हथकरघा बुनाई एक श्रमसाध्य व्यवसाय है जो सारे देश में अधिकांशतः गांवों में फैला हुआ है। हथकरघा क्षेत्र बुनाई और संबद्धक्रियाकलापों में (2009-10 की हथकरघा संगणना के अनुसार) 43 लाख से अधिक लोगों को रोजगार प्रदान करता है । इस क्षेत्र द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला कच्चा माल धागा होता है जो कि कताई मिलों द्वारा उत्पादित किया जा रहा है । धागे को व्यापारियों द्वारा विनियंत्रित किया जाता था और अधिकतर हथकरघा बुनकर अपने धागे की आवश्यकता के लिए इन व्यापारियों पर निर्भर रहते थे । इसके फलस्वरुप धागे की कीमतों में बेरोक-टोक बढ़ोतरी होती रही और इसकी उपलब्धता में कमी आती गई।
इन समस्याओं के निदान के लिए भारत सरकार ने धागे के बाजार में प्रभावी हस्तक्षेप करते हुए एक राष्ट्रीय स्तर के शीर्ष निकाय के गठन की आवश्यकता महसूस की और 1983 में भारत सरकार के एक पंडित दीनदयाल उपाध्याय श्रमेव जयते कार्यक्रम उपक्रम, राष्ट्रीय हथकरघा विकास निगम लिमिटेड (एनएचडीसी) की स्थापना की। राष्ट्रीय हथकरघा विकास निगम का मुख्य उद्देश्य समग्र देश के बुनकरों को एक सुव्यवस्थित तंत्र के माध्यम से उपयुक्त एवं अपेक्षित गुणवत्ता का धागा उपलब्ध कराना है । किसी विशेष स्थान में निर्मित धागा उस स्थान तथा आस-पास में उपलब्ध कपास की गुणवत्ता पर आधारित होता है, जबकि किसी विशेष स्थान पर बुनकरों द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला धागा उस स्थान विशेष में प्रचलित उपभोग प्रणाली पर आधारित होता है । धागे के एक स्थान से दूसरे स्थान में परिवहन करने से धागे की कीमत में वृद्धि होती है और इसके कारण बुनकरों को अलाभकारी स्थिति में आना पड़ जाता है । उपर्युक्त को मद्देनजर रखते हुए भारत सरकार ने धागे की आपूर्ति उस कीमत पर करने के लिए एक योजना शुरु की जिस पर वह 1992 में मिल पर उपलब्ध है । इस योजना के अंतर्गत धागे की आपूर्ति में आने वाले परिवहन व्यय को भारत सरकार द्वारा वहन किया जाता है । इस योजना के कार्यान्वयन की नोडल एजेंसी एनएचडीसी है ।
भारत सरकार, एनएचडीसी को अपनी गतिविधियों को मजबूत बनाने के लिए इक्विटी भी प्रदान करती रही है । चूंकि एनएचडीसी की पूंजी को बढ़ाकर इसको मजबूत करना इसकी गतिविधि अर्थात मिल गेट कीमत योजना के कार्यान्वयन का अभिन्न हिस्सा है, इसलिए यह उपयुक्त समझा गया है कि एनएचडीसी में निवेश करने संबंधी घटक को मिल गेट कीमत योजना में विलय कर दिया जाए । इसके अलावा, हथकरघा क्षेत्र के लागत नुकसान को कम करने के लिए भारत सरकार ने 2011-12 के दौरान मिल गेट कीमत योजना के तहत घरेलू रेशम तथा सूती हैंक यार्न और ऊन पर 10% कीमत सब्सिडी का एक और घटक शामिल किया ताकि हथकरघा क्षेत्र को सस्ता यार्न उपलब्ध कराया जा सके । यह मिल गेट कीमत योजना के तहत पहले से प्रदत्त परिवहन माल भाड़ा सब्सिडी से अतिरिक्त है । इस प्रकार यार्न आपूर्ति योजना नामक इस योजना में (i) मिल गेट कीमत पर धागे की आपूर्ति (ii) हैंक कॉटन यार्न, घरेलू रेशम तथा ऊन पर 10% कीमत सब्सिडी (iii) एनएचडीसी में निवेश ।
उद्देश्य
इस घटक का उद्देश्य पात्र हथकरघा बुनकरों को मिल गेट कीमत पर सभी प्रकार का धागा उपलब्ध कराना है ताकि हथकरघा क्षेत्र में मूलभूत कच्चे माल की नियमित आपूर्ति को सुगम बनाया जा सके और इस क्षेत्र की रोजगार देने की क्षमता का उपयोग करने में उसको मदद पहुंचाई जा सके ।
योजना का कार्य क्षेत्र
2.1 जो एजेंसियां इस योजना का लाभ लेने के लिए पात्र होंगी, वे निम्नलिखित हैं -
2.2 हथकरघा वस्तुओं को तैयार करने के लिए अपेक्षित सभी किस्म का धागा मिल गेट कीमत पर उपलब्ध कराया जा सकता है । मिल गेट कीमत का अर्थ ऐसी कीमत से है जिस कीमत पर धागा भारतीय सिल्क के मामले में सिल्क एक्सचेंज के पंजीकृत लाइसेंस धारकों से, डीजीएफटी पंजीकृत आयातकों के लिए पूर्व-गोदाम कीमत तथा आयातित रेशमी धागे के मामले में एनएचडीसी से आयात के लिए भारतीय बंदरगाहों पर लदान मूल्य पर, रंजित/प्रसंस्कारित धागे के मामले में प्रसंस्करण कर्ताओं/रंजक घरों से, और सूती और अन्य प्रकार के धागे के मामले में प्रतिष्ठित कताई मिलों से खरीदा जाता है । रेशमी धागे और रंजित/प्रसंस्कारित धागे के मामले में एनएचडीसी से सभी प्रकार के भुगतान उनके बैंक खातों से आहरित अकाउंट पेयी चैक के माध्यम से किए जाएं ।
संगठनात्मक व्यवस्था
आपूर्ति संबंधी प्रणाली
दावा प्रतिपूर्ति
धागा आपूर्ति योजना के तहत भारत सरकार द्वारा निम्नलिखित सहायता प्रदान की जाएगी -
इनमें से 10% कीमत सब्सिडी का अग्रिम भुगतान एनएचडीसी द्वारा इनवायस में किया जाएगा जिसके लिए भारत सरकार द्वारा एनएचडीसी को अग्रिम राशि प्रदान की जाएगी । मालभाड़ा पूर्ति पर,डिपो संचालन व्यय तथा एनएचडीसी का सेवा शुल्क और अन्य कार्यान्वय एजेंसियां इस प्रकार है -
माल भाड़े की प्रतिपूर्ति दर, डिपो परिचालन व्यय और एनएचडीसी का सेवा प्रभार निम्नानुसार होंगे -
(क) मैदानी क्षेत्रों में आपूर्ति के लिए (आपूर्ति किए गए यार्न का मूल्य %)
यार्न का प्रकार |
पात्र एजेंसियों को अधिकतम मालभाड़ा प्रतिपूर्ति |
पात्र एजेंसियों को डिपो प्रचालन व्यय |
कार्यान्वयन एजेंसी को सेवा प्रभार |
सिल्क यार्न |
1.0% |
2.0% |
2.0% |
जूट/कयर यार्न |
1.0% |
2.0% |
2.0% |
सिल्क और जूट/कयर यार्न के अलावा |
2.5% |
2.0% |
2.0% |
(ख)पहाड़ी और दूर दराज के क्षेत्रों में आपूर्ति के लिए (आपूर्ति किए गए यार्न का मूल्य % )
यार्न का प्रकार |
पात्र एजेंसियों को अधिकतम मालभाड़ा प्रतिपूर्ति |
पात्र एजेंसियों को डिपो प्रचालन व्यय |
कार्यान्वयन एजेंसी को सेवा प्रभार |
सिल्क यार्न |
1.25% |
2.0% |
1.5% |
जूट/कयर यार्न |
10% |
2.0% |
1.5% |
सिल्क और जूट/कयर यार्न के अलावा |
2.5% |
2.0% |
1.5% |
(ग) पूर्वोत्तर क्षेत्र में आपूर्ति के लिए (आपूर्ति किए गए यार्न का मूल्य % )
यार्न का प्रकार |
पात्र एजेंसियों को अधिकतम मालभाड़ा प्रतिपूर्ति |
पात्र एजेंसियों को डिपो प्रचालन व्यय |
कार्यान्वयन एजेंसी को सेवा प्रभार |
सिल्क यार्न |
1.5% |
2.0% |
1.25% |
जूट/कयर यार्न |
10% |
2.0% |
1.25% |
सिल्क और जूट/कयर यार्न के अलावा |
5.0% |
2.0% |
1.25% |
वर्तमान में एनएचडीसी मिल स्थल से हथकरघा बुनकर/एजेंसी तक सीधे यार्न की आपूर्ति कर रहा है। एनएचडीसी हथकरघा बुनकर/सोसायटी से मांग-पत्र लेने के बाद मिल को आदेश भेजता है। इसमें दक्षिणी राज्यों में मिलों से उत्तरी राज्यों में हथकरघा बुनकरों/एजेंसियों तक 10-15 दिन और पूर्वोत्तर राज्यों में हथकरघा बुनकरों/एजेंसियों तक 30-60 दिन का वितरण समय लगता है ।
वितरण समय में कमी लाने और हथकरघा बुनकरों/एजेंसियोंको कम समय में कम मात्रा में माल पहुंचाने के लिए प्रस्ताव है कि एनएचडीसी प्रमुख स्थानों पर गोदाम खोलेगा ।
एनएचडीसी 10 प्रमुख स्थानों पर गोदाम खोलेगा जिनमें उस राज्य में वेट से छूट प्राप्त प्रमुख किस्मों का यार्न रखा जाएगा।
निम्नलिखित अनुसार 10 गोदाम खोले जाने का प्रस्ताव है –
क्र.सं. |
राज्य |
गोदामों की संख्या |
राज्य के वेट से छूट प्राप्त यार्न |
1. |
पूर्वोत्तर राज्यों- असम,अगरतला, अरूणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैण्ड, सिक्किम, त्रिपुरा |
02 |
कॉटन हैंक यार्न तथा सिल्क हैंक यार्न |
2. |
पश्चिम बंगाल (कोलकाता) |
01 |
कॉटन हैंक यार्न तथा सिल्क हैंक यार्न |
3. |
ओडिशा |
01 |
कॉटन हैंक यार्न तथा सिल्क हैंक यार्न |
4. |
झारखण्ड/बिहार |
01 |
कॉटन हैंक यार्न तथा सिल्क हैंक यार्न |
5. |
उत्तर प्रदेश |
02 |
कॉटन हैंक यार्न तथा सिल्क हैंक यार्न |
6. |
आन्ध्र प्रदेश |
02 |
कॉटन हैंक यार्न तथा सिल्क हैंक यार्न |
7. |
केरल |
01 |
कॉटन हैंक यार्न तथा सिल्क हैंक यार्न |
|
कुल |
10 |
|
नोट - उक्त राज्य के वेट संबंधी सूचना दिनांक 29.8.2013 को संबंधित राज्यों की वेबसाइट से ली गई है ।
मौजूदा एमजीपीएस के तहत परिवहन प्रतिपूर्ति की अनुमति मिल स्थल से हथकरघा बुनकर/ एजेंसी स्थल तक है । चूंकि यह प्रस्ताव किया जा रहा है कि एनएचडीसी गोदाम खोलेगा अत: यह आवश्यक है कि एमजीपीएस के तहत परिवहन प्रतिपूर्ति में निम्नलिखित शामिल होगा -
जहां एनएचडीसी सीधे यार्न की आपूर्ति करेगा, अर्थात् यार्न डिपो के माध्यम से नहीं, वहां एनएचडीसी को मालभाड़ा प्रतिपूर्ति और सेवा प्रभारों की प्रतिपूर्ति पैरा 5.2 में यथा उल्लिखित अनुसार की जाएगी ।
उद्देश्य
हथकरघा बुनकर दूर दराज और भीतरी स्थानों में सूत की समय पर आपूर्ति न मिलने की समस्या का लगातार सामना कर रहे हैं । इसलिए धागे की यथासमय आपूर्ति को सुविधाजनक बनाने के लिए जरूरी है कि विकसित अवसंरचना का इन क्षेत्रों में अधिकतम उपयोग हो । सतत आधार पर डिपो चलाने के संबंध में विभिन्न एजेंसियों को प्रोत्साहित करने के लिए सभी किस्मों के सूत (अर्थात धागा आपूर्ति योजना के तहत प्राप्त सूत तथा एजेंसियों द्वारा सीधे ही प्राप्त किया गया सूत) की आपूर्ति धागा डिपुओं के माध्यम से की जाएगी तथापि मिल गेट कीमत योजना के तहत एनएचडीसी द्वारा आपूर्ति किए गए धागे के मूल्य व मात्रा की गणना डिपो संचालन प्रभारों की प्रतिपूर्ति के लिए की जाएगी । 12वीं योजना अवधि के दौरान एनएचडीसी बेहतर और व्यापक स्थल वितरण के साथ और भी यार्न डिपो स्थापित करेगा ।
विस्तार
पैरा 2.1 के अंतर्गत शामिल सभी एजेंसियां डिपो चलाने के लिए प्राधिकृत होंगी ।
स्थान
एनएचडीसी की सहमति से इन डिपो के स्थान के बारे में एजेंसी द्वारा निर्णय लिया जाएगा ।
यद्यपि डिपो चलाने के लिए कोई नया स्टाफ नहीं लगाया जाएगा, लेकिन डिपो चलाने संबंधी खर्चे की प्रतिपूर्ति एनएचडीसी द्वारा संचालन एजेंसी को पैरा 5.2 (क), (ख) और (ग) में यथानिर्धारित दरों से की जाएगी । सरकार द्वारा एनएचडीसी को यार्न आपूर्ति योजना के प्रावधानों में से इस राशि की प्रतिपूर्ति वास्तविक खर्च के आधार पर एनएचडीसी को दावे प्रस्तुत करने पर की जाएगी ।
उद्देश्य
दूर-दराज के क्षेत्रों में बुनकरों तक पहुंचने के लिए एजेंसी को समय-समय पर मोबाइल वैन चलाने की आवश्यकता होती है, ताकि बुनकर सूत उपलब्ध न होने की वजह से प्रभावित न हों ।
विस्तार
पैरा 2.1 के अंतर्गत शामिल सभी एजेंसियां मोबाइल वैन चलाने के लिए प्राधिकृत होंगी । तथापि, जो एजेंसियां डिपो चलाने के लिए प्राधिकृत हैं, उन्हें मोबाइल वैन चलाने की अनुमति नहीं दी जाएगी ।
40 मोबाइल वैनों को इस प्रकार चलाया जाएगा ताकि प्रत्येक राज्य में कम से कम एक मोबाइल वैन उपलब्ध रहे । इसके अतिरिक्त विकास आयुक्त (हथकरघा) कार्यालय के अनुमोदन से और ज्यादा मोबाइल वैन चलाए जाने पर विचार किया जा सकता है । पूर्वोत्तर राज्यों और पर्वतीय क्षेत्रों को वरीयता दी जाएगी । देश के शेष भागों में स्थित दूर-दराज क्षेत्रों को यह सुविधा मुहैया कराने के लिए विकास आयुक्त (हथकरघा) कार्यालय योजना आयोग के परामर्श से दूर-दराज के क्षेत्रों की पहचान करेगा ।
सहायता
एजेंसी द्वारा एक महीने में 20 दिन के लिए मोबाइल वैनों को चलाया जा सकता है । मोबाइल वैनों को चलाने के लिए प्रतिदिन 1500/- रू. अथवा वास्तविक खर्च, इसमें से जो कम हो, की प्रतिपूर्ति की जाएगी। हथकरघा कपड़ों की प्राप्ति के लिए भी मोबाइल वैन का उपयोग किया जा सकता है तथा उस सीमा तक हुए व्यय को उपरोक्त अधिकतम सीमा में शामिल किया जा सकता है ।
मोबाइल वैन के संचालन संबंधी खर्च की प्रतिपूर्ति एजेंसियों को एनएचडीसी द्वारा की जाएगी । एनएचडीसी इस धनराशि की प्रतिपूर्ति दिशा-निर्देशों के पैरा 5.2 के अनुसार उल्लिखित लेखा परीक्षित दावा के प्राप्त होने पर वास्तविक खर्च के आधार पर करेगी और इसमें भाड़ा प्रभारों की नियमित प्रतिपूर्ति भी शामिल होगी ।
मोबाइल वैन के संचालन हेतु एनएचडीसी की यह प्रतिपूर्ति पैरा 5.2 में उल्लिखित सहायता की एक समान दर के अलावा होगी और प्रतिवर्ष अधिकतम 36.00 लाख रूपए तक सीमित होगी ।
निगरानी
प्रबंध निदेशक योजना की मासिक निगरानी के लिए जिम्मेदार होगा और वस्त्र मंत्रालय को विभिन्न घटकों अर्थात यार्न डिपो-काटन, सिल्क, जूट/ कयर तथा ऊन व अन्य तथा हैंक यार्न और कोन यार्न के तहत प्रगति तथा साथ ही पहाड़ी और पूर्वोत्तर क्षेत्र में हुई प्रगति को दर्शाते हुए रिपोर्ट भेजेगा ।
इस घटक के कार्यान्वयन की निगरानी एनएचडीसी के निदेशक मंडल तथा विकास आयुक्त (हथकरघा) कार्यालय द्वारा की जाएगी।
प्रचार
धागा आपूर्ति योजना के लाभों का व्यापक प्रचार-प्रसार किए जाने की जरूरत है । योजना का संकेद्रित प्रचार स्थानीय भाषा में समाचार पत्रों, पंपलेटों व हैंडबिलों का मुद्रण एवं वितरण, पोस्टर लगाकर, दीवार पेंटिंग तथा क्रेता-विक्र्रता बैठकों इत्यादि के माध्यम से किया जाएगा। योजना का प्रचार राष्ट्रीय हथकरघा विकास निगम द्वारा किया जाएगा, जिस पर व्यय की प्रतिपूर्ति विकास आयुक्त (हथकरघा) कार्यालय द्वारा की जाएगी।
पृष्ठभूमि
हथकरघा क्षेत्र के लागत नुकसान को कम करने के लिए भारत सरकार ने पहले हथकरघा क्षेत्र द्वारा प्रयुक्त कॉटन हैंक यार्न को उत्पाद शुल्क से छूट प्रदान की थी, जबकि कॉटन कार्न यार्न (विद्युतकरघा और मिलों में प्रयुक्त) पर 9.2% सेनवेट लगाया गया था । बाद में, 2004 में, कॉटन कार्न यार्न पर भी सेनवेट हटा दिया गया था । परिणामस्वरुप दोनों के बीच कीमत का अंतर समाप्त हो गया और हथकरघा को अब महत्वपूर्ण कच्चे माल में कीमत का अधिक फायदा नहीं मिला । चूंकि हथकरघा उत्पाद विद्युतकरघा की तुलना में जटिल और उत्तम डिजाइनों तथा कम उत्पादकता के कारण बुनाई में लंबा समय लगने के कारण अधिक महंगे होते हैं इसलिए हैंक यार्न पर सुस्पष्ट सब्सिडी प्रदान करना अनिवार्य है ।
उपर्युक्त के आलोक में हथकरघा क्षेत्र में वितरित हैंक यार्न पर 10% कीमत सब्सिडी प्रदान करने का निर्णय लिया गया है । यह सब्सिडी लाभार्थियों को अग्रिम प्रदान की जाएगी । इससे यह सुनिश्चित हो सकेगा कि कार्न यार्न पर सेनवेट समाप्त किए जाने से पूर्व हथकरघा क्षेत्र को उपलब्ध कीमत का फायदा उसे पुन- उपलब्ध होगा। इसे न केवल हथकरघा क्षेत्र को बरकरार रखने और लंबे समय तक स्व-संपोषणीय बनाए रखने में मदद मिलेगी बल्कि वे विद्युतकरघा उत्पादों के साथ प्रतिस्पर्धा करने में भी सक्षम होंगे।
यह भी निर्णय लिया गया है कि ऊन पर भी 10% सब्सिडी उपलब्ध होगी।
कार्यान्वयन एजेंसियां
राष्ट्रीय हथकरघा विकास निगम (एनएचडीसी) एक मात्र कार्यान्वयन एजेंसी होगी ।
लाभार्थी एजेंसियां
योजना के तहत सब्सिडी युक्त यार्न प्राप्त करने के लिए निम्नलिखित एजेंसियां पात्र होंगी -
नोट-
ऐसे उद्यमी जो विपणन और अन्य क्रियाकलापों सहित वास्तविक बुनाई क्रियाकलापों में शामिल हैं और उनके परिसर में अपने करघे हैं वे बुनकर पात्र उद्यमी होगें ।
निर्यातकों और बुनकर उद्यमियों के परिसर में उनके अपने कार्यरत करघों की संख्या यार्न सब्सिडी के प्रयोजन से संख्या की गणना जाएगी ।
10% कीमत सब्सिडी के तहत यार्न की आपूर्ति या तो व्यक्तिगत बुनकर या उसकी एजेंसी अर्थात(स्वयं सहायता समूह, संयुक्त जवाबदेह समूह, सहकारी सोसाइटी, उत्पादक कंपनी) को की जाएगी जिसका वह सदस्य है लेकिन दोनों के लिए नहीं ।
यार्न का प्रकार और पात्र मात्रा
हथकरघा मदों के उत्पादन के लिए अपेक्षित घरेलू कॉटन, सिल्क, ऊन 10% कीमत सब्सिडी के तहत शामिल होगी ।
यार्न सब्सिडी के प्रयोजन से किसी बुनकर अथवा किसी पात्र एजेंसी को आपूर्ति किए गए हैंक यार्न की मात्रा हथकरघा की संख्या के अनुसार निम्नलिखित के अनुसार सीमित होगी -
उन पर सब्सिडी केवल व्यक्तिगत बुनकरों और हथकरघा सहकारी सोसाइटियों को ही उपलब्ध होगी । अन्य श्रेणी के यार्न के लिए सब्सिडी पूर्व मानदंडों के अनुसार जारी रहेगी ।
कार्यान्वयन एजेंसियों को सेवा प्रभार
राष्ट्रीय हथकरघा विकास निगम, जो धागा आूपर्ति योजना की कार्यान्वयन एजेंसी है, हैंक यार्न घटक पर 10% कीमत सब्सिडी के तहत आपूर्ति किए गए यार्न के लिए बतौर सेवा प्रभार यार्न की कीमत के अतिरिक्त 0.5% के लिए पात्र होगा जो यार्न आपूर्ति योजना में विनिर्दिष्ट शुल्क से अतिरिक्त होगा ।
सामान्य दिशा-निर्देश
यार्न पास बुक जारी करने के लिए हथकरघों की पुष्टि और निर्धारित फार्मेट में आंकड़ों का संकलन
यार्न पास बुक में 9 अंकों की क्रम संख्या होगी जो निम्नलिखित सूचना देंगे –
पहले दो अंक - राज्य
अंगले दो अंक - जिला
शेष 6 अंक - लगातार क्रम संख्या होगी
प्रत्येक व्यक्तिगत हथकरघा बुनकर को एनएचडीसी द्वारा अनुमोदित निकटतम यार्न डिपो के साथ जोड़ा जाएगा ताकि वह रियायती यार्न की मांग कर सके और उसे प्राप्त कर सके । उसे जारी की गई यार्न पास बुक में यार्न डिपो का नाम लिखा होगा ।
मांग पत्र प्रस्तुत करना और रिकार्ड रखना
तथापि, जहां पर व्यक्तिगत बुनकर अपना मांग-पत्र (इंडेंट) भेजने और रियायती यार्न प्राप्त करने के लिए राष्ट्रीय हथकरघा विकास निगम द्वारा अनुमोदित नजदीकी यार्न डिपो के साथ संबद्ध है वहां राष्ट्रीय हथकरघा विकास निगम प्रत्येक व्यक्तिगत बुनकर/लाभार्थी के लिए प्रयोक्ता एजेंसी/यार्न डिपो के नाम से पृथक क्रय आदेश, इंवायस आदि
उस यार्न डिपो के तहत आने वाले अनेक व्यक्तिगत बुनकरों/लाभार्थियों की एक बारगी संयुक्त जरुरतों के लिए प्रयोक्ता एजेंसी/यार्न डिपो के नाम संयुक्त क्रय आदेश, इंवायस आदि दे सकता है । बाद के मामले में, व्यक्तिगत बुनकरों की एक सूची जिसमें
(क) व्यक्तिगत बुनकर का नाम
(ख) पास बुक संख्या
(ग) सामान
(घ) मात्रा
(ड़) कीमत इत्यादि का उल्लेख हो,
सचिव (वस्त्र) की अध्यक्षता में राष्ट्रीय कार्यान्वयन और निगरानी समिति का गठन किया जाएगा जिसमें व्यय विभाग, योजना आयोग, राष्ट्रीय हथकरघा विकास निगम, वस्त्र मंत्रालय और राज्य सरकारों के प्रतिनिधि सदस्य के रुप में शामिल होंगे ताकि योजना की समीक्षा की जा सके और योजना के वित्तीय पैरामीटरों में संशोधन या उन पर प्रभाव डाले वगैर परिचालनात्मक दिशा निर्देशों का अनुमोदन या संशोधन किया जा सके ।
पृष्ठभूमि
राष्ट्रीय हथकरघा विकास निगम (एनएचडीसी) लिमिटेड की स्थापना कंपनी अधिनियम, 1956 के अंतर्गत स्वायत्त निकाय के रूप में भारत सरकार द्वारा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम के तौर पर फरवरी, 1983 में की गई जो हथकरघा क्षेत्र के त्वरित विकास में मदद करने हेतु राष्ट्रीय स्तर की ऐसी एजेंसी की अनिवार्य आवश्यकता के अनुसरण में थी जो उचित कीमत पर सभी इनपुट्स की अधिप्राप्ति और आपूर्ति करने, राज्य हथकरघा एजेंसियों के विपणन प्रयासों का संवर्धन करने तथा हथकरघा क्षेत्र और उसकी उत्पादकता संबंधी प्रौद्योगिकी का उन्नयन करने वाली विकासपरक गतिविधियां प्रारंभ करने संबंधी सभी कार्यों का समन्वय करे। एनएचडीसी, हथकरघा विकास आयुक्त कार्यालय के प्रशासनिक नियंत्रण में कार्य करता है । एनएचडीसी के इक्विटी बेस को मजबूत करने के लिए भारत सरकार प्रतिवर्ष 1.00 करोड़ रूपए की दर से इक्विटी प्रदान करती रही है ।
राष्ट्रीय हथकरघा विकास निगम राज्य हथकरघा एजेंसियों, शीर्ष निकायों, क्षेत्रीय संघों, बुनकर सहकारिताओं, हथकरघा विकास केन्द्रों, हथकरघा एसोसिएशनों और निर्यात संवर्धन में लगी हथकरघा विनिर्माता यूनिटों के माध्यम से धागा, रंग और रसायनों की आपूर्ति करता रहा है । यह 522 से भी ज्यादा प्रतिष्ठित कताई मिलों से सभी किस्म के धागों अर्थात सूती, पालिएस्टर, विस्कोस, मिश्रित, ऊनी, रेशमी, जूट आदि की अधिप्राप्ति करता रहा है और उसे 1271 से भी ज्यादा एजेंसियों को उपलब्ध कराता रहा है।
एनएचडीसी की गतिविधियों का आशय निम्नलिखित की उपलब्धि करना है -
उद्देश्य
इस घटक का उद्देश्य एनएचडीसी को अतिरिक्त इक्विटी प्रदान करना है ताकि यह अपनी गतिविधियों में बढ़ोत्तरी लाने के लिए अपेक्षित बढ़ा हुआ ऋण प्राप्त करने हेतु अपने इक्विटी बेस को बढ़ाने में सक्षम हो सके। इन गतिविधियों में हथकरघा बुनकरों/हथकरघा संगठनों को धागे की आपूर्ति की मात्रा का बढ़ाया जाना शामिल है ।
कार्यक्षेत्र
12वीं योजना के दौरान, भारत सरकार, निगम के इक्विटी बेस को बढ़ाने के लिए इक्विटी के रूप में एनएचडीसी की सहायता करेगी ताकि यह अपनी वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए और अधिक ऋण प्राप्त कर सके लेकिन, इसके लिए निम्नलिखित शर्तें हैं -
मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों से संबद्ध समिति ने मिल गेट कीमत स्कीम के साथ 10 प्रतिशत सब्सिडी घटक को जारी रखने की मंजूरी दे दी है। यह स्कीम अब यार्न आपूर्ति स्कीम के नए नाम से जानी जाएगी।
12वीं योजना के लिए इस स्कीम के वास्ते 443 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया जाएगा। यार्न आपूर्ति स्कीम के तहत लाभार्थियों को सेवाएं उपलब्ध कराने का लक्ष्य सभी 23 लाख हथकरघा इकाइयों की सेवा करना है। 12 वीं योजना के दौरान 4364 करोड़ रुपये मूल्य के 3506 लाख किलोग्राम यार्न की आपूर्ति की जाएगी।
स्रोत: भारत सरकार का विकास आयुक्त (हथकरघा) कार्यालय
अंतिम बार संशोधित : 2/22/2020
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