र की प्रति (नये निर्माण के मामले में) ।

फ. अनुदान की शर्ते

1. सांस्कृतिक परिसरों का संचालन और रख-रखाव सम्बंधित राज्य सरकार विभाग, निकाय, एजेंसी, स्वायत्तशासी संगठन अथवा गैर-लाभकारी संगठन द्वारा किया जायेगा। परियोजना के लिए उपलब्ध कराई गयी भूमि पंजीकृत सोसाइटी अथवा राज्य सरकार के संबंधित विभाग के नाम हस्तांरित होगी। केन्द्र सरकार सोसाइटी/संगठन के विभिन्न निकायों (सामान्य परिषद, वित्तीय समिति, कार्यकारी बोर्ड आदि) से परिसर संचालन के लिए अपने प्रतिनिधि नामांकित कर सकती है।

2. केन्द्र सरकार द्वारा जारी अनुदान के सम्बंध में सोसाइटी/संगठन द्वारा पृथक खाते रखने होंगे।

3. संस्थान के खातों को भारत के नियंत्रक व महालेखा परीक्षक अथवा उसके विवेक पर उसके नामित व्यक्ति द्वारा किसी भी समय लेखा परीक्षा हेतु खुला रखना होगा।

4. राज्य सरकार अथवा संगठन को अनुमोदित परियोजना पर आये व्यय का समायोजन करते हुए और केन्द्र तथा राज्य सरकार द्वारा जारी अनुदानों के उपयोग दर्शाते हुए सनदी लेखाकार/सरकारी लेखापरीक्षक द्वारा अपने संपरीक्षित लेखा विवरण भारत सरकार को सौंपने होंगे।

5. परियोजना की कार्य पद्धति को संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा निश्चित किये गये किसी ढंग से जैसे और जब भी आवश्यक समझा जायेगा, समीक्षा हेतु खुला रखना होगा।

6. आवेदक राज्य सरकार संघ राज्य क्षेत्र/संगठन अपने कार्यों में समुचित मितव्ययिता बरतेगी।

7. आवेदक संगठन, इस परियोजना को प्रथम किस्त जारी होने के तीन वर्ष की अवधि के भीतर पूरा करने के लिए बाध्य होगा।

8. केन्द्रीय सहायता से अधिगृहीत भवन और सम्पदा पर पहला ग्रहणाधिकार भारत के राष्ट्रपति का होगा और भारत सरकार की पूर्व अनुमति के बिना न भवन, न ही उपकरण दूसरी पार्टियों को पट्टे अथवा बंधक पर दिया जायेगा। तथापि, अन्य पार्टियों को अस्थायी इस्तेमाल के लिए प्रेक्षागृह के पट्टे और अन्य परियोजना सुविधाओं पर यह नियम लागू नहीं होगा।

9. अनुदान प्राप्तकर्ता संगठन द्वारा यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि परिसरों का इस्तेमाल पूरे वर्ष इष्टतम रूप से किया जाता रहे।

10. प्राप्तकर्ता संगठन को स्वयं प्रारम्भ में एक वचनबद्धता पत्र देना होगा कि परिसर के दिन-प्रतिदिन के कार्य-कलापों/संचालन के लिए आवश्यक निधि उपलब्ध करायेगा।

11. केन्द्र सरकार की वित्तीय जिम्मेदारी अनुमोदित परियोजना लागत के भाग की सीमा तक आधारभूत संरचना सुविधाएं उपलब्ध कराने तक सीमित होगी और परिसर के संचालन या लागत वृद्धि होने के कारण अतिरिक्त व्यय को पूरा करने आदि के लिए नहीं होगी।

12. अनुदान प्राप्तकर्ता को भारत के राष्ट्रपति के पक्ष में अनुदान की शर्तों का पालन करने के लिए एक बंध-पत्र (बॉड) निर्धारित प्रारूप में भरना होगा। अनुदान शर्तों का पालन न करने की स्थिति में बन्ध-पत्र का उल्लंघन करने पर भारत सरकार की प्रचलित उधार दर और इस पर ब्याज सहित अनुदान की वसूली का भारत सरकार निर्णय ले सकती है तथा विलम्ब के मामले में भारत सरकार द्वारा निर्धारित ब्याज की दण्डात्मक दर से वसूली कर सकती है।

13. स्कीम के तहत सभी लाभार्थी संगठनों को अनुदान की स्वीकृति के छ: माह के भीतर अपनी प्रगति रिपोर्ट भेजना अपेक्षित है तथा उसके पश्चात योजना के पूरा होने तक हर तीन महीने पर अर्थात त्रैमासिक आधार पर रिपोर्ट भेजनी होगी।

14. अनुदानग्राही संगठन परिसर में महत्वपूर्ण स्थान पर मंत्रालय के नाम को उपयुक्त ढंग से दर्शाते हुए संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार की वित्तीय सहायता को ज्ञापित करेगा।

15. जारी अनुदान का प्रयोग प्रशासकीय भवन, आवासीय क्वार्टर, निदेशक के बगले अथवा किसी बाह्य विकास जैसे सम्पर्क मार्ग आदि के लिए नहीं किया जायेगा।

16. भारत सरकार द्वारा समय-समय पर ऐसी अन्य शर्ते लगायी जा सकती हैं।

कलाकार पेंशन स्कीम और कल्याण निधि

क. स्कीम

इस स्कीम को कलाकार पेंशन स्कीम और कल्याण निधि के रूप में जाना जाएगा। इस स्कीम के तहत निम्नलिखित दो प्रकार के अनुरोधों पर विचार किया जाएगा:

(i) वर्ष 1961 की स्कीम के अधीन विद्यमान लाभार्थी ; और

(ii) लेखकों, कलाकारों आदि के नये मामले, जो उक्त स्कीम के अधीन अनुदान के लिए पात्र हैं।

ख. पात्रता

(i) उक्त स्कीम के अधीन सहायता हेतु पात्र होने के लिए, किसी व्यक्ति का कला और साहित्य आदि में महत्त्वपूर्ण योगदान होना चाहिए। परंपरागत विद्वान, जिन्होंने अपने-अपने क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान किया है, भी पात्र होंगे, चाहे उनकी कोई कृति प्रकाषित न भी हुई हो।

(ii) आवेदक की निजी आय (पति/पत्नी की आय सहित) 4000/- रुपए प्रतिमाह से अधिक नहीं होनी चाहिए।

(iii) आवेदक की आयु 58 वर्ष से कम नहीं होनी चाहिए (आश्रितों के मामले में यह लागू नहीं है)। आवेदन-पत्र निर्धारित फार्म में भरा जाए तथा इसे संबंधित राज्य सरकार/संघ राज्यक्षेत्र प्रषासन के माध्यम से अनुभाग अधिकारी (एस एंड एफ अनुभाग), संस्कृति मंत्रालय, पुरातत्व भवन, आईएनए, नई दिल्ली को भेजा जाए। केन्द्रीय कोटा से सहायता प्रदान करने के लिए केन्द्र सरकार द्वारा सीधे भी अनुरोध पर विचार किया जा सकता है।

समय-समय पर आवष्यक समझे जाने पर आवेदन-पत्र में संषोधन कर सकता है।

ग. सहायता का स्वरूप

सरकार से सहायता मासिक भत्ते के रूप में हो सकती है। केन्द्र और राज्य कोटे के अधीन अनुषंसित कलाकारों को दिया गया ऐसा भत्ता केन्द्र और संबंधित राज्य सरकार/संघ राज्यक्षेत्र प्रषासन द्वारा साझा किया जाएगा, जिसमें से सम्बधित राज्य सरकार/संघ राज्यक्षेत्र प्रषासन प्रत्येक लाभार्थी को कम से कम 500 रु0 प्रतिमाह भत्ता देगा। ऐसे मामलों में प्रति लाभार्थी को केन्द्र द्वारा दिया जाने वाला मासिक भत्ता 3500/- रुपए प्रतिमाह से अधिक नहीं होगा और केन्द्रीय कोटा के अधीन संस्तुत मामलों में सहायता की राशि प्रति लाभार्थी 4000/- रुपए प्रतिमाह से अधिक नहीं होगी।

घ. आवेदकों का चयन

(i) राज्य सरकार/संघ राज्यक्षेत्र प्रषासन की अनुषंसाओं के आलोक में, आवेदक के वित्तीय साधनों और प्रसिद्धि, केन्द्र-राज्य कोटे के तहत दी जाने वाली सहायता की मात्रा और सहायता प्राप्त करने वालों की संख्या, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा नामित ‘विशेषज्ञ समिति द्वारा, निधियों की उपलब्धता पर, तय की जाएगी।

(ii) केन्द्रीय कोटा से दी जाने वाली सहायता की राशि और सहायता प्राप्तकर्ताओं की संख्या का निर्णय आवेदक की वित्तीय स्थिति का पता लगाने के बाद विशेषज्ञ समिति की अनुशंसाओं पर केन्द्र सरकार द्वारा किया जाएगा। ऐसे मामलों को अनुमोदन के लिए संस्कृति मंत्रालय के प्रभारी मंत्री के समक्ष अवष्य रखा जाएगा।

ड. वितरण

(i) केन्द्र राज्य/संघ राज्यक्षेत्र कोटा : अंतिम रूप से चयन हो जाने पर, केन्द्र सरकार संस्वीकृतियॉ जारी करती है और सहायता प्राप्तकर्ताओं को सहायता की अपनी शेयर राशि जारी करती है तथा संबंधित राज्य सरकारों/संघ राज्य क्षेत्र प्रषासनों को सहायता का अपना शेयर जारी करने की भी सलाह देती है।

(ii) केन्द्रीय कोटा : केन्द्रीय कोटे के मामलों में, केन्द्र सरकार संस्वीकृति जारी करेगी और सहायता प्राप्तकर्ताओं को सीधे ही भुगतान करेगी।

च. नवीकरण

उपरोक्त उपबंधों के अध्यधीन, स्कीम के अधीन स्वीकृत आवर्ती मासिक भत्ता ऐसी अवधि के लिए होगा जिसे केन्द्र सरकार द्वारा तय किया जाए और/अथवा जो जीवन और आय प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करने पर वर्ष-दर-वर्ष आधार पर जारी रखा जाए।

छ. भत्ता रोकना

(i) यदि भत्ता प्राप्तकर्ता की वित्तीय क्षमता 4000/- रुपए प्रतिमाह से अधिक हो जाती है तो उक्त स्कीम के अधीन भत्ते को बंद कर दिया जाएगा।

(ii) सरकार, अपने विवेक से, भत्ता प्राप्तकर्ता को तीन महीने का नोटिस देकर, भत्ते को समाप्त भी कर सकती है।

(iii) कोई भत्ता प्राप्तकर्ता, सरकार को लिखित नोटिस देकर भत्ते प्राप्त करने के अपने अधिकार को छोड़ भी सकता है। ऐसे मामलों में अधिकार छोड़ने के पत्र की तिथि से भत्ता बंद कर दिया जाएगा।

ज. मृत्यु होने की स्थिति में

भत्ता प्राप्तकर्ता की मृत्यु होने पर, आश्रितों की वित्तीय स्थिति की जांच पड़ताल करने के बाद, केन्द्र सरकार के विवेक से उपरोक्त वित्तीय सहायता जारी रखी जा सकती है।

नोट :

वित्तीय सहायता प्राप्तकर्ता की मृत्यु के मामले में भुगतान का तरीका निम्नानुसार होगा।

1. पति/पत्नी के लिए-जीवन पर्यन्त

2. आश्रितों के लिए - विवाह अथवा रोजगार मिलने अथवा 21 वर्षों की आयु होने तक।

राष्ट्रीय कलाकार कल्याण निधि

झ. परिचय :

संस्कृति मंत्रालय 1961 से साहित्य, कला और जीवन के ऐसे ही अन्य क्षेत्रों में दीन-हीन परिस्थितियों में रह रहे विशिष्ट व्यक्तियों एवं उनके आश्रितों को वित्तीय सहायता नामक स्कीम चला रहा है। एक राष्ट्रीय कलाकार कल्याण निधि का प्रावधान करने के लिए इस स्कीम के दायरे को बढ़ाया जा रहा है जो अस्पताल में भर्ती होने तथा तत्काल कदम उठाए जाने वाली अन्य आकस्मिकताओं के मामलों में इस स्कीम के अंतर्गत शामिल कलाकारों और कलाकारों के आश्रितों को विशेष वित्तीय सहायता प्रदान करने की अनुमति देगा।

त्र. उद्देश्य :

इस निधि का उद्देश्य इस स्कीम के अतंर्गत वित्तीय सहायता पाने वाले कलाकारों तथा कलाकार की मृत्यु के पश्चात उसके आश्रितों को निम्नानुसार वित्तीय सहायता प्रदान करना होगा :

(क) जब एक कलाकार की मृत्यु हो जाए और उसके आश्रितों की सहायता करना आवश्यक हो।

(ख) जब इस स्कीम के अंतर्गत शामिल कलाकार को चिकित्सा उपचार / बीमारी के लिए एकमुश्त वित्तीय सहायता की आवश्यकता हो और वह अपनी आजीविका चलाने तथा अपने बच्चों की सहायता करने की स्थिति में न हो और / अथवा अपने इलाज के खर्चे को पूरा करने में असमर्थ हो।

(ग) जब किसी कलाकार को आकस्मिक शारीरिक विकलांगता के समय वित्तीय सहायता की आवश्यकता हो।

ट. निधि से सहायता प्राप्त करने के लिए पात्रता :

1. इस स्कीम के अंतर्गत वित्तीय सहायता प्राप्त करने वाले कलाकार तथा कलाकार की मृत्यु के पश्चात कलाकार पर आश्रित व्यक्ति।

2. कलाकार की मृत्यु होने पर, परिवार के आश्रित सदस्यों को वित्तीय सहायता का तरीका निम्नानुसार होगा:

2.1 पति अथवा पत्नी-कलाकार की मृत्यु के पश्चात, आवश्यकता की स्थिति में सर्वप्रथम वित्तीय सहायता कलाकार के पति अथवा पत्नी को प्रदान की जाएगी।

2.2 आश्रितों के लिए विवाह होने अथवा रोजगार प्राप्त करने अथवा 21 वर्ष की आयु होने तक, जो भी पहले हो।

ठ. वित्तीय सहायता की सीमा :

प्रदान की गई वित्तीय सहायता गैर-आवर्ती प्रवृति की होगी तथा किसी भी अवसर पर वित्तीय सहायता की राशि निम्नलिखित सीमा तक प्रतिबंधित होगी :

(1.) उपरोक्त ञ (क) में उल्लेखानुसार कलाकार की मृत्यु की स्थिति में -2 लाख रूपये

(2.) उपरोक्त ञ (ख) में उल्लेखानुसार चिकित्सा उपचार हेतु -1 लाख रूपये

(3.) उपरोक्त ञ (ग) में उल्लेखानुसार आकस्मिक शारीरिक विकलांगता में कलाकार को वित्तीय सहायता की आवश्यकता होने पर -50,000/- रूपये

ड. निधि का प्रशासन :

निधि का समग्र प्रशासन संस्कृति मंत्रालय में निहित होगा। यह सहायता विशेषज्ञ समिति की सिफारिश के आधार पर मंत्रालय अथवा संबंधित क्षेत्रीय सांस्कृतिक केन्द्र (जेडसीसी) द्वारा प्रदान की जाएगी। |

ढ़. अन्य महत्वपूर्ण सूचनाएं :

इस स्कीम के अंतर्गत शामिल कलाकारों/लाभार्थियों द्वारा विहित प्रपत्र में जीवन/आयु प्रमाण-पत्र को मूल रूप में राजपत्रित अधिकारी/काउंसलर /एम.पी./एमएलए से विधिवत सत्यापित कराकर वार्षिक रूप से (प्रत्येक वर्ष) अप्रैल के महीने में भारतीय जीवन बीमा निगम को निम्नलिखित पते पर भेजना आवश्यक है। प्रबंधक (पीएण्डजीएस) भारतीय जीवन बीमा निगम । पीएण्डजीएस विभाग, मंडल कार्यालय -1 एन्यूटी सैल, छठा एवं सातवां तल, जीवन प्रकाश, 25, कस्तूरबा गांधी (केजी) मार्ग

नई दिल्ली-110001

जिस बैंक में लाभार्थी का बैंक खाता हो, उस बैंक के प्रबंधक द्वारा विहित पत्र में विधिवत सत्यापित बैंक प्राधिकार, पत्र, 'स्कीम' के अंतर्गत शामिल लाभार्थियों द्वारा उपरोक्त पते पर भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) को प्रस्तुत करना होगा, यदि इसे एलआईसी को प्रस्तुत नहीं किया गया हो।

गैर लाभार्थी संगठनों द्वारा सांस्कृतिक विषयों पर सेमिनारों, उत्सवों तथा प्रदर्शनियों के लिए वित्तीय सहायता की स्कीम

संक्षिप्त नाम : सांस्कृतिक कार्य अनुदान स्कीम (सीएफजीएस)

क. शीर्षक

इस स्कीम को गैर - लाभार्थी संगठनों द्वारा सांस्कृतिक विषयों पर सेमिनारों, उत्सवों तथा प्रदर्शनियों के लिए वित्तीय सहायता की स्कीम कहा जाएगा।

ख. कार्य क्षेत्र

इस स्कीम में सोसाइटियों, न्यासों तथा विश्वविद्यालयों सहित, जो भारतीय संस्कृति के विभिन्न पहलुओं पर सेमिनार, अनुसंधान, कार्यशालाएं, उत्सव तथा प्रदर्शनियां आयोजित करते हैं, सभी गैर लाभार्थी संगठनों को सहायता देना शामिल है। ये संगठन सोसाइटी पंजीकरण अधिनियम (1860 का xxi), न्यास अधिनियम, कंपनी अधिनियम या केन्द्र या राज्य सरकार के अन्य किसी अधिनियम के तहत पंजीकृत होने चाहिए और कम से कम तीन वर्ष से कार्यरत होने चाहिए।

तथापि, यह स्कीम ऐसे संगठनों या संस्थाओं के लिए नहीं होगी जो धार्मिक संस्थाओं या स्कूलों/कॉलेजों के रूप में कार्य कर रहे हों।

अनुदान, सांस्कृतिक विरासत, कलाओं, साहित्य और अन्य सृजनात्मक कार्यों के परिरक्षण या संवर्धन के लिए महत्वपूर्ण विषयों पर सम्मेलनों, सेमिनारों, संगोष्ठियों, उत्सवों तथा प्रदर्शनियों जैसे सभी प्रकार के परस्पर मेलजोल के मंचों के लिए दिया जाएगा।

ग. पात्रता

1) अनुदान का पात्र होने के लिए आवेदक संगठन का समुचित रूप से गठित ऐसा प्रंबधन निकाय या शासी परिषद होनी चाहिए जिसकी शक्तियां, कार्य व जिम्मेदारियां लिखित संविधान में स्पष्ट रूप से परिभाषित व निर्धारित हों।

2) संगठन द्वारा परियोजना लागत के कम से कम 25 प्रतिशत तक मैचिंग संसाधनों का करार किया होना चाहिए या इसकी योजना बनाई जानी चाहिए।

3) संगठन के पास उस समारोह/परियोजना को शुरू करने के लिए सुविधाएं, संसाधन, कार्मिक तथा अनुभव होना चाहिए जिसके लिए अनुदान की मांग की गई हो।

4) यथा आवेदित ऐसे समारोह के आयोजनों के विगत अनुभव को वरीयता दी जाएगी।

घ. कार्यकलाप जिनके लिए सहायता दी जानी है और सहायता की सीमा

वित्तीय सहायता निम्नलिखित प्रयोजनों के लिए दी जा सकती है :

1) किसी भी कला रूप/महत्वपूर्ण सांस्कृतिक मामलों पर सम्मेलन, सेमिनार, कार्यशालाएं, संगोष्ठियां, उत्सव, प्रदर्शनियां आयोजित करना और लघु अनुसंधान परियोजनाएं आदि शुरू करना।

2) सांस्कृतिक विषयों व उनके प्रकाशनों सहित उनके संबंध में सर्वेक्षण, प्रायोगिक परियोजनाएं आदि संचालित करने जैसे विकास किस्म के कार्यकलापों पर व्यय की पूर्ति करना।

ड. सहायता की मात्रा :

उक्त पैरा 4 के तहत विशिष्ट परियोजनाओं के लिए अनुदान, विशेषज्ञ समिति द्वारा यथा संस्तुत व्यय का 75 प्रतिशत तक परन्तु प्रति परियोजना अधिकतम 5.00 लाख रू. तक दिया जाएगा। अपवाद स्वरूप परिस्थितियों में (सक्षम प्राधिकारी अर्थात् संस्कृति मंत्रालय के अनुमोदन से) 20.00 लाख रूपए की राशि प्रदान की जा सकती है।

च. लेखाकरण पद्धतियां

केन्द्र सरकार द्वारा जारी अनुदानों के संबंध में अलग लेखे रखे जाएंगे।

1) अनुदान प्राप्तकर्ता संगठन के लेखाओं की समीक्षा, भारत के नियन्त्रक एवं महालेखा परीक्षक या उसके विवेक पर उसके नामिती द्वारा की जा सकेगी।

2) अनुदान प्राप्तकर्ता संगठन, भारत सरकार को अनुमोदित परियोजना पर किए गए व्यय का उल्लेख करते हुए और पूर्व वर्षों में सरकारी अनुदान के उपयोग का ब्यौरा देते हुए किसी सनदी लेखाकार से संपरीक्षित लेखाओं का विवरण प्रस्तुत करेगा। यदि उपयोग प्रमाण-पत्र निर्धारित अवधि के भीतर प्रस्तुत नहीं किया जाता है तो अनुदान प्राप्तकर्ता को प्राप्त अनुदान की समग्र राशि और उस पर भारत सरकार की वर्तमान दर पर ब्याज तत्काल वापिस करना होगा बशर्ते कि सरकार द्वारा विशेष रूप से ब्याज माफ न किया गया हो।

3) अनुदान प्राप्तकर्ता संगठन की, सरकार द्वारा कभी भी आवश्यक समझे जाने पर कोई समिति नियुक्त करके या सरकार द्वारा निर्धारित किसी अन्य तरीके से भारत सरकार, संस्कृति मंत्रालय द्वारा समीक्षा की जा सकेगी।

4) अनुदान प्राप्तकर्ता संगठन, विदेश मंत्रालय से अनुमति लिए बिना विदेशी प्रतिनिधिमण्डल को आमंत्रित नहीं करेगा, जिसके लिए आवेदन अनिवार्यतः संस्कृति मंत्रालय के जरिए प्रस्तुत किया जाएगा। 5) यह ऐसी अन्य शर्तों के अध्यधीन होगा जो समय-समय पर सरकार द्वारा लागू की जाएं।

छ. आवेदन प्रस्तुत करने की पद्धति

आवेदन, किसी भी राष्ट्रीय अकादमी या भारत सरकार के तहत संस्कृति से सम्बद्ध किसी अन्य संगठन या संबंधित राज्य सरकार/संघ राज्य प्रशासन, राज्य अकादमियों द्वारा संस्तुत होना चाहिए।

ज. आवेदन के साथ संलग्न किए जाने वाले दस्तावेज

(1) संगठन का संविधान

(2) प्रबंधन बोर्ड या शासी निकाय का संविधान और प्रत्येक सदस्य का ब्यौरा

(3) नवीनतम उपलब्ध वार्षिक रिपोर्ट की प्रतिलिपि

(4) निम्नलिखित सहित विस्तृत परियोजना रिपोर्ट :

(i) परियोजना की अवधि सहित उस परियोजना का विवरण जिसके लिए सहायता का अनुरोध किया गया है तथा परियोजना के लिए सेवा में लगाए जाने वाले स्टाफ की अर्हताओं तथा अनुभव का ब्यौरा;

(ii) आवर्ती व गैर-आवर्ती व्यय का अलग से मदवार ब्यौरा देते हुए परियोजना का वित्तीय विवरण।

(iii) स्रोत जिनसे सहयोगी निधियां प्राप्त की जाएंगी।

(5) आवेदक संगठन के गत तीन वर्षों के आय व व्यय का विवरण तथा किसी सनदी लेखाकार या सरकारी लेखापरीक्षक द्वारा प्रमाणित गत वर्ष के तुलन-पत्र की प्रतिलिपि

(6) समुचित मूल्यवर्ग के स्टाम्प पेपर पर निर्धारित प्रोफार्मा में क्षतिपूर्ति बॉण्ड

(7) संस्वीकृत निधियों के इलेक्ट्रॉनिक अंतरण हेतु निर्धारित प्रोफार्मा में बैंक खाते का ब्यौरा

झ. किस्त

अनुदान, 75 प्रतिशत (प्रथम किस्त) और 25 प्रतिशत (दूसरी किस्त) की दो किस्तों में जारी किया जाएगा।

त्र. भुगतान का तरीका

भुगतान केवल सम्बद्ध संगठन के बैंक खाते में इलेक्ट्रॉनिक अतंरणों से किया जाएगा।

यह स्कीम सम्पूर्ण वर्ष खुली रहेगी। आवेदन पत्र किसी भी समय निर्धारित प्रपत्र में मंत्रालय की सरकारी वेबसाइट पर उपलब्ध विस्तृत विवरण के आधार पर प्रस्तुत किया जाएगा।

संस्कृति के क्षेत्र में उत्कृष्ट व्यक्तियों को अध्येतावृति (फेलोशिप) प्रदान करने की स्कीम

क. उद्देश्य

सृजनात्मक कलाओं के क्षेत्रों में सरकार द्वारा किए गए प्रयासों की समीक्षा करने से पता चला है कि शिक्षाविदों, वैज्ञानिकों के लिए संस्थागत ढांचा तथा विश्वविद्यालय अनुदान आयोग और वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद द्वारा शुरू की गई शिक्षावृत्तियों (फेलोशिप) के माध्यम से स्वतंत्र रूप से कार्य करने के पर्याप्त अवसर हैं, सृजनात्मक कला के क्षेत्रों में अथवा हमारे कुछ पारम्परिक कलारूपों को पुनर्जीवित करने के लिए इस प्रकार की कोई योजना नहीं है, जिसके माध्यम से इस प्रकार की सुविधाएँ और अवसर प्रदान किए जाते हों। संभवतः वित्तीय सुरक्षा से युक्त स्वतंत्र वातावरण से इन क्षेत्रों में और अधिक कार्य करने के लिए अपेक्षित अनुकूल वातावरण प्रदान किया जा सकता है। यह भी पाया गया है कि 10-14 वर्षों के आयु-वर्ग (सांस्कृतिक प्रतिभा शोध शिक्षावृत्ति योजना) तथा 18-25 वर्षों के आयु वर्ग (विभिन्न सांस्कृतिक क्षेत्रों में युवा कलाकार हेतु शिक्षावृत्ति योजना) के व्यक्तियों के लिए स्कीम हैं, लेकिन हमारे कुछ पारम्परिक कला-रूपों को पुनर्जीवित करने की बाबत अत्यधिक उन्नत प्रषिक्षण अथवा वैयक्तिक सृजनात्मक प्रयास के लिए बुनियादी वित्तीय सहायता प्रदान करने वाली कोई स्कीम नहीं है। इस कमी को दूर करने के लिए विभिन्न सृजनात्मक क्षेत्रों के उत्कृष्ट व्यक्तियों को अध्येतावृत्ति (फेलोशिप) प्रदान करने की स्कीम चलाने का निर्णय लिया गया है। इस स्कीम में ग्रामीण/जनजातीय क्षेत्रों के कलाकार भी शामिल होंगे।

ये अध्येतावृत्तियॉ अनुसंधान उन्मुख परियोजनाएं शुरू करने के लिए प्रदान की जाती हैं। आवेदक को परियोजना प्रारंभ करने के संबंध में अपनी योग्यताओं का साक्ष्य प्रस्तुत करना चाहिए।

अध्येतावृत्तियॉ, प्रषिक्षण प्रदान करने, कार्यषालाएं, सेमिनार आयोजित करने, अथवा स्मरणों को लिपिबद्ध करने/अथवा आत्मकथा, कथा साहित्य आदि लिखने के लिए नहीं प्रदान की जाती हैं।

ख. फील्ड/क्षेत्र

1. मंच, साहित्यिक व रूपंकर कलाओं के क्षेत्र में वरिष्ठ/कनिष्ठ अध्येतावृतियां

1.1 मंच कलाएँ (संगीत/नृत्य/रंगमंच लोक, कठपुतली सहित परंपरागत एवं स्वदेशी कलाएँ)

1.2 साहित्यिक कलाएँ (यात्रा-विवरण/ साहित्य का इतिहास और सिद्धांत)

1.3 रूपंकर कलाएँ (लेखाचित्र कला/मूर्तिकला/लोक चित्रकला सहित चित्रकला और परंपरागत पेंटिंग्स पर

शोध कार्य सृजनात्मक फोटोग्राफी)। 2. संस्कृति से संबंधित नए क्षेत्रों में वरिष्ठ/कनिष्ठ अध्येतावृत्तियाँ निम्नलिखित क्षेत्रों में संस्कृति से सम्बद्ध नए क्षेत्रों में परियोजनाएं आमंत्रित हैं :

1. भारत विद्या

2. पुरालेखशास्त्र

3. संस्कृति का समाजशास्त्र

4. सांस्कृतिक अर्थशास्त्र

5. स्मारकों के संरचनात्मक और इंजीनियरी पहलू

6. मुद्रा शास्त्र

7. संरक्षण के वैज्ञानिक और तकनीकी पहलू

8. कला और विरासत के प्रबंधन पहलू

9. संस्कृति और सृजनात्मकता के क्षेत्रों में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग से संबंधित अध्ययन

इनका उद्देष्य कला और संस्कृति से संबंधित क्षेत्रों में समकालीन मुद्दों में नई शोध तकनीकों, प्रौद्योगिकीय और प्रबंधन सिद्धांतों के विष्लेषणात्मक अनुप्रयोग को प्रोत्साहन देना है। सामान्य और सैद्धांतिक वृहत् अध्ययनों पर विचार किया जाएगा। प्रस्ताव, नवीन और अनुप्रयोग उन्मुख और वरीयतः अन्तर–विधा किस्म का होना चाहिए।

ग. नाम

इस स्कीम को संस्कृति के क्षेत्र में उत्कृष्ट व्यक्तियों को अध्येतावृत्तियां प्रदान करने की स्कीम के नाम से जाना जायेगा।

घ. अध्येतावृत्तियों की संख्या

अध्येतावृत्तियों की संख्या प्रत्येक वर्ष 400 होगी। ये दो प्रकार की अध्येतावृत्तियां हैं: वरिष्ठ और कनिष्ठ अध्येतावृत्तियां । वरिष्ठ अध्येतावृत्तियों की संख्या 40 वर्ष और इससे अधिक आयु समूह के कलाकारों के लिए प्रतिमाह 20,000/- रू. की दर से 200 होगी जबकि 25-40 वर्ष की आयु समूह के कलाकारों के लिए प्रतिमाह 10,000/- रू. की दर से कनिष्ठ अध्येतावृत्तियों की संख्या 200 होगी। आयु की गणना प्रत्येक वर्ष 1 अप्रैल से की जाएगी।

ड. प्रकाशन अनुदान

इसके अलावा, चुनिंदा परियोजना दस्तावेजों के प्रकाशन की लागत के अधिकतम 20,000/- रू. या 50 प्रतिशत तक, जो भी कम हो, की एक बारगी दिया जाने वाला अनुदान हो सकता है। इसे अनुदानप्राप्तकर्ताओं के 20 प्रतिशत तक सीमित किया जाएगा।

च. पात्रता

वरिष्ठ अध्येतावृत्ति के लिए आवेदक, अभावग्रस्त परिस्थितियों में विद्यमान कलाकारों को वित्तीय सहायता प्रदान करने की योजना के अंतर्गत संस्कृति मंत्रालय से पेंशन प्राप्तकर्ता नहीं होना चाहिए।

आवेदक, इससे पहले सदृश अध्येतावृत्ति का लाभ नहीं लिया होना चाहिए। तथापि, जिस आवेदक को कनिष्ठ अध्येतावृति प्रदान की गई हो, वह वरिष्ठ अध्येतावृत्ति के लिए आवेदन कर सकता है बशर्ते कि पहली परियोजना पूरा होने के बाद 5 वर्ष का समय बीत चुका हो।

स्कीम के पैरा (ख) में सूचीबद्ध क्षेत्र/ दायरे में पात्रता के लिए न्यूनतम शैक्षिक अर्हता स्नातक है।

छ. शर्ते

वरिष्ठ और कनिष्ट अध्येतावृतियों के तहत प्राप्तकर्ता को छमाही प्रगति रिपोर्ट जमा करानी होगी। ऐसी रिपोर्ट समय से प्राप्त न होने पर अध्येतावृति राशि मंत्रालय द्वारा रोकी जा सकती है। रोजगार प्राप्त आवेदकों को उचित माध्यम से आवेदन करना होगा।

चुने गए उम्मीदवारों को उन परियोजनाओं के संबंध में शैक्षिक अथवा अनुप्रयोग उन्मुख अनुसंधान कार्य आयोजित करना होगा जिसके लिए उन्हें अध्येतावृत्तियाँ प्रदान की गई हैं। उन्हें अपनी परियोजना दो वर्ष के अंदर पूरी करनी होगी और उसे इस मंत्रालय को प्रस्तुत करना होगा। सरकार की ओर से अतिरिक्त वित्तीय जिम्मेदारी के बिना अधिकतम तीन माह तक समयवृद्धि की अनुमति होगी।

ज. निष्पादन की समीक्षा/मूल्यांकन

प्रत्येक मामले में एक वर्ष बाद सत्र के बीच में निष्पादन की समीक्षा/मूल्यांकन किया जाएगा और अध्येतावृत्ति का आगे जारी रहना इस समीक्षा/मूल्यांकन पर निर्भर करेगा।

झ. चयन की प्रकिया

1. आवेदन पत्र, सांस्कृतिक संसाधन तथा प्रषिक्षण केन्द्र (सीसीआरटी), प्लॉट नं. 15, सेक्टर-7, द्वारका, नई दिल्ली - 110075 द्वारा समय - समय पर प्रकाषित विज्ञापन के अनुसार, केवल ऑनलाइन ही प्रस्तुत किए जा सकते हैं।

2. यदि आवेदक केन्द्रीय/राज्य सरकार के विभागों/संस्थाओं/उपक्रमों/ विश्वविद्यालयों इत्यादि में कार्यरत हैं, तो अध्येतावृत्ति के लिए चयन होने पर उन्हें दो वर्ष की अवधि का अवकाष लेना होगा। उन्हें अध्येतावृत्ति के अपने आवेदन को विभाग/संस्था/उपक्रम/ विश्वविद्यालय इत्यादि के प्रमुख के माध्यम से इस लिखित आष्वासन के साथ प्रेषित करना चाहिए कि अध्येतावृत्ति के मंजूर होने पर उम्मीदवारों को अध्येतावृत्ति की अवधि के लिए अवकाष प्रदान किया जाएगा। लागू अन्य शर्तों के अतिरिक्त अवकाष मंजूर होने का प्रमाण प्रस्तुत करने पर अध्येतावृत्ति की प्रथम किस्त जारी की जाएगी।

3. संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों की विशेषज्ञ समिति गठित की जाएगी जो प्रथम चरण में सभी आवेदनों की जांच करेगी और उनमें से विभिन्न क्षेत्रों में उम्मीदवारों के अपेक्षाकृत संख्या में संभावित चयन के लिए सर्वाधिक उत्कृष्ठ उम्मीदवारों की लघु सूची बनाएगी।

4. विशेषज्ञ समिति द्वारा लघु सूची में रखे गए कनिष्ट अध्येतावृत्ति उम्मीदवारों को साक्षात्कार के लिए बुलाया जाएगा, जो फिर उनमें से विभिन्न क्षेत्रों में अपेक्षाकृत संख्या में कनिष्ठ अध्येतावृत्ति के लिए सर्वाधिक उत्कृष्ठ उम्मीदवारों को चुनेगी। वरिष्ठ अध्येतावृत्तियों के मामले में ऐसा साक्षात्कार आवश्यक नहीं होगा।

त्र. भुगतान का तरीका

प्रदान की गई राशि का अंतरण केवल अध्येतावृत्ति प्राप्तकर्ताओं के बैंक खाते में इलैक्ट्रॉनिक रूप से किया जाएगा।

संपर्क विवरण:

1. अनुभाग अधिकारी, एस एंड एफ अनुभाग, संस्कृति मंत्रालय, द्वितीय तल, पुरातत्व भवन, डी विंग, जीपीओ कॉम्पलेक्स, आईएनए, नई दिल्ली।

2. निदेशक, सांस्कृतिक संसाधन तथा प्रषिक्षण केन्द्र (सीसीआरटी), प्लॉट नं. 15, सेक्टर-7, द्वारका, नई दिल्ली -110075

विभिन्न सांस्कृतिक क्षेत्रों में युवा कलाकारों को शिक्षावृत्तियाँ प्रदान करने की स्कीम

क. शीर्षक

विभिन्न सांस्कृतिक क्षेत्रों में युवा कलाकारों को शिक्षावृत्तियाँ प्रदान करने की स्कीम

ख. उद्देश्य

स्कीम का उद्देष्य असाधारण प्रतिभा वाले युवा कलाकारों को भारतीय शास्त्रीय संगीत, भारतीय शास्त्रीय नृत्य, रंगमंच, स्वांग दृष्य कला, लोक, पारम्परिक और स्वदेषी कलाओं तथा सुगम शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में भारत में उच्च प्रषिक्षण के वास्ते वित्तीय सहायता प्रदान करना है।

ग. संख्या

शिक्षावृत्तियों की कुल संख्या 400

घ. विषय/क्षेत्र जिनमें शिक्षावृत्तियां दी जा सकती हैं।

(1) भारतीय शास्त्रीय संगीत

शास्त्रीय हिन्दुस्तानी संगीत (गायन और वाद्य)

(2) शास्त्रीय कर्नाटक संगीत (गायन और वाद्य इत्यादि) भारतीय शास्त्रीय नृत्य/संगीत भरतनाट्यम, कथक, कुचिपुड़ी, कथकली, मोहिनीअट्टम, ओडिसी नृत्य/संगीत, मणिपुरी नृत्य/संगीत, थांगटा,

गौडिया नृत्य, छऊ नृत्य/संगीत, सतरिया नृत्य।

(3) रंगमंच

रंगमंच कला का कोई विषिष्ट पहलू, जिसमें अभिनय, निर्देषन आदि शामिल हैं किन्तु नाट्यलेखन और अनुसंधान शामिल नहीं है।

(4) दृश्य कलाएं

रेखांकन, मूर्तिकला, चित्रकारी, सृजनात्मक फोटोग्राफी, मृत्तिका और सिरेमिक्स आदि।

(5) लोक, पारम्परिक और स्वदेशी कलाएं

कठपुतली, स्वांग, लोक रंगमंच, लोक नृत्य, लोक गीत, लोक संगीत, आदि (एक सोदाहरण सूची पैरा 8 टिप्पणी में देखी जा सकती है)।

(6) सुगम शास्त्रीय संगीत

(क) ठुमरी, दादरा, टप्पा, कव्वाली, ग़ज़ल

(ख) कर्नाटक शैली पर आधारित सुगम शास्त्रीय संगीत आदि

(ग) रवीन्द्र संगीत, नज़रूल गीति, अतुलप्रसाद

ड. शिक्षावृति की अवधि एवं कार्यकाल सामान्यतः शिक्षावृत्ति की अवधि दो वर्ष होगी।

प्रत्येक मामले में प्रषिक्षण का स्वरूप अध्येता के पिछले प्रषिक्षण तथा पृष्ठभूमि पर विचार करने के बाद निर्धारित किया जाएगा। सामान्यतः, यह किसी गुरू/प्रषिक्षक अथवा मान्यता प्राप्त संस्था की उच्च प्रषिक्षुता के स्वरूप की होगी।

अध्येता को कठोर प्रषिक्षण लेना होगा। इस प्रकार के प्रषिक्षण में संबंधित विषय/क्षेत्र में सैद्धान्तिक ज्ञान प्राप्त करने में। लगे समय के अतिरिक्त अभ्यास के लिए प्रतिदिन कम से कम तीन घंटे का समय और संबंधित विषयों को समझना भी शामिल है।

प्रत्येक अध्येता को यात्रा, पुस्तकों, कला सामग्री या अन्य उपस्कर और ट्यूशन या प्रशिक्षण प्रभार, यदि कोई हो, पर अपने रहन–सहन के व्यय को पूरा करने के लिए दो वर्ष की अवधि के लिए प्रतिमाह 5000/- रू. का भुगतान किया जाएगा।

च. पात्रता की शर्ते

(1) अभ्यर्थियों को भारतीय नागरिक होना चाहिए।

(2) अभ्यर्थियों में उनके प्रषिक्षण को प्रभावी ढंग से आगे चलाने के लिए पर्याप्त सामान्य ज्ञान होना चाहिए।

(3) अभ्यर्थियों को उनके प्रशिक्षण को प्रभावी ढंग से आगे चलाने के लिए अपनी इच्छा का प्रमाण देना होगा।

(4) चूंकि, ये शिक्षावृत्तियाँ उच्च प्रषिक्षण के लिए दी जाती हैं, न कि नए सीखने वालों के लिए, अतः अभ्यर्थियों के पास चुने हुए कार्यकलाप के क्षेत्र में प्रवीणता डिग्री होनी चाहिए।

(5) अभ्यर्थी को अपने गरू/संस्थानों से न्यूनतम 5 वर्ष का प्रशिक्षण लिया होना चाहिए। आवेदन के साथ वर्तमान गुरू/संस्थान और पूर्व गुरू/संस्थान (यदि कोई हो) द्वारा विधिवत रूप से हस्ताक्षरित प्रपत्र के भाग-II में इस आशय का प्रमाण-पत्र प्रस्तुत किया जाना चाहिए।

(6) अभ्यर्थी को सम्बद्ध कलाओं/ विद्याओं में पर्याप्त ज्ञान होना चाहिए।

(7) अभ्यर्थी की आयु उस वर्ष में 1 अप्रैल को 18 वर्ष से कम और 25 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए जिस वर्ष में आवेदन किया जा रहा है। आयु सीमा में छूट नहीं है।

छ. विज्ञापन

प्रत्येक वर्ष सीसीआरटी द्वारा आवेदन आमंत्रित करने संबंधी विज्ञापन समय-समय जारी किया जाएगा।

ज. साक्षात्कार के समय आवेदन के साथ संलग्न किए जाने वाले दस्तावेज

साक्षात्कार के समय आवेदन के साथ निम्नलिखित दस्तावेज (फोटो सहित) जमा कराने होंगे।

1. शैक्षिक योग्यताओं, अनुभवों इत्यादि की एक-एक स्व सत्यापित प्रति। किसी भी हालत में मूल दस्तावेज नहीं भेजने चाहिए।

2. मैट्रिक या समकक्ष प्रमाण-पत्र, यदि कोई हो, अथवा आयु को कोई अन्य संतोषजनक प्रमाण (जन्म पत्रियों के अलावा) की एक सत्यापित प्रति।

3. नवीनतम पासपोर्ट आकार का एक फोटो।

4. जो उम्मीदवार चित्रकला, मूर्तिकला और प्रयुक्त कला के क्षेत्र में शिक्षावृत्ति के लिए आवेदन कर रहे हैं, उन्हें अपने आवेदन पत्रों के साथ उत्कृष्ट मूल कृतियों की, स्व सत्यापित फोटो भी भेजनी होगी। दृष्यकला के लिए ललित कलाओं में स्नातक अथवा समकक्ष न्यूनतम अर्हता है।

5. यदि आवेदक एक से अधिक क्षेत्र के लिए आवेदन करना चाहता है तो उसे प्रत्येक क्षेत्र के लिए अलग-अलग ऑनलाइन आवेदन-पत्र भेजना चाहिए।

6. चूंकि ये शिक्षावृत्तियां उच्च स्तरीय प्रशिक्षण के लिए दी जाती हैं, अतः अभ्यर्थी को अपने गुरू/संस्थानों से न्यूनतम 5 वर्ष का प्रशिक्षण लिया होना चाहिए। आवेदन के साथ वर्तमान गुरू/संस्थान और पूर्व गुरू/संस्थान (यदि कोई हो) द्वारा विधिवत रूप से हस्ताक्षरित इस आशय का प्रमाण-पत्र प्रस्तुत किया जाना चाहिए।

झ. सामान्य

1. अभ्यर्थियों को विशेषज्ञ समिति के समक्ष साक्षात्कार/प्रदर्शन के लिए उपस्थित होना होगा। अभ्यर्थियों को साक्षात्कार / प्रदर्शन की तारीख, समय और स्थान की सूचना अभ्यर्थियों के ऑनलाइन आवेदन में दिये गये ई-मेल के माध्यम से दी जायेगी। चयन पूर्णतः योग्यता आधार पर किया जाएगा।

2. परिणाम मंत्रालय की वेबसाइट पर प्रकाशित किया जाएगा। निर्णय पत्र उम्मीदवारों को स्पीड पोस्ट द्वारा भेज दिया जाएगा।

3. पते में किसी प्रकार का परिवर्तन हो तो उसे इस मंत्रालय को लिखित में सूचित किया जाना चाहिए। सूचित करते समय प्रशिक्षण के विषय/ क्षेत्र फाईल संख्या (यदि कोई हो) का स्पष्ट रूप से उल्लेख किया जाना चाहिए।

4. आगे के किसी भी पत्र व्यवहार के लिए उम्मीदवार निम्नलिखित ब्यौरे अवश्य दें :

(क) स्कीम का नाम (ख) सुस्पष्ट अक्षरों में उम्मीदवार का नाम (ग) प्रशिक्षण का विषय/क्षेत्र (घ) पंजीकरण संख्या।

सम्पर्क:

(1) अनुभाग अधिकारी, एस एंड एफ अनुभाग, संस्कृति मंत्रालय द्वितीय तल, पुरातत्व भवन, डी–विंग, जीपीओ काम्पलैक्स, आईएनए, नई दिल्ली।

(2) निदेशक, सांस्कृतिक स्रोत एवं प्रशिक्षण केन्द्र (सीसीआरटी) प्लाट नं. 15, सेक्टर-7, द्वारका, नई दिल्ली-110075

ञ. टिप्पणी : लोक, पारम्परिक व स्वदेशी कला की सांकेतिक सूची

ट. कठपुतली रंगमंच

(क) छाया कठपुतली

1. उड़ीसा की रावणछाया

2. महाराष्ट्र का चमड्याचा बाहुल्या

3. केरल का तोल पावाकूतु

4. तमिलनाडु का तोलु बोम्मलाटा

5. आंध्र प्रदेश का तोलु बोम्मलाटा

6. कर्नाटक का तोलागु गोंबे अट्टा

(ख) छड़ या धागा कठपुतली

1. पश्चिम बंगाल का पुतुलनाच

2. राजस्थान की कठपुतली

3. कर्नाटक का गोंबेअट्टा

4. तमिलनाडु का बोम्मलाटा

5. उड़ीसा का सखी-कुंडेई 6. महाराष्ट्र का कलासूत्री बहुली

7. बिहार का चदर बदर

8. केरल का पावाकूतु

(ग) दस्ताना कठपुतली

1. उत्तर प्रदेश की गुलाबो सिताबो

2. केरल का पावा कथकली

(घ) पारम्परिक रंगमंच

(क) भक्ति संगीत

1. कथाकालक्षेपम की हरिकथा

2. तेवारम, तिरूपुगाज, कावडिचिंदु

3. महाराष्ट्र के भजन और अभंग

4. विभिन्न धार्मिक समुदायों के गीत

5. मणिपुर का संकीर्तन

6. बंगाल का बाउल

7. दिव्यप्रबन्दम और अरैया सेवाई

(ख) लोक संगीत

1. सभी क्षेत्रों के महिला गीत

2. बच्चों के तथा बच्चों द्वारा गाए गीत

3. महाकाव्यों से संबंधित गीत

4. विभिन्न जातियों के गीत

5. सभी क्षेत्रों की देवी माता की भेंटें

6. उत्तर प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक की विभिन्न प्रकार की लावणी

7. महाराष्ट्र के गोलण

8. दक्षिण के कुरवंजी गीत

9. नागेसी-हरदेसी (कर्नाटक) सहित विभिन्न क्षेत्रों के कलगी तुरा

10. गौरव गीत (कलगी तुरा)

11. कर्नाटक और महाराष्ट्र के गोंधल

12. बिंगी पद (अंटिके पंटिके)

13. तत्त्व गीत (एकतारी मेला)

14. किन्नरी जोगी गीत

15. काणे-पद

16. गीगीपद

17. गुंडिका पद

18. जोकुमार गीत

19. दोम्बी दास के गीत (गाथा)

20. नील गार के गीत

21. पंढरी भजन

22. रिवायत के गीत (सवाल-जवाब) और मर्सिया कहानी

23. लोक तथा जनजातीय संगीत वाद्य

24. समष्टि वादन (पंचमुख-वाद्य, करडी, मजलू, वेलगा, सिट्टी, मेला, छकड़ी, अंजुमन आदि)

(ठ) अन्य विविध परम्परागत स्वरूप

1. मणिपुर का पेनाइसेई

2. लोक संगीत (जाति संगीत)

3. राजस्थान का मांड

4. गोवा का रणमाल्येम

5. असम का देवधानी

6. मध्य प्रदेश की चांदयानी

7. कश्मीर का भांड जश्न

8. तेय्यमतुरा

9. तिब्बती कलावस्तु तथा अभिलेखागार के पुस्तकालय, धर्मषाला में तिब्बती चित्रकला और काष्ठ शिल्प का अध्ययन।

यह सूची उदाहरणस्वरूप है, न कि सम्पूर्ण ।

स्त्रोत: संस्कृति विभाग

अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020



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